राष्ट्रीय
अमरावती, 5 फरवरी । आंध्र प्रदेश में विपक्षी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के विधायकों ने सोमवार को विधानसभा और परिषद के संयुक्त सत्र में राज्यपाल एस. अब्दुल नजीर के अभिभाषण को बाधित करने की कोशिश की।
यह आरोप लगाते हुए कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) सरकार उनसे झूठ बोल रही है, टीडीपी विधायकों ने नारे लगाए। बाद में उन्होंने वाकआउट कर दिया।
राज्यपाल बजट सत्र के पहले दिन दोनों सदनों को संबोधित कर रहे थे।
जब टीडीपी विधायकों ने भाषण में किए गए कुछ दावों पर विवाद करते हुए नारे लगाए तो हंगामा मच गया।
जब राज्यपाल ने कहा कि सरकार जगनन्ना विद्या दीवेना योजना के तहत कुल फीस की प्रतिपूर्ति कर रही है, तो टीडीपी सदस्यों ने इसे झूठ बताते हुए नारे लगाए।
उन्होंने इस दावे का भी खंडन किया कि 17 नए सरकारी अस्पताल स्थापित किए गए।
टीडीपी सदस्यों के नारों का जवाब देने के लिए सत्ता पक्ष के सदस्यों ने भी 'जय जगन' के नारे लगाए।
बाद में विधायकों ने सरकार के झूठ का विरोध करते हुए वाकआउट किया। उन्होंने कहा कि वे बाहर आ गए, क्योंकि वे अब राज्यपाल के माध्यम से बोले जा रहे झूठ को पचा नहीं पा रहे हैं।
टीडीपी विधायकों और एमएलसी ने हॉल से बाहर आते समय विधानसभा लॉबी में नारे लगाए। वे परिसर में विरोध में बैठ गए, लेकिन सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें हटने के लिए कहा, क्योंकि राज्यपाल को उसी निकास द्वार से बाहर आना था।
इससे पहले टीडीपी विधायक रैली के रूप में विधानसभा पहुंचे। हाथों में बैनर और तख्तियां लिए हुए उन्होंने 'बाय-बाय जगन' के नारे लगाए।
टीडीपी नेता किंजरापु अचेन नायडू ने कहा कि यह जगन मोहन रेड्डी का आखिरी विधानमंडल सत्र था और उन्होंने मांग की कि वह अपने कुशासन के लिए लोगों से माफी मांगें। उन्होंने भविष्यवाणी की कि लोग आने वाले चुनावों में जगन को घर भेज देंगे।
उन्होंने विधानसभा परिसर के आसपास पुलिस चौकियों और बैरिकेड्स को लेकर वाईएसआरसीपी सरकार के प्रति असंतोष व्यक्त किया।
टीडीपी विधायकों ने अन्य ज्वलंत मुद्दों के अलावा नौकरी कैलेंडर जारी न होने और पोलावरम परियोजना को पूरा करने में देरी के बारे में चिंता व्यक्त की। उन्होंने जोर देकर कहा कि जगन रेड्डी शासित राज्य सरकार आंध्र प्रदेश को विफल कर चुकी है और अब चर्चा के लिए कुछ भी नहीं है।
हिंदूपुर विधायक नंदमुरी बालकृष्ण ने भी विपक्ष को दबाने के लिए पुलिस बल का इस्तेमाल करने के लिए जगन प्रशासन की आलोचना की।
(आईएएनएस)
अमरावती, 5 फरवरी । आंध्र प्रदेश में विपक्षी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के विधायकों ने तख्तियां लेकर और 'बाय-बाय जगन' के नारे लगाते हुए सोमवार से शुरू हुए बजट सत्र के लिए विधानसभा भवन तक पहुंचने के लिए रैली निकाली।
हाथों में बैनर और तख्तियां लिए टीडीपी विधायकों ने विधानसभा की ओर मार्च किया। नारे लगाने वाले विधायकों का नेतृत्व टीडीपी की राज्य इकाई के अध्यक्ष किंजरापु अचेन नायडू ने किया।
तख्तियों के जरिए टीडीपी विधायकों ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) सरकार के अधूरे वादों को उजागर करने की कोशिश की. उन्होंने कहा, “विशेष श्रेणी का दर्जा कहां है? "क्या आपने पोलावरम पूरा कर लिया है?" "कडप्पा स्टील प्लांट कहां है?"
रैली जब विधानसभा गेट पर पहुंची, तो पुलिस ने रोक दिया। टीडीपी विधायकों ने पुलिस कार्रवाई पर आपत्ति जताई, इससे तीखी बहस हुई। बाद में सत्र में विधायक शामिल हुए।
विधायकों में अभिनेता एन. बालकृष्ण भी शामिल हैं, जो टीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के बहनोई हैं।
विपक्ष के नेता नायडू 2021 से विधानसभा सत्र में भाग नहीं ले रहे हैं। वाईएसआरसीपी के कुछ विधायकों द्वारा उनकी पत्नी के कथित अपमान से आहत होकर, उन्होंने तब तक सत्र में भाग नहीं लेने की कसम खाई है, जब तक वाईएसआरसीपी शासन जारी रहेगा।
वर्तमान विधानसभा को कौरव सभा कहने वाले नायडू ने अगला चुनाव जीतकर सत्ता में लौटने के बाद ही विधानसभा में लौटने का संकल्प लिया है।
बजट सत्र की शुरुआत राज्यपाल एस. अब्दुल नजीर के विधानसभा और परिषद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के साथ हुई। यह मौजूदा विधानसभा का आखिरी सत्र होने की संभावना है।
अगले कुछ महीनों में राज्य विधानसभा और लोकसभा के एक साथ चुनाव होने हैं।
वाईएसआरसीपी 2019 में 175 सदस्यीय विधानसभा में 151 सीटें जीतकर सत्ता में आई। उसने 25 में से 22 लोकसभा सीटें भी जीती थीं।
(आईएएनएस)
लखनऊ, 5 जनवरी । उत्तर प्रदेश की योगी आदित्याथ सरकार के दूसरे कार्यकाल का तीसरा आम बजट सोमवार को विधानसभा में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने पेश किया। उन्होंने 7 लाख 36 हजार 437 करोड़ 71 लाख रुपये का बजट पेश किया।
बजट का फोकस गांव, किसान, इंफ्रास्ट्रक्चर, युवा के साथ-साथ सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने पर है।
इसमें 24,000 करोड़ रुपए की नई योजनाएं हैं। धर्मार्थ कार्यों के विकास के लिए 1750 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।
इसके अलावा कुंभ के लिए ढ़ाई हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।
युवाओं को टैबलेट और स्मार्टफोन वितरण के लिए 4,000 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। हर घर जल पहुंचाने के लिए 22,000 करोड़ रुपए का बजट है।
इसके अलावा, बजट में बेसहारा पशुओं के लिए आश्रय स्थल के 400 करोड़ का प्रावधान है। यह पिछली बार से लगभग दोगुना है।
गंगा एक्सप्रेस वे के लिए 2,058 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है।
यूपी में मुख्यमंत्री खेत सुरक्षा योजना शुरू की गई है। यह नई योजना है। वित्त मंत्री ने अपने भाषण में बताया कि मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण/नये शहर प्रोत्साहन के अन्तर्गत टाउनशिप विकसित किये जाने हेतु वर्ष 2024-2025 के बजट में 3000 करोड रूपए की व्यवस्था प्रस्तावित है।
उन्होंने दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ काॅरिडोर रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम परियोजना में उत्तर प्रदेश के अंश के रूप में 914 करोड़ रूपए के बजट की व्यवस्था प्रस्तावित है। कानपुर मेट्रो रेल परियोजना में उत्तर प्रदेश के अंश के रूप में 395 करोड़ रूपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।
उन्होंने कहा कि आगरा मेट्रो रेल परियोजना में उत्तर प्रदेश के अंश के रूप में 346 करोड़ रूपये का बजट प्रस्तावित है। अयोध्या के सर्वांगीण विकास हेतु 100 करोड़ रूपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है।
वित्त मंत्री ने कहा कि लखनऊ विकास क्षेत्र तथा प्रदेश के समस्त विकास प्राधिकरणों के विकास क्षेत्र तथा नगर क्षेत्र में अवस्थापना सुविधाओं का विकास तथा वाराणसी एवं अन्य शहरों में रोप-वे सेवा विकसित किये जाने हेतु 100 करोड़ रूपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।
(आईएएनएस)
इंदौर, 5 फरवरी । अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और इसी क्रम में मध्य प्रदेश की व्यापारिक नगरी इंदौर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद सहित 23 संगठनों के नौ सौ से ज्यादा कार्यकर्ता और कार सेवक आस्था स्पेशल ट्रेन से अयोध्या के लिए रवाना हुए।
इंदौर का रेलवे स्टेशन रविवार की रात को पूरी तरह भगवा रंग में और राम के जय घोष से गुंजायमान था। यहां से रामलला के दर्शनों के लिए श्रद्धालु जा रहे थे।
अनेक श्रद्धालुओं के हाथ में वाद्य यंत्र थे और वे राम गीत गा रहे थे। आस्था स्पेशल ट्रेन को विशेष तौर पर सजाया गया था और स्टेशन पर बड़ी संख्या में लोग इन श्रद्धालुओं को विदाई देने पहुंचे थे।
इस ट्रेन में नौ सौ से ज्यादा श्रद्धालु अयोध्या गए हैं।
बताया गया है कि रेलवे मंत्रालय ने यह विशेष व्यवस्था चार दिन के लिए की है। यह ट्रेन उज्जैन, नागदा और रतलाम से होते हुए झांसी, कानपुर तथा लखनऊ से अयोध्या पहुंचेगी।
ये श्रद्धालु छह फरवरी को सुबह छह बजे नवनिर्मित राम मंदिर में होने वाली मंगल आरती में शामिल होंगे और उसी दिन यह ट्रेन शाम को इंदौर के लिए प्रस्थान कर जाएगी और सात फरवरी को इंदौर लौटेगी।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 फरवरी । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की 'केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं' वाली टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मानहानि की कार्यवाही को रद्द करने पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजद नेता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की इस दलील पर ध्यान दिया कि यादव ने बिना शर्त अपनी टिप्पणी वापस लेते हुए एक "विशिष्ट" हलफनामा दायर किया है।
शिकायतकर्ता हरेश मेहता की ओर से पेश वकील ने कहा, "आपका आधिपत्य विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों में पार्टियों के बीच सहमति के बिना कार्यवाही को रद्द कर सकता है।"
पीठ ने कहा,“ आदेश सुरक्षित है, हम एक विस्तृत आदेश पारित करेंगे।”
पिछली सुनवाई में, शीर्ष अदालत ने संकेत दिया था कि वह संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए अहमदाबाद में एक मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष यादव के खिलाफ लंबित आपराधिक मानहानि के मुकदमे को रद्द कर देगी।
शिकायत तेजस्वी यादव की पिछले साल मार्च में पटना में की गई कथित टिप्पणी से जुड़ी है। आरोप है कि यादव ने कहा कि 'आज के समय में केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं और उन्हें इसके लिए माफ भी किया जाएगा।'
अपनी शिकायत में, सामाजिक कार्यकर्ता और अखिल भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी व अपराध निवारक परिषद नामक संगठन के उपाध्यक्ष मेहता ने आरोप लगाया कि ये टिप्पणियां गुजरातियों को सार्वजनिक रूप से बदनाम और अपमानित करती हैं।
(आईएएनएस)
भोपाल, 5 फरवरी । मध्य प्रदेश में कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है और उसकी पैनी नजर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर -चंबल पर है। पार्टी के दिग्गजों ने इस इलाके का न केवल दौरा करना शुरू कर दिया है, बल्कि वे उन दावेदारों को भी टटोल रहे हैं जो भाजपा को कड़ी टक्कर दे सके।
ग्वालियर-चंबल इलाके में लोकसभा की चार सीटें आती हैं। इन सभी चारों सीटों -- भिंड, ग्वालियर, मुरैना और गुना पर भाजपा का कब्जा है। बीते साल हुए विधानसभा के चुनाव में इस इलाके की 34 सीटों में से 18 पर भाजपा ने जीत दर्ज की है, जबकि 16 पर कांग्रेस के प्रतिनिधि विधायक के तौर पर निर्वाचित हुए हैं।
इस क्षेत्र में सिंधिया परिवार के प्रभाव का ही नतीजा रहा है कि कांग्रेस वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 26 सीटें जीतने में सफल हुई थी, मगर ज्योतिरादित्य सिंधिया के पाला बदलने के बाद भाजपा मजबूत स्थिति में आ गई।
कांग्रेस ग्वालियर-चंबल इलाके में अपने जन आधार को फिर बढ़ाना चाहती है। प्रदेश प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह के अलावा प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने अपने अन्य साथियों के साथ इस इलाके का दौरा करना शुरु कर दिया है। इन नेताओं ने जिला अध्यक्ष और तमाम दावेदारों से संभावित उम्मीदवारों का ब्यौरा मांगा है।
पार्टी के सामने इस इलाके में प्रभावशाली, दमदार और जन आधार वाले नेताओं की कमी साफ तौर पर नजर आ रही है। ग्वालियर-चंबल वह इलाका है जो उत्तर प्रदेश की सीमा को छूता है। यहां भाजपा और कांग्रेस के अलावा बहुजन समाज पार्टी व समाजवादी पार्टी का भी वोट बैंक है।
विपक्षी दलों के आईएनडीआईए गठबंधन में आए बिखराव का असर इस इलाके पर भी नजर आना तय है। संभावना इस बात की है कि बसपा अपना उम्मीदवार मुरैना और भिंड संसदीय क्षेत्र में उतार सकती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस इलाके में सिंधिया बनाम दिग्विजय सिंह की अदावत लंबे समय से चली आ रही है और इसका असर कांग्रेस की राजनीति पर सीधे तौर पर पड़ा है। हाल ही में कांग्रेस ने बड़े बदलाव जरूर किए हैं, मगर दिग्विजय सिंह की सक्रियता कई बार इस क्षेत्र में पार्टी को मदद पहुंचाने की बजाय नुकसान कर देती है। दिग्विजय के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह भी मुखर हैं तो पूर्व विधायक राकेश मवई ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है। यहां भले ही कांग्रेस से सिंधिया ने नाता तोड़ लिया हो, मगर कांग्रेस में अब भी कई सिंधिया समर्थक मौजूद हैं और इसका असर चुनाव पर पड़ सकता है।
(आईएएनएस)
हैदराबाद/पटना, 5 फरवरी । झारखंड के विधायकों के हैदराबाद पहुंचने के कुछ दिनों बाद कांग्रेस ने भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के किसी भी अवैध खरीद-फरोख्त के प्रयास को विफल करने के लिए रविवार को अपने अधिकांश विधायकों को बिहार से तेलंगाना की राजधानी भेज दिया।
पार्टी के कुल 19 विधायकों में से कम से कम 16 विधायक राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पहुंचे और उन्हें हैदराबाद के बाहरी इलाके रंगारेड्डी जिले के एक रिसॉर्ट में ले जाया गया और उनके 11 फरवरी तक वहां रहने की संभावना है। तीन विधायक - सिद्धार्थ, आबिदुर रहमान और विजय शंकर दुबे स्वास्थ्य कारणों से नहीं गए हैं।
तेलंगाना में सत्ता में मौजूद कांग्रेस ने विधायकों के रहने की व्यवस्था की है। 12 फरवरी को बिहार विधानसभा में विश्वास मत से पहले अवैध शिकार की आशंकाओं के बीच यह घटनाक्रम सामने आया है।
जद-यू अध्यक्ष नीतीश कुमार के नेतृत्व में नवगठित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार को राज्यपाल ने सदन में बहुमत साबित करने के लिए कहा है।
कांग्रेस अब 'महागठबंधन' का दूसरा सबसे बड़ा घटक है, जिसने नीतीश के एनडीए में लौटने के बाद सत्ता खो दी है।
बाकी विधायकों के भी सोमवार को हैदराबाद पहुंचने की संभावना है।
शनिवार को कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने अपने बिहार के विधायकों को दिल्ली बुलाया था, जहां उन्होंने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की। इसके बाद उन्हें चार्टर्ड विमान से हैदराबाद भेजा गया।
28 जनवरी को एनडीए सरकार बनने के बाद राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने भी कांग्रेस नेतृत्व से अपने विधायकों पर नजर रखने को कहा था, लेकिन अगले दिन राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा राज्य के किशनगंज पहुंचने वाली थी, इसलिए वे 31 जनवरी तक राज्य में रुके रहे और फिर झारखंड, उसके बाद दिल्ली और अब हैदराबाद में हैं।
बिहार के विधायक ऐसे दिन हैदराबाद पहुंचे, जब झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और कांग्रेस के विधायक कथित तौर पर हैदराबाद में तीन दिनी प्रवास के बाद रांची लौट आए हैं। दोनों पार्टियों के करीब 40 विधायक दो फरवरी को दो चार्टर्ड विमान से हैदराबाद पहुंचे थे। वे शहर के बाहरी इलाके में एक रिसॉर्ट में भी ठहरे हुए थे।
चंपई सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड की नई सरकार को सोमवार को राज्य विधानसभा में शक्ति परीक्षण का सामना करना पड़ सकता है।
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के दो दिन बाद शुक्रवार को झामुमो नेता चंपई सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
(आईएएनएस)
जयपुर, 5 फरवरी । कांग्रेस नेता शशि थरूर का मानना है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का भाजपा के पक्ष में अल्पकालिक प्रभाव पड़ेगा और इस मुद्दे से आगामी लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी को कोई फायदा नहीं होगा।
इस बात पर जोर देते हुए कि लोगों को राम मंदिर के बारे में नहीं, बल्कि अपने जीवन स्तर के बारे में सोचने की जरूरत है। वे कहते हैं, "अब समय आ गया है कि वे अपनी आर्थिक स्थिति पर जोर दें। क्या इस सरकार के तहत यह बेहतर है? क्या वे अपने जीवन से खुश हैं? जरा बुनियादी वस्तुओं की कीमतों को देखें, क्या इस सरकार के तहत किसी भी पैरामीटर पर उनकी स्थिति में सुधार हुआ है?"
केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) के दौरान मीडिया से बात करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार ने निचले पायदान पर मौजूद लोगों को सशक्त बनाने के लिए "बहुत कम" काम किया है। "गरीब और गरीब होते जा रहे हैं और उनके लिए कुछ भी काम नहीं किया जा रहा है। कांग्रेस एक मुक्त अर्थव्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध है और अर्थव्यवस्था में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की भागीदारी देखना चाहती है, ताकि वे अपने जीवन में सफल हो सकें।"
कांग्रेस नेता ने कहा, उनसे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी केंद्रीय एजेंसियों द्वारा राजनेताओं की कई छापेमारी और गिरफ्तारियों के बारे में पूछें। थरूर ने कहा कि एजेंसियों को अपना काम करना चाहिए, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि यह निष्पक्षता से किया जाए। ऐसा क्यों है कि केवल विपक्षी नेताओं को ही गिरफ्तार किया जाता है? यह देखकर दुख होता है कि सरकार इन एजेंसियों का बेशर्मी से इस्तेमाल कर रही है।
उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले तक देश की सेवा करने के लिए राजनीति समेत विभिन्नताओं से ऊपर उठकर सहयोग करने की संस्कृति थी, लेकिन अब वह परंपरा कायम नहीं है।
"जो कोई भी केंद्र सरकार से असहमत है, उसे राष्ट्र-विरोधी करार दिया जाता है। सिर्फ इसलिए कि हमारे पास अलग-अलग दृष्टिकोण हैं, क्या इसका मतलब यह है कि हम अपने देश का सम्मान और प्यार नहीं करते हैं? हर देश, राज्य और निर्वाचन क्षेत्र को एक अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता है। थरूर ने कहा, अफसोस की बात है कि एक दशक से केवल एक ही व्यक्ति की बात हो रही है और लोकतंत्र चुनौती का सामना कर रहा है।''
उन्होंने केंद्र पर भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं को नष्ट करने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश "चुनावी तानाशाही" में बदल रहा है। "देश को अब एक अलग नेतृत्व की ज़रूरत है, जो लोगों की ज़रूरतों को समझने और उनकी समस्याओं का समाधान खोजने के लिए तैयार हो।"
उन्होंने युवाओं से अपने वोट का प्रयोग सावधानीपूर्वक करने का आह्वान करते हुए कहा कि उनका वोट ही मायने रखता है और उनका भविष्य उनके ही हाथ में है।
यहां तक कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए में वापस आ गए हैं और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है, थरूर ने कहा कि इंडिया गठबंधन में कई दल शामिल हैं और असहमति होना तय है।
राम मंदिर समारोह में कांग्रेस नेताओं के शामिल नहीं होने की भाजपा की आलोचना को खारिज करते हुए, राजनेता-लेखक ने कहा, "सिर्फ इसलिए कि हम उस दिन अयोध्या नहीं गए, इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे मन में हिंदू धर्म के खिलाफ कुछ है। वैसे, मैं बचपन से ही ऐसा करता रहा हूं। राम की प्रार्थना कर रहे हैं। बीजेपी को याद रखना चाहिए कि राम पर उसका अधिकार नहीं है। मैं जब चाहूंगा तब जाऊंगा। हमारे लिए अपना समय और स्थान, सुविधा और पूजा का चयन करना हमें हिंदू विरोधी नहीं बनाता है।"
(आईएएनएस)
कानपुर, 5 जनवरी । उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात सिकंदरा में एक कार बेकाबू होकर नाले में गिर गई। हादसे में छह लोगों की मौत हो गई।
कानपुर देहात स्थित सिकंदरा थाना के प्रभारी दिलीप कुमार बिंद ने बताया कि रविवार देर रात सिकंदरा के पास एक स्विफ्ट डिजायर कार अनियंत्रित होकर नाले में घुस गई। नाला गहरा होने के कारण उसमें छह लोग डूब गए और उनकी मौत हो गई, जबकि इसमें फंसे दो बच्चों को सकुशल बचा लिया गया। कार में आठ लोग सवार थे।
सभी शवों को पोस्टमाॅर्टम के लिए भेजा गया है। परिवार मध्यप्रदेश से तिलक समारोह में शामिल होकर लौट रहा था। तभी देर रात दो बजे सिकंदरा के पास यह घटना हो गई। एसपी बीबीजीटीएस मूर्ति समेत अन्य अधिकारी मौके पर हैं।
(आईएएनएस)
जम्मू, 5 फरवरी । जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में सोमवार को आग लगने से सब्जी की दर्जनों दुकानें जलकर खाक हो गईं।
अधिकारियों ने बताया कि आग आज सुबह रमज़ान जिले के बनिहाल शहर में एक खोखे में लगी और तेजी से पूरे सब्जी बाजार में फैल गई और दर्जनों दुकानों/खोमचे को अपनी चपेट में ले लिया।
“आखिरकार आग पर काबू पा लिया गया, लेकिन दर्जनों टिन शेड और लकड़ी के खोखे पूरी तरह नष्ट हो गए।
अधिकारियों ने कहा, "अग्निशमन सेवा कर्मी, सेना और पुलिस आग बुझाने के काम में लगे हुए हैं।" (आईएएनएस)
चेन्नई, 4 फरवरी । डीएमके चुनाव घोषणापत्र समिति सोमवार से 23 फरवरी तक तमिलनाडु का दौरा करेगी।
यह यात्रा 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी के घोषणापत्र को अंतिम रूप देने से पहले आम जनता के विचार जानने के लिए है।
द्रमुक (डीएमके) अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने रविवार को एक बयान में कहा कि घोषणापत्र समिति राज्य के सभी वर्गों के लोगों से मिलेगी।
इसमें शिक्षाविद्, मछुआरे, कृषक, छोटे उद्यमी, प्रवासी श्रमिक, उद्योगपति, छात्र, डॉक्टर, इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, वकील और जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग शामिल होंगे। 11 सदस्यीय समिति सोमवार को थूथुकुडी का दौरा करेगी।
समिति 5 फरवरी को तूतीकोरिन और 6 फरवरी को कन्याकुमारी का दौरा करेगी। समिति के इन शहरों में पहुंचने से पहले, उनके अभियान का स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया जाएगा और संबंधित जिला सचिव लोगों के लिए याचिकाएं जमा करने के लिए स्थल की व्यवस्था करेंगे।
गौरतलब है कि डीएमके ने तमिलनाडु की सभी 39 सीटें और पुडुचेरी की एकमात्र सीट जीतने के लिए अपने कार्यकर्ताओं पर दबाव डाला है।
2019 के लोकसभा चुनावों में, डीएमके के नेतृत्व वाले सेक्युलर प्रोग्रेसिव अलायंस (एसपीए) ने 39 में से 38 सीटें जीतीं थी। वह एकमात्र सीट थेनी में हारी जहां वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री ईवीकेएस एलंगोवन अन्नाद्रमुक के ओ.पी. रवींद्रनाथन से हार गए।
(आईएएनएस)
अमरावती, 4 फरवरी । पिछले साल सितंबर में भ्रष्टाचार के एक मामले में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी और अपराध जांच विभाग (सीआईडी) द्वारा उनके खिलाफ चार और मामले दर्ज किए जाने से राजनीतिक चर्चा बदल गई। राज्य में आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ होने वाले हैं।
पहली बार, इसने सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) को नायडू पर पलटवार करने का अवसर प्रदान किया, जो अक्सर अपने सार्वजनिक भाषणों में जगन को "ए1" (अभियुक्त नंबर एक) कहकर ताना मारते रहते हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी अपने खिलाफ लंबित सीबीआई और ईडी मामलों के कारण टीडीपी के निशाने पर रहे हैं।
कथित कौशल विकास निगम घोटाले में नायडू की गिरफ्तारी और उसके बाद उनके खिलाफ दर्ज मामले स्पष्ट रूप से वाईएसआरसीपी द्वारा यह संदेश देने का एक प्रयास था कि वह बोर्ड से ऊपर नहीं हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जगन, जिन्होंने 2012-13 में लगभग 16 महीने जेल में बिताए थे, अपने सबसे बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को सलाखों के पीछे देखना चाहते थे और नायडू के 52 दिन जेल में बिताने से वह सफल हुए।
उनका कहना है कि वाईएसआरसीपी अब टीडीपी पर पलटवार करते हुए कह सकती है कि उसके प्रमुख भी जेल जा चुके हैं।
73 वर्षीय नायडू को अपने चार दशकों से अधिक के राजनीतिक करियर में कभी भी भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया था। वह अक्सर जगन को चुनौती देते थे और उन्हें याद दिलाते थे कि उनके पिता दिवंगत वाई.एस. राजशेखर रेड्डी भी उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप साबित करने में सफल नहीं हो सके।
नायडू को सीआईडी ने 9 सितंबर को कुरनूल में एक बस से भारी नाटक के बीच कौशल विकास निगम से धन की हेराफेरी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था, जब वह 2015 में मुख्यमंत्री थे। उन्हें टीडीपी के जन संपर्क कार्यक्रम 'बाबू श्योरिटी-भविष्यथु की गारंटी' (भविष्य के लिए गारंटी) के बीच में हिरासत में लिया गया था।
सीआईडी ने 9 दिसंबर, 2021 को मामले में 25 लोगों को आरोपी बनाते हुए एफआईआर दर्ज की थी। हालांकि, नायडू का नाम इस सूची में नहीं है।
सीआईडी के मुताबिक, मामला एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी परियोजना में उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) के क्लस्टर की स्थापना से संबंधित है। इसमें आरोप लगाया गया कि धोखाधड़ी से राज्य सरकार को 300 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
एजेंसी ने दावा किया कि निजी संस्थाओं द्वारा किसी भी खर्च से पहले, तत्कालीन राज्य सरकार ने 371 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि प्रदान की, जो आंध्र प्रदेश सरकार की संपूर्ण 10 प्रतिशत प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करती है।
सीआईडी ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा दी गई अधिकांश धनराशि फर्जी चालान के माध्यम से शेल कंपनियों को भेज दी गई, चालान में उल्लिखित वस्तुओं की कोई वास्तविक डिलीवरी या बिक्री नहीं हुई।
टीडीपी प्रमुख को सड़क मार्ग से विजयवाड़ा ले जाया गया और अगले दिन तड़के एक न्यायाधीश के सामने पेश किया गया। न्यायाधीश द्वारा उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने के बाद, उसे फिर से सड़क मार्ग से राजमुंदरी केंद्रीय कारागार में ले जाया गया।
इस मामले में नायडू को झटका लगा क्योंकि उन्हें जल्दी जमानत नहीं मिल सकी। मुख्य विपक्षी दल ने गिरफ्तारी को राजनीतिक प्रतिशोध बताया। इसने दिग्गज नेता के साथ कथित दुर्व्यवहार को उजागर करके जनता की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश की और उनके खराब स्वास्थ्य और जेल में जीवन के खतरे पर चिंता व्यक्त की।
नायडू के परिवार के सदस्य जिनमें उनकी पत्नी भुवनेश्वरी और बहू ब्राह्मणी के साथ टीडीपी महासचिव नारा लोकेश भी टीडीपी नेताओं के साथ सड़कों पर उतरे।
दूसरी ओर, वाईएसआरपी सरकार ने नायडू और लोकेश, जो उनके पिता के मंत्रिमंडल में मंत्री थे, दोनों के खिलाफ नए मामले दर्ज करके दबाव बढ़ा दिया।
गिरफ्तारी के दो दिन बाद, सीआईडी ने अमरावती इनर रिंग रोड में नायडू के खिलाफ प्रिज़नर ट्रांजिट (पीटी) वारंट याचिका दायर की।
यह मामला कई कंपनियों को कथित तौर पर अनुचित लाभ देने के लिए राजधानी अमरावती के मास्टर प्लान, इनर रिंग रोड के संरेखण और प्रारंभिक राजधानी में हेरफेर करने से संबंधित है।
कुछ दिनों बाद सीआईडी ने फाइबरनेट घोटाले में चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ एक और पीटी वारंट याचिका दायर की।
सीआईडी ने आरोप लगाया है कि नियमों का उल्लंघन कर और टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर कर 321 करोड़ रुपये के एपी फाइबरनेट प्रोजेक्ट के पहले चरण का वर्क ऑर्डर एक निजी कंपनी को आवंटित कर दिया गया।
इस परियोजना का उद्देश्य राज्य भर के गांवों और कस्बों में ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी प्रदान करना था।
30 अक्टूबर, 2023 को टीडीपी प्रमुख पर राज्य में शराब कंपनियों को अवैध अनुमति देने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।
आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने 31 अक्टूबर को स्वास्थ्य आधार पर नायडू को चार सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत दी थी। वह 52 दिनों के बाद जेल से बाहर आये और भ्रष्टाचार के आरोपों से इनकार किया। उन्होंने कहा, ''अपने 40 साल लंबे राजनीतिक करियर में मैंने न तो कुछ गलत किया और न ही किसी को कुछ गलत करने दिया।''
हालांकि, सीआईडी ने 2 नवंबर को मुफ्त रेत नीति के संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ एक और मामला दर्ज किया।
यह आरोप लगाया गया कि नायडू, उनके तत्कालीन कैबिनेट सहयोगी और विशिष्ट रेत पहुंच वाले क्षेत्रों के विधायकों और अन्य को मुफ्त रेत नीति से काफी फायदा हुआ।
20 नवंबर, 2023 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने नायडू को नियमित जमानत दे दी।
टीडीपी प्रमुख को और राहत देते हुए, उच्च न्यायालय ने 10 जनवरी, 2024 को तीन मामलों में अग्रिम जमानत दे दी। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने अमरावती इनर रिंग रोड मामले में हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी थी।
टीडीपी नेता को इससे पहले सितंबर 2023 में झटका लगा था जब उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय और निचली अदालत में कानूनी लड़ाई के दौरान, नायडू के वकीलों का तर्क था कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत आवश्यक राज्यपाल की पूर्व मंजूरी के बिना एफआईआर दर्ज की गई थी।
सीआईडी की ओर से मामले की पैरवी करने वाले मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया था कि पीसी अधिनियम की धारा 17ए लागू नहीं होती है, क्योंकि सीआईडी जांच 26 जुलाई, 2018 के संशोधन से पहले शुरू हुई थी।
नायडू ने हाईकोर्ट के सितंबर के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने धारा 17ए पर खंडित फैसला सुनाया।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने धारा 17ए की व्याख्या और प्रयोज्यता पर खंडित फैसला सुनाया। पीठ ने मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के पास भेज दिया।
धारा 17ए को 26 जुलाई, 2018 से एक संशोधन द्वारा पेश किया गया था। इस धारा के तहत प्रावधान एक पुलिस अधिकारी के लिए किसी भी किसी लोकसेवक के कथित अपराध की जांच या जांच करने के लिए सक्षम प्राधिकारी से पूर्व अनुमोदन लेने की अनिवार्य आवश्यकता निर्धारित करता है।
(आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 4 फरवरी । केरल में हाल के दिनों में कोई भी नेता मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन जैसी ऊंचाई तक नहीं पहुंचा है और किसी का भी उनके जैसा बुरा पतन भी नहीं हुआ है। एक समय अजेय रहे विजयन को अब भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जो अब खतरा बनते जा रहे हैं।
विजयन अपने पहले कार्यकाल में भी स्वप्ना सुरेश के बड़े हमले का शिकार हुए थे, जिनके बारे में कहा जाता है कि वह विजयन, उनकी पत्नी और बेटी करीबी थीं। उन्होंने सोने और विदेशी मुद्रा की तस्करी सहित कई गंभीर आरोप लगाए। इन सबके बीच विजयन 2021 में दूसरा कार्यकाल जीतने में कामयाब रहे, वह भी और बड़े अंतर के साथ।
इसके बाद शुरू में तो उनकी लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ गया, लेकिन अब उनकी राह इतनी आसान नहीं दिख रही क्योंकि विपक्ष उनके खिलाफ पूरी ताकत से उतर रहा है। पहली बार कांग्रेस विधायक बने मैथ्यू कुझालनाडेन ने विजयन की बेटी वीणा विजयन और उनकी आईटी कंपनी 'एक्सलॉजिक' पर हमला बोला है।
वीणा के संबंध में यह मुद्दा पिछले कुछ महीनों से छाया हुआ है, जब एक मीडिया रिपोर्ट में आयकर विभाग के कार्यालय के हवाले से दावा किया गया था कि उनकी कंपनी को कोच्चि स्थित खनन कंपनी सीएमआरएल से 1.72 करोड़ रुपये मिले थे, जिसमें राज्य सरकार के स्वामित्व वाली केरल राज्य औद्योगिक विकास निगम (केएसआईडीसी) की हिस्सेदारी है। कुझालनाडेन ने विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह ताबड़तोड़ हमले किये, जिससे विजयन को छिपने के रास्ते ढूँढ़ने पड़े।
शुक्रवार को, एक टीवी चैनल ने अपनी कंपनी के खिलाफ आरोपों पर विधानसभा में विजयन का 2022 का बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने वीणा के खिलाफ कुझालनाडेन के हमले को पूरी तरह से खारिज कर दिया। हालाँकि, इस पुराने फुटेज के सामने आने से कुछ घंटे पहले, कांग्रेस ने विजयन के खिलाफ बड़े पैमाने पर हमला किया था, और विधानसभा अध्यक्ष ए.एन. शमशीर ने विपक्ष को इस पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस पेश करने का मौका दिये बिना ही इसे तुरंत अस्वीकार कर दिया।
शमशीर ने कहा कि नियम ऐसे मुद्दे को उठाने की इजाजत नहीं देते जो अदालत में विचाराधीन हों। पूरा विपक्ष खड़ा होकर नारेबाजी करते हुए अध्यक्ष के आसन के सामने आ गया। अध्यक्ष के अपने रुख पर अड़े रहने के बाद विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन के नेतृत्व में सभी विपक्षी विधायकों को सदन से बहिर्गमन किया।
सतीसन ने विधानसभा के बाहर मीडिया से बात करते हुए कहा, "दो वैधानिक एजेंसियां अब विजयन की बेटी की कंपनी के मामलों की जांच कर रही हैं और यह एक गंभीर मामला है। ध्यान देने वाली बात यह है कि एसएफआईओ की जांच बहुत गंभीर है और विजयन की बेटी की कंपनी की जांच की जा रही है। अब समय आ गया है कि विजयन इस्तीफा दें।“
उन्होंने कहा, “विजयन डरे हुए हैं और शुक्रवार को वह विधानसभा में मौजूद भी नहीं थे। इस घोटाले के पहली बार सामने आने के बाद भी उन्होंने यही कहा कि आयकर विभाग ने कभी भी उनकी कंपनी को सफाई देने का मौका नहीं दिया। अब कंपनी रजिस्ट्रार का कहना है कि गलती करने वाली कंपनी से जवाब मांगने के बावजूद उसने कभी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।''
विपक्ष का ताजा हमला तब हुआ जब खबर फैली कि गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने वीणा की कंपनी और सीएमआरएल तथा केएसआईडीसी के मामलों की जांच शुरू कर दी है।
हालांकि विजयन ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए दावा किया कि उनका दामन साफ है, लेकिन उन पर केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने कड़ा हमला बोला है।
मुरलीधरन ने कहा, “पिनाराई विजयन को हास्यास्पद बातें करनी बंद कर देनी चाहिए। वह इससे अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते। केवल यह कहने से कोई फायदा नहीं है कि उनका दामन बेदाग है। वीणा विजयन की आईटी फर्म से जुड़े मामले में जोड़ने के लिए कुछ भी नया नहीं है। सभी यह जानना चाहते हैं कि 1.72 करोड़ रुपये पाने के लिए उनकी आईटी फर्म ने सीएमआरएल को क्या सेवाएं प्रदान कीं।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "यहां तक कि सीएमआरएल भी इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। विजयन यह कहकर बच नहीं सकते कि पहले सब हाथ धोकर उनकी पत्नी को फँसाना चाहते थे और अब उनकी बेटी को निशाना बनाया जा रहा है। ऐसी स्थिति आ गई है कि कन्नूर (विजयन का गृह जिला) के साथी भी विजयन की बातों पर विश्वास नहीं करेंगे।''
विजयन के लिए अब तक का एक बड़ा फायदा यह है कि उन्हें अपनी पार्टी से भारी समर्थन मिला है।
केरल माकपा के शीर्ष नेताओं की शुक्रवार को हुई एक बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई और राज्य पार्टी सचिव एम.वी. गोविंदन ने मीडिया से कहा कि पूरा मामला राजनीति से प्रेरित है और इसलिए वे इससे राजनीतिक और कानूनी तरीके से निपटेंगे।
गोविंदन ने कहा, “सभी जानते हैं कि इस मामले में असली निशाना कोई और नहीं बल्कि विजयन हैं। अगर यह विजयन के बिना है तो यह मामला कुछ भी नहीं है। यह मामला अब शॉन जॉर्ज (सात बार के पूर्व विधायक पी.सी.जॉर्ज के बेटे - दोनों भाजपा में शामिल हो गए) के मामले को आगे बढ़ाने के बाद खबरों में है।”
जॉर्ज सीनियर ने कहा कि विजयन और वीणा दोनों के लिए चीजें कठिन होंगी क्योंकि जांच उन दोनों को पकड़ लेगी। जॉर्ज ने कहा, "मैंने पूरे मामले का अध्ययन किया है और पिता-पुत्री के लिए चीजें अच्छी नहीं हैं।"
विधानसभा का सत्र चल रहा है और कांग्रेस विजयन पर हमले करने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसे में आने वाले दिनों पर उत्सुकता से नजर रहेगी क्योंकि एसएफआईओ जल्द ही वीणा को नोटिस भेजेगा और इससे विजयन एक कठिन स्थिति में आ सकते हैं, जिस स्थिति में वह पहले कभी नहीं रहे हैं। .
(आईएएनएस)
चेन्नई, 4 फरवरी । विकास के मामले में तमिलनाडु कई मील के पत्थर का दावा कर सकता है, लेकिन यह बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की दलदल में भी धँसा हुआ है, जो राज्य को अब भी झकझोर रहा है।
दो द्रविड़ पार्टियों - द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने और भ्रष्ट नेताओं को बचाने का आरोप लगाया गया है। तमिलनाडु में हर पांच साल में द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बीच सत्ता बदलती रही है, लेकिन 2016 में एक उल्लेखनीय बदलाव हुआ जब 2011 से 2016 तक सत्ता में पांच साल के कार्यकाल के बाद अन्नाद्रमुक ने वापसी की और 2021 तक उसकी सरकार रही।
राज्य में भ्रष्टाचार का आरोपों का सामना करने वाले नवीनतम वरिष्ठ राजनेता द्रमुक के बिना विभाग के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी हैं, जो जून 2023 से जेल में हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें नकदी के बदले नौकरी मामले में गिरफ्तार किया था। इस मामले में नौकरी के इच्छुक कई उम्मीदवारों को मंत्री और उनके सहयोगियों, जिनमें उनके भाई अशोक कुमार भी शामिल थे, ने कथित तौर पर धोखा दिया था।
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत मामला दर्ज किया और मंत्री को चेन्नई की पुझल केंद्रीय जेल भेज दिया गया। हालाँकि गिरफ्तारी के तुरंत बाद, सेंथिल बालाजी ने सीने में दर्द की शिकायत की और चेन्नई के एक सरकारी अस्पताल में चिकित्सा जांच में पता चला कि उनकी कोरोनरी धमनी में तीन ब्लॉक हैं।
बाद में मंत्री का एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन किया गया और अब वह वापस जेल में हैं। चेन्नई की प्रधान सत्र अदालत ने उनकी जमानत याचिका 17वीं बार खारिज कर दी और अब वह पुझल जेल में अपनी सजा काट रहे हैं।
गौरतलब है कि छह बार राज्य की मुख्यमंत्री रहीं तमिलनाडु की ताकतवर मुख्यमंत्री दिवंगत जे. जयललिता भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी थीं।
उन पर 1991-1996 के अपने पहले कार्यकाल के दौरान पद का दुरुपयोग करते हुए 364 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित करने और उस राशि को अपने प्रॉक्सी खातों में जमा करने का आरोप लगाया गया था।
उन पर फार्म हाउस, ज़मीन के टुकड़े और बंगले सहित करोड़ों रुपये की ज़मीन-जायदाद इकट्ठा करने का आरोप था। पूर्व मुख्यमंत्री पर नीलगिरी में एक चाय बागान खरीदने, करोड़ों रुपये के आभूषण, पॉश कारें और कई उद्योगों में निवेश करने का भी आरोप लगाया गया था।
चेन्नई की एक विशेष अदालत ने 27 सितंबर 2014 को जयललिता और उनके करीबी सहयोगियों को दोषी पाया और उन्हें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
हालाँकि 11 मई 2015 को मद्रास हाई कोर्ट ने जयललिता को सभी आरोपों से बरी कर दिया था। 15 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अदालत के फैसले को बरकरार रखा और सभी को दोषी ठहराया।
उल्लेखनीय है कि द्रमुक के पास मारन बंधुओं के साथ भ्रष्ट राजनेताओं की अपनी सूची है - मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के चचेरे भाई दयानिधि मारन और कलानिधि मारन पर एक अवैध टेलीफोन एक्सचेंज मामले में सीबीआई द्वारा आरोप पत्र दायर किया गया था।
अवैध टेलीफोन एक्सचेंज मामला उस समय का है जब दयानिधि मारन 2004 से 2007 तक पहली यूपीए सरकार के दौरान केंद्रीय दूरसंचार मंत्री थे। सीबीआई ने दयानिधि पर अपने कार्यालय का दुरुपयोग करने और 2004 से 2006 की अवधि के दौरान चेन्नई में अपने गोपालपुरम आवास के साथ-साथ बोट क्लब में एक निजी टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित करने का आरोप लगाया था।
सीबीआई ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पर सन टीवी नेटवर्क के अवैध अपलिंक की सुविधा के लिए अपने आवास पर 764 हाई स्पीड दूरसंचार लाइनें स्थापित करने का आरोप लगाया।
सीबीआई ने मारन बंधुओं पर सन टीवी नेटवर्क को फायदा पहुंचाने के लिए अवैध टेलीकॉम कनेक्शन के जरिए सरकारी खजाने को 1.76 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है।
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले ने तमिलनाडु की राजनीति को हिलाकर रख दिया और कलैग्नार करुणानिधि की बेटी कनिमोझी करुणानिधि, जो वर्तमान में थूथुकुडी निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य हैं, पर तत्कालीन दूरसंचार मंत्री और केंद्रीय मंत्री ए. राजा के साथ मिलीभगत करके कलैग्नार टीवी के खजाने में लगभग दो अरब रुपये की राशि स्थानांतरित करने के लिए सीबीआई द्वारा आरोप पत्र दायर किया गया था।
उन पर चेन्नई में आयकर विभाग द्वारा कर चोरी का भी आरोप लगाया गया था। कनिमोझी पर आपराधिक साजिश (धारा 120-बी), धोखाधड़ी (धारा 420) और जालसाजी (धारा 468 और 471) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था।
कनिमोझी को 20 मई, 2011 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था और 188 दिन की हिरासत के बाद 28 नवंबर 2011 को जमानत दे दी गई थी।
पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री और द्रमुक नेता ए. राजा पर भी आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जालसाजी के लिए आरोप पत्र दायर किया गया था और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। राजा को 2 फरवरी 2011 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था और 15 मई 2012 को जमानत दे दी गई थी।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने पहले ही द्रमुक की भ्रष्टाचार की फाइलें जारी कर दी हैं और द्रमुक के प्रथम परिवार के खिलाफ आरोपों का आंकड़ा बता दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि स्टालिन के बेटे और तमिलनाडु के खेल विकास और युवा मामलों के मंत्री उदयनिधि स्टालिन और उनके बहनोई सबरीसन ने 30 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की है और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच की मांग की है।
अन्नामलाई ने डीएमके फाइलें-2 और डीएमके फाइलें-3 भी जारी कीं, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि द्रमुक के वरिष्ठ मंत्री हजारों करोड़ रुपये की लूट में शामिल हैं।
तमिल सुपर स्टार विजय ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी तमिझागा वेत्री कड़गम (टीवीके) लॉन्च की है और उनके द्वारा घोषित मुख्य मुद्दों में से एक भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई है।
उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि वह भ्रष्टाचार पर कोई समझौता नहीं करेंगे और पार्टी का मुख्य फोकस तमिलनाडु राज्य से भ्रष्टाचार की संस्कृति को खत्म करना है।
सेंटर फॉर पॉलिसी एंड डेवलपमेंट स्टडीज के निदेशक सी. राजीव ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "द्रमुक और अन्नाद्रमुक दोनों भ्रष्टाचार में शामिल रहे हैं और राज्य में एक नया राजनीतिक सूत्रीकरण होना चाहिए जो भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा हो सके।
"इसने तमिल समाज के लिए खतरा पैदा कर दिया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई भ्रष्टाचार के खिलाफ एक योद्धा प्रतीत होते हैं और आम जनता को इस प्रयास में और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई में उनका समर्थन करना चाहिए - एक ऐसा खतरा जो तमिलनाडु के लोगों के रोजमर्रा के जीवन को खतरे में डाल रहा है।”
(आईएएनएस)
बेंगलुरु, 4 फरवरी । कांग्रेस ने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार (डीकेएस)। के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई जांच को रोक दिया है।
राज्य सरकार द्वारा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की सहमति वापस लेने के बाद मामला लोकायुक्त को सौंप दिया गया है।
हालांकि, यह मामला ख़त्म होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है, क्योंकि सीबीआई ने राज्य सरकार के फैसले को कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती दी है और विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह निश्चित रूप से उच्चतम न्यायालय तक पहुंचेगा और एक ऐतिहासिक मामला बनेगा।
सूत्रों ने बताया कि, राजनीतिक हलके में शिवकुमार के संबंध में जारी कवायद पर उत्सुकता से नजर रखी जा रही है। क्योंकि उनकी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ कथित व्यक्तिगत दुश्मनी है।
राज्य में भाजपा और जद (एस) नेताओं ने स्पष्ट रूप से दावा किया है कि शिवकुमार जल्द ही जेल जाएंगे। हालांकि, शिवकुमार मामले में सीबीआई जांच के लिए राज्य सरकार की सहमति वापस लेने के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेने में कामयाब रहे, जब केंद्रीय एजेंसी उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर करने की तैयारी कर रही थी।
फिलहाल कर्नाटक हाई कोर्ट ने सहमति वापस लेने को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बड़ी बेंच के पास भेज दिया है।
इसमें कहा गया है कि यह मामला राज्य में अपनी तरह का पहला मामला है और कानूनी मुद्दों बड़ी पीठ द्वारा विचार करने की आवश्यकता है।
शिवकुमार कहते हैं, "वे (भाजपा नेता) राज्यसभा के लिए अहमद पटेल के चुनाव में मेरे योगदान का बदला ले रहे हैं। अहमद पटेल आज जीवित नहीं हैं, लेकिन वे मुझे प्रताड़ित करते रहते हैं। मुझे पता है कि इसके पीछे कौन है, लेकिन मैं इससे कानूनी तौर पर लड़ता रहूंगा।"
सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने "अहमद पटेल को राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने से रोकने के लिए शिवकुमार से व्यक्तिगत अनुरोध किया था। शिवकुमार ने गुजरात कांग्रेस के विधायकों को बेंगलुरु में शरण दी थी और उन्हें तोड़ने के सभी प्रयासों को विफल कर दिया था।"
उनका यह भी दावा है कि अमित शाह ने "अहमद पटेल के हाथों उन्हें हुई व्यक्तिगत परेशानी के बारे में भी बताया। हालांकि, शिवकुमार नहीं झुके और उन्होंने अमित शाह से कहा कि अहमद पटेल पार्टी के बड़े नेता हैं और वह राज्यसभा जाएंगे। अहमद पटेल जीत गए और शिवकुमार को बाद में जेल जाना पड़ा।"
शिवकुमार अपने खिलाफ सीबीआई जांच को "प्रतिशोध की राजनीति" बताते हैं। उन्होंने पहले कहा था कि बीजेपी नेता उन्हें राजनीतिक तौर पर खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा था, "मेरे खिलाफ एक भी मामला दर्ज नहीं है। मुझे परेशान करने के लिए ही मामला सीबीआई को सौंपा गया था। मौजूदा सरकार ने उस अनुमति को वापस लेने का फैसला लिया है और मामले को लोकायुक्त सौंप दिया है।"
उन्होंने कहा,"सीबीआई ने मेरे परिवार के सदस्यों, मेरे संस्थानों और मेरे व्यापारिक सहयोगियों को नोटिस जारी किया है। उन्होंने उन लोगों को भी नोटिस जारी किया है, जिन्होंने 30 साल पहले मेरे साथ व्यापार किया था। मुझे नहीं पता कि उनके इरादे क्या हैं। ऐसे कई लोग हैं, कई भाजपा नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज किए गए, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई। वे कितना परेशान कर सकते हैं इसकी एक सीमा है। मुझे पता है कि मैंने कोई गलती नहीं की है।''
सीबीआई ने 2020 में एक कथित डीए मामले में शिवकुमार के खिलाफ जांच शुरू की थी, इसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने 2013 और 2018 के बीच 74 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की थी, जो उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक थी।
तत्कालीन भाजपा नीत कर्नाटक सरकार का नेतृत्व कर रहे बी.एस. येदियुरप्पा ने मामला सीबीआई को सौंप दिया था। 28 नवंबर, 2023 को सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने जांच के लिए सीबीआई को दी गई सहमति वापस ले ली।
आईएएनएस से बात करते हुए वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक बी. समीउल्ला ने कहा कि शिवकुमार का मामला एक मील का पत्थर मामला बनने की पूरी क्षमता रखता है। यह अपनी तरह का पहला मामला है। दिल्ली पुलिस स्थापना अधिनियम के अनुसार, सीबीआई राज्य की सहमति के बिना जांच नहीं कर सकती है।
राज्य सरकार की अनुशंसा के बिना सीबीआई को केस नहीं दिया जा सकता।
लोकायुक्त ने अभी तक जांच शुरू नहीं की है। यदि वह मामले में शिवकुमार को नोटिस जारी करती है, तो यह माना जाएगा कि उसने जांच शुरू कर दी है और उसे मामले की जानकारी मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि लोकायुक्त का नेतृत्व एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश करता है।
समीउल्ला ने कहा कि मामला खंडपीठ के समक्ष है, कोई भी कार्रवाई करने से पहले सीबीआई को उच्च न्यायालय से मंजूरी लेनी होगी।
उन्होंने कहा, "सहमति वापस लेने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर हाई कोर्ट का फैसला जो भी हो, यह तय है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में जाएगा। यह एक लंबी कानूनी लड़ाई होने वाली है।"
यदि निर्णय राज्य सरकार के पक्ष में आता है, तो संभावना है कि अन्य राज्य भी इसी तरह से कार्य करेंगे और अपने नेताओं की सुरक्षा के लिए सीबीआई को दी गई सहमति वापस ले लेंगे। समीउल्ला ने कहा, "इसलिए, यह एक ऐतिहासिक फैसला होने जा रहा है।"
समीउल्ला ने आगे कहा कि हालांकि सुप्रीम कोर्ट में भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त और कड़ी कार्रवाई शुरू करने का स्थायी निर्देश है। "संभावना है कि शीर्ष अदालत राज्य सरकार से सवाल करेगी कि जब मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है तो वह सहमति कैसे वापस ले सकती है।"
सूत्रों ने कहा, कांग्रेस सरकार ने शिवकुमार के लिए बहस करने के लिए कपिल सिब्बल, अभिषेक सिंघवी और महाधिवक्ता को शामिल किया है, जबकि सीबीआई के भी प्रतिष्ठित वकील के. परासरन को शामिल करने की संभावना है, जिन्हें अयोध्या मामले में सफलतापूर्वक बहस करने का श्रेय दिया जाता है या उसी कद के किसी अन्य वकील को शामिल किया जा सकता है।
(आईएएनएस)
हैदराबाद, 4 फरवरी । हैदराबाद के हकीमपेट वायु सेना स्टेशन पर एक विमान की मरम्मत के दौरान दुर्घटना में वायु सेना के एक अधिकारी की मौत हो गई। पुलिस ने यह जानकारी दी है।
कॉर्पोरल रैंक के अधिकारी हरवीर चौधरी यू-736 किरण विमान की मरम्मत कर रहे थे, तभी विमान की सीट अचानक उछल गई, जिससे उनके सिर में चोट लग गई।
मौके पर ही उनकी मौत हो गई। घटना शनिवार की है।
वायु सेना के अधिकारियों ने अलवाल पुलिस को सूचित किया जो मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
अलवाल पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है।
वायु सेना के अधिकारियों ने घटना की जांच शुरू कर दी है।
(आईएएनएस)
नयी दिल्ली, 4 फरवरी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर मणिपुर के लोगों के साथ ‘‘घोर अन्याय’’ करने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा कि राज्य की स्थिति पर मोदी अब भी ‘‘पूरी तरह खामोश’’ हैं।
विपक्षी दल ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के एक दिन बाद यह बयान दिया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर शाह और मुख्यमंत्री की बैठक संबंधी खबर को संलग्न करते हुए कहा, ‘‘नौ महीने हो गए लेकिन प्रधानमंत्री के साथ कोई बैठक नहीं हुई। मणिपुर पर प्रधानमंत्री की पूर्ण चुप्पी बरकरार है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री रोड शो के लिए गुवाहाटी जाते हैं, लेकिन वह इंफाल नहीं जा सकते और न ही जाएंगे।’’
रमेश ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री का मणिपुर के लोगों के साथ यह घोर अन्याय है।’’
मणिपुर के मुख्यमंत्री सिंह ने शाह के साथ बैठक के बाद शनिवार को कहा था कि केंद्र सरकार इस राज्य के लोगों के हित में ‘‘कुछ महत्वपूर्ण निर्णय’’ लेने की तैयारी में है।
बैठक में दोनों नेताओं ने मणिपुर से संबंधित "सर्वाधिक महत्व के मामलों" पर चर्चा की।
बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित करने के बाद तीन मई, 2023 को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क गई थी। तब से जारी हिंसा में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
कुकी समुदाय के एक वर्ग ने अलग प्रशासन या मणिपुर सरकार से अलग होने की मांग की है, वहीं मेइती समूह इसके खिलाफ हैं और विधायकों को ऐसे किसी भी प्रयास के खिलाफ चेतावनी दी है तथा उनसे ऐसे प्रयासों को विफल करने के लिए कहा है।
मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि नगा और कुकी समेत आदिवासियों की संख्या करीब 40 प्रतिशत है और ये मुख्य रूप से पर्वतीय जिलों में रहते हैं। (भाषा)
लखनऊ, 4 फरवरी समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को पीडीए (पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक) में विश्वास करने वालों का हवाला देते हुए कहा कि एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है कि पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों की 91 प्रतिशत आबादी इस बार पीडीए के लिए एकजुट होकर वोट करेगी और भाजपा के समीकरण तथा फॉर्मूले इस बार फेल हो गए हैं।
उन्होंने यह भी दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपनों से ही हारेगी।
यादव ने यह भी कहा कि भाजपा उम्मीदवारों के चयन में काफी पीछे रह गई है और उसे उम्मीदवार ही नहीं मिल रहे हैं क्योंकि कोई भी हारने के लिए लड़ना नहीं चाहता है।
सपा प्रमुख यादव ने रविवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने एक पोस्ट में कहा- ‘‘पीडीए में विश्वास करने वालों का सर्वे, कुल मिलाकर 90 प्रतिशत की बात।’’
यादव ने कहा, ‘‘49 प्रतिशत पिछड़ों का विश्वास पीडीए में है, 16 प्रतिशत दलितों का विश्वास पीडीए में, 21 प्रतिशत अल्पसंख्यकों (मुस्लिम, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन व अन्य आदिवासी) और चार प्रतिशत अगड़ों में पिछड़ों (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) का विश्वास पीडीए में (उपरोक्त सभी में आधी-आबादी मतलब महिलाएं सम्मिलित हैं)। इन 90 प्रतिशत में से अधिकांश इस बार पीडीए के लिए एकजुट होकर वोट करेंगे।’’
यादव ने ‘पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक’ के लिए ‘पीडीए’ शब्द गढ़ा है और आगामी लोकसभा चुनाव में सपा पीडीए पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘भाजपा इसी कारण न कोई गणित बैठा पा रही है, न कोई समीकरण। इसीलिए भाजपा के पिछले सारे फॉर्मूले, इस बार फेल हो गये हैं। भाजपा उम्मीदवारों के चयन में बहुत पीछे छूट गयी है। भाजपा को उम्मीदवार ही नहीं मिल रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि यहां तक कि भाजपा की मुख्य समर्थक रहीं महिलाएं भी इस बार पार्टी को वोट नहीं देंगी।
सपा प्रमुख ने दावा किया, ‘‘हारने के डर से भाजपा का टिकट लेकर कोई चुनाव लड़ना नहीं चाहता है। महिलाएं जो भाजपा की मुख्य समर्थक रही हैं, वे भी पहलवानों की दुर्दशा, मणिपुर की वीभत्स घटना, मां-बेटी को जलाने के कांड जैसी अन्य कई नारी अपमान की घटनाओं को लेकर शर्मिंदगी महसूस कर रही हैं और अबकी वे भी भाजपा का साथ नहीं देंगी।’’
उन्होंने इसी पोस्ट में कहा, ‘‘साथ ही नौकरी या भर्ती की उम्मीद लगाये बैठे जो युवा भाजपा राज में हताश हुए हैं, वो सब भी इस बार भाजपा को हराने-हटाने के लिए ही वोट देंगे।’’
यादव ने कहा, ‘‘अपने को बुद्धिजीवी समझने वाले समाज में जो लोग तथाकथित नैतिकता व राजनीतिक ईमानदारी के नाम पर भाजपा की ओर देखते थे, वो महाराष्ट्र, बिहार, चंडीगढ़ महापौर चुनाव और झारखंड की सत्ता के लालच से भरी अनैतिक व भ्रष्ट व्यवहार की घटनाओं से न केवल क्षुब्ध हैं बल्कि व्यथित भी हैं।’’
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ऐसे लोग बहुत ज़्यादा हैं, इनकी निष्क्रियता भी भाजपा के वोट में भारी कमी करेगी। भाजपा अपनों से ही हारेगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘किसानों के बीच दोगुनी आय के झूठे वादों, फसल को नुकसान पहुंचाते पशुओं से छुटकारा दिलाने की झूठी गारंटियों, महंगी होती कृषि की लागत के कारण भाजपा विरोधी लहर है।’’
यादव ने कहा, ‘‘जीएसटी की बदइंतजामी भाजपा के परंपरागत कारोबारी वोटर मतलब दुकानदारों, व्यापारियों व छोटे कारखाना मालिकों को पहले ही पार्टी से दूर कर चुकी है। भाजपा अपने अरबपति साथियों के लिए मजदूर व श्रमिक विरोधी नियम-कानून लाकर मेहनत-मजदूरी का पैसा मार रही है, इसलिए मजदूर-किसान भी भाजपा के पूरी तरह ख़िलाफ़ हो गया है। इस चौतरफा विरोध के माहौल में भाजपा उप्र में हार मानकर बैठ चुकी है। भाजपा के नेतागण जन आक्रोश देखकर भागे-भागे फिर रहे हैं और बाक़ी बचे स्वार्थी भाजपाई समर्थक अपनी पुरानी परम्परा को निभाते हुए भूमिगत हो गये हैं।’’
सपा प्रमुख ने नारा दिया है - ‘‘ली है ‘पीडीए’ ने अंगड़ाई, भाजपा की शामत आई।’’ (भाषा)
चेन्नई, 4 फरवरी । तमिल मनीला कांग्रेस (टीएमसी) नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जी.के. वासन ने अन्नाद्रमुक और भाजपा के बीच सुलह कराने का जिम्मा उठाया है।
भाजपा के सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि प्रसिद्ध कांग्रेस नेता दिवंगत जी.के. मूपनार के बेटे वासन का पूर्व मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक महासचिव एडप्पादी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) और सीवी शनमुघम और केपी मुनिस्वामी जैसे अन्नाद्रमुक के अन्य नेताओं सहित शीर्ष नेतृत्व के साथ अच्छे व्यक्तिगत तालमेल हैं।
सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि केंद्रीय भाजपा नेतृत्व तमिलनाडु की राजनीति में सफलता की तलाश में है और उसे किसी भी कीमत पर पार्टी के लिए कुछ सीटें चाहिए।
मिली जानकारी के मुताबिक, बीजेपी ने हाल ही में हुए एक आंतरिक सर्वे में पाया है कि बिना उचित गठबंधन के वह सीटें नहीं जीत पाएंगे और इसके लिए अन्नाद्रमुक ने दांव खेला है।
चूंकि भाजपा के स्थानीय नेतृत्व के अन्नाद्रमुक नेतृत्व के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं, इसलिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने जी.के. वासन से संपर्क किया है, जो लंबे समय से एनडीए के प्रति वफादार रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, वासन पहले ही अन्नाद्रमुक के शीर्ष अधिकारियों से मिल चुके हैं और सुलह के फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं।
जी.के. वासन ने पीएमके के संस्थापक नेता डॉ. एस रामदास और उनके बेटे और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अंबुमणि रामदास से भी मुलाकात की है।
पीएमके भी अब तमिलनाडु में एनडीए के साथ नहीं है और एक शक्तिशाली ताकत है। यह वन्नियार समुदाय की राजनीतिक शाखा है जिसका पश्चिमी और मध्य तमिलनाडु की कई सीटों पर निर्णायक प्रभाव है।
वासन हाल ही में नई दिल्ली में थे और उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की।
इस बीच, वासन 12 फरवरी को पार्टी की आम परिषद की बैठक के बाद 2024 के आम चुनावों के लिए गठबंधन की घोषणा करेंगे।
वासन ने रविवार को एक बयान में कहा कि वह सभी गठबंधन सहयोगियों के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं और सामान्य परिषद की बैठक में उचित निर्णय लिया जाएगा।
गौरतलब है कि टीएमसी तमिलनाडु में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ है और उसके साथ बनी रहेगी। हालांकि, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में मजबूत जड़ें रखने वाली एक राजनीतिक पार्टी होने के नाते, वासन को पार्टी के जिला नेताओं और अन्य राज्य नेताओं के साथ बातचीत के बाद गठबंधन पर सार्वजनिक घोषणा करनी होगी।
(आईएएनएस)
गोलाघाट (असम), 4 फरवरी असम के गोलाघाट जिले में लचित बोरफुकन पुलिस अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे मणिपुर पुलिस के कैडेट के दो समूहों के बीच झड़प हो जाने से कम से कम सात प्रशिक्षु घायल हो गए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
डेरगांव स्थित अकादमी में एक प्रशिक्षु शनिवार को रात के खाने के समय स्थानीय बाजार से शराब लेकर आया था जिसके बाद उसने तथा एक अन्य प्रशिक्षु ने एक दूसरे को अपशब्द कहें और फिर दोनों में हाथापाई शुरू हो गई।
अकादमी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि यह हाथापाई दो समूहों के बीच संघर्ष में बदल गई।
उन्होंने कहा, ‘‘मारपीट के कारण मणिपुर के सात प्रशिक्षु घायल हो गए। तीन घायलों को बेहतर इलाज के लिए जोरहाट चिकित्सकीय महाविद्यालय एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया है जबकि चार घायलों को स्थानीय अस्पताल में भेजा गया और उन्हें प्रारंभिक उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।’’
असम के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि पुलिस अकादमी में झड़प मणिपुर के युवा प्रशिक्षुओं के बीच हुई।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी अकादमी में प्रशिक्षण का मार्गदर्शन करने वाले सिद्धांतों से भटकने की किसी के लिए कोई गुंजाइश नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी प्रकार के अनुचित व्यवहार को प्रशिक्षण संबंधी कड़े कदम उठाकर दुरुस्त किया जाएगा।’’
सिंह ने दावा किया कि रात के भोजन के वितरण को लेकर प्रशिक्षुओं के बीच हाथापाई हुई।
उन्होंने असम पुलिस कर्मियों की मौजूदगी में जमीन पर बैठे प्रशिक्षुओं की कई तस्वीरें साझा कीं। उन्होंने कहा, ‘‘यह मामला अब सुलझ गया है। रेंज आईजीपी (पुलिस महानिरीक्षक) और डीआईजी (उप महानिरीक्षक), प्रशिक्षण कैडेट के साथ हैं।’’
अकादमी के एक अधिकारी ने बताया कि मणिपुर पुलिस ने स्थिति की समीक्षा करने के लिए राज्य के एक वरिष्ठ आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी को तैनात किया है।
मणिपुर पुलिस ने शनिवार देर रात ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘स्थिति का जायजा लेने के लिए मणिपुर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी एम. प्रदीप सिंह (आईपीएस) को कल डेरगांव में तैनात किया जा रहा है।’’
उसने कहा कि मणिपुर पुलिस मामले पर नजर रख रही है और स्थिति नियंत्रण में है। (भाषा)
श्रीनगर, 4 फरवरी । जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में सेना के एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में आग लगने से आठ दुकानें नष्ट हो गईं और छह सैनिक घायल हो गए।
अधिकारियों ने बताया कि जिले के जांगली इलाके में शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में 3 और 4 फरवरी की दरमियानी रात आग लग गई।
अधिकारियों ने कहा कि इस घटना में “आठ दुकानें जलकर खाक हो गईं, जबकि छह सैनिकों को मामूली चोटें आई हैं"। घायलों को तत्काल चिकित्सा उपलब्ध करायी गयी।
उन्होंने बताया कि आग लगने के कारण का पता लगाया जा रहा है। दमकल गाड़ियों ने आग को आसपास फैलने से रोका।
(आईएएनएस)
जम्मू, 4 फरवरी । जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में रविवार को एक सड़क दुर्घटना में एक ही परिवार के चार सदस्यों की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया।
पुलिस ने कहा कि जिले के सलोरा इलाके में उनकी कार दो ट्रकों से टकरा गई, जिससे कार सवार लोग हताहत हो गये।
पुलिस ने बताया कि कार जम्मू से उधमपुर की ओर जा रही थी जब यह दुःखद घटना घटी। कार दो ट्रकों से टकरा गई जिससे उसमें सवार सभी पांच लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने चार घायलों को मृत घोषित कर दिया। पांचवें घायल को उधमपुर शहर के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया है।"
मारे गए लोगों की पहचान नितिन डोगरा, उनकी पत्नी, रितु डोगरा और उनकी बेटियों ख़ुशी और वाणी के रूप में हुई है।
पुलिस ने कहा, "घायल की पहचान तीसरी बेटी बृंदा के रूप में हुई है।"
(आईएएनएस)
नयी दिल्ली, 4 फरवरी समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव के ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के लिए निमंत्रण न मिलने की बात कहने के एक दिन बाद कांग्रेस ने रविवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में यात्रा कार्यक्रम एक या दो दिन में तय होने के बाद ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों के साथ साझा किया जाएगा और उनकी भागीदारी से यह विपक्षी गठबंधन मजबूत होगा।
यात्रा में भाग लेने के बारे में पूछे जाने पर यादव ने शनिवार को कहा था, ‘‘दिक्कत यह है कि कई बड़े कार्यक्रम होते हैं लेकिन हमें निमंत्रण नहीं मिलता।’’
यादव की टिप्पणियों संबंधी एक वीडियो टैग करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उत्तर प्रदेश में ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ का विस्तृत कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है और एक-दो दिन में इसे अंतिम रूप से दे दिया जाएगा।
रमेश ने कहा, ‘‘इसके बाद इसे राज्य में इंडिया गठबंधन के घटक दलों के साथ साझा किया जाएगा। उनका भारत जोड़ो न्याय यात्रा में भाग लेना ‘इंडिया’ गठबंधन को और मजबूत करेगा। 16 फरवरी को यात्रा के उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने की उम्मीद है।’’
कांग्रेस को हाल में तृणमूल कांग्रेस जैसे ‘इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों की आलोचना का सामना करना पड़ा था जिसने सीटों के बंटवारे और यात्रा करने को लेकर पार्टी पर निशाना साधा था। टीएमसी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस यात्रा के उनके राज्य से गुजरने के दौरान इससे दूर रही थीं।
अभी यह यात्रा झारखंड में है और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता और नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने शुक्रवार को इसमें भाग लिया। झामुमो ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा है। (भाषा)
अमरावती, 4 फरवरी । वर्ष 2012 में जब वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी को कथित आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, तो राष्ट्रीय सुर्खियां बनीं थीं, लेकिन लगभग 12 वर्षों के बाद भी, केंद्रीय एजेंसी द्वारा दर्ज 11 मामलों में से किसी में भी मुकदमा शुरू नहीं हुआ है।
2019 में मुख्यमंत्री बने जगन मोहन रेड्डी पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, बेईमानी, संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना, रिश्वत लेना, आपराधिक विश्वासघात, जालसाजी, लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है।
2019 में चुनाव आयोग के समक्ष उनके द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सात मामले हैं, जिनमें उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया है।
जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआरसीपी के बागी सांसद की याचिकाओं ने मामलों पर ध्यान वापस ला दिया है। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट मामले को तेलुगु राज्यों के बाहर स्थानांतरित करने और जगन की जमानत रद्द करने की मांग वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
नवंबर 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई, जगन मोहन रेड्डी, वाईएसआरसीपी सांसद वी. विजय साई रेड्डी और अन्य को नोटिस जारी किया, जिन्हें रिश्वत और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों पर सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में आरोपी बनाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से यह बताने को कहा कि सुनवाई शुरू करने में उसे इतना समय क्यों लग रहा है और मामलों की वर्तमान स्थिति क्या है
शीर्ष अदालत के. रघु रामकृष्ण राजू की याचिका पर सुनवाई कर रही है, इसमें हैदराबाद की एक अदालत में लंबित मामले की सुनवाई आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के अलावा किसी अन्य राज्य में स्थानांतरित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
उन्होंने अपनी याचिका में दलील दी कि आरोपपत्र दाखिल होने के 10 साल बाद भी मामलों की सुनवाई शुरू नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि सैकड़ों याचिकाएं केवल न्यायिक प्रक्रिया में देरी करने के लिए दायर की गई हैं।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस.वी.एन. की पीठ भट्टी ने सीबीआई से यह बताने को कहा था कि मामले की सुनवाई पूरी होने में देरी क्यों हुई।
याचिकाकर्ता ने कहा कि जिस तरह से सीबीआई को आंध्र प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री के खिलाफ इस्तेमाल किया गया, उससे अंतरात्मा हिल गई है।
नवंबर में, सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में उन्हें दी गई जमानत को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर जगन मोहन रेड्डी और सीबीआई से जवाब मांगा था।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने रामकृष्ण राजू द्वारा दायर याचिका पर रेड्डी और एजेंसी को नोटिस जारी किया।
राजू ने बताया कि आय से अधिक संपत्ति का मामला 2012 में दर्ज किया गया था और सीबीआई ने 11 आरोपपत्र दायर किये थे।
ये मामले जगन की कंपनियों में कथित 'प्रतिफल' निवेश से संबंधित हैं। ऐसे आरोप थे कि 2004 और 2009 के बीच अविभाजित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में उनके पिता स्वर्गीय वाई.एस. राजशेखर रेड्डी के कार्यकाल के दौरान विभिन्न कंपनियों ने जगन की कंपनियों में कथित तौर पर दिए गए विभिन्न लाभों के लिए निवेश किया था।
राजू ने जमानत शर्तों के कथित उल्लंघन के आधार पर जगन और उनके करीबी सहयोगी विजया साई की जमानत रद्द करने की मांग वाली अपनी याचिका के बाद अदालत का रुख किया, जगन की जमानत को सीबीआई कोर्ट और बाद में 2021 में तेलंगाना उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था।
नरसापुर से लोकसभा सदस्य ने आशंका जताई थी कि जगन मोहन रेड्डी मामले में गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश कर सकते हैं।
राजू के वकील बालाजी श्रीनिवासन ने दलील दी है कि तेलंगाना उच्च न्यायालय ने गलती की है क्योंकि यह आदेश बिना इस बात को समझे पारित कर दिया गया कि आरोपी ने जमानत शर्तों का उल्लंघन किया है। उन्होंने रेड्डी को मुकदमे में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने के आदेश को भी चुनौती दी।
हालांकि, जगन मोहन रेड्डी और विजया साई रेड्डी दोनों ने अदालत में कहा था कि उन्होंने किसी भी जमानत शर्तों का उल्लंघन नहीं किया है। उन्होंने दावा किया कि राजू ने राजनीतिक और व्यक्तिगत लाभ के लिए याचिकाएं दायर कीं।
जगन ने राजू की याचिका को उनकी प्रतिष्ठा धूमिल करने का प्रयास बताते हुए दावा किया था कि याचिकाकर्ता जमानत रद्द करने का मामला बनाने में विफल रहा।
मामले से संबंधित एक अन्य घटनाक्रम में, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने नवंबर 2023 में जगन मोहन रेड्डी को पूर्व सांसद चेग्नोडी हरिराम जोगैया द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस जारी किया, इसमें उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुनवाई में तेजी लाने के निर्देश देने की मांग की गई थी।
पूर्व सांसद ने 2024 में होने वाले आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मामले को सुलझाने के निर्देश देने की मांग की। हालांकि, अदालत ने इस पर आपत्ति जताई और याचिकाकर्ता से अपनी याचिका में संशोधन करने को कहा।
2022 में तेलंगाना हाई कोर्ट की छूट के बाद जगन को बड़ी राहत मिली थी।
हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि सीआरपीसी की धारा 205 की उपधारा (2) के अनुसार, याचिकाकर्ता को सुनवाई की तारीख पर उपस्थित होना होगा, यदि सीबीआई अदालत तय करती है कि उसकी उपस्थिति आवश्यक है।
उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में, जगन ने तर्क दिया कि वह हर शुक्रवार को व्यक्तिगत रूप से अदालती कार्यवाही में शामिल होने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री की क्षमता में अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन करने की उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी है।
इसके अलावा, अदालत में उनके नियमित दौरे से सरकारी खजाने पर भी भारी बोझ पड़ता, क्योंकि आधिकारिक मशीनरी को हर हफ्ते उनकी सुरक्षा और यात्रा की व्यवस्था करनी पड़ती है।
सीबीआई ने कहा था कि सीआरपीसी की धारा 205 के तहत एक के बाद एक याचिकाएं दायर करना कार्यवाही में देरी करने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। पिछले 10 साल से यह मामला सिर्फ आरोप तय करने की स्टेज पर है।
एजेंसी ने कहा था कि जब मुकदमा वास्तव में शुरू होगा तो व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट की प्रार्थना की जा सकती है और उस पर विचार किया जा सकता है।
इससे पहले, हैदराबाद में सीबीआई और ईडी मामलों की विशेष अदालत ने उन्हें अदालत में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने से इनकार कर दिया था।
हर हफ्ते पेशी से छूट की मांग वाली जगन की याचिकाओं पर सीबीआई कोर्ट ने नाराजगी जताई। न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि जगन लगातार अदालत में पेशी से छूट नहीं मांग सकते।
सितंबर 2013 में जमानत पर रिहा होने से पहले जगन ने 16 महीने जेल में बिताए।
आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा कथित तौर पर भारी संपत्ति अर्जित करने और मनी लॉन्ड्रिंग की सीबीआई जांच के आदेश के बाद 2012 में तत्कालीन सांसद जगन के खिलाफ सीबीआई ने मामला दर्ज किया था।
कोर्ट ने कांग्रेस नेता और तत्कालीन राज्य मंत्री पी. शंकर राव के एक पत्र को याचिका मानते हुए यह आदेश दिया। उन्होंने जगन की ''गलत कमाई'' संपत्ति की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है।
राव ने आरोप लगाया था कि जगन की आय, जो मार्च 2004 में केवल 11 लाख रुपये थी, बढ़कर 43,000 करोड़ रुपये हो गई है।
तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) नेता के. येरन नायडू और अन्य ने भी जगन के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की है।
सीबीआई ने कुल मिलाकर 11 आरोप पत्र दायर किए, इसमें जगन को आरोपी नंबर एक बताया गया।
राजशेखर रेड्डी के मंत्रिमंडल के कुछ मंत्रियों, कई आईएएस अधिकारियों और उद्योगपतियों को मामलों में आरोपी के रूप में नामित किया गया है।
जगन ने इन मामलों को राजनीति से प्रेरित बताया था, क्योंकि उन्होंने वाईएसआरसीपी लॉन्च करने के लिए कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी।
2019 में वाईएसआरसीपी के सत्ता में आने के बाद से, उनके राजनीतिक विरोधी आरोप लगाते रहे हैं कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के साथ उनका गुप्त समझौता है।
वे संसद में महत्वपूर्ण विधेयकों सहित सभी मुद्दों पर वाईएसआरसीपी द्वारा दिए गए समर्थन का हवाला देते हैं।
जगन की बहन वाई.एस. शर्मिला, जो हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुईं और उन्हें राज्य में पार्टी प्रमुख नियुक्त किया गया, ने भी आरोप लगाया है कि वाईएसआरसीपी ने राज्य के हितों को मोदी सरकार के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है।
उन्होंने कहा, “तीनों पार्टियां वाईएसआरसीपी, टीडीपी और जन सेना भाजपा के हाथों के औजार हैं।”
जगन, जिनकी पार्टी के लोकसभा में 22 और राज्यसभा में नौ सदस्य हैं, न केवल भाजपा विरोधी मोर्चे से दूर रहे, बल्कि कई मौकों पर एनडीए सरकार को संकट से भी बचाया।
(आईएएनएस)
मेरठ, 4 फरवरी । उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र में कंकरखेड़ा थाना पुलिस टीम और बदमाशों के बीच मुठभेड़ हुई, जिसमें 25 हजार का इनामी बदमाश मारा गया। मुठभेड़ के दौरान एक सिपाही भी घायल हुआ है। यह जानकारी पुलिस अधिकारी ने रविवार को दी।
मेरठ जिले के एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने बताया कि 22-23 जनवरी की दरमियानी रात पुलिस कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र के हाईवे पुलिस चौकी प्रभारी सब इंस्पेक्टर मुनेश कुमार को गोली मारकर फरार होने के आरोपी विनय वर्मा की शनिवार रात को पुलिस के साथ मुठभेड़ में गोली लगने से इलाज के दौरान मौत हो गई।
उन्होंने बताया कि 22-23 जनवरी की दरमियानी रात को कंकरखेडा थाने की हाईवे पुलिस चौकी क्षेत्र में स्थित एच. आर. मंडप के सामने से तीन बदमाशों ने एक गाड़ी को लूट लिया था और जब पुलिस ने उनका पीछा किया तो उन्होंने पुलिस दल पर गोलीबारी शुरू की।
सजवाण ने बताया कि बदमाशों द्वारा गोलीबारी में चौकी प्रभारी सब इंस्पेक्टर मुनेश कुमार को सीने में गोली लगी थी जिन्हें तत्काल इलाज के लिए हायर सेंटर पहुंचाया गया। जहां किसी तरह उनकी जान बच गई।
एसएसपी ने बताया कि जांच के दौरान टीम ने अपराधी के बारे में सुराग पाने के लिए अपने गुप्त स्रोत बनाए और विभिन्न सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण किया जिसके आधार पर तीन बदमाशों की पहचान विनय वर्मा, अनुज और नरेश सागर के रूप में की गई। इसके बाद विनय वर्मा और अनुज पर 25-25 हजार रुपये का इनाम मेरठ पुलिस ने घोषित किया।
उन्होंने बताया कि शनिवार शाम पुलिस ने दो अभियुक्त -- विनय वर्मा और नरेश सागर को गिरफ्तार किया जो बस से आगरा भागने की फिराक में थे।
एसएसपी ने बताया कि पुलिस की टीम विनय वर्मा को घटना में प्रयुक्त असलाह बरामद करने के लिए उसकी निशानदेही पर जंगेठी गांव के जंगल में गन्ने के खेत पर ले गई। जहां आरोपी ने जमीन में दबी हुई पिस्टल दिखाई। उन्होंने बताया कि इसी बीच आरोपी विनय वर्मा ने पिस्टल के साथ मौके का फायदा उठाकर भागने की कोशिश की। पुलिस ने उसको रुकने और सरेंडर करने के लिए कहा, लेकिन उसने वहां से भागते हुए पुलिस पार्टी पर सेमी ऑटोमैटिक पिस्टल 32 बोर से फायर करना शुरू कर दिया।
गोलीबारी के दौरान सिपाही सुमित चपराणा को गोली हाथ में लगी। सिपाही को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया और अन्य थानों और एसओजी तथा सर्विलांस की टीमों की मदद से पुलिस ने घेराबंदी कर विनय की तलाश शुरू की।
उन्होंने बताया कि थाना कंकरखेड़ा क्षेत्र के जंगेठी गांव के जंगल में कांबिंग ऑपरेशन के दौरान विनय वर्मा ने फिर से पुलिस पार्टी पर गोलीबारी की, पुलिस दल ने भी जबावी कार्रवाई की जिससे बदमाश गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल बदमाश को प्राथमिक उपचार के अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से उसे मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया और वहां उसकी मौत हो गई।
सजवाण ने बताया कि बदमाश विनय वर्मा पर हत्या, लूट, गैंगस्टर और चोरी के छह से अधिक मुकदमे दर्ज थे। वहीं एक अन्य आरोपी अनुज की गिरफ्तारी के लिए पुलिस संबंधित जगहों पर छापेमारी कर रही है।
(आईएएनएस)