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प्रधानमंत्री मोदी ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में त्वरित न्याय की वकालत की
31-Aug-2024 7:43 PM
प्रधानमंत्री मोदी ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में त्वरित न्याय की वकालत की

नयी दिल्ली, 31 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में त्वरित न्याय की आवश्यकता पर जोर देते हुए शनिवार को कहा कि इससे महिलाओं में अपनी सुरक्षा को लेकर भरोसा बढ़ेगा।

प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी कोलकाता के एक डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या तथा महाराष्ट्र के ठाणे में दो किंडरगार्टन (केजी) की लड़कियों पर यौन हमले की पृष्ठभूमि में आई है।

मोदी ने कहा कि न्यायपालिका को संविधान का संरक्षक माना जाता है और उच्चतम न्यायालय एवं न्यायपालिका ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की उपस्थिति में जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और बच्चों की सुरक्षा के "ज्वलंत मुद्दे" का जिक्र किया और कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है।

मोदी ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानूनों में कड़े प्रावधान किए जाने का जिक्र करते हुए 2019 में शुरू की गई त्वरित विशेष अदालत योजना का जिक्र किया।

उन्होंने कहा, "महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों में जितनी तेजी से फैसला सुनाया जाएगा, आधी आबादी को अपनी सुरक्षा के बारे में उतना ही अधिक भरोसा होगा।"

उन्होंने कहा कि जिला न्यायाधीश, जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक वाली जिला निगरानी समितियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

आपराधिक न्याय प्रणाली के विभिन्न पहलुओं के बीच समन्वय स्थापित करने में पैनल की महत्वपूर्ण भूमिका की ओर इशारा करते हुए मोदी ने इन समितियों को और अधिक सक्रिय बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

कोलकाता की घटना पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार और केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के बीच टकराव का मुद्दा भी बन गई है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को मोदी को पत्र लिखकर बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के लिए कठोर केंद्रीय कानून और कठोर सजा के प्रावधान का अपना अनुरोध दोहराया।

संविधान और कानून की भावना की रक्षा में न्यायपालिका की भूमिका का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के लोगों ने कभी भी उच्चतम न्यायालय या न्यायपालिका के प्रति कोई अविश्वास नहीं दिखाया है।

प्रधानमंत्री ने आपातकाल लागू किए जाने को एक ‘‘काला’’ दौर बताते हुए कहा कि न्यायपालिका ने मौलिक अधिकारों को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई।

मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों पर कहा कि न्यायपालिका ने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा की है।

कोलकाता में एक महिला चिकित्सक से बलात्कार एवं उसकी हत्या और ठाणे के एक स्कूल में दो बच्चियों के यौन उत्पीड़न के मामलों की पृष्ठभूमि में उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और बच्चों की सुरक्षा समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों में जितनी तेजी से न्याय मिलेगा, आधी आबादी को अपनी सुरक्षा को लेकर उतना ही अधिक भरोसा होगा।’’

न्यायपालिका को विकसित भारत के दृष्टिकोण का "मजबूत स्तंभ" बताते हुए उन्होंने कहा कि जिला न्यायपालिका भारतीय न्यायिक प्रणाली की नींव है।

मोदी ने कहा, "देश का आम नागरिक न्याय के लिए सबसे पहले आपके (निचली अदालतों के) दरवाजे पर दस्तक देता है। इसलिए, यह न्याय का पहला बिंदु है, यह पहला कदम है।"

न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार के सुझावों के बीच प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में न्याय को सुलभ बनाने के प्रयास किए गए हैं।

मोदी ने कहा कि भारत एक एकीकृत प्रौद्योगिकी मंच तैयार करने की ओर बढ़ रहा है, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता और ‘ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन’ जैसी उभरती तकनीकें शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसे तकनीकी मंच लंबित मामलों का विश्लेषण करने और भविष्य के मामलों की भविष्यवाणी करने में भी मदद करेंगे।

उन्होंने महसूस किया कि प्रौद्योगिकी पुलिस, फोरेंसिक, जेल और अदालत जैसी विभिन्न शाखाओं के काम को एकीकृत और गति प्रदान करेगी।

मोदी ने कहा, ‘‘हम एक ऐसी न्याय प्रणाली की ओर बढ़ रहे हैं, जो पूरी तरह से भविष्य के लिए तैयार होगी।’’

उन्होंने शीर्ष अदालत की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक डाक टिकट और सिक्के का भी अनावरण किया।

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