ताजा खबर

राजपथ-जनपथ : लीड कम, जवाबदेही अधिक
28-Jun-2024 5:55 PM
राजपथ-जनपथ : लीड कम, जवाबदेही अधिक

लीड कम, जवाबदेही अधिक

भाजपा विधायक संपत अग्रवाल को लोकसभा चुनाव में अपनी सीट बसना से बढ़त को लेकर बढ़ चढक़र दावा करना भारी पड़ रहा है। सुनते हैं कि बसना विधायक संपत अग्रवाल ने पार्टी के रणनीतिकारों को भरोसा दिलाया था कि बसना से भाजपा प्रत्याशी रूपकुमारी चौधरी को 50 हजार वोटों की बढ़त मिलेगी। संपत अग्रवाल यह भी कह गए थे कि यदि बढ़त कम हुई, तो पार्टी दफ्तर नहीं आएंगे।

अग्रवाल गलत साबित हुए, और बसना विधानसभा सीट से सबसे कम 18 सौ वोटों की बढ़त मिल पाई। खास बात यह है कि खुद संपत अग्रवाल करीब 38 हजार वोटों से चुनाव जीते थे। संपत की तरह कई और विधायकों ने अपने क्षेत्र से बढ़त को लेकर काफी दावे किए थे, लेकिन वैसा परफार्मेंस नहीं दिखा पाए।

 संपत अग्रवाल के लिए संतोष जनक बात यह है कि रूपकुमारी चौधरी खुद बसना की रहने वाली है, और विधायक भी रही हैं। ऐसे में कम लीड के लिए रूपकुमारी को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। ये अलग बात है कि रूपकुमारी अब तक महासमुंद सीट से सबसे ज्यादा  वोटों से जीत हासिल की है। फिर भी बसना में कम लीड के लिए जवाब देना पड़ रहा है।

निशाने पर अफसर

मुख्य सचिव कार्यालय के सूत्रों की मानें तो पीएमओ केंद्रीय विभागों और राज्यों में कार्यरत अखिल भारतीय सेवा के अफसरों पर निकट से कड़ी निगाह रखे हुए है। मोदी 3.0 में ऐसे अफसरों पर गाज गिर सकती है जिन पर भ्रष्टाचार के पुख्ता सबूत आन  पेपर है। पीएमओ ने डीओपीटी के जरिए आईएएस, आईपीएस, आईएफएस,आईआरएस आईटीएस और अन्य सेवा के अफसरों के पेपर्स बुलवाए हैं जिनके मामले कैट, चीफ विजिलेंस कमिश्नर और राज्यों के लोकायोग में अंतिम निर्णय की स्थिति में है।

पीएमओ, मनमोहन सरकार की प्रशासनिक सुधार प्रक्रिया को तेजी देना चाहती है। इसमें भ्रष्टाचार में लिप्त अफसर जिनकी आयु 50 वर्ष और सेवावधि 20 वर्ष हो चुकी है उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा। इसके तहत छत्तीसगढ़ में भी पूर्व के वर्षों में एकाधिक आईएएस,आईपीएस (देवांगन) अफसर बर्खास्त किए जा चुके हैं। इस क्राइटीरिया में  पिछले दो वर्ष में निलंबित किए गए समीर विश्नोई, रानू साहू, एपी त्रिपाठी, मनोज सोनी भी आ रहे हैं। मनोज सोनी दूर संचार सेवा के अफसर हैं, और उन्हें रिलीव भी किया जा चुका है। सूत्रों का कहना है कि इन सभी की फाइलें भी मंगाई गई हैं। साथ ही महादेव सट्टे के लाभार्थी आईएएस और आईपीएस भी पीएमओ की स्कैनिंग में टॉप पर हैं। संसद का प्रथम सत्र निपटते ही आगे की कार्रवाई हो सकती है।

वापिसी की हसरत और अड़ंगा

नगरीय निकाय चुनाव को देखते हुए कांग्रेस के कई बागी नेता वापसी की कोशिश में लगे हैं। इन्हीं में से रायपुर की एक विधानसभा सीट से बगावत कर चुनाव लडऩे वाले नेता ने अपना निष्कासन खत्म करने के लिए आवेदन  दिया है। कांग्रेस रायपुर की चारों सीट हार गई। अब बागी नेता की पार्टी में वापसी पर पराजित प्रत्याशी ने फिलहाल ब्रेक लगा दिया है। फिर भी बागी नेता, प्रदेश प्रभारी, और प्रदेश अध्यक्ष से मिलकर वापसी की कोशिश में लगे हैं। देखना है आगे क्या होता है।

जशपुर में रेल अब दौड़ेगी?

जशपुर में रेल लाइन की लंबे समय से मांग हो रही है। दो साल पहले ईस्ट कॉरिडोर परियोजना में इसे शामिल करते हुए धर्मजयगढ़ से लोहरदगा के लिए सर्वे का टेंडर जारी कर दिया गया था, जो अब पूरा हो चुका है। इस परियोजना के मूर्त रूप लेने पर पत्थलगांव, कुनकुरी, जशपुर नगर आदि बड़े कस्बे रेल मार्ग से जुड़ जाएंगे।

पूर्व के दशकों में यहां रेल लाइन का इसलिये विरोध हो रहा था क्योंकि स्थानीय लोग यहां के खनिज संपदा और पर्यावरण के दोहन को लेकर चिंतित थे। मगर अब लोग खुद आंदोलन कर रहे हैं। रेल नहीं होना उन्हें जशपुर के पिछड़ेपन का एक कारण लगता है। सांसद रहते गोमती साय, जो अब विधायक हैं-ने दो तीन बार इस मुद्दे को लोकसभा में उठाया था और रेल मंत्री से मुलाकात की थी। अब संसद सत्र शुरू होने के बाद वर्तमान सांसद राधेश्याम राठिया ने भी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात कर सर्वे के मुताबिक शीघ्र बजट स्वीकृत कर काम शुरू करने की मांग की है। इस बार प्रयास रंग ला सकता है और आने वाले वर्षों में यहां रेल की पटरियों को बिछते हुए देखा जा सकता है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के इसी इलाके से आने के कारण जिले की स्थिति विशिष्ट हो चुकी है। केंद्रीय रेल मंत्रालय आगामी बजट में इसके लिए प्रस्ताव रख सकता है।

इधर सरगुजा सांसद चिंतामणि महाराज भी रेल मंत्री से मिले। उन्होंने अंबिकापुर से बरवाडीह और रेणुकूट के लिए प्रस्तावित नई रेल लाइन को मंजूरी देने की मांग की है।

छत्तीसगढिय़ा ईरानी

कभी, 4-6 पीढिय़ों या उससे भी पहले घोड़े के कुछ बड़े सौदागर ईरान से चले थे। उनके साथ साथ उनके सेवक या सहयोगी भी थे।

आज उन लोगों की बस्तियां हैं यहां छत्तीसगढ़ के कुछ स्थानों में। बिलासपुर में भी अरपा नदी के उस किनारे पर पूरे का पूरा एक ईरानी मोहल्ला है। बेतरतीब बसाहट वाला मोहल्ला। इनके रोजगार धंधे भी ऐसे ही बे तरतीब से। कभी चश्मा बेचते हुए तो कभी रंगीन पत्थरों और कांच के मनका माला बेचते हुए। इतनी पीढिय़ों से यहां बसे हुए इनके नाक नक्श तक अब छत्तीसगढ़ के हो गए। इनकी दप-दप चमकती गुलाबी गोरी रंगत भी अब धूमिल पडऩे लगी। बस इनका पहनावा-ओढऩा और इनके घर बोली जाने वाली इनकी मातृभाषा ही इनके पास सुरक्षित बची है।

इतनी पीढिय़ों की बसाहट के बाद भी इनके ठौर ठिकाने खानाबदोशी से अलग नहीं हो पाए।

इन दिनों नगर-निगम 1000 से अधिक मकानों पर बुलडोजर चलाने के अभियान में लगा है। इन ईरानियों पर एक नया कहर बरप रहा है। (सतीश जायसवाल की फेसबुक पोस्ट) ([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news