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‘छत्तीसगढ़’ न्यूज डेस्क
बस्तर में काम कर रही एक सामाजिक कार्यकर्ता, और आदिवासियों के लिए कोर्ट में मामले लड़ रहीं वकील बेला भाटिया ने एक आदिवासी की जिंदगी को लेकर नक्सलियों से सार्वजनिक अपील की है। इस आदिवासी नौजवान को आशंका है कि नक्सली उसे मार सकते हैं।
बेला भाटिया ने एक बयान में कल माओवादियों से अपील की है कि मासा पोडीयामी नाम के इस नौजवान के खिलाफ माओवादी कोई कार्रवाई न करें।
बेला भाटिया वकील होने के साथ ही मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, और वे बस्तर अधिकार शाला नाम के संगठन के लिए काम करती हैं। उन्होंने अपने बयान में लिखा है-
छत्तीसगढ़ के बस्तर डिवीजन के दंतेवाड़ा जिले का गुमियापाल गाँव (किरंदुल थाना) माओवादी-पुलिस सम्बंधित घटनाओं को लेकर सुर्खियों में रहा है। हाल ही में 7 नवम्बर की रात माओवादियों ने एक युवक को अगवा कर 18 नवम्बर को छोड़ दिया। पर अभी भी उस पर कई तरह के प्रतिबन्ध हैं और उसका भविष्य अनिश्चित है।
बेला भाटिया ने बताया कि युवक मासा पोडीयामी ने कहा कि उसको क्यों उठाया गया वह नहीं जानता। उसको कोई कारण नहीं बताया गया। हालाँकि उसने कहा कि उसके साथ कोई दुव्र्यवहार नहीं हुआ उसके एक सम्बन्धी ने बताया कि जब वह वापस आया तब उसके पैर सूजे हुए थे। वह 11 दिन जब मासा लापता रहा उसके परिवार के लिए परेशानी भरे दिन थे। वे उसकी खोज में जंगल-जंगल भटकते रहे पर उसका कोई पता नहीं चल पाया था।
उन्होंने बताया कि मासा एक गरीब किसान परिवार का है। उसका बड़ा भाई कमलेश (जो मेरा क्लाइंट है) 2018 से 7 ‘नक्सली’ प्रकरणों में जगदलपुर केंद्रीय जेल में बंद है। इन सभी प्रकरणों में भदस की धाराओं के अलावा यूएपीए की धाराओं के तहत भी आरोप लगाये गए हैं। कमलेश भी बस्तर के उन हजारों निर्दोष आदिवासियों में हैं जिन को झूठे प्रकरणों में फंसाया गया है।
बेला भाटिया ने बताया कि कमलेश और मासा के अलावा उनके माँ-बाप का और कोई बेटा नहीं है। गौरतलब है कि इस परिवार का एक बेटा पुलिस से प्रताडि़त रहा और दूसरा माओवादियों से।
उन्होंने बताया कि मासा ने एनएमडीसी में कॉन्ट्रैक्ट मजदूर के लिए फॉर्म भरा था। इस काम के लिए, शहर में मजदूरी पाने के लिए, जगदलपुर में अपने भाई की पेशी के लिए, बाजार, अस्पताल और अन्य कामों के लिए मासा को अपने गाँव से बाहर आना-जाना पड़ता था। क्या यही उसका कसूर है?
बेला भाटिया ने कहा कि मैं मासा को पिछले दो सालों से जानती हूँ। आज मासा को अपने गाँव से बाहर निकलने की आजादी नहीं है। उसका फोन भी जप्त कर लिया गया है। मासा को माओवादियों ने कहा है कि उसके बारे में निर्णय अभी लंबित है।
उन्होंने कहा कि हम चिंतित हैं क्योंकि सितंबर-अक्टूबर माह में पड़ोसी बीजापुर जिले में माओवादियों ने तकरीबन 25 ग्रामीणों पर पुलिस मुखबिरी का आरोप लगा कर हत्या की है।
बेला भाटिया ने कहा कि मैं माओवादियों से अपील करती हूँ कि मासा पर किसी प्रकार का दबाव न दें, वह सुरक्षित रहे और उसकी आजादी पर कोई आंच न आये।