अंतरराष्ट्रीय
जकार्ता, 6 दिसंबर। इंडोनेशिया की संसद ने अपनी दंड संहिता में बहु-प्रतीक्षित एवं विवादास्पद संशोधन को पारित कर दिया है, जिसके तहत विवाहेतर यौन संबंध दंडनीय अपराध है और यह देश के नागरिकों तथा विदेशियों पर समान रूप से लागू होता है।
एक संसदीय कार्यबल ने नवंबर में विधेयक को अंतिम रूप दिया था और सांसदों ने मंगलवार को इसे पारित कर दिया।
‘द एसोसिएटेड प्रेस’ के पास मौजूद संशोधित दंड संहिता की एक प्रति के अनुसार, विवाहेतर यौन संबंध का दोषी पाए जाने पर एक साल की जेल की सजा का प्रावधान है, लेकिन व्यभिचार का आरोप पति, माता-पिता या बच्चों द्वारा दर्ज की गई पुलिस शिकायत पर आधारित होना चाहिए।
उसके अनुसार, गर्भनिरोधक और ईश-निंदा को बढ़ावा देना अवैध है। वहीं मौजूदा राष्ट्रपति व उप राष्ट्रपति, देश के संस्थानों और राष्ट्रीय विचारधारा का अपमान करने के कृत्यों पर प्रतिबंध को भी बहाल कर दिया गया है।
संहिता के अनुसार, गर्भपात एक अपराध है, हालांकि इसमें वे महिलाएं जिन्हें गर्भ कायम रखने से उनकी जान को खतरा हो या जो बलात्कार के बाद गर्भवती हो गई हों उन्हें अपवाद माना गया है, लेकिन गर्भ 12 सप्ताह से कम का हो, जैसा कि 2004 के ‘मेडिकल प्रैक्टिस’ कानून में पहले से ही विनियमित है।
मानवाधिकार समूहों ने कुछ प्रस्तावित संशोधनों की व्यापक स्तर पर निंदा की और आगाह किया कि उन्हें नई दंड संहिता में शामिल करने से सामान्य गतिविधियों को दंडित किया जा सकता है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व गोपनीयता के अधिकारों को खतरा हो सकता है। हालांकि, कुछ ने इसे देश के एलजीबीटीक्यू (समलैंगिक समुदाय) अल्पसंख्यकों की जीत करार दिया है।
सांसद एक गहन विचार-विमर्श के बाद अंतत: इस्लामी समूहों द्वारा प्रस्तावित एक अनुच्छेद को निरस्त करने पर सहमत हुए, जिसमें समलैंगिक यौन संबंधों को अवैध घोषित किया गया था।
दंड संहिता में अपराधिक न्याय प्रणाली के तहत मृत्युदंड को बरकरार रखा गया है, जबकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अन्य समूहों ने इसे निरस्त करने की मांग की थी जैसा कि अन्य कई देशों ने भी किया है। (एपी)
इंडोनेशिया, 6 दिसंबर । विवादों के बीच इंडोनेशिया की संसद ने मंगलवार को नए आपराधिक क़ानून को पास कर दिया, जिसके तहत शादी से पहले यौन संबंध बनाना और विवाहेत्तर संबंध अपराध की श्रेणी में होगा. दोषी पाए जाने पर जेल की सज़ा होगी.
हालांकि, इंडोनेशिया के क़ानून मंत्री ने कहा कि नया क्रिमिनल कोड तीन साल बाद लागू होगा.
नए क़ानून को अधिकांश सांसदों का समर्थन मिला. संसद के एक विशेष सत्र के दौरान सदन के उपाध्यक्ष ने नए क़ानून की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब ये 'वैध है.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार इंडोनेशिया के सामाजिक कार्यकर्ता नए क़ानून का विरोध कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि इससे मुस्लिम बहुल देश में नागरिकों की आज़ादी छिन सकती है.
इंडोनेशिया के क़ानून और मानवाधिकार मंत्री यसोना लेओली ने कहा, "हमने सभी ज़रूरी मुद्दों और अलग-अलग विचारों को जगह देने की पूरी कोशिश की है. हालांकि,अब समय आ गया है जह हम दंड संहिता में संशोधनों को स्वीकार करे और औपनिवेशिक काल के क़ानून को पीछे छोड़ दें."
इंडोनेशिया की नई दंड संहिता में जिस अनुच्छेद पर सबसे अधिक विवाद हो रहा है वह शादी से पहले यौन संबंधों और शादी में रहते हुए किसी अन्य के साथ संबंधों को अपराध बनाता है.
नए आपराधिक क़ानून के आलोचकों को डर है कि इन नियमों का इंडोनेशिया में रहने वाले एलजीबीटीक्यू समुदाय पर बहुत बड़ा असर पड़ेगा, जहां अभी तक समलैंगिक विवाह को मंज़ूरी नहीं मिली है.
क़ानून मंत्रालय के प्रवक्ता एलबर्ट एरीज़ ने बदलाव का बचाव करते हुए कहा कि इससे शादी जैसी संस्थाओं की रक्षा होगी. उन्होंने कहा कि शादी से पहले और विवाहेत्तर यौन-संबंध बनाने के मामलों की शिकायत जीवनसाथी, माता-पिता या बच्चे कर सकते हैं. (bbc.com/hindi)
कनाडा, 6 दिसंबर । कनाडा के ब्रैम्पटन की रहने वाली एक 21 वर्षीय सिख युवती की गोली मारकर हत्या का मामला सामने आया है. पुलिस को अंदेशा है कि ये 'टारगेट किलिंग' हो सकती है.
टोरंटो सन की ख़बर के अनुसार युवती पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई गईं. पील रीजनल पुलिस ने बताया कि ये हमला मिसिसॉजा गैस स्टेशन के पास हुआ.
अधिकारियों के अनुसार, महिला की पहचान पवनप्रीत कौर के तौर पर हुई है जो गैस स्टेशन पर ही काम करती थीं.
एक प्रत्यक्षदर्शी मार्क सैंडोवल ने टोरंटो सन को बताया, "हमने हमलावर को पीड़िता के माथे पर बंदूक़ ताने हुए देखा था." कुछ अन्य प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, महिला को तीन से चार बार गोली मारी गई.
ट्रिब्यून इंडिया की ख़बर के अनुसार, पुलिस जानकारी मिलने के बाद मौके पर पहुंची, लेकिन पवनप्रीत कौर की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी. उन्हें तत्काल इलाज देने की कोशिश की गई, लेकिन ये नाकाम रही.
पुलिस के अनुसार, घटनास्थल से अभी तक कोई हथियार बरामद नहीं हुआ है.
ये मामला ऐसे समय में सामने आया है जब कुछ दिन पहले ही भारतीय मूल की 18 वर्षीय महकप्रीत सेठी को भी सरी के एक पार्किंग लॉट में चाकूओं से गोद-गोदकर मारा गया था.
टोरंटो सन की ख़बर के अनुसार, अभी तक हमलावर की पहचान नहीं हो सकी है. ये भी जानकारी नहीं है कि हमला किसी महिला ने किया या पुरुष ने. पुलिस अधिकारी ने टोरंटो सन को बताया, "अभियुक्त ने गहरे रंग के कपड़े पहने थे और वो मौके से फ़रार है. प्रत्यक्षदर्शियों की ओर से मिली शुरुआती जानकारी से हमें लगता है कि ये टारगेट किलिंग हो सकती है." (bbc.com/hindi)
कीव, 6 दिसंबर। रूस ने यूक्रेन में कई मिसाइल दागीं, जो घरों व इमारतों में जाकर गिरीं और इसके कारण कई आम नागरिकों की मौत हो गई।
रूस ने उसके क्षेत्र में दो सैन्य हवाई अड्डों पर यूक्रेन द्वारा ड्रोन हमले किए जाने का आरोप लगाने के बाद यह कार्रवाई की है।
रूस में इस अप्रत्याशित हमले के बाद नौ महीने से जारी युद्ध के और तेज होने की आशंका पैदा हो गई है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी भूमि की रक्षा करने के लिए हर उपलब्ध साधन का इस्तेमाल करने की धमकी दी है।
रूस, क्रीमियाई प्रायद्वीप को उसकी मुख्य भूमि से जोड़ने वाले अहम पुल पर आठ अक्टूबर को की गई बमबारी के जवाब में लगभग हर सप्ताह यूक्रेन में विस्फोट कर रहा है।
पुतिन ने आंशिक रूप से मरम्मत के बाद सोमवार को यह दिखाने के लिए इस पुल पर कार चलाई कि उनका देश इस हमले से हुई शर्मिंदगी से उबर सकता है।
पुतिन ने क्रीमिया पर अपने दावे को मजबूत करने के प्रयास के तहत 2018 में 19 किलोमीटर लंबे इस पुल का उद्घाटन किया था। रूस ने क्रीमिया पर 2014 में कब्जा कर लिया था।
यूक्रेन ने सर्दी का मौसम आने के दौरान और नुकसान पहुंचाने की अपनी रणनीति के तहत सोमवार को यूक्रेन में कई मिसाइल दागीं।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा कि सोमवार को हुए हमलों में चार लोगों की मौत हो गई।
यूक्रेन की वायु सेना ने सोमवार को कहा कि रूस ने यूक्रेन के खिलाफ अपने ताजा हमले में करीब 70 मिसाइल दागीं जिनमें से 60 से अधिक को गिरा दिया गया।
यूक्रेन की आधारभूत संरचना को निशाना बनाकर रूस ने हालिया समय में हमले तेज कर दिए हैं जिससे देश में बिजली, पानी की आपूर्ति बाधित हो गई है और सर्दियों की दस्तक देने के साथ लोग ऊर्जा संकट से जूझ रहे हैं।
शुरुआती संकेतों से पता चलता है कि रूसी सेना ने कैस्पियन सागर में जहाजों से और रोस्तोव के दक्षिणी रूसी क्षेत्र से 38 क्रूज मिसाइल दागीं। यूक्रेन की वायु सेना ने अपने टेलीग्राम पेज पर कहा कि रूस के काला सागर बेड़े से 22 अन्य कलिब्र क्रूज मिसाइल दागी गईं।
यूक्रेन की सेना ने कहा कि हमले में रूस के लंबी दूरी के बमवर्षक, लड़ाकू विमान और निर्देशित मिसाइलें भी शामिल थीं। वायु सेना के बयान में कहा गया, ‘‘कुल मिलाकर आक्रमणकारियों की 60 से ज्यादा मिसाइल को गिरा दिया गया।’’
इससे पहले रूसी रक्षा मंत्रालय ने अपने सैन्य अड्डों पर हमलों की जानकारी देते हुए बताया कि उसने दो यूक्रेनी ड्रोन को मार गिराया। उसने बताया कि इन हमलों में तीन रूसी सैन्यकर्मी मारे गए और चार अन्य घायल हो गए। इसके अलावा दो विमान मामूली रूस से क्षतिग्रस्त हुए। (एपी)
(शिरीष बी प्रधान)
काठमांडू, 5 दिसंबर। नेपाल के पांच दलीय सत्तारूढ़ गठबंधन के शीर्ष नेताओं ने सोमवार को यहां प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के आधिकारिक आवास पर बैठक की और आम चुनावों की समीक्षा करने के साथ नयी सरकार के गठन पर चर्चा की।
बलूवातार स्थित प्रधानमंत्री आवास में हुई इस बैठक में नेपाली कांग्रेस के प्रमुख देउबा, वरिष्ठ नेता राम चंद्र पौडेल, उपाध्यक्ष पूर्ण बहादुर खड़का, सीपीएन (माओवादी केंद्र) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड', वरिष्ठ उपाध्यक्ष नारायण काजी श्रेष्ठ, सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) के अध्यक्ष माधव नेपाल और राष्ट्रीय जनमोर्चा उपाध्यक्ष दुर्गा पौडेल शामिल हुए।
पांच दलीय गठबंधन ने प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली (एफपीटीपी) के तहत प्रतिनिधि सभा की 165 सीट में से 90 सीटों पर जीत दर्ज की है।
संयुक्त बैठक में सत्तारूढ़ गठबंधन के शीर्ष नेताओं ने यह राय व्यक्त की कि चुनाव परिणामों ने गठबंधन की जरूरत एवं प्रासंगिकता की पुन: पुष्टि की है।
बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में गठबंधन के नेताओं ने कहा कि परिणामों ने आपसी सहमति तथा सहयोग के साथ आगे बढ़ने की जरूरत को रेखांकित किया है।
बयान में कहा गया, ‘‘यह जरूरी है कि देश के सामने चुनौतियों का सामना करने के लिए मौजूदा गठबंधन जारी रहे।’’
हाल के चुनाव के बाद सत्तारूढ़ गठबंधन की यह पहली संयुक्त बैठक है।
नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री प्रकाश मान सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि बैठक में मुख्य रूप से सत्ता साझेदारी और सरकार गठन से जुड़े विषयों पर चर्चा हुई।
नेपाल के संसदीय चुनाव में प्रधानमंत्री देउबा की नेपाली कांग्रेस 57 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है और उसके सरकार बनाने की संभावना प्रबल हो गयी है।
संसदीय चुनाव के लिए प्रत्यक्ष मतदान के तहत मतगणना सोमवार को यहां समाप्त हो गयी।
प्रत्यक्ष चुनाव में सीपीएन-माओइस्ट सेंटर को 18 सीट मिली हैं, जबकि सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट को 10 सीट पर जीत हासिल हुई है। लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी को चार और राष्ट्रीय जनमोर्चा ने एक सीट पर जीत प्राप्त की है।
नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त करने के लिए प्रतिनिधि सभा और सात प्रांतीय विधानसभाओं के लिए चुनाव 20 नवंबर को हुए और मतगणना एक दिन बाद शुरू हुई।
नेपाल की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 165 सदस्य प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से चुने जाएंगे, जबकि शेष 110 आनुपातिक चुनाव प्रणाली के माध्यम से निर्वाचित होंगे।
किसी पार्टी या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत के लिए 138 सीटों की जरूरत है।
नेपाल के निर्वाचन आयोग के अनुसार विपक्षी सीपीएन-यूएमएल को अब तक 44 सीट पर जीत मिली है। इसी तरह राष्ट्रीय स्वतंत्रता पार्टी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और जनता समाजवादी पार्टी ने सात-सात सीटें जीती हैं। लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी को क्रमश: चार और तीन सीटों पर विजय प्राप्त हुई है।
नेपाली वर्कर्स और पीजेंट्स पार्टी तथा जनमत पार्टी एक-एक सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी हैं। पांच सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों को प्राप्त हुई हैं।
एक अधिकारी ने कहा कि अनुपातिक मतदान प्रणाली के तहत दो सीटों पर मतगणना अभी चल रही है।
नेपाली कांग्रेस प्रतिनिधि सभा में 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, वहीं सीपीएन-यूएमएल को 77 सीटों पर जीत मिली है। तीसरे स्थान पर सीपीएन-माओइस्ट सेंटर है जिसे 32 सीटों से संतोष करना पड़ा, वहीं आरएसपी 21 सीटों के साथ चौथे स्थान पर रह सकती है। (भाषा)
चीन के तीन अंतरिक्ष यात्री अपने अंतरिक्ष स्टेशन पर छह महीने का मिशन पूरा करने के बाद धरती पर लौट आए हैं.
ये अंतरिक्ष यात्री तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण के अंतिम चरण की देखरेख के लिए 5 जून को रवाना हुए थे. उनकी समयसीमा नवंबर में पूरी हो गई थी.
रविवार को शेनझोउ -14 अंतरिक्ष यान का चालक दल रविवार को चीन के मंगोलिया के स्वायत्त क्षेत्र में उतरा.
चीन की अंतरिक्ष एजेंसी ने इस मिशन को 'पूरी तरह सफल' बताया है.
अंतरिक्ष स्टेशन से रवाना होने के लगभग नौ घंटे बाद स्थानीय समयानुसार 20:00 बजे के बाद अंतरिक्ष यान उतरा. लैंडिंग साइट पर मौजूद कर्मचारियों ने पर चालक दल को कैप्सूल से बाहर निकाला,
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री यांग ने कहा कि अंतरिक्ष स्टेशन में उनकी यादें अविस्मरणीय हैं और वो 'मातृभूमि लौटने के लिए उत्साहित थी.' (bbc.com/hindi)
ख़बरों के मुताबिक रूस से दो सैन्य हवाई क्षेत्रों में धमाके हुए हैं. जिसमें कई लोग मारे गए हैं.
मॉस्को के दक्षिण-पूर्व में रियाज़ान शहर के पास एअर फ़ील्ड में एक ईंधन टैंकर में विस्फोट होने से तीन लोगों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए.
साराटोव क्षेत्र में हुए विस्फोट में दो अन्य लोगों के घायल होने की ख़बर है.
अभी तक इन धमाकों की वजह का पता नहीं चला है. दोनों इलाके यूक्रेन की सीमा से सैकड़ों किलोमीटर दूर हैं.
क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को इन दोनों घटनाओं के बारे में सूचना दे दी गई है.
साराटोव के रीजनल गवर्नर ने कहा है कि सुरक्षा एजेंसिया धमाके का कारण पता लगाने में जुटी हैं. उन्होंने इसे "मिलिट्री ठिकानों पर हादसे की रिपोर्ट" बताया है.
सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों में एंगल्स एयरबेस पर लड़ाकू विमान खड़े देखे जा सकते हैं.
दूसरी तस्वीरों से पता चलता है कि इस एयरबेस पर मिलिट्री विमानों की संख्या में कुछ इज़ाफ़ा हुआ है.
यूक्रेन ने इसपर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं है. (bbc.com/hindi)
ईरान, 5 दिसंबर । ईरान में सितंबर से चल रहे भीषण विरोध प्रदर्शनों के बाद आख़िरकार ईरान की सरकार ने 'मोरैलिटी पुलिस'-जिसका काम देश में इस्लामिक ड्रेस कोड को लागू करना है, उसे ख़त्म करने का फ़ैसला लिया है.
ईरान के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफ़र मोंताज़ेरी ने रविवार को ये बयान दिया है. हालांकि उनके अलावा अभी तक ईरानी हुकूमत की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है.
इस साल सितंबर में ईरान में 22 साल की महसा अमीनी नाम की महिला की पुलिस की हिरासत में मौत के बाद शुरू हुए प्रदर्शन अब तक जारी हैं.
मोंताज़ेरी एक धार्मिक आयोजन में शिरकत कर रहे थे जब उनसे पूछा गया कि क्या ईरान की मोरैलिटी पुलिस को भंग किया गया है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, "मोरैलिटी पुलिस का न्यायपालिका से कोई लेना-देना नहीं है और उन्हें जिसने शुरू किया था उन्होंने ही 'शट-डाउन यानी ख़त्म' कर दिया है."
दरअसल ये पूरा विवाद इस साल सितंबर से शुरू हुआ, जब ईरान की मोरैलिटी पुलिस ने 22 साल की महसा अमीनी को हिजाब 'ठीक से ना' पहनने के आरोप में हिरासत में लिया. जब अमीनी को हिरासत में लिया गया तो वह अपने भाई के साथ थीं.
पुलिस हिरासत में ही 16 सितंबर को अमीनी की मौत हो गई और आरोप है कि उनकी मौत मोरैलिटी पुलिस की प्रताड़ना के कारण हुई. अमीनी की मौत के तीन दिन के बाद बड़ी तादाद में ईरानी महिलाएं सड़कों पर उतर आईं और तब से हो रहा प्रदर्शन अब तक जारी है. इस देशव्यापी प्रदर्शन में अब तक सैकड़ों लोग मारे गए हैं.
लगभग तीन महीने से चल रहे इस प्रदर्शन के कारण मोरैलिटी पुलिस का भंग होना इन प्रदर्शनकारियों की बड़ी जीत मानी जा रही है. ईरान से आ रही इस ख़बर को दुनिया भर के अख़बारों, मीडिया चैनलों पर प्रमुखता से जगह दी जा रही है. आपको बताते हैं कि दुनिया के नामचीन अख़बार और चैनल इस ख़बर को कैसे देख रहे हैं.
'मोरैलिटी पुलिस ख़त्म भी हो जाए तो हिजाब ड्रेस-कोड जारी रहेगा'
क़तर के अल जज़ीरा ने इस पर एक लेख लिखा है. इसमें कहा गया है, "हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि मोरैलिटी पुलिस ईरान में अनिवार्य रूप से हिजाब पहनने के नियम को लागू कराए जाने का एक ज़रिया भर है. लेकिन साल 1979 में इस्लामिक क्रांति के चार साल बाद से ही ईरान में ड्रेस-कोड को लेकर नियम बनाए गए और हिजाब पहनना उसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है."
अपने लेख में अल जज़ीरा लिखता है- 'अब तक ईरान के किसी भी वरिष्ठ अधिकारी ने ये नहीं कहा है कि हिजाब से जुड़े नियम में कोई बदलाव होने वाला है, बल्कि ईरान के उच्च अधिकारी कई साल से इस बात को दोहराते रहे हैं कि ये मुद्दा एक "रेड-लाइन" है जिस पर बात नहीं होगी.'
क्या ये ईरान सरकार का आधिकारिक फ़ैसला है?- न्यूयॉर्क टाइम्स
अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि महीनों के प्रदर्शन के बाद ईरान में मोरैलिटी पुलिस को ख़त्म करने का फ़ैसला लिया गया है.
हालांकि, ये साफ़ नहीं है कि ये धर्मशासित देश का आधिकारिक फ़ैसला है या नहीं, क्योंकि इसे लेकर एक अधिकारी का ही बयान अब तक सामने आया है. ईरान की सरकार ने अब तक ना ही इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी किया है और ना ही अपने अटॉर्नी जनरल के बयान को ख़ारिज किया है.
अख़बार के मुताबिक़, अगर मोरैलिटी पुलिस को भंग भी कर दिया गया है तो भी ये प्रदर्शन शायद ख़त्म ना हों क्योंकि प्रदर्शनकारियों और दूसरे सुरक्षा बलों के बीच झड़प अभी भी जारी है और बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी इस्लामिक रिपब्लिक के ख़ात्मे की बात कर रहे हैं.
अख़बार लिखता है- ये बात समझना यहां अहम है कि ईरान में सेना और पुलिस न्यायपालिका के अंतर्गत नहीं बल्कि इंटीरियर मिनिस्ट्री यानी गृह मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं. और ये भी समझने वाली बात है कि अगर ईरान ने मोरैलिटी पुलिस को भंग कर दिया है तो भी देश में लागू इस्लामिक ड्रेस-कोड पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा.
अख़बार लिखता है कि मोरैलिटी पुलिस ईरान पुलिस के अंतर्गत आती है ना कि अटॉर्नी जनरल के अंतर्गत, ऐसे में संभव है कि ईरानी सरकार अटॉर्नी जनरल मोंताज़ेरी के बयान को हल्का और ग़ैर-ज़रूरी बना कर पेश करने की कोशिश करे.
हाल ही में ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीर अब्दुल्लाहियन ने अपने सर्बिया दौरे के दौरान पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा था, "ईरान में लोकतंत्र और आज़ादी के फ़्रेमवर्क में रहते हुए हम आगे की ओर बढ़ रहे हैं."
'महिलाओं के नेतृत्व वाला प्रदर्शन जिसे सरकार ने दंगाई बताया था'
रियाद से निकलने वाले अख़बार अरब न्यूज़ ने इस ख़बर को प्रमुखता से छापा है.
अख़बार लिखता है कि ईरान ने दो महीने से अधिक समय से जारी प्रदर्शनों के बीच मोरैलिटी पुलिस को ख़त्म करने का फ़ैसला किया है.
महिलाओं के नेतृत्व में हो रहे इस प्रदर्शन को ईरान की सरकार और अधिकारियों ने 'दंगा' का नाम दिया है जो एक 22 साल की कुर्द लड़की महसा अमीनी की मौत के बाद से आग की तरह देश में फैल गया.
ये ईरान सरकार का फ़ैसला है या नहीं?
अमेरिका से निकलने वाला एक और अख़बार वॉल स्ट्रीट जनरल इस पर लिखता है, "ईरान ने मोरैलिटी पुलिस को ख़त्म किया है और हो सकता है कि देश अपने हिजाब नियमों में भी कुछ बदलाव करे."
अख़बार ने तेहरान की एक कार्यकर्ता अतेना दाएमी से बात की है और उनका कहना है कि हाल-फ़िलहाल में ईरान की सड़कों पर जब से प्रदर्शन शुरू हुए हैं मोरैलिटी पुलिस की गाड़ियां गश्त लगाती लगभग ना के बराबर नज़र आती हैं. वह कहती हैं कि अगर ये प्रदर्शन यहां ख़त्म हो गया तो ईरानी हुकूमत पुलिस और दूसरे तरीकों से महिलाओं पर हिजाब पहनने के नियम लागू करेगी.
बयान को संदर्भ से अलग पेश किया जा रहा-ईरानी मीडिया
तेहरान से निकलने वाले अख़बारों में मोरैलिटी पुलिस को लेकर कवरेज ना के बराबर है. किसी भी चैनल की वेबसाइट और अख़बार के मुख्य पन्ने पर ये ख़बर नज़र नहीं आती.
लेकिन तेहरान से प्रसारित होने वाला प्रमुख चैनल अल-आलम कहता है कि अटॉर्नी जनरल मोंताज़ेरी के बयान को विदेशी मीडिया संदर्भ से अलग हटा कर देख रहा है.
चैनल अपनी वेबसाइट पर छपे एक लेख में लिखता है कि ईरान के अटॉर्नी जनरल ने अपने बयान से ये साफ़ कर दिया है कि मोरैलिटी पुलिस न्यायिक अधिकारियों के अंतर्गत नहीं आती और जिसने भी इसका गठन बनाया है वह ख़ुद इसकी पेट्रोलिंग को 'कैंसिल' कर चुके हैं.
अटॉर्नी जनरल का ये बयान ऐसे समय आया है जब ईरानी सरकार ने मोरैलिटी पुलिस के पेट्रोलिंग को लेकर कोई भी आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है.
चैनल कहता है कि अटॉर्नी जनरल मोहम्मद ज़फ़र मोंताज़ेरी के बयान का ज़्यादा से ज़्यादा यही मतलब निकाला जा सका है कि मोरैलिटी पुलिस की पेट्रोलिंग अपने गठन से ही कभी भी न्यायिक अधिकारियों के दायरे में नहीं रही है. अटॉर्नी जनरल ने ये साफ़ किया है कि न्यायपालिका कम्युनिटी के स्तर पर लोगों के काम और व्यवहार की निगरानी करेगी.
इसके अलावा तेहरान टाइम्स, इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज़ एजेंसी जैसे मुख्य ईरानी अख़बारों ने इसे कोई कवरेज नहीं की है. (bbc.com/hindi)
लॉस एंजिलिस, 5 दिसंबर | हिंसा भड़काने के आरोप में ट्विटर से निलंबित किए जाने के बाद रैपर कान्ये वेस्ट सोशल मीडिया पर फिर से आ गए हैं और अपनी प्रतिक्रियाएं देना शुरु कर दिया है। 'डेडलाइन' की रिपोर्ट के अनुसार, रैपर ने इंस्टाग्राम पर एक नया संदेश पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने एलन मस्क को क्लोन बताया और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का भी जिक्र किया।
उन्होंने लिखा, "क्या मैं अकेला हूं जो सोचता हूं कि एलन आधा चीनी हो सकता है? क्या आपने कभी एक बच्चे के रूप में उसकी तस्वीर देखी है? एक चीनी प्रतिभा को लें और उन्हें एक दक्षिण अफ्रीकी सुपर मॉडल के साथ मिला दें और हमारे पास एक एलन मस्क है।"
"मैं उन्हें एक एलन कहता हूं क्योंकि उन्होंने शायद 10 से 30 एलन बनाए हैं और वह पहला जेनेटिक हाइब्रिड है जो अटक गया है, ठीक है, ओबामा के बारे में मत भूलना।"
"मुझे चर्च में अपशब्दों का उपयोग करने के लिए खेद है, लेकिन मेरे पास ओबामा के लिए अभी तक एक और शब्द नहीं है।"
पोस्ट के कैप्शन में, किम कार्दशियन के पूर्व पति ने कहा, "जे जेड के जन्मदिन पर संयुक्त राज्य अमेरिका के भविष्य के राष्ट्रपति ये मार्क जुकरबर्ग के मंच का उपयोग करते हैं ताकि एलन मस्क की बचपन की तस्वीरों की बड़े पैमाने पर जांच को उकसाया जा सके, मैं इसे थ्योरी कहता हूं।"
कंसपिरेशी थ्योरी देने वाले एलेक्स जोन्स के साथ इंफोवार्स पर एक उपस्थिति के बाद ये फिर से मुसीबत में पड़ गए, जहां उन्होंने हिटलर की प्रशंसा की और ट्विटर पर टिप्पणी जारी रखी।
आखिरकार उन्हें मंच से प्रतिबंधित करने के लिए स्टार ऑफ डेविड के अंदर एक स्वस्तिक की एक छवि थी, जिसे मस्क ने पुष्टि की जब उन्होंने एक उपयोगकर्ता को जवाब दिया।
मस्क ने ट्वीट किया, "मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की। इसके बावजूद, उसने फिर से हिंसा भड़काने के लिए हमारे नियमों का उल्लंघन किया। खाता निलंबित कर दिया जाएगा।"
वेस्ट के पोस्ट के वायरल होने के बाद, मस्क की ट्विटर पर प्रतिक्रिया हुई जहां उन्होंने कहा, "मैं इसे एक तारीफ के रूप में लेता हूं!" (आईएएनएस)|
-सियावाश अर्दालान & मारिटा मोलोनी
'मोरैलिटी पुलिस' ईरान की पुलिस व्यवस्था का वो हिस्सा है जो इस्लामिक क़ानूनों और ड्रेस कोड को लागू करना सुनिश्चित करती थी. ईरान के अटॉर्नी जनरल के बयान के मुताबिक़, अब इस पुलिस व्यवस्था को भंग किया जा रहा है.
हालांकि अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफ़र मोंटाज़ेरी के इस बयान की पुष्टि ईरान से बाहर की एजेंसियों के ज़रिए की जानी बाकी है, लेकिन माना जा रहा है उन्होंने ये बयान रविवार को एक कार्यक्रम में दिया है.
कुछ महीने पहले ईरान में पुलिस कस्टडी में एक महिला की मौत के बाद से लगातार प्रदर्शन जारी है. उस महिला का नाम था महसा अमीनी जिन्हें हिजाब नहीं पहनने के जुर्म में पुलिस ने हिरासत में लिया था.
एक धार्मिक कार्यक्रम में मोंटेज़ेरी से जब ये पूछा गया कि क्या सरकार मोरैलिटी पुलिस को ख़त्म करने जा रही है, तो उनका जवाब था- "मोरैलिटी पुलिस का न्यायपालिका से कोई लेना-देना नहीं है. वो व्यवस्था जिस तरह बनाई थी, उसे अब पूरी तरह ख़त्म किया जा चुका है. इसका कंट्रोल गृह मंत्रालय के पास था ना कि न्यायपालिका के पास."
इससे पहले मोंटेज़ेरी ईरानी संसद में ये कुबूल कर चुके हैं कि महिलाओं को हिजाब पहनना ज़रूरी करने वाले क़ानून पर दोबारा विचार किया जाएगा.
हालांकि मोरैलिटी पुलिस की व्यवस्था ख़त्म करने के बावजूद ईरान में माना जा रहा है कि इससे दशकों पुराने इस्लामिक क़ानूनों की सख़्ती में कोई बदलाव नहीं आएगा.
इसके ख़िलाफ़ पूरे ईरान में 16 सितंबर से ही लगातार प्रदर्शन चल रहे हैं, जब पुलिस कस्टडी में 22 साल की युवती महसा अमीनी की मौत की ख़बर आई थी.
अमीनी को मौत से तीन दिन पहले पुलिस ने हिरासत में लिया था. उनकी मौत के ख़िलाफ़ पूरे देश में प्रदर्शन शुरू हुए, जिसे दंगा क़रार देते हुए ईरानी प्रशासन ने लगातार सख़्ती बरतना शुरू कर दिया.
ईरान में ये प्रदर्शन भले ही हिजाब को लेकर सख़्ती और पुलिस ज़्यादती के ख़िलाफ़ शुरू हुए थे, लेकिन देखते ही देखते ग़रीबी, बेरोज़गारी, ग़ैर-बराबरी, अन्याय और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे प्रदर्शन के एजेंडे में शामिल होते गए.
'हमारे साथ क्रांति की मशाल है'
अगर मोरैलिटी पुलिस व्यवस्था भंग करने की ख़बर पुख़्ता होती है तो ये प्रदर्शनकारियों के लिए बड़ी जीत होगी, लेकिन तब भी इस बात की कोई गारंटी नहीं कि पूरे ईरान में चल रहे प्रदर्शनों में कोई कमी आएगी.
बीबीसी से बातचीत में एक ईरानी महिला ने कहा, "अगर सरकार ये भी मान लेती है कि हिजाब व्यक्तिगत पसंद का मामला है तो भी ये हमारे लिए काफ़ी नहीं होगा. लोग जान चुके हैं कि मौजूदा सरकार के साथ ईरान का कोई भविष्य नहीं. महिलाओं के तमाम अधिकार दिलाने के लिए हमारे साथ मुल्क के कई तबकों के लोग एकजुट हो रहे हैं."
एक दूसरी ईरानी महिला ने बीबीसी से कहा, "हिजाब हमारे लिए अब चिंता का विषय है ही नहीं, ये तो हम पिछले 70 दिनों से नहीं पहन रहे. आज हमारे पास क्रांति की मशाल है. इसकी शुरुआत हिजाब से हुई थी, लेकिन अब तानाशाही के ख़ात्मे और मौजूदा सत्ता में बदलाव से कम हमें कुछ भी मंज़ूर नहीं. "
मोरैलिटी पुलिस क्या है?
ईरान में 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद मोरैलिटी पुलिस के कई रूप देखने को मिले. लेकिन इसका हालिया रूप ग़श्त-ए-इरशाद सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा. ईरानी पुलिस का यही वो हिस्सा है जो महिलाओं को हिजाब पहनाने के साथ इस्लामिक क़ानूनों को सख़्ती से लागू कराना सुनिश्चित कर रहा था.
इन्होंने 2006 से ही अपनी पेट्रोलिंग शुरू कर दी थी. इस दौरान ये लोग तय करते थे कि कोई भी महिला बिना हिजाब के नहीं निकले. महिलाएं शॉर्ट्स, फटी हुई जीन्स की बजाय पूरी लंबाई तक के कपड़े पहनें.
साल 1979 की क्रांति के बाद से ही ईरान में सामाजिक मुद्दों से निपटने के लिए 'मोरैलिटी पुलिस' कई स्वरूपों में मौजूद रही है.
इनके अधिकार क्षेत्र में महिलाओं के हिजाब से लेकर पुरुषों और औरतों के आपस में घुलने-मिलने का मुद्दा भी शामिल रहा है.
लेकिन महसा अमीनी की मौत के लिए ज़िम्मेदार बताई जा रही सरकारी एजेंसी 'गश्त-ए-इरशाद' ही वो मोरैलिटी पुलिस है जिसका काम ईरान में सार्वजनिक तौर पर इस्लामी आचार संहिता को लागू करना है.
'गश्त-ए-इरशाद' का गठन साल 2006 में हुआ था. ये न्यायपालिका और इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स से जुड़े पैरामिलिट्री फ़ोर्स 'बासिज' के साथ मिलकर काम करता है.(bbc.com/hindi)
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्वीकार किया है कि पिछले महीने सेवानिवृत्त हुए पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल 2019 के दौरान तीन साल बढ़ाकर उन्होंने 'भारी गलती' की थी.
पत्रकार इमरान रियाज खान को दिए एक इंटरव्यू में तहरीक-ए-इंसाफ के चेयरमैन ने कहा कि जनरल बाजवा को एक्सटेंशन देना बहुत बड़ी गलती थी, सेना में किसी को एक्सटेंशन नहीं मिलना चाहिए. मैं तब भी सोचता था, लेकिन हालात ऐसे ही बना दिए गए.
उनका दावा है कि सेना प्रमुख के रूप में कार्यकाल का विस्तार मिलने के बाद जनरल बाजवा ने अन्य दलों के साथ बातचीत शुरू की और संभवत: जनरल बाजवा द्वारा सहयोगी दलों को कुछ आश्वासन दिया गया था.
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि उन्होंने पीएमएल को भी कुछ आश्वासन दिया होगा. वह सभी को आश्वासन देते रहे. जब जनरल फैज को हटाया गया तो यह साफ हो गया कि उन्होंने मुझे हटाने का फैसला कर लिया है."
इमरान खान ने कहा, "जनरल बाजवा ने डबल गेम खेले हैं. उन्होंने मेरे साथ क्या किया, मैं एक डायरी लेकर पीएम हाउस से निकल गया."
इमरान खान ने कहा कि साढ़े तीन साल बाद मुझे पहली बार एहसास हुआ कि मुझमें कितनी कमजोरी है कि मैं उन पर (जनरल बाजवा) भरोसा कर सकता हूं. जनरल बाजवा कहते थे देश को बचाने के लिए हमारे हित समान हैं. मुझे नहीं पता था कि मुझे कैसे धोखा दिया गया, झूठ बोला गया.
"कुछ दिनों पहले जब हमें पता चला कि साजिश चल रही है तो आईबी की रिपोर्ट आई. वह आकर मुझे व्यक्तिगत रूप से बताते थे, मुझे लिखकर नहीं, ताकि मुझे पता न चले."
इमरान खान ने आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम और आईएसपीआर के उस दावे को झूठा बताते हुए खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि सेना पिछले डेढ़ साल से राजनीति में अहस्तक्षेप का रुख बनाए हुए है.
"मैं साढ़े तीन साल से सरकार में बैठा हूं, मुझे पता है कि इसे कैसे संचालित किया जाता है." (bbc.com/hindi)
ईरान के प्रॉसिक्यूटर जनरल ने एक धार्मिक सम्मेलन में बताया कि देश की धार्मिक पुलिस यानी मोरैलिटी पुलिस को भंग कर दिया गया है.
हालांकि प्रॉसिक्यूटर जनरल मोहम्मद जफ़र मॉन्ताज़ेरी के बयान को ईरान की क़ानून लागू करने वाली संस्था ने पुष्टि नहीं की है.
हाल ही में 22 वर्षीय महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद से ईरान में इसके ख़िलाफ़ सरकार-विरोधी प्रदर्शन जारी हैं.
इन विरोध प्रदर्शनों में अब तक 300 से अधिक लोगों की मौत भी हुई है.
महसा अमीनी को तेहरान की मोरैलिटी पुलिस ने कथित तौर पर 'ठीक से हिजाब' न पहनने के आरोप में हिरासत में लिया और बाद में उनकी मौत हो गई.
ईरान के सख़्त नियमों के अनुसार, महिलाओं के लिए हिजाब या हेडस्कार्फ़ पहनना अनिवार्य है.
हालांकि बीबीसी फ़ारसी सेवा के रिपोर्टर सियावाश अर्दलान ने कहा कि मोरैलिटी पुलिस को भंग किए जाने का मतलब ये ज़रूरी नहीं है कि अब हिजाब का क़ानून बदल जाएगा. उन्होंने इसे बहुत देर से उठाया गया छोटा क़दम बताया.
मोरैलिटी पुलिस क्या है?
साल 1979 की क्रांति के बाद से ही ईरान में सामाजिक मुद्दों से निपटने के लिए 'मोरैलिटी पुलिस' कई स्वरूपों में मौजूद रही है.
इनके अधिकार क्षेत्र में महिलाओं के हिजाब से लेकर पुरुषों और औरतों के आपस में घुलने-मिलने का मुद्दा भी शामिल रहा है.
लेकिन महसा की मौत के लिए ज़िम्मेदार बताई जा रही सरकारी एजेंसी 'गश्त-ए-इरशाद' ही वो मोरैलिटी पुलिस है जिसका काम ईरान में सार्वजनिक तौर पर इस्लामी आचार संहिता को लागू करना है.
'गश्त-ए-इरशाद' का गठन साल 2006 में हुआ था. ये न्यायपालिका और इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स से जुड़े पैरामिलिट्री फ़ोर्स 'बासिज' के साथ मिलकर काम करता है. (bbc.com/hindi)
शनिवार को इस्लामिक स्टेट-ख़ुरासन ने काबुल में पाकिस्तान के दूतावास पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली है.
वहीं पाकिस्तान ने इसे "हत्या का प्रयास" बताया है.
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में शुक्रवार को हुए इस हमले में एक सुरक्षाकर्मी घायल हुआ था.
अमेरिकी इंटेलीजेंस ग्रुप जिहादी मॉनिटर एसआईटीई की तरफ़ से आए एक बयान में कहा गया कि "उन्होंने इस्लाम में आस्था न रखने वाले पाकिस्तानी राजदूत और उनके सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया."
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ ने इस पूरे मामले को "हत्या का प्रयास" बताते हुए जांच की मांग की है.
काबुल पुलिस के एक प्रवक्ता का कहना कि इस मामले एक संदिग्ध को गिरफ़्तार कर लिया गया है और सुरक्षाबलों ने आसपास के इलाकों में ख़ोजबीन के बाद दो हल्के हथियार ज़ब्त किए हैं. (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा है कि साल 2019 के दौरान पूर्व सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा का कार्यकाल तीन और सालों के लिए आगे बढ़ाकर उन्होंने 'भारी ग़लती' की.
पाकिस्तान के एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में तहरीक़-ए-इंसाफ़ के प्रमुख ने कहा कि जनरल बाजवा को एक्सटेंशन देना बहुत बड़ी गलती थी, सेना में किसी को एक्सटेंशन नहीं मिलना चाहिए.
उनका दावा है कि सेना प्रमुख के रूप में कार्यकाल का विस्तार मिलने के बाद जनरल बाजवा ने अन्य दलों के साथ बातचीत शुरू कर दी थी और ये भी संभव है कि जनरल बाजवा द्वारा सहयोगी दलों को कुछ आश्वासन दिया गया था.
उन्होंने कहा, "जिस तरह से पीएमएल-एन और अन्य लोगों ने विस्तार के लिए मतदान किया, उसके बाद मुझे लगा कि उन्होंने पीएमएल-जी के साथ भी बात करना शुरू कर दिया है. मुझे लगता है कि उन्होंने पीएमएल को भी कुछ आश्वासन दिया होगा. वह सभी को आश्वासन देते रहे. जब जनरल फैज़ को हटाया गया तो यह साफ़ हो गया कि उन्होंने मुझे हटाने का फ़ैसला कर लिया है.''
इमरान ख़ान ने कहा कि साढ़े तीन साल बाद उन्हें पहली बार अहसास हुआ कि जनरल बाजवा पर भरोसा करना उनकी कमज़ोरी थी.
उन्होंने कहा, "मुझे लगता था देश को बचाने के लिए हमारे हित समान हैं इसलिए वो जो कहते थे, मैं मान लेता था. मुझे नहीं पता था कि मुझे कैसे धोखा दिया गया, मुझसे कैसे झूठ बोला गया." (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान, 4 दिसंबर । पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा है कि साल 2019 के दौरान पूर्व सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा का कार्यकाल तीन और सालों के लिए आगे बढ़ाकर उन्होंने 'भारी ग़लती' की.
पाकिस्तान के एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में तहरीक़-ए-इंसाफ़ के प्रमुख ने कहा कि जनरल बाजवा को एक्सटेंशन देना बहुत बड़ी गलती थी, सेना में किसी को एक्सटेंशन नहीं मिलना चाहिए.
उनका दावा है कि सेना प्रमुख के रूप में कार्यकाल का विस्तार मिलने के बाद जनरल बाजवा ने अन्य दलों के साथ बातचीत शुरू कर दी थी और ये भी संभव है कि जनरल बाजवा द्वारा सहयोगी दलों को कुछ आश्वासन दिया गया था.
उन्होंने कहा, "जिस तरह से पीएमएल-एन और अन्य लोगों ने विस्तार के लिए मतदान किया, उसके बाद मुझे लगा कि उन्होंने पीएमएल-जी के साथ भी बात करना शुरू कर दिया है. मुझे लगता है कि उन्होंने पीएमएल को भी कुछ आश्वासन दिया होगा. वह सभी को आश्वासन देते रहे. जब जनरल फैज़ को हटाया गया तो यह साफ़ हो गया कि उन्होंने मुझे हटाने का फ़ैसला कर लिया है.''
इमरान ख़ान ने कहा कि साढ़े तीन साल बाद उन्हें पहली बार अहसास हुआ कि जनरल बाजवा पर भरोसा करना उनकी कमज़ोरी थी.
उन्होंने कहा, "मुझे लगता था देश को बचाने के लिए हमारे हित समान हैं इसलिए वो जो कहते थे, मैं मान लेता था. मुझे नहीं पता था कि मुझे कैसे धोखा दिया गया, मुझसे कैसे झूठ बोला गया." (bbc.com/hindi)
काबुल, 4 दिसंबर । शनिवार को इस्लामिक स्टेट-ख़ुरासन ने काबुल में पाकिस्तान के दूतावास पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली है.
वहीं पाकिस्तान ने इसे "हत्या का प्रयास" बताया है.
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में शुक्रवार को हुए इस हमले में एक सुरक्षाकर्मी घायल हुआ था.
अमेरिकी इंटेलीजेंस ग्रुप जिहादी मॉनिटर एसआईटीई की तरफ़ से आए एक बयान में कहा गया कि "उन्होंने इस्लाम में आस्था न रखने वाले पाकिस्तानी राजदूत और उनके सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया."
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ ने इस पूरे मामले को "हत्या का प्रयास" बताते हुए जांच की मांग की है.
काबुल पुलिस के एक प्रवक्ता का कहना कि इस मामले एक संदिग्ध को गिरफ़्तार कर लिया गया है और सुरक्षाबलों ने आसपास के इलाकों में ख़ोजबीन के बाद दो हल्के हथियार ज़ब्त किए हैं.
ईरान के अटॉर्नी जनरल, मोहम्मद ज़फ़र मोंटाज़ेरी ने कहा है कि अधिकारी देश की धार्मिक पुलिस (मोरैलिटी पुलिस) को भंग करने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि ईरान की संसद और न्यायपालिका भी देश में लागू किए गए ड्रेस-कोड क़ानून की समीक्षा कर रहे हैं और इसे बदले जाने की ज़रूरत पर विचार कर रहे हैं.
हालांकि अटॉर्नी जनरल ने ये नहीं बताया कि इस क़ानून में किसी तरह के बदलाव पर विचार किया जा रहा है या नहीं.
22 वर्षीय महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद से ईरान में सरकार-विरोधी प्रदर्शन जारी हैं. इन विरोध प्रदर्शनों में अब तक 300 से अधिक संख्या में लोगों की मौत हुई है.
महसा अमीनी को कथित तौर पर हिजाब पहनने के नियम के उल्लंघन के लिए हिरासत में लिया गया था.
मोरैलिटी पुलिस क्या है?
1979 की क्रांति के बाद से ही ईरान में सामाजिक मुद्दों से निपटने के लिए 'मोरैलिटी पुलिस' कई स्वरूपों में मौजूद रही है. 1983 से यहां क सभी महिलाओं के लिए ड्रेस क़ानून बाध्यकारी कर दिया गया था.
इनके अधिकार क्षेत्र में महिलाओं के हिजाब से लेकर पुरुषों और औरतों के आपस में घुलने-मिलने का मुद्दा भी शामिल रहा है.
लेकिन महसा की मौत के लिए ज़िम्मेदार बताई जा रही सरकारी एजेंसी 'गश्त-ए-इरशाद' ही वो मोरैलिटी पुलिस है जिसका काम ईरान में सार्वजनिक तौर पर इस्लामी आचार संहिता को लागू करना है.
'गश्त-ए-इरशाद' का गठन साल 2006 में हुआ था. ये न्यायपालिका और इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स से जुड़े पैरामिलिट्री फ़ोर्स 'बासिज' के साथ मिलकर काम करता है. (bbc.com/hindi)
गाजा सिटी, 4 दिसंबर। फलस्तीनी उग्रवादियों की ओर से रॉकेट दागे जाने के बाद इजराइली विमानों ने रविवार तड़के गाजा पट्टी में कई ठिकानों पर हवाई हमला किया जो वेस्ट बैंक में बढ़ते तनाव का संकेत है।
इजराइल की सेना ने कहा कि हवाई हमलों में एक हथियार निर्माण केंद्र और फलस्तीनी उग्रवादी समूह हमास से संबंधित एक भूमिगत सुरंग को निशाना बनाया गया।
वर्ष 2007 से फलस्तीन के गाजा क्षेत्र पर हमास का नियंत्रण है।
शनिवार शाम किए गए रॉकेट हमले की जिम्मेदारी किसी फलस्तीनी समूह ने नहीं ली, जो गाजा-इजराइल बाड़ के पास एक खुले क्षेत्र में गिरा। इजराइल और फलस्तीनी इस्लामिक जिहाद के बीच अगस्त में तीन दिन तक चली झड़प के बाद से सीमा पर शांति थी।
हमास को हथियार जमा करने से रोकने के लिए इजराइल और मिस्र ने गाजा की नाकेबंदी कर रखी है। (एपी)
नयी दिल्ली, 4 दिसंबर। हाल ही में समाप्त हुए भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के ज्यूरी सदस्यों में शामिल एकमात्र भारतीय सुदीप्तो सेन ने शनिवार को कहा कि इजराइली फिल्म निर्माता नादव लापिड द्वारा “द कश्मीर फाइल्स” के बारे में की गई टिप्पणी उनकी व्यक्तिगत राय थी।
तीन अन्य ज्यूरी सदस्य भी लापिड के बचाव में आगे आए। इनमें अमेरिकी निर्माता जिन्को गोटोह, फ्रांसीसी फिल्म संपादक पास्कल चावांस और फ्रांसीसी लघु फिल्म निर्माता जेवियर एंगुलो बारटुरेन शामिल हैं।
सेन ने पीटीआई-भाषा से कहा, “अब अगर कोई सार्वजनिक रूप से किसी एक फिल्म को चुनता है और कुछ ऐसा कहता है, जिसकी उम्मीद नहीं है, तो यह उसकी निजी भावना है। इसका ज्यूरी सदस्यों से कोई लेना-देना नहीं है।”
लापिड आईएफएफआई की अंतररराष्ट्रीय ज्यूरी के प्रमुख थे। उन्होंने नौ दिन चलने वाले इस फिल्म समारोह के अंतिम दिन आयोजित अवॉर्ड समारोह में ‘द कश्मीर फाइल्स’ को ‘एक अश्लील और दुष्प्रचार फैलाने वाली फिल्म’ करार दिया था। (भाषा)
जकार्ता, 3 दिसंबर। इंडोनेशिया के मुख्य द्वीप जावा के कुछ हिस्सों में शनिवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए, जिससे दहशत फैल गई और लोग घर से निकलकर सड़क की ओर भागे। हालांकि किसी के हताहत होने की अभी कोई सूचना नहीं है।
अधिकारियों ने कहा कि सुनामी का कोई खतरा नहीं है। ‘यूएस जियोलॉजिकल सर्वे’ ने कहा कि भूकंप की तीव्रता 5.7 थी। यह भूकंप वेस्ट जावा और सेंट्रल जावा प्रांतों के बीच बंजार से लगभग 18 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में 112 किलोमीटर की गहराई पर केंद्रित था।
इंडोनिशया के वेस्ट जावा में 21 नवंबर को 5.6 तीव्रता के भूकंप से कम से कम 331 लोगों की मौत हो गई और लगभग 600 घायल हो गए। सुलावेसी में 2018 में आए भूकंप और सुनामी के बाद से इंडोनेशिया में यह सबसे भीषण भूकंप था, जिसमें लगभग 4,340 लोग मारे गए थे।
इंडोनेशिया की मौसम विज्ञान, जलवायु विज्ञान और भूभौतिकीय एजेंसी की प्रमुख द्विकोरिता कर्णावती ने कहा कि सुनामी का कोई खतरा नहीं है, लेकिन भूकंप के बाद के संभावित झटकों की चेतावनी दी गई है।
राजधानी जकार्ता में ऊंची इमारतें 10 सेकंड से अधिक समय तक हिलती रहीं। अफरातफरी में लोग सड़कों की ओर भागे। मध्य जावा के कुलोन प्रोगो, बंटुल, केबुमेन और सिलाकैप शहरों में भी झटके महसूस किए गए। इंडोनेशिया की आबादी 27 करोड़ से अधिक है। प्रशांत बेसिन में ‘‘रिंग ऑफ फायर’’ पर स्थित होने के कारण देश अक्सर भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट और सुनामी से प्रभावित होता है। (एपी)
(ललित के झा)
वाशिंगटन, 3 दिसंबर। भारतीय मूल के दो अमेरिकी-- सांसद रो खन्ना और विजया गड्डे--राष्ट्रपति जो बाइडन के बेटे हंटर बाइडन के लैपटॉप से जुड़े विवाद के केंद्र में आ गये हैं। इस बीच, ट्विटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एलन मस्क ने ऐलान किया है कि वह माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर इस पूरे प्रकरण का खुलासा करेंगे।
मस्क ने शुक्रवार को दावा किया था कि हंटर बाइडन के लैपटॉप के बारे में ‘न्यूयार्क पोस्ट’ ने जो विवादास्पद खबर प्रकाशित की थी, उसे ट्विटर ने ‘दबा’ दिया था। उन्होंने कहा कि अब वह उसका विवरण जारी करेंगे।
उन्होंने यह भी ट्वीट किया कि यह ‘‘शानदार’’ होगा और इस विषय पर ‘‘सीधा प्रसारण वाला प्रश्नोत्तर’’ होगा। दुनिया के सबसे अधिक धनी व्यक्ति मस्क ने पिछले महीने ही ट्विटर को खरीदा है।
वर्ष 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले प्रकाशित हुई उक्त खबर में हंटर के लैपटॉप से हासिल किये गये ई-मेल की विषय वस्तु होने का दावा किया गया था। अखबार ने कहा कि उसे यह पता चला है कि व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व मुख्य रणनीतिकार स्टीव बैनन ने ये ईमेल भेजे थे और ये ईमेल ट्रंप के तत्कालीन निजी वकील रूडी गियुलियानी से हासिल किये गये थे।
ट्विटर ने शुरूआत में इस खबर के प्रसार को यह कहते हुए सीमित कर दिया था कि इसके फलस्वरूप विदेशी दुष्प्रचार अभियान शुरू हो जाएगा। लेकिन सोशल मीडिया कंपनी (ट्विटर) ने अपनी प्रतिक्रिया पर शीघ्र ही अपने कदम पीछे खींच लिए। वहीं, तत्कालीन सीईओ जैक डोरसी ने ‘लिंक’ को बाधित करने के फैसले को ‘अस्वीकार्य’ बताया था।
खन्ना डेमोक्रेटिक सांसद हैं और वह प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव) में सिलिकन वैली का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जबकि गड्डे ने ट्विटर के नये मालिक मस्क द्वारा अपनी बर्खास्तगी किये जाने से पहले माइक्रो ब्लॉगिंग साइट की कानून एवं नीति प्रमुख के रूप में सेवा दी।
आरोपों के सिलसिले में, ट्विटर के साथ आंतरिक बातचीत के बारे में लेखक मैट टैब्बी द्वारा जारी सिलसिलेवार ट्वीट में कहा गया है कि 2020 के चुनाव के दौरान सोशल मीडिया मंच ने हंटर के लैपटॉप से जुड़ी खबरों और सूचनाओं को दबा दिया।
टैब्बी द्वारा जारी सूचना के अनुसार, ऐसा जान पड़ता है कि खन्ना ने हंटर के लैपटॉप पर न्यूयार्क पोस्ट की रिपोर्ट की ‘लिंक’ तक पहुंच को सीमित करने के ट्विटर के फैसले पर सवाल उठाया।
मस्क ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘ रो खन्ना महान हैं। ’’ खन्ना ने गड्डे को भेजे गोपनीय ईमेल में ट्विटर के तथाकथित ‘सेंसरशिप’ का विरोध किया था।
खन्ना ने गड्डे से कहा,‘‘ मैं बाइडन के पूर्ण समर्थक के तौर यह कहता हूं और मानता हूं कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया। लेकिन अब यह विषय ईमेल से अधिक सेंसरशिप के बारे में हो गया है और यह पहले की तुलना में कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।’’
खन्ना ने गड्डे को लिखा, ‘‘ राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान अखबार की रिपोर्ट (भले ही न्यूयार्क पोस्ट धुर दक्षिणपंथी हो) के प्रसार को बाधित करने से ऐसा प्रतीत होता है कि यह अच्छा करने के बजाय कहीं अधिक आलोचना को जन्म देगा।’’
खन्ना ने गड्डे से उनके ईमेल की विषय वस्तु साझा नहीं करने का अनुरोध किया था।
गड्डे ने खन्ना को भेजे जवाब में ट्विटर की नीति और न्यूयार्क पोस्ट की खबर पर माइक्रोब्लॉगिंग साइट के फैसले का बचाव किया। (भाषा)
इंडोनेशिया, 3 दिसंबर । इंडोनेशिया की संसद जल्द ही एक ऐसा क़ानून लाने जा रही है जिसके तहत शादी के बाहर सेक्स करने पर एक साल तक की सज़ा का प्रावधान होगा.
क़ानून की ड्राफ्टिंग में शामिल इंडोनेशियाई नेता बमबंग वुरियंतो ने कहा कि अगले हफ़्ते की शुरुआत तक ये क़ानून संसद से पास हो सकती है.
अगर क़ानून पास होता है तो इंडोनेशियाई नागरिकों के साथ ही साथ यह विदेशियों पर भी लागू होगा.
एडल्ट्री के तहत सजा तभी प्रभावी हो सकती है जब कोई अधिकारियों के सामने इसकी शिकायत दर्ज कराए.
वहीं शादी के पहले भी शारीरिक संबंध बनाने पर रोक लगेगी और दोषी पाए जाने पर छह महीने तक की जेल की सजा हो सकती है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ नए क़ानून को लेकर व्यवसायी समूहों ने चिंता जताई है.
व्यवसायी समूहों का कहना है कि एक हॉलीडे और इंवेस्टमंट डेस्टिनेशन के तौर पर मशहूर देश को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
इससे पहले साल 2019 में भी क़ानून का एक मसौदा पारित होने के लिए निर्धारित किया गया था, जिसके बाद देशव्यापी प्रदर्शन हुए थे. (bbc.com/hindi)
फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मरीन का कहना है कि यूक्रेन पर रूसी हमले का सामना करने के लिए यूरोप 'उतना मज़बूत नहीं है' और उसे अमेरिका के सहयोग पर निर्भर रहना पड़ा है.
अपने ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान सना मरीन ने कहा कि यूरोप की रक्षा ताकतों को मज़बूत किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, "मुझे आपसे ईमानदारी से ये बात कहनी होगी कि यूरोप अभी पर्याप्त मज़बूत नहीं है. हम अमेरिका के बिना मुसीबत में होंगे."
यूक्रेन को सैन्य सहायता मुहैया कराने वाले देशों में अमेरिका सबसे आगे है.
पिछले महीने ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स की एक रिसर्च ब्रीफिंग में कहा गया था कि फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से अमेरिका ने यूक्रेन को 18.6 अरब डॉलर की सैन्य सहायता देने की घोषणा की है.
यूक्रेन को सैन्य मदद पहुंचाने वाले देशों में अमेरिका के बाद यूरोपीय संघ दूसरे नंबर पर है. वहीं ब्रिटेन तीसरे स्थान पर, लेकिन दी कील इंस्टीट्यूट फॉर दी वर्ल्ड इकोनॉमी का कहना है कि अमेरिकी सहयोग के मुक़ाबले यूरोपीय संघ और ब्रिटेन का योगदान काफ़ी कम है.
फिनलैंड की प्रधानमंत्री का कहना है कि यूक्रेन को सैन्य मदद पहुंचाने के बीच यूरोपीय देशों के रक्षा भंडार घट रहे हैं इसलिए यूरोपीय रक्षा ताकतों को और मज़बूत करने की ज़रूरत है.
उन्होंने कहा, "अमेरिका ने यूक्रेन को हथियार को दिए ही हैं, साथ ही आर्थिक और मानवीय सहायता भी पहुंचाई है और यूरोप अभी इतना सशक्त नहीं है." (bbc.com/hindi)
पॉल किर्बी
यूक्रेन के साथ रूस के युद्धविराम की उम्मीदें अब और धुंधली पड़ती जा रही हैं. रूस ने कहा है कि उसने यूक्रेन के 'जिन नए इलाकों' को अपने कब्जे में लिया है, उन्हें पश्चिमी देशों ने मान्यता देने से इनकार किया है. इससे शांति के लिए बातचीत और मुश्किल हो गई है.
रूस का ये बयान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के उस संकेत के बाद आया जिसमें उन्होंने कहा था कि वह व्लादिमीर पुतिन से मिलने के लिए तैयार हैं.
रूस ने कहा है कि वह बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए पश्चिमी देशों की ओर से यूक्रेन से वापस लौटने की मांग नहीं मानी जाएगी.
रूस ने सितंबर के अंत में यूक्रेन के चार इलाकों को अवैध रूप से खुद में मिला लिया है. इनमें से किसी पर उसका नियंत्रण नहीं था.
हालांकि युद्ध के नौ महीने के बाद रूस के हाथ से वे आधे इलाके निकल गए हैं, जिन पर उसने कब्जा किया था.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा था कि वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने के लिए तैयार हैं. हालांकि ये देखना होगा कि वो इस युद्ध से निकलने का रास्ता ढूंढने के लिए तैयार हैं या नहीं.
इस मौके पर उनके साथ फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी मौजूद थे. उन्होंने कहा, ''वो और अमेरिकी राष्ट्रपति यूक्रेन को ऐसा कोई समझौता करने के लिए नहीं कहेंगे जो उसे मंजूर न हो. ''
रूस और यूक्रेन के बीच अभी भी घमासान जारी है. दोनों ओर से युद्ध रोकने के संकेत नहीं मिल रहे हैं. बातचीत के लिए कोई उत्साह नहीं दिखाई पड़ रहा. यही वजह है कि शांति वार्ता के लिए राजनयिक कोशिशें एक बार फिर तेज़ हो गई हैं.
इस बीच, यूक्रेन ने कई जगहों पर रूसी सेना को पीछे धकेल दिया है. दक्षिणी यूक्रेन में रूसी सेनाओं को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा है. यूक्रेनी सेना के हाथों पीछे धकेले जाने से गुस्साई रूसी सेना अब शहरों और शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ताबड़तोड़ हमले कर रही है.
शुक्रवार को जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने सितंबर के बाद पुतिन से पहली बार बातचीत की. एक घंटे की बातचीत के दौरान जर्मनी ने बताया कि चासंलर ने पुतिन से जल्दी से इस समस्या का राजनयिक हल निकालने को कहा ताकि रूसी सेना ''जितनी जल्दी संभव हो'' यूक्रेन से चले जाएं.
रूस ने इसकी पुष्टि की. उसने कहा कि जर्मनी ने युद्ध खत्म करने की अपील की है. लेकिन पुतिन ने जर्मनी से कहा कि वह यूक्रेन में हो रही घटनाओं को लेकर अपने नजरिये पर पुनर्विचार करे.
इस बातचीत में पुतिन ने 'जर्मनी समेत दूसरे पश्चिमी देशों के विध्वंसक नज़रिये'' की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा था कि यूक्रेन ने बातचीत के विचार को सिरे से खारिज कर दिया है.
इससे पहले रूसी प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा था कि पुतिन बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन वह ''रूस के हितों को सुरक्षित'' रखना चाहते हैं.
बातचीत के लिए रूस अमेरिकी शर्तों को मानने के लिए तैयार नहीं है. उनसे पूछा गया कि जो बाइडन ने बातचीत के बारे में क्या कहा.
इस पर पेस्कोव ने कहा कि अमेरिका ने कहा कि बातचीत तभी होगी जब रूस यूक्रेन छोड़ दे.
उन्होंने कहा कि अमेरिका की इस शर्त से बातचीत के लिए दोनों पक्षो का राजी होना मुश्किल हो गया है. अमेरिका यूक्रेन में 'नए इलाकों' को मान्यता नहीं देता. जबकि रूस इस पर जोर दे रहा है.
युद्ध में मौतों की संख्या पर दावे
सितंबर के अंत में रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने रूस के चार इलाकों को अपना घोषित कर दिया था. लेकिन भले ही रूस ने पूर्वी यूक्रेन में लुहांस्क के अधिकांश इलाकों पर कब्जा कर लिया है. लेकिन दोनेस्त्सक में उसे रोक दिया गया है. खेरसोन और जपोरिजिया में भी रूसी सैनिक पीछे हट रहे हैं.
शुक्रवार को जर्मनी के चासंलर और पुतिन के बीच बातचीत से पहले रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ ने कहा कि पश्चिमी देशों के पास मध्यस्थता के लिए कोई ठोस प्रस्ताव नहीं है.
लावरोफ ने बताया कि फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों पिछले दो सप्ताह से कह रहे हैं कि वो पुतिन से बातचीत की योजना बना रहे हैं. लेकिन रूस को राजनयिक चैनलों के जरिये इसका कोई संकेत नहीं मिला है ''
लावरोफ ने पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी का नाम लेते हुए कहा कि उन्हीं के जैसा व्यक्ति इस समस्या का समाधान निकाल सकता है और सही में दोनों देशों को बातचीत में शामिल कर सकता है.
इटली कि विदेश मंत्री एंटोनियो तजानी ने भी शुक्रवार को कहा कि समय आ गया है कि यूक्रेन में शांति के लिए काम किया जाए. लेकिन यह यूक्रेन की आजादी के बाद ही आएगी, उसके हथियार डालने से नहीं. रूस को नागरिकों को बम गिराने के बजाय शांति के ठोस संकेत देना चाहिए. ये बात उन्होंने 'ला रिपब्लिका' अख़बार से कही थी.
इस बीच यूक्रेन के दौरे पर केंटरबरी के आर्कबिशप जस्टिन वेलबाई ने कहा कि यूक्रेन में रूस जो कह रहा है उसके बारे में झूठ न बोले तभी शांति हो सकती है. उन्होंने बूचा में हुए कथित नरसंहारों का जिक्र करते हुए कहा कि झूठ के दम पर आगे नहीं बढ़ा जा सकता. यहां अत्याचार हुआ है. ''
इससे पहले एक यूक्रेनी अधिकारी ने कहा कि रूस की ओर से 24 फरवरी के हमला किए जाने के बाद इसके दस से तेरह हजार सैनिकों की मौत हो चुकी है.
यूक्रेन और रूस ने अभी तक हताहतों की संख्या का एलान करते नहीं दिख रहे हैं. यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार मिखाइलो पोदोलेक ने यूक्रेनी सेना की ओर से बताई गई मौतों की संख्या की पुष्टि नहीं की है.
पिछले महीने सबसे वरिष्ठ अमेरिकी जनरल मार्क मिले ने कहा कि युद्ध शुरू होने के बाद से रूस और यूक्रेन को एक-एक लाख सैनिक मरे या घायल हुए हैं.
यूक्रेनी टीवी आउटलेट चैनल24 से बात करते हुए पोदोलेक ने कहा कि यूक्रेन मौतों की संख्या के बारे में खुलकर बोल रहा है. उन्होंने कहा कि नागरिकों मौतों की संख्या 'अच्छी खासी' हो सकती है. उन्होंने कहा कि हमले के बाद एक लाख रूसी सैनिक मारे गए होंगे.
एक वीडियो संदेश में बुधवार को यूरोपीयन कमीशन की प्रमुख उर्सला वॉन डेर लियेन ने कहा कि एक लाख रूसी सैनिक मारे गए हैं. हालांकि कमीशन के एक प्रवक्ता ने बताया ये आंकड़ा गलत था. प्रवक्ता का कहना था कि इसमें मरने और घायल होने वाले दोनों तरह के सैनिकों का आंकड़ा है. बाद में डेर लियेन कहा कि 20 हजार नागरिक मारे गए हैं.(bbc.com/hindi)
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारत को एक “मज़बूत पार्टनर” बताते हुए कहा है कि वो जी-20 अध्यक्षता के दौरान अपने मित्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सहयोग करेंगे.
राष्ट्रपति बाइडन ने पीएम मोदी के साथ अपनी तस्वीर ट्वीट कर लिखा, “भारत अमेरिका का एक मज़बूत पार्टनर है और मैं जी-20 में भारत की अध्यक्षता के दौरान अपने मित्र नरेंद्र मोदी का सहयोग करने के लिए उत्सुक हूं”
बाइडन ने लिखा, “हम साथ मिलकर जलवायु, ऊर्जा और खाद्य संकट जैसी चुनौतियों से निपटते हुए सतत और समावेशी विकास को आगे बढ़ाएंगे.”
गुरुवार को भारत ने आधिकारिक तौर पर जी-20 की अध्यक्षता अपने हाथों में ली है. प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत "एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य" की थीम से प्रेरित होकर एकता को बढ़ावा देने के लिए काम करेगा.(bbc.com/hindi)