अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार को कहा है कि नई दिल्ली में जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान उनकी रूस या चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात की कोई योजना नहीं है.
बुधवार को ब्लिंकन थोड़े समय के लिए कज़ाखस्तान और उज़्बेकिस्तान के दौरे पर थे जहां से उन्हें जी-20 की मीटिंग के लिए नई दिल्ली रवाना होना है.
माना जा रहा है कि नई दिल्ली की बैठक में यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा हो सकती है. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और चीन के विदेश मंत्री क्विन गांग इस मीटिंग में शामिल हो जा रहे हैं.
ब्लिंकन ने उज़्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में कहा, "जी-20 में किसी से (चीन या रूस के विदेश मंत्री) मिलने की मेरी कोई योजना नहीं है. हालांकि किसी सामूहिक चर्चा में हम निश्चित रूप से शामिल होंगे."
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, रूस के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया है कि सर्गेई लावरोव नई दिल्ली में भारत की मेजाबनी वाले डिनर से पहले कम से कम सात देशों के विदेश मंत्रियों से मिलेंगे.
इस डिनर में 40 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों के शामिल होने की संभावना है. जी-20 की मुख्य मीटिंग गुरुवार को होगी. (bbc.com/hindi)
-रियाज़ सोहेल
पाकिस्तान, 1 मार्च । डॉक्टर सहरिश पीरज़ादा की माता-पिता के घर से विदाई हुई तो वह अपने पति के घर के जाने की बजाए शादी का सुर्ख़ जोड़ा पहने सड़क पर अपने दूल्हे और बारातियों के साथ महंगाई के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रही थीं.
ये घटना सिंध के नवाबशाह शहर की है.
पाकिस्तान में हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री इसहाक़ डार ने अतिरिक्त राजस्व के लिए जीएसटी की दर को 17 से 18 फ़ीसद कर दिया जबकि लग्ज़री सामान पर जीएसटी की दर को 17 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया.
इसके अलावा इनकम टैक्स की कैटेगरी में शादी और दूसरे उत्सवों पर 10 प्रतिशत के हिसाब से एडवांस टैक्स लगा दिया गया.
डॉक्टर सहरिश और यासिर बरड़ू की शादी के बाद महंगाई के ख़िलाफ़ प्रदर्शन की वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुई जिसमें बाराती 'आटा महंगा, गैस महंगी, चीनी महंगी, बिजली महंगी' और 'हाय-हाय' के नारे लगा रहे थे.
डॉक्टर सहरिश ने बीबीसी से बात करते हुए बताया कि विदाई के बाद उनके शौहर ने उनसे कहा कि वह घर नहीं जाएंगे बल्कि पहले महंगाई के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करेंगे जिस पर उन्होंने हामी भरी.
"बारात में दो-तीन पिकअप वैन, तीन कारें थीं जिनमें बाराती थे. उनमें औरतें और मर्द दोनों ही शामिल थे. उन सब ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया. मैं नारे तो नहीं लगा रही थी, सिर्फ़ शर्मा रही थी, थोड़ा-सा अजीब ज़रूर लग रहा था, लेकिन यह यादगार था."
अनोखा प्रदर्शन
25 फ़रवरी को सूरज ढल चुका था, आसपास की गाड़ियों की लाइटें और शहर में दुकानों के बल्ब जल चुके थे. इसी बीच ये दूल्हा-दुल्हन बारातियों संग नारे लगाते हुए प्रेस क्लब गए.
वहां दूसरे आम लोग भी इस अनोखे प्रदर्शन को देखने के लिए जमा हो गए. सहरिश के अनुसार, लोगों ने समझा कि यह कोई बनावटी प्रदर्शन है या कोई शूटिंग हो रही है. लेकिन बाद में उन्हें मालूम हुआ कि यह तो सचमुच का प्रदर्शन है.
यासिर बरड़ू पहले राजनीतिक कार्यकर्ता रहे हैं और अब सरकारी स्कूल में टीचर हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया कि इस प्रदर्शन की योजना पहले से नहीं बनाई गई थी बल्कि वहां बैठे-बैठे ही इसका ख़्याल आया था क्योंकि अभी की महंगाई से हर कोई प्रभावित है और वह भी इसका सामना कर रहे हैं. प्रदर्शन के लिए उन्होंने अपने दोस्तों से राय मशवरा किया जिन्होंने इसका समर्थन किया.
यासिर बरड़ू के अनुसार, उन्होंने विदाई के बाद अपनी दुल्हन को प्रदर्शन के फ़ैसले की जानकारी दी जिन्होंने इसके लिए रज़ामंदी जताई. इसके बाद वह दौलतपुर की सड़क पर प्रदर्शन के लिए निकल पड़े.
पाकिस्तान में महंगाई बड़ा मुद्दा
यासिर बरड़ू के अनुसार, वह महंगाई के साथ-साथ सिंध मार्च के भागीदारों से एकजुटता भी दिखाना चाहते थे.
सिंध यूनाइटेड पार्टी के अध्यक्ष और सिंधी राष्ट्रवाद के नेता जे.एम. सैयद के पोते ज़ैन शाह के नेतृत्व में सक्खर से कराची तक पैदल लॉन्ग मार्च किया जा रहा है जिसमें महंगाई, बेरोज़गारी से मुक्ति और बाढ़ से प्रभावित लोगों के पुनर्वास की मांगें शामिल हैं.
पाकिस्तान में दैनिक इस्तेमाल के सामान के दाम में वृद्धि के ख़िलाफ़ राजनीतिक व धार्मिक दलों की ओर से भी प्रदर्शन का सिलसिला जारी है.
इमरान ख़ान की तहरीक-ए-इंसाफ़ ने पिछले दिनों प्रदर्शन किए जबकि तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान की ओर से कराची समेत पाकिस्तान भर में हड़ताल का आह्वान किया गया था जिस पर कई शहरों में कारोबार बंद रहा था. (bbc.com/hindi)
चीन, 1 मार्च । कोरोना महामारी के बाद एशिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यस्थाओं में बिल्कुल उलट ट्रेंड दिखाई दे रहे हैं.
जहां चीन में मैन्युफ़ैक्चरिंग गतिविधियां पिछले एक दशक में सर्वाधिक रफ़्तार से बढ़ रही है, वहीं जापान में पिछले दो साल के मुकाबले मैन्युफ़ैक्चरिंग में सबसे तेज़ी से कमी आई है.
पूरी दुनिया में कोरोना महामारी के बाद से औद्योगिक उत्पादन को पटरी पर लाने की पुरज़ोर कोशिशें हो रही हैं.
चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ़ स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, चीन की मैन्युफ़ैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) जनवरी में 50.1 से बढ़ कर 52.5 हो गया है. अप्रैल 2012 के बाद से ये सबसे तेज़ी से बढ़ा है.
जबकि जापान में निजी मैन्युफ़ैक्चरिंग पीएमआई सूचकांक फ़रवरी में 47.7 रहा. जनवरी में ये 48.9 था. जापान की अर्थव्यवस्था में गिरावट की रफ़्तार सितम्बर 2020 के बाद सबसे अधिक है.
यह इंडेक्स या सूचकांक अर्थव्यवस्था के ट्रेंड को दर्शाता है.
पीएमआई एक पैमाना है जिसका आकलन 0 से 100 के बीच किया जाता है.
अगर ये रीडिंग 50 से ऊपर है तो इसका मतलब पिछले महीने के मुकाबले अर्थव्यवस्था में विस्तार हुआ है. अगर कम है तो इसका मतलब है अर्थव्यवस्था की रफ़्तार में कमी आई है.
कोरोना वायरस के दौरान कड़े प्रतिबंधों के बाद चीन का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर रहा है.
पिछले साल ही दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले चीन में प्रतिबंधों में ढील दी गई थी.
चीन के लिए 2022 का साल अर्थव्यवस्था में विकास दर के लिहाज से आधी सदी में सबसे बुरा रहा क्योंकि वहां लंबे समय तक लॉकडाउन को कड़ाई से लागू किया गया था. (bbc.com/hindi)
(ललित के झा)
वाशिंगटन, 1 मार्च। पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने वाले शीर्ष अमेरिकी सीनेटरों के एक समूह ने बताया कि उन्होंने यूक्रेन युद्ध के विषय में प्रधानमंत्री से कहा कि यह निरंकुशता और लोकतंत्र के बीच लड़ाई है।
समूह ने इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन को और मदद मुहैया कराने के लिए लोकतांत्रिक देशों को एकजुट होना चाहिए।
सीनेट में बहुमत के नेता चार्ल्स शूमर ने वाशिंगटन में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘जब हम भारत में थे, तो हमें वहां नेताओं से बात करने का मौका मिला। हमने यह भी तर्क दिया कि यह निरंकुशता और लोकतंत्र के बीच की लड़ाई है। जब हमने प्रधानमंत्री मोदी से बात की, तो हमने उनके समक्ष यह मामला उठाया।’’
शूमर के साथ भारत आए अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल में सीनेटर रॉन विडेन, जैक रीड, मारिया कैंटवेल, एमी क्लोबुचर, मार्क वार्नर, गैरी पीटर्स, कैथरीन कॉर्टेज-मस्तो और पीटर वेल्च शामिल थे। ये सभी सीनेटर सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी से ताल्लुक रखते हैं।
शूमर ने कहा कि भारतीय नेता के साथ मुलाकात के दौरान सीनेटर अधिक स्पष्ट थे। उन्होंने कहा, ‘‘अगर रूस जैसी निरंकुशता प्रबल होती है, तो चीन जैसी निरंकुशता को और बल मिल सकता है। यह सिर्फ ताइवान का मसला नहीं है। वर्षों से चीन और भारत के बीच सीमा विवाद रहा है। हाल ही में वहां संघर्ष हुआ था।’’
शूमर ने कहा, ‘‘यूक्रेन में लड़ाई का प्रभाव वहां (भारत में) भी होगा। हमने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका को जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य प्रशांत सहयोगियों के साथ सहयोग और समन्वय करना चाहिए। भारत को सहकारी विकास और सह-उत्पादन प्रणाली के बारे में सोचना शुरू करना चाहिए, ताकि हम अपने रक्षा औद्योगिक आधार का विस्तार कर सकें।’’
अपनी भारत यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए न्यूयॉर्क के सीनेटर शूमर ने कहा, ‘‘अगर हम इस सदी में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को पछाड़ना चाहते हैं, तो अमेरिका और पश्चिमी देशों को भारत के साथ अपने संबंधों को गहरा करने का प्रयास जारी रखना होगा।’’ (भाषा)
-राघवेंद्र राव
तवांग, 1 मार्च । तवांग में वो धान की कटाई का वक़्त था. वो लोग रात-दिन चारों तरफ़ से हमला करते हुए तवांग में आए तो लोग यहाँ से भागने लगे."
थुतान चेवांग की उम्र उस समय सिर्फ़ 11 साल थी. लेकिन अपनी आँखों से देखे हुए युद्ध की बहुत सी घटनाएं उन्हें आज भी साफ़-साफ़ याद हैं.
वो साल 1962 का अक्टूबर का महीना था. चीन ने भारत के पूर्वोत्तर में नॉर्थ ईस्ट फ़्रंटियर एजेंसी (वर्तमान अरुणाचल प्रदेश) के इलाक़े पर अचानक हमला कर दिया था. हमला इतनी तेज़ी से हुआ था कि कुछ इलाक़ों में कड़े प्रतिरोध के बावजूद भारतीय सेना चीनी सेना के सामने टिक नहीं पा रही थी.
सीमा से क़रीब 35 किलोमीटर दूर स्थित तवांग जल्द ही चीन के क़ब्ज़े में आ गया और अगले एक महीने तक चीन के क़ब्ज़े में ही रहा.
साठ साल बाद उस युद्ध की यादें धुंधला ज़रूर गई हों, लेकिन उसकी परछाईं आज भी इस इलाक़े के लोगों के ज़हन में क़ायम है.
बड़े होकर थुतान चेवांग भारत के एक अर्ध-सैनिक बल के सिपाही बने और 28 साल की नौकरी के बाद रिटायर हो गए.
वे कहते हैं कि युद्ध के समय लोगों ने जिन मुश्क़िलों का सामना किया वो उसे कभी नहीं भुला सकते.
'बुरे सपने जैसा था युद्ध'
थुतान चेवांग कहते हैं, "इस इलाक़े में सड़कें तक नहीं थीं. लोग रात-दिन जंगलों से गुज़र कर सुरक्षित निचले इलाक़ों तक पहुंचे. उन्होंने खच्चरों पर राशन ढोया. वो सब एक बुरे सपने जैसा था."
1962 के युद्ध को अपनी आँखों से देखने वाले कई बुज़ुर्गों से बात कर तवांग में रहने वाले नवांग छोट्टा ने एक किताब लिखी.
वो कहते हैं, "सबको अपनी जान प्यारी थी और लोग अपने परिवार के साथ किसी सुरक्षित जगह पर भागना चाह रहे थे. आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि उस समय यहाँ गाड़ियां तो थी नहीं. तो पैदल आप जायेंगे भी तो कितना दूर जाएंगे."
लोबसांग त्सेरिंग साल 1962 में 11 साल के थे. वे बताते हैं कि चीन का हमला होने के बाद उनके माता-पिता उन्हें लेकर असम तक चले गए थे. युद्ध ख़त्म होने के बाद ही वो वापस तवांग लौट सके.
क़रीब एक महीने बाद नवंबर में चीन ने युद्धविराम की घोषणा की और अपनी सेना को पीछे हटा लिया. लेकिन बहुत से लोग इस बात पर यक़ीन नहीं कर पा रहे थे.
तवांग में रहने वाले ल्हाम नोरबू कहते हैं, "ये कहा गया कि चीन की सेना वापस चली गई है. कुछ लोग कहने लगे कि ये बात झूठ होगी क्योंकि जब चीन युद्ध में जीत गया है तो वो पीछे क्यों हटेगा.
कुछ लोगों को शक़ था कि शायद भारत उनसे झूठ कह रहा है और अब उन्हें चीन को सौंप दिया जायेगा. जब उन्हें भरोसा दिलाया गया कि ऐसी कोई बात नहीं है, तब वो लोग वापस आए."
युद्ध की भयावह यादें
तवांग से जान बचा कर भागे हुए लोग जब कुछ महीनों बाद वापस लौट रहे थे तो रास्ते में उन्होंने कई ख़ौफ़नाक मंज़र देखे.
रिनचिन दोरजे आज भी उन दृश्यों को याद कर सिहर जाते हैं. वे कहते हैं, " जब हम वापस लौट रहे थे तो हमने देखा कि चीन की सेना ने भारतीय सैनिकों के शव सड़कों पर रख दिए थे."
ल्हाम नोरबू भी आज तक उस दृश्य को भूल नहीं पाए हैं. वे कहते हैं, "चीनी सेना अपने सैनिकों के शव गाड़ियों में ले गई और भारतीय सैनिकों के शव जंगलों से निकालकर रास्ते में रख दिए. बहुत लोग मरे थे."
नवांग छोट्टा के मुताबिक़, उस समय चीनी सेना ने बहुत कोशिश कि वो स्थानीय लोगों को विश्वास में लेकर उनसे कुछ मदद ले सके.
वे कहते हैं, "इस बारे में जब मैंने अपने बुज़ुर्गों से बात की तो उन्होंने बताया कि चीन की सेना यहाँ के लोगों के विश्वास को कभी नहीं जीत पाई और उनसे उनको मदद न के बराबर मिली."
लगातार सुर्ख़ियों में तवांग
तवांग भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश का वो इलाक़ा है जो पिछले कई सालों से सुर्ख़ियों में रहा है.
बौद्ध धर्म का एक बड़ा केंद्र होने का साथ-साथ ये वो जगह है जिसका 14वें दलाई लामा तेंज़िन ग्यात्सो से एक ख़ास रिश्ता है.
साल 1959 में तिब्बत से पलायन करने के बाद 14वें दलाई लामा तेनज़िन ग्यात्सो कुछ वक़्त तक तवांग मोनेस्टरी में ही रहे थे.
तवांग एक ऐसा इलाक़ा है जो 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान क़रीब एक महीने तक चीनी नियंत्रण में रहा.
ये एक ऐसा इलाक़ा है जो दोनों देशों के बीच आज भी विवाद की वजह बना हुआ है.
इसी विवाद की एक झलक पिछले साल दिसंबर के महीने में देखने को मिली जब तवांग के यांग्त्ज़े इलाक़े में दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प हुई.
भारत ने तब कहा था कि चीन की सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अतिक्रमण कर के यथास्थिति बदलने की कोशिश की.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में इस मामले पर बयान देते हुए कहा था कि 'भारतीय सेना ने चीन की सेना को भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका और चीनी सैनिकों को अपनी पोस्ट पर वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया.'
इस इलाक़े में ये पहली झड़प नहीं थी. अक्टूबर 2021 में भी दोनों देशों की सेनाएं यांग्त्ज़े में आमने-सामने आ गई थीं.
'लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल' तक का सफ़र
तवांग शहर से मौजूदा वास्तविक नियंत्रण रेखा महज़ 35 किलोमीटर दूर है.
बुम-ला दर्रे की घुमावदार सड़कों से गुज़र कर ही एलएसी तक पहुंचा जा सकता है.
बुम-ला दर्रे से गुज़रते वक़्त पंद्रह हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर हवा में ऑक्सीजन की कमी तो महसूस होती है.
साथ ही नज़र आती हैं कई प्राकृतिक झीलें जिनका पानी कम तापमान की वजह से जम गया है.
ये वही जगह है जहाँ 1962 में दोनों देशों के बीच युद्ध के दौरान कई लड़ाइयां लड़ी गयीं.
उन लड़ाइयों की कुछ निशानियां आज भी इस इलाक़े में देखी जा सकती हैं.
जगह-जगह सड़क के किनारे वो बंकर अभी भी मौजूद हैं जिनमें पोज़िशन्स लेकर भारतीय सेना ने चीनी हमले का मुक़ाबला किया था.
ये बंकर आज खाली ज़रूर हैं, लेकिन एलएसी के नज़दीक के इलाक़ों में भारतीय सेना की एक बड़ी उपस्थिति देखी जा सकती है.
दोनों देशों के बीच पिछले कुछ समय से जिस तरह का तनाव चल रहा है, ये सैन्य उपस्थिति हैरान नहीं करती.
इस बड़ी सैन्य उपस्थिति के बावजूद दर्जनों सैलानी अनुमति लेकर तवांग से एलएसी का सफ़र हर दिन तय करते हैं.
पर्यटकों को बुम-ला दर्रे के ज़रिये एलएसी तक ले जाना तवांग के टैक्सी चालकों के लिए आमदनी का एक बड़ा ज़रिया है.
तवांग युद्ध स्मारक
भारतीय सेना के मुताबिक़, इस युद्ध के दौरान कामेंग सेक्टर में 2,420 भारतीय सैनिकों की मौत हुई. इन सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए तवांग में एक युद्ध स्मारक बनाया गया है.
यहाँ रखी गई कुछ दुर्लभ तस्वीरों में साल 1959 की वो तस्वीर भी शामिल है जिसमें 14वें दलाई लामा को तिब्बत से पलायन करने के बाद भारत में देखा जा सकता है.
ये स्मारक युद्ध की तस्वीरों, हथियारों और अन्य सैनिक साज़ो-सामान के ज़रिये आज भी 1962 की भयावह यादों को ताज़ा रखे हुए हैं.
नवांग छोट्टा कहते हैं, "उस घटना को हमलोग इसीलिए नहीं भूले हैं क्योंकि वो हमारे लिए एक बहुत बड़ा सबक है कि दुश्मन की मीठी बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए. एक सबक लिया है हमने उससे."
'कैफ़े 62'
1962 के युद्ध से जुड़ी यादें शायद धुंधली ज़रूर हो गई हों, लेकिन लोगों के ज़हन से निकली नहीं हैं.
तवांग से क़रीब 35 किलोमीटर दूर जंग नाम के छोटे से क़स्बे में हमें ऐसी ही एक मिसाल दिखी.
सेना में 21 साल नौकरी करने के बाद जब रिनचिन ड्रेमा रिटायर हुए तो उन्होंने एक कैफ़े खोला.... 'कैफ़े 62'.
रिनचिन ड्रेमा कहते हैं, "1962 में चीन के साथ जो लड़ाई हुई थी उसकी वजह से हमारे बुज़ुर्गों को बहुत तंग किया था उन लोगों ने. उसी के यादगार के तौर पर हमने इस कैफ़े का नाम रखा."
'कैफ़े 62' के ज़रिये रिनचिन ड्रेमा 1962 युद्ध की यादों को ज़िंदा रखना चाहते हैं.
'सीमा पर मुठभेड़ कोई नई बात नहीं'
तवांग शहर में लोगों का कहना है कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा पर मुठभेड़ उनके लिए एक सामान्य-सी बात बन गई है.
वे कहते हैं कि दिसंबर में हुई झड़प के बाद भी तवांग में कोई डर या तनाव का माहौल नहीं था, लेकिन क़ारोबार पर असर ज़रूर पड़ा.
करमु तवांग के बाज़ार में कपड़ों की एक दुकान चलाती हैं. वो कहती हैं, "हम स्थानीय लोगों को कोई डर नहीं है. अक्सर मीडिया में ख़बर आने के बाद ही हमें पता चलता है कि इस तरह का कुछ हुआ है. लेकिन मीडिया में शोर-शराबा मचने के बाद यहाँ पर्यटकों का आना कम हो जाता है."
तवांग के बाज़ार में एक गिफ़्ट शॉप चलाने वाले तेंजिन दारगे भी ज़ोर देकर कहते हैं कि सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच होने वाली झड़पों का तवांग के लोगों पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ता.
वे कहते हैं, "यहाँ जीवन सामान्य है. हमें ख़बरों से ही पता चलता है कि सीमा पर झड़प हुई है. हम तो यहाँ एक सामान्य-सा जीवन जी रहे हैं. कोई उतार-चढ़ाव नहीं है."
तवांग के बहुत से लोग मानते हैं कि 1962 के मुक़ाबले भारतीय सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए कहीं बेहतर तैयार है. स्थानीय लोग कहते हैं कि 1962 की भारतीय सेना और आज की भारतीय सेना में बहुत फ़र्क़ है.
साथ ही वो ये भी कहते हैं कि पिछले कुछ सालों में इस पूरे इलाक़े में सड़क मार्गों में बहुत सुधार हुआ है जिसकी वजह से भारतीय सेना सीमा तक सैनिक और रसद बहुत तेज़ी से पहुँचाने की स्थिति में आ गई है.
नवांग छोट्टा कहते हैं, "तवांग के किसी भी स्थानीय से बात कर लीजिये, वो यही बोलेंगे कि भारतीय सेना तो है ही और ज़रूरत पड़ी तो पीछे हम भी खड़े हैं."
लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि जहाँ बात चीन की हो वहां सावधानी बरतना ही बेहतर है.
थुतान चेवांग कहते हैं, "वो लोग (चीन) धोखेबाज़ी करते रहते हैं. दिन में मीटिंग करते हैं और रात में हमला करते हैं. इसलिए हमें हमेशा आँख और कान खुले रखने होंगे. उन पर ज़रा सा भी विश्वास नहीं किया जा सकता." (bbc.com/hindi)
रूस, 1 मार्च । राष्ट्रपति पुतिन ने रूस में सरकारी कामकाज की भाषा में ग़ैर-रूसी भाषा के शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है.
इनमें 'ब्लॉगर', 'मीटिंग', 'टॉक शो' और 'फेस-कंट्रोल' जैसे अक्सर इस्तेमाल होने वाले शब्द शामिल हैं.
राष्ट्रपति पुतिन ने इसके लिए एक भाषा संशोधन क़ानून पर दस्तखत भी किए हैं.
इस संशोधन क़ानून में कहा गया है कि सरकारी कामकाज में रूसी भाषा के शब्द और भाव ही व्यक्त किए जाएं और विदेशी मूल के शब्द तभी इस्तेमाल में लाए जाएं जबकि उनकी जगह रूसी भाषा का कोई शब्द उपलब्ध ना हो.
बहुत से रूसी लोग अंग्रेज़ी और दूसरी अंतरराष्ट्रीय भाषाओं के बढ़ते इस्तेमाल को पसंद नहीं करते हैं.
रूस में 'कॉटेज', 'हाउस', 'फॉरेस्ट' जैसे शब्द रूसी भाषा के विकल्प मौजूद हैं, पर फिर भी इंग्लिश के ये शब्द लोकप्रिय होते देखे जा रहे हैं जबकि युवाओं में 'ब्लॉगर', 'मीटिंग', 'टॉक शो' और 'फेस-कंट्रोल' जैसे शब्द काफी लोकप्रिय हैं.
राष्ट्रपति पुतिन ये कहते रहे हैं कि देश को पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव से बचाए जाने की ज़रूरत है.
(bbc.com/hindi)
हांगकांग में 945 दिन बाद मास्क लगाने की अनिवार्यता को ख़त्म कर दिया है.
इसी के साथ दुनिया में कोविड से जुड़े सबसे लंबे प्रतिबंध का भी अंत हो गया है.
हांगकांग के नेता जॉन ली ने कहा, ''हांगकांग में अब वायरस नियंत्रण में है और इसके फिर से फैलने के कोई बड़े संकेत नहीं हैं.''
हांगकांग में मास्क पहनने की अनिवार्यता जुलाई 2020 में शुरू हुई थी और ये लगभग 945 दिन तक चली.
मास्क ना पहनने पर क़रीब 52 हज़ार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता था.
ली ने मंगलवार को बताया, ''मास्क पहनने की अनिवार्यता को ख़त्म करने के साथ ही हांगकांग में हालात फिर सामान्य होंगे.''
ली ने कहा, ''इस साल और अगले साल भी, हम पूरी रफ़्तार के साथ अर्थव्यवस्था और विकास के लिए काम करेंगे.''
कोरोना से निपटने के लिए हांगकांग चीन की कोशिशों को ही अपनाता रहा है. इसमें ज़ीरो कोविड रणनीति भी शामिल है.
हांगकांग में जिस तरह के प्रतिबंध लगाए गए थे, उससे कारोबार में काफ़ी नुक़सान हुआ था.
दक्षिण कोरिया में अब भी अस्पताल जाते वक़्त और सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करते हुए मास्क पहनना अनिवार्य है.
जापान ने भी कहा है कि वो 13 मार्च से मास्क पहनने से जुड़े नियमों में कुछ ढील देगा.
जापान सिर्फ़ ट्रेन और व्यस्त रहने वाले घंटों में बसों में मास्क पहनने की सिफ़ारिश करेगा.
जापान में मास्क पहनना कभी अनिवार्य नहीं था, लेकिन देश में ज़्यादातर लोग मास्क पहनते थे. (bbc.com/hindi)
कोरोना कहां से आया?
बीते तीन साल से पूछे गए इस सवालों के हर जवाब में चीन का नाम ज़रूर आया है.
अब एफ़बीआई डायरेक्टर क्रिस्टोफ़र रे ने भी इस बारे में बयान दिया है. क्रिस्टोफर रे ने कहा है कि एफ़बीआई मानता है कि चीन की सरकारी लैब में कोविड-19 के पैदा होने की सबसे प्रबल संभावना है.
क्रिस्टोफर रे ने फॉक्स न्यूज़ से कहा, ''पिछले कुछ वक़्त से एफ़बीआई ने ये पाया कि चीन की सरकारी लैब में किसी घटना के बाद महामारी की शुरुआत हुई है.''
कोविड की शुरुआत को लेकर ये पहली बार है, जब सार्वजनिक तौर पर एफ़बीआई की ओर से ये जानकारी साझा की गई है.
चीन कोरोना के वुहान में शुरू होने की बातों को नकारता रहा है और ऐसे आरोपों को अपमानजनक बताता रहा है.
एक दिन पहले ही चीन में अमेरिकी राजदूत ने ''कोविड की उत्पत्ति को लेकर ज़्यादा ईमानदार'' रहने की बात कही थी.
रे ने मंगलवार को दिए इंटरव्यू में कहा कि महामारी की उत्पत्ति से जुड़ी जानकारियां छिपाने और जांच की राह में अड़चन बनने की चीन हर संभव कोशिश करता रहा है और ये सबके लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. (bbc.com/hindi)
रूस के मॉस्को क्षेत्र में एक ड्रोन क्रैश होने की ख़बर है.
इस बारे में वहां के गवर्नर ने कहा है कि संभव है कि ये ड्रोन रिहायशी इलाक़ों पर हमला करने की कोशिश के तहत भेजा गया हो.
गवर्नर आंद्रे वोरोब्योव का ये बयान तब आया, जब रक्षा मंत्रालय ने दो यूक्रेनी ड्रोन्स को मार गिराने की जानकारी दी.
रूस के अंदर हमलों की यूक्रेन ने कोई ज़िम्मेदारी नहीं ली है.
ये ड्रोन जिस जगह क्रैश हुआ है, वहां रूस की सरकारी एनर्जी कंपनी गैज़प्रोम की ईकाई है. ये जगह मॉस्को से 100 किलोमीटर दूर है.
गैज़प्रोम ने रूस की न्यूज़ एजेंसी नोवोस्ती को बताया कि कोलोमना ज़िले में कंपनी के काम में किसी तरह की कोई रुकावट नहीं आई है.
आंद्रे वोरोब्योव ने टेलीग्राम पर लिखा, ''ड्रोन का निशाना कोलोमना में संभवत: एक रिहायशी इलाक़ा था, जिसे किसी तरह का नुक़सान नहीं पहुंचा है. किसी तरह का जान-माल का नुक़सान भी नहीं हुआ है. रूस की सिक्योरिटी सर्विस और दूसरी एजेंसियां मौक़े पर हैं और जांच जारी है.''
रूस की मीडिया और अधिकारियों की ओर से शेयर की जा रही तस्वीरों में देखा जा सकता है कि एक ड्रोन पेड़ों के बीच गिरा हुआ है और आस-पास बर्फ़ है. (bbc.com/hindi)
ग्रीस में हुए ट्रेन हादसे में कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई है.
ये हादसा दो ट्रेनों के आपस में टकराने से हुआ है. उत्तरी ग्रीस में हुए इस हादसे के बारे में इमरजेंसी सर्विसेज़ ने जानकारी दी है.
हादसा मंगलवार देर शाम को हुआ था.
बचाव दल के लोग मौक़े पर हैं और यात्रियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.
हादसे की जगह पर आग लगने की भी ख़बर है.
दुर्घटना पैसेंजर ट्रेन और मालगाड़ी के टकराने से हुई है.
फ़ायर ब्रिगेड ने बताया कि घटनास्थल पर लगी आग को बुझाने के लिए 17 गाड़ियां भेजी गई हैं.
हादसे की वजहों का अभी तक पता नहीं चल पाया है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बचाए गए एक शख़्स ने बताया- लोग घबराए हुए थे और चिल्ला रहे थे.
एक दूसरे यात्री ने कहा- ऐसा लगा जैसे भूकंप आ गया हो. (bbc.com/hindi)
चीन ने अमेरिका पर वीडियो ऐप टिकटॉक के मामले में ज़रूरत से ज़्यादा प्रतिक्रिया करने का आरोप लगाया है.
अमेरिका में सरकारी कर्मचारियों को सरकार की ओर से दिए गए फोन से टिकटॉक वीडियो ऐप हटाने के लिए कहा गया था. इसके बाद चीन की ये प्रतिक्रिया सामने आई है.
सोमवार को व्हाइट हाउस ने सरकारी एजेंसियों से 30 दिन के अंदर ये सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि दिए गए फोन से टिकटॉक ऐप हट जाएं.
इससे पहले यूरोपियन यूनियन और कनाडा में भी सरकारी कर्मचारियों को दिए गए फोन से टिकटॉक हटाने के आदेश दिए गए थे.
अमेरिकी सरकार की ओर से कर्मचारियों को फोन से टिकटॉक हटाने के आदेश जारी किए जाने के बाद चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका विदेशी कंपनियों को दबाने के लिए सरकारी ताकत का इस्तेमाल कर रहा है.
चीन विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने पत्रकारों से कहा, ‘’अमेरिकी सरकार को बाजार अर्थव्यवस्था के सिद्दांतों और प्रतिस्पर्द्धा के नियमों का सम्मान करना चाहिए. अमेरिका विदेशी कंपनियों को दबाना छोड़ दे और उनके लिए खुला और भेदभाव रहित माहौल मुहैया कराए.’’ (bbc.com/hindi)
-फरहत जावेद
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में दो अलग अलग अदालतों ने प्रतिबंधित फंडिंग और चुनाव आयोग के फैसले के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के मामलों में अदलतोें में पेश हो जाने के बाद तहरीक-ए-इंसाफ़ प्रमुख इमरान ख़ान की ज़मानत याचिका स्वीकार कर ली गई.
इमरान ख़ान मंगलवार को इस्लामाबाद के न्यायिक परिसर में सुनवाई में पेश होने के लिए लाहौर से इस्लामाबाद पहुंचे और उनके साथ बड़ी संख्या में उनकी पार्टी के कार्यकर्ता भी न्यायिक परिसर में मौजूद थे.
हालांकि इस मौके पर सुरक्षा के इंतज़ाम किए गए थे, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता सुरक्षा घेरा तोड़कर न्यायिक परिसर के भवन में घुस गए.
बैंकिंग कोर्ट की जज रख़शंदा शाहीन ने जब प्रतिबंधित फंडिंग मामले की सुनवाई की तो विशेष अभियोजक ने पूर्व प्रधानमंत्री की ज़मानत रद्द करने की गुहार लगाई.
गौरतलब है कि पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने 2 अगस्त, 2022 को पीटीआई के ख़िलाफ़ 2014 से लंबित फंडिंग मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि यह साबित हो गया है कि तहरीक-ए-इंसाफ़ को प्रतिबंधित फंडिंग मिली थी.
11 अक्टूबर को एफआईए ने इमरान खान समेत 11 लोगों के ख़िलाफ़ प्रतिबंधित फंडिंग का मामला दर्ज किया था,
प्राथमिकी के मुताबिक, आरोपियों ने विदेशी मुद्रा अधिनियम का उल्लंघन किया और निजी बैंक खातों में फंड मंगाया.
सुनवाई के दौरान इमरान ख़ान के वकील सलमान सफ़दर ने दलीलें शुरू कीं और कहा कि यह मामला 2022 में 10 साल की देरी से दायर किया गया था, जिसमें किसी प्रभावित पक्ष ने नहीं बल्कि सरकार ने यह मुकदमा दायर किया था. उन्होंने कहा कि इमरान ख़ान पर अंतरिम ज़मानत के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है.
सलमान सफ़दर ने कहा कि "जांच अधिकारी अब आरोप लगाएंगे कि इमरान ख़ान जांच में शामिल नहीं थे, मैं अदालत को बताना चाहता हूं कि इमरान ख़ान ने जांच में शामिल होने के लिए कितनी कोशिश की."
पक्षकारों की दलीलों के बाद जज ने फैसला सुरक्षित रख लिया और कुछ देर बाद फैसला सुनाते हुए अंतरिम ज़मानत अर्जी मंजूर कर ली.
इससे पहले, चुनाव आयोग के फ़ैसले के खि़लाफ़ विरोध और सरकार में दखल के मामले में आतंकवाद निरोधी अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री को अंतरिम ज़मानत दे दी थी.
इमरान खान मंगलवार दोपहर न्यायाधीश राजा जवाद अब्बास हसन की अदालत में पेश हुए, जहां सुनवाई के बाद अदालत ने उन्हें नौ मार्च तक ज़मानत देने का आदेश दिया.(bbc.com/hindi)
चीन के विदेश मंत्री क़िन गांग जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने भारत आ रहे हैं.
वो इस सप्ताह भारत पहुंचेंगे. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ चीन के विदेश मंत्रालय ने आज इसकी पुष्टि की.
जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक 2 मार्च को होगी. पूर्व चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 2019 में भारत का दौरा किया था.
उस वक़्त वो सीमा मामलों पर विशेष प्रतिनिधियों की बातचीत में हिस्सा लेने भारत आए थे.
चीन सरकार से जुड़े मीडिया 'ग्लोबल टाइम्स ने भी ट्वीट कर क़िन गांग की इस यात्रा की पुष्टि की है.
उस दौरान भारत की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अमेरिका की ओर से वांग यी ने बातचीत में हिस्सा लिया था. इसके बाद किसी चीनी विदेश मंत्री का यह पहला भारत दौरा होगा.
भारत में जारी बयान में कहा गया है कि चीनी विदेश मंत्री क़िन गांग भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के निमंंत्रण पर जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने आ रहे हैं.
मई 2020 लद्दाख में चीन और भारत के सैनिकों बीच टकराव के बाद दोनों देशों के रिश्तों को झटका लगा है.
लिहाज़ा क़िन गांग के भारत दौरे को काफी अहम माना जा रहा है. (bbc.com/hindi)
(ललित के. झा)
वाशिंगटन, 28 फरवरी (भाषा)। व्हाइट हाउस ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 की उत्पत्ति को लेकर कोई निश्चित निष्कर्ष नहीं है।
सामरिक संचार के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के समन्वयक जॉन किर्बी ने व्हाइट हाउस में अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘खुफिया तंत्र और सरकार अब भी इस पर गौर कर रही है। कोई निश्चित निष्कर्ष नहीं है, इसलिए मेरे लिए इस पर कुछ भी कहना मुश्किल है।’’
किर्बी से ऊर्जा मंत्रालय के उन निष्कर्षों पर सवाल किया गया था, जिसमें कहा गया है कि संभवत: प्रयोगशाला में रिसाव कोविड-19 वैश्विक महामारी का कारण बना। इन निष्कर्षों को पहली बार सप्ताहांत में ‘द वॉल स्ट्रीट’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति तथ्य चाहते हैं। वह चाहते हैं सरकार उन तथ्यों को सामने लाए और हम यही करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर हमारे पास बताने के लिए कुछ होगा जो अमेरिकी लोगों और कांग्रेस को ठोस जानकारी देने के लिए पर्याप्त हो तो हम ऐसा जरूर करेंगे।’’
किर्बी ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने पदभार ग्रहण करने के बाद से कोविड-19 की उत्पत्ति का पता लगाने को प्राथमिकता देने का प्रयास किया और सरकार की भी यही कोशिश रही।
उन्होंने कहा, ‘‘ अभी अमेरिकी सरकार में इस बात पर आम सहमति नहीं है कि वास्तव में कोविड-19 की उत्पत्ति कहां से हुई। खुफिया तंत्र में भी इसको लेकर सहमति नहीं है। राष्ट्रपति का मानना है कि यह वास्तव में महत्वपूर्ण है कि हम इस काम को जारी रखें और यह पता लगाएं कि इसकी उत्पत्ति कहां से हुई ताकि भविष्य में ऐसी महामारी को बेहतर ढंग से रोका जा सके।’’
चीन पर एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए किर्बी ने कहा कि जासूसी गुब्बारा प्रकरण के बारे में अमेरिका को चिंतित करने वाली बातों में से एक यह है कि इसे स्पष्ट रूप से संभावित संवेदनशील सैन्य स्थलों पर अत्यंत ऊंचाई से जासूसी करने के लिए ‘डिजाइन’ किया गया था।
अमेरिका के दक्षिणी कैलिफ़ोर्निया में भारी बर्फ़बारी कराने वाला सर्द तूफ़ान अब पूर्व दिशा की ओर बढ़ गया है. इससे वहां बवंडर आया है और हवाएं बहुत तेज़ चल रही हैं.
सोमवार को ओक्लाहोमा, कन्सास, मिसौरी और टेक्सास का मौसम बहुत ख़राब रहा.
इन इलाक़ों से कई घरों के बर्बाद होने और बिजली के तार गिरने की ख़बरें आई हैं. इससे हज़ारों लोग बिना बिजली के रहने को मजबूर हो गए हैं.
अभी तक इस तूफ़ान में कम से कम 12 लोगों के घायल होने की ख़बर है.
अमेरिका के ऊपरी मध्य पश्चिमी इलाक़े के मौसम के इस सप्ताह के अंत तक ख़राब बने रहने का अनुमान लगाया गया है.
अभी तक सबसे अधिक तबाही कैलिफ़ोर्निया में हुई है. वहां बिजली गुल हो गई और बाढ़ के हालात बन गए हैं. इस आपदा को देखते हुए सड़क और समुद्री किनारों को बंद कर दिया गया है.
सोमवार तक केवल कैलिफ़ोर्निया में क़रीब 46 हज़ार घरों में बिजली नहीं थी. वहीं टेक्सास और ओक्लाहोमा में क़रीब 28 हज़ार लोग अंधेरे में रहने को मजबूर थे.
ख़बरों के अनुसार, ओक्लाहोमा राज्य में रविवार की देर रात सात बवंडर आए. वहां से मिले वीडियो फुटेज में बवंडर से कारों के पलटने और घरों की छतें उड़ती हुई दिख रही हैं.
उत्तरी टेक्सास में ओक्लाहोमा से लगती सीमा पर हवा की गति 183 किमी प्रति घंटा दर्ज की गई. यह 'श्रेणी 3' हरीकेन के बराबर है. (bbc.com/hindi)
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएल ने पुष्प कमल दहल प्रचंड की सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया है.
वहीं सत्तारूढ़ गठबंधन का समर्थन करने वाली राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी पहले ही सरकार से अपना समर्थन वापस ले चुकी है.
बीबीसी नेपाली के मुताबिक यूएमएल के वाइस चेयरमैन बिष्णु पौडेल का कहना है कि हाल के दिनों में उनकी पार्टी के मंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री का व्यवहार ठीक नहीं है, जिसके चलते उन्हें सरकार से समर्थन वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.
दो महीने पहले ही नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने पूर्व माओवादी गुरिल्ला पुष्प कमल दाहाल प्रचंड को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था.
उस वक्त प्रचंड को केपी शर्मा ओली की पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) का समर्थन मिला था. ओली की पार्टी के पास 78 सीटें हैं.
सात दलों की गठबंधन वाली प्रचंड सरकार बनाते वक्त उनके पास अपने महज़ 32 सदस्य थे. (bbc.com/hindi)
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस का कहना है कि यूक्रेन में युद्ध से मानवाधिकार उल्लंघन की भयंकर लहर पैदा हुई है.
गुटेरेस ने मानवाधिकार परिषद में कहा है कि इस युद्ध की वजह से बड़े पैमाने पर मौतें हुई हैं, बर्बादी हुई है और लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े हैं.
उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने यौन हिंसा, ज़बरदस्ती अग़वा किए गए लोगों और हिरासत में उत्पीड़न के सैकड़ों मामलों के बारे में जानकारी जुटाई है.
रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर आक्रमण किया था. दूसरे विश्व युद्ध के बाद से रूस का यह सबसे बड़ा युद्ध है. हालांकि रूस इसे युद्ध नहीं बल्कि 'स्पेशल सैन्य ऑपरेशन' कहता है.
इस युद्ध में एक करोड़ 80 लाख से ज़्यादा लोग यूक्रेन छोड़ कर चले गए हैं. (bbc.com/hindi)
नाइजीरिया में चुनाव आयोग का कहना है कि विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार पीटर ओबी ने देश के वाणिज्यिक केंद्र लागोस शहर में सर्वाधिक वोट हासिल किए हैं.
पीटर ओबी ने सत्ताधारी दल के उम्मीदवार और लागोस के गवर्नर बोला टीनूबा को यहां मामूली अंतर से हरा दिया है.
नाइजीरिया के चुनावों में पीटर ओबी युवाओं और शहरी मतदाताओं को आकर्षित करके सबसे आगे निकले हैं.
अन्य राज्यों से भी चुनावों के नतीजे आ रहे हैं लेकिन अभी ये बताना जल्दबाज़ी होगी कि चुनाव कौन जीत रहा है.
शनिवार को हुए चुनावों में करीब नौ करोड़ मतदाताओं ने हिस्सा लिया. चुनाव शांतिपूर्ण रहे लेकिन कई इलाकों में मतदान में देरी हुई.
नाइजीरिया में चौबीस साल पहले सेना का शासन समाप्त होने के बाद ये सबसे कांटे की टक्कर वाले चुनाव रहे हैं. (bbc.com/hindi)
काठमांडू, 27 फरवरी नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की कतर यात्रा देश में कुछ ‘‘महत्वपूर्ण राजनीतिक कार्यक्रमों’’ के चलते रद्द कर दी गई है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
प्रचंड की सरकार पर मंडरा रहे खतरे और आगामी राष्ट्रपति चुनाव के बीच यह फैसला किया गया है।
प्रचंड सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) के पांचवें सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए तीन मार्च को कतर रवाना होने वाले थे। कार्यभार संभालने के बाद यह उनकी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा होती। उन्होंने पिछले साल 26 दिसंबर को प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभाला था।
प्रचंड के मीडिया समन्वयक सूर्य किरण शर्मा ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री का सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) के पांचवें सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कतर जाने का कार्यक्रम देश में कुछ महत्वपूर्ण राजनीतिक कार्यों के चलते रद्द कर दिया गया है।’’
इससे पहले, रविवार को विदेश मंत्रालय ने कहा था कि प्रचंड के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) के पांचवें सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कतर जाएगा।
प्रचंड के एक सहयोगी ने पुष्टि की कि प्रधानमंत्री ने नौ मार्च को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर देश नहीं छोड़ने का फैसला किया है।
विदेश मंत्री बिमला राय पौडयाल को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के एक उच्च-स्तरीय सत्र में हिस्सा लेने के लिए जिनेवा रवाना होने से कुछ घंटे पहले, प्रधानमंत्री प्रचंड ने उन्हें यात्रा रद्द करने को कहा।
नेपाल के मीडिया की खबरों के अनुसार, प्रचंड के नेतृत्व वाली सीपीएन-माओवादी सेंटर सहित आठ राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति पद चुनाव के दौरान नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामचंद्र पौडयाल को समर्थन देने का निर्णय लिया है। (भाषा)
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन मध्य एशिया के दो अहम देश कज़ाख़स्तान और उज़्बेकिस्तान के अपने पहले आधिकारिक दौरे पर रवाना हो गए हैं.
उसके बाद वो भारत का भी दौरा करेंगे. जी20 और क्वाड के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने वो एक मार्च को नई दिल्ली पहुंचेगे. वो यहां तीन मार्च तक रहेंगे.
इस यात्रा के दौरान वो सरकार में बैठे सीनियर अधिकारियों और सिविल सोसाइटी के लोगों के साथ भी मुलाक़ात करेंगे.
ब्लिंकन ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, ''आज मैं कज़ाख़स्तान, उज़्बेकिस्तान और भारत की यात्रा पर जा रहा हूं. विदेश मंत्री के रूप में कज़ाख़स्तान और उज़्बेकिस्तान का यह मेरा पहला दौरा होगा.''
भारत दौरे के बारे में उन्होंने लिखा, ''मैं मध्य एशिया के देशों के साथ अपनी साझेदारी आगे बढ़ाने का उत्सुक हूं. वहां से G20 की मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेने मैं भारत रवाना हो जाऊंगा.'' (bbc.com/hindi)
इसराइल सरकार और फ़लस्तीन प्रशासन ने हिंसा में हुई बढ़ोतरी को मिलकर कम करने का प्रयास करने का एलान किया है.
अमेरिका और मिस्र की मौजूदगी में जॉर्डन में हुई बातचीत के बाद यह एलान हुआ है. यह बैठक जॉर्डन के एकमात्र तटीय शहर अक़ाबा में संपन्न हुई.
इस बैठक में दोनों पक्षों के बीच विश्वास कायम करने से जुड़े क़दम उठाने पर भी सहमति बनी है. इसमें तत्काल और स्थायी शांति के लिए काम करने का निर्णय लिया गया है.
इस साल हुई हिंसा में अब तक विद्रोहियों समेत कुल 70 लोग मारे जा चुके हैं.
बैठक के बारे में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कुछ घंटे पहले बताया है.
अपने ट्वीट में उन्होंने बताया, ''अक़ाबा में हुई आज की बातचीत इसराइल और फ़लस्तीन एक सकारात्मक क़दम है. तनाव कम करने और शांति बहाल करने के लिए सभी पक्षों के लिए यह अहम है.''
रविवार को भी हुई हिंसा
हालांकि, जब यह बातचीत चल रही थी, तभी रविवार को वेस्ट बैंक में फ़लस्तीन के एक हथियारबंद शख़्स ने दो इसराइली नागरिकों की गोली मारकर हत्या कर दी.
इसराइल ने नब्लुस के निकट हवारा गांव में हुई इस घटना को 'फ़लस्तीन का आतंकी हमला' करार दिया है.
इसराइली सेना के अनुसार, हमलावर की तलाश की जा रही है और वेस्ट बैंक में सेना की दो और बटालियन को तैनात किया जा रहा है.
यह भी बताया गया है कि मरने वालों में से एक इसराइली सैनिक शामिल था.
रविवार को हुए इस हमले के कुछ घंटे बाद वहां बसे कई लोग हवारा गांव में घुस गए और पत्थरबाज़ी करने लगे. उन लोगों ने वहां मौजूद कारों और पेड़ों को आग लगा दी.
फ़लस्तीनी सूत्रों के अनुसार, इस घटना में कम से कम 15 घर और कई कार जल गए. इस घटना से भयभीत कई परिवार अपने अपने घर छोड़कर चले गए.
बताया जा रहा है कि इस घटना में सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. (bbc.com/hindi)
चीन के लापता बताए जा रहे अरबपति बाओ फान की कंपनी चाइना रेनेशां होल्डिंग्स ने दावा किया है कि उनके संस्थापक फान इन दिनों चीनी अधिकारियों की ओर से की जा रही जांच में सहयोग कर रहे हैं.
कुछ दिनों पहले चाइना रेनेशां होल्डिंग ने बताया था कि उनके सीइओ पिछले 10 दिनों से लापता हैं. उसके बाद इस निजी बैंकिंग कंपनी के शेयर मूल्यों में क़रीब 30 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी.
कंपनी ने हॉन्ग कॉन्ग स्टॉक एक्सचेंज को बताया है, "बोर्ड को जानकारी मिली है कि बाओ फान इस समय चीन के कुछ अधिकारियों की ओर से की जा रही जांच में सहयोग कर रहे हैं. कंपनी चीनी अधिकारियों की ओर से किए गए विधिक अनुरोध पर उचित सहयोग उपलब्ध कराएगी."
ये पहला मौका है जब चाइना रेनेशां होल्डिंग्स ने अपने सीइओ के गायब होने की वजहों को चीनी सरकार की ओर से की जा रही ‘जांच’ से जोड़ा है.
हालांकि, कंपनी ने ये नहीं बताया है कि चीनी सरकार किस मामले में जांच कर रही है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि जांच कर्ता कंपनी के पूर्व अध्यक्ष कांग लिन के ख़िलाफ़ जारी जांच के सिलसिले में बाओ फान को अपने साथ ले गए थे.
बता दें कि चीन की सरकार पिछले कुछ महीनों में कई बड़ी टेक कंपनियों के ख़िलाफ़ कदम उठा चुकी है. (bbc.com/hindi)
मोगादिशु (सोमालिया), 26 फरवरी। सोमालिया में अफ्रीकन यूनियन ट्रांजिशन मिशन का एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिससे तीन लोगों की मौत हो गयी और आठ अन्य घायल हो गए।
मिशन ने बताया कि हेलीकॉप्टर लोअर शाबेले क्षेत्र में बालेडोगले हवाईपट्टी पर शनिवार को जब दुर्घटनाग्रस्त हुआ तो वह सोमाली नेशनल आर्मी के अधिकारियों को एक संयुक्त प्रशिक्षण मिशन पर लेकर जा रहा था।
इस हवाई पट्टी का इस्तेमाल अमेरिकी सैन्य बल भी करते हैं। अफ्रीकन यूनियन मिशन ने रविवार को कहा कि हादसे की वजह का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है।
मिशन ने बताया कि घायलों को इलाज के लिए सोमालिया की राजधानी मोगादिशु ले जाया गया। (एपी)
इटली, 26 फरवरी । इटली के दक्षिणी इलाके में प्रवासी मजदूरों को ले जा रही एक नाव डूब गई है. इसमें बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने की आशंका है.
इटली से आ रही मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि इस घटना में मारे गए लोगों के कम से कम 27 शव बरामद किए गए हैं.
इनमें वो शव भी शामिल हैं जो कालाब्रिया के क्रोटोन शहर के सागर तट से बरामद हुए हैं.
प्रशासन वहां तलाशी और बचाव अभियान चला रहा है.
एक स्थानीय न्यूज़ एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रवासी मजदूरों से भरी नाव बीच समुद्र में दो टुकड़ों में टूट गई.
घटना की विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा है. (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान, 26 फरवरी । पाकिस्तान में पुलिस के मुताबिक बलूचिस्तान प्रांत के एक बाज़ार में हुए बम धमाके में कम से कम चार लोग मारे गए हैं.
बरख़ान के डिप्टी कमिश्नर अब्दुल्लाह खोसो ने बीबीसी से बात करते हुए बताया कि ये धमाका रखिनी बाज़ार में हुआ जहां एक मोटरसाइकिल में आईईडी रखा गया था.
इस हमले में कम से कम 12 लोग घायल भी हुए हैं. डिप्टी कमिश्नर के मुताबिक घायल लोगों को अस्पताल भेजा गया है. इस धमाके से कई दुकानों और मकानों को नुक़सान पहुंचा है.
डिप्टी कमिश्नर ने बीबीसी से कहा कि धमाके की जांच की जा रही है. जांच के बाद ही ये बताया जा सकेगा कि कितना विस्फोटक लगाया गया था और इसे रिमोट कंट्रोल से संचालित किया गया था या नहीं.
रखिनी पंजाब से सटे बरख़ान ज़िले का इलाक़ा है.
पंजाब और बूलचिस्तान के बीच इस इलाक़े को लेकर विवाद भी होता रहा है.
बलूचिस्तान में पिछले चौबीस घंटे में ये दूसरा धमाका है.
शनिवार रात खुजदार के एसएसपी के स्क्वाड की गाड़ी को निशाना बनाया गया था.
इसमें गाड़ी के चालक की मौत हो गई थी और दो पुलिस अधिकारी घायल हो गए थे.
पाकिस्तान में प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन बीएलए ने इस हमले की ज़िम्मेदारी ली थी (bbc.com/hindi)