अंतरराष्ट्रीय
वाशिंगटन, 11 मई। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार रात एक विवादास्पद ‘‘सीएनएन टाउन हॉल’’ के दौरान, 2020 के चुनाव से जुड़े अपने ‘झूठ’ का बचाव किया और छह जनवरी, 2021 को हुई हिंसा को बहुत महत्व नहीं दिया।
इसके साथ ही ट्रंप ने उस महिला का बार-बार अपमान किया जिन्हें इस सप्ताह अदालत ने यौन शोषण और मानहानि को लेकर मुआवजे का हकदार करार दिया।
ट्रंप वर्षों के कटु संबंधों के बाद सीएनएन नेटवर्क पर लौटे थे। कार्यक्रम में, उन्होंने इस सवाल पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया कि क्या वह चाहते हैं कि रूसी आक्रमण के खिलाफ यूक्रेन विजयी हो। उन्होंने आशंका जताई कि संभव है कि अमेरिका अपने ऋण दायित्वों को पूरा नहीं कर सके।
न्यू हैम्पशायर में आयोजित इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया। कार्यक्रम में रिपब्लिकन पार्टी और किसी दल से असंबद्ध मतदाताओं ने पूर्व राष्ट्रपति का जोरदार स्वागत किया।
कार्यक्रम का संचालन कैटलन कोलिन्स ने किया और कभी-कभी उन्हें रिकॉर्ड को सही करने के लिए संघर्ष करना पड़ा क्योंकि ट्रंप अपनी बातों पर अड़े रहे। एक समय ट्रंप ने यहां तक कह दिया, "आप एक घटिया इंसान हैं।"
ट्रंप ने बुधवार को बार-बार अपने ‘झूठ’ को दोहराया कि 2020 के चुनाव में "धांधली" हुई थी। हालांकि राज्य और संघीय चुनाव अधिकारियों, उनके अपने अभियान और व्हाइट हाउस के सहयोगियों सहित दर्जनों अदालतों ने कहा है कि ट्रंप के दावों की पुष्टि के लिए कोई सबूत नहीं है। (एपी)
खार्तूम, 11 मई | कुछ दिनों की अपेक्षाकृत शांति के बाद राजधानी खार्तूम में सूडानी सैन्य बल (एसएएफ) और अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के बीच हिंसक झड़पें फिर शुरू हो गई हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बुधवार को खार्तूम और अल-हलफाया पुल के आसपास भीषण संघर्ष हुआ जो राजधानी के निकटवर्ती शहरों बहरी और ओमडुरमैन को जोड़ता है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ द्वारा प्राप्त वीडियो फुटेज में दिखाया गया है कि सेना बहरी के उत्तर में आरएसएफ सैन्य चौकियों के खिलाफ गहन हवाई बमबारी कर रही है और मुख्य सड़कों पर सेना के काफिले तैनात कर रही है।
एसएएफ ने एक बयान में पुष्टि की कि उसने बहरी में एक व्यापक तलाशी अभियान चलाया। उसने कहा कि इस अभियान में विद्रोही मिलिशिया के सैकड़ों सदस्यों की मौतें हुईं, दर्जनों सशस्त्र वाहन नष्ट हो गए और क्षेत्र में कई दुश्मन चौकियां समाप्त हो गईं।
बयान के अनुसार, सशस्त्र बलों ने बहरी के दक्षिण में विद्रोही मिलिशिया के एक समूह पर सफलतापूर्वक घात लगाकर हमला किया, सात सशस्त्र वाहनों को नष्ट कर दिया और छह अन्य को जब्त कर लिया।
सेना ने नागरिकों से संघर्ष वाले क्षेत्रों से बचने, घर के अंदर रहने और अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक सावधानी बरतने का आह्वान किया।
जवाब में, आरएसएफ ने वीडियो क्लिप प्रकाशित किए, जिसमें बहरी में उनके ठिकानों पर सेना के हमले के जवाब में उनकी कार्रवाई दिख रही है।
इसने बहरी में सेना के दो विमानों को मार गिराने और सैन्य वाहनों को जब्त करने का दावा किया जिसे आरएसएफ ने सेना का बताया था।
खार्तूम राज्य सुरक्षा समिति ने खाद्य सामग्री और सेवाओं की कमी से निपटने के लिए तत्काल उपाय करने के अलावा, एसएएफ प्रमुख अब्देल फतह अल-बुरहान को तत्काल सिफारिशें प्रस्तुत करने का फैसला किया है, जिसमें आपातकाल की स्थिति घोषित करना, कर्फ्यू और सामान्य लामबंदी शामिल है।
इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) ने अनुमान लगाया है कि 15 अप्रैल को पहली बार हिंसा भड़कने के बाद से सात लाख से अधिक लोग अब युद्धग्रस्त देश के क्षेत्र में विस्थापित हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों से पता चला है कि कम से कम एक लाख सूडानी सुरक्षा के लिए पड़ोसी देशों में भाग गए हैं।
मई की शुरूआत में देश के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इन झड़पों में कम से कम 550 लोग मारे गए हैं और लगभग 5,000 अन्य घायल हुए हैं।
संघर्ष समाप्त करने और युद्धग्रस्त देश से सहायता वितरण और निकासी के लिए मानवीय मार्ग खोलने के लिए दो युद्धरत पक्षों के बीच वार्ता वर्तमान में सऊदी शहर जेद्दाह में चल रही है, जिसमें अब तक कुछ खास प्रगति नहीं हुई है। (आईएएनएस)
सॉरोपोड इतिहास में जमीन पर पाए जाने वाले सबसे बड़े जानवरों के रूप में जाने जाते हैं. एक नए अध्ययन ने पहली बार विशालकाय आकार वाले सॉरोपोडों की 36 किस्मों का पता लगाया है.
सॉरोपोड पेड़-पौधे खाने वाले, लंबी गर्दन, लंबी पूंछ और खम्भों जैसी चार टांगों वाले डायनासोर थे. धरती के इतिहास में जमीन पर सबसे बड़े जानवरों के रूप में जाने जाने वाले सॉरोपोड 100-120 फुट लंबे और एक ट्रैक्टर-ट्रेलर जितने वजनी होते थे.
एक नए अध्ययन ने हिसाब लगाया है कि आखिर इतने विशालकाय सॉरोपोडों के कितने वंश समूह थे. इस अध्ययन के मुताबिक ऐसी इनके करीब 36 लीनियेज यानी वंश समूह थे जो करीब दस करोड़ सालों तक धरती पर रहे.
76 मेट्रिक टन वजनी हेवीवेट चैंपियन
यह अवधि जुरासिक और क्रेटेशियस युगों के बीच की है. अध्ययन में यह भी पता लगा कि इतने विशालकाय होने के पीछे कोई एक क्रम विकास संबंधी रणनीति नहीं थी. ये वंश समूह भी एक जैसे शरीर होने के बावजूद एक दूसरे से काफी अलग थे.
करंट बायोलॉजी पत्रिका में छपे इस अध्ययन के लेखक माइक डी'एमिक कहते हैं, "सॉरोपोड सिर्फ धरती पर पाए जाने वाले सबसे बड़े जानवर ही नहीं हैं. उन्होंने यह खिताब स्वतंत्र रूप से अपने क्रम विकास संबंधी इतिहास में 30 बार से ज्यादा कमाया है." डी'एमिक जीवाश्म वैज्ञानिक हैं और न्यूयॉर्क के अडेल्फी विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं.
सभी सॉरोपोडों में हेवीवेट चैंपियन था आर्जेंटीनौसॉरस, जो करीब 9.5 करोड़ साल पहले अर्जेंटीना में रहता था और करीब 76 मीट्रिक टन वजनी था. उसके बाद बारी आती है 63 मीट्रिक टन के ब्रैकियोसॉरस और 60 मीट्रिक टन के बारोसॉरस की. दोनों करीब 15 करोड़ साल पहले पश्चिमी उत्तरी अमेरिका में पाए जाते थे.
उनके बाद 48 मीट्रिक टन के आस पास वजन के कई सॉरोपोडों का नंबर था, जैसे अर्जेंटीना के नोटोकोलोसस, ड्रेडनॉटस और पतागोटाइटन, केंद्रीय चीन का युनमेंगलोंग और ऑस्ट्रेलिया का ऑस्ट्रालोटाइटन.
20 साल करोड़ साल पुरानी है इनकी कहानी
सॉरोपोड से ज्यादा विशालकाय सिर्फ कुछ व्हेलें ही हुआ करती थीं. आज की ब्लू व्हेल करीब 150 टन वजन के साथ सबसे बड़ी जानवर है. डी'एमिक ने हाथों और पैरों की हड्डियों की लंबाई-चौड़ाई के आधार पर सॉरोपोडों की जानी हुई करीब 250 प्रजातियों में से लगभग 190 के शरीर के वजन का अनुमान लगा लिया है.
डी'एमिक ने सॉरोपोड के 36 वंश समूहों में से 45 ऐसी प्रजातियों का पता लगाया जो अभी तक इतिहास में दर्ज सबसे बड़े जानवरों से भी बड़ी थीं. सॉरोपोड करीब 20 करोड़ साल पहले धरती पर उभरे थे.
विशालकाय होने वाली इनकी पहली प्रजाति थी शिनजियांगटाइटन, जो करीब 16.5 करोड़ साल पहले चीन में पाई जाती थी. आखिरी प्रजाति थी अलामोसॉरस जो दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका में 6.6 करोड़ साल पहले डायनासोरों को खत्म कर देने वाली क्षुद्रग्रह की टक्कर से ठीक पहले पाई जाती थी.
इस अध्ययन के नतीजे 19वीं सदी की एक अवधारणा के विपरीत हैं, जिसके तहत माना गया था कि जानवरों के वंश समूहों के शरीर का आकार धीरे धीर समय बीतने के साथ बढ़ा. सॉरोपोडों को अपने आकार का काफी फायदा मिलता था. वो पेड़-पौधे खाने वाले दूसरे डायनासोरों के साथ प्रतियोगिता में रहते थे और साथ ही उन्हें मांस खाने वाले खतरनाक डायनासोरों का भी सामना करना पड़ता था.
डी'एमिक कहते हैं, "मुझे लगता है यह अद्भुत है कि हम इन जानवरों के बारे में अभी भी कितना कुछ सीख रहे हैं. हर साल सॉरोपोडों की करीब 10 नई प्रजातियों की खोज होती है. अधिकांश लोग सोचते हैं कि महत्वपूर्ण खोजें 100 सालों पहले हो चुकी थीं, लेकिन असल में हम इस समय जीवाश्मिकी के लिए खोज के सुनहरे युग में जी रहे हैं."
सीके/एए (रॉयटर्स)
भारत ने बीते साल 2022 में रूस से दस गुना तेल आयात करके करोड़ों रुपये की बचत की है.
बैंक ऑफ़ बड़ौदा के मुताबिक़, भारत ने रूस से कच्चा तेल ख़रीदकर पांच बिलियन डॉलर यानी क़रीब 40 हज़ार करोड़ रुपये बचाए हैं.
भारत ने ये क़दम ऐसे वक़्त में उठाया था जब यूक्रेन पर किए हमले के कारण रूस पर पश्चिमी देशों ने पाबंदी लगाई थी.
इसके बाद रूस ने युद्ध से पीछे ना हटते हुए चीन और भारत जैसे देशों को कम क़ीमत पर तेल बेचना जारी रखा था.
2021 में यूक्रेन युद्ध से पहले भारत में मंगाए गए तेल में रूस की हिस्सेदारी महज़ दो फ़ीसदी हुआ करती थी. बैंक ऑफ़ बड़ौदा के मुताबिक़, अब ये हिस्सेदारी 20 फ़ीसदी के क़रीब पहुंच गई है.
भारत ने बीते साल रूस से जो तेल आयात किया, उससे प्रति टन क़रीब 7300 रुपये की बचत हुई.
अमेरिका और यूरोप की ओर से दबाव के बावजूद भारत ने रूस से तेल ख़रीदना जारी रखा था. सवाल पूछे जाने पर भारत ने रूस के साथ इस तेल ख़रीद का बचाव भी किया था और यूरोप के देशों को घेरा था.
जयशंकर अप्रैल 2022 में अमेरिकी विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री के साथ वॉशिंगटन में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे. तब एक पत्रकार ने रूस से भारत के तेल ख़रीदने पर सवाल पूछा था.
इसके जवाब में एस जयशंकर ने कहा था, ''आप भारत के तेल ख़रीदने से चिंतित हैं, लेकिन यूरोप जितना तेल एक दोपहर में ख़रीदता है, उतना भारत एक महीने में भी नहीं ख़रीदता.''(bbc.com/hindi)
न्यूयॉर्क की एक अदालत ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेखिका ई जीन कैरल के साथ यौन दुर्व्यवहार और बदनाम करने का दोषी पाया है.
कोर्ट ने कैरल को 50 लाख डॉलर देने का फ़ैसला सुनाया है जिसमें से ट्रंप 30 लाख डॉलर मानहानि के लिए और 20 लाख डॉलर दुर्व्यवहार के लिए देंगे.
ये फ़ैसला आने वाले दिनों में ट्रंप को राजनीतिक और क़ानूनी रूप से होने वाले नुक़सान का संकेत हो सकता है.
ट्रंप फ़िलहाल उन नेताओं में सबसे आगे चल रहे हैं जिन्हें रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी मिलने की संभावना है.
ये फ़ैसला रिपब्लिकन पार्टी के अंदर ट्रंप के आधार को शायदी ही कमज़ोर करे. यहाँ उनके समर्थक अमेरिकी कानून व्यवस्था को न सिर्फ़ शक की नज़रों से देखते हैं बल्कि हर विपरीत परिस्थिति में ये लोग ट्रंप के साथ खड़े रहे हैं.
लेकिन ट्रंप निजी तौर पर इस फ़ैसले की चुभन को लंबे समय तक महसूस कर सकते हैं.
रिपबल्किन पार्टी के दो सीनेटरों के बयान भी ट्रंप की 2024 में राष्ट्रपति चुनाव की दावेदारी पर मंडराते ख़तरे की ओर इशारा करते हैं.
अमेरिकी राज्य साउथ डकोटा के सीनेटर जॉन थून ने कहा, "इसका असर लंबे समय में दिखेगा. लोगों को तय करना होगा कि क्या उन्हें इस ड्रामे से निपटना है."
वहीं टेक्सास के जॉन कॉर्निन ने चेताया, "मुझे नहीं लगता वो चुने जाएंगे. आप सिर्फ़ पार्टी में अपने आधार के बलबूते आम चुनाव नहीं जीत सकते."
इन सबसे अव्वल, इस मामले में ट्रंप खुद ही अपने सबसे बड़े दुश्मन बन सकते हैं.
ई जीन कैरल के मुक़दमें का केंद्र पूर्व राष्ट्रपति की वो गवाही थी जिसमें वो अपमानजनक और बचाव की मुद्रा में लग रहे थे. इस गवाही में अपने चर्चित 'एक्सेस हॉलीवुड टेप' के बचाव में ट्रंप ने कहा था कि इसमें उनकी बातें 'दुर्भाग्य या सौभाग्य' से मशहूर हस्तियों की ताक़त के बारे में ऐतिहासिक सच बयां करती हैं. इस टेप में ट्रंप महिलाओं को उनके प्राइवेट पार्ट से पकड़ने का दावा कर रहे थे.
उन्होंने ये भी कहा कि उनके ख़िलाफ़ यौन दुर्व्यवहार के मामले में बयान दर्ज करवाने वाली कैरल और एक अन्य महिला उनके 'टाइप' की नहीं थीं. इतना ही नहीं ट्रंप ने गवाही दर्ज कर रही महिला अटॉर्नी के लिए भी बेवजह यही विवरण दिया.
वो जूरी जो ये तय कर रही हो कि ट्रंप ने यौन दुर्व्यवहार किया है या नहीं या वो आरोप लगाने वाले से अधिक भरोसेमंद हैं, उनके सामने ऐसा बर्ताव दिखाना एकदम ग़लत था.
इसके ऊपर ट्रंप ने गलती से कैरल की एक तस्वीर को अपनी पूर्व पत्नी मार्ला मेपल्स का बताया था, जिससे उनका ही दिया 'ये मेरे टाइप की नहीं' वाला बयान सीधे तौर पर कमज़ोर पड़ता दिखा.
साल 2020 के राष्ट्रपति चुनावों में उपनगरीय क्षेत्रों के मतदाताओं, ख़ासतौर पर महिलाओं ने ट्रंप की सियासत के अंदाज़ से खुद को दूर कर लिया था. इस मामले में अदालत का फ़ैसला अब इस तरह के मतदाताओं को ट्रंप से और दूर धकेलने का ही काम करेगा.
ट्रंप ने फ़ैसले का किया विरोध
ट्रंप ने अदालत के फ़ैसले पर विरोध जताया है. उन्होंने इस फ़ैसले को अपमानजनक बताते हुए कहा कि उन्हें नहीं मालूम 'ये महिला' कौन थी. कोर्ट के बाहर उनके वकील ने कहा कि ट्रंप आगे इसके ख़िलाफ़ अपील करेंगे.
अभी तक देखें तो पूर्व राष्ट्रपति ने 2024 में फिर से व्हाइट हाउस को हासिल करने के लिए काफ़ी सटीक तरीके से अभियान चलाया है. उनकी टीम ने देश भर के प्रमुख राज्यों में ज़मीनी स्तर पर व्यवस्थित तरीके से समर्थन जुटाया है. उनके प्रतिद्वंद्वी रॉन डीसैंटिस पर केंद्रित हमले रंग ला रहे हैं. न्यूयॉर्क में पोर्नस्टार स्टॉर्मी डैनियल्स से जुड़े मामले में अपने ख़िलाफ़ आरोप तय किए जाने को ट्रंप अपने समर्थकों के बीच खुद के पक्ष में भुनाने में कामयाब रहे.
हालांकि, यौन दुर्व्यवहार और मानहानि केस में आए फ़ैसले ने ट्रंप के प्रतिद्वंद्वियों को उन पर हमले तेज़ करने का रास्ता ज़रूर दे दिया है. अगर कैरल के वकील की तरह ही ट्रंप के विपक्षी भी उनपर हमले कर सकें तो ज़रूर इससे उनकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी पर असर होगा.
कम से कम ये किसी पूर्व राष्ट्रपति के ऐतिहासिक तौर पर पहला अनुभव तो होगा, जो पहले ही आपराधिक मामले का सामना कर रहे हैं और संभवतः उनके ख़िलाफ़ आगे और भी केस आने वाले हैं.
अब तक क़ानूनी चिंताओं से ट्रंप पल्ला झाड़ते आए हैं. लेकिन न्यूयॉर्क जूरी का फ़ैसला ट्रंप के लिए वो झटका लेकर आया है जो अब तक हुई मामूली 'जाँचों' से नहीं लगा था. जूरी ने सभी सबूतों पर गौर किया और पाया कि ट्रंप ने गलत किया है.
ऊपर जिन दो मामलों का ज़िक्र है उनके अलावा और भी कई क़ानूनी केस हैं जो ट्रंप की सिरदर्दी बढ़ा सकते हैं. इनमें यूएस कैपिटल हिंसा में पूर्व राष्ट्रपति की भूमिका की विशेष काउंसल जैक स्मिथ की जाँच और व्हाइट हाउस छोड़ने के बाद गोपनीय दस्तावेज़ों के साथ छेड़छाड़ के साथ ही 2020 में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को पलटने की कोशिश के संबंध में जॉर्जिया में चल रही जाँच शामिल है.
हालांकि, इसकी संभावना कम ही है कि अगर ये जाँच अभियोग में बदल जाए तो ट्रंप कोई रुख़ अख़्तियार करेंगे या फिर न्यूयॉर्क अभियोग में बयान दर्ज कराएंगे. अभियोजक ज़रूर पूर्व राष्ट्रपति के बयानों को उनके ख़िलाफ़ प्रभावी तरीके से इस्तेमाल करने के रास्ते तलाशेंगे, जैसा कैरल के वकील ने किया.
ट्रंप पर एक मैगज़ीन की लेखिका ई. जीन कैरल ने उन पर 1990 में उनसे यौन दुर्व्यवहार करने और उन्हें झूठा बताकर बदनाम करने का आरोप लगाया था.
कोर्ट ने कैरल को क्षतिपूर्ति के रूप में 50 लाख डॉलर देने का फ़ैसला सुनाया है. हालांकि कोर्ट ने ट्रंप को एक डिपार्टमेंटल स्टोर में कैरल का रैप करने का ज़िम्मेदार नहीं पाया है क्योंकि यह मामला सिविल कोर्ट में चल रहा था न कि क्रिमिनल कोर्ट में.
दो सप्ताह तक मैनहेटन फ़ेडरल कोर्ट में चली इसकी सुनवाई में ट्रंप पेश नहीं हुए थे और उन्होंने इन अरोपों को ख़ारिज किया था.
जानकारों का कहना है कि अगले साल अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने की ट्रंप की योजना को इस मामले से बड़ा झटका लग सकता है.
ट्रंप ने जारी किया बयान
कोर्ट ने कैरल को 50 लाख डॉलर देने का फ़ैसला सुनाया है जिसमें से ट्रंप 30 लाख डॉलर मानहानि के लिए और 20 लाख डॉलर दुर्व्यवहार के लिए देंगे जिसमें यौन दुर्व्यवहार भी शामिल है जो उन्हें 90 के दशक में किया था.
डोनाल्ड ट्रंप ने इस फ़ैसले पर अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्रुथ पर प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने लिखा है कि 'मुझे पूरी तरह से कोई आइडिया नहीं है कि यह महिला कौन है. यह फ़ैसला एक अपमान है.'
पूर्व राष्ट्रपति के एक प्रवक्ता ने बयान जारी करके कहा है कि यह डेमोक्रेटिक पार्टी का ट्रंप के ख़िलाफ़ 'अभियान' है, यह राजनीति से प्रेरित एक फ़र्ज़ी मामला है.
इस साल ट्रंप को दूसरा झटका
पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के लिए ये इस साल दूसरा बड़ा झटका है.
इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप पर साल 2016 के राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले एक पोर्न स्टार को भुगतान किए जाने के मामले में औपचारिक रूप से आरोप तय किए गए थे और वो कोर्ट में पेश भी हुए थे.
अमेरिका के इतिहास में डोनाल्ड ट्रंप ऐसे पहले पूर्व राष्ट्रपति हैं जिनके ख़िलाफ़ औपचारिक रूप से मुक़दमा चलाए जाने की नौबत आई.
पॉर्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स ने मार्च 2018 में एक टीवी इंटरव्यू में दावा किया था कि अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान ट्रंप की ओर से उन्हें अपने और उनके संबंधों पर चुप रहने के लिए धमकी दी गई थी.
जनवरी 2018 में, अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक लेख प्रकाशित किया था.
इसमें दावा किया गया कि ट्रंप के तत्कालीन वकील माइकल कोहेन ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से एक महीने पहले अक्टूबर, 2016 में डेनियल्स को 1,30,000 डॉलर का भुगतान किया था.
इस चुनाव में ट्रंप को जीत मिली थी. (bbc.com/hindi)
(वॉशिंगटन से एंथनी ज़र्चर के इनपुट के साथ)
पाकिस्तान में इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन जारी हैं.
पाकिस्तानी पीएम शहबाज़ शरीफ़ ने बुधवार रात देश के नाम संबोधन में हिंसा करने वालों को सख़्त हिदायत दी. शरीफ़ ने कहा, ''हिंसा करने वालों को सख़्त से सख़्त सज़ा दी जाएगी.''
इस बीच पाकिस्तान में हिंसा के चलते 10 लोगों की मौत भी हो गई है.
पाकिस्तान में इमरान ख़ान की पार्टी के नेताओं को भी गिरफ़्तार किया जा रहा है.
बीबीसी उर्दू के मुताबिक़, पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के नेता शाह महमूद क़ुरैशी को भी गिरफ़्तार कर लिया गया है.
गिरफ़्तार होने से पहले क़ुरैशी ने रिकॉर्डेड वीडियो में कहा, ''पुलिस आ गई है मुझे गिरफ़्तार करने के लिए. मैं एक पैग़ाम देना चाहता हूं. ये आंदोलन आज़ादी की लड़ाई है और हमें इसमें हिस्सा लेना है. आज इमरान ख़ान उनकी गिरफ़्त में हैं, जिनसे उनकी जान को ख़तरा है.''
क़ुरैशी ने कहा, ''आप लोग हमारी असली आज़ादी की जंग को जारी रखें और तब तक ना रुकें जब तक इमरान ख़ान को रिहा ना कर दिया जाए.'' (bbc.com/hindi)
इसराइल के गुरुवार तड़के ग़ज़ा पट्टी के एक अपार्टमेंट पर किए हमले में फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद यानी पीआईजे के टॉप कमांडर की मौत हो गई है.
इस हमले में एक अन्य व्यक्ति भी मारा गया है. ये हमला एक लड़ाकू विमान ने अपार्टमेंट की पांचवीं मंज़िल पर किया था.
बुधवार को ग़ज़ा पट्टी के चरमपंथियों ने इसराइल पर 460 रॉकेट दागे. वहीं इसराइल ने भी ग़ज़ा में 130 चरमपंथी ठिकानों पर हमला किया.
बीते नौ महीनों में इसे सबसे बड़ी लड़ाई बताया जा रहा है.
फ़लस्तीनी मेडिकल सूत्रों का अनुमान का है कि इस हफ़्ते हुई लड़ाई में मरने वालों की संख्या कम से कम 24 है. इनमें तीन पीआईजे के कमांडर भी शामिल हैं.
पीआईजे की आर्म्ड विंग ने मिसाइल यूनिट के प्रमुख हसन घली उर्फ़ अबु मोहम्मद के मारे जाने की पुष्टि की है.
पीआईजे हमास के बाद दूसरा सबसे बड़ा चरमपंथी संगठन है और इस संगठन ने फ़लस्तीनियों की मौत का बदला लेने की शपथ ली है.
इसराइल में भी ग़ज़ा की ओर से दागे रॉकेट के कारण कई लोगों के घायल होने की ख़बरें हैं. (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के बाद से पीटीआई समर्थकों की उग्र प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं.
पाकिस्तान की सड़कों और सरकारी संपत्तियों को आग लगाने की घटनाएं सामने आ रही हैं. हिंसक घटनाओं में 10 लोगों की मौत भी हो गई है.
आम लोगों की प्रतिक्रियाएं शायद आपको मालूम होंगी. मगर पाकिस्तान की नामी हस्तियां मुल्क में हो रही हलचल पर क्या कह रहे हैं?
पाकिस्तान में टीवी एक्ट्रेस मिशी ख़ान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है. ये वीडियो इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के बाद रिकॉर्ड किया गया है.
इस वीडियो में मिशि ख़ान कहती हैं, ''पेशावर में अगर कोई वीडियो देख रहा है तो प्रदर्शन में हिस्सा लेने आएं. इस्लामाबाद में तो पता नहीं क्या इन लोगों ने गधों, घोड़ों के गोश्त खाए हैं कि इनसे उठा ही नहीं जाता. ये डरपोक किस्म के लोग हैं. हमें बहादुर लोगों की ज़रूरत है. समर्थन करें आप लोग ताकि इमरान ख़ान साब को छोड़ें ये लोग.''
मिशि ख़ान इसके बाद भावुक होती हैं और कहती हैं, ''ये घटिया कौम है. एक आदमी आप लोगों के लिए खड़ा हुआ. बुज़दिल लोग हैं आप. घर पर बैठे हुए हो. तुम लोग इमरान ख़ान जैसे अच्छे लीडर को डिजर्व नहीं करते थे.''
पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर वसीम अकरम ने भी इमरान की गिरफ़्तारी के फौरन बाद ट्वीट किया था, ''आप एक आदमी हो मगर आपके साथ लाखों लोगों की ताकत है. मज़बूत बने रहना कप्तान.''
शोएब अख़्तर ने भी इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ''हमारे नेशनल हीरो इमरान ख़ान को जिस तरह से ले जाया गया, वो दिल दुखाने वाला है.इमरान चोटिल हैं और पाकिस्तान की अनगिनत सेवाएं की हैं, ऐसे में हम किस ओर बढ़ रहे हैं. प्लीज़ हमारे नेशनल हीरो के प्रति थोड़ा सम्मान दिखाइए.''
पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर वक़ार युनूस ने भी ट्वीट किया, ''हम आपके साथ खड़े हैं कप्तान. अन्याय के अंत में आज़ादी आती है. आइए अपनी आज़ादी और नेता को बचाते हैं.'' (bbc.com/hindi)
फ़लस्तीनी चरमपंथियों ने गज़ा पट्टी से इसराइल की तरफ़ साढ़े तीन सौ से अधिक रॉकेट और तोप के गोलेदागे हैं.
वहीं इसराइल के फ़लस्तीनी ठिकानों पर हवाई हमले जारी हैं.
इसराइल के आसमान में धमाकों की आवाज़ें सुनी जाती रहीं. फ़लस्तीनियों की तरफ़ से दागे गए अधिकतर रॉकेट इसराइल की आयरन डोम रक्षा प्रणाली ने हवा में ही मार गिराये.
पिछले दो दिनों में इसराइल के हवाई हमलों में कम से कम 19 फ़लस्तीनी मारे गए हैं जिनमें औरतें और बच्चे भी शामिल हैं.
इसराइल ने इस्लामिक जेहाद के कई कमांडरों को मारने का दावा भी किया है.
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतनयाहू ने कहा है कि इसराइल लंबे सैन्य अभियान के लिए तैयार है.
उन्होंने कहा कि इसराइल गज़ा पर सख़्त हमले भी कर सकता है.
इस्लामिक जेहाद ने भी बदला लेने की चेतावनी दी है और कहा है कि इसराइल में कहीं भी और कभी भी जवाबी हमले किए जा सकते हैं.
बुधवार को गज़ा पट्टी में कई बड़े धमाके सुने गए और आसमान में धुआं उठता हुआ देखा गया.
फ़लस्तीनी मीडिया ने गज़ा के अलावा उत्तीर शहर बैत लाहिया और दक्षिणी शहर राफ़ा में भी हवाई हमलों होने की जानकारी दी है. (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान में इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के बाद हो रही हिंसा में मरने वालों की संख्या 10 हो गई है.
ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह में 7, पंजाब में 2 और बलूचिस्तान में 1 व्यक्ति की मौत हुई है.
ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह के कार्यवाहक मुख्यमंत्री मोहम्मद आज़म ख़ान की अध्यक्षता में की गई समीक्षा बैठक में देश और प्रांत में सुरक्षा हालात का जायज़ा लिया गया.
कैबिनेट की बैठक में प्रांत में अफ़रा-तफ़री के माहौल को देखते हुए सेना को बुलाने की मंज़ूरी दे दी गई.
कार्यवाहक सूचना प्रसारण मंत्री फ़िरोज़ जमाल काकाखेल का कहना था कि मौजूदा हालात के मद्देनज़र प्रांत में हालात को और ख़राब होने से बचाने के लिए सेना को बुलाने का फ़ैसला लिया गया है.
प्रांतीय सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 245 के तहत संघीय सरकार से सेना को क़ानून व्यवस्था संभालने के लिए तैनात करने की सिफ़ारिश की है.
मंत्री का कहना था कि, “बीते दिन से प्रांत के कई ज़िलों में प्रदर्शनकारियों ने हिंसक प्रदर्शन किया और सरकारी संपत्तियों के अलावा संवेदनशील सुविधायों को भी नुक़सान पहुंचाया गया है जो किसी भी क़ीमत पर स्वीकार्य नहीं है.”
अपने बयान में सूचना प्रसारण मंत्री ने कहा कहा कि शांतिपूर्वक प्रदर्शन नागरिकों का अधिकार है लेकिन क़ानून के उल्लंघन, सरकारी सेवाओं को नुक़सान पहुंचाये जाना समझ से बाहर है.
उन्होंने कहा कि कार्यवाहक कैबिनेट हिंसक प्रदर्शनों की आलोचना करती है और यही वजह है कि सूबे को और नुक़सान से बचाने के लिए सेना को बुलाना पड़ रहा है.
इसके अलावा इस्लामाबाद पुलिस के प्रवक्ता का कहना है कि इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने सेक्टर जे 11 में रमना थाने को आग लगा दी है जबकि एक बख़्तरबंद गाड़ी को भी जला दिया गया है.
पुलिस के मुताबिक प्रदर्शनकारियों की तरफ़ से फ़ायरिंग भी की जा रही है. पुलिस ने आम नागरिकों से घरों के भीतर रहने की अपील भी की है.
प्रवक्ता का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने निजी गाड़ियों में भी तोड़फोड़ की है. पुलिस ने आम लोगों को बाहर निकलने से बचने की सलाह दी है.
पुलिस का कहना है कि शहर में हिंसा रोकने के लिए सेना को बुला लिया गया है और सैन्य दस्ते अलग-अलग इलाक़ों में पहुंच रहे हैं.
पुलिस की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि पुलिस, रेंजर और सेना अलग-अलग इलाक़ों में क़ानून व्यवस्था संभाल रही है.
प्रदर्शनकारियों को हिंसा रोकने की चेतावनी भी जारी की गई है. इसी बीच पंजाब प्रांत में सभी शिक्षण संस्थानों को दो दिनों के लिए बंद कर दिया गया है. (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के बाद पहली बार वहां के पीएम शहबाज़ शरीफ़ ने बयान जारी किया है.
पीटीवी पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा, "पाकिस्तान का राजनीतिक इतिहास बहुत तल्ख़ रहा है. राजनीतिक दलों ने इतिहास से सबक सीखा है और सियासी इंतेकाम को दफ़्न करके नया इतिहास लिखा है. इसे लोकतंत्र कहते हैं."
"11अप्रैल को हमने जब सरकार की ज़िम्मेदारी संभाली तो इसके बाद बदनुमा और ज़ुल्म करने वाला तरीका इख़्तियार नहीं किया,जो इमरान नियाज़ी ने अपने चार साल के दौर में सियासी विरोधियों के ख़िलाफ़ अपनाया था."
"आपको याद होगा कि बीते चार सालों में केस नहीं फेस देखा जाता था,यानी मुक़दमा नहीं,चेहरा देखा जाता था कि किसे जेल भेजना है और किसे राहत देनी है.सरकार के मंत्री एक दिन पहले ऐलान कर देते थे कि विपक्ष का फलां लीडर कल गिरफ़्तार हो जाएगा,वो अगले दिन गिरफ़्तार हो जाता था."
"इमरान नियाज़ी ये कहते थे कि कल एक और विकेट गिरने वाली है और वो विकेट गिर जाती थी. संसद की पहली दो क़तारों में बैठने वाले तमाम नेता जेलों में क़ैद थे. सिर्फ़ आरोप लगाने पर ही गिरफ़्तारी हो जाती थी,कोई इस पर ध्यान देने वाला नहीं था."
उन्होंने कहा, "सरकारी संपत्तियों को नुक़सान पहुंचाना दहशतगर्दी है. ये याद रखा जाना चाहिए कि ताक़तवर और कमज़ोर सभी क़ानून के बराबर हैं."
उन्होंने आगे कहा, "हम इमरान की गिरफ़्तारी पर ख़ुशी का इज़हार नहीं कर सकते. ये ज़िंदगी का एक सख़्त दौर होता है जिससे हम कई बार गुज़र चुके हैं.
मंगलवार को हुई हिंसा की ओर इशारा करते हुए पीएम शरीफ़ ने कहा, "आंखों ने पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में ऐसे मंज़र कभी नहीं देखे थे. लोगों को एंबुलेंस से निकालकर गाड़ियों में आग लगा दी गई. निजी गाड़ियों को जला दिया गया. सरकारी संपत्ति पर दुश्मन की तरह हमले किए गए."
"उन्होंने पूरे देश के दिल को जख़्मी किया है और ये दहशतगर्दी अब भी जारी है. इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने इमरान नियाज़ी की गिरफ़्तारी का नोटिस लिया है और अपने फ़ैसले में इसे क़ानूनी बताया है."
"ये इस बात का सबूत है कि नैब क़ानून के मुताबिक़ कार्रवाई कर रहा है. मैं पाकिस्तान के लोगों का शुक्रिया अदा करता हूं कि उन्होंने पीटीआई के रवैये को ख़ारिज किया है और संविधान और क़ानून का साथ दिया है. मैं पुलिस और क़ानून व्यवस्था लागू करने वाले सभी संस्थानों का शुक्रिया किया."
"उन्होंने शांती बनाये रखी और गोलिया बरसाते जत्थों से जनता को सुरक्षित रखा. मैं इन देश के दुशमन लोगों को ख़बरदार करता हूं कि वो देश विरोधी गतिविधियां तुरंत बंद करे वरना क़ानून हाथ में लेने वाले हिंसक लोगों को सख़्त सज़ा दी जाएगी."
"पाकिस्तान राष्ट्र और उसकी विचारधारा की सुरक्षा करना हमें अपनी जान से भी ज़्यादा प्यारी है और हम किसी को देश के ख़िलाफ़ साज़िश नहीं करने देंगे और ना ही उनके मंसूबों को कामयाब होने देंगे." (bbc.com/hindi)
(एम जुल्किरनैन)
लाहौर/पेशावर, 10 मई। पाकिस्तान में इमरान खान के समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच पिछले 24 घंटों में हुई हिंसक झड़पों में कम से कम सात लोगों की मौत हो गई और करीब 300 अन्य घायल हो गए।
इस बीच, पाकिस्तान के पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में हिंसक प्रदर्शनों को रोकने के लिए बुधवार को सेना को तैनात किया गया।
पुलिस ने कहा कि मंगलवार को भ्रष्टाचार के एक मामले में इमरान की नाटकीय गिरफ्तारी के बाद पंजाब प्रांत में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के समर्थकों ने कम से कम 14 सरकारी भवनों/प्रतिष्ठानों में आग लगा दी।
कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने अकेले पंजाब में अब तक महिलाओं सहित 1,150 पीटीआई समर्थकों को गिरफ्तार किया है। पीटीआई के महासचिव असद उमर, पंजाब के पूर्व राज्यपाल उमर सरफराज चीमा और पीटीआई के उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरैशी को भी बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया।
पीटीआई प्रमुख इमरान की गिरफ्तारी के मद्देनजर बुधवार को लाहौर समेत पंजाब के कई अन्य शहरों में स्थिति तनावपूर्ण रही।
चूंकि, पुलिस प्रांत में कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने में विफल रही, इसलिए पंजाब सरकार ने सेना की तैनाती के लिए कहा।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए 12 करोड़ की आबादी वाले पंजाब प्रांत में सेना की 10 कंपनियों को तैनात करने का अनुरोध किया गया है। केंद्र सरकार ने पंजाब में सेना की तैनाती को मंजूरी दे दी है।
पंजाब पुलिस की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने पंजाब में 14 सरकारी प्रतिष्ठानों/इमारतों और 21 पुलिस वाहनों में आग लगा दी है। सुरक्षा एजेंसियों के 130 से अधिक अधिकारी घायल हुए हैं। पुलिस ने सुरक्षा एजेंसियों के साथ संघर्ष और राज्य संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के दौरान 1,150 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस ने कहा कि सरकारी प्रतिष्ठानों को आग लगाने वालों की वीडियो फुटेज के जरिए पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इमरान खान की पार्टी के मुताबिक पंजाब के लाहौर, फैसलाबाद आदि शहरों में एक-एक व्यक्ति मारा गया है। इसने कहा कि अकेले पंजाब में 150 से अधिक प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं।
पंजाब की प्रांतीय राजधानी लाहौर में सभी मुख्य सड़कों पर पीटीआई कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन के कारण देश के बाकी हिस्सों से लगभग कटा हुआ है।
प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को लाहौर में कोर कमांडर के घर में तोड़फोड़ करने के बाद उसे आग के हवाले कर दिया था। उन्होंने गवर्नर हाउस पर भी पथराव किया और लाहौर में सत्तारूढ़ पीएमएल-एन मुख्यालय पर हमला किया और वहां खड़े वाहनों को आग लगा दी।
सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए कई वीडियो में इमरान खान के समर्थकों को छावनी क्षेत्र में कोर कमांडर के घर पर क्लब और पार्टी के झंडे लिए देखा जा सकता है।
प्रदर्शनकारियों ने कोर कमांडर के घर का प्रमुख द्वार तोड़ दिया। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो फुटेज में इमरान के समर्थकों को खिड़की के शीशे, टीवी और घर के फर्नीचर को तोड़ते और पेड़ों और फर्नीचर को आग लगाते हुए दिखाया गया है।
एक अन्य वीडियो में, प्रदर्शनकारियों को लाहौर के मॉल रोड पर सेना के काफिले पर पथराव और बोतलें फेंकते देखा गया।
पेशावर में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़पों में कम से कम चार लोग मारे गए और 27 अन्य घायल हो गए। लेडी रीडिंग अस्पताल के एक प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि की है।
रेडियो पाकिस्तान के महानिदेशक पेशावर ताहिर हसन ने मीडिया को बताया कि प्रदर्शनकारियों ने सरकारी रेडियो पाकिस्तान की इमारत में भी आग लगा दी, जिससे स्टूडियो, सभागार और अन्य सुविधाओं को भारी नुकसान पहुंचा है। इमारत में स्थित एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान के कार्यालय में तोड़फोड़ की गई और उसे क्षतिग्रस्त कर दिया गया।
इस्लामाबाद में प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हुई और राष्ट्रीय राजधानी को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से जोड़ने वाला श्रीनगर राजमार्ग कई घंटों तक जाम रहा।
इस्लामाबाद के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) अकबर नासिर खान ने मीडिया को बताया कि कम से कम पांच पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम शांति व्यवस्था कायम करने और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं। ’’
हिंसा फैलने पर खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और इस्लामाबाद में भी सेना को तैनात किया गया है।
सिंध में सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए धारा 144 लागू कर दी। पुलिस ने सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह को सूचित किया कि प्रांत में करीब 270 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पीटीआई के नेता फवाद चौधरी ने अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि उनकी पार्टी की छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है।
इमरान (70) को मंगलवार को देश के अर्धसैनिक बलों ने राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) के आदेश पर उस समय गिरफ्तार कर लिया था, जब वह भ्रष्टाचार के एक मामले में सुनवाई के लिए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में मौजूद थे।
पूर्व क्रिकेटर इमरान की गिरफ्तारी के बाद उनकी पार्टी के समर्थक पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। (भाषा)
लंदन, 10 मई | ब्रिटेन की राष्ट्रीय अपराध एजेंसी (एनसीए) ने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी में शामिल पश्चिम लंदन स्थित एक संगठित अपराध समूह की जांच के बाद भारतीय मूल के कई पुरुषों और महिलाओं सहित 16 लोगों को दोषी ठहराया गया है। नेटवर्क के सदस्यों ने 2017 और 2019 के बीच दुबई और यूएई की सैकड़ों यात्राएं की और ब्रिटेन से 4.2 करोड़ पाउंड से अधिक की नकदी की तस्करी की।
एनसीए की जांच के अनुसार, यह पैसा क्लास ए ड्रग्स की बिक्री और संगठित अप्रवासी अपराध से कमाया गया था।
एनसीए के वरिष्ठ जांच अधिकारी क्रिस हिल ने कहा, व्यावसायिक स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग और संगठित आव्रजन अपराध में शामिल एक संगठित अपराध समूह में यह एक लंबी और जटिल जांच रही। एनसीए जांचकर्ता दो साल तक ब्रिटेन और विदेशों में भागीदारों के साथ मिलकर काम करते हुए साक्ष्य जुटाते रहे।
लगभग 15 लाख पाउंड ब्रिटेन छोड़ने वाले कूरियर से जब्त किए गए थे, लेकिन उड़ान विश्लेषण, दुबई में नकद घोषणाओं से प्राप्त सबूत और एनसीए द्वारा जब्त की गई अन्य सामग्री से पता चला कि संगठन इससे कहीं अधिक राशि की तस्करी में सफल रहा था।
कई सप्ताह के विश्लेषण के बाद नवंबर 2019 में अधिकारियों ने गिरफ्तारी शुरू की। आरोपियों के खिलाफ जनवरी 2023 में क्रॉयडन क्राउन कोर्ट में दो मुकदमे शुरू किए गए।
गैंग सरगना हाउंस्लो निवासी चरण सिंह (44)तथा अन्य को पश्चिम लंदन में सुबह-सुबह की गई कई छापेमारियों में हिरासत में लिया गया था।
सिंह के साथ, वलजीत सिंह, जसबीर सिंह कपूर, जसबीर सिंह ढाल को आपराधिक संपत्ति बाहर स्थानांतरित करने या धन शोधन की साजिश रचने का दोषी पाया गया।
स्वंदर सिंह ढाल को आपराधिक संपत्ति स्थानांतरति करने और आव्रजन कानून के उल्लंघन की साजिश रचने का दोषी पाया गया। दिलजन सिंह मल्होत्रा को आव्रजन कानून के उल्लंघन की साजिश रचने का दोषी पाया गया।
अमरजीत अलबदीस, जगिंदर कपूर, जैकदर कपूर, मनमन सिंह कपूर, पिंकी कपूर और जसबीर सिंह मल्होत्रा को आपराधिक संपत्ति स्थानांतरित करने का दोषी ठहराया गया था।
सभी 16 दोषियों को 11 सितंबर 2023 से शुरू होने वाली सुनवाई में सजा सुनाई जानी है। इनमें वे दो व्यक्ति भी शामिल हैं, जिन्होंने दो मुकदमे दायर होने से पहले ही धन शोधन अपराधों के लिए दोषी याचिका दायर की थी।
जांच के दौरान एनसीए अधिकारियों ने 2019 में ब्रिटेन में पांच बच्चों और एक गर्भवती महिला सहित 17 प्रवासियों की तस्करी कर उन्हें ब्रिटेन में लाने की इस संगठित अपराध समूह के सदस्यों की साजिश का पदार्फाश किया था।
इन लोगों को टायर ले जाने वाली एक वैन के पीछे वैन बैठाकर लाया जा रहा था। लेकिन हॉलैंड के हुक में एक नौका तक पहुंचने से पहले ही वैन को डच पुलिस द्वारा रोक दिया गया था, जो एनसीए के साथ काम कर रही थी। (आईएएनएस)
एक अदालत ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को लेखिका ई जीन कैरल के साथ 1990 के दशक में यौन दुर्व्यवहार करने और उन्हें बदनाम करने का दोषी पाया है. ट्रंप को 50 लाख डॉलर का हर्जाना देने का आदेश दिया गया है.
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप यौन दुर्व्यवहार के एक मामले में दोषी पाए गए हैं. न्यू यॉर्क की एक अदालत में जूरी ने उन्हें लेखिका ई जीन कैरल के साथ एक दुकान में यौन दुर्व्यवहार करने और उसके बाद उन्हें झूठा बताकर बदनाम करने का दोषी पाया और उन पर 50 लाख अमेरिकी डॉलर का हर्जाना लगाया.
मुकदमे के बाद कैरल ने कहा, "आज आखिरकार दुनिया को सच्चाई पता चली. यह सिर्फ मेरी नहीं बल्कि उस महिला की जीत है जिसकी बात पर यकीन नहीं किया गया.”
2024 के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से दोबारा उम्मीदवार बनने के लिए अभियान चला रहे डॉनल्ड ट्रंप इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेंगे. उनके वकील जोसेफ टैकोपीना ने मैनहटन फेडरल कोर्ट के बाहर मीडिया से बातचीत में यह बात कही.
1995 या 1996 का मामला
79 वर्ष की कैरल ने मुकदमे के दौरान 76 वर्षीय ट्रंप के खिलाफ गवाही देते हुए कहा था कि ट्रंप ने 1995 या 1996 में मैनहटन में बर्गडोर्फ गुडमन डिपार्टमेंट स्टोर के कपड़े बदलने वाले कमरे में बलात्कार किया था. उन्होंने कहा था कि उसके बाद अक्तूबर 2022 में जब उन्होंने यह बात सार्वजनिक की तो ट्रंप ने ट्रुथ सोशल नामक सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर पोस्ट में उन्हें ‘पूरी ठग', ‘अफवाह' और "झूठी” बताते हुए उनकी मानहानि की.
25 अप्रैल को शुरू हुई सुनवाई में ट्रंप शामिल नहीं हुए. लेकिन फैसले पर उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया दी है. ट्रूथ सोशल प्लैटफॉर्म पर एक पोस्ट में उन्होंने फैसले को शर्मनाक बताया. उन्होंने लिखा, "मुझे कतई नहीं पता है कि यह महिला कौन है.”
चूंकि यह एक अपराधिक मुकदमा नहीं था इसलिए ट्रंप पर अपराधिक मामलों का खतरा नहीं है और उन्हें जेल जैसी सजा का खतरा भी नहीं था. इस मामले में जूरी को सर्वसम्मति से ही फैसला करना था. सुनवाई पूरी होने के बाद जूरी ने 3 घंटे तक आपस में चर्चा के बाद फैसला कर लिया. छह पुरुषों और तीन महिलाओं वाली जूरी ने कैरल को मुआवजे में 50 लाख डॉलर अदा किये. हालांकि ट्रंप अगर फैसले के खिलाफ अपील करते हैं तो उन्हें यह रकम नहीं देनी होगी.
राजनीतिक असर
अप्रैल में ट्रंप ने चुनाव अधिकारियों को अपनी संपत्ति का जो ब्यौरा दिया था, उसके मुताबिक उन्होंने करीब एक दर्जन संपत्तियों में से हरेक की कीमत 50 मिलियन डॉलर से ऊपर बताई थी. 2017 से 2021 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रह चुके डॉनल्ड ट्रंप 2024 में फिर से चुनाव लड़ने की दावेदारी कर चुके हैं और फिलहाल वह रिपब्लिकन पार्टी के दावेदारों में सर्वेक्षणों के आधार पर सबसे आगे चल रहे हैं.
बहुत से विशेषज्ञों का मानना है कि बेहद ध्रुवीकृत मतदाताओं की राय पर इस फैसले का ज्यादा कोई असर नहीं पड़ेगा और ट्रंप के समर्थक उनके खिलाफ हो रही कानूनी कार्रवाइयों से हताश नहीं होंगे क्योंकि वे इन्हें अपने नेता के खिलाफ की जा रहीं साजिशों के रूप में देखते हैं.
पेनसिल्वेनिया में रिपब्लकिन नीतिकार चार्ली जेरो ने कहा, "जो लोग ट्रंप के विरोधी हैं, वे विरोधी ही रहेंगे. जो ट्रंप के कट्टर समर्थक हैं वे भी नहीं बदलेंगे. और जो किसी तरफ नहीं हैं, मुझे नहीं लगता कि उन्हें इस तरह की चीज से कोई फर्क पड़ेगा.” जेरो ने कहा कि इस फैसले का नकारात्मक असर शहरी महिलाओं और उदारवादी रिपब्लिकन सदस्यों तक ही सीमित रहेगा.
वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)
इस्लामाबाद, 10 मई। भ्रष्टाचार के एक मामले में मंगलवार को नाटकीय रूप से गिरफ्तार किए गए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को ‘‘चार से पांच दिन’’ के लिए देश की भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी की हिरासत में रखा जा सकता है और उन्हें एक जवाबदेही अदालत के समक्ष पेश किए जाने की संभावना है। मीडिया में जारी एक खबर में बुधवार को यह दावा किया गया।
इमरान को मंगलवार को देश के अर्धसैनिक बलों ने उस समय गिरफ्तार कर लिया था, जब वह भ्रष्टाचार के एक मामले में सुनवाई के लिए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में मौजूद थे। इमरान की गिरफ्तारी के बाद उनकी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के समर्थकों ने पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन किए।
इमरान की पार्टी ने दावा दिया है कि सुरक्षा बलों और पीटीआई के बीच हिंसक झड़पों में देश के विभिन्न हिस्सों में कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और 12 से अधिक लोग घायल हो गए।
समाचार पत्र ‘डॉन’ ने राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) के एक सूत्र के हवाले से बताया कि इमरान को बुधवार को जवाबदेही अदालत के सामने पेश किया जाएगा।
सूत्र ने कहा, ‘‘हम उन्हें कम से कम चार-पांच दिन हिरासत में रखने का पूरा प्रयास करेंगे।’’
राष्ट्रीय जवाबदेही अध्यादेश, 1999 में किए गए नए संशोधनों के तहत, किसी भी अदालत द्वारा मंजूर की गई शारीरिक हिरासत की अवधि 90 दिन से घटाकर 14 दिन कर दी गई है।
सूत्र ने कहा, ‘‘हम अदालत से अधिकतम 14 दिन की हिरासत की अनुमति देने का अनुरोध करेंगे।’’
पूर्व क्रिकेटर की गिरफ्तारी से एक दिन पहले पाकिस्तान की सेना ने आरोप लगाया था कि इमरान खुफिया एजेंसी आईएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ निराधार आरोप लगा रहे हैं।
सूत्र ने पीटीआई प्रमुख की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इमरान को एनएबी के रावलपिंडी/इस्लामाबाद क्षेत्रीय मुख्यालय में ‘‘आरामदायक माहौल’’ में हिरासत में रखा गया है और उनके साथ ‘‘कठोर व्यवहार’’ नहीं किया जाएगा, बल्कि उनसे मामले में उनकी संलिप्तता और मौद्रिक लाभ प्राप्त करने के आरोपों को लेकर केवल पूछताछ की जाएगी।
ब्यूरो ने एक आधिकारिक बयान में इमरान के खिलाफ मामले का ब्योरा भी दिया है।
एनएबी के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया था कि इमरान को अल-कादिर ट्रस्ट मामले में गिरफ्तार किया गया है, जो पंजाब प्रांत के झेलम जिले के सोहावा क्षेत्र में 2019 में सूफीवाद के लिए अल-कादिर विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित है।
इमरान के खिलाफ एक मई को जारी किए गए गिरफ्तारी वारंट में कहा गया है कि उन पर भ्रष्टाचार और भ्रष्ट आचरण का आरोप है।
इस्लामाबाद पुलिस ने महानिरीक्षक (आईजी) अकबर नासिर इमरान के हवाले से एक संक्षिप्त बयान जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि इमरान को उस मामले के संबंध में गिरफ्तार किया गया है, जिसमें आरोप है कि बहरिया टाउन ने पीटीआई अध्यक्ष एवं उनकी पत्नी बुशरा बीबी के स्वामित्व वाले अल-कादिर ट्रस्ट को 53 करोड़ रुपये की जमीन आवंटित की थी। (भाषा)
मॉस्को, 10 मई। रूस की यूराल पर्वत शृंखला में जंगलों में लगी आग से मरने वालों की संख्या मंगलवार को बढ़कर 21 हो गई। देश की सरकारी समाचार एजेंसी तास ने आपात सेवा एजेंसियों के हवाले से जारी खबर में यह जानकारी दी।
एजेंसी के मुताबिक, यूराल पर्वत शृंखला के कुरगन क्षेत्र और साइबेरिया में पिछले एक हफ्ते से जंगलों में भीषण आग लगी हुई है। पश्चिमी साइबेरिया के त्युमेन प्रांत का एक व्यक्ति आग बुझाने की कोशिश के दौरान झुलस गया, जिससे उसकी मौत हो गई।
स्थानीय प्राधिकारियों के अनुसार, जंगलों में लगी आग से ज्यादातर मौतें रविवार को कुरगन प्रांत के युल्दुस गांव में हुईं, जो यूराल पर्वत शृंखला और साइबेरिया के बीच की सीमा पर स्थित है।
क्षेत्रीय आपातकालीन सेवा के अधिकारियों ने आशंका जताई, “मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है।”
उन्होंने कहा कि प्रांत में 5,000 से अधिक इमारतें जलकर खाक हो गई हैं और यहां आपातकाल लागू कर दिया गया है। रूस के स्वेरदलोव्स्क प्रांत और साइबेरिया के ओम्स्क और त्युमेन प्रांतों में भी आग ने हजारों एकड़ क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया है।
रूस में हाल के वर्षों में जंगलों में बड़े पैमाने पर आग लगने की घटनाएं बढ़ी हैं। विशेषज्ञों ने इसके लिए असामान्य रूप से शुष्क ग्रीष्मकाल और उच्च तापमान को दोषी ठहराया है।
एपी पारुल वैभव वैभव 1005 0954 मॉस्को (एपी)
(सज्जाद हुसैन और एम जुल्करनैन)
इस्लामाबाद/लाहौर, 10 मई (भाषा)। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को मंगलवार को अर्धसैनिक बलों ने उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वह भ्रष्टाचार के एक मामले में सुनवाई के लिए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में मौजूद थे।
खान की गिरफ्तारी के बाद रावलपिंडी में सेना मुख्यालय और लाहौर में कोर कमांडर के आवास पर धावा बोलने वाले उनके समर्थकों द्वारा पूरे पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया।
पाकिस्तान रेजर्स खान को गिरफ्तार करने के बाद उन्हें एक वैन में वहां से ले गए। इसके बाद खान के समर्थकों ने रावलपिंडी में सेना के मुख्यालय और लाहौर में कोर कमांडर के आवास पर धावा बोल दिया।
इससे एक दिन पहले ही 70 वर्षीय खान ने देश की सेना पर कथित तौर पर उनकी हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था।
इस बीच देर रात हुए एक घटनाक्रम में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने खान की गिरफ्तारी को ‘‘वैध’’ ठहराते हुए कहा कि गिरफ्तारी करते समय राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) ने सभी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा किया है।
मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक ने भ्रष्टाचार मामले पर सुनवाई शुरू होने से पहले अदालत में बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज कराते समय अर्धसैनिक रेंजर्स द्वारा खान को गिरफ्तार किए जाने पर गौर किया।
हालांकि, अदालत ने पुलिस अधिकारियों को लेकर नाराजगी दिखाई और अदालत की शुचिता के उल्लंघन के लिए इस्लामाबाद पुलिस प्रमुख और आंतरिक सचिव के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया।
पाकिस्तान की सेना ने एक दिन पहले ही आरोप लगाया था कि खान खुफिया एजेंसी आईएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ निराधार आरोप लगा रहे हैं।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की वरिष्ठ नेता शिरीन मजारी के अनुसार, लाहौर से राजधानी इस्लामाबाद आए पार्टी अध्यक्ष खान अदालत में एक बायोमेट्रिक प्रक्रिया से गुजर रहे थे, तभी रेंजर्स ने कांच की खिड़की को तोड़ दिया और वकीलों एवं खान के सुरक्षा कर्मचारियों की पिटाई करने के बाद उन्हें (खान को) गिरफ्तार कर लिया।
टीवी फुटेज में रेंजर्स खान को कॉलर से पकड़कर ले जाते और उन्हें एक जेल वाहन में बैठाते हुए दिखे। रेंजर्स, गृह मंत्रालय के तहत काम करते हैं और आमतौर पर सेना से प्रतिनियुक्ति पर आये अधिकारियों द्वारा निर्देशित होते हैं।
एनएबी के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से इस बात की पुष्टि की कि, ‘‘खान को एक भूमि, सम्पत्ति कारोबारी मलिक रियाज को हस्तांतरित करने के एक मामले में गिरफ्तार किया गया है और उन्हें एनएबी को सौंपा जा रहा है।’’
उन्होंने बताया कि खान को अल-कादिर ट्रस्ट मामले में गिरफ्तार किया गया है, जो पंजाब प्रांत के झेलम जिले के सोहावा क्षेत्र में 2019 में सूफीवाद के लिए अल-कादिर विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित है।
एक मई को जारी किए गए खान के गिरफ्तारी वारंट में कहा गया है कि उन पर भ्रष्टाचार और भ्रष्ट आचरण का आरोप है।
खान की गिरफ्तारी की खबर फैलते ही पाकिस्तान के कई शहरों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। कई जगहों पर प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए और पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।
पहली बार, खान के समर्थकों ने रावलपिंडी में सेना के मुख्यालय के मुख्य द्वार को तोड़ दिया, जहां सैनिकों ने संयम बरता। प्रदर्शनकारियों ने प्रतिष्ठान के खिलाफ नारेबाजी की।
लाहौर में, बड़ी संख्या में पीटीआई कार्यकर्ताओं ने कोर कमांडर के लाहौर आवास पर धावा बोल दिया और गेट और खिड़की के शीशे तोड़ दिए। वहां ड्यूटी पर मौजूद सैन्यकर्मियों ने, हालांकि, क्रोधित प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश नहीं की, जिन्होंने उन्हें घेर लिया और सेना में पीएमएल-एन के नेतृत्व वाली सरकार के 'आकाओं' के खिलाफ नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने छावनी क्षेत्र में प्रदर्शन किया।
प्रवेश और निकास बिंदुओं सहित मुख्य सड़कों पर विरोध प्रदर्शन के कारण लाहौर प्रांत के बाकी हिस्से से लगभग कट गया।
पंजाब की कार्यवाहक सरकार ने प्रांत में कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए रेंजर्स को बुलाया और धारा 144 लगा दी। इसके तहत एक जगह पर पांच से अधिक लोग इकट्ठा नहीं हो सकते। पंजाब सरकार ने पाकिस्तान के दूरसंचार प्राधिकरण से प्रांत के उन क्षेत्रों में इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं को निलंबित करने का अनुरोध भी किया जहां हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
पीटीआई के बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने फैसलाबाद शहर में गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह के आवास पर भी पथराव किया। इसी तरह, मुल्तान, झांग, गुजरांवाला, शेखूपुरा, कसूर, खानेवाल, वेहारी, गुजरांवाला, हाफिजाबाद और गुजरात शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए।
गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने कहा कि खान कई नोटिस जारी किए जाने के बावजूद अदालत में पेश नहीं हुए। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो द्वारा गिरफ्तारी देश के खजाने को नुकसान पहुंचाने के लिए की गई है।’’ उन्होंने कहा कि खान को प्रताड़ित नहीं किया गया।
गिरफ्तारी के बाद पार्टी ने खान का पहले से रिकॉर्ड किया एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा, ‘‘जब तक मेरी ये बातें आप तक पहुंचेगी, तब तक मुझे निराधार मामले में गिरफ्तार किया जा चुका होगा। इससे पता चलता है कि पाकिस्तान में मौलिक अधिकारों और लोकतंत्र को दफन कर दिया गया है।’’
खान ने कहा, ‘‘यह सब इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि वे चाहते हैं कि मैं उस भ्रष्ट, आयातित सरकार को स्वीकार कर लूं, जो हम पर जबरदस्ती थोपी गई है।’’
उन्होंने कहा कि यदि किसी के पास वारंट है, तो उन्हें सीधे उनके पास लाना चाहिए। खान ने कहा, ‘‘वारंट लाओ, मेरा वकील वहां होगा। मैं खुद जेल जाने को तैयार हूं।’’
खान की गिरफ्तारी ऐसे समय की गई है, जब पाकिस्तानी सेना ने सोमवार को उनकी बिना किसी सबूत के एक सेवारत आईएसआई अधिकारी के खिलाफ ‘‘बेहद गैर जिम्मेदाराना और निराधार’’ आरोप लगाने के लिए आलोचना की थी।
सेना ने खान का सीधे तौर पर उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘हम संबंधित नेता से कानूनी रास्ते का सहारा लेने और झूठे आरोप लगाना बंद करने के लिए कहते हैं। संस्थान के पास झूठे और दुर्भावनापूर्ण बयानों और दुष्प्रचार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार है।’’
इस्लामाबाद पुलिस ने महानिरीक्षक (आईजी) अकबर नासिर खान के हवाले से एक संक्षिप्त बयान जारी किया, जिसमें कहा गया था कि खान को उस मामले के संबंध में गिरफ्तार किया गया है, जिसमें आरोप है कि बहरिया टाउन ने पीटीआई अध्यक्ष एवं उनकी पत्नी बुशरा बीबी के स्वामित्व वाले अल-कादिर ट्रस्ट को 53 करोड़ रुपये की जमीन आवंटित की थी।
पुलिस प्रमुख ने यह भी कहा कि इस्लामाबाद में स्थिति "सामान्य" है। उन्होंने कहा कि संघीय राजधानी में धारा 144 लागू कर दी गई है और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
ऐसा कहा गया कि खान को रावलपिंडी में एनएबी कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया है जहां एक मेडिकल जांच की गई। हालांकि, पीटीआई नेता फवाद चौधरी ने दावा किया कि खान को अज्ञात स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया है।
‘जियो न्यूज’ ने बताया कि खान का मेडिकल परीक्षण किया गया है लेकिन अभी तक रिपोर्ट जारी नहीं की गई है। चैनल ने यह भी कहा कि एनएबी उन्हें कल भ्रष्टाचार निरोधक अदालत में पेश करने और मामले में आगे की जांच के लिए हिरासत हासिल करने की तैयारी कर रहा है।
उसने यह भी बताया कि रावलपिंडी में एनएबी के कार्यालय द्वारा एक विशेष कमरा तैयार किया गया है और खान को रात के समय वहीं रखा जाएगा। यह एनएबी का वही कमरा है जहां पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी को इमरान खान की सरकार के दौरान गिरफ्तार किए जाने के दौरान रखा गया था।
इस बीच, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने अदालत परिसर से खान की गिरफ्तारी के मामले में मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आमेर फारूक ने रेंजर्स द्वारा गिरफ्तारी का संज्ञान तब लिया जब खान एक अन्य मामले की सुनवायी शुरू होने से पहले अपनी बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पेश हुए थे।
अदालत ने विभिन्न अधिकारियों को तलब किया और गिरफ्तारी के गुण-दोष और क्या अदालत के अंदर मौजूद किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करना कानूनी था, इस पर दलीलें सुनीं। मुख्य न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया और यह नहीं बताया कि फैसला कब सुनाया जाएगा।
‘डॉन’ अखबार ने खान की गिरफ्तारी के दौरान अदालत में मौजूद बैरिस्टर गौहर खान के हवाले से कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री को 'प्रताड़ित' किया गया। गौहर के हवाले से अखबार ने कहा, "उन्होंने इमरान के सिर और पैर पर वार किया... गिरफ्तारी के दौरान उनकी व्हीलचेयर भी फेंक दी गई।"
पूर्व मंत्री एवं पीटीआई के वरिष्ठ नेता हम्माद अजहर ने कहा कि खान की गिरफ्तारी "स्वीकार्य नहीं है।" उन्होंने खान की गिरफ्तारी के खिलाफ देश के लोगों से सड़कों पर उतरने का आह्वान किया।
पीटीआई के महासचिव असद उमर ने ट्वीट किया कि पीटीआई के उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरैशी की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय समिति आगे की कार्रवाई के बारे में फैसला करेगी।
खान पिछले साल अप्रैल में अविश्वास मत के जरिए सत्ता से हटने के बाद से कई मामलों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने इन सभी मामलों को सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा राजनीतिक उत्पीड़न करार देते हुए खारिज कर दिया है।
खान ने कहा है कि वह वर्तमान में आतंकवाद, ईशनिंदा, हत्या, हिंसा, हिंसा के लिए उकसाने से संबंधित 140 से अधिक मामलों का सामना कर रहे हैं।
-शुमाइला जाफ़री
इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के बाद पाकिस्तान में उनके समर्थकों के हिंसक प्रदर्शन तेज़ होते जा रहे हैं.
मंगलवार दोपहर से ही पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों से हिंसा की खबरें सामने आने लगी और देर रात हालात अधिक गंभीर हो गए.
इमरान ख़ान के समर्थक और तहरीक़-ए-इंसाफ़ के कार्यकर्ता रावलपिंडी स्थित सेना के मुख्यालय में भी घुस गए.
मंगलवार और बुधवार की दरम्यानी रात क्या-क्या हुआ
- पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद स्थित पुलिस लाइन के मुख्यालय को सब-जेल बना दिया है और इमरान ख़ान को रातोंरात वहां ट्रांसफ़र कर दिया है. सरकार की ओर से पीटीआई को जो अधिसूचना मिली है उसके अनुसार नेशनल अकाउंटिबिलिटी ब्यूरो यानी नैब की अदालत गेस्ट हाउस में ही भारी सुरक्षा के बीच लगाई जाएगी. हालांकि मीडिया से इसकी आधिकारी पुष्टि नहीं की गई है.
- नैब इमरान ख़ान की 14 दिन की रिमांड मांग सकता है.
- इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने देर रात इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी को वैध क़रार दिया. तहरीक-ए-इंसाफ के नेता फ़वाद चौधरी ने हाईकोर्ट के फ़ैसले को हैरान करने वाला बताया है. उन्होंने कहा कि-इमरान खान की ज़मानत पर फैसला दिए बग़ैर गिरफ्तारी अवैध है और पीटीआई इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली है.
- लाहौर में नाराज़ पीटीआई प्रदर्शनकारियों ने लिबर्टी चौक पर स्थित अस्करी टावर में आग लगा दी. इसी बिल्डिंग में ऑडी कार का एक शोरूम भी था, जिसे प्रदर्शनकारियों ने अपने कब्जे में ले लिया और गाड़ियों में आग लगा दी.
- पीटीआई नेतृत्व ने अपनी आपात बैठक में इमरान खान की अवैध गिरफ़्तारी की निंदा की और रिहाई तक ‘शांतिपूर्ण’ विरोध प्रदर्शन जारी रखने का फैसला किया.
- देश में सुरक्षा व्यवस्था हाई अलर्ट पर कायम रहेगी.
- मोबाइल ब्रॉडबैंड और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म देश में सस्पेंड कर दिया गया. (bbc.com/hindi)
मंगलवार की दोपहर को हुई इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के बाद से पाकिस्तान में जगह-जगह हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. लोग आगज़नी कर रहे हैं.
रातोंरात इमरान ख़ान को इस्लामाबाद स्थित पुलिस लाइन के मुख्यालय में ट्रांसफ़र कर दिया गया. मुख्यालय को सब-जेल में बदल दिया गया है. नैब की कोर्ट सुनवाई भी गेस्ट हाउस में करेगी.
इस मामले में अब अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है.
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव केरिन जेन-पियरे ने कहा है किअमेरिका को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ़्तारी की जानकारी है.
9 मई को हुई प्रेस वार्ता के दौरान एक सवाल पर उन्होंने कहा, “हमने पहले भी कहा है कि अमेरिका किसी भी राजनीतिक उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन नहीं करता है. हम दुनिया भर में लोकतांत्रिक सिद्धांतों और क़ानून के शासन के सम्मान की मांग करते हैं.”
बुधवार को नेशनल अकाउंटिबिलिटी ब्यूरो यानी नैब की अदालत गेस्ट हाउस में ही भारी सुरक्षा के बीच लगाई जाएगी. यहीं पर इमरान ख़ान को पेश किया जाएगा. माना जा रहा है कि नैब इमरान ख़ान की 14 दिन की हिरासत मांग सकता है.
इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने देर रात इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी को वैध क़रार दिया. तहरीक-ए-इंसाफ के नेता फ़वाद चौधरी ने हाईकोर्ट के फ़ैसले को हैरान करने वाला बताया है और कहा कि इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ़ के प्रमुख इमरान ख़ान को इस्लामाबाद हाई कोर्ट के बाहर से हिरासत में लिया गया है.
पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ़ के अधिवक्ता फ़ैसल चौधरी ने इस घटनाक्रम की पुष्टि की है.
वहीं पाकिस्तान तहरीके इंसाफ़ के उपाध्यक्ष फ़वाद चौधरी ने ट्वीट करके कहा है कि "इस्लामाबाद हाई कोर्ट पर रेंजरों ने क़ब्जा कर लिया है, वकीलों पर हमले का निशाना बनाया जा रहा है, इमरान ख़ान की गाड़ी के इर्द-गिर्द घेरा डाल लिया गया है.
वहीं पीटीआई से जुड़े अज़हर माशवानी ने आरोप लगाया है कि इमरान ख़ान को अदालत के भीतर से 'अग़वा' कर लिया गया है.
पीटीआई ने अपने कार्यकर्ताओं से प्रदर्शन करने का आह्वान भी किया है.
एक वीडियो मैसेज में पीटीआई नेता मसर्रत चीमा ने कहा है, "वो ख़ान साहब के ऊपर हिंसा कर रहे हैं, ख़ान साहब को मार रहे हैं. हमें नहीं पता कि उन्होंने ख़ान साहब के साथ क्या किया है."
बीबीसी संवाददाता शुमाइला जाफ़री के मुताबिक इस्लामाबाद पुलिस ने बताया है कि इमरान ख़ान को अल क़ादिर ट्रस्ट मामले में गिरफ़्तार किया गया है.
वहीं इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी पर नैब ने बयान जारी करते हुए बताया है कि उन्हें नैब आर्डिनेंस और क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया गया है.
नैब ने अपने बयान में कहा है, "नैब हेडक्वार्टर रावलपिंडी ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को अल क़ादिर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट में कदाचार करने के जुर्म में हिरासत में लिया है."
बयान के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को नैब ने नोटिस दिया था जिसका संतोषजनक जवाब इमरान ख़ान ने नहीं दिया.
पाकिस्तान में नैब भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करती है. पाकिस्तान की मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक़ हिरासत में लिए जाने के बाद इमरान ख़ान को नैब के दफ़्तर भेजा गया है.
अदालत के बाहर भारी पुलिस बल भी तैनात किए गए हैं. भारी तादाद में इमरान ख़ान के समर्थक अदालत के बाहर इकट्ठा हो रहे हैं. इस्लामाबाद पुलिस के मुताबिक धारा 144 लागू है और हालात सामान्य हैं.
इमरान ख़ान किसी और मामले में ज़मानत हासिल करने के लिए अदालत के समक्ष पेश हुए थे लेकिन उन्हों किसी और मामले में गिरफ़्तार कर लिया गया.
रिपोर्टों के मुताबिक इमरान ख़ान के अदालत पहुंचने से पहले ही नैब की टीम वहां मौजूद थी.
हाई कोर्ट ने पुलिस को किया तलब
इमरान खान को हिरासत में लिए जाने के बाद इस्लामाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक़ ने पाकिस्तान के आंतरिक सचिव, आईजी इस्लामाबाद और अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है.
बीबीसी संवाददाता शहजाद मलिक के मुताबिक़, इस्लामाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि घटना में तोड़फोड़ की गई है, जो भी जिम्मेदार होगा उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.
वकीलों ने दलील दी कि इमरान ख़ान को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के परिसर से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जिस पर न्यायमूर्ति आमिर फारूक़ ने टिप्पणी की कि पहले यह निर्धारित किया जाना चाहिए कि उन्हें किस मामले में हिरासत में लिया गया है. इस बीच रेंजर्स ने कोर्ट में सुरक्षा व्यवस्था अपने नियंत्रण में ले ली है.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अल क़ादिर यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट के लिए 26 दिसंबर 2019 को अल क़ादिर ट्रस्ट पंजीकृत कराया था. इस ट्रस्ट के दो ही ट्रस्टी हैं. एक इमरान ख़ान और दूसरी उनकी पत्नी बुशरा बीबी.
पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट यानी पीडीएम के सत्ता में आने के बाद बीते साल जून में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी के ख़िलाफ़ आरोप लगाया गया था कि उन्होंने एक रियल एस्टेट कंपनी से 50 अरब रुपये की काले से सफ़ेद बनाकर लाई गई रकम को क़ानूनी हैसियत दी और इसके बदले में अपने ट्रस्ट के लिए अरबों रुपये की ज़मीन दान में हासिल की.
पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने आरोप लगाया था कि इमरान के कार्यकाल में ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी ने मनी लांडरिंग की एक जांच के बाद प्रॉपर्टी टाइकून मलिक रियाज़ की रक़म को वापस किया था. इमरान ख़ान ने इस रक़म को 3 दिसंबर 2019 को कैबिनेट की बैठक के बाद प्रॉपर्टी टाइकून को ब्रिटेन से आया पैसा वापस करने की मंज़ूरी दे दी.
इस बारे में सरकार की तरफ़ से ये आरोप भी लगाया गया था कि प्रापर्टी टाइकून ने अपने अपने कई ग़ैर क़ानूनी मामलों को 'कवर' देने के लिए अल क़ादिर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट की ज़मीन इमरान ख़ान और उनकी पत्नी को दी थी.
पाकिस्तान के नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरौ (नैब) ने इमरान ख़ान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी के ख़िलाफ़ अल क़ादिर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट के नाम पर प्रापर्टी टाइकून से सैकड़ों कनाल ज़मीन लेने से संबंधित पूछताछ को जांच में बदल दिया है.
नैब के अधिकारी इससे पहले अधिकारों के कथित दुरुपयोग और ब्रिटेन से प्राप्त हुई 'अपराध से अर्जित रक़म' की वसूली के आरोपों की जांच कर रहे थे.
नैब के अधिकारी के मुताबिक जब मामला जांच के स्तर पर आ जाता है तो अभियुक्त से पूछताछ की जाती है और ज़रूरत पड़ने पर उन्हें गिरफ़्तार भी किया जा सकता है.
वहीं इमरान ख़ान के वकील बैरिस्टर ग़ौहर ने बीबीसी से कहा है कि जब उन्हें पता चला कि अल क़ादिर ट्रस्ट मामले में पूछताछ को जांच में बदल दिया गया है तो उन्होंने मंगलवार को इस्लामाबाद हाई कोर्ट में अर्ज़ी दी थी.
इस अर्जी में नैब को इमरान ख़ान को गिरफ़्तार करने पर रोक लगाने की मांग की गई थी. नैब अधिकारियों का कहना है कि इमरान ख़ान को नोटिस दिया गया था जिसका संतोषजनक जवाब उन्होंने नहीं दिया.
इमरान ख़ान पर कई और मामले में भी चल रहे हैं.
अक्तूबर 2022 में पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने तोशाखाना मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को अगले पांच साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य क़रार दिया था.
चुनाव आयोग ने कहा था कि इमरान ख़ान ने सत्ता में रहते हुए तोशाखाना से जो तोहफ़े लिए थे, उसके बारे में अधिकारियों को उन्होंने सही जानकारी नहीं दी. इमरान ख़ान आरोपों को ग़लत बताते हैं.इमरान ख़ान पर आरोप है कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए क़ीमती तोहफ़े अपने फ़ायदे के लिए बेचे. इमरान ख़ान ने चुनाव आयोग को दी गई अपनी संपत्ति की घोषणा में उसका ब्योरा नहीं दिया था.चुनाव आयोग ने बाद में ज़िला अदालत में शिकायत दर्ज की थी कि प्रधानमंत्री रहते हुए इमरान ख़ान को जो गिफ़्ट मिले उसे उन्होंने बेच दिया और इस मामले में उन्हें आपराधिक क़ानूनों के ज़रिए सज़ा दी जाए.आरोप है कि इमरान ख़ान ने प्रधानमंत्री रहते हुए तोशाखाना के मंहगे गिफ़्ट, घड़िया अपने फ़ायदे के लिए बेची थीं.1974 में पाकिस्तान में तोशाखाना स्थापित किया गया. ये कैबिनेट डिवीजन के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक विभाग है जहां देश के प्रमुखों, मंत्रियों, नौकरशाहों, सासंदों को विदेशी सरकार या अधिकारियो की ओर से मिले मंहगे गिफ़्ट रखे जाते हैं.
तोशाखाना एक सरकारी विभाग होता है. यहां प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या दूसरे बड़े अधिकारियों को किसी यात्रा के दौरान मिलने वाले क़ीमती तोहफों को रखा जाता है.
किसी भी विदेश यात्रा के समय, विदेश मंत्रालय के अधिकारी इन तोहफ़ों का रिकॉर्ड रखते हैं और वतन वापसी पर उन्हें तोशाखाना में जमा कर दिया जाता है.
तोशाखाना में रखी गई चीज़ों को स्मृति चिन्ह की तरह देखा जाता है. यहां रखी हुई चीज़ों को कैबिनेट की मंज़ूरी के बाद ही बेचा जा सकता है.
पाकिस्तान में अगर मिलने वाले उपहार की क़ीमत 30 हज़ार रुपये से कम है तो उसे व्यक्ति मुफ़्त में अपने पास रख सकता है.
वहीं अगर गिफ़्ट की क़ीमत 30 हजार रुपये से ज़्यादा है तो उस क़ीमत का 50 प्रतिशत जमा करके उसे ख़रीदा जा सकता है. साल 2020 से पहले सामान की असल क़ीमत का सिर्फ़ 20 प्रतिशत ही जमा करना पड़ता था.
इन तोहफों में आमतौर पर महंगी घड़ियां, सोना और हीरे के गहने, क़ीमती सजावट का सामान, स्मृति चिन्ह, हीरा जड़ी कलम, क्रॉकरी और कालीन शामिल होते हैं.
महिला जज के अपमान का केस
इमरान ख़ान पर एक महिला जज के अपमान का भी मामला है. अगस्त 2022 में इमरान ख़ान के क़रीबी सहयोगी शहबाज़ को देशद्रोह के मामले में गिरफ़्तार किया गया था. इमरान ख़ान ने शहबाज़ को प्रताड़ित किए जाने के आरोप लगाए थे.
इसके बाद एक सियासी रैली में इमरान ख़ान ने अपनी पार्टी के सहयोगी को हिरासत में लिए जाने और कथित तौर पर बदसलूकी किए जाने को लेकर इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख और एक महिला जज की निंदा की थी.
इमरान ने अपने भाषण में धमकी दी थी कि वो शीर्ष पुलिस अधिकारियों, एक महिला मजिस्ट्रेट, चुनाव आयोग और उनके राजनीतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ अपने सहयोगी शहबाज़ गिल के साथ कथित बदसलूकी करने के लिए मामले दायर करेंगे.
इमरान ख़ान ने ख़ास तौर पर अतिरिक्त जिला और सत्र जज ज़ेबा चौधरी को निशाना बनाया जिन्होंने इस्लामाबाद पुलिस के आग्रह पर शहबाज़ गिल की दो दिन की पुलिस रिमांड को मंज़ूरी दी थी.
इमरान ख़ान ने रैली में पुलिस प्रमुख और जज को निशाना बनाते हुए कहा, "शर्म करो, इस्लामाबाद आईजी, तुम्हें तो नहीं छोड़ना है, तुम्हारे ऊपर केस करना है हमने, और मजिस्ट्रेट साहिबा ज़ेबा, आप भी तैयार हो जाएँ, आपके ऊपर भी हम ऐक्शन लेंगे."
महिला जज के कथित अपमान के आरोप में इमरान ख़ान पर मुक़दमा दर्ज कर लिया गया था. जाँचकर्ताओं का कहना था कि इमरान ख़ान ने कथित तौर पर सरकारी अधिकारियों को धमकाने से उनके ख़िलाफ़ आतंकवाद-विरोधी क़ानून तोड़ा है. (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान के पीएम शहबाज़ शरीफ़ ने इमरान ख़ान पर आरोप लगाया है कि सत्ता गंवाने के बाद पाकिस्तानी सेना को बदनाम करने की उनकी नीति रही है.
उन्होंने कहा, ''सत्ता गंवाने के बाद पाकिस्तानी सेना को एक संस्थान के तौर पर बार-बार बदनाम करना आपकी नीति रही है. क्या आप वज़ीराबाद की घटना से पहले भी सेना, ख़ुफ़िया एजेंसियां और उनके नेतृत्व को बदनाम नहीं कर रहे थे?''
वज़ीराबाद में इमरान ख़ान पर एक बंदूकधारी ने गोली चलाई थी, जिसमें वो घायल हो गए थे.
शहबाज़ शरीफ़ ने ट्विटर पर ख़ान के सवालों का जवाब देते हुए कहा, '' मुझे इस बात पर कोई शक नहीं है कि सफेद झूठ, गलत बयानबाज़ी, उलाहना और संस्थानों पर दुर्भावनापूर्ण हमले आपकी राजनीति के परिचायक हैं. आपका रवैया ऐसा है, 'मुझ पर कोई क़ानून लागू नहीं होता.''
उन्होंने इमरान ख़ान से पूछा है-
'' रोज़-रोज़ डराने-धमकाने और बेबुनियाद आरोप लगाने के अलावा आपने कौन सी क़ानून प्रक्रिया अपनाई?''
'' राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धर्म का इस्तेमाल किसने किया?''
''अपनी राजनीतिक गतिविधियों में धार्मिक शब्दों का परिचय किसने कराया?''
इमरान ख़ान ने कल ट्विटर पर शहबाज़ शरीफ़ से कई सवाल किए थे. उन्होंने पूछा था कि उन्हें क्या सेना के अधिकारी क़ानून से ऊपर होते हैं? उन्हें (इमरान) संवैधानिक अधिकार इस्तेमाल करने से क्यों वंचित क्या जा रहा है? (bbc.com/hindi)
इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी क़ानूनी है या ग़ैर क़ानूनी इस पर इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है.
इसी बीच पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ़ (पीटीआई) के चेयरमैन इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे पीटीआई के कार्यकर्ता रावलपिंडी में पाकिस्तान सेना के हेडक्वार्टर जीएचक्यू के गेट नंबर एक पर पहुंच गए हैं.
इस हवाले से बीबीसी को उपलब्ध होने वाली एक वीडियो में देखा जा सकता है कि कई प्रदर्शनकारी गेट नंबर एक के बाहर तोड़फोड़ करते हैं और फिर गेट को ज़बरदस्ती खोलकर जीएचक्यू के भीतर दाख़िल हो जाते हैं.
मौक़े पर मौजूद पत्रकार ख़ालिद चौधरी के मुताबिक़ इस स्थान पर फिलहाल प्रदर्शन अभी जारी हैं जबकि मरी रोड पर मौजूद हमज़ा कैंप के बाहर मौजूद सिक्यूरिटी चौकी को भी आग लगा दी गई है.
दूसरी तरफ़ इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ लाहौर में भी प्रदर्शन जारी हैं. जहां बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी लाहौर कैंट में कोर कमांडर हाउस के बाहर मौजूद हैं.
बीबीसी के फ़ुरक़ान इलाही के मुताबिक़ प्रदर्शनकारियों ने यहां मौजूद गाड़ियों को आग भी लगा दी है जबकि प्रदर्शनकारियों ने लाहौर कैंट में मौजूद चंद पुलिस गाड़ियों को भी आग लगी दी है.
वहीं पीटीआई के नेता शाह महमूद क़ुरैशी ने एक बयान में कहा है कि आज कोई घर ना लौटे, इमरान ख़ान लोगों के भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं. पार्टी के वाइस चेयरमैन शाह महमूद क़ुरैशी ने वीडियो ज़ारी कर पाकिस्तान के लोगों से आज घर ना बैठने का आह्वान किया है.
उन्होंने कहा, “आज आप लोगों को अपने घरों से निकलना होगा.”
अपने संदेश में उन्होंने कहा, “आज घर कोई ना बैठे. इमरान ख़ान आप लोगों के भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं. अगर आप वास्तविक आज़ादी चाहते हैं तो अपने बच्चों के साथ, परिवार के साथ बाहर निकलें.”
इसी बीच पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के कार्यवाहक मुख्यमंत्री मोहसिन नक़वी ने कहा है कि ये सियासत नहीं है, सरासर दहशतगर्दी है.
ट्विटर पर जारी एक संदेश में उन्होंने कहा कि वो पाकिस्तान पर होने वाले हमले में शामिल किसी भी व्यक्ति को छोड़ेंगे नहीं. उन्होंने कानून और व्यवस्था पर स्थायी समिति को मौजूदा हालात की निगरानी करने के लिए कहा है.
उन्होंने राज्य में क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी ज़रूरी निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि शांतिपूर्वक प्रदर्शन हर किसी का अधिकार है लेकिन किसी को क़ानून अपने हाथ में लेने नहीं दिया जाएगा. (bbc.com/hindi)
अली काज़मी
इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी की ख़बर आते ही उनकी पार्टी तहरीक-ए- इंसाफ़ के प्रदर्शनकारी लाहौर में इमरान ख़ान के घर के बाहर इकट्ठा हुए.
इसके अलावा शहर के लिबर्टी चौक पर भी प्रदर्शनकारियों से जुटने का आह्वान किया गया था.
पीटीआई के कार्यकर्ता अक्सर यहां प्रदर्शन करते रहे हैं. जब पाकिस्तान में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था तब भी पीटीआई कार्यकर्ताओं ने लिबर्टी चौक पर प्रदर्शन किया था.
ये माना जा रहा था कि पिछली बार की तरह इस बार भी लिबर्टी चौक पर ही प्रदर्शनकारी जमा होंगे.
शाम चार बजे के बाद ज़मान पार्क में इमरान ख़ान के घर के बाहर पीटीआई कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच ज़बरदस्त हिंसा हुई है.
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया है. धीरे-धीरे प्रदर्शनकारियों की तादाद बढ़ती गई. इमरान ख़ान के घर से एक सड़क सीधे लाहौर कैंट की तरफ़ जाती है.
इमरान ख़ान के घर पर जुटे प्रदर्शनकारियों ने लाहौर कैंट की तरफ़ चलना शुरू कर दिया. रास्ते में चलते हुए प्रदर्शनकारी कह रहे थे कि वो कैंट में घुस जाएंगे.
सेना की छावनी में घुसे इमरान समर्थक
इस दौरान जिन प्रदर्शनकारियों से बीबीसी की बात हुई उनका कहना था कि जो घटनाक्रम हुआ है उसके लिए पाकिस्तान की सेना ज़िम्मेदार है.
शाम पांच बजे के क़रीब प्रदर्शनकारी एक गेट से लाहौर कैंट के अंदर दाख़िल हो गए.
यहां सेना की एक बड़ी चौकी है. यहां लाहौर कैंट में दाख़िल होने वाले वाहनों और लोगों की गहन सुरक्षा जांच की जाती है. यहां सेना का सख़्त नियंत्रण रहता है.
लेकिन जब बीबीसी की टीम यहां पहुंची तो पुलिस या सेना का कोई जवान मौजूद नहीं था. अर्धसैनिक बलों का भी कोई जवान यहां नहीं था.
पीटीआई के कार्यकर्ता आराम से लाहौर कैंट के भीतर दाख़िल हो रहे थे. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने सुरक्षा बैरियर हटा दिए और यहां आगजनी शुरू कर दी.
पुलिस की जो गाड़ियां लाहौर कैंट के पास मौजूद थी उन्हें प्रदर्शनकारियों ने जला दिया.
लाहौर कैंट में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें भी हुई हैं. गाड़ियों को आग लगाने के दौरान कई धमाके भी हुए.
हिंसक भीड़, पुलिस पीछे हटी
भीड़ के हिंसक होने के बाद यहां पुलिस को पीछे हटना पड़ा.
कैंट में दाख़िल होने के बाद प्रदर्शनकारियों का इरादा यहां के कोर कमांडर के घर में दाख़िल होने का था. इस भीड़ में अधिकतर प्रदर्शनकारी युवा था और वो बहुत आक्रोश में नज़र आ रहे थे.
हालांकि धीरे-धीरे परिवार भी इस प्रदर्शन में शामिल हो रहे थे.
जब बीबीसी टीम कोर कमांडर के घर पहुंची तो देखा कि उसके मुख्य दरवाज़े को तोड़ दिया गया था, बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी वहां मौजूद थे. यहां गाड़ियों को जलाया गया था और घर में आगजनी भी की गई थी.
इस दौरान बीबीसी की टीम को कैंट के किसी चौराहे या सुरक्षा चौकी पर सेना के जवान नहीं नज़र आए.
किसी भी जगह ऐसा नहीं लगा कि सेना ने इन प्रदर्शनकारियों को किसी तरह से रोकने की कोशिश की हो.
शाम ढलने के बाद भी प्रदर्शनकारी कैंट के भीतर मौजूद थे. ये अप्रत्याशित और अभूतपूर्व स्थिति है.
ये माना जा रहा था कि प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ ऑपरेशन होगा लेकिन सेना की तरफ़ से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. हो सकता है रात में या कल सुबह सेना कोई एक्शन ले.(bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 9 मई। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अर्द्धसैनिक बलों द्वारा इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में गिरफ्तार किये जाने से कुछ घंटे पहले मंगलवार को एक आतंकवाद रोधी अदालत ने कई मामलों में उनकी अंतरिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली थी।
खान अभी देश भर में 121 मामलों का सामना कर रहे हैं, जिनमें राजद्रोह, आतंकवाद, ईशनिंदा और हिंसा भड़काने के आरोप शामिल हैं।
डॉन अखबार की खबर के अनुसार, आतंकवाद रोधी अदालत के न्यायाधीश राजा जवाद अब्बास ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख की अर्जी पर सुनवाई की। खान ने यहां 18 मार्च को संघीय न्यायिक परिसर के बाहर हुई हिंसा से जुड़े मामलों में जमानत देने का अनुरोध किया था।
अदालत ने सभी सात मामलों में 50,000 पाकिस्तानी रुपये के मुचलके पर खान (70) को जमानत दे दी।
पूर्व प्रधानमंत्री खान को मंगलवार को अर्धसैनिक बलों ने उस वक्त गिरफ्तार कर लिया, जब वह भ्रष्टाचार के एक मामले में सुनवाई के लिये इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में मौजूद थे।
खान ने एक दिन पहले, उनकी हत्या की कथित तौर पर साजिश रचने को लेकर देश की सेना पर निशाना साधा था।
राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) के एक अधिकारी ने यह पुष्टि की है,“खान को रियल एस्टेट कारोबारी मलिक रियाज को जमीन स्थानांतरित करने के मामले में गिरफ्तार किया गया है और उन्हें एनएबी को सौंपा जा रहा है।”
इस बीच, इस्लामाबाद पुलिस ने महानिरीक्षक (आईजी) अकबर नासिर खान के हवाले से एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया है कि खान को उस मामले में गिरफ्तार किया गया है जिसमें आरोप है कि उन्होंने और उनकी पत्नी बुशरा बीबी ने 50 अरब पाकिस्तानी रुपये को वैध बनाने के लिए एक रियल एस्टेट कंपनी से रिश्वत ली थी।
पूर्व प्रधानमंत्री खान, अपनी पत्नी बुशरा और पार्टी के अन्य नेताओं के साथ एनएबी की जांच का सामना कर रहे हैं। यह मामला इमरान खान नीत (अपदस्थ) सरकार और एक रियल एस्टेट कारोबारी के बीच हुए एक समझौते से संबद्ध है, जिससे देश के राजकोष को 19 करोड़ पाउंड का नुकसान हुआ था।
खान ने पूर्व में कहा था कि पिछले साल प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ होने के बाद से उनके खिलाफ देश भर में 140 से अधिक मामले दर्ज किये गये हैं।
खान ने हाल में मामलों की एक सूची इस्लामाबाद उच्च न्यायालय को सौंपी थी। सूची में कहा गया है कि उनके खिलाफ 31 मामले संघीय राजधानी में और 30 मामले लाहौर में दर्ज किये गये हैं तथा नोटिस जारी किये गये हैं।
सूची के मुताबिक, खान के खिलाफ आतंकवाद के 12 मामले लाहौर में दर्ज किये गये हैं और फैसलाबाद में 14 मामले दर्ज किये गये हैं। उनके खिलाफ आतंकवाद के करीब 22 मामले देश के विभिन्न हिस्सों में दर्ज किये गये हैं।
इस्लामाबाद की एक अदालत उन्हें 10 मई को अभ्यारोपित करने वाली है जिसमें उन्होंने कथित तौर पर राजकीय तोहफों की बिक्री को छिपाने का कृत्य किया था।
हालांकि, भ्रष्टाचार के जिस मामले की सुनवाई के लिए खान मंगलवार को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में उपस्थित थे, वह इस सूची में शामिल नहीं है।
क्रिकेटर से राजनेता बने खान ने मंगलवार को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय से उन्हें एक अन्य मामले में अंतरिम जमानत देने का अनुरोध किया, जो आवश्यक अनुमति के बिना इस्लामाबाद में एक रैली कर धारा 144 का उल्लंघन को लेकर उनके खिलाफ दर्ज है।
अनुमति के बिना शनिवार को इस्लामाबाद में एक रैली करने को लेकर पुलिस ने खान और उनकी पार्टी के नेताओं के खिलाफ एक मामला दर्ज किया था।
खान के वकील सलमान सफदर द्वारा दायर एक याचिका के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री ने इस्लामाबाद के पुलिस महानिरीक्षक, महाधिवक्ता और एक अतिरिक्त अटार्नी जनरल को पत्र लिख कर उन्हें जांच में शामिल करने का आग्रह किया लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल अप्रैल में संसद में अविश्वास प्रस्ताव के जरिये खान को प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ किये जाने के बाद से उनके खिलाफ 120 से अधिक मामले दर्ज किये गये हैं।
हालांकि, उन्होंने इन सभी मामलों को फर्जी और गढ़ा हुआ करार देते हुए दावा किया है कि ये उन्हें राजनीतिक परिदृश्य से बाहर रखने के लिए दर्ज किये गये हैं।
अखबार की खबर के अनुसार, याचिका में कहा गया है कि खान जांच में शामिल होना चाहते हैं लेकिन सुरक्षा एजेंसियां सरकार के हाथ की कठपुतली बन गई हैं। इसमें कहा गया है कि बार-बार पत्र लिखे जाने के बावजूद खान को जांच में शामिल नहीं किया गया। (भाषा)
(अदिति खन्ना)
लंदन, 9 मई। अंतरराष्ट्रीय धन शोधन और लोगों की तस्करी में शामिल पश्चिम लंदन के एक संगठित अपराध समूह की जांच के बाद भारतीय मूल के पुरुषों और महिलाओं सहित 16 लोगों को दोषी ठहराया गया है। राष्ट्रीय अपराध एजेंसी (एनसीए) ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
आपराधिक समूह के सदस्यों ने 2017 और 2019 के बीच दुबई में कई यात्राएं कीं और धन शोधन के तहत काफी नकदी ब्रिटेन से बाहर पहुंचाई। एनसीए जांचकर्ताओं का मानना है कि यह धनराशि प्रतिबंधित ‘‘श्रेणी ए’’ दवाओं की बिक्री और संगठित आव्रजन अपराध से अर्जित की गई थी।
एनसीए के वरिष्ठ जांच अधिकारी क्रिस हिल ने कहा, ‘ वाणिज्यिक पैमाने पर धनशोधन और संगठित अप्रवासी अपराध में शामिल एक संगठित अपराध समूह की विस्तृत जांच की गई।’’
उन्होंने कहा कि यह मामला जनता की सुरक्षा के लिए एनसीए की प्रतिबद्धता को दिखाता है और लोगों की तस्करी और धनशोधन दोनों में शामिल आपराधिक नेटवर्क को निशाना बनाया गया है।
उन्होंने बताया कि पहले मुकदमे में चरण सिंह, वलजीत सिंह, जसबीर सिंह कपूर, जसबीर सिंह ढल को आपराधिक धन को ठिकाने लगाने और धनशोधन मामले में दोषी पाया गया जबकि स्वंदर सिंह ढल को आपराधिक संपत्ति को हटाने और आव्रजन कानून के उल्लंघन की साजिश रचने का दोषी पाया गया। दिलजन सिंह मल्होत्रा को आव्रजन कानून के उल्लंघन की साजिश रचने का दोषी पाया गया।
उन्होंने कहा कि दूसरे मुकदमे में अमरजीत अलबादिस, जगिंदर कपूर, जैकदर कपूर, मनमोन सिंह कपूर, पिंकी कपूर और जसबीर सिंह मल्होत्रा को दोषी ठहराया गया। (भाषा)