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राजपथ-जनपथ : पुराने बक्से खुले नहीं, नई खऱीदी!!
31-Aug-2024 4:30 PM
राजपथ-जनपथ :  पुराने बक्से खुले नहीं, नई खऱीदी!!

पुराने बक्से खुले नहीं, नई खऱीदी!!

प्रदेश के कई सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर की कमी है। रायपुर के डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल प्रबंधन ने पिछले दिनों एक उच्चस्तरीय बैठक में 50 वेंटिलेटर उपलब्ध कराने मांग की। इस पर बैठक में मौजूद स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल चौंक गए। उन्हें एक समीक्षा बैठक में बताया गया था कि कोरोना काल में तकरीबन सभी जिलों में बड़ी संख्या में वेंटिलेटर की खरीदी हुई है। हाल यह है कि कई वेंटिलेटर के बक्से खुल नहीं पाए हैं। ऐसे में फिर खरीदी प्रस्ताव पर सवाल खड़े किए। इसके बाद उन्होंने निर्देश दिए कि सभी जिलों में वेंटिलेटर का सत्यापन किया जाएगा, और जहां उपलब्ध नहीं है, वहां अतिशेष वेंटिलेटर भेजे जाएंगे।

राजधानी रायपुर के इस मकान मालिक के बोर्ड को देखकर वन्यप्राणी विभाग के लोग पहुंच सकते हैं कार्रवाई करने के लिए!

मेघालय से आ रहीं प्रभारी  


एआईसीसी ने छत्तीसगढ़ के प्रभारी सचिव चंदन यादव और सप्तगिरी उल्का की जगह मेघालय की श्रीमती जारिता लैटफलांग और एस.ए.सम्पत कुमार की नियुक्ति की है। सम्पत कुमार तेलंगाना के पूर्व विधायक हैं, और वो छत्तीसगढ़ की सीमा के नजदीक महबूब नगर के रहवासी हैं।

संकेत साफ है कि सम्पत कुमार का उपयोग बस्तर में कांग्रेस संगठन को मजबूत बनाने के लिए किया जाएगा। वैसे भी बीजापुर और सुकमा जिले में तेलुगुभाषी वोटर बड़ी संख्या में हैं। इससे परे जारिता लैटफलांग पहले शशि थरूर की प्रोफेशनल कांग्रेस की पदाधिकारी रह चुकी हैं। यहां प्रदेश के कई नेताओं से उनका परिचय है। उनकी साख अच्छी है। कहा जा रहा है कि दोनों ही नेता संगठन को मजबूत करने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। देखना है आगे क्या होता है।

जेल-कटघरे में रहते बिहार-प्रभारी

एआईसीसी ने कांग्रेस के सचिवों की सूची जारी की। प्रदेश से सिर्फ दो नेता राजेश तिवारी, और देवेन्द्र यादव को ही जगह मिल पाई। तिवारी उत्तरप्रदेश के  प्रभारी सचिव हैं, और वे पद पर बने रहेंगे। देवेन्द्र यादव को बिहार कांग्रेस का प्रभारी सचिव बनाया गया है।

देवेन्द्र भिलाई के विधायक हैं लेकिन उनका परिवार उत्तरप्रदेश से तालुक रखता है। बिहार में यादव समाज के वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। चर्चा है कि यादव वोटरों को साधने के लिए देवेन्द्र यादव को बिहार का प्रभारी सचिव बनाया गया है। ये अलग बात है कि देवेन्द्र यादव बलौदाबाजार आगजनी प्रकरण के चलते जेल में हैं। इसके अलावा वो कोल स्कैम में भी फंसे हुए हैं। कोर्ट-कचहरी के बीच देवेन्द्र बिहार में कितना समय दे पाते हैं यह देखना है।

साइन बोर्ड ही अस्तित्व के लिए जूझ रहा

अरपा नदी के ही अस्तित्व पर नहीं बल्कि उसके उद्गम का भी नामोनिशान मिटाने पर लोग आमादा हैं।  पेंड्रा के एक खेत के पास से यह नदी निकली है, जिसमें कुछ हिस्सा एक निजी जमीन का है। यहां एक बोर्ड लगा था, जिसे दूसरी बार किसी ने चुरा लिया। कांग्रेस भाजपा दोनों ने अपनी-अपनी सरकार रहने के दौरान अरपा को बचाने के बड़े-बड़े वादे किए लेकिन हकीकत यह है कि यह लगातार सूखती सिकुड़ती जा रही है। काफी हिस्सा रेत माफियाओं के हवाले है, जिन्होंने इतनी खाई खोदी है कि तैरने के लिए उतरे बच्चों की मौत भी हो जाती हैं। इसे टेम्स नदी की तरह बनाने का सपना दिखाया गया। 2400 करोड़ रुपये की भारी भरकम योजना लाई गई, जो भाजपा की सरकार जाते ही फाइलों में बंद हो गई। हाईकोर्ट में अरपा को बचाने, यहां के अवैध उत्खनन को रोकने के लिए कई याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। पर अफसर, अगली सुनवाई के कुछ दिन पहले कागज तैयार कर जवाब देने के लिए पहुंच जाते हैं। अभी जिस जगह से बोर्ड गायब है, उस जगह को अधिग्रहित करने की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है, जबकि प्रशासन ने हाईकोर्ट में ऐसा करने की शपथ दे रखी है। जल-जीवन और पर्यावरण से जुड़े इस मुद्दे पर संवेदनहीन अफसरशाही हावी है।

अबूझमाड़ की तरक्की का रास्ता


देखिये, इस सडक़ को। यह अबूझमाड़ के ब्लॉक मुख्यालय ओरछा को जिला मुख्यालय नारायणपुर से जोडऩे वाली प्रमुख सडक़ है। इसमें इतने गड्ढे हैं, शायद गिन भी नही पाएंगे। यहां से प्रतिदिन डेढ़ सौ से अधिक वाहन और सैकड़ों लोग गुजरते हैं,लेकिन इस सडक़ की दशा सुधारने की दिशा में अब तक कोई पहल नहीं हुई है। ( पत्रकार मनीष गुप्ता की सोशल मीडिया ‘एक्स’ पोस्ट)

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