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रायपुर, 6 अक्टूबर। एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी हास्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट जनरल ें लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. राजेश सिन्हा ने बताया कि भारत में मधुमेह का प्रकोप अन्य राष्ट्रों के मुकाबले अधिक बढ़ रहा है। इंटरनेशनल डायबेटिक फेड्रेशन (आईडीएफ) के अनुसार वर्ष 2020 में दुनिया में 463 मिलियन लोगों को मधुमेह है और भारत में 77 मिलियन लोग मधुमेह से प्रभावित है। डायबेटिक फुट का व्यापकता दर 11.6 प्रतिशत पर दिखाई देता है। मधुमेह के रोगी में पैर के काटे जाने का जोखिम गैर मधुमेह रोगी की तुलना में 15 प्रतिशत ज्यादा है।
श्री सिन्हा ने बताया कि पैरों में कुछ महसूस न होना, सुन्नता या झुनझुनी, फफोले या अन्य घाव, त्वचा रंग में बदलाव, लालिमा, मवाद के साथ घाव या बिना मवाद के घआव, पैर कटने का खतरा, बुखार, ठंड लगना आदि डायबेटिक फुट के लक्षणों में शामिल हैं। डायबेटिक फुट के उपचार में सामान्य (नॉन सर्जिकल) उपचार और सर्जिकल उपचार शामिल है। सामान्य (नॉन सर्जिकल) उपचार में घाव की सफाई और ड्रेसिंग एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाईयां, उचित जूते, अंग व्यायाम और फिजियोथेरेपी, रक्त प्रवाह बेहतर करने के लिए दवाईयां, रक्त शर्करा का नियंत्रण आदि शामिल है।