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रामविचार का कमाल
आखिरकार पूर्व संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी भाजपा में शामिल हो रहे हैं। सोरी कांकेर सीट से कांग्रेस के विधायक रहे हैं। वो प्रदेश कांग्रेस के अजजा विभाग के चेयरमैन भी रह चुके हैं। सोरी की विधानसभा टिकट काट दी गई थी। इसके बाद वो कांकेर सीट से लोकसभा की टिकट चाहते थे। मगर पार्टी ने उन्हें महत्व नहीं दिया।
चर्चा है कि सोरी को भाजपा में लाने में कृषि मंत्री रामविचार नेताम की अहम भूमिका रही है। सोरी आईएएस अफसर रह चुके हैं, और जब रामविचार नेताम गृहमंत्री थे तब वो गृह विभाग में पदस्थ थे। दोनों के बीच बेहतर रिश्ते रहे हैं।
सोरी ने रिटायरमेंट के बाद राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से की। वजह यह थी कि रामविचार वर्ष-2013 के विधानसभा का चुनाव हार गए थे। यद्यपि उन्हें बाद में राज्यसभा में भेजा गया था, लेकिन पार्टी के भीतर ज्यादा ताकतवर नहीं रहे। अब प्रदेश में आदिवासी सीएम हैं, और रामविचार नेताम भी मजबूत हैं। ऐसे में उन्होंने भाजपा का दामन थामना उचित समझा। देखना है कि सोरी को भाजपा में क्या कुछ मिलता है।
कोरबा और कोयला
कोरबा का नाम भी कोयले के को से ही पड़ा होगा। सो हाल के वर्षों में दोनों का प्रदेश की राजनीति में गहरा गठजोड़ रहा है। इस चुनाव में भी कोरबा के कोयले की कालिख फिर चर्चा में है। इस बार कोरबा के स्थानीय और बाहरी नेताओं के बीच कोयला बंट गया है। पक्ष विपक्ष दोनों के अंदरखाने इस बंटवारे की चर्चा होने लगी है। और उसी के अनुरूप दोनों ही रोज नई बिसात बिछा रहे हैं। कोरबा वासी, कोयले के छोटे से छोटे काम से लेकर बड़े बड़े ठेके में इन्वॉल्व हैं। ऐसे में उन्हे लगता है कि कहीं आने वाले दिनों में यह काम दुर्ग भिलाई ,हरियाणा के लोगों के हाथ न चले जाए। इन दिनों यहीं लोगों की सक्रियता भी पूरे क्षेत्र में बढ़ गई है। अब देखना यह है कि इसका तोड़ स्थानीय कैसे निकालते हैं।
पेड़ से लिपटने की कीमत
जापान में शिनरिन योकू यानि वन स्नान बहुत पुरानी प्रथा है, जिसमें जंगल के शांत माहौल में सैर किया जाता है और घंटों पेड़ों से लिपटकर मानसिक शांति का अनुभव लिया जाता है और प्रकृति प्रेम को दर्शाया जाता है। कर्नाटक की राजधानी बेंगलूरु में भी पिछले 10 साल से फरवरी के दूसरे सप्ताह में ट्री फेस्टिवल नेरालू मनाया जाता है। नेरालू उत्सव क्राउड फंडिंग से होता है। इसमें लोगों को क्लाइमेंट चेंज के प्रति जागरूक किया जाता है। इसमें हर साल लोगों की भागीदारी बढ़ रही है। इस सफलता से कुछ लोगों के दिमाग में बिजनेस का आइडिया आ गया। बेंगलुरु के कब्बन पार्क में पेड़ों से लिपटने का अनुभव लेने के लिए एक विज्ञापन सोशल मीडिया पर जारी किया गया है। विज्ञापन देने वाली कंपनी ट्रोव एक्सपेरियंस ने कहा है कि 2.5 घंटे तक आप पेड़ों से लिपटकर रह सकते हैं, इसके लिए 1500 रुपये चार्ज किए जाएंगे।
इस पेशकश को लाखों लोग देख चुके हैं और बहुत से लोगों ने सोशल मीडिया पर शेयर भी किया है। बहुत से यूजर्स ने इसकी आलोचना और उपहास में प्रतिक्रिया दी है। जैसे एक ने कहा है कि आप कब्बन पार्क जाकर घास से लिपट सकते हैं, क्योंकि अभी वह मुफ्त है। कई लोगों ने इसे नए तरह का स्कैम करार दिया है।
दूसरी तरफ ट्रोव एक्सपेरियंस ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि जैसे-जैसे हमारे शहरों का विस्तार हो रहा है, हम मनोरंजन के लिए दोहराव वाली चीजें करने लगते हैं। ट्रोव के जरिये आपको अपनी एकरसता को तोडऩे और अपने शहर में नई गतिविधियों का पता लगाने में सहायता मिलेगी। हम उन ठिकानों के बारे में बताते हैं, जहां कोई कलाकार, रचनाकार या कहानीकार अपने अनुभव के खजाने को समृद्ध कर सकेगा।
अपने छत्तीसगढ़ में पेड़ों को बचाने का संघर्ष थोड़ा बड़ा है। हसदेव के पेड़ों को बचाने के लिए 300 किलोमीटर की कठिन यात्रा करनी पड़ती है। 6 अप्रैल 2023 को जब भूपेश बघेल की सरकार के दौरान पेड़ों की कटाई शुरू हो गई थी तो चिपको आंदोलन की तर्ज पर महिलाएं पेड़ों से लिपट गई थीं। विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में नई सरकार के अस्तित्व में आने के पहले ही हजारों पेड़ काट दिए गए। शेष जंगल को बचाने के लिए अब भी अनिश्चितकालीन आंदोलन चल रहा है।
मांग नहीं सुनेंगे, जेल भेज देंगे
समय रहते समस्या नहीं सुलझने पर यदि नागरिक सडक़ पर उतरकर रोष जताते हैं तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो जाती है, पर समस्या लटका कर रखने के लिए प्रशासन खुद को जवाबदेह नहीं मानता। पिछले कई सालों से बालकोनगर से कोरबा और दर्री की ओर जाने वाली सडक़ डेंजर जोन बन चुकी है। परसाभाठा चौक से बजरंग चौक के बीच बालको की राखड़ भरी भारी गाडिय़ों का आना जाना होता है और आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं। बीते शनिवार को एक भारी वाहन की चपेट में आने से एक ऑटो चालक की मौत हो गई और उसमें सवार पांच लोग घायल हो गए। नागरिकों और ऑटो चालक संघ ने चक्काजाम कर दिया । पुलिस ने इस मामले में 40 लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया है। वीडियो फुटेज से लोगों की पहचान की जाएगी।
दूसरी ओर, बालको के लिए वैकल्पिक सडक़ बनाने की मांग कई वर्षों से की जा रही है। मौजूदा मंत्री लखन लाल देवांगन भी मांग करने वालों में शामिल थे। विकल्प मौजूद है, पर इसका सर्वेक्षण भी अब तक नहीं किया गया। चक्काजाम लगातार दुर्घटनाओं के कारण आक्रोशित लोगों ने किया, पर जिनकी लापरवाही से अब तक भारी गाडिय़ां दौड़ रही हैं, उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रशासन ने अभी भी भारी गाडिय़ों की आवाजाही इसी घनी आबादी वाले इलाके से चालू रखने का निर्णय लिया है। दुर्घटना के बाद सडक़ चौड़ी करने का प्रस्ताव बनाया जा रहा है। लोग इसका भी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि सडक़ चौड़ी करने की जरूरत तो है, पर इसलिये नहीं कि भारी गाडिय़ों को छूट मिले। मंत्री ने आचार संहिता लागू होने के कारण अपने हाथ बंधे होने की बात कही है। कह रहे हैं कि चुनाव खत्म होने के बाद कड़ी कार्रवाई होगी।