अंतरराष्ट्रीय
तोशाख़ाना मामले में पेशी के लिए आए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और तहरीक ए इंसाफ़ पाकिस्तान (पीटीआई) के प्रमुख इमरान ख़ान राजधानी इस्लामाबाद स्थित कोर्ट परिसर के गेट से ही वापस लौट गए.
इस्लामाबाद की सेशन्स कोर्ट ने पुलिस और इमरान ख़ान समर्थकों के बीच हुई झड़पों के बाद सुनवाई स्थगित कर दी. कोर्ट ने कहा, "इस स्थिति में सुनवाई नहीं हो सकती."
बीबीसी संवाददाता शुमाइला जाफरीके मुताबिक कोर्ट ने इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ जारी गिरफ़्तारी वारंट रद्द कर दिया. इस मामले की अगली सुनवाई 30 मार्च को होगी और इमरान ख़ान को कोर्ट में हाज़िर होना होगा.
पुलिस ने इमरान ख़ान की पार्टी के कार्यकर्ताओं को उनके साथ अदालत परिसर में आने की इजाज़त नहीं दी. कोर्ट ने इमरान ख़ान को प्रवेश द्वार पर ही उपस्थिति दर्ज कराने की अनुमति दे दी. (bbc.com/hindi)
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शनिवार को 377 करोड़ रुपये से बनी एक डीजल पाइपलाइन का उद्घाटन किया.
इससे भारत से बांग्लादेश के उत्तरी इलाके में कम लागत में डीजल की सप्लाई हो सकेगी. इससे कार्बन फुटप्रिंट भी घटेगा.
मोदी ने इस पाइपलाइन का उद्घाटन करते हुए कहा कि इससे भारत और बांग्लादेश के रिश्तों का एक नया अध्याय शुरू होगा. इस वक्त भारत से बांग्लादेश को 512 किलोमीटर लंबे रेल रूट से डीजल पहुंचाया जाता है.
लेकिन 131.5 किलोमीटर की पाइपलाइन से असम के नुमालीगढ़ से हर साल दस लाख लीटर डीजल बांग्लादेश को सप्लाई किया जाएगा.
मोदी ने कहा कि इससे बांग्लादेश तक डीजल पहुंचाने की लागत कम होगी बल्कि इससे कार्बन फुटप्रिंट भी घटेगा.
इस पाइपलाइन परियोजना की शुरुआत 2018 में हुई थी. ये दोनों देशों के बीच पहली क्रॉस-बॉर्डर एनर्जी पाइपलाइन है.
इस पर कुल 377 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. बांग्लादेश के हिस्से में बनी पाइपलाइन के लिए भारत सरकार ने 285 करोड़ रुपये की सहायता दी है. (bbc.com/hindi)
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया है.
आईसीसी का मानना है कि राष्ट्रपति पुतिन पर यूक्रेन में युद्ध अपराधों के आरोप लगाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं.
आईसीसी ने बयान में सबसे बड़ा आरोप लगाया है कि यूक्रेन के सैकड़ों बच्चों को अनाथालयों और बाल गृहों से रूस लाया गया है जिससे रूस में रह रहे परिवार उन्हें गोद ले सकें.
हालांकि जानकार मानते हैं कि ऐसे मामले को आगे बढ़ाने में व्यावहारिक और तार्किक समस्याएं बहुत अधिक हैं. गिरफ्तारी वारंट इस प्रक्रिया का पहला कदम है. (bbc.com/hindi)
न्यूयॉर्क, 18 मार्च। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि उन्हें मंगलवार को गिरफ्तार किया जाएगा क्योंकि न्यूयॉर्क के अभियोजक कुछ महिलाओं को भुगतान किए गए धन से जुड़े मामले की जांच कर रहे हैं।
आरोप है कि पूर्व राष्ट्रपति ने इन महिलाओं को यौन संबंधों के बदले में धन देकर मामले को सार्वजनिक नहीं करने को कहा था।
ट्रंप ने शनिवार तड़के अपने सोशल नेटवर्क ट्रुथ पर एक पोस्ट में कहा कि मैनहट्टन जिला अटॉर्नी के कार्यालय से ‘‘अवैध रूप से लीक’’ जानकारी से संकेत मिलता है कि ‘‘अग्रणी रिपब्लिकन उम्मीदवार और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति को अगले सप्ताह मंगलवार को गिरफ्तार किया जाएगा।’’
ट्रंप ने अपने समर्थकों से विरोध प्रदर्शन करने का आग्रह किया है। न्यूयॉर्क में कानून प्रवर्तन अधिकारी इस संभावना के मद्देनजर सुरक्षा इंतजाम कर रहे हैं कि ट्रंप पर अभियोग लगाया जा सकता है। मामले में पूर्व राष्ट्रपति पर अभियोग लगाने के लिए संभावित वोट समेत जूरी के निर्णय के लिए किसी भी समय सीमा की कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं की गई है। (एपी)
हाल के दिनों में चीन ने कई अभूतपूर्व शिखर सम्मेलनों की मेजबानी की है और अमेरिका पर आरोप लगाया है कि वो उसके विकास को ‘रोकने’ की कोशिश कर रहा है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के प्रयासों का प्रभाव कमजोर पड़ सकता है.
डॉयचे वैले पर विलियम यांग की रिपोर्ट-
हाल ही में कूटनीतिक विवादों की एक श्रृंखला के बाद, चीन और अमेरिका के संबंध और भी जटिल होते जा रहे हैं. पिछले हफ्ते, वार्षिक विधायी बैठकों के दौरान, चीन के शीर्ष नेतृत्व ने अमेरिका पर चीन को व्यापक तरीके से रोकने और दमन करने का अभियान चलाने का आरोप लगाया, जिससे द्विपक्षीय संबंध बिगड़ते रहे.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा, "अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने चीन को चारों से नियंत्रित करने, घेरने और दमन करने की कोशिश की है जो हमारे देश के विकास के लिए अभूतपूर्व गंभीर चुनौतियां लेकर आया है.”
चीन के विदेश मंत्री किन गांग ने भी दोनों देशों के बीच संभावित संघर्ष की चेतावनी दी. बतौर विदेश मंत्री अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में किन ने कहा, "यदि संयुक्त राज्य अमेरिका बिना ब्रेक लगाए गलत रास्ते पर तेजी से बढ़ना जारी रखता है तो उसे पटरी से उतरने से कोई भी नहीं रोक सकता और इससे निश्चित तौर पर संघर्ष और टकराव होगा.”
अमेरिका के बकनेल विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रोफेसर झिकुन झू कहते हैं कि चीन और अमेरिका के बीच चल रहे तनाव ने चीन की कूटनीति की दिशा को सीधे तौर पर प्रभावित किया है. वो कहते हैं कि इन घटनाओं ने चीन को ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी जैसे पश्चिमी लोकतांत्रिक देशों के साथ संबंधों को सुधारते हुए विकासशील दुनिया में पारंपरिक सहयोगियों के साथ संबंधों को मजबूत करने की कोशिश करने के लिए प्रेरित किया है.
शांतिदूत की भूमिका में चीन?
डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहते हैं, "शी ने ईरान, बेलारूस और तुर्कमेनिस्तान के नेताओं के साथ शिखर सम्मेलन किया, लेकिन उन्होंने बीजिंग में जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्त्ज का भी स्वागत किया, जबकि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री एंथनी अल्बनीस के इस साल के अंत में चीन की यात्रा करने की संभावना है. ये सभी चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका के नेतृत्व वाले प्रयास को पीछे धकेलने की कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा हैं.”
विशेषकर, यूक्रेन में चल रहे युद्ध के आलोक में चीन को लगता है कि उसकी बाहरी सीमाएं अनिश्चितता और अप्रत्याशित वजहों से घिरी होंगी.
हेलसिंकी विश्वविद्यालय में एक विजिटिंग रिसर्चर सारी अरहो हैवरेन कहती हैं कि चुनौतीपूर्ण बाहरी वातावरण ने चीन को कई क्षेत्रों में अपनी विदेश नीति को फिर से तैयार करने के लिए मजबूर किया है.
वो कहती हैं, "अपनी विदेश नीति के पुनर्गठन के पीछे एक मुख्य कारण यह भी है कि चीन अंतरराष्ट्रीय नैरेटिव को नियंत्रित करने के लिए तेजी से आगे बढ़ने की कोशिश में लगा है. साथ ही, खुद को शांतिपूर्ण वैश्विक सुरक्षा मुहैया कराने वाला और संतुलन बनाकर चलने वाले देश के रूप में प्रस्तुत कर रहा है. जबकि अमेरिका को वह एक आक्रामक देश के रूप में चित्रित करता है जो संघर्ष रोकने की कोशिश करने के बजाय अन्य देशों को उकसाता है.”
चीन ने ईरान और सऊदी अरब के बीच संबंधों को बहाल करने के लिए पिछले हफ्ते सफलतापूर्वक एक समझौता कराया था. इस समझौते के बाद, चीन अब मध्य पूर्व में भी एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है जो संभावित रूप से तेल-समृद्ध क्षेत्र में अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती देता है.
यूक्रेन और वैश्विक सुरक्षा की पहल
लात्विया में रीगा स्ट्रैडिन्स यूनिवर्सिटी में चाइना स्टडीज सेंटर की प्रमुख उना सेरेनकोवा कहती हैं कि चीन ऐसे किसी भी देश के साथ अनिवार्य रूप से जुड़कर अपनी वैश्विक भूमिका और प्रभाव को बढ़ावा देना चाहता है जो अमेरिका के साथ नहीं आ सकते या फिर वो मौजूदा अंतरराष्ट्रीय सिस्टम के बारे में नकारात्मक विचार रखते हों.
वो कहती हैं, "चीन हर किसी से बात करने की कोशिश कर रहा है और उनका दृष्टिकोण वैचारिक से अधिक व्यावहारिक है. चीन इन प्रयासों से क्या प्राप्त कर सकता है वो ये कि अन्य देशों के प्रमुखों में यह संदेश जाए कि चीन एक महत्वपूर्ण देश है और यदि वह साथ में है तो वे भी उसके साथ रहकर वैश्विक सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं.”
यूक्रेन के मामले में, चीनी विदेश मंत्री किन ने हाल ही में एक बार फिर दोहराया कि संघर्ष और प्रतिबंधों से वहां युद्ध समाप्त नहीं होगा. साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि शांति वार्ता की प्रक्रिया जल्द से जल्द होनी चाहिए.
उनकी यह टिप्पणी चीन द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध पर पर अपना पक्ष रखने के लिए जारी किए गए 12-सूत्रीय बयान के बाद आई. लेकिन खुद को शांति दूत के रूप में पेश करने की चीन की कोशिशें कुछ शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों के मन में संदेह पैदा करती हैं.
इसके अलावा, चीन ने इस महीने की शुरुआत में वैश्विक सुरक्षा पहल (जीएसआई) संबंधी एक अवधारणा पत्र जारी किया. चीनी की सरकारी मीडिया का कहना है कि इस दस्तावेज ने वैश्विक शांति और सुरक्षा के संबंध में चीन की मूल अवधारणाओं और सिद्धांतों को स्पष्ट किया है.
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के चीन मामलों के एक जानकार ड्र्यू थॉम्पसन ने यूक्रेन में युद्ध पर GSI और चीन के बयान को रणनीति दस्तावेजों के बजाय ‘उम्मीदों और वरीयताओं के बयान' के रूप में वर्णित किया है.
वो कहते हैं, "इसे इसलिए डिजाइन किया गया है ताकि चीनी स्टेकहोल्डर्स को चीन की सुरक्षा और राजनीतिक प्राथमिकताओं की बेहतर समझ हो सके. चीन के शासन के तरीके को लागू करने और संचालित करने के लिए इन व्यापक दस्तावेजों का उपयोग कैसे कर सकते हैं, यह तय करने का काम चीन के अधिकारियों पर छोड़ दिया गया है.”
बकनेल यूनिवर्सिटी के झू का कहना है कि हालांकि GSI कॉन्सेप्ट पेपर और यूक्रेन पर 12-सूत्रीय बयान में यूक्रेन और अन्य जगहों पर शांति को बढ़ावा देने संबंधी कई बातें एक जैसी हैं, लेकिन समस्या यह है कि GSI व्यावहारिक नहीं है.
डीडब्ल्यू से बातचीत में उन्होंने कहा, "यह सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने और सभी देशों की वैध चिंताओं को गंभीरता से लेने के लिए चीन की प्रतिबद्धताओं को दोहराता है. यह ऐसी योजना नहीं है जिस पर कोई कार्रवाई की जाए.”
रूस से घनिष्ठता बनी रहेगी
हेलसिंकी विश्वविद्यालय की हैवरन कहती हैं कि चीन और अमेरिका की बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा वाले मौजूदा भू-राजनीतिक संदर्भ में, चीन शायद रूस के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखेगा. क्योंकि इस प्रतिद्वंद्विता में अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी धड़े की तुलना में चीन, रूस को ‘बहुमूल्य मल्टीलेयर भागीदार' के रूप में देखता है.
डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहती हैं, "चीन एक प्रभावशाली सैन्य और परमाणु शक्ति के रूप में रूस की भूमिका को स्वीकार करता है और रूस की सुरक्षा चिंताओं को भी समझता है और अपने हितों के सुरक्षा क्षेत्रों के प्रति सहानुभूति रखता है. वैश्विक व्यवस्था को बदलने में उनके हित एक जैसे हैं. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के एक साल बाद, चीन और रूस के संबंध केवल घनिष्ठ हुए हैं.”
ताइपे में ताइवान-एशिया एक्सचेंज फाउंडेशन में पोस्टॉक्टोरल फेलो सना हाशमी कहती हैं कि भारत-प्रशांत क्षेत्र के देश आक्रामक और महत्वाकांक्षी चीन का जवाब दे सकते हैं और यह क्षेत्र ‘सामूहिक पहल के दौर' में प्रवेश कर गया है, जहां क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ज्यादा से ज्यादा देश मजबूत भागीदार बन रहे हैं.
वो कहती हैं, "सुरक्षा प्रदान करने के लिए अमेरिका को एकमात्र देश के रूप में नहीं देखा जाता है, और भारत जैसे देश तेजी से सुरक्षा के लिए मजबूत भागीदार बन रहे हैं. सुरक्षा उपाय करने और शांति और स्थिरता का वातावरण बनाना एक साझा जिम्मेदारी है.”
(dw.com)
लाहौर, 18 मार्च । लाहौर के ज़मान पार्क स्थित पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान ख़ान के घर के बाहर पुलिस अभियान जारी है.
घर के बाहर बड़ी संख्या में पुलिसबल तैनात हैं और मौक़े पर बुलडोज़र भी लाया गया है.
बीबीसी संवाददाता तरहब असगर के मुताबिक़ पुलिस ने इमरान ख़ान के घर का दरवाज़ा तोड़ दिया है और अंदर घुस गई है.
जियो न्यूज़ से बात करते हुए पुलिस अधिकारी ने कहा है कि इमरान ख़ान के घर के अंदर घुसने के दौरान अंदर से फायरिंग हुई और पुलिस को निशाना बनाया गया.
पुलिस का कहना है कि घर के अंदर मौजूद कार्यकर्ताओं के पास हथियार हैं जिनका इस्तेमाल वे पुलिस पर कर रहे हैं.
वहीं, इमरान ख़ान ने कहा है कि इस्लामाबाद में मौजूद अदालत की तरफ़ जाते वक़्त उनके काफिले के साथ एक दुर्घटना हो गई है.
उन्होंने दावा किया कि उन्हें पता है कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा लेकिन इसके बाद भी वो अदालत में पेश होने के लिए जा रहे हैं.
इमरान ख़ान को आज तोशाख़ाना मामले में कोर्ट में पेश होना है.(bbc.com/hindi)
न्यूयॉर्क (अमेरिका), 18 मार्च न्यूयॉर्क की भारतीय मूल की जानी-मानी लेखिका अनु सहगल ने बच्चों को भारत के त्योहार और उसकी सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराने के लिए होली पर आधारित एक नयी पुस्तक जारी की है।
‘द कल्चर ट्री’ की संस्थापक एवं अध्यक्ष अनु सहगल ने परिधि कपूर के साथ मिलकर हिंदू त्योहार ‘होली’ पर आधारित पुस्तक ‘कहानी रंगीली’ लिखी है।
सहगल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह पुस्तक मेरे दो जुनून-भाषा और संस्कृति- को जोड़ती है। यह हिंदी भाषा में लिखी गई है और सबसे प्रिय हिंदू देवताओं में से एक कृष्ण और उनके दोस्तों की एक सुंदर कहानी पर आधारित है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह प्राचीन कहानी यह भी बताती है कि हम होली कैसे मना सकते हैं। इस पुस्तक के माध्यम से बच्चे और उनके परिवार दोस्ती और प्यार के महत्व को समझेंगे। इस पुस्तक के जरिये वे यह भी सीखेंगे कि दोस्ती की कोई सीमा नहीं होती है और इसे सहेजे रखने की आवश्यकता होती है।’’
‘कहानी रंगीली’ पुस्तक टी4टेल्स द्वारा प्रकाशित की गई है। (भाषा)
आइजोल, 18 मार्च बांग्लादेश के विद्रोही संगठन कुकी-चिन नेशनल आर्मी (केसीएनए) से जुड़े 29 वर्ष के एक आतंकवादी को असम राइफल्स ने मिजोरम के लॉन्गतलाई जिले में गिरफ्तार किया है। यह जानकारी अर्धसैनिक बल की ओर से जारी एक बयान से मिली।
बयान में कहा गया है कि आतंकवादी की पहचान फलियांसांग बावम के रूप में की गई है और वह कुछ समय से बुंगतलांग गांव स्थित एक घर में कथित तौर पर रह रहा था।
बयान में कहा गया है कि एक गुप्त सूचना के आधार पर असम राइफल्स के जवानों ने शुक्रवार को घर पर छापा मारा और आतंकवादी को पकड़कर राज्य पुलिस को सौंप दिया।
इससे पहले, 10 मार्च को असम राइफल्स ने उसी जिले के हुमुन्नम गांव में केसीएनए के एक और आतंकवादी को पकड़ा था।
केसीएनए के खिलाफ बांग्लादेशी सेना की कार्रवाई से बचकर, पड़ोसी देश के चटगांव हिल ट्रैक्ट्स (सीएचटी) से 500 से अधिक लोगों ने लॉन्गतलाई जिले में शरण ली है।
कुकी-चिन शरणार्थियों के पहले जत्थे ने पिछले साल फरवरी में पूर्वोत्तर राज्य में प्रवेश किया था। (भाषा)
संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा, 18 मार्च विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 2020 में वुहान के एक बाजार में लिए गए नमूनों से संबंधित डेटा को रोक कर रखने के लिए चीन की आलोचना की है, जो कोविड-19 महामारी की उत्पत्ति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकता था। संगठन ने चीन को पारदर्शिता बरतने और जांच के परिणाम साझा करने के लिए कहा है।
मध्य चीन के वुहान शहर का हुआनन बाजार महामारी का केंद्र था। सार्स-सीओवी-2 वहां उत्पत्ति के बाद से 2019 के अंत में तेजी से वुहान के अन्य स्थानों और फिर दुनिया के बाकी हिस्सों में फैल गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम गेब्रेयेसस ने शुक्रवार को जिनेवा में कहा, ‘‘कोविड-19 की उत्पत्ति के अध्ययन से संबंधित डेटा के प्रत्येक हिस्से को तुरंत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ साझा करने की आवश्यकता है। ये डेटा तीन साल पहले साझा किए जाने चाहिए थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम चीन से डेटा साझा करने, आवश्यक जांच करने और परिणाम साझा करने में पारदर्शिता बरतने का आह्वान करते हैं। यह पता लगाना एक नैतिक व वैज्ञानिक अनिवार्यता बनी हुई है कि महामारी की उत्पत्ति कैसे हुई।’’
गेब्रेयेसस ने कहा कि पिछले रविवार को डब्ल्यूएचओ को जनवरी के अंत में जीआईएसएआईडी डेटाबेस पर डेटा प्रकाशित करने के बारे में अवगत कराया गया था और हाल ही में इसे फिर से हटा लिया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘चीन के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र का यह डेटा 2020 में वुहान में हुआनन बाजार में लिए गए नमूनों से संबंधित है।’’
गेब्रेयेसस ने कहा कि जब डेटा ऑनलाइन था, तो कई देशों के वैज्ञानिकों ने उसे डाउनलोड करके उसका विश्लेषण किया। उन्होंने कहा, ‘‘जैसे ही हमें इस डेटा के बारे में पता चला, हमने चीन के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र से संपर्क किया और उनसे इसे डब्ल्यूएचओ व अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय के साथ साझा करने का आग्रह किया, ताकि इसका विश्लेषण किया जा सके।’’
गेब्रेयेसस ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने वायरस की उत्पत्ति से संबंधित वैज्ञानिक सलाहकार समूह (एसएजीओ) की बैठक आहूत की और इसकी बैठक मंगलवार को बैठक हुई।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा, ‘‘हमने चीन के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र के वैज्ञानिकों और अंतरराष्ट्रीय समूह के वैज्ञानिकों से डेटा का अपना विश्लेषण एसएजीओ को प्रस्तुत करने के लिए कहा। ये डेटा इस सवाल का निश्चित जवाब नहीं देता कि महामारी की शुरुआत कैसे हुई, लेकिन हमें उस जवाब के करीब ले जाने में डेटा का हर अंश महत्वपूर्ण है।’’
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने बृहस्पतिवार को एक खबर में कहा था कि वायरस विशेषज्ञों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने कहा है कि उन्हें ‘वुहान, चीन के एक बाजार से अनुवांशिक डेटा मिला है, जिससे कोरोना वायरस के वहां बिक्री के लिए रखे गए रैकून कुत्तों से जुड़े होने की बात सामने आई है।’’
खबर में कहा गया है कि अनुवांशिक डेटा हुआनन सीफूड होलसेल मार्केट और उसके आसपास से जनवरी 2020 के शुरुआत में एकत्रित नमूनों से लिया गया था। इसमें कहा गया है कि यह डेटा चीनी अधिकारियों द्वारा बाजार बंद किए जाने के तुरंत बाद एकत्र किया गया था।
पशुओं को तब बाजार से हटा दिया गया था और शोधकर्ताओं ने दीवारों और उन्हें लाने ले जाने में इस्तेमाल पिजरों व गाड़ियों से नमूने लिए थे।
विश्लेषण में शामिल तीन वैज्ञानिकों के हवाले से खबर में कहा गया है, ‘‘जिन नमूनों में कोरोना वायरस संक्रमण मिला, उनमें अंतरराष्ट्रीय शोध दल ने जानवरों से संबंधित अनुवांशिक सामग्री पाई, जिसमें बड़ी मात्रा में रैकून कुत्ते का डीएनए भी शामिल था।’’
खबर में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय टीम ने नये डेटा से सामना होने के बाद उन चीनी शोधकर्ताओं से सहयोग की पेशकश के साथ सम्पर्क किया जिन्होंने उक्त डेटा अपलोड किया था। हालांकि, बाद में डेटा जीआईएसएआईडी से हटा लिया गया।
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की खबर में कहा गया है कि वायरस और पशुओं से अनुवांशिक सामग्री का ‘‘एक साथ मिलना’’ यह साबित नहीं करता है कि एक रैकून कुत्ता खुद संक्रमित था।
खबर में कहा गया है, ‘‘यहां तक कि अगर कोई रैकून कुत्ता संक्रमित हो भी गया था, तो यह स्पष्ट नहीं होता कि उससे यह वायरस फैला था। हो सकता है कि किसी दूसरे पशु से वायरस मनुष्य में फैला हो, या वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति से वायरस रैकून कुत्ते में फैला हो।’’ (भाषा)
इस्लामाबाद (पाकिस्तान), 18 मार्च इस्लामाबाद की एक स्थानीय अदालत पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ तोशाखाना मामले में शनिवार को सुनवाई बहाल करेगी।
इससे पहले हुई सुनवाइयों में पेश नहीं होने पर कानून प्रवर्तन कर्मियों की खान को गिरफ्तार करने की कोशिशें अभी तक नाकाम रही हैं।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के 70 वर्षीय प्रमुख खान निर्वाचन आयोग द्वारा दायर शिकायत से जुड़ी कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीएसजे) जफर इकबाल की अदालत में पेश होंगे।
पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) ने संपत्ति संबंधी घोषणाओं में अपने उपहारों के विवरण को कथित रूप से छिपाने के लिए खान के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।
‘डॉन’ समाचार पत्र ने बताया कि खान अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ लाहौर स्थित अपने आवास से इस्लामाबाद के लिए निकले। इस्लामाबाद के जी-11 में न्यायिक परिसर के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं, जहां इमरान खान के दोपहर तक पहुंचने की संभावना है।
इस्लामाबाद प्रशासन ने शुक्रवार रात को राजधानी में धारा-144 लागू कर दी थी, जिसके तहत निजी कंपनियों, सुरक्षा गार्ड या अन्य व्यक्तियों के लिए हथियार रखना प्रतिबंधित है। खान पर पिछले साल नवंबर में जानलेवा हमला हुआ था।
अदालत ने पिछले बृहस्पतिवार को सुनवाई में इमरान खान की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उनके खिलाफ जारी गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट को निलंबित करने की मांग की गई थी।
बहरहाल, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने खान के खिलाफ जारी गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट को स्थगित करते हुए शुक्रवार को उन्हें एक अवसर दिया था, ताकि वह तोशाखाना मामले की सुनवाई कर रही जिला अदालत में शनिवार को पेश हो सकें।
खान उपहार खरीदने को लेकर विवादों में रहे हैं, जिसमें एक महंगी कलाई घड़ी भी शामिल है, जिसे उन्होंने तोशाखाना से रियायती कीमत पर खरीदा और फिर बेचकर लाभ कमाया।
वर्ष 1974 में स्थापित तोशाखाना कैबिनेट प्रभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक विभाग है। तोशाखाना में पाकिस्तानी शासकों, सांसदों, नौकरशाहों और अधिकारियों को अन्य देशों की सरकारों, राज्यों के प्रमुखों और विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से मिले कीमती उपहारों को संग्रहीत किया जाता है।
बिक्री का विवरण साझा नहीं करने के कारण पिछले साल अक्टूबर में पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने इमरान खान को अयोग्य घोषित कर दिया था। (भाषा)
न्यूयॉर्क, 18 मार्च। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2024 के राष्ट्रपति चुनाव प्रचार अभियान के तहत इस महीने के अंत में टेक्सास के वाको में अपनी पहली जनसभा करेंगे।
राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए ट्रंप के प्रचार अभियान से जुड़े अधिकारियों ने शुक्रवार को घोषणा की कि पूर्व राष्ट्रपति 25 मार्च की शाम को वाको में एक जनसभा को संबोधित करेंगे।
चूंकि, टेक्सास रिपब्लिकन पार्टी के प्रभाव वाला प्रांत है, जहां भारी तादाद में ट्रंप समर्थक मौजूद हैं, इसलिए जनसभा में बड़े पैमाने पर भीड़ जुटने की संभावना जताई जा रही है।
यह जनसभा ऐसे समय में आयोजित की जा रही है, जब कानून प्रवर्तन अधिकारी 2016 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप के नाम पर किए गए कथित गुप्त भुगतान को लेकर उनके खिलाफ संभावित कानूनी कार्रवाई के मद्देनजर सुरक्षा इंतजाम करने की कवायद में जुटे हैं।
मामले में ट्रंप को अभ्यारोपित किया जाता है, तो यह अमेरिकी इतिहास में पहली बार होगा, जब किसी पूर्व राष्ट्रपति पर किसी अपराध में आरोप लगाए जाएंगे।
न्यूयॉर्क की ग्रांड जूरी 2016 में पोर्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स को किए गए 1.30 लाख डॉलर के भुगतान में ट्रंप की संलिप्तता की जांच कर रही है। यह भुगतान इसलिए किए जाने का आरोप है कि डेनियल्स रिपब्लिकन नेता ट्रंप से अपने कथित यौन संबंधों पर चुप रहें।
डेनियल्स को धनराशि का भुगतान ट्रंप के पूर्व वकील माइकल कोहेन ने किया था। कोहेन ने दावा किया था कि ट्रंप ऑर्गनाइजेशन द्वारा उन्हें प्रतिपूर्ति और अतिरिक्त बोनस के रूप में 4.20 लाख डॉलर का भुगतान किया गया था। (एपी)
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान तोशाख़ाना मामले में आज कोर्ट में पेश होंगे. इस मामले में उनके ख़िलाफ़ ग़ैर-जमानती वारंट जारी हुआ था.
उन्हें 18 मार्च को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा गया था.
इस मामले की सुनवाई की जगह भी बदल गई है. सुनवाई इस्लामाबाद के सत्र न्यायालय की बजाय अब ज्यूडिशियल कॉम्प्लेक्स में होगी.
तहरीक़-ए-इंसाफ़ पार्टी के प्रमुख ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी. इसी का हवाला देते हुए उन्होंने कोर्ट में हाज़िर होने में असमर्थता जाहिर की थी. इसे देखते हुए सुनवाई की जगह बदल दी गई है.
वहीं, इमरान ख़ान को लाहौर हाई कोर्ट से शुक्रवार को नौ मामलों में सुरक्षात्मक जमानत भी दी गई है.
इमरान ख़ान के वकील ने कोर्ट से कहा था कि "अगर उन्हें 15 दिन दिए गए, तो वो सभी मामलों में पेश होने की कोशिश करेंगे."
इमरान ख़ान ने कोर्ट से कहा, "मेरे चुनावी कैंपेन पर असर पड़ा है. पहले किसी भी दूसरे नेता के साथ ऐसा बर्ताव नहीं किया गया. आपने (कोर्ट) ने हमें बचाया है."
कोर्ट ने उन्हें 28 मार्च तक के लिए बेल दे दी है. (bbc.com/hindi)
अपने यूट्यूब चैनल से दो साल ग़ायब रहने के बाद पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर यूट्यूब पर वापसी की है.
उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल और अपने फ़ेसबुक पन्ने पर 11 सेकंड का एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने लिखा, "आई एम बैक!"
ये वीडियो उनकी एक चुनावी रैली का है जिसमें वो कह रहे हैं, "आपको इंतज़ार कराने के लिए माफ़ी, ये जटिल मामला है."
साल 2020 में हुए राष्ट्रपति चुनावों में हार के बाद उनके समर्थकों ने वॉशिंगटन में मौजूद कैपिटल बिल्डिंग पर हमला बोल दिया था, जिसके बाद उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स को फ्रीज़ कर दिया गया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने अपने समर्थकों को हमला करने के लिए सोशल मीडिया के ज़रिए उन्हें भड़काया.
माना जा रहा है कि वो एक बार फिर राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, इसी के मद्देनज़र उन्हें फिर से सोशल मीडिया पर आने की इजाज़त दी गई है.
यूट्यूब ने कहा है कि वोटर को चुनाव लड़ रहे सभी मुख्य उम्मीदवारों की बात सुनने का हक़ है.
इसी साल जनवरी में ट्रंप ने फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पर भी वापसी की थी. बीते साल नवंबर में उनका ट्विटर अकाउंट भी फिर से बहाल कर दिया गया था.
अमेरिकी सिविल लिबर्टीज़ यूनियन ने इस फ़ैसले का स्वागत किया है. हालांकि, मीडिया मैटर्स जैसे कुछ एडवोकेसी ग्रुप्स ने इसकी आलोचना की है और कहा है कि इससे सार्वजनिक सुरक्षा के लिए ख़तरा हो सकता है, मेटा (फ़ेसबुक की कंपनी) इस बात को नज़रअंदाज़ कर रही है. (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक़-ए-इंसाफ़ के प्रमुख इमरान ख़ान को लाहौर हाई कोर्ट से बेल मिल गई है.
इमरान ख़ान के वकील ने कोर्ट से कहा था कि 'अगर उन्हें 15 दिन दिए गए, तो वो सभी मामलों में पेश होने की कोशिश करेंगे.'
इमरान ख़ान ने कोर्ट से कहा, "मेरे चुनावी कैंपेन पर असर पड़ा है. पहले किसी भी दूसरे नेता के साथ ऐसा बर्ताव नहीं किया गया."
"आपने (कोर्ट) ने हमें बचाया है."
जस्टिस तारिक़ सलीम ने इमरान ख़ान से कहा कि उन्होंने केस को ग़लत तरीके से हैंडल किया है.'
हालांकि इसके बाद कोर्ट ने उन्हें 28 मार्च तक के लिए बेल दे दी.
इससे पहले इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने पुलिस से कहा है कि वो इमरान ख़ान को कल अदालत में हाज़िर होने से पहले गिरफ़्तार न करे.
कोर्ट ने कहा था कि इमरान ख़ान को अदालत में पेश होने दिया जाना चाहिए.
अदालत ने ये फ़ैसला इमरान ख़ान के वकीलों के उस हलफ़नामे के बाद सुनाया जिसमें ये वादा किया गया था कि उनके मुव्वकिल शनिवार को अदालत में पेश होंगे. (bbc.com/hindi)
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ़ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है.
आईसीसी ने पुतिन पर युद्ध अपराधों का अभियोग लगाया है. इन अपराधों में बच्चों को ग़ैरकानूनी तरीके से यूक्रेन से रूस भेजना शामिल है.
इसमें कहा गया है कि यूक्रेन में 24 फरवरी 2022 से अपराध किए गए थे - जब रूस ने अपना पूरा आक्रमण शुरू किया था.
रूस ने आक्रमण के दौरान युद्ध अपराधों के आरोपों से इनकार किया है.
गिरफ्तारी वारंट का जवाब देते हुए, रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा है कि इसका "कोई महत्व नहीं है"
प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने अपने टेलीग्राम चैनल पर कहा, "इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के फैसलों का हमारे देश के लिए कानूनी दृष्टिकोण से कोई मतलब नहीं है." (bbc.com/hindi)
भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही ने शुक्रवार को कहा कि राजनयिक संबंधों को पुनर्जीवित करने के लिए ईरान और सऊदी अरब के बीच चीन की मध्यस्थता वाला समझौता भारत के लिए चिंता का विषय नहीं होना चाहिए. यह क्षेत्रीय स्थिरता प्रदान करेगा. ये नई दिल्ली के हितों के लिए भी फायदेमंद होगा.
समझौते के तहत, ईरान और सऊदी अरब ने संबंध तोड़ने के सात साल बाद पिछले हफ्ते अपने राजनयिक संबंधों की पूर्ण बहाली की घोषणा की.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक इलाही ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "मुझे लगता है कि यह (समझौता) भारत के लिए चिंता का विषय नहीं होना चाहिए. यह भारत के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि यह खाड़ी क्षेत्र में स्थिरता और शांति में मदद करेगा और इसमें तेज़ी लाएगा."
"ये चीन की मध्यस्थता से हुआ है, बावजूद इसके इससे भारत को फ़ायदा होगा."
भारत ने गुरुवार को समझौते का स्वागत करते हुए कहा कि उसने मतभेदों को दूर करने के लिए हमेशा बातचीत और कूटनीति की वकालत की है. (bbc.com/hindi)
कराची, 17 मार्च। पाकिस्तान के अशांत प्रांत बलूचिस्तान में हथियारबंद लोगों ने एक कबायली नेता समेत सात लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
बलूचिस्तान में अर्द्धसैनिक बल ‘लेवीज फोर्सज़’ ने बताया कि घटना बृहस्पतिवार को मुर्गा किबज़ई इलाके में हुई जो ज़ोब शहर से करीब 80 किलोमीटर दूर है।
पुलिस ने बताया कि बंदूकधारियों ने एक गाड़ी पर गोलीबारी की जिसमें कबायली नेता अहमद खान किबज़ई, उनके दो भाइयों समेत सात लोग सवार थे और घटना में सभी की मौत हो गई।
पुलिस ने बताया कि बंदूकधारियों ने स्वचालित हथियारों से गाड़ी पर गोलीबारी की थी। किसी भी समूह ने हमले की ज़िम्मेदारी नहीं ली है।
पुलिस ने कहा कि किबज़ई की स्थानीय स्तर पर दुश्मनी थी और हो सकता है कि इस शत्रुता की वजह से उनपर हमला किया गया हो।
बलूचिस्तान प्रांत में कानून एवं व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति संघीय सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा रही है जो पहले ही देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश कर रही है। (भाषा)
लाहौर, 17 मार्च। अपदस्थ प्रधानमंत्री इमरान खान शुक्रवार को यहां एक अदालत के समक्ष पेश होंगे और आश्वासन देंगे कि वह अपने खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले को देख रहे न्यायाधीश के समक्ष शनिवार को उपस्थित होने को तैयार हैं।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख खान (70) तोशाखाना मामले में गिरफ्तारी से बच रहे हैं और अपने जमान पार्क स्थित घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं जिसे उसके सैकड़ों समर्थकों ने घेर रखा है।
पिछले कुछ दिन से समर्थकों की पुलिस और रेंजर्स से झड़प हो रही हैं।
पीटीआई नेता फवाद चौधरी ने शुक्रवार को मीडियाकर्मियों से कहा, ‘‘इमरान खान खुद लाहौर उच्च न्यायालय आएंगे और न्यायाधीश को आश्वासन देंगे कि वह इस्लामाबाद की अदालत में जाने को तैयार हैं।’’
उन्होंने कहा कि अदालत को शपथपत्र भी दिया गया है।
इस्लामाबाद में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश जफर इकबाल ने 28 फरवरी को खान के लिए गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट दोबारा जारी किया था और पुलिस को 18 मार्च तक उन्हें अदालत में लाने को कहा था।
न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि खान को अदालत से किसी तरह की राहत मिलने से पहले बिना शर्त आत्मसमर्पण कर देना चाहिए।
खान मामले में कई सुनवाइयों में शामिल नहीं हुए हैं। (भाषा)
-ज़ोया मतीन
वाशिंगटन, 17 मार्च । अमेरिका ने लॉस एंजिलिस के पूर्व मेयर एरिक गार्सेटी को आख़िरकार भारत में अपना राजदूत नियुक्त कर दिया है. बाइडन सरकार ने जुलाई 2021 में उन्हें इस पद के लिए नामांकित किया था.
लेकिन बाइडन के क़रीबी गार्सेटी की नियुक्ति उस समय रोक ली गई थी. गार्सेटी पर आरोप था कि मेयर रहते हुए उन्होंने अपने नज़दीकी सहयोगी पर लगे यौन प्रताड़ना के आरोपों की अनदेखी की.
हालांकि गार्सेटी ने इन आरोपों का खंडन किया था.
आख़िर बुधवार को सीनेट ने 42 के मुक़ाबले 52 वोटों से उनकी नियुक्ति को मंज़ूरी दे दी. हालांकि कुछ डेमोक्रेट्स उनकी नियुक्ति के पक्ष में नहीं थे और उन्होंने इस नियुक्ति के ख़िलाफ़ वोट दिया.
भारत में जनवरी 2021 से ही अमेरिकी राजदूत का पद खाली था. जबकि भारत और अमेरिका के बीच मज़बूत कारोबारी और रक्षा संबंधों की वजह से ये काफ़ी अप्रत्याशित था.
विश्लेषकों का कहना है कि बाइडन भारत और अमेरिका के रिश्तों को और मज़बूत करने के पक्ष में हैं. दरअसल एशियाई महाद्वीप में अमेरिका, चीन के असर को सीमित करना चाहता है. इस लिहाज़ से भारत उसके मक़सद के मुफ़ीद बैठता है.
हालांकि गार्सेटी की नियुक्ति ऐसे वक्त में हुई है, जब अमेरिका और भारत के रिश्तों के बीच रूस का पेच फंसा हुआ है. रूस और यूक्रेन के बीच जंग में भारत ने अपना रवैया निष्पक्ष रखा है. इससे अमेरिका परेशान है.
भारत ने इस युद्ध की तो खुलेआम निंदा नहीं की है, लेकिन उसने ''यूएन चार्टर, अंतरराष्ट्रीय क़ानून और देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता बरक़रार रखने की अहमियत पर ज़ोर दिया है.''
गार्सेटी पर क्या थे आरोप
दरअसल भारत रूसी हथियारों का सबसे बड़ा आयातक है. इसके साथ ही वह रूस से बड़े पैमाने पर कच्चा तेल मंगा रहा है. इस मामले में वह अमेरिका और यूरोप की प्रतिबंधों की अनदेखी कर रहा है.
बुधवार को एरिक गार्सेटी की नियुक्ति पर वोटिंग के बाद अमेरिकी सीनेटर चक शुमर ने कहा, '' भारत और अमेरिका के रिश्ते काफ़ी अहम हैं. ये बड़ी अच्छी बात है कि अब भारत में अमेरिका का राजदूत होगा.''
गार्सेटी कोलंबिया यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट हैं. राजनीति में आने से पहले वह अमेरिकी नौसेना में 12 साल की सेवा दे चुके थे. 2013 में वह लॉस एंजिलिस के मेयर बने.
2013 में इस पद को संभालते वक्त वो बीते सौ साल में इस शहर के सबसे कम उम्र के मेयर थे. वह पहले यहूदी हैं जो इस पद के लिए चुने गए थे. गार्सेटी 2022 तक यहां के मेयर रहे.
गार्सेटी बाइ़डन के क़रीबी सहयोगी हैं. 2020 में वह राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की दौड़ में बाहर होने के बाद बाइडन के चुनाव अभियान के सह-अध्यक्ष रहे थे.
जुलाई 2021 में बाइडन ने उन्हें भारत में अमेरिका का राजदूत बनाने के लिए नामांकित किया था. लेकिन 2022 में सीनेट की एक रिपोर्ट में कहा गया कि मेयर रहते हुए उन्होंने अपने नज़दीकी सलाहकारों में से एक रिक जैकब्स के ख़िलाफ़ लगे यौन प्रताड़ना के आरोपों की अनदेखी की थी.
इस रिपोर्ट में कहा गया था, ''जैकब्स के ख़िलाफ़ कई व्हिसल ब्लोअर ने पुख़्ता आरोप लगाए हैं.''
हालांकि रिपोर्ट में कहा गया था कि ऐसा नहीं कहा जा सकता कि मेयर गार्सेटी को इस बारे में व्यक्तिगत रूप से पता था या फिर उन्हें इस बारे में पता होना चाहिए था.
इस बीच, जुलाई 2021 में बाइ़डन ने गार्सेटी को भारत के राजदूत के तौर पर नामांकित कर दिया.
बुधवार को भारत में अमेरिकी राजदूत के तौर पर अपने नाम पर मुहर लगने के बाद गार्सेटी ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा कि उन्होंने कभी भी अपना नाम वापस लेने के बारे में नहीं सोचा.
गार्सेटी ने कहा, ''मैंने राष्ट्रपति बाइडन से मुलाकात की है. मुझे उनका सौ फ़ीसदी समर्थन है.''
भारत में अमेरिकी राजदूत कितना अहम?
'अ मैटर ऑफ़ ट्रस्ट: अ हिस्ट्री ऑफ़ इंडिया-यूएस रिलेशन फ़्रॉम ट्रुमैन टु ट्रंप' की लेखिका मीनाक्षी अहमद ने न्यूयॉर्क टाइम्स में इस मुद्दे पर एक लेख लिखा था.
मीनाक्षी ने लिखा था, ''यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि अमेरिका ने पिछले दो सालों से भारत में अपना कोई राजदूत नहीं रखा है. बाइडन भारत को कई बार अहम साझीदार कह चुके हैं, तब भी यह हाल है. दोनों देशों के संबंधों में अमेरिकी राजदूत की अहम भूमिका रही है.''
मीनाक्षी ने लिखा है, ''1962 में चीन ने भारत पर हमला किया तो जॉन केनेथ गोल्ब्रेथ नई दिल्ली में अमेरिकी राजदूत थे. गोल्ब्रेथ तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ़ केनेडी के क़रीबी थे. इसके साथ ही भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से भी उनके अच्छे संबंध थे. युद्ध के दौरान अमेरिकी हथियारों की खेप भारत भिजवाने में उनकी अहम भूमिका मानी जाती है."
"इससे पहले नेहरू अमेरिका से मदद मांगने में संकोच कर रहे थे. गोल्ब्रेथ ने तब नेहरू और केनेडी के बीच कड़ी का काम किया था और दोनों देशों को क़रीब लाने में कामयाब रहे थे. नेहरू और केनेडी के बीच अविश्वास को केनेथ ने ख़त्म कर दिया था. 1962 में अमेरिका ने भारत का समर्थन कर संबंधों में नई गर्मजोशी ला दी थी. गोल्ब्रेथ भारत में काफ़ी लोकप्रिय हो गए थे.'' (bbc.com/hind)
नई दिल्ली, 17 मार्च । चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अगले हफ़्ते मॉस्को में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाक़ात करेंगे.
रूस ने कहा है कि दोनों "व्यापक साझेदारी और रणनीतिक सहयोग" को लेकर चर्चा करेंगे.
मुलाक़ात ऐसे समय पर होगी, जब चीन ने यूक्रेन की जंग को ख़त्म करने का प्रस्ताव रखा है.
इस प्रस्ताव पर पश्चिमी देशों की सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है.
हालाँकि पश्चिमी देशों ने चीन को रूस को हथियार न देने की चेतावनी दी है.
हालाँकि इसकी पुष्टि अभी नहीं की गई है.
चीन के विदेश मंत्री ने कहा है जिनपिंग पुतिन के न्योते पर रूस जा रहे हैं और 20 से 22 मार्च तक वहाँ रहेंगे.
चीन के एक प्रवक्ता ने इसे "मित्रता और शांति" का दौरा बताया है.
फ़रवरी में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा था कि वो जिनपिंग से मिलकर उनके प्रस्ताव पर चर्चा करना चाहते हैं.
उन्होंने कहा था, "मैं सच में इस बात पर भरोसा करना चाहता हूँ कि चीन रूस को हथियार सप्लाई नहीं कर रहा है."
हालाँकि अमेरिका ने कहा है कि चीन हथियारों की सप्लाई के बारे में विचार कर रहा है.
अमेरिकी मीडिया ने शुक्रवार को बताया कि जिनपिंग रूस दौरे के बाद ज़ेलेस्की से वर्चुअल मुलाक़ात करेंगे. (bbc.com/hindi)
यूक्रेन, 17 मार्च । यूक्रेन ने कहा है कि जिन देशों ने यूक्रेन के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया है, उन्हें युद्ध समाप्त होने के बाद ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा.
यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने बीबीसी को दिए विशेष इंटरव्यू में कहा कि भविष्य में रिश्ते बनाते समय इस बात को ध्यान में रखा जाएगा कि किन देशों ने रूस के आक्रमण के दौरान क्या फ़ैसला किया.
उन्होंने पश्चिमी देशों की ओर से हथियार मिलने में देरी का भी मामला उठाया. कुलेबा ने कहा कि हथियार मिलने में देरी यूक्रेन के लोगों की जान जाने की वजह बनेगी.
उन्होंने कहा- अगर हथियार मिलने में एक दिन की भी देरी होगी, तो इसका मतलब ये है कि कोई न कोई मारा जाएगा.
कुलेबा ने कहा कि अभी इसके कोई संकेत नहीं हैं कि रूस लड़ाई ख़त्म करने के लिए बातचीत करने को तैयार होगा, लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि हर युद्ध का अंत बातचीत से ही होता है.
चीन का ज़िक्र करते हुए यूक्रेन के विदेश मंत्री ने कहा कि अभी तक चीन के राष्ट्रपति और यूक्रेन के राष्ट्रपति के बीच बातचीत की कोशिश सफल नहीं हो पाई है.
उन्होंने कहा कि उनके राष्ट्रपति चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फ़ोन पर बात के लिए तैयार थे. हालाँकि उन्होंने इससे इनकार किया कि स्थिति ऐसी बन गई है जिसमें चीन रूस को हथियार देने को तैयार है. (bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 17 मार्च । पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट में अपील की है कि उनके ख़िलाफ़ दर्ज मामलों में कोर्ट की अनुमति के बिना उन्हें गिरफ़्तार ना किया जाए.
इमरान ख़ान की याचिका में कहा गया है कि जब से पीडीएम (गठबंधन की सरकार) सत्ता में आई है उनके ख़िलाफ़ रोज देश भर में मामले दर्ज हो रहे हैं. उन पर वज़ीराबाद में जानलेवा हमला भी हुआ था और उनकी जान को गंभीर ख़तरा है.
याचिका में देश भर में दायर मामलों का रिकॉर्ड भी मांगा गया है. साथ ही बिना कोर्ट की अनुमति के उनकी गिरफ़्तारी पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है.
इमरान ख़ान ने कोर्ट को ये आश्वासन दिया है कि वो शनिवार को खुद कोर्ट में उपस्थित होंगे.
इसके अलावा इमरान ख़ान के वकील ने वारंट रद्द करने के अनुरोध को खारिज करने के फ़ैसले को चुनौती दी है.
साथ ही कोर्ट से पर तुरंत सुनवाई का भी अनुरोध किया गया है. हालांकि, हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार दफ़्तर ने याचिका को अभी स्वीकार नहीं किया है.
इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ 83 एफ़आईआर दर्ज हैं. मौजूद हंगामा दो मामलों को लेकर हो रहा है, तोशाखाना और महिला न्यायाधीश के अपमान का मामला.
इन दोनों में उनके ख़िलाफ़ गैर-जमानती वारंट जारी हुआ था. लेकिन,अब सिर्फ़ तोशाखान मामले में वारंट बचा हुआ है.
न्यायाधीश ज़ेबा चौधरी के मामले में वारंट को गुरुवार दोपहर रद्द कर दिया गया. उन्हें सोमवार को अदालत में बुलाया गया है.
तोशाख़ाना मामले को लेकर ही पुलिस इमरान ख़ान के घर के बाहर पहुंची थी.अब उन्हें 18 मार्च को इस्लामाबाद हाई कोर्ट पेश होना है. (bbc.com/hindi)
तेल अवीव, 17 मार्च। इज़राइल के पूर्व प्रधानमंत्री एहुद ओलमर्ट ने बृहस्पतिवार को विश्व नेताओं से देश के वर्तमान प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को अलग-थलग करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि नेतन्याहू इज़राइल की न्याय प्रणाली को खत्म करने की योजना के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
इज़राइल के करीबी सहयोगी अमेरिका और जर्मनी ने भी नेतन्याहू से संयम बरतने की अपील की है।
संयम बरतने और अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप का यह दुर्लभ आह्वान ऐसे समय में किया गया है, जब इज़राइल में नेतन्याहू की योजना के विरोध में हजारों लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
न्यायिक प्रणाली में बदलाव के लिए नेतन्याहू द्वारा पेश प्रस्ताव के अमल में आने से इज़राइली संसद को उच्चतम न्यायालय के फैसलों को पलटने और न्यायधीशों की नियुक्ति करने का अधिकार मिल जाएगा। इसके विरोध में इज़राइल में व्यापक स्तर पर प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
वर्ष 2006 से 2009 तक इज़राइल के प्रधानमंत्री रहे ओलमर्ट ने ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ से कहा कि विश्व नेताओं को नेतन्याहू से मिलने से मना कर देना चाहिए।
उन्होंने खासकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से अपील की, जिनके आने वाले हफ्तों में नेतन्याहू की मेजबानी करने की उम्मीद है।
ओलमर्ट ने कहा, ‘‘मैं इज़राइल के मित्र देशों के नेताओं से नेतन्याहू के साथ बैठक न करने का आग्रह करता हूं।’’
ओलमर्ट ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी है कि इज़राइल के पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में उनका आह्वान ‘‘काफी असाधारण’’ है, लेकिन यही समय की मांग है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इज़राइल की मौजूदा सरकार पूरी तरह से देश विरोधी है।’’
इस बीच, देश के पांच विपक्षी दलों के नेताओं ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन किया और नेतन्याहू से राष्ट्रपति का समझौता प्रस्ताव स्वीकार करने को कहा।
विपक्ष के नेता येर लापिद ने कहा कि वह ‘‘राष्ट्रपति के प्रस्ताव का स्वागत करते हैं।’’
राष्ट्रपति आइजैक हरज़ोग ने टेलीविजन पर प्रसारित संबोधन में नेतन्याहू को समझौते की पेशकश की थी। हरज़ोग ने कहा था कि उन्होंने समाज के विभिन्न तबकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया था, जिसमें यह निष्कर्ष निकला कि इज़राइल के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए एक समझौते पर सहमति बनना जरूरी है।
इस बीच, बर्लिन में नेतन्याहू के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने योजना के बारे में चिंता व्यक्त की और ‘‘व्यापक स्तर पर बुनियादी सहमति’’ हासिल करने के लिए इज़राइल के राष्ट्रपति के प्रयासों की सराहना की।
नेतन्याहू की मौजूदगी में स्कोल्ज़ ने कहा, ‘‘इज़राइल एक करीबी दोस्त है, जिसके साथ हम लोकतांत्रिक मूल्य साझा करते हैं। हम इस बहस पर करीबी नजर बनाए हुए हैं और मैं इस तथ्य को नहीं छिपा सकता कि हम बड़ी चिंता के साथ इस पर नजर रखे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता एक बहुमूल्य लोकतांत्रिक ताकत है।’’
नेतन्याहू ने स्कोल्ज़ की बात का उन पर कोई असर न होने का संकेत दिया।
उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘देश में जो भी हो रहा है, मुझे उसकी पूरी जानकारी है, लेकिन हमें कुछ ऐसा लाने की जरूरत है, जो हमें मिले जनादेश के अनुरूप हो।’’
इस बीच, व्हाइट हाउस ने भी हरज़ोग के प्रयासों की सराहना की।
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा, ‘‘हमारे लोकतंत्र की महानता... और स्पष्ट रूप से इज़राइल के लोकतंत्र की महानता... मजबूत संस्थानों पर आधारित है, जिसमें नियंत्रण और संतुलन शामिल है, जो एक स्वतंत्र न्यायपालिका को बढ़ावा देते हैं।’’
उन्होंने कहा कि हरज़ोग के प्रयास ‘‘इन्हीं समान लोकतांत्रिक सिद्धांतों के अनुरूप हैं।’’
एपी निहारिका पारुल पारुल 1703 0930 तेलअवीव (एपी)
नॉर्वे की नोबल कमिटी के डिप्टी लीडर एस्ले टोजे का पीएम मोदी को नोबेल पुरस्कार का मज़बूत दावेदार बताने वाली ख़बर को लेकर एक वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में एस्ले टोजे एक ख़बर को फ़र्ज़ी बताते हुए दिख रहे हैं. टोजे का कहना है कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ये वीडियो डालते हुए लिखा है, ''नॉर्वे के नामी अकादमिक एस्ले टोजे भारत के दौरे पर हैं. मैं इस बात से थोड़ा उलझन में था कि उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी नोबेल शांति पुरस्कार के मज़बूत दावेदार हैं. डॉक्टर टोजे ने इसे पूरी तरह ख़ारिज कर दिया है.''
उन्होंने आरोप लगाया, ''उनका 'बयान' गोदी मीडिया में दिखाया गया था, लेकिन उसे ख़ारिज करना नहीं दिखाया गया.''
इस वीडियो में एस्ले टोजे समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते दिख रहे हैं. वह कह रहे हैं, ''मैं भारत में नोर्वे नोबेल कमिटी के डिप्टी लीडर के तौर पर नहीं आया हूं. मैं यहां इंटरनेशनल पीस और अंडरस्टेंडिंग के डायरेक्टर और इंडिया सेंटर फ़ाउंडेशन के दोस्त के तौर पर यहां हूं.''
''मैं भारत में राजनीतिक और विकास को लेकर बात करने के लिए आया हूं. एक फ़र्ज़ी ट्वीट चल रहा है जिसे फ़र्ज़ी ख़बर ही मानना चाहिए. हमें इस पर ऊर्जा और समय नष्ट नहीं करना चाहिए. मैं साफ़तौर पर इसे ख़ारिज करता हूं कि उस ट्वीट में जो है मैंने उससे जुड़ा कुछ नहीं कहा.''
हालांकि, एस्ले टोजे ने यूक्रेन-रूस मामले में पीएम मोदी के उस बयान की तारीफ़ की जिसमें उन्होंने रूसी राष्ट्रपति से कहा था कि ''ये युद्ध का समय नहीं है.''
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक एस्ले टोजे ने कहा था, ''पीएम मोदी का ये बयान उम्मीद की किरण है. भारत ने ये संकेत दिए हैं कि आज के समय में हमें विवादों को ऐसे नहीं सुलझाना चाहिए.''
''भारत चिल्लाकर नहीं बोलता और किसी को धमकी नहीं देता, वो दोस्ताना तरीक़े से अपनी बात रख देता है. भारत दुनिया की प्रमुख शक्तियों में से एक है.'' (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने गुरुवार को कहा कि अगर पूर्व पीएम इमरान ख़ान अदालत के आदेश नहीं मानते हैं तो एक नई रणनीति बनाई जाएगी.
उन्होंने एक निजी समाचार चैनल से बातचीत में कहा कि इमरान ख़ान को अदालत के आदेशों का सम्मान करना चाहिए और जनता का समय बर्बाद करने के तरीक़े नहीं अपनाने चाहिए.
राणा सनाउल्लाह ने आरोप लगाया कि पीटीआई प्रमुख इमरान ख़ान देश में अशांति फ़ैलाकर राजनीतिक फ़ायदा उठा रहे हैं. वह ख़ुद और उनके समर्थनक क़ानून व्यवस्था का उल्लंघन करते पाए गए हैं.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इमरान ख़ान को गिरफ़्तार करना हमारी प्राथमिकता नहीं है, लेकिन उन्होंने देश में अव्यवस्था पैदा कर दी है. इमरान ख़ान के अदालत में पेश होने को लेकर दिए गए आदेश को हम लागू करेंगे.
वहीं, इमरान ख़ान ने गुरुवार को दावा किया है कि सरकार उन्हें "पुलिस कस्टडी में रखकर उन पर अत्याचार करना और उनकी हत्या करना चाहती है."
इमरान ख़ान को गिरफ़्तार करने के लिए गुरुवार को पुलिस उनके घर पहुंची थी, लेकिन उन्हें गिरफ़्तार नहीं कर सकी. इसके बाद पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ नई एफ़आईआर दर्ज की है. इस नई एफ़आईआर के अनुसार, इमरान ख़ान पर पुलिस पर हमला करने के लिए लोगों को भड़काने का आरोप है.
इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ 83 एफ़आईआर दर्ज हैं. मौजूद हंगामा दो मामलों को लेकर हो रहा है, तोशाखाना और महिला न्यायाधीश के अपमान का मामला.
इन दोनों में उनके ख़िलाफ़ गैर-जमानती वारंट जारी हुआ था. लेकिन, अब सिर्फ़ तोशाखान मामले में वारंट बचा हुआ है. न्यायाधीश ज़ेबा चौधरी के मामले में वारंट को गुरुवार दोपहर रद्द कर दिया गया. उन्हें सोमवार को अदालत में बुलाया गया है.
तोशाख़ाना मामले को लेकर ही पुलिस इमरान ख़ान के घर के बाहर पहुंची थी.अब उन्हें 18 मार्च को इस्लामाबाद हाई कोर्ट पेश होना है. (bbc.com/hindi)