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वित्तीय प्रणाली में संचालन व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता दें: आरबीआई गवर्नर
27-Jun-2024 8:36 PM
वित्तीय प्रणाली में संचालन व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता दें: आरबीआई गवर्नर

मुंबई, 27 जून। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बृहस्पतिवार को वित्तीय क्षेत्र से संचालन व्यवस्था पर ‘सर्वोच्च प्राथमिकता’ देने को कहा। उन्होंने कहा कि परिसंपत्ति की गुणवत्ता में सुधार और दबाव की स्थिति में मजबूती से टिके रहने की स्थिति में सुधार के साथ अब संचालन व्यवस्था पर ध्यान देने की जरूरत है।

केंद्रीय बैंक की छमाही वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) की प्रस्तावना में दास ने कहा, “सर्वोच्च प्राथमिकता संचालन व्यवस्था को दी जानी चाहिए। मजबूत संचालन व्यवस्था वित्तीय प्रणाली में संबद्ध पक्षों की मजबूती का मूल तत्व है।”

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में अच्छी कमाई और पर्याप्त पूंजी के साथ वित्तीय संस्थाओं के बहीखाते में मजबूती का उल्लेख किया गया है। आरबीआई के दबाव परीक्षण से पता चलता है कि गंभीर दबाव परिदृश्यों में भी बैंकों और गैर-बैंकों के ‘बफर’ यानी पूंजी स्तर न्यूनतम नियामकीय पूंजी स्तर से ऊपर रहेंगे।

आरबीआई गवर्नर ने कहा, “आज, वित्तीय स्थिरता के स्तर पर स्थिति शायद अपने सबसे अच्छे स्तर पर है, लेकिन असली चुनौती इसे बनाए रखना और इसमें और सुधार करना है।”

दास ने कहा, “स्थिर परिवेश में, आरबीआई साइबर खतरों, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक चुनौतियों से उत्पन्न होने वाले खतरों के प्रति सतर्क है।”

उन्होंने बैंकों से प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर पर्याप्त निवेश करने को कहा और नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय बैंक की प्रतिबद्धता दोहराई।

केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा, “नई प्रौद्योगिकी दक्षता और ग्राहक अनुभव में सुधार लाती हैं, लेकिन वे अपने साथ वित्तीय प्रणाली में अचानक और व्यापक स्तर पर बदलाव भी ला सकती हैं। इसके लिए जरूरी है कि सभी संबद्ध पक्ष न केवल तकनीकी प्रगति का पूरा लाभ उठाने के लिए पर्याप्त निवेश करें बल्कि अपनी प्रणाली की सुरक्षा और मजबूती के लिए कदम भी उठाएं।”

उन्होंने ग्राहकों के हितों को सबसे आगे रखने के लिए भी कहा। ग्राहकों के भरोसे को बनाए रखना व्यवस्था के स्तर पर स्थिरता बनाये रखने की आधारशिला है।

दास ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बीच, भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत वृहद आर्थिक बुनियादी ढांचे और ‘बफर’ के साथ मजबूती दिखा रही है।

उन्होंने कहा कि आर्थिक गतिविधियां बढ़ रही है और वित्तीय प्रणाली हाल के संकट के दौर की शुरुआत से पहले की तुलना में अधिक मजबूत और जीवंत है।

दास ने प्रस्तावना में अपनी कुछ चिंताओं का भी जिक्र किया। सार्वजनिक ऋण का ‘खतरनाक स्तर’ वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिए एक बड़ा खतरा पैदा करता है। इसके अलावा, दुनिया में विभिन्न देशों के बीच जारी संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और वित्तीय प्रौद्योगिकियों को अपनाने से उत्पन्न होने वाले जोखिम भी इसमें शामिल हैं।(भाषा)

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