राष्ट्रीय
रांची, 28 जुलाई (आईएएनएस)| झारखंड के लातेहार जिले के कोविड -19 केंद्र से हत्या का आरोपी और कोरोनावायरस पॉजिटिव मरीज फरार को फरार हो गया। पुलिस के मुताबिक, इस शख्स को बीजेपी नेता जय बर्धन सिंह की हत्या के मामले में 14 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद उसे पूछताछ के लिए पुलिस रिमांड पर लिया गया था। पुलिस हिरासत में भेजने से पहले उसका कोविड -19 परीक्षण किया गया था और आरोपी कोरोनावायरस संक्रमित पाया गया था।
लिहाजा शनिवार को उसे लातेहार जिले के राजाहर स्थित कोविड -19 केंद्र में भर्ती कराया गया था, जहां से वह सोमवार को फरार हो गया।
आरोपी के फरार होने की इस घटना ने झारखंड के कोविड केंद्रों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा दिया है।
इससे पहले भी हजारीबाग के कोविड -19 केंद्र से एक चोर दो बार भाग निकला था। इतना ही नहीं कथित तौर पर उसने कई लोगों को संक्रमित भी किया था। रांची के एक क्वारंटीन केंद्र में तीन महिलाओं के गर्भवती होने पर भी सवाल उठाए गए थे।
बता दें कि पिछले 24 घंटों में राज्य में कोरोनावायरस के 600 से अधिक नए मामले आए हैं। इसके बाद राज्य में कुल मामलों की संख्या 8,700 को पार कर गई है।
भोपाल, 28 जुलाई (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के चलते मंगलवार को पहली बार वर्चुअल कैबिनेट बैठक होगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कोरोना पॉजिटिव होने के कारण इन दिनों भोपाल के चिरायु अस्पताल में भर्ती हैं। आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी में बताया गया है कि मंगलवार को कैबिनेट की बैठक वर्चुअल होगी। मंत्रिमंडल के सदस्य किसी भी स्थान से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जुड़ेंगे। सभी सदस्यों को वर्चुअल बैठक के बारे में जानकारी दी जा चुकी है।
ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री चौहान कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। एक अन्य मंत्री अरविंद भदौरिया भी कोरोना संक्रमित हैं। दोनों ही चिरायु अस्पताल में भर्ती है।
पटना, 27 जुलाई (आईएएनएस)| बिहार की राजधानी पटना के गंगा के तट पर स्थित बांस घाट शवदाह गृह में कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति का शव जलाने को लेकर विरोध-प्रदर्शन करने, सरकारी अनुमति के बिना जुलूस निकालने और सामाजिक दूरी का पालन नहीं करने के आरोप में बुद्धा कॉलोनी थाने में एक प्राथमिक दर्ज कराई गई है। इस प्राथमिकी में छह लोगों को नामजद और 15 से 20 अन्य अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है।
बुद्धा कलोनी थाना प्रभारी रवि शंकर सिंह ने सोमवार को बताया कि शवदाह गृह में कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति के शव के अंतिम संस्कार को लेकर स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था और जुलूस निकाला था। इसके लिए किसी प्रकार का सरकारी आदेश भी नहीं लिया गया था।
उल्लेखनीय है कि बिहार में 31 जुलाई तक बंदी की घोषणा की गई है।
थाना प्रभारी सिंह ने बताया कि बांसघाट में प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी चंदन प्रसाद के लिखित बयान पर बुद्धा कॉलोनी थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसमें छह को नामजद और 15 से 20 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है।
प्रदर्शनकारी कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति का शवदाह अन्य शवों से दूर किए जाने की मांग कर रहे थे।
उल्लेखनीय है कि पटना में कोरोना संक्रमित लोगों की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार के लिए बांसघाट लाया जा रहा है।
भोपाल, 27 जुलाई (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिंक विभाग के डॉ. मुरली लालवानी को एक छात्र से परीक्षा में उत्तीर्ण कराने के एवज में 40 हजार रुपये बतौर रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। डॉ. लालवानी ने डेढ़ लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी।
लोकायुक्त पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, फॉरेंसिक विभाग में एमडी कर रहे छात्र यशपाल सिंह ने शिकायत की थी कि अंतिम वर्ष की परीक्षा में उत्तीर्ण करने के एवज में डॉ. लालवानी डेढ़ लाख रुपये की रिश्वत मांग रहे हैं। इस शिकायत का लोकायुक्त पुलिस ने परीक्षण किया और सही पाए जाने पर सोमवार को कार्रवाई की।
लोकायुक्त पुलिस के अनुसार, सोमवार को तय योजना के मुताबिक यशपाल सिंह जब डॉ. लालवानी को रिश्वत दे रहे थे तभी उन्हें फॉरेंसिक विभाग में रंगे हाथों पकड़ा गया।
नई दिल्ली, 27 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि जनवरी में देश में कोरोना के टेस्ट के लिए जहां मात्र एक सेंटर था, आज करीब 1300 प्रयोगशाला पूरे देश में काम कर रही हैं। आज भारत में 5 लाख से ज्यादा टेस्ट हर रोज हो रहे हैं। आने वाले हफ्तों में इसको 10 लाख प्रतिदिन करने की कोशिश हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नोएडा, मुंबई और कोलकाता में हाईटेक कोविड-19 टेस्टिंग लैब का वीडियो कांफ्रेंसिंग से शुभारंभ करते हुए कहा कि देश में जिस तरह सही समय पर सही फैसले लिए गए, आज उसी का परिणाम है कि भारत अन्य देशों के मुकाबले, काफी संभली हुई स्थिति में है। आज हमारे देश में कोरोना से होने वाली मृत्यु, बड़े-बड़े देशों के मुकाबले, काफी कम है। वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुए इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी ऑनलाइन शामिल हुए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "कोरोना के खिलाफ इस बड़ी और लंबी लड़ाई के लिए सबसे महत्वपूर्ण था कि देश में तेजी के साथ कोरोना स्पेसिफिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्च र का निर्माण हो। इसी वजह से बहुत शुरूआत में ही केंद्र सरकार ने 15 हजार करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान कर दिया था।"
आइसोलेशन सेंटर हों, कोविड स्पेशल हॉस्पिटल हो, टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रैकिंग से जुड़ा नेटवर्क हो, भारत ने बहुत ही तेज गति से अपनी क्षमताओं का विस्तार किया। आज भारत में 11 हजार से ज्यादा कोविड फेसिलिटीज हैं, 11 लाख से ज्यादा आइसोलेशन बेड्स हैं।
कोरोना महामारी के दौरान हर कोई सिर्फ एक ही संकल्प के साथ जुटा है कि एक-एक भारतीय को बचाना है। इस संकल्प ने भारत को हैरतअंगेज परिणाम दिए हैं। विशेषकर पीपीई, मास्क और टेस्ट किट्स को लेकर भारत ने जो किया, वो एक बड़ी सक्सेस स्टोरी है।
सिर्फ 6 महीना पहले देश में एक भी पीपीई किट मैन्यूफैक्च रर नहीं था। आज 1200 से ज्यादा मैन्यूफैक्च रर हर रोज 5 लाख से ज्यादा पीपीई किट बना रहे हैं। एक समय भारत एन-95 मास्क भी बाहर से ही मंगवाता था। आज भारत में 3 लाख से ज्यादा मास्क हर रोज बन रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक और बड़ा चैलेंज था, कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए देश में ह्यूमन रिसोर्स को तैयार करना। जितने कम समय में हमारे पैरामेडिक्स, आशावर्कर्स, एएनएम, आंगनबाड़ी और दूसरे हेल्थ और सिविल वर्कर्स को प्रशिक्षित किया गया, वो भी अभूतपूर्व है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "कोरोना के खिलाफ लड़ाई में आज हम उस स्थिति पर आ चुके हैं, जहां हमारे पास जागरूकता की कमी नहीं है, साइंटिफिक डेटा का विस्तार हो रहा है और संसाधन भी बढ़ रहे हैं। हमें मिलकर नया हेल्थ इंफ्रा तो तैयार करना ही है, जो हमारे पास गांव-गांव में सरकारी और प्राइवेट डिस्पेंसरीज हैं, क्लीनिक हैं, उनको ज्यादा सक्षम भी बनाना है। ये हमें इसलिए भी करना है, ताकि हमारे गांवों में कोरोना से लड़ाई कमजोर न पड़े।"
उन्होंने कहा, "आने वाले समय में बहुत से त्यौहार आने वाले हैं। हमारे ये उत्सव, उल्लास का कारण बनें, लोगों में संक्रमण न फैले, इसके लिए हमें हर सावधानी रखनी है। हमें ये भी देखते रहना होगा कि उत्सव के इस समय में गरीब परिवारों को परेशानी ना हो।"(ians)
नई दिल्ली, 27 जुलाई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेंस से करने के सुझाव वाले बयान पर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने उसे आड़े हाथों लिया है.
वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार का कहना है कि उद्धव ठाकरे का वक्तव्य देखकर आश्चर्य हुआ है जिसमें उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि के लिए भूमि पूजन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कराने का सुझाव दिया.
गौरतलब है कि शिवसेना के मुखपत्र सामना में रविवार को प्रकाशित हुए एक साक्षात्कार में सीएम ठाकरे ने कहा था कि राम मंदिर निर्माण के लिए ‘ई-भूमि पूजन’ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हो सकता है.
उन्होंने कहा था, ‘यह खुशी का कार्यक्रम है और लाखों लोग इस समारोह में शामिल होना चाहते हैं. क्या हम कोरोना वायरस को फैलने की इजाजत दे सकते हैं.’
उन्होंने कहा था, ‘यह एक सामान्य मंदिर नहीं है. आज हम लोग कोविड-19 जैसी महामारी से लड़ रहे हैं. धार्मिक समागम प्रतिबंधित किए गए हैं. मैं समारोह के लिए अयोध्या जा सकता हूं लेकिन लाखों रामभक्तों का क्या. आप उन्हें कैसे रोकेंगे.’
5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या जाकर राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन करेंगे. पीएम के अयोध्या आने को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं.
‘शिवसेना का ये कैसा पतन’
वीएचपी अध्यक्ष ने कहा कि यह सुझाव केवल एक अंधे विरोध करने की भावना से आया है. यह शिवसेना का कैसा पतन है जिसे कभी बाला साहब ठाकरे ने प्रखर हिंदुत्व की राजनीति के लिए गढ़ा था.
आलोक कुमार ने आगे कहा कि भूमि पूजन भवन निर्माण के पहले एक आवश्यक और पवित्र रस्म है. भूमि को खोदने से पहले पृथ्वी मां की पूजा की जाती है, उनसे आशीर्वाद मांगा जाता है और वहां नीव खोदने की अनुमति ली जाती है. यह काम दिल्ली में बैठ कर विडियो कॉन्फ्रेंसिंग से नहीं किया जा सकता.
कुमार ने कहा कि कोरोना की सारी सावधानियां बरतते हुए देश सामान्य जीवन जीने की ओर बढ़ रहा है. थोड़े समय पहले ही सर्वोच्च न्यायालय ने जगन्नाथ रथ यात्रा निकालने की अनुमति दी थी. अमरनाथ यात्रा के स्थगित होने के बावजूद उस यात्रा की सारी धार्मिक रीती-रिवाजों को निभाया गया है.
उन्होंने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद ने हमेशा स्पष्ट किया है कि भूमि पूजन के कार्यक्रम में केवल 200 लोग रहेंगे. सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के सारे निर्देशों का पालन किया जायेगा.(theprint)
जयपुर, 27 जुलाई। राजस्थान में जारी राजनीतिक संकट अब प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के दरवाजे तक पहुंचता दिख रहा है, क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को खुलासा किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है, उन्हें राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच के गतिरोध से अवगत कराया है। इस बीच, कुछ विधायकों ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर राज्य में संकट को हल करने के लिए हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।
ज्ञापन में राजस्थान में चुनी गई लोकतांत्रिक सरकार को गिराने के लिए भाजपा द्वारा विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त के बारे में राष्ट्रपति को बताया गया।
गहलोत ने यहां फेयरमोंट होटल में ठहरे विधायकों से बात करते हुए कहा, "मैंने प्रधानमंत्री मोदी से बात की है और उन्हें राज्यपाल के व्यवहार के बारे में बताया है। मैंने उनसे उस पत्र के बारे में भी बात की है, जो मैंने उन्हें एक सप्ताह पहले राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त के बारे में अवगत कराते हुए भेजा था।"
गहलोत ने कहा कि यह पहली बार है कि राज्यपाल ने विशेष विधानसभा सत्र बुलाने के लिए निर्वाचित सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
राष्ट्रपति को भेजे गए ज्ञापन में और कांग्रेस विधायकों की ओर से तैयार मसौदा में उल्लेख किया गया कि भाजपा द्वारा लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है जो लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है।
साथ ही, निर्वाचित प्रतिनिधियों को धमकी देने के लिए सीबीआई, ईडी, आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग हुआ है, जो बहुत निंदनीय है।(ians)
चेन्नई, 27 जुलाई। तमिल अभिनेत्री विजयलक्ष्मी को कथित तौर पर आत्महत्या का प्रयास करने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हाल में अभिनेता से राजनेता बने सीमन के खिलाफ बयान देने वाली विजयलक्ष्मी निजी अस्पताल में भर्ती हैं, उनकी हालत में सुधार हो रहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, अभिनेत्री ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया था, जिसमें उन्होंने सीमन और उसके पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा खुद को परेशान करने की बात कही थी।
वीडियो में अभिनेत्री ने कथित तौर पर कहा था, "यह मेरा आखिरी वीडियो है और मैं पिछले चार महीनों में सीमन और उसके पार्टी कार्यकर्ताओं की वजह से काफी तनाव में हूं। मैंने अपनी मां और बहन की वजह से इतने दिनों में जिंदा रहने की पूरी कोशिश की, लेकिन हाल ही में हरिनादर द्वारा मीडिया में मुझे अपमानित किया गया है।"
वीडियो में वह आगे कह रही हैं, "मैंने पहले ही बीपी की कुछ गोलियां ले ली हैं, थोड़ी देर बाद ही मेरा ब्लड प्रेशर लो हो जाएगा और कुछ ही घंटों में मेरी मौत हो जाएगी। वीडियो देख रहे मैं अपने प्रशंसकों को बताना चाहूंगी कि सिर्फ इसलिए कि मैं कर्नाटक में पैदा हुई थी, सीमन ने मुझे बहुत प्रताड़ित किया है।"
वह आगे कह रही हैं, "एक महिला होने के नाते मैंने इसे काफी संभालने की कोशिश की, पर मैं अब दबाव को संभाल नहीं पाऊंगी। मैं पिल्लई समुदाय से हूं, इसी समुदाय से एलटीटीई के नेता प्रभाकरन हैं। प्रभाकरन ही एकमात्र कारण है कि जिनकी वजह से सीमन इस ओहदे पर पहुंच पाया है, लेकिन अब वह मुझे लगातार सोशल मीडिया पर परेशान कर रहा है। मैं अपने प्रशंसकों से अनुरोध करती हूं कि सीमन को इस मामले से दूर न होने दें, उसे कभी भी अग्रिम जमानत नहीं मिलनी चाहिए। मेरी मौत सभी के लिए आंख खोलने वाली बड़ी घटना होनी चाहिए। मैं किसी की गुलाम नहीं बनना चाहती।"(ians)
नई दिल्ली, 27 जुलाई (आईएएनएस)। राजस्थान में मचे सियासी घमासान के बीच भाजपा ने कांग्रेस पर हमला बोला है। भाजपा ने सियासी संकट के पीछे कांग्रेस की आंतरिक कलह को जिम्मेदार बताया है। राज्यसभा सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस्तीफा भी मांगा। वहीं इंदिरा गांधी के समय आर्टिकल 356 के दुरुपयोग का भी उन्होंने मामला उठाया। राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव ने पार्टी मुख्यालय पर मीडिया से कहा, " कांग्रेस और गांधी परिवार का लोकतंत्र से खिलवाड़ करने का पुराना इतिहास रहा है। केवल इंदिरा गांधी के समय में ही आर्टिकल 356 के तहत 50 सरकारों को खत्म कर दिया गया था। वहीं प्रधानमंत्री बनने पर उन्होंने नौ सरकारों को बर्खास्त कर दिया था।"
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्यपाल कलराज मिश्र के बीच चल रहे टकराव के मुद्दे पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि कांग्रेस अपनी आंतरिक कलह से ध्यान भटकाने के कारण राज्यपाल को लक्ष्य बनाकर बयान दे रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, अपनी पार्टी और राजस्थान को संभाल नहीं सकते तो इस्तीफा दे देना चाहिए।
उधर, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के ताजा बयान पर भी पार्टी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने निशाना साधा। राहुल गांधी ने सोमवार को कहा था, "चीनियों ने भारतीय भूमि पर कब्जा कर लिया है। सच्चाई को छिपाना और उन्हें इसे लेने की अनुमति देना राष्ट्र-विरोधी है। इसे लोगों के ध्यान में लाना देशभक्ति है।"
राहुल गांधी के इस बयान पर जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि यह चीन सीमा पर 20 भारतीय जवानों के बलिदान का अपमान है। कांग्रेस और गांधी परिवार लगातार सेना की बहादुरी पर सवाल खड़े कर जवानों का मनोबल गिराने की कोशिश करता है।
नई दिल्ली/पेरिस, 27 जुलाई (आईएएनएस)। लद्दाख में भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी गतिरोध के बीच फ्रांस ने प्रथम पांच राफेल लड़ाकू विमान भारत के लिए रवाना कर दिए हैं, जो बुधवार को नई दिल्ली पहुंचने वाले हैं। फ्रांस स्थित भारतीय दूतावास ने एक बयान में कहा कि इस कदम ने भारत को अपनी वायु शक्ति और रक्षा तैयारियों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण कदम उठाने में सक्षम बनाया है। फ्रांसीसी दूतावास ने कहा कि यह मजबूत और बढ़ते भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग में एक नया मील का पत्थर है।
दसॉ द्वारा निर्मित, राफेल लड़ाकू विमानों ने सोमवार को फ्रांस के बोडरे में मेरिनैक एयरबेस से भारत के लिए उड़ान भरी। फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ राफेल जेट को रवाना करने की रवानगी के मौके पर मौजूद रहे।
उन्होंने कहा, "लंबे समय से प्रतीक्षित और राफेल के दो स्क्वाड्रन भारतीय वायुसेना और भारत की सैन्य क्षमताओं को मजबूत करेंगे।"
अशरफ ने भारतीय वायुसेना के पायलटों से मुलाकात की और उन्हें दुनिया के सबसे उन्नत और शक्तिशाली लड़ाकू विमानों में से एक को उड़ाने वाले पहले भारतीय पायलट बनने पर बधाई दी।
अशरफ ने सहयोग देने के लिए फ्रांसीसी वायुसेना को और जारी महामारी संकट के बावजूद विमान को समय पर पहुंचाने के लिए दसॉ को धन्यवाद दिया।
विमान फ्रांस से भारत के बीच लगभग 7000 किलोमीटर की दूरी को तय करेगा और ईंधन भराने के लिए बस एक पड़ाव संयुक्त अरब अमीरात में रुकेगा।
नई दिल्ली, 27 जुलाई (आईएएनएस)। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी के साथ एक तत्काल बैठक की मांग करते हुए एयर इंडिया के पायलटों ने एयर इंडिया को नुकसान पहुंचाने और निजीकरण की प्रक्रिया को पटरी से उतारने की साजिश रचे जाने का आरोप लगाया है। पुरी को लिखे एक पत्र में, इंडियन कॉमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन और इंडियन पायलट्स गिल्ड ने कहा, "16 जुलाई, 2020 की प्रेस कॉन्फ्रेंस से यह स्पष्ट होता है कि आपको ब्रीफिंग करने वाले अधिकारियों ने एयर इंडिया के वर्तमान स्थिति के बारे में आपको गलत जानकारी दी है। आपको गुमराह किया जा रहा है।"
पायलटों ने पुरी से कहा है, "निहित स्वार्थ के लिए औद्योगिक भेदभाव पैदा करने और एयर इंडिया को नुकसान पहुंचाने और निजीकरण की प्रक्रिया को पटरी से उतारने की साजिश का यह जानबूझकर रचा गया अनैतिक एजेंडा है।"
पायलटों ने बताया है कि मूल वेतन, एचआरए और डीए सामान्य श्रेणी के कर्मचारियों के लिए सकल वेतन का 80 प्रतिशत है, जबकि पायलटों के लिए सकल वेतन का 20 प्रतिशत है। एयर इंडिया में पायलटों के सकल वेतन का 80 प्रतिशत भत्ता बनता है।
नई दिल्ली, 27 जुलाई (आईएएनएस)। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोविड -19 महामारी के दौरान केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में बताते हुए सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि अब केंद्र का हर एक रुपया अब पूरी तरह से लोगों तक पहुंच रहा है, जबकि इससे पहले हर एक रुपये का मात्र 15 पैसा लोगों तक पहुंचता था। मेहता ने न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि "सौभाग्य से हम उस दौर को पार कर चुके हैं, जब केंद्र द्वारा भेजा गया एक रुपया गरीबों तक मात्र 15 पैसा पहुंचता था। अब केंद्र 1 रुपये भेजता है और लोगों को 1 रुपये ही मिलता है।"
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट ऑफिसर के रूप में उपस्थित हुए थे और उनका आरोप था कि सॉलिसिटर जनरल इस मामले का राजनीतिकरण कर रहे हैं। ये प्रस्तुतियां कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन से प्रवासी श्रमिकों के सामने आने वाली समस्याओं पर स्वत:संज्ञान मामले की सुनवाई के दौरान दी गईं।
सिंघवी ने तर्क दिया कि पंजीकरण प्रक्रिया शुरू होने के बाद करीब 1.5 करोड़ प्रवासी श्रमिकों का पंजीकरण नहीं किया गया था और इसी वजह से उन मजदूरों को लाभकारी योजनाओं से बाहर रखा जा रहा है।
मेहता ने पीठ को सूचित किया कि राष्ट्रीय योजना, जैविक आपदा योजना और कोविड -19 प्रबंधन योजना जैसी कई योजनाएं पहले से ही लागू हैं। मेहता ने तर्क दिया कि कई चीजें ऐसी हैं जो हर जगह काम नहीं कर सकतीं।
उन्होंने कहा, "मुंबई में काम करने वाली कोई चीज कर्नाटक में काम नहीं कर सकती। एक समान योजना नहीं हो सकती।"
सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील दी कि पहला मुद्दा खाद्य सुरक्षा का है और अगर सॉलिसिटर जनरल इस पर गौर करते हैं तो इसका समाधान हो जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्र द्वारा प्रस्तुतियां इस मामले में वास्तविक वितरण या डेटा को उजागर नहीं करती हैं।
सिंघवी ने तर्क दिया, "इसके बाद स्वास्थ्य बीमा आता है, जो कि किसी भी रूप में उपलब्ध नहीं है।"
मेहता ने कहा कि इस मामले में कोई एक स्थिर योजना नहीं हो सकती और इस प्रकार केंद्र विशेषज्ञों की मदद से कार्य कर रहा है। मेहता ने कहा, "हमारे पास रिस्क एसेसमेंट, वैश्विक अप्रौच जैसी सभी चीजें हैं। यदि आप विवरण देखना चाहते हैं, तो हम पूरी बात रिकॉर्ड पर रख सकते हैं।"
इस मामले में सुनवाई जारी है।
आशीष श्रीवास्तव
नई दिल्ली, 27 जुलाई (आईएएनएस)| एक महीने लंबे संघर्ष के बाद एक 27 वर्षीय डॉक्टर ने नई दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल (एसजीआरएच) में नोवल कोरोनोवायरस के कारण दम तोड़ दिया।
जोगिंदर चौधरी(27) 28 जून से इस संक्रमण से जूझ रहे थे। एक दिन पहले यानी 27 जून को उनका कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आया था।
वह एक जूनियर रेजिडेंट थे और अक्टूबर 2019 से दिल्ली सरकार द्वारा संचालित डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर (बीएसए) मेडिकल हॉस्पिटल एंड कॉलेज में आवश्यकता के आधार पर काम कर रहे थे। उन्होंने 23 जून को बुखार आने के पहले तक फ्लू क्लीनिक में और अपने कैजुअलटी वार्ड में काम किया।
चौधरी ने अपने दो सहयोगियों के कोविड-19 पॉजिटिव होने के बाद अपना भी टेस्ट कराया।
चार दिन बाद उनकी भी रिपोर्ट पॉजिटिव आई और उन्हें बीएसए अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने सांस लेने में कठिनाई की शिकायत की। इसके एक दिन बाद उन्हें लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल (एलएनजेपी) में भर्ती कराया गया।
जोगिंदर के चाचा और बीएसए में एक नसिर्ंग अधिकारी रामेश्वर संघवा ने कहा, "उसकी हालत गंभीर होने के बाद उसे एसजीआरएच में भर्ती कराया गया।"
उन्होंने आगे कहा, "जोगिंदर को 27 जून को बीएसए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन वहां के डॉक्टरों ने कहा कि उनकी हालत गंभीर है। उन्हें एलएनजेपी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। 30 जून को एलएनजेपी के डॉक्टरों ने उनके पिता को बताया कि उन्हें वेंटिलेटर पर रखा जाएगा, क्योंकि उनके फेफड़ों में एक छेद हो गया है। इसके बाद उन्हें सात जुलाई को एसजीआरएच में भर्ती कराया गया था।"
एसजीआरएच के डॉक्टरों ने कहा कि जोगिंदर की हालत पहले से ही गंभीर थी, लेकिन तीन दिन पहले उसकी हालत और बिगड़ने लगी।
जोगिंदर के बारे में और जानकारी देते हुए संघवा ने आईएएनएस को बताया कि डॉक्टर बहुत ही सामान्य पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते थे।
उन्होंने कहा, "वह परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था और मध्य प्रदेश के नीमच जिले के एक गांव का था। उनके परिवार में माता-पिता और दो छोटे भाई-बहन हैं। उनके पिता राजिंदर चौधरी के पास एक छोटी-सी जमीन है, जिसमें वह खेती करते हैं।"
सांघवा ने यह भी कहा कि जब जोगिंदर को एसआरजीएच में भर्ती कराया गया था, तब परिवार ने शुरू में उनके इलाज के लिए धन की व्यवस्था करने के लिए बहुत संघर्ष किया, क्योंकि एसआरजीएच एक निजी अस्पताल है।
हालांकि, जोगिंदर के सहयोगियों और कुछ लोगों की उदारता और योगदान से उनका इलाज जारी रहा।
उनका अंतिम संस्कार रविवार को दिल्ली में उनके चाचा और छोटे भाई की उपस्थिति में किया गया।
सांघवा ने जोगिंदर को पूरे गांव के लिए एक रोल मॉडल बताया।
उन्होंने कहा, "भाई-बहनों में सबसे बड़ा होने के नाते, उन्होंने अपने छोटे भाई-बहनों की शिक्षा के खर्च का वहन करने जिम्मेदारी ली। इसके अलावा वह डॉक्टर बनने वाला गांव का पहला व्यक्ति था। पूरा गांव इस नुकसान का शोक मना रहा है।"
नई दिल्ली, 27 जुलाई (आईएएनएस)| भारत सरकार द्वारा पहले 59 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाने के लगभग एक महीने बाद 47 और चीनी एप पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, जो पहले प्रतिबंधित एप के क्लोन थे। इसकी जानकारी सूत्रों से मिली। संबंधित मोबाइल एप्लिकेशन की सूची जल्द ही प्रकाशित की जाएगी।
एक आधिकारिक सूत्र ने आईएएनएस को बताया कि प्रतिबंधित किए जाने वाले एप्स पहले से प्रतिबंधित एप्स के क्लोन के रूप में पाए गए हैं।
इन नए एप्स पर प्रतिबंध की बात इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा 59 प्रतिबंधित एप के आदेशों का सख्ती से पालन करने या उल्लंघन के मामले में गंभीर कार्रवाई करने के लिए आया।
मंत्रालय ने संबंधित सभी कंपनियों को पत्र लिखा है और कहा है कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एप उपलब्ध कराना आईटी अधिनियम और अन्य कानूनों का उल्लंघन है।
लद्दाख की गलवान घाटी में चीन की सेना के साथ हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद से ही चीन और उसके प्रोडक्ट समेत सभी एप्स को लेकर भारत के लोगों में गुस्सा था, जिसके बाद 29 जून को सरकार ने यूसी ब्राउजर, शेयर इट, हैलो, लाइक, कैम स्कैनर, शीन क्वाई आदि सहित 59 चीनी एप बैन किए थे। इसमें सबसे प्रमुख नाम टिकटॉक का था।
मंत्रालय के अनुसार, इस कदम से करोड़ों भारतीय मोबाइल यूजर्स के गोपनीयता की रक्षा होगी।
अयोध्या, 27 जुलाई (आईएएनएस)| श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण की तिथि पांच अगस्त तय की गई है। इसे लेकर अयोध्या में तैयारियां तेज कर दी गई हैं। कलाकृतियों और रंग रोगन से राम की नगरी को सजया जा रहा है। नगर निगम भी एक लाख दीपक जलाने की तैयारियों में लगा हुआ है। भूमि पूजन से पहले अयोध्या को संवारा जा रहा है। अयोध्या के नगर आयुक्त नीरज शुक्ल ने बताया कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप अयोध्या को साजने और संवारने का काम बहुत तेज गति से हो रहा है। नया घाट पर बने रेलवे पुल पर खूबसूरत पेंटिंग शुरू हो गई है। जिस प्रकार से दीपोत्सव में अयोध्या को सजाया गया था, उससे भी ज्यादा निखारने का काम चल रहा है। राम से जुड़ी कलाकृतियों दीवारों पर देखने को मिलेंगी। इसके अलावा दीवारों में राम के चित्रों के साथ अन्य महापुरुषों के भी चित्र दिखेंगे। इसके अलावा नगर निगम द्वारा विभिन्न जगहों में 1 लाख दीपक जालाये जाएंगे।
उन्होंने बताया की साकेत डिग्री कालेज से लेकर हनुमानगढ़ी तक रंगाई पुताई का काम हो रहा है। इसके अलावा बीच बीच में कलाकृतियां बनायी जा रही है। इसके अलावा साफ-सफाई की व्यवस्था के रात दिन कर्मचारी लगे हुए है। इसके अलावा रंगाई पुताई का कार्य भी रात दिन चालू है।
साकेत से लेकर हनुमागढ़ी तक घरों एक थीम से रंगा जाएगा। हालांकि अभी इसका रंग नहीं तय हो पाया है। इसके अलावा 500 कर्मचारी जितनी भी नालियां सड़कों की मरम्मत होगी। गेट और फ्लाईओवर में रंग रोगन और कलाकृतियों को उकेरा जा रहा है।
रामजन्मभूमि की रेलिंग की केसरिया रंग से रंगा जा रहा है। 67 एकड़ के जमीन को जिलाधिकारी कार्यालय ने अपने अंडर में लेकर काम कर रहा है। तीन अगस्त को होने वाले सारे अनुष्ठान की जिम्मेदारी ट्रस्ट उठाएगा। बिजली की व्यवस्था भी मजबूत होगी।
उधर विश्व हिंदू परिषद सोशल मीडिया के माध्यम से अनुष्ठान में सामाजिक दूरी बनाते हुए कार्यक्रम में शामिल होने की लोगों से अपील कर रहे हैं।
अयोध्या शोध संस्थान के प्रशासनिक अधिकारी रामतीरथ ने बताया कि 5 अगस्त को जन्मभूमि प्रांगण में एक प्रदर्शनी लगेगी, जिसमें जन्मभूमि की खुदाई में मिले अवशेष मंदिर आंदोलन से जुड़े फोटोग्राफी, रामलीला से जुड़ी कलाकृतियां का प्रदर्शन होगा।
ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा ने बताया कि रामन्दिर निर्माण के भूमि पूजन के लिए कई अतिविशिष्ठ जनों को आमंत्रित किया जाएगा। मंदिर आंदोलन से जुड़े सभी व्यक्तियों को आमंत्रण भेजा जाएगा। वह अपनी स्वस्थ्य या अन्य सुविधाएं देखते हुए इसमें शामिल होंगे।
नई दिल्ली, 27 जुलाई। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि जब तक जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश से राज्य नहीं बनाया जाता तब तक वो चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने का विरोध किया। साथ ही कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार का ये फैसला उनके लिए अपमानजनक है। पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटा लिया गया था। इसके बाद इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। साथ ही उमर अब्दुल्ला को भी 8 महीने तक नंजरबंद रखा गया था।
कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के अब एक साल पूरे होने वाले हैं। इसी मौके पर उमर अब्दुल्ला ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में एक आर्टिकल लिखा है। उन्होंने लिखा है, मैं इस राज्य की विधानसभा में नेता के तौर पर 6 साल के लिए रहा। अब मैं उस सदन का सदस्य नहीं बनूंगा जिसने हमें बेघर कर दिया।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष अब्दुल्ला के मुताबिक उन्हें और उनकी पार्टी को इस बात का अहसास था कि बीजेपी आर्टिकल 370 और 35 हटाना चाहती थी। लेकिन राज्य को अलग-अलग हिस्सों में बांट कर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया जाएगा इसकी उम्मीद नहीं थी। अब्दुल्ला के मुताबिक सरकार के इस फैसले ने उन्हें हैरान कर दिया। उन्होंने लिखा है कि सरकार का ये कदम लोगों को अपमानित करने जैसा है। साथ ही उन्होंने लिखा है कि सरकार का इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ लोगों को सजा देना था न कि कुछ और।
अब्दुल्ला ने आगे लिखा है, अगर बौद्ध आबादी लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग कर रही थी तो जम्मू के लोगों के लिए एक अलग राज्य की मांग बहुत पुरानी थी। अगर ये धर्म पर आधारित था तो ये ध्यान देना चाहिए कि लेह और कारगिल मुस्लिम बहुल हैं और कारगिल के लोग जम्मू-कश्मीर से अलग होने के विचार का विरोध कर रहे हैं।
अब्दुल्ला के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद कुछ समय के लिए इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा और ये पूर्ण राज्य का दर्जा किसी समय बहाल हो जाएगा। हालांकि इसको लेकर अभी तक कोई टाइमलाइन नहीं दी गई है।
जयपुर, 27 जुलाई (आईएएनएस)। राजस्थान में राज्यपाल और अशोक गहलोत सरकार के बीच विरोध अभी भी जारी है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार द्वारा भेजे गए विशेष विधानसभा सत्र की अनुमति वाली फाइल को राज्यपाल कलराज मिश्र ने सोमवार को वापस कर दिया है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने दूसरी बार कोविड-19 विषय पर चर्चा के लिए विशेष विधानसभा सत्र बुलाए जाने के प्रस्ताव पर अनुमति प्राप्त करने के लिए राज्यपाल को फाइल भेजी थी।
अधिकारियों ने पुष्टि की कि राजभवन कार्यालय ने राजस्थान सरकार के संसदीय कार्य विभाग को वापस भेजी गई फाइल में सरकार से अधिक जानकारी मांगी है। वहीं फिलहाल विधानसभा सत्र बुलाने के बारे में अभी तक कुछ भी तय नहीं हुआ है।
ऐसे में राज्य सरकार को राजभवन द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध करानी होगी और उसके बाद ही विधानसभा सत्र बुलाने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
इसी बीच राजस्थान कांग्रेस ने राज्य में 'लोकतंत्र बचाओ-संविधान बचाओ' अभियान के तहत विरोध प्रदर्शन की रणनीति में आखिरी मिनट में बदलाव किया है। अब राजस्थान कांग्रेस ने घोषणा की है कि पार्टी राज्य में सोमवार को प्रस्तावित योजना के तहत राजभवन के बाहर विरोध नहीं करेगी, हालांकि उनके राष्ट्रव्यापी विरोध में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
इससे पहले भी राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने राज्यपाल से विशेष विधानसभा सत्र की अनुमति देने का अनुरोध किया था, हालांकि राज्यपाल ने अनुमति नहीं दी।
राज्य की कांग्रेस सरकार ने शनिवार देर रात को राज्यपाल को एक संशोधित नोट भेजा था। इसमें कोरोनोवायरस की स्थिति पर चर्चा करने के लिए 31 जुलाई को एक विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की अनुमति मांगी गई थी, न की फ्लोर टेस्ट के लिए।
इस बीच, राज्यपाल कलराज मिश्र ने रविवार को मुख्य सचिव राजीव स्वरूप और डीजीपी भूपेंद्र सिंह से मुलाकात की थी। यह मुलाकात सोमवार को राज्यपाल के आवास पर प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन को लेकर की गई थी, जिसमें दोनों अधिकारियों ने विरोध के मद्देनजर प्रशासन द्वारा उठाए जा रहे सुरक्षा उपायों से उन्हें अवगत कराया। उन्होंने कोविड-19 मामलों में वृद्धि पर भी अपनी चिंता जताई और अधिकारियों से कोविड-19 से निपटने के लिए एक नई रणनीति तैयार करने का आग्रह किया। यह जानकारी रविवार को राजभवन द्वारा जारी एक प्रेस नोट में दी गई।
मोहम्मद शोएब
नई दिल्ली, 27 जुलाई (आईएएनएस)| कोरोना और लॉकडाउन के चलते देश के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया में से एक दिल्ली के जीबी रोड पर रह रहीं 8 सेक्सवर्कर्स ने एक नई जिंदगी की ओर कदम बढ़ाया है। लॉकडाउन में काम न होने की वजह से इन 8 महिलाओं ने जीबी रोड छोड़ दिया और अब ये सभी महिलाएं एक एनजीओ के साथ मिलकर मास्क बनाने का काम कर रहीं हैं।
एनजीओ की तरफ से इन महिलाओं को प्रतिदिन 30 से 40 मास्क बनाने को दिए जाते हैं। एनजीओ में हर मास्क पर एक महिला को 5 रुपये से 7 रुपये तक मिलता है। अभी ये सब महिलाएं रोजाना 40 से 50 मास्क तक बना लेती हैं।
कटकथा एनजीओ में कार्यरत प्रज्ञा बसेरिया, जो की हार्ट शाला प्रोजेक्ट पर काम कर रहीं हैं, ने आईएएनएस को बताया, "हमारी एनजीओ में जीबी रोड से 10 महिलाएं मास्क बनाने आ रही हैं लेकिन 8 महिलाएं ऐसी है,ं जिन्होंने जीबी रोड छोड़ दिया है और अपनी एक नई जिंदगी की शुरूआत की है।"
उन्होंने कहा, "हम अगले हफ्ते तक 5 और महिलाओं को अपने साथ शामिल करेंगे और वो सभी जीबी रोड छोड़ कर हमारे साथ आएंगी और मास्क बना कर अपनी जिंदगी यापन करेंगी। हमने हाल ही में वहां सर्वेय कराया थाए करीब 800 महिलाएं अभी भी जीबी रोड पर रह रहीं हैं।"ष्
जीबी रोड पर 22 बिल्डिंग है। इन सभी बिल्डिंग में कुल 84 कोठे है ंऔर हर कोठे का एक नम्बर होता है। ये सभी कोठे पहले, दूसरे और तीसरी मंजिल पर बसे हुए हैं। वहीं ग्राउंड फ्लोर पर टेलर,ए इलेक्ट्रिक शॉप, जनरल स्टोर आदि खुले हुए हैं। हर कोठे में 10 से 15 सेक्सवर्कर्स हैं और करीब 800 सेक्सवर्कर्स हैं।
चांदनी (बदला हुआ नाम) ने आईएएनएस को बताया, "मुझे इस लॉकडाउन में काफी परेशानी हो गई थी। उसके बाद मुझे एनजीओ की तरफ से मदद मिली, अब मैं रोजाना 30 मास्क बना लेती हूं। मुझे अभी अच्छा लग रहा हैए मुझे एनजीओ की तरफ से घर भी दिया गया है।"
मथुरा (उप्र), 27 जुलाई (आईएएनएस)| मथुरा जिले के मंत क्षेत्र में दो नाबालिगों की कुछ लोगों ने रस्सी से बांधकर पिटाई कर दी। आरोप है कि बच्चों ने धार्मिक समारोह में प्रसाद लेने के लिए दोबारा लाईन में लग गए, जिससे नाराज लोगों ने उनकी पिटाई कर दी। पिटाई करने वालों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसकी जानकारी पुलिस ने सोमवार को दी।
रविवार को सोशल मीडिया पर एक क्लिप वायरल हो रहा था, जिसके बाद यह मामला संज्ञान में आया। क्लिप में महज 10-12 साल के बच्चों की रस्सी से बांधकर पिटाई हो रही है, दोनो काफी चिखते, चिल्लाते हैं, लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं बढ़ रहा है। बताया जा रहा है कि यह मामला 24 जुलाई (शुक्रवार) की है। हालांकि, मामले में दोषियों को गिरफतार कर लिया गया है।
जिला बाल अधिकार संस्था ने इस घटना के बारे में यूपी राज्य बाल संरक्षण आयोग और जिला बाल कल्याण समिति को सूचित किया है।
मथुरा में चाइल्डलाइन के जिला समन्वयक नरेंद्र परिहार ने कहा, "पीड़ितों में से एक उसी गांव का है, जबकि दूसरा एक प्रवासी मजदूर का बच्चा है, जो अभी संपर्क के बाहर है।"
नाबालिगों में से एक द्वारा दिए गए बयान के अनुसार, "उसका एकमात्र अपराध यह था कि वह 'प्रसाद' लेने के लिए दोबारा लाइन में लगा, जिससे कुछ स्थानीय नाराज हो गए।"
अभियुक्त पवन कुमार और सुशील कुमार पर धारा 342, धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 504 (शांति भंग करना) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मंत पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है।
मथुरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गौरव ग्रोवर ने कहा कि मामले की जांच चल रही है।
अयोध्या, 27 जुलाई (आईएएनएस)| रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की तिथि पांच अगस्त तय की गयी है। राममंदिर बनाने में बहुत सारी ऐसी चीजों का प्रयोग होगा, जिससे मंदिर के इतिहास विकास को पता करने में सहजता हो। इसलिए इस बार अब जो मंदिर निर्माण होगा उसमें एक टाइम कैप्सूल बनाकर 200 फिट नीचे डाला जाएगा। इससे भविष्य में राम मंदिर के संघर्ष के इतिहस के बारे में पता करने में आसानी हो सकेगी। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने आईएएनएस को बताया कि मंदिर निर्माण के लिए 200 फिट अंदर एक टाइम कैप्सूल डाला जाएगा, जिससे भविष्य में मंदिर के इतिहास और संस्कृतिक का पता किया जा सके।
चौपाल ने कहा, " भविष्य की जानकारी आवश्यक है। इसलिए यह डाला जाएगा। आज खुदाई से जो अवशेष प्रदान हुए हैं वे बड़ा साक्ष्य हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए भविष्य के इतिहास की कई चीजें इसमें डाली जाएंगी। इसे विद्वान लोग तय करेंगे। इससे मंदिर के इतिहास का अध्ययन बड़ी आसानी से हो जाएगा। जिससे आने वाले समय में कोई विवाद न उत्पन्न हो। इतिहास सिद्घ करने के लिए बहुत लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी है।"
उन्होंने कहा, "इस कैप्सूल के बारे में विद्वान लोग बैठकर तय करेंगे। भविष्य को ध्यान में रखते हुए कई तथ्य डाले जाएंगे। जैसे खुदाई के समय निकले अवशेष बड़ा साक्ष्य बनता है। इसी प्रकार की कई चीजें इसके अंदर डाली जाएंगी। जिससे मंदिर के इतिहास के तथ्य लोगों को पता चल सके।"
उधर, ट्रस्ट पांच अगस्त को रामंदिर निर्माण के लिए होंने वाले भूमि पूजन की व्यापक तैयारी कर रहा है। अभी आमंत्रण पत्र की सूची तैयार की जा रही है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए कैसे कार्यक्रम किया जाए। इस पर भी गहन मंथन चल रहा है। घर-घर दीपक, मंदिरों भजन आदि की तैयारियां जोरों पर है।
पटना, 27 जुलाई (आईएएनएस)| बिहार में बाढ़ का पानी अब 11 जिलों में फैल गया है, जिससे राज्य की करीब 15 लाख की आबादी प्रभावित हुई है। इस बीच, राज्य सरकार द्वारा राहत और बचाव कार्य प्रारंभ किए गए हैं, लेकिन यह अब तक नाकाफी साबित हो रही है। अभी भी राज्य की प्रमुख नदियों में उफान जारी है तथा करीब सभी प्रमुख नदियां कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। वहीं भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, बिहार में औसत से 50 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।
जल संसाधन विभाग के रिपोर्ट में कहा गया है कि कोसी का जलस्तर वीरपुर बैराज के पास सोमवार को सुबह छह बजे 1़ 55 लाख क्यूसेक था, जो आठ बजे बढ़कर 1़ 62 लाख क्यूसेक बना हुआ है। इधर गंडक नदी के जलस्तर में भी एक बार फिर बढ़ोतरी हो रही है। गंडक का जलस्राव बाल्मीकिनगर बराज पर सुबह छह बजे 1.89 लाख क्यूसेक था जो आठ बजे 2़ 09 लाख क्यूसेक पहुंच गया है।
इधर, राज्य की करीब सभी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। गंगा, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, महानंदा, घाघरा कई क्षेत्रों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र डू ने बताया कि बिहार की विभिन्न नदियों के बढ़े जलस्तर को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग पूरी तरह से सतर्क है। नदियों के बढ़े जलस्तर से बिहार के 11 जिलों के कुल 86 प्रखंडों की 625 पंचायतें बाढ से प्रभावित हुई हैं। इन क्षेत्रों में करीब 15 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है।
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इन इलाकों में 26 राहत शिविर खोले गए हैं, जहां 14,011 लोग रह रहे हैं। इसके अलावे बाढ प्रभावित इलाकों में कुल 463 सामुदायिक रसोई घर चलाए जा रहे हैं, जिसमें प्रतिदिन 1,77,065 लोग भोजन कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि सभी बाढ़ प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत एवं बचाव का कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अब तक प्रभावित इलाकों से एनडीआरएफ , एसडीआरएफ और बोट्स के माध्यम से 1,36,464 लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से बाहर निकाला गया है।
उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए हेलीकप्टर के माध्यम से फूड पैकेट्स गिराये जा रहे हैं।
इधर, गांवों में बाढ़ का पानी घुसने के बाद लोग ऊंचे स्थानों की खोज में राष्ट्रीय राजमागरें और तटबंधों पर शरण ले रहे हैं। लोगों की शिकायत है कि कहीं भी सरकारी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। गोपालगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर की स्थिति अब काफी खराब हो चुकी है। गोपालगंज और मुजफ रपुर में सड़कों पर बाढ़ पीड़ित रात-दिन काट रहे हैं।
चालू मानसून सीजन में अब तक बिहार में औसत से 50 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है जबकि उत्तर-पश्चिम भारत में औसत से 18 फीसदी कम बारिश हुई है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) से मिली जानकारी के मुताबिक, चालू मानसून सीजन के दौरान एक जून से लेकर 26 जुलाई तक बिहार में 690.7 मिलीमीटर बारिश हुई, जबकि इस दौरान औसत बारिश 460.3 मिलीमीटर होती है। इस प्रकार
कानपुर (उप्र), 27 जुलाई (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में एक अजीब मामला देखने को मिला। कानपुर पुलिस ने बेकनगंज क्षेत्र में घूम रही बकरी को 'गिरफ्तार' कर लिया, क्योंकि बकरी ने मास्क नहीं पहना था। यह घटना सप्ताहांत में हुई, जहां बेकनगंज पुलिस ने बकरी को उठाया और जीप में थाने ले गई।
जब बकरी के मालिक को पता चला तो, वह पुलिस स्टेशन पहुचा।
बकरी मालिक ने पुलिस से गुहार लगाई और पुलिस ने आखिरकार बकरी को रिहा कर दिया यह कहते हुए कि वह जानवर को सड़क पर न घूमने दे।
ऑफिसर अनवरगंज पुलिस स्टेशन सैफुद्दीन बेग ने कहा कि पुलिस ने एक युवक को बिना मास्क के पाया और बकरी को साथ ले आए।
उन्होंने कहा, "जब बिना मास्क के युवक ने पुलिस को देखा तो, वह बकरी छोड़कर भाग गया। पुलिसवालों ने बकरी को पुलिस स्टेशन ले आए। बाद में, हमने बकरी को उसके मालिक को सौंप दिया।"
बकरी लाने वाले पुलिसकर्मियों में से एक ने स्वीकार किया कि उन्होंने लॉकडाउन के उल्लंघन में बकरी को गिरफ्तार किया। क्योंकि उसने मास्क नहीं पहन रखा था।
उन्होंने कहा, "लोग अब अपने कुत्तों को मास्क पहनाने लगे हैं तो बकरी को क्यों नहीं।"
हालांकि, सोशल मीडिया पर चुटकुले बनने के बाद पुलिस ने अपना बयान बदल दिया।
छत्तीसगढ़ न्यूज डेस्क
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी रोज एक वीडियो जारी करके मोदी सरकार के सामने कुछ तीखे सवाल खड़े करते हैं। आज का उनका वीडियो-
एक भारतीय होने के नाते मेरी पहली प्राथमिकता देश और इसकी जनता है।
प्रश्न-उन लोगों के बारे में आपका क्या ख्याल है जो कहते हैं, प्रधानमंत्री से चीन पर आपके सवाल, भारत को कमजोर कर रहे हैं ?
अब, यह एकदम साफ है कि चीनी हमारे इलाके में घुस गये हैं। यह बात मुझे परेशान करती है। इससे मेरा खून खौलने लगता है कि कैसे एक दूसरा देश हमारे इलाके में घुस आया?
अब आप एक राजनीतिज्ञ के तौर पर चाहते हैं कि मैं चुप रहूं और अपने लोगों से झूठ बोलूं। जबकि मैं निश्चित रूप से जान गया हूं मैंने उपग्रह की तस्वीरें देखी है। मैंने पूर्व सैन्यकर्मियों से बात की है। अगर आप चाहते हैं कि मैं झूठ बोलूं कि चीनी इस देश में नहीं घुसे हैं। मैं झूठ नहीं बोलने वाला। स्पष्ट कर दूँ मैं ऐसा नहीं करने वाला। मैं चिंता नहीं करता। चाहे मेरा पूरा भविष्य डूब जाए, लेकिन मैं झूठ नहीं बोल सकता।
The Chinese have occupied Indian land.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 27, 2020
Hiding the truth and allowing them to take it is anti-national.
Bringing it to people’s attention is patriotic. pic.twitter.com/H37UZaFk1x
मैं सोचता हूं, वो लोग जो चीनियों के हमारे देश में घुसने के बारे में झूठ बोल रहे। वही लोग राष्ट्रवादी नहीं हैं। मेरे ख्याल में, जो लोग झूठ बोल रहे और कह रहे हैं कि चीनी भारत में नहीं घुसे हैं। वो ऐसे लोग हैं। जो देशभक्त नहीं हैं। इसलिए स्पष्ट कहूं, मैं चिंता नहीं करता। यदि इसका राजनीतिक मूल्य भी चुकाना पड़े।
मैं चिंता नहीं करता। चाहे मेरा राजनीतिक जीवन पूरी तरह खत्म हो जाए। जहां तक भारतीय क्षेत्र का संबंध है। मैं केवल सच बोलूंगा चीन पर सुलगते सवाल।
अवैतनिक अवकाश को चुनौती
नई दिल्ली (आईएएनएस)| इंडियन पायलट्स गिल्ड (आईपीजी) ने एयर इंडिया की अवैतनिक अवकाश योजना को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल की है। यह योजना 14 जुलाई को सर्कुलेट की गई थी। याचिका में कहा गया है कि यह योजना कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक को किसी कर्मचारी को छह महीने या दो साल के लिए (जिसे बढ़ाकर पांच साल तक किया जा सकता है) अनिवार्य रूप से अवैतनिक अवकाश पर भेजने के लिए आवश्यक आदेश पारित करने का असंगत अधिकार देती है।
पायलटों ने कहा है कि आईपीजी और उड़ान क्रू के अन्य स्टाफ की भूमिका और साहस की नागरिक उड्डयन मंत्री ने खुद सराहना की है। इसके बावजूद देश की सेवा के लिए जान जोखिम में डालने के एवज में पुरस्कार देने के बदले एयर इंडिया ने सभी कर्मचारियों के भत्तों में 10 प्रतिशत कटौती लागू कर दी है।
याचिका में कहा गया है, "इस सच्चाई के बावजूद कि बाजार में कोई नौकरी नहीं है और इतनी लंबी अवधि तक बगैर आय के किसी के लिए सर्वाइव कर पाना असंभव है, यह योजना एक व्यक्ति और उसके परिवार की आजीविका और जीवन के अधिकार पर एक सीधा हमला है। इस योजना में सुनवाई या समीक्षा की कोई प्रक्रिया न होना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है।"
इस योजना को चुनौती इसलिए दी गई है, क्योंकि एयर इंडिया के सीएमडी को यह एकतरफा अधिकार दे दिया गया है कि वह जिस भी कर्मचारी को चाहें छह महीने या दो साल और विस्तारित पांच साल के लिए अनिवार्य रूप से अवैतनिक अवकाश पर भेज सकते हैं।
इस अवधि के दौरान कोई वेतन, भत्ता, वैधानिक लाभ और कैरियर प्रोगेशन उपलब्ध नहीं होगा। कर्मचारी को कंपनी के द्वारा दिए गए आवास को खाली करना होगा, या फिर बाजार दर से किराया देना होगा। अनिवार्य अवैतनिक अवकाश पर भेजे जाने से पहले कर्मचारी को सभी ऋण और एयर इंडिया से लिए गए सभी एडवांसेस का भुगतान करना होगा।
याचिका में कहा गया है कि कर्मचारी को किसी सरकारी कार्यालय या सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम में कोई नौकरी करने की अनुमति नहीं होगी और यदि वह किसी दूसरी विमानन कंपनी में कोई नौकरी करना चाहता है, तो पहले एयर इंडिया से अनुमति लेनी होगी।
एयर इंडिया को चालू रखने के लिए अपनाए जाने वाले मितव्ययिता के उपायों पर चर्चा के लिए पायलटों की संस्था और एयर इंडिया के बीच चार बैठकें हुई थीं।
याचिकाकर्ता संस्था ने पायलटों की समन्वय संस्था के साथ मिलकर 16 जुलाई को एक पत्र जारी किया था, जिसमें चारों बैठकों के दौरान प्रबंधन के साथ हुई चर्चा को शामिल किया गया था।
लेकिन यह पत्र जारी करने के तत्काल बाद याचिकाकर्ताओं को पता चला कि प्रतिवादी ने 14 जुलाई की तारीख वाला एक स्टाफ नोटिस जारी कर अनिवार्य अवैतनिक अवकाश योजना का पारित कर दिया है।
--आईएएनएस
फिर 21 मौतें
गांधीनगर, 27 जुलाई (आईएएनएस)| गुजरात में रविवार को कोरोना संक्रमण के 1,110 नए मामले सामने आए। पहली बार एक दिन में इतनी संख्या में लोग पॉजिटिव पाए गए। इस आंकड़े के साथ राज्य में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 55,822 हो गई। बीते 24 घंटों में और 21 लोगों की मौत हो गई। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, रविवार को 753 मरीजों को अस्पतालों से छुट्टी मिली। राज्य में अब तक 40,365 मरीज ठीक हो चुके हैं।
गुजरात में जुलाई के 26 दिनों में 23,000 से ज्यादा पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं। सुरत शहर राज्य का नया हॉटस्पॉट बन गया है। रविवार को आए पॉजिटिव मामलों में से 299 यानी लगभग 27 फीसदी मामले सुरत से हैं।
वायरस से और 21 मौत हो जाने के बाद राज्य में कोरोना संक्रमण से मौतों का आंकड़ा 2,326 तक जा पहुंचा है।
--आईएएनएस