अंतरराष्ट्रीय
नाइजीरिया में चुनाव आयोग का कहना है कि विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार पीटर ओबी ने देश के वाणिज्यिक केंद्र लागोस शहर में सर्वाधिक वोट हासिल किए हैं.
पीटर ओबी ने सत्ताधारी दल के उम्मीदवार और लागोस के गवर्नर बोला टीनूबा को यहां मामूली अंतर से हरा दिया है.
नाइजीरिया के चुनावों में पीटर ओबी युवाओं और शहरी मतदाताओं को आकर्षित करके सबसे आगे निकले हैं.
अन्य राज्यों से भी चुनावों के नतीजे आ रहे हैं लेकिन अभी ये बताना जल्दबाज़ी होगी कि चुनाव कौन जीत रहा है.
शनिवार को हुए चुनावों में करीब नौ करोड़ मतदाताओं ने हिस्सा लिया. चुनाव शांतिपूर्ण रहे लेकिन कई इलाकों में मतदान में देरी हुई.
नाइजीरिया में चौबीस साल पहले सेना का शासन समाप्त होने के बाद ये सबसे कांटे की टक्कर वाले चुनाव रहे हैं. (bbc.com/hindi)
काठमांडू, 27 फरवरी नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की कतर यात्रा देश में कुछ ‘‘महत्वपूर्ण राजनीतिक कार्यक्रमों’’ के चलते रद्द कर दी गई है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
प्रचंड की सरकार पर मंडरा रहे खतरे और आगामी राष्ट्रपति चुनाव के बीच यह फैसला किया गया है।
प्रचंड सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) के पांचवें सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए तीन मार्च को कतर रवाना होने वाले थे। कार्यभार संभालने के बाद यह उनकी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा होती। उन्होंने पिछले साल 26 दिसंबर को प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभाला था।
प्रचंड के मीडिया समन्वयक सूर्य किरण शर्मा ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री का सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) के पांचवें सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कतर जाने का कार्यक्रम देश में कुछ महत्वपूर्ण राजनीतिक कार्यों के चलते रद्द कर दिया गया है।’’
इससे पहले, रविवार को विदेश मंत्रालय ने कहा था कि प्रचंड के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) के पांचवें सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कतर जाएगा।
प्रचंड के एक सहयोगी ने पुष्टि की कि प्रधानमंत्री ने नौ मार्च को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर देश नहीं छोड़ने का फैसला किया है।
विदेश मंत्री बिमला राय पौडयाल को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के एक उच्च-स्तरीय सत्र में हिस्सा लेने के लिए जिनेवा रवाना होने से कुछ घंटे पहले, प्रधानमंत्री प्रचंड ने उन्हें यात्रा रद्द करने को कहा।
नेपाल के मीडिया की खबरों के अनुसार, प्रचंड के नेतृत्व वाली सीपीएन-माओवादी सेंटर सहित आठ राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति पद चुनाव के दौरान नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामचंद्र पौडयाल को समर्थन देने का निर्णय लिया है। (भाषा)
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन मध्य एशिया के दो अहम देश कज़ाख़स्तान और उज़्बेकिस्तान के अपने पहले आधिकारिक दौरे पर रवाना हो गए हैं.
उसके बाद वो भारत का भी दौरा करेंगे. जी20 और क्वाड के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने वो एक मार्च को नई दिल्ली पहुंचेगे. वो यहां तीन मार्च तक रहेंगे.
इस यात्रा के दौरान वो सरकार में बैठे सीनियर अधिकारियों और सिविल सोसाइटी के लोगों के साथ भी मुलाक़ात करेंगे.
ब्लिंकन ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, ''आज मैं कज़ाख़स्तान, उज़्बेकिस्तान और भारत की यात्रा पर जा रहा हूं. विदेश मंत्री के रूप में कज़ाख़स्तान और उज़्बेकिस्तान का यह मेरा पहला दौरा होगा.''
भारत दौरे के बारे में उन्होंने लिखा, ''मैं मध्य एशिया के देशों के साथ अपनी साझेदारी आगे बढ़ाने का उत्सुक हूं. वहां से G20 की मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेने मैं भारत रवाना हो जाऊंगा.'' (bbc.com/hindi)
इसराइल सरकार और फ़लस्तीन प्रशासन ने हिंसा में हुई बढ़ोतरी को मिलकर कम करने का प्रयास करने का एलान किया है.
अमेरिका और मिस्र की मौजूदगी में जॉर्डन में हुई बातचीत के बाद यह एलान हुआ है. यह बैठक जॉर्डन के एकमात्र तटीय शहर अक़ाबा में संपन्न हुई.
इस बैठक में दोनों पक्षों के बीच विश्वास कायम करने से जुड़े क़दम उठाने पर भी सहमति बनी है. इसमें तत्काल और स्थायी शांति के लिए काम करने का निर्णय लिया गया है.
इस साल हुई हिंसा में अब तक विद्रोहियों समेत कुल 70 लोग मारे जा चुके हैं.
बैठक के बारे में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कुछ घंटे पहले बताया है.
अपने ट्वीट में उन्होंने बताया, ''अक़ाबा में हुई आज की बातचीत इसराइल और फ़लस्तीन एक सकारात्मक क़दम है. तनाव कम करने और शांति बहाल करने के लिए सभी पक्षों के लिए यह अहम है.''
रविवार को भी हुई हिंसा
हालांकि, जब यह बातचीत चल रही थी, तभी रविवार को वेस्ट बैंक में फ़लस्तीन के एक हथियारबंद शख़्स ने दो इसराइली नागरिकों की गोली मारकर हत्या कर दी.
इसराइल ने नब्लुस के निकट हवारा गांव में हुई इस घटना को 'फ़लस्तीन का आतंकी हमला' करार दिया है.
इसराइली सेना के अनुसार, हमलावर की तलाश की जा रही है और वेस्ट बैंक में सेना की दो और बटालियन को तैनात किया जा रहा है.
यह भी बताया गया है कि मरने वालों में से एक इसराइली सैनिक शामिल था.
रविवार को हुए इस हमले के कुछ घंटे बाद वहां बसे कई लोग हवारा गांव में घुस गए और पत्थरबाज़ी करने लगे. उन लोगों ने वहां मौजूद कारों और पेड़ों को आग लगा दी.
फ़लस्तीनी सूत्रों के अनुसार, इस घटना में कम से कम 15 घर और कई कार जल गए. इस घटना से भयभीत कई परिवार अपने अपने घर छोड़कर चले गए.
बताया जा रहा है कि इस घटना में सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. (bbc.com/hindi)
चीन के लापता बताए जा रहे अरबपति बाओ फान की कंपनी चाइना रेनेशां होल्डिंग्स ने दावा किया है कि उनके संस्थापक फान इन दिनों चीनी अधिकारियों की ओर से की जा रही जांच में सहयोग कर रहे हैं.
कुछ दिनों पहले चाइना रेनेशां होल्डिंग ने बताया था कि उनके सीइओ पिछले 10 दिनों से लापता हैं. उसके बाद इस निजी बैंकिंग कंपनी के शेयर मूल्यों में क़रीब 30 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी.
कंपनी ने हॉन्ग कॉन्ग स्टॉक एक्सचेंज को बताया है, "बोर्ड को जानकारी मिली है कि बाओ फान इस समय चीन के कुछ अधिकारियों की ओर से की जा रही जांच में सहयोग कर रहे हैं. कंपनी चीनी अधिकारियों की ओर से किए गए विधिक अनुरोध पर उचित सहयोग उपलब्ध कराएगी."
ये पहला मौका है जब चाइना रेनेशां होल्डिंग्स ने अपने सीइओ के गायब होने की वजहों को चीनी सरकार की ओर से की जा रही ‘जांच’ से जोड़ा है.
हालांकि, कंपनी ने ये नहीं बताया है कि चीनी सरकार किस मामले में जांच कर रही है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि जांच कर्ता कंपनी के पूर्व अध्यक्ष कांग लिन के ख़िलाफ़ जारी जांच के सिलसिले में बाओ फान को अपने साथ ले गए थे.
बता दें कि चीन की सरकार पिछले कुछ महीनों में कई बड़ी टेक कंपनियों के ख़िलाफ़ कदम उठा चुकी है. (bbc.com/hindi)
मोगादिशु (सोमालिया), 26 फरवरी। सोमालिया में अफ्रीकन यूनियन ट्रांजिशन मिशन का एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिससे तीन लोगों की मौत हो गयी और आठ अन्य घायल हो गए।
मिशन ने बताया कि हेलीकॉप्टर लोअर शाबेले क्षेत्र में बालेडोगले हवाईपट्टी पर शनिवार को जब दुर्घटनाग्रस्त हुआ तो वह सोमाली नेशनल आर्मी के अधिकारियों को एक संयुक्त प्रशिक्षण मिशन पर लेकर जा रहा था।
इस हवाई पट्टी का इस्तेमाल अमेरिकी सैन्य बल भी करते हैं। अफ्रीकन यूनियन मिशन ने रविवार को कहा कि हादसे की वजह का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है।
मिशन ने बताया कि घायलों को इलाज के लिए सोमालिया की राजधानी मोगादिशु ले जाया गया। (एपी)
इटली, 26 फरवरी । इटली के दक्षिणी इलाके में प्रवासी मजदूरों को ले जा रही एक नाव डूब गई है. इसमें बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने की आशंका है.
इटली से आ रही मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि इस घटना में मारे गए लोगों के कम से कम 27 शव बरामद किए गए हैं.
इनमें वो शव भी शामिल हैं जो कालाब्रिया के क्रोटोन शहर के सागर तट से बरामद हुए हैं.
प्रशासन वहां तलाशी और बचाव अभियान चला रहा है.
एक स्थानीय न्यूज़ एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रवासी मजदूरों से भरी नाव बीच समुद्र में दो टुकड़ों में टूट गई.
घटना की विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा है. (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान, 26 फरवरी । पाकिस्तान में पुलिस के मुताबिक बलूचिस्तान प्रांत के एक बाज़ार में हुए बम धमाके में कम से कम चार लोग मारे गए हैं.
बरख़ान के डिप्टी कमिश्नर अब्दुल्लाह खोसो ने बीबीसी से बात करते हुए बताया कि ये धमाका रखिनी बाज़ार में हुआ जहां एक मोटरसाइकिल में आईईडी रखा गया था.
इस हमले में कम से कम 12 लोग घायल भी हुए हैं. डिप्टी कमिश्नर के मुताबिक घायल लोगों को अस्पताल भेजा गया है. इस धमाके से कई दुकानों और मकानों को नुक़सान पहुंचा है.
डिप्टी कमिश्नर ने बीबीसी से कहा कि धमाके की जांच की जा रही है. जांच के बाद ही ये बताया जा सकेगा कि कितना विस्फोटक लगाया गया था और इसे रिमोट कंट्रोल से संचालित किया गया था या नहीं.
रखिनी पंजाब से सटे बरख़ान ज़िले का इलाक़ा है.
पंजाब और बूलचिस्तान के बीच इस इलाक़े को लेकर विवाद भी होता रहा है.
बलूचिस्तान में पिछले चौबीस घंटे में ये दूसरा धमाका है.
शनिवार रात खुजदार के एसएसपी के स्क्वाड की गाड़ी को निशाना बनाया गया था.
इसमें गाड़ी के चालक की मौत हो गई थी और दो पुलिस अधिकारी घायल हो गए थे.
पाकिस्तान में प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन बीएलए ने इस हमले की ज़िम्मेदारी ली थी (bbc.com/hindi)
सोल, 26 फरवरी | यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा है कि रूस के खिलाफ युद्ध में दक्षिण कोरिया का सैन्य समर्थन उनके देश के लिए सकारात्मक कदम होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दक्षिण कोरिया सहायता प्रदान करने का एक तरीका खोज लेगा। राज्य समाचार एजेंसी उक्रिनफॉर्म द्वारा शुक्रवार को एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार, जेलेंस्की ने उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के महासचिव जेन स्टोलटेनबर्ग के युद्धग्रस्त देश को सैन्य सहायता प्रदान करने के लिए दक्षिण कोरिया के आह्वान के जवाब में यूक्रेन में रूस के आक्रमण की पहली वर्षगांठ के अवसर पर कीव में एक भाषण के दौरान यह टिप्पणी की।
जेलेंस्की ने कहा, अगर हमें हथियारों की आपूर्ति की जाती है तो हम सकारात्मक रूप से देखते हैं। मुझे उम्मीद है कि इससे यूक्रेन की मदद करने का अवसर मिलेगा।
योनहाप समाचार एजेंसी ने उक्रिनफॉर्म के हवाले से बताया कि जेलेंस्की ने कहा कि दक्षिण कोरिया के बारे में अन्य देशों के साथ चर्चा की जा रही है।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि दक्षिण कोरिया के साथ द्विपक्षीय संबंध बहुत महत्वपूर्ण है और इन्हें और विकसित होना चाहिए।
स्टोलटेनबर्ग ने जनवरी के अंत में अपनी यात्रा के दौरान सोल में एक मंच से कहा कि दक्षिण कोरिया को सैन्य समर्थन के विशिष्ट मुद्दे पर कदम उठाना चाहिए।
दक्षिण कोरिया ने संघर्ष में लगे देशों को हथियारों की आपूर्ति नहीं करने की अपनी नीति का हवाला देते हुए यूक्रेन को केवल मानवीय सहायता और अन्य गैर-सैन्य सहायता प्रदान की है। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 26 फरवरी । अमेरिका में करीब 20 लाख कोसोरी एयर फ्रायर वापस मंगाए गए हैं.
यूएस कंज्यूमर प्रोडक्ट सेफ्टी कमीशन का कहना है कि आग लगने और जलने की खबरों के कारण ये फैसला लिया गया है.
सीपीएससी ने कहा कि एयर फ्रायर्स में लगी तारों के चलते ये दिक्कत आ रही है जो जरूरत से ज्यादा गर्म हो सकती हैं और इससे आग लगने का खतरा पैदा हो सकता है.
कनाडा में करीब 2.5 लाख और मेक्सिको में भी 21 हजार एयर फ्रायर को वापिस मंगाए गए हैं.
कोसोरी को एयर फ्रायर्स में आग लगने, जलने, पिघलने, अधिक गर्म होने और धुंआ निकलने की 250 शिकायतें मिली हैं.
इस एयर फ्रायर की कीमत 70 अमेरिकी डॉलर से करीब 13 हजार अमेरिकी डॉलर के बीच है.
कंपनी का कहना है, "पूरी तरह से जांच के बाद, हमने पता लगाया कि बहुत ही दुर्लभ स्थिति में वापिस मंगवाए गए एयर फ्रायर के अंदर लगे क्लोज-एंड-क्रिम्प कनेक्टर की वजह से ये दिक्कत आ रही है. जिसके चलते आग लग सकती है."
किचन एप्लायंस के लिए मशहूर कंपनी कोसोरी का स्वामित्व चीन के शेनज़ेन में स्थित वेसिंक के पास है. (bbc.com/hindi)
अमेरिकी नौसेना की एक पनडुब्बी ने दक्षिण कोरिया के बुसान में नौसैनिक बंदरगाह पर डॉक किया है.
सोशल मीडिया पर परमाणु-संचालित यूएसएस स्प्रिंगफील्ड के आने की घोषणा की गई थी.
ऐसा माना जा रहा है कि पनडुब्बी की मौजूदगी का मकसद उत्तर कोरिया को चेतावनी देना है, जिसने हाल के महीनों में कई बार हथियारों का परीक्षण किया है.
इन परीक्षणों ने प्रायद्वीप में तनाव को बढ़ाने का काम किया है.
उत्तर कोरिया ने गुरुवार को समुद्र में चार क्रूज मिसाइलों का परीक्षण किया है. (bbc.com/hindi)
अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी का एलान करने वालीं रिपब्लिकन पार्टी की नेता निकी हेली ने विदेश भेजी जा रही मदद को लेकर बाइडन प्रशासन पर हमला बोला है.
भारतीय मूल की निकी हेली ने कहा कि अगर वे जीतकर आती हैं तो वे अमेरिका से नफरत करने वाले देशों को मिलने वाली सहायता को पूरी तरह बंद करेंगी.
न्यूयॉर्क पोस्ट में उन्होंने एक ओपिनियन लेख लिखा जिसमें उन्होंने कहा, "अमेरिका ने पिछले साल विदेशी सहायता पर 46 अरब डॉलर खर्च किए. यह अभी तक किसी भी देश से ज्यादा है. टैक्स देने वालों को यह जानने का अधिकार है कि वह पैसा कहां जा रहा है और उससे क्या हो रहा है."
उन्होंने लिखा, "लोग यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि इसका अधिकांश हिस्सा अमेरिकी का विरोध करने वाले देशों को दिया जा रहा है. राष्ट्रपति के रूप में मैं इस पर रोक लगाऊंगी."
निकी हेली ने लिखा, "बाइडन प्रशासन ने पाकिस्तान को सैन्य सहायता फिर से शुरू कर दी है, बावजूद इसके कि वहां पर कम से कम एक दर्जन आतंकवादी संगठनों का घर है और वहां की सरकार चीन बाइडन प्रशासन ने पाकिस्तान को सैन्य सहायता फिर से शुरू कर दी है, हालांकि यह कम से कम एक दर्जन आतंकवादी संगठनों का घर है और वहां की सरकार चीन के सामने मजबूर है.
निकी हेली का भारत से रिश्ता
निकी हेली का जन्म भारत से जाकर अमेरिका के साउथ कैरोलाइना के बामबर्ग में बसे एक पंजाबी सिख परिवार में हुआ है. उनके परिवार का कपड़ों का व्यापार है. जन्म के वक्त निकी का नाम निम्रता निकी रंधावा था.
निकी हेली को अपने बचपन में नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा था.
अकाउंटिंग की पढ़ाई करने के दौरान क्लेमसन यूनिवर्सिटी में निम्रता निकी रंधावा की मुलाक़ात माइकल हेली से हुई. दोनों ने साल 1996 में शादी कर ली जिसके बाद निकी ने अपने पति का आख़िरी नाम अपना लिया.
दोनों की शादी दो रीति-रिवाज़ों के अनुसार हुई थी, पहला ईसाई मेथोडिस्ट चर्च के नियमों के अनुसार और दूसरा सिख रीति के अनुसार. दोनों के दो बच्चे हैं.
आज से एक दशक पहले निकी हेली ने 39 साल की उम्र में अमेरिका की सबसे युवा गवर्नर बनने का रिकॉर्ड बनाया था. माना जाता है कि अमेरिकी राजनीति में उन्हें राष्ट्रीय स्तर की पहचान मिलना यहीं से शुरू हुआ.
उनके गृह राज्य साउथ कैरोलाइना में उनकी ये जीत कई मायनों में ऐतिहासिक रही थी- वे कंज़र्वेटिव पार्टी का गढ़ माने जाने वाले इस राज्य की पहली महिला और पहली एशियाई-अमेरिकी गवर्नर बनीं. (bbc.com/hindi)
नाइजीरिया में 1999 में सैन्य शासन समाप्त होने के बाद से अब तक के सबसे कठिन राष्ट्रपति चुनाव में वोटों की गिनती जारी है.
इस बार के चुनाव में मतदान का प्रतिशत काफी अच्छा दिखाई दे रहा है. शनिवार को मतदान केंद्रों पर कुछ कुछ जगह से बैलेट बॉक्स छीनने और हथियारबंद लोगों के हमलों की छिटपुट खबरें भी आईं.
कुछ पार्टियों ने अनियमितताओं के आरोपों पर चिंता जताई है.
अफ्रीका में 8 करोड़ 70 लोग वोटर हैं. 24 साल पहले लोकतंत्र की बहाली के बाद से दो ही दलों का नाइजीरिया की राजनीति में वर्चस्व रहा है. इसमें सत्तारूढ़ ऑल प्रोग्रेसिव कांग्रेस(एपीसी) और पीडीपी शामिल हैं.
लेकिन इस बार राष्ट्रपति मुहम्मदु बुहारी के उत्तराधिकारी की दौड़ लेबर पार्टी के पीटर ओबी से भी कड़ी चुनौती मिल रही है. उन्हें पसंद करने वालों में युवाओं की अच्छी खासी संख्या हैं.
हजारों मतदान केंद्रों पर मतगणना हो रहा है जिन्हें मिलाकर आखिर में राजधानी अबुजा में चुनावी मुख्यालय भेजा जाएगा.
1960 में ब्रिटेन से आज़ादी के बाद से ही नाइजीरिया में कई बार तख़्तापलट और धांधली से भरपूर चुनाव हो चुके हैं. इन चुनावों में ख़तरनाक इलाक़ाई और राजनीतिक मतभेद सतह पर उभरकर आ गए हैं. (bbc.com/hindi)
(एम जुल्करनैन)
लाहौर, 25 फरवरी। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मुल्तान-सुक्कुर राजमार्ग पर तीन वाहनों के आपस में टकराने की घटना में कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई, जबकि 20 से अधिक व्यक्ति घायल हो गये। बचाव कार्य में शामिल एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने कहा कि रहीम यार खान शहर के पास शुक्रवार की रात एक एसयूवी ने एक बस को टक्कर मार दी, जिसके कारण बस एक अन्य वैन से टकरा गई। उन्होंने कहा कि दुर्घटना के दौरान वैन का एक टायर फटने के कारण वह राजमार्ग पर पलट गई, जिससे कई लोगों की जान चली गई।
पुलिस और बचाव दल घटना स्थल पर पहुंचा और मृतकों तथा घायलों को लाहौर से 500 किलोमीटर दूर स्थित रहीम यार खान शहर के शेख जायद अस्पताल ले जाया गया। अधिकारियों के मुताबिक, घायलों में से पांच लोगों की हालत गंभीर है।
पंजाब प्रांत के कार्यवाहक मुख्यमंत्री मोहसिन नकवी ने सड़क दुर्घटना में लोगों की मौत पर शोक जताया है। (भाषा)
जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने अपने भारत दौरे के पहले दिन भारत और जर्मनी के संबंधों के और मजबूत होने की उम्मीद जताई. नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई विषयों पर बातचीत की.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
बतौर चांसलर, यह शॉल्त्स की पहली भारत यात्रा है. वो शनिवार 25 फरवरी की सुबह भारत पहुंचे जिसके बाद उन्हें राष्ट्रपति भवन ले जाया गया. वहां भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने उनका स्वागत किया और फिर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.
वहीं पर मीडिया को एक संक्षेप बयान देते हुए शॉल्त्स ने कहा, "भारत और जर्मनी के बीच पहले से बहुत अच्छे रिश्ते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि हम इस रिश्ते को और मजबूत करेंगे और हम उन सभी विषयों पर चर्चा करेंगे जो हमारे देशों के विकास के लिए प्रासंगिक तो हैं ही और दुनिया में शांति के लिए भी जरूरी हैं.".
निवेश का निमंत्रण
उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने हैदराबाद हाउस में चांसलर शॉल्त्स का स्वागत किया और उनके साथ बातचीत की. बातचीत के बाद दोनों नेताओं ने मीडिया को संबोधित किया.
मोदी ने कहा कि दोनों देशों के "मजबूत संबंध, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, और एक दूसरे के हितों की गहरी समझ पर आधारित हैं और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक एवं आर्थिक आदान-प्रदान का भी लंबा इतिहास रहा है."
उन्होंने यह भी कहा, "विश्व की दो बड़ी लोकतान्त्रिक अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ता सहयोग, दोनों देशों की जनता के लिए तो लाभकारी है ही, आज के तनाव-ग्रस्त विश्व में इससे एक सकारात्मक संदेश भी जाता है."
भारत में जर्मन निवेश की संभावनाओं को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि "आज 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान की वजह से भारत में सभी क्षेत्रों में नए अवसर खुल रहे हैं. इन अवसरों के प्रति जर्मनी की रुचि से हम उत्साहित हैं."
मोदी ने पिछले वर्ष उनकी जर्मनी यात्रा का हवाला देते हुए कहा कि उस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने "ग्रीन और सस्टेनेबल विकास साझेदारी की घोषणा की थी. इसके माध्यम से, हम जलवायु एक्शन और सतत विकास लक्ष्यों के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा रहे हैं."
रक्षा क्षेत्र में बढ़े सहयोग
उन्होंने यह भी बताया कि दोनों देश "त्रिकोणीय विकास सहयोग के तहत तीसरे देशों के विकास के लिए आपसी सहयोग बढ़ा रहे हैं" और पिछले कुछ वर्षों में "हमारे बीच पीपल-टू-पीपल संबंध भी सुदृढ़ हुए हैं."
भारतीय प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में "सक्रिय सहयोग" की भी बात की और कहा कि "दोनों देश इस बात पर भी सहमत हैं, कि सीमा पार के आतंकवाद को समाप्त करने के लिए ठोस कार्रवाई आवश्यक है."
रक्षा क्षेत्र में सहयोग की और गुंजाइश पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि यह दोनों देशों की "सामरिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ बन सकता है. इस क्षेत्र में हमारी अप्रयुक्त क्षमता को पूरी तरह से हासिल करने के लिए हम साथ मिलकर प्रयास करते रहेंगे."
साथ ही उन्होंने बताया कि दोनों नेताओं ने इस बात पर भी "सहमति दोहराई कि वैश्विक वास्तविकताओं को बेहतर तरीके से दर्शाने के लिए बहुराष्ट्रीय संस्थानों में सुधार आवश्यक है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार लाने के लिए जी4 के अंतर्गत हमारी सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट है."
यूक्रेन पर भारत को इशारा
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मोदी ने यूक्रेन युद्ध का भी जिक्र किया और कहा कि यूक्रेन संकट ने कमोडिटीज के दामों पर असर डाला है. युद्ध को खत्म करने के लिए बातचीत और कूटनीति की अहमियत ओर जोर डालते उन्होंने कहा कि भारत किसी भी शांति योजना का समर्थन करेगा.
शॉल्त्स ने अपने संबोधन को यूक्रेन युद्ध पर केंद्रित रखा और कहा कि यह "रूस द्वारा यूक्रेन के खिलाफ शुरू किया गया एक भयावह आक्रमण" है. उन्होंने कहा कि उसकी वजह से जो भारी नुकसान हुआ है वो एक "बड़ी तबाही" है. उन्होंने यह भी कहा कि रूसी युद्ध के परिणामों की वजह से दुनिया कष्ट भोग रही है.
उन्होंने विशेष रूप से एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों पर पर युद्ध के असर की तरफ ध्यान दिलाया और कहा कि हमें सुनिश्चित करना होगा कि इन देशों पर युद्ध का ज्यादा असर ना पड़े.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक शॉल्त्स ने बतौर जी20 अध्यक्ष भारत की जिम्मेदारी पर जोर देते हुए कहा, "भारत के पास इस साल जी20 की अध्यक्षता है, जो एक मुश्किल समय में एक बहुत जिम्मेदाराना काम है. लेकिन मुझे विश्वास है कि इस विषय में जो भी किए जाने की जरूरत है भारत उसका पूरी तरह से पालन करेगा."
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भी यूक्रेन युद्ध के मामले में उपयुक्त कदम उठाने की बात की. उन्होंने कहा, "यह महत्वपूर्ण है की संयुक्त राष्ट्र में हम बार बार स्पष्ट रूप से यह कहें कि इस विषय पर हम कहां खड़े हैं." (dw.com)
आठ साल पहले जब नाइजीरिया की जनता ने मुहम्मदु बुहारी को राष्ट्रपति बनाया था, तब उन्हें उम्मीद थी कि बुहारी देश को हिंसा, बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निजात दिलाएंगे, लेकिन आज भी देश की स्थिति खस्ताहाल है.
डॉयचे वैले पर फिलिप सैंडर की रिपोर्ट-
वर्ष 2015 में मुहम्मदु बुहारी ने राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित होकर इतिहास रचा था. यह पहला मौका था जब विपक्षी पार्टी के किसी उम्मीदवार ने शांतिपूर्वक सत्ता संभाली थी. दरअसल, 1983 में पूर्व जनरल मुहम्मदु बुहारी ने बलपूर्वक सत्ता हासिल की थी. हालांकि, दो साल के अंदर ही तख्तापलट कर उन्हें उस समय सत्ता से बेदखल कर दिया गया था. इसके बाद वे दोबारा 2015 में चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बने और देश की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कई वादे किए.
बुहारी उस समय सत्ता में आए जब देश में बदलाव की सख्त जरूरत थी. अपहरण और बम विस्फोट की घटनाएं आम हो गई थीं. इसके लिए इस्लामवादी समूह बोको हराम को जिम्मेदार ठहराया जाता है, जिसका पूर्वोत्तर नाइजीरिया के बड़े हिस्से पर नियंत्रण था.
नाइजीरिया में आत्मघाती हमलों का दौर भी शुरू हो गया था. ऐसा ही एक हमला जुलाई 2014 में देश के उत्तरी इलाके में मौजूद कडुना शहर में हुआ था. इस हमले में बुहारी को निशाना बनाया गया था. उस समय वे विपक्ष में थे. बुहारी इस हमले में बच गए, लेकिन दर्जनों लोग मारे गए थे. डीडब्ल्यू के साथ साक्षात्कार में राजनीतिक विश्लेषक कामिलू सानी फेग ने बताया कि उस दौर में हिंसक घटनाएं चरम पर थीं. बुहारी इस क्रूरता को समाप्त करना चाहते थे.
बोको हराम के बाद का संकट
बुहारी का राष्ट्रपति पद का कार्यकाल समाप्त होने वाला है , लेकिन नाइजीरिया आज भी कई समस्याओं से जूझ रहा है. कडुना स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर तुकुर अब्दुलकादिर कहते हैं कि अगर राष्ट्रपति के तौर पर बुहारी की उपलब्धियों की समीक्षा करनी है, तो हमें तीन मुख्य समस्याओं की स्थिति की पड़ताल करनी होगी जिनसे निजात दिलाने का उन्होंने वादा किया था. ये समस्याएं हैं असुरक्षा, अर्थव्यवस्था और भ्रष्टाचार.
तुकुर ने डीडब्ल्यू को बताया कि सुरक्षा को लेकर उन्होंने कुछ बेहतर काम किए हैं. वह कहते हैं, "2015 में देश के पूर्वोत्तर हिस्से खासकर अदमावा, योबे और बोर्नो राज्य बोको हराम विद्रोहियों के नियंत्रण में थे. डर और भय की वजह से लाखों लोगों ने उस क्षेत्र से पलायन किया था. आज 2023 में उनमें से दसियों हजार लोग वापस अपने घर लौट आए हैं. बोको हराम उत्तरी नाइजीरिया के अधिकांश हिस्सों से भाग रहा है.”
तुकुर आगे बताते हैं कि जब लोग बुहारी की उपलब्धियों का जश्न मना रहे थे, तब देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में पहले से ज्यादा विनाशकारी और डरावनी घटनाएं शुरू हो चुकी थीं. विद्रोहियों ने अब फिर से गांवों पर अपना नियंत्रण कर लिया है. हजारों लोग डर और हिंसा की वजह से अपना घर छोड़कर भाग गए हैं. बुहारी इस मामले से निपटने में पूरी तरह विफल रहे हैं.
वह कहते हैं, "लोग इस बात को लेकर हैरान हैं कि जब बुहारी पूर्वोत्तर हिस्से में बोको हराम से निपट सकते हैं, तो उनकी सरकार और सुरक्षा एजेंसियां उत्तर-पश्चिमी हिस्से में डकैती की समस्या से क्यों नहीं निपट रही हैं.”
आर्थिक हालात नहीं बदले
नौकरियां पैदा करना और अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाना 2015 में बुहारी के वादों में से एक था, लेकिन मौजूदा स्थिति यह बयां कर रही है कि पढ़ाई पूरी होने के बाद नाइजीरिया के युवाओं के लिए नौकरी या काम के अवसर उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं. इससे स्थिति और खराब हो रही है.
आखिर बुहारी के इस वादे का क्या हुआ? लागोस में रहने वाले वित्तीय सलाहकार शुआइबू इदरिस ने डीडब्ल्यू को बताया कि आंकड़ों से यह साफ तौर पर पता चलता है कि स्थिति और कितनी ज्यादा खराब हुई है. उन्होंने कहा, "जब राष्ट्रपति बुहारी ने सत्ता संभाली थी, तब महंगाई दर 12 से 13 फीसदी थी. आज यह दर 21 से 22 फीसदी है. क्या हम अब भी यह कह सकते हैं कि उन्होंने अच्छा काम किया है? इसका स्पष्ट जवाब है, नहीं.”
उन्होंने बताया कि इसी तरह देश की मुद्रा नाइरा की कीमत अपने निम्न स्तर पर पहुंच चुकी है . देश के ऊपर कर्ज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है. बेरोजगारी के आंकड़े भी चिंताजनक हालात बयां कर रहे हैं. आखिर इन समस्याओं से निपटने के लिए बुहारी की सरकार ने क्या किया?
इदरिस ने बताया कि सरकार ने कुछ शर्तों के साथ लोगों को नगद पैसे उनके खाते में ट्रांसफर किए और किसानों को कर्ज देने की नीतियों में बदलाव किया, लेकिन इनसे आर्थिक हालात बेहतर नहीं होते हैं. रोजगार पैदा नहीं होता है.
उन्होंने कहा, "बुहारी ने कई नीतियां लागू कीं, लेकिन बेहतर तरीके से उन्हें क्रियान्वित नहीं किया. इसका हश्र उसी तरह हुआ जैसे आईटी की भाषा में कहा जाता है कि गलत इनपुट देने से गलत नतीजा मिला.”
भ्रष्टाचार और नए नोट
बुहारी ने वादा किया था कि वे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कडुना के राजनीतिक विश्लेषक तुकुर ने कहा, "हमने सरकारी अधिकारियों के बीच बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार देखा है. ये ऐसे अधिकारी हैं जिन्हें या तो राष्ट्रपति बुहारी ने या उनकी सरकार के अहम सदस्यों ने चुना और नियुक्त किया था.”
बुहारी के कार्यकाल में केंद्रीय बैंक ने नोटबंदी लागू करने का फैसला किया. नाइरा के पुराने नोट हटाकर नया नोट प्रचलन में लाया गया, लेकिन इससे भी स्थिति बेहतर नहीं हुई है. वित्तीय विशेषज्ञ शुआइबू इदरिस कहते हैं, "नए नोट प्रचलन में लाने का उद्देश्य भ्रष्टाचार को समाप्त करना है, ताकि जिन लोगों ने गलत तरीके से पैसे जमा किए हैं वे बेकार हो जाएं. इसका मतलब है कि सरकार खुद यह मान रही है कि वह भ्रष्टाचार से निपटने में विफल हो गई है.”
इदरिस कहते हैं कि कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार खत्म करने के उद्देश्य से लिए गए इस फैसले से पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल कायम हो गया है. यह माहौल सिर्फ इस नीति को लागू करने की वजह से नहीं बना है, बल्कि चुनाव के समय जिस तरीके से इसे लागू किया गया है वह भी लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है.
बुनियादी ढांचे के अभाव में लोगों को अपने पैसे निकालने के लिए एटीएम के सामने घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है. मोबाइल बैंकिंग सेवाएं ठप हो गई हैं. खाते में पैसे रहते हुए भी लोग भूखे सोने को विवश हैं. नाइजीरियाई अखबार ‘पंच' के मुताबिक, बीते बुधवार को नई नीति का विरोध करते हुए कुल 13 लोगों की मौत हुई है.
देश में अफरा-तफरी के माहौल को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि फिलहाल सभी पुराने नोटों को प्रचलन में रखा जाए, लेकिन बुहारी ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए राष्ट्र के नाम संदेश में कहा कि सिर्फ 200 मूल्य वाले पुराने नाइरा नोट अगले 60 दिनों तक प्रचलन में रहेंगे, जबकि 500 और 1,000 मूल्य वाले पुराने नाइरा नोट लीगल टेंडर से बाहर रहेंगे. उन्हें केंद्रीय बैंक और चुनिंदा केंद्रों पर जमा किया जा सकता है.
दरअसल, पुराने नोट के इस्तेमाल की अवधि 10 फरवरी तक तय की गई थी, लेकिन लोगों की परेशानी को देखते हुए सरकार ने 200 मूल्य वाले पुराने नोट के इस्तेमाल की अवधि बढ़ा दी है.
शुआइबू इदरिस ने बताया कि राष्ट्रपतियों के लिए अपने फैसले पर पुनर्विचार करना एक अच्छी बात रही है और यह हर जगह हुआ है. बुहारी अपने फैसले पर पुनर्विचार क्यों नहीं कर रहे हैं? इसके जवाब में इदरिस कहते हैं, "अब उनके पास राष्ट्रपति के तौर पर बस कुछ ही महीने बचे हैं. क्या वे चाहेंगे कि नाइजीरिया के लोग उन्हें अपना फैसला वापस लेने वाले के तौर पर याद करें?”
खुद को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं बुहारी
राजनीतिक विश्लेषक तुकुर अब्दुलकादिर यह स्वीकार करते हैं कि तमाम तरह की अराजकता के बावजूद बुहारी ने कुछ अच्छी चीजें भी की हैं. उन्होंने कहा, "बुनियादी ढांचे के मामले में उन्होंने पिछले 16 वर्षों से सत्ता पर काबिज सरकार की तुलना में बेहतर काम किया है. सड़क, रेल, विमानन क्षेत्र में उन्होंने काफी अच्छा काम किया है. कई परियोजनाएं दशकों से लंबित या अधूरी थीं. अब वे या तो पूरी हो चुकी हैं या पूरी होने वाली हैं, जैसे कि उत्तरी नाइजीरिया को दक्षिणी और पूर्वी नाइजीरिया से जोड़ने वाला पुल.”
बुहारी की उपलब्धि जो भी रही हो, उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं है कि देश के लोग उनके बारे में क्या कहते हैं. राजधानी अबूजा में डॉयचे वेले के संवाददाता उवाइसु इदरिस ने कहा, "उन्हें लगता है कि उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है और उन्होंने इसे कई जगहों पर कई बार कहा है. वह बोको हराम के बारे में बात करेंगे, लेकिन पश्चिमी क्षेत्र में होने वाली डकैती के बारे में नहीं. वह अब भी इस बात पर जोर देंगे कि उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है.”
नाइजीरिया में 25 फरवरी को देश का अगला राष्ट्रपति चुनने के लिए मतदान होगा. कुल 18 उम्मीदवार मैदान में हैं. देश का नेतृत्व कोई भी करे, इस बात की पूरी उम्मीद है कि उसकी कार्यशैली बुहारी सरकार से अलग होगी. (dw.com)
यूरोप में 17 हजार से ज्यादा ठिकाने, 'फॉरएवर कैमिकल्स' यानी 'चिरकालिक रसायनों' पीएफएएस से दूषित हैं. चिरकालिक प्रदूषण परियोजना की जांच में ये पता चलता है. ये विषैले रसायन हमारे शरीर में भी जमा हो जाते हैं. एक रिपोर्ट.
डॉयचे वैले पर टिम शाउएनबेर्ग की रिपोर्ट-
"फॉरएवर पॉल्युशन प्रोजेक्ट" यानी "चिरकालिक प्रदूषण परियोजना" ने यूरोप के 17 हजार से ज्यादा ठिकानों को परफ्लोरीनेटड अल्काइलेटड सब्सटैनसेस (पीएफएएस) से दूषित पाया है. इनमें से दो हजार ठिकानें तो हॉटस्पॉट मानी जा सकती हैं.
जानकारों ने इन रसायनों को चिरकालिक यानी हमेशा के लिए मौजूद रसायन कहा है जो इंसानी सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र में पर्यावरण परामर्शदाता रोलां वेबर, उन्हें "अब तक मिले सबसे खतरनाक रसायनों में" से मानते हैं.
करीब 4500 मानव निर्मित पदार्थ, पीएफएएस के दायरे में आते हैं. इन रसायनों के अवशेष पूरी दुनिया में मिलने लगे हैं. मिट्टी में, पीने के पानी में, जानवरों में और यहां तक कि मानव शरीरों में भी.
क्या मेरे शरीर में पीएफएएस हैं?
कोई 98 फीसदी अमेरिकियों के खून में पीएफएएस मिले हैं. भारत, इंडोनेशिया और फिलीपीन्स में हुए अध्ययनों में स्तन के दूध के कमोबेश सभी परीक्षण नमूनों में विषैले पदार्थ पाए गए. जर्मनी में हर बच्चे के शरीर में ये चिरकालिक रसायन मौजूद हैं और हर पांचवे बच्चे में खतरनाक स्तरों पर उनकी उपस्थिति पाई गई है.
मैंने सोचा मेरे शरीर में ये विषैले तत्व किस स्तर पर होंगे. इसका पता लगाना आसान नहीं है क्योंकि जर्मनी में बहुत चुनिंदा लैबों में ही इसके लायक टेस्ट करने की क्षमता है. लेकिन मैंने एक लैब खोज निकाली. एरलांगन शहर में इपासुम (आईपीएएसयूएम) की लैब मिली.
मैंने वहां अपना ब्लड सैंपल भेज दिया. उसमें पीएफओए और पीएफओएस पाए गए- सबसे ज्यादा ज्ञात फॉरएवर कैमिकल्स हैं ये. और इनकी वजह से लीवर और किडनी डैमेज हो सकती है, यौनशक्ति कम हो सकती है, नवजात शिशुओं का वजन प्रभावित हो सकता है और टीकों की ताकत भी. उच्च मात्रा में ये विषैले तत्व कैंसर का कारण भी बन सकते हैं. नये अध्ययनों में भी इन रसायनों और कोविड-19 के गंभीर मामलों के बीच संबंध की ओर इंगित किया गया है.
मेरे खून में प्रति लीटर चार नेनोग्राम पीएफओए और पीएफओएस पाए गए. ये रेत के एक कण के वजन का हजारवां हिस्सा है और इसका मतलब जर्मन औसत के लिहाज से मेरे अंदर ये पदार्थ, खतरे के निशानों से काफी नीचे हैं.
इपासुम में कार्यरत प्रोफेसर थोमास ग्योएन ने मेरे खून का विश्लेषण किया था. उन्होंने मुझे बताया कि उपलब्ध वैज्ञानिक ज्ञान के मुताबिक उस मात्रा से खतरा नहीं है. लेकिन नतीजों से मेरे मन में खलबली मची रही क्योंकि ये पदार्थ अनवरत हैं और शरीर में जमा हो सकते हैं. ग्योएन कहते हैं, "मुख्य समस्या यही है कि अंत में वो किसी खुराक में जमा हो सकते हैं."
चिरकालिक रसायन इतने स्थिर होते हैं कि वे प्रकृति में भी विघटित नहीं होते और मनुष्य शरीर उन्हें बहुत धीरे धीरे बाहर निकालता है. वैज्ञानिक उन्हें विखंडित करने के तरीके खोज ही रहे हैं लेकिन ये काम अभी शुरुआती दौर में है.
ये विषैले पदार्थ, प्रकृति और हमारे शरीर में कैसे रह जाते हैं?
स्थिरता ही पीएफएएस को इतना उपयोगी बनाती है. पानी और वसा (फैट) से उन पर असर नहीं पड़ता, धूल- गंदगी उन पर नहीं जमती. लिहाजा कमोबेश हर उद्योग में उनका इस्तेमाल किया जाता है और विभिन्न किस्म के उत्पादों में वे पाए जाते हैं- कृत्रिम चमड़ा, फोटोग्राफिक पेपर, पेस्टिसाइड, अग्निशमन
उपकरणों के झाग, डाई और विमान- हर कहीं.
मानवों में सबसे ज्यादा पीएफएएस, उनके भोजन से जाता है. दूषित इलाकों की मछली, मीट, दूध, अंडों और सब्जियों में ये रसायन खासतौर पर बड़ी मात्रा में हो सकते हैं.
अधिकांश सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, रासायनिक अवशेषों या गंदगी को छान नहीं पाते हैं, लिहाजा वे पर्यावरण में दाखिल हो जाते हैं- कचरा ठिकानों, औद्योगिक कचरों या कपड़ा धुलाई में. पैटागोनिया के दूरस्थ पहाड़ों, अंटार्कटिका की बर्फ और मध्य और पूर्व एशिया के अलताई पहाड़ों और यहां तक कि ध्रुवीय भालुओं, परिंदों और डॉल्फिनों के भीतर भी पीएफएएस पाए गए हैं.
एटम बम से लेकर किचन की अल्मारी तक
1938 में, अमेरिकी रसायन कंपनी डूपोन्ट ने, पीएफएएस रसायनों में से एक पीटीएफई का आविष्कार किया था. यह अत्यधिक तीव्र तापमान में धातु को जंक लगने या गलने से बचा सकता था, लिहाजा पहले एटम बम में उसका इस्तेमाल किया गया.
पीटीएफई जल्द ही घरों में भी दिखने लगा, "टेफ्लॉन" नाम से फ्राइंग पैन की टिकाऊ कोटिंग के रूप में. बाजार में उसने कामयाबी के झंडे गाड़ दिए.
लेकिन 1998 में, ये नॉनस्टिक ब्रांड विवादों में फंस गया. एक किसान ने शिकायत दर्ज कराई कि पार्कर्सबर्ग वेस्ट वर्जीनिया में टेफ्लॉन के उत्पादन प्लांट के पास चर रही उसकी गायें बीमार पड़कर दम तोड़ रही हैं.
पर्यावरण अधिवक्ता और मवेशीपालक किसान की डुपोंट के खिलाफ कानूनी लड़ाई के झंडाबरदार, रॉबर्ट बिलॉट ने कहा कि उनके मुवक्किल ने "अपनी जमीन के पास एक कचरा ठिकाने से सफेद झाग निकलते देखा था." जल्द ही ये पता चल गया कि डुपोंट फैक्ट्री के सीवेज और कचरा ठिकाने के रिसाव से इलाके के हजारों लोग पीएफएएस जैसे विषैले रसायन से संक्रमित हो गए थे.
दस्तावेज दिखाते हैं कि डुपोन्ट को दशकों से खतरे का पता था लेकिन पर्यावरण में जहरीला पदार्थ बहाना उसने जारी रखा. अधिकारियों को इसकी कानोंकान खबर नहीं हुई.
अध्ययन दिखाते है कि इलाके में पाए गए पीएफएएस के उच्च स्तरों का संबंध गुर्दे और अंडकोषीय कैंसर के मामलों में बढ़ोत्तरी से है. 2017 में डुपोंट, शारीरिक नुकसान की एवज पीड़ितों को बतौर मुआवजा 67 करोड़ डॉलर देने को राजी हो गई.
पीएफएएस की उच्च दर वाले कुछ पशुओं में हॉर्मोन के स्तरों मे बदलाव देखा गया है और उनके लीवर और थायरॉइड पर भी असर पड़ा है. जैव प्रणालियों (ईकोसिस्टम्स) पर उनके असर को लेकर कम शोध हुए हैं.
कानून की कमियों से उद्योग की चांदी
नीदरलैंड्स, बेल्जियम और इटली समेत दूसरे देशों में भी पीने के पानी और पर्यावरण को दूषित करने वाले पीएएफएएस के मामले मिले हैं. इनमें से कुछ विषैले रसायन यूरोपीय संघ, अमेरिका और जापान में अब हटाए जा रहे हैं. आबादी में मिल रही मात्रा में भी गिरावट आई है. जर्मनी में 1990 से ये औसत आधे से भी कम रह गया है.
इन कार्रवाइयों के जवाब में कैमिकल इंडस्ट्री नयी पीढ़ी के पीएफएस का उत्पादन कर रही है जो अपने पूर्ववर्तियों से बहुत ही मामूली तौर पर अलग हैं लेकिन अब किसी प्रतिबंध की जद में नहीं आते.
मैं अपनी हिफाजत कैसे करूं?
ये तमाम चीजें जानकर मुझे क्या हासिल होगा? मैं तो थोड़ा हैरान-परेशान हूं. इतनी सारी चीजों में जो पदार्थ मौजूद है लेकिन जिसकी कोई सूचना न लेबल पर होती है ना पैकिंग में, उससे बचे रह पाना बड़ी असंभव सी बात लगती है.
फिलहाल तो, मैंने रसोई से नॉनस्टिक पैन को हटा दिया है. पीने के पानी में पीएफएएस न मिले, इसके लिए मैं एक वॉटर फिल्टर खरीदने की सोच रहा हूं. लगता है कि टेकअवे और तुरतफुरत खाना मेरे खाने के मेन्यू में और नीचे खिसक जाएगा, मुझे वो वैसे ज्यादा पसंद कभी था भी नहीं. इस तरह मैं पीएफएएस वाली डिस्पोसेबल पैकिंग से दूर रह सकता हूं. लेकिन फ्रोजन पालक के डिब्बे का क्या करूं, उसे तो मैं नहीं हटा सकता- मुझे बचपन से काफी पसंद है.
वैश्विक स्तर पर, पीएफएएस को हटाने का दबाव बढ़ने लगा है. ग्रीनपीस की एक मुहिम के बाद, कपड़ा निर्माता कंपनियों वाउडे, परामो और रोटाउफ ने अपने माल को डिटॉक्स करने की प्रतिबद्धता जताई है. स्वीडन की फर्नीचर निर्माता कंपनी आइकिया ने कहा है कि उसने भी उन विषैले पदार्थों पर बैन लगा दिया है. जबकि जर्मनी, डेनमार्क, नॉर्वे और स्वीडन जैसे देश, 2030 तक यूरोपीय संघ में पीएफएएस पर समग्र रूप से प्रतिबंध लगाने पर जोर दे रहे हैं. (dw.com)
नेपाल, 25 फरवरी । नेपाली कांग्रेस और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-यूएमएल दोनों ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों का चुनाव कर लिया है.
शनिवार को नेपाली कांग्रेस ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रतिनिधि सभा के पूर्व स्पीकर रामचंद्र पौडेल को अपना उम्मीदवार बनाया है.
वहीं यूएमएल ने पार्टी उपाध्यक्ष सुभाष चंद्र नेमवांग को अपना उम्मीदवार बनाने का फ़ैसला किया है. वो संविधान सभा के पूर्व अध्यक्ष हैं.
समाचार रिपोर्टों के अनुसार, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री पुष्प कुमार दहल 'प्रचंड', नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूनिफाइड सोशलिस्ट्स) के अध्यक्ष माधव कुमार नेपाल और कांग्रेस अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के बीच बारी-बारी से सरकार का नेतृत्व करने के समझौते के बाद भी यह फ़ैसला किया गया.
इन तीनों पार्टियों के अलावा जनता समाजवादी पार्टी, जनमत पार्टी, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी और जन मोर्चा के नेताओं ने भी राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस उम्मीदवार को समर्थन देने का संकल्प लिया है.
यूएमएल ने लगाया धोखे का आरोप
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) सहित आठ पार्टियों के समर्थन देने के फ़ैसले के बाद मौजूदा गठबंधन टूटता नज़र आ रहा है.
कांग्रेस उम्मीदवार को नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) के समर्थन देने के फ़ैसले पर केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल नेताओं ने कहा है कि उनकी पार्टी के साथ हुए समझौते का पालन न कर धोखा दिया जा रहा है.
कई विश्लेषकों का कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव ने दो माह पहले बने मौजूदा सत्ताधारी गठबंधन के भविष्य को संकट में डाल दिया है.
78 साल के रामचंद्र पौडेल नेपाल के उपप्रधानमंत्री और प्रतिनिधि सभा के स्पीकर रह चुके हैं. वो पिछले साल के आम चुनाव में सांसद चुने गए थे.
आरपीपी का सरकार छोड़ने का फैसला
इस बीच, प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का फ़ैसला किया है.
आरपीपी के मुताबिक़, मौजूदा गठबंधन में हुए अचानक बदलाव के कारण यह फ़ैसला लिया गया है और इसने देश को अस्थिरता की ओर धकेल दिया है.
आरपीपी ने प्रांतीय सरकारों को दिया गया अपना समर्थन वापस लेने का भी फ़ैसला किया है.
(bbc.com/hindi)
आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने अपने मंत्रियों और सलाहकारों से वेतन और दूसरी सुविधाएं न लेने की अपील की है.
उन्होंने कहा है कि इससे देश के खज़ाने में सालाना 200 अरब की बचत होगी.
साथ ही नेताओं से उन्होंने लग्ज़री कार से यात्रा न करने को कहा है. सरकार का खर्च घटाने के मकसद से उन्होंने मंत्रियों से इकोनॉमी क्लास में हवाई यात्रा करने को कहा है.
पाकिस्तान सरकार फिलहाल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मदद की रुकी हुई किस्त हासिल करने की कोशिश कर रही है.
आईएमएफ़ से बातचीत पूरी होने पर उसे एक अरब डॉलर का पैकेज मिल सकता है. इस बीच सरकार देश को आर्थिक बदहाली से बचाने की कोशिश में खर्च कम करने की कोशिश में लगी है.
एक तरफ पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार घट गया है और वहां अब सिर्फ तीन सप्ताह के आयात के लायक डॉलर बच गए हैं, तो दूसरी तरफ देश में महंगाई 35 फ़ीसदी से ऊपर पहुंच गई है. (bbc.com/hindi)
वाशिंगटन, 25 फरवरी। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि अमेरिका को इस बात की गहरी चिंता है कि चीन की ओर से भारत के निकटवर्ती पड़ोसी देशों पाकिस्तान और श्रीलंका को दिये जा रहे कर्ज के बदले बलपूर्वक लाभ लिया जा सकता है।
दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की भारत यात्रा से पहले पत्रकारों से कहा, “हम इस बात को लेकर बहुत चिंतित हैं कि भारत के निकटवर्ती देशों को दिये जा रहे चीनी ऋण का दुरुपयोग किया जा सकता है।”
ब्लिंकन एक से तीन मार्च तक तीन-दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर नयी दिल्ली जा रहे हैं।
लू ने कहा कि अमेरिका इस क्षेत्र के देशों से बात कर रहा है कि वे अपने फैसले खुद लें और किसी बाहरी साझेदार के दबाव में न आएं।
लू ने कहा, “हम भारत से बात कर रहे हैं, इस क्षेत्र के देशों से बात कर रहे हैं कि कैसे हम उन देशों को खुद के निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं। इन फैसलों में चीन का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।”
इससे पहले पाकिस्तान के वित्त मंत्री इस्हाक डार ने घोषणा की कि चीन विकास बैंक (सीडीबी) के बोर्ड ने देश को 70 करोड़ अमेरिकी डॉलर के कर्ज को मंजूरी दी है।
एक सवाल के जवाब में लू ने कहा कि चीन के मुद्दे पर भारत और अमेरिका के बीच गंभीर बातचीत हुई है।
लू ने कहा, “हमने निगरानी गुब्बारा प्रकरण से पहले और बाद में चीन को लेकर गंभीर बातचीत की है। इसलिए मुझे पूरी उम्मीद है कि बातचीत जारी रहेगी।” (भाषा)
अमेरिका ने रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत के रुख़ के बारे में कहा है कि उसे पता है कि भारत, रूस के साथ हाल फ़िलहाल अपने रिश्ते ख़त्म नहीं करने जा रहा.
हालांकि उसने उम्मीद जताई है कि यूक्रेन संघर्ष को ख़त्म करवाने में भारत, रूस पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेगा.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय में दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के सहायक मंत्री डोनाल्ड लू ने ये विचार व्यक्त किए हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की भारत, कज़ाख़स्तान और उज़्बेकिस्तान की प्रस्तावित यात्रा के बारे में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने ये बातें कहीं.
यूक्रेन युद्ध को लेकर गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र में हुए मतदान में इन तीनों देशों ने भाग लेने से इनकार कर दिया था.
इन देशों के बारे में उन्होंने कहा कि हमें ये पता है कि मध्य एशियाई देशों और भारत के रूस के साथ लंबे और जटिल रिश्ते रहे हैं, इसलिए हम हाल फ़िलहाल में उनसे ये रिश्ते ख़त्म करने की उम्मीद नहीं कर रहे, बल्कि उम्मीद करते हैं कि वे यूक्रेन संकट को ख़त्म करने में योगदान करें.
भारत ने ज़ोर दिया कि यूएन के चार्टर के अनुसार यूक्रेन में एक व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति बहाल करने की तत्काल ज़रूरत है. (bbc.com/hindi)
चीन ने भारत के पड़ोसी और अपने मित्र पाकिस्तान को 70 करोड़ डॉलर का कर्ज़ दिया है जिसके बाद अमेरिका ने इस पर चिंता जताई है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय में दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के सहायक सचिव डोनाल्ड लू ने चिंता जताई है कि चीन भारी कर्ज़ से पैदा होने वाले हालात का कहीं जबरन फायदा न उठाए.
लू ने दक्षिण एशिया के मुल्कों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि, अमेरिका इस इलाक़े के देशों से बात कर रहा है कि वे अपने फ़ैसले ख़ुद लें और चीन जैसे किसी दूसरे देशों के दबाव में न आएं.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज़ लेने को लेकर चल रही पाकिस्तान की बातचीत के बीच ये चीन ने ये कदम उठाया है.
पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक़ डार ने बीते सप्ताह कहा था कि चाइना डेवलपमेंट बैंक के साथ सभी औपचारिकताएं पूरी क ली गई हैं जिसके बाद उन्हें उम्मीद है कि पाकिस्तान को कुछ दिनों में 70 करोड़ डॉलर का कर्ज मिल जाएगा.
शुक्रवार देर शाम उन्होंने ट्वीट कर जानकारी दी कि चीन से उन्हें कर्ज़ मिल गया है.
अमेरिका ने जताई चिंता
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार डोनाल्ड लू ने पाकिस्तान और श्रीलंका की तरफ इशारा करते हुए कहा, "भारत के पड़ोसियों को दी चीन कर्ज़ दे रहा है जो चिंता का विषय है. हमें इस बात की चिंता है कि वो कहीं इसका इस्तेमाल कर फायदा न ले."
अमेरिका रक्षा मंत्री एंटोनी ब्लिंकन के दौरे से पहले डोनाल्ड लू ने ये बात कही.
ब्लिंकन अगले महीने होने वाले जी20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में शिरकत करने के लिए एक से लेकर तीन तक भारत के दौरे पर होंगे. (bbc.com/hindi)
वाशिंगटन, 24 फरवरी। रूस-यूक्रेन युद्ध का एक साल पूरा होने पर शुक्रवार को अमेरिका ने रूसी बैंकों, कंपनियों और नागरिकों पर नये प्रतिबंध लगाए।
यहां जारी एक बयान के मुताबिक, अमेरिकी वित्त विभाग की ‘‘अब तक की सबसे महत्वपूर्ण प्रतिबंध कार्रवाई’’ में रूस के धातु और खनन क्षेत्र को भी लक्षित किया गया है।
जी-7 सहयोगी देशों के समन्वय के साथ लिए गए इस फैसले का मकसद 250 लोगों और कंपनियों, शस्त्र डीलरों पर कार्रवाई के साथ ही बैंकों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना है।
वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने एक बयान में कहा, ‘‘हमारे प्रतिबंधों का अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों प्रभाव पड़ा है, जिसके चलते रूस को अपने हथियारों की खेप और अलग-थलग पड़ी अर्थव्यवस्था में भरपायी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।’’
इसमें कहा गया, ‘‘जी-7 सहयोगियों के साथ मिलकर की गई आज कार्रवाई यह दर्शाती है कि जब तक जरूरत पड़ेगी, हम यूक्रेन के साथ खड़े रहेंगे।’’ (एपी)
रूस के हमले के एक साल पूरा होने के मौके पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि यूक्रेन इस साल जीत हासिल करने के लिए सबकुछ करेगा.
ज़ेलेंस्की ने कहा है कि यूक्रेन ने दुनिया को अपने प्रतिरोध के जज्बे से प्रेरित और एक किया है.
उन्होंने कहा कि जब तक रूसी कातिलों को सज़ा नहीं दी जाएगी, यूक्रेन नहीं रुकेगा.
यूक्रेन के कई शहरों में रूसी हमले के एक साल पूरे होने के मौके पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.
इनमें बूचा शहर भी शामिल है जहां व्लादिमीर पुतिन की फौज पर मानवता के ख़िलाफ़ अपराध करने के आरोप हैं.
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप के लिए यूक्रेन पर रूस का हमला अब तक के सबसे कठिन संघर्ष में तब्दील हो गया है.
संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार रात को रूस की आलोचना करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें युद्ध खत्म करने और रूस से फौज वापस बुलाने की अपील की गई है.
वहीं, इस बीच रूस के पूर्व राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव ने सुझाव दिया है कि रूसी सेना को यूक्रेनी सैनिकों को पोलैंड की सीमा तक धकेल देना चाहिए.
दमित्री मेदवेदेव इस समय रूस की सुरक्षा काउंसिल के डिप्टी चेयरमैन हैं.
उन्होंने ये बयान रूसी हमले के एक साल पूरे होने के मौके एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दिया.
उन्होंने कहा कि जीत हासिल की जाएगी लेकिन ये भी महत्वपूर्ण है कि यूक्रेन में रूस के स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन के सभी लक्ष्यों को हासिल किया जाए.
दमित्री मेदवेदेव ने ये भी कहा कि इसका मतलब ये भी है कि रूस पर मंडरा रहे ख़तरे को पोलैंड की सीमाओं तक पीछे धकेल दिया जाए. (bbc.com/hindi)
लंदन, 24 फरवरी। एक शोध में दावा किया गया है कि लंबे समय तक कोविड से प्रभावित रहे 59 फीसदी मरीजों में शुरुआती लक्षण सामने आने के करीब एक साल बाद अंग खराब होने के मामले सामने आए हैं। इनमें वे मरीज भी शामिल हैं, जो पहली बार संक्रमित पाए जाने के बाद गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़े थे।
जर्नल ‘रॉयल सोसाइटी ऑफ मेडिसिन’ में प्रकाशित शोध में 536 ऐसे लोगों को शामिल किया गया, जो लंबे समय तक कोविड से प्रभावित रहे और इस दौरान उन्हें सांस लेने में दिक्कत और स्वास्थ्य संबंधी अन्य दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
शोधकर्ताओं ने कहा कि इनमें से 13 फीसदी लोगों को पहली बार कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था, जबकि अध्ययन में शामिल 32 फीसदी लोग स्वास्थ्यकर्मी थे।
उन्होंने कहा कि 536 में से 331 मरीजों में पहली बार संक्रमण की पुष्टि होने के छह महीने बाद अंग के ठीक तरह से काम नहीं करने की जानकारी सामने आयी।
शोधकर्ताओं ने छह महीने बाद इन मरीजों पर 40 मिनट लंबा ‘बहु-अंग एमआरआई स्कैन’ परीक्षण किया। इसके निष्कर्ष से इस बात की पुष्टि हुई कि लंबे समय तक कोविड से प्रभावित रहे 29 फीसदी मरीजों के कई अंग खराब हो गए जबकि संक्रमित होने के करीब एक साल बाद 59 फीसदी मरीजों के एक अंग ने काम करना बंद कर दिया।
ब्रिटेन के ‘यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन’ से जुड़े वरिष्ठ शोध लेखक प्रोफेसर अमिताव बनर्जी ने कहा, ‘‘कई शोध में यह पाया गया है कि कई मरीजों में लगभग एक साल तक कोविड के लक्षण बने रहे। अब हम यह जोड़ते हैं कि लंबे समय तक कोविड से प्रभावित रहे पांच में से तीन लोगों का कम से कम एक अंग खराब हुआ जबकि चार में से एक मरीज के दो या अधिक अंग खराब हुए हैं।’’