अंतरराष्ट्रीय
अफ़ग़ानिस्तान में पाकिस्तान के दूतावास पर हमला किया गया जिसमें एक सुरक्षा अधिकारी घायल हो गया है.
दूतावास की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि मिशन के प्रमुख उबैद-उर-रहमान को निशाना बनाने की कोशिश की गई थी. हालांकि वो सुरक्षित हैं.
बयान में कहा गया है, “पाकिस्तान सरकार मिशन प्रमुख की हत्या की कोशिश और काबूल में दूतावास परिसर पर हमले की कड़ी निंदा करती है. अफ़ग़ानिस्तान की अंतरिम सरकार को हमले की तुरंत जांच करानी चाहिए, दोषियों को पकड़ना चाहिए और जवाबदेही तय कर पाकिस्तानी राजदूतों और नागरिकों की सुरक्षा के लिए तुरंत क़दम उठाने चाहिए.”
(अदिति खन्ना)
लंदन, 2 दिसंबर। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने खुलासा किया है कि उन्होंने नस्लवाद का सामना किया था, लेकिन अब इस स्थिति से निपटने में देश ने उल्लेखनीय प्रगति की है।
भारतीय मूल के ब्रिटिश नेता ने यह खुलासा बृहस्पतिवार रात को संवाददाताओं से बातचीत के दौरान किया जो उन्होंने बकिंघम पैलेस (ब्रिटिश शाही परिवार का आधिकारिक आवास) में नस्लवाद का मामला सामने आने की पृष्टभूमि में किया। शाही महल में कार्यरत वरिष्ठ कर्मी द्वारा अश्वेत ब्रिटिश चैरिटी कर्मी से बार-बार उसके मूल स्थान के बारे में पूछे जाने की जानकारी सार्वजनिक होने के बाद प्रिंस विलियम की ‘गॉडमदर’ को इस्तीफा देना पड़ा था।
जब इस पूरे विवाद के बारे में पूछा गया तो सुनक ने कहा कि उनके लिए महल के मामलों में टिप्पणी करना उचित नहीं है और उन्होंने मामले की गई कार्रवाई की ओर इंगित किया।
उन्होंने कहा, ‘‘ शाही महल से जुड़े मामले में मेरे लिए टिप्पणी करना उचित नहीं है। हालांकि, हमने देखा कि उन्होंने जो घटित हुआ उसे स्वीकार किया और उसके लिए माफी मांगी।’’
सुनक भारतीय मूल के मात पिता के ब्रिटेन में जन्मे संतान हैं। उनसे जब पूछा गया कि वह लंदन से संचालित धर्मार्थ संस्था सिस्ताह स्पेस की संस्थापक नगोजी फुलानी और दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की करीबी लेडी सुजैन हसे से संबंधित घटना की जानकारी होने पर वह कैसा महसूस करते हैं तो सुनक ने बताया, ‘‘मैंने इस बारे में पहले भी बात की है, मैंने अपनी जिंदगी में नस्लवाद का अनुभव किया है;लेकिन मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि जो मैंने बाल्य व युवा अवस्था में अनुभव किया, मैं मानता हूं कि अब लोग अनुभव नहीं करते क्योंकि हमारे देश ने नस्लवाद से निपटने के लिए उल्लेखनीय प्रगति की है।’’
सुनक ने कहा, ‘‘लेकिन काम खत्म नहीं हुआ है और इसलिए जब हम इसे देखते हुए उसका जरूर विरोध करते हैं। यह सही है कि हम लगातार सबक सीखते हैं और बेहतर भविष्य के लिए आगे बढ़ते हैं।’’
नस्लवाद का मामला इस सप्ताह उस समय सार्वजनिक हुआ जब फुलानी ने खुलासा किया कि महारानी कैमिला द्वारा महनं में आयोजित भोज के दौरान लेडी हसे ने उनके पास आकर नाम का बैज देखने के लिए बाल हटाया। इसके बाद उनसे पूछा कि ‘अफ्रीका के किस हिस्से’ से वह आई हैं जिसके बाद उन्होंने कई बार बताया कि वह ब्रिटिश हैं।
केनसिंग्टन पैलेस के प्रवक्ता ने पूरे प्रकरण पर सफाई देते हुए सवांददाताओं से कहा कि प्रिंस ऑफ वेल्स विलियम और प्रिंसेज ऑफ वेल्स केट का मानना है कि टिप्पणी ‘अस्वीकार्य’ है और ‘नस्लवाद की हमारे समाज में कोई जगह नहीं है।’’ (भाषा)
कान्ये वेस्ट पर से बैन हटे अभी दो माह भी नहीं हुए थे कि वह एक बार फिर मुसीबत में आ गए हैं. भड़काऊ ट्वीट करने के आरोप में उनका ट्विटर एकाउंट सस्पेंड कर दिया गया है.
अमेरिकी रैपर कान्ये वेस्ट अब 'ये' के नाम से जाने जाते हैं. 'ये' ने कुछ अजीबोगरीब ट्वीट्स किए थे जिसमें से एक पोस्ट में स्वास्तिक और यहूदी तारे का संयुक्त चिह्न बना हुआ था.
ट्विटर के एक यूजर ने कंपनी के नए मालिक एलन मस्क को कान्ये के मामले में कदम उठाने को कहा था. इस पर मस्क ने कहा कि वेस्ट ने हिंसा भड़काने के ख़िलाफ़ हमारे नियम का उल्लंघन किया था. उन्होंने लिखा कि वेस्ट के एकाउंट को सस्पेंड कर दिया जाएगा.
वेस्ट ने गुरुवार को ऐलेक्स जोन्स को दिए इंटरव्यू में नाज़ी नेता एडॉल्फ हिटलर की सराहना की थी. ऐलेक्स जोन्स अमेरिका में कॉन्सिपरेसी थिअरिस्ट (साज़िश के सिद्धांत देने वाले) के रूप में जाना जाता है.
मास्क के पीछे चेहरा छिपा कर वेस्ट ने इसी इंटरव्यू के दौरान पाप, अश्लील साहित्य और शैतान की भी सराहना की थी. वेस्ट कई सालों से यहूदी-विरोधी और जातिवादी टिप्पणियों को लेकर चर्चा में रहे हैं.
इससे पहले अक्तूबर में भी वेस्ट ने रैपर डिड्डी को यहूदियों द्वारा नियंत्रित होने का आरोप लगाया था. इस टिप्पणी के विरोध में ट्विटर और इंस्टाग्राम दोनों ने वेस्ट के एकाउंट को सस्पेंड कर दिया था.
वेस्ट ने ये पोस्ट पैरिस फैशन वीक में पहनी एक टी-शर्ट पर लिखे स्लोगन पर मिली प्रतिक्रिया के विरोध में की थी. स्लोगन में लिखा था कि गोरे लोगों का जीवन महत्वपूर्ण है.
वाशिंगटन, दो दिसंबर। अमेरिका और यूरोप में यूक्रेन के युद्ध के खिलाफ समर्थन कम होने की चिंता के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बृहस्पतिवार को रूस के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाए रखने का संकल्प व्यक्त किया।
बाइडन ने यह भी संकेत दिया कि वह अपने जलवायु कानून के पहलुओं को बदलने के लिए तैयार हो सकते हैं जिस पर फ्रांस और अन्य यूरोपीय सहयोगियों ने चिंता जताई है।
बाइडन ने मैक्रों के सम्मान में बृहस्पतिवार की शाम को एक राजकीय भोज का आयोजन किया। कोविड-19 के बाद किसी विदेशी नेता के लिये अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से दिया गया यह पहला भोज था।
मतभेदों के बावजूद बाइडन और मैक्रों ने इस बात को रेखांकित करने की कोशिश की कि अमेरिका और फ्रांस के बीच ठोस गठबंधन बना हुआ है, और पश्चिमी देशों को यूक्रेन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के युद्ध के खिलाफ दृढ़ रहना चाहिए।
बाइडन ने कहा, ‘‘जैसा कि मैने पहले भी कहा है, आज फिर दोहराता हूं कि इस बर्बरता के खिलाफ हम एक साथ खड़े होने जा रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पुतिन सोचते हैं कि यूक्रेन में नागरिक संरचनाओं पर हमला करके, कीमत बढ़ाने के लिए यूरोप को ऊर्जा की आपूर्ति बंद कर और खाद्य संकट को बढ़ा कर वह अपनी साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा का विरोध करने वाले सभी लोगों की इच्छाओं का दमन कर सकते हैं। यह न केवल यूक्रेन के बल्कि पूरी दुनिया के संवेदनशील लोगों को परेशान करने वाला है और वह इसमें सफल नहीं होंगे।’’
मैक्रों ने जोर देकर कहा कि इसका यूक्रेन की सीमाओं से बहुत दूर तक प्रभाव पड़ेगा ।
उन्होने कहा, ‘‘यूक्रेन में जो कुछ दांव पर लगा है, वह यहां से बहुत दूर नहीं है।’’ (एपी)
लंदन, 2 दिसंबर। अलकायदा के मारे जा चुके प्रमुख ओसामा बिन लादेन के एक बेटे ने दावा किया है कि उसका पिता उसे अपने नक्शेकदम पर चलने का प्रशिक्षण दे रहा था और जब वह बच्चा था, तब उसने अफगानिस्तान में उससे बंदूक चलवाई थी और उसके कुत्तों पर रासायनिक हथियारों का परीक्षण किया था।
लादेन के बेटे उमर ने कतर की यात्रा के दौरान ‘द सन’ समाचार पत्र के साथ एक साक्षात्कार में दावा किया कि वह ‘‘पीड़ित’’ है और अपने पिता के साथ बिताए ‘‘बुरे समय’’ को भुलाने की कोशिश कर रहा है।
पेशे से चित्रकार 41 वर्षीय उमर अब फ्रांस में अपनी पत्नी जैना के साथ रहता है। उसने बताया कि लादेन ने उससे कहा था कि वह उसके काम को आगे बढ़ाने के लिए चुना गया बेटा है, लेकिन उसने न्यूयॉर्क में 11 सितंबर के आतंकवादी हमलों से कुछ महीने पहले अप्रैल 2001 में अफगानिस्तान छोड़ने का फैसला किया।
उमर ने अपने कुत्तों पर रासायनिक हथियारों के परीक्षण का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘उन्होंने (लादेन के गुर्गों ने) इसे मेरे कुत्तों पर आजमाया और मैं इससे खुश नहीं था। मैं बुरे समय को भूलने की हर संभव कोशिश करता हूं। यह बहुत मुश्किल है। आप हर समय पीड़ा में रहते हैं।’’ (भाषा)
-एल्सा मैशमैन और जारोस्लाव लुकिव
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से अब तक क़रीब 13 हज़ार यूक्रेनी सैनिकों की मौत हो चुकी है. यूक्रेन के एक अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है.
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के सलाहकार मिख़ाइलो पोदोल्याक का कहना है कि युद्ध में अब तक 10 हज़ार से 13 हज़ार सैनिकों की जान गई है.
ऐसा कम ही होता है जब यूक्रेन अपने मारे गए सैनिकों की जानकारी दे. पोदोल्याक के इस बयान की किसी अन्य सैन्य अधिकारी ने पुष्टि नहीं की है.
उन्होंने कहा कि जून महीने में हर दिन 100 से 200 सैनिकों की मौत हो रही थी.
बीते महीने अमेरिका ने एक सर्वोच्च सैन्य अधिकारी, मार्क मिली ने कहा था कि युद्ध शुरू होने के बाद से यूक्रेन के क़रीब एक लाख और रूस के भी एक लाख सैनिक या तो घायल हुए हैं या मारे जा चुके हैं.
यूरोपीय कमीशन की प्रमुख उर्सूला फ़ॉन देर लेयन ने बुधवार को एक वीडियो संबोधन में दावा किया कि युद्ध में यूक्रेन के एक लाख सैनिक मारे जा चुके हैं. हालांकि, बाद में ईयू कमीशन के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि ये आंकड़े ग़लती से बोले गए. असल में ये घायलों और मारे जाने वालों को मिलाकर इतने सैनिक प्रभावित हुए हैं.
यूक्रेनी टीवी चैनल 24 पर पोदोल्याक ने कहा कि यूक्रेन "मारे जाने वालों की संख्या के बारे में ख़ुलकर बात कर रहा है. हमने कई स्तर पर औपचारिक तरीक़े से जानकारी जुटाई है और इसके अनुसार 10 से 13,000 के बीच सैनिक मारे गए हैं."
उन्होंने ये भी कहा कि युद्ध में मारे गए आम नागरिकों की संख्या भी 'बड़ी' हो सकती है. बीबीसी न्यूज़ ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था जून महीने के मध्य तक क़रीब 3,600 आम नागरिकों की जान जा चुकी थी.
मिखाइल पोदोल्याक ने बताया कि 24 फ़रवरी को यूक्रेन पर हमला बोलने के बाद रूस के भी क़रीब एक लाख जवानों की मौत हो चुकी है. वहीं, एक से डेढ़ लाख सैनिक या तो घायल हुए हैं या लापता हैं या फिर मोर्चे पर लौटने में अक्षम हैं.
बीबीसी की रूसी सेवा के अनुसार युद्ध में रूस के सभी रैंकों के क़रीब 9,311 सैनिकों की जान गई है. वास्तविक आंकड़ा 18,600 से अधिक भी हो सकता है. (bbc.com/hindi)
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने टैक्स रिटर्न सम्बंधित दस्तावेज़ों को गुप्त रखने की कानूनी लड़ाई हार गए हैं. अब इन दस्तावेज़ों को अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेज़ेन्टेटिव्ज़ की एक समिति को सौंप दिया गया है.
अमेरिकी राजकोष विभाग का कहना है कि उन्होंने उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए ये फै़सला किया है कि डोनाल्ड ट्रंप के टैक्स रिटर्न संबंधित दस्तावेज़ों को डेमोक्रेट-नियंत्रित हाउस को सौंप दिया जाएगा.
हालांकि यह बात स्पष्ट नहीं की गई है कि दस्तावेज़ों को सार्वजनिक किया जाएगा या नहीं. डोनाल्ड ट्रंप की ओर से इस संबंध में अभी तक कोई टिप्पणी नहीं आई है.
इससे पहले, दशकों पुराने राष्ट्रपति चुनाव के रिवाज़ की धज्जियां उड़ाते हुए वर्ष 2016 के अपने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान और उसके बाद भी, उन्होने इन दस्तावेज़ों को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया था.
हाल ही में उन्होने इस कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित कदम बताया था और कहा कि यह कार्रवाई उनके द्वारा वर्ष 2024 में दोबारा राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की उनकी घोषणा के बाद सामने आई है.
राजकोष विभाग द्वारा बुधवार को दी गई इस जानकारी के बाद अब समिति का पास ट्रंप के वर्ष 2015 से 2020 तक के सभी दस्तावेज़ उप्लब्ध होंगे. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि उन्हे यह दस्तावेज़ तुरंत उप्लब्ध हो गए हैं या नहीं. (bbc.com/hindi)
अपने को इस्लामिक स्टेट कहने वाले चरमपंथी संगठन ने अपने प्रमुख अबू अल-हसन अल-हाशिमी अल-क़ुरैशी की मौत की घोषणा की है. साथ ही अबू अल-हुसैन अल-हुसैनी अल-क़ुरैशी को अपना नया प्रमुख बनाने का ऐलान किया है.
बीबीसी मॉनिटरिंग संवाददाता द्रिस अल बे ने बताया है कि 30 नवंबर को इस्लामिक स्टेट के प्रवक्ता अबू उमर अल-मुहाजिर ने 10 मिनट का एक ऑनलाइन ऑडियो संदेश पोस्ट किया है, जिसमें समूह के नए नेता की घोषणा की गई है.ये ऑडियो संदेश इस्लामिक स्टेट के टेलिग्राम चैनल पर रिलीज़ किया गया है.
इस्लामिक स्टेट के प्रवक्ता ने अपने संदेश में नए प्रमुख के बारे में और जानकारी नहीं दी है. हालाँकि प्रवक्ता ने कहा है कि नए प्रमुख "पुराने मुजाहिदीन हैं और इस्लामिक स्टेट के बेटे हैं" और उन्हें उनके फ़ैसलों के आधार पर देखा जाना चाहिए.
इस्लामिक स्टेट के प्रवक्ता ने समूह के सभी लड़ाकों से ये भी अपील की कि वो नए प्रमुख के प्रति अपनी वफ़ादारी की कसम खाएँ.
हालाँकि, अब तक ये नहीं बताया है कि अबू अल-हसन अल-हाशिमी अल-क़ुरैशी की मौत कैसे हुई. लेकिन जो संदेश प्रसारित किया गया है, उसमें कहा गया है कि उनकी मौत "अल्लाह के दुश्मनों से लड़ते हुए हुई".
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरीन जीन पियरे
- इस्लामिक स्टेट को दाएश, इस्लामिक स्टेट इन सीरिया एंड लेवांत, इस्लामिक स्टेट इन इराक़ और अल-शाम और अल-दवाला अल-इस्लामिया फि अल-इराक़ वा-अल-शाम नाम से भी जाना जाता है.
- 27 अक्तूबर 2019 तक इस समूह का नेतृत्व अबू बक्र अल-बग़दादी ने किया.
- 31 अक्तूबर 2019, को समूह ने अबू बक्र अल-बग़दादी और समूह के प्रवक्ता अबु अल-हसन अल-मुहाजिर की मौत की पुष्टि की और अबु इब्राहीम अल-हाशिमी अल-क़ुरैशी को समूह का नया नेता बनाया.
- इस्लामिक स्टेट की जड़ें इराक़ में अल-क़ायदा से जुड़ती हैं. साल 2003 में अमेरिका के नेतृत्व में ईराक़ पर हुए हमले के जवाब में अल-क़ायदा से छिटककर इस्लामिक स्टेट बना.
- इसके बाद से ये समूह कई उतार-चढ़ाव से गुज़ारा और कई बार इसने अपने नाम बदले.
- साल 2006 में इसने ख़ुद को इस्लामिक स्टेट इन इराक़ कहा, जिसके बाद 2013 अप्रैल में इसने ख़ुद को इस्लामिक स्टेट इन सीरिया एंड लेवांत कहा. बाद में जून 2014 में इसने अपना नाम बदल कर इस्लामिक स्टेट कर लिया.
- अल-क़ायदा प्रमुख के साथ कई सालों तक तनावपूर्ण रिश्ते रखने के बाद फरवरी 2014 में अल-क़ायदा ने इस्लामिक स्टेट के साथ अपने रिश्ते तोड़ लिए थे.
- साल 2014 में इस समूह ने इराक़ और सीरिया में 'ख़िलाफ़त' यानी ख़लिफ़ा के शासन की घोषणा की जिसके बाद उसने पूरी दुनिया में अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू किया.
अमेरिका ने क्या कहा?
नौ महीनों में ये तीसरी बार है, जब इस्मालिक स्टेट को अपना प्रमुख बदलना पड़ा है.
सीरिया में (इदलिब प्रांत के आट्मे में) अमेरिका के नेतृत्व में चल रहे सैन्य अभियान में इसी साल मार्च के महीने में इस्लामिक स्टेट के प्रमुख अबू इब्राहिम अल-क़ुरैशी की मौत के बाद अबू अल-हसन को प्रमुख बनाया गया था.
समूह के नेता के तौर पर अबू अल-हसन के नाम से कोई बयान जारी नहीं किए हैं और उनके बारे में कम ही पुष्ट जानकारी उपलब्ध है. व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरीन जीन पियरे ने कहा है कि बाइडन प्रशासन इस्लामिक स्टेट के प्रमुख की मौत की ख़बर का स्वागत करता है.
हालाँकि, उन्होंने कहा कि उनकी मौत में अमेरिकी सेना की कोई भूमिका नहीं है.
कैरीन जीन पियरे ने कहा, "इस्लामिक स्टेट की टॉप लीडरशिप से एक के बाद एक नेता का जाना देखकर हमें ख़ुशी है. अमेरिका इस्लामिक स्टेट के कारण दुनिया को हो रहे ख़तरे से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है और इस मुद्दे पर दूसरे मुल्कों के साथ हाथ मिलाने के लिए तैयार है. हम आतंकवाद-विरोधी अभियान पर काम करना जारी रखेंगे और उन पर दबाव बनाए रखेंगे."
"जहाँ तक अबू अल-हसन अल-हाशिमी अल-क़ुरैशी की मौत की बात है, मैं पुष्टि कर सकती हूँ कि अमेरिकी अभियान का इससे कोई लेना-देना नहीं है."
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के अनुसार अबू अल-हसन की मौत फ्री सीरियन आर्मी नाम के विद्रोही गुट के अभियान में हुई है.
अख़बार गार्डियन के मुताबिक़ फ़्री सीरियन आर्मी ने इस साल अक्तूबर के मध्य से दक्षिण सीरिया के दार्रा प्रांत में इस्लामिक स्टेट के ख़िलाफ़ अभियान छेड़ रखा था.
दार्रा में सीरिया सरकारी सेना और सरकार के साथ समझौता कर चुके कुछ विद्रोही गुटों का कब्ज़ा है.
इस साल अक्तूबर में सीरियाई सरकार ने दूसरे गुटों के साथ मिलकर इस्मालिक स्टेट के ख़िलाफ़ साझा अभियान छेड़ने की घोषणा की थी.अल जज़ीरा के अनुसार कम वक़्त में एक के बाद एक नेता की मौत समूह के लिए बड़ा झटका है.
अमेरिकी नेतृत्व में गठबंधन सेना ने इराक़ में इस्लामिक स्टेट के ख़ात्मे का ऐलान 2017 में कर दिया था, वहीं सीरिया में दो साल बाद इसके ख़ात्मे की घोषणा की गई. हालाँकि, अभी भी समूह के स्लीपर सेल इन दोनों मुल्कों पर हमले करते रहे हैं. (bbc.com/hindi)
सऊदी, 1 दिसंबर । स्पेन की कंपनी नवान्तिया ने कहा है कि सऊदी सरकार के साथ उसका एक अहम समझौता हुआ है जिसके तहत वो सऊदी नौसेना के लिए कई मल्टी मिशन लड़ाकू युद्धपोत बनाएगी.
कंपनी के अनुसार, दोनों के बीच इससे संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर हो गए हैं.
कंपनी के अनुसार, ये समझौता इलाक़े की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, सऊदी अरब के रणनीतिक हितों को देखते हुए और देश के रक्षा मंत्रालय के रणनीतिक और टैक्टिकल उद्देश्यों की मदद के लिए सऊदी नौसेना की तैयारी को बढ़ाने के लिहाज़ से किया गया है.
समझौते के अनुसार सऊदी के विज़न 2030 के अनुसार, इसमें युद्धपोत बनाने, लड़ाकू उपकरण शामिल करने और पोत के रखरखाव में 100 फीसदी लोकलाइज़ेशन को बढ़ावा दिया जाएगा.
सऊदी अरब में सेना के लिए साजो सामान बनाना वाली कंपनियों पर नज़र रखने वाली नियामक जनरल ऑथोरिटी फ़ॉर मिलिटरी इंडस्ट्रीज़ के गवर्नर अहमद बिन अब्दुल अज़ीज़ अल-ओहाली ने कहा है कि इसके ज़रिए सैन्य उद्योगों में लोकलाइज़ेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो विज़न 2030 के तहत है.
सऊदी अरब को सेना पर होने वाले खर्च को साल 2030 तक 50 फीसदी स्थानीय स्तर तक लाना था. (bbc.com/hindi)
चीन, 1 दिसंबर । चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल से गुरुवार को मुलाक़ात की.
चार्ल्स मिशेल एक दिन के लिए चीन के दौरे पर हैं. हालांकि, इस मुलाक़ात से जुड़ी बड़ी जानकारियां अभी तक उपलब्ध नहीं है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार ये मुलाक़ात बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ़ द पीपल में आयोजित की गई थी. इस दौरान शी जिनपिंग ने यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष के सामने उम्मीद जताई कि ईयू से जुड़े संस्थान और इकाइयां, सदस्य देश चीन के बारे तर्कसंगत और सही समझ विकसित करेंगे.
आर्थिक मोर्चे पर तनाव और साथ ही मानवाधिकार, जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर मतभेद के बीच ये मीटिंग हुई है.
यूरोपीय संघ ने इस मुलाक़ात को ईयू और चीन को आपसी संवाद बढ़ाने का सही समय बताया है.
ये मुलाक़ात इसलिए भी चर्चा का विषय थी क्योंकि बीते दिनों शी जिनपिंग को जनता के अप्रत्याशित विरोध का सामना करना पड़ा था.
देश की ज़ीरो कोविड नीति के विरोध में सैकड़ों लोग चीन की सड़कों पर उतर गए. विरोध प्रदर्शनों में चीन के राष्ट्रपति पद से जिनपिंग के इस्तीफ़े की मांग भी की गई.
इस प्रदर्शन को दबाने के लिए चीन ने सुरक्षाबल का इस्तेमाल किया. दूसरी ओर, चार्ल्स मिशेल पर भी चीन का दौरा रद्द करने का दबाव बनता दिख रहा था. (bbc.com/hindi)
सैन फ्रांसिस्को, 1 दिसंबर | सैन फ्रांसिस्को के सत्तारूढ़ बोर्ड ऑफ सुपरवाइजर्स ने शहर की पुलिस को ऐसे रोबोटों का इस्तेमाल करने की अनुमति दी, जो हिंसक या सशस्त्र भीड़ से निपटने के लिए विस्फोटक से लैस हो सकते हैं। सैन फ्ऱांसिस्को पुलिस विभाग (एसएफपीडी) के एक प्रवक्ता ने बुधवार को बीबीसी को बताया कि फिलहाल सेना घातक बल से लैस किसी भी रोबोट का संचालन नहीं करती है, लेकिन भविष्य में विस्फोटक से लैस रोबोट का इस्तेमाल किया जा सकता है।
प्रवक्ता ने कहा कि रोबोट का इस्तेमाल हिंसक, सशस्त्र या खतरनाक संदिग्धों को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है।
बीबीसी ने बताया कि सीमित संख्या में उच्च पदस्थ अधिकारी ही ऐसे रोबोट के उपयोग को अधिकृत होंगे।
गौरतलब है कि इसी तरह के घातक रोबोट अमेरिका के दूसरे हिस्सों में पहले से ही इस्तेमाल हो रहे हैं।
2016 में टेक्सास के डलास में पुलिस ने एक स्नाइपर को मारने के लिए सी-4 विस्फोटक से लैस रोबोट का इस्तेमाल किया, जिसने दो अधिकारियों को मार डाला था और कई अन्य को घायल कर दिया था। (आईएएनएस)|
मिलवॉकी (अमेरिका), 1 दिसंबर। अमेरिका के मिलवॉकी में 10 साल के बच्चे ने ‘वर्चुअल रियलिटी’ (वीआर) हेडसेट खरीदकर नहीं देने पर अपनी मां की गोली मारकर हत्या कर दी। अभियोजकों ने यह जानकारी दी।
बच्चे ने शुरू में पुलिस को बताया कि 21 नवंबर को गोली दुर्घटनावश चली थी लेकिन बाद में उसने बताया कि उसने जानबूझकर अपनी मां पर गोली चलाई थी। बच्चे पर पिछले सप्ताह वयस्क की तरह प्रथम डिग्री जानबूझकर हत्या के आरोप लगाए गए।
विस्कांसिन कानून के अनुसार गंभीर अपराध के मामलों में 10 साल के बच्चे पर वयस्क की तरह आरोप लगाए जाते हैं। हालांकि बच्चे के वकील इस संबंध में बाल न्यायालय में अपील कर सकते हैं। बच्चे के परिजनों ने बताया कि वह मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से ग्रसित है और उसे बाल हिरासत में रखा गया है।
बच्चे के वकीलों में से एक एंजेला कनिंघम ने कहा, ‘‘यह एक पारिवारिक त्रासदी है। मुझे नहीं लगता कि कोई भी इससे इनकार कर सकता है या असहमत हो सकता है...। 10 साल के बच्चे की जरूरतों को पूरा करने के लिए वयस्क (न्याय) प्रणाली ठीक नहीं है।
शिकायत के अनुसार, गोलीबारी की यह घटना 21 नवंबर को सुबह करीब सात बजे हुई थी। बच्चे ने शुरू में अधिकारियों को बताया कि उसे उसकी मां के बेडरूम से हथियार मिला और वह भूतल में बने लॉन्ड्री में गया जहां उसकी मां कपड़े धो रही थी।
एक दिन बाद चिंतित रिश्तेदारों ने पुलिस को फोन किया। लड़के की मौसी ने कहा कि जब उसने बच्चे से बात की तो उसने घर की चाबियों का एक सेट निकाला जिसमें बंदूक के लॉक बॉक्स की एक चाबी थी। जब उसकी रिश्तेदार ने गोली चलने के बारे में पूछा, तो लड़के ने कहा कि उसने अपनी मां पर बंदूक तान दी थी।
लड़के की रिश्तेदार और बहन ने कहा कि मां की मौत पर वह कभी नहीं रोया या उसे कोई पछतावा भी नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि उसने मां की मृत्यु के बाद उनके अमेजन खाते में लॉग इन किया और सुबह ओकुलस वर्चुअल रियलिटी हेडसेट का ऑर्डर दिया। उसी सुबह, उसने अपने सात वर्षीय चचेरे भाई पर भी हमला किया। (एपी)
बफेलो ग्रोव (अमेरिका), 1 दिसंबर। उपनगर शिकागो में एक मकान में पांच लोग मृत पाए गए हैं। पुलिस ने बुधवार को कहा कि यह ‘‘घरेलू मामले से जुड़ी घटना’’ हो सकती है।
बफेलो ग्रोव पुलिस विभाग ने बताया कि उन्हें एक महिला की खैरियत जानने के लिए फोन आया था जिसके बाद अधिकारियों को सुबह करीब 11 बजे एक परिवार के घर पर भेजा गया। अधिकारी दरवाजा तोड़कर अंदर घुसे जहां उन्हें पांच लोग मृत मिले।
विभाग ने एक समाचार विज्ञप्ति में कहा, ‘‘प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि यह घरेलू मामले से जुड़ी घटना है और जनता को कोई खतरा नहीं है।’’
विभाग ने कहा कि जब तक रिश्तेदारों को सूचित नहीं किया जाता तब तक मृतकों के नाम उजागर नहीं किए जा सकते। (भाषा)
फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप के एक मुक़ाबले में अमेरिका से मिली हार का जश्न मनाने की वजह से ईरान में सुरक्षाबलों द्वारा एक शख़्स की गोली मारकर हत्या किए जाने का दावा किया जा रहा है.
बीबीसी को मिली जानकारी के अनुसार उत्तरी ईरान में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी सार्वजनिक तौर पर देश की फ़ुटबॉल टीम के वर्ल्ड कप मुक़ाबले से बाहर होने का जश्न मना रहे थे.
कुछ एक्टिविस्टों ने बताया कि मंगलवार रात बंदर अंज़ाली में गाड़ी का हॉर्न बजाने के बाद मेहरान समक को माथे पर गोली मारी गई.
कुछ दूसरे शहरों के वीडियो में भी भीड़ को सड़कों पर नाचते-गाते देखा गया है.
बहुत से ईरानी नागरिकों ने क़तर में अपनी फ़ुटबॉल टीम का समर्थन करने से इनकार कर दिया. दरअसल, इन लोगों का मानना है कि ये टीम इस्लामिक गणराज्य ईरान का प्रतिनिधित्व कर रही है.
ईरान की सरकारी मीडिया टीम पर ग़ैरज़रूरी दबाव बनाने के लिए मुल्क़ के अंदर और बाहर मौजूद विरोधी ताक़तों को ज़िम्मेदार बता रही है. ईरान की टीम ग्रुप स्टेज के फ़ाइनल मुक़ाबले में अमेरिका से 1-0 से हारी.
फ़ुटबॉल ख़िलाड़ियों ने भी देश में प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए इंग्लैंड के ख़िलाफ़ खेले गए अपने पहले मुक़ाबले से पहले राष्ट्रगान गाने से इनकार कर दिया था.
ईरान में 10 सप्ताह पहले महसा अमीनी नाम की एक 22 वर्षीय युवती की पुलिस हिरासत में मौत के बाद से देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं.
दावा किया गया कि युवती ने हिजाब ठीक से नहीं पहना था जिसकी वजह से उन्हें हिरासत में लिया गया. हालांकि, ईरानी प्रशासन का कहना है कि अमीनी की मौत हार्ट अटैक से हुई. (bbc.com/hindi)
अफ़ग़ानिस्तान के समांगन प्रांत के ऐबक शहर में 'जिहादिया' नामक एक मदरसे में विस्फोट की ख़बर है.
अफ़ग़ान न्यूज़ चैनल टोलो न्यूज़ ने अस्पताल के अधिकारियों के हवाले से बताया कि इस विस्फोट में कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई और 27 घायल हो गए.
कुछ स्थानीय मीडिया में इस विस्फोट से हुए हताहतों के बारे में अलग-अलग आंकड़े दिए गए हैं.
स्थानीय अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि धमाका दोपहर की नमाज के दौरान हुआ. अभी तक किसी भी समूह ने इस घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है.
तालिबान की इंटीरियर मिनिस्ट्री के प्रवक्ता ने बीबीसी को विस्फोट की पुष्टि करते हुए बताया कि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं.
स्थानीय अस्पताल के एक डॉक्टर ने समाचार एजेंसी एएफ़पी से कहा कि हताहतों में ज़्यादातर मदरसों के छात्र हैं.
इंटीरियर मिनिस्ट्री के प्रवक्ता अब्दुल नफी टक्कुर ने कहा कि तालिबान की सुरक्षा एजेंसियां हमले की जांच कर रही हैं और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.(bbc.com/hindi)
(सज्जाद हुसैन)
कराची, 30 नवंबर। पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) द्वारा पोलियो टीम की सुरक्षा के लिए जा रहे पुलिस कर्मियों के ट्रक को निशाना बनाकर बुधवार को किए गए एक आत्मघाती हमले में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई, तथा 23 अन्य घायल हो गए। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने इस हमले की जिम्मेदारी है।
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि घायलों में 20 सुरक्षा कर्मी भी शामिल हैं।
अधिकारी के मुताबिक, यह आत्मघाती हमला तब हुआ, जब पोलियो टीकाकरण अभियान में शामिल कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए तैनात पुलिस कर्मियों को ले जा रहा ट्रक क्वेटा के बलेली इलाके से गुजर रहा था।
‘डॉन’ अखबार ने क्वेटा के पुलिस उपमहानिरीक्षक गुलाम अजफर महेसर के हवाले से बताया, “हमला पुलिस ट्रक के पास हुआ, जिसके असर से पोलियो ड्यूटी में तैनात स्टाफ को सुरक्षा प्रदान करने जा रहे पुलिस कर्मियों का वाहन पलटकर खाई में गिर गया।”
घटनास्थल पर संवाददाताओं से बातचीत में महेसर ने कहा, “अपराध स्थल के मंजर से और यह देखते हुए कि ट्रक पलट गया, अनुमान है कि हमले में 25 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया होगा।” धमाके की चपेट में कुल तीन वाहन आए।
उन्होंने कहा कि यह एक आत्मघाती हमला था, क्योंकि मौके से एक आत्मघाती हमलावर के अवशेष बरामद हुए हैं और कम से कम तीन वाहन इसकी चपेट में आए।
महेसर के मुताबिक, हमले में लगभग 20 पुलिस कर्मी और तीन नागरिक घायल हुए हैं। उन्होंने बताया कि घायल पुलिस कर्मियों में से दो की हालत गंभीर है।
महेसर के अनुसार, पुलिस की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि एक रिक्शे में सवार आत्मघाती हमलावर ने पुलिस के ट्रक में टक्कर मार दी। उन्होंने बताया कि घायलों के इलाज के लिए प्राधिकारियों ने क्वेटा के अस्पतालों में आपातकाल की घोषणा कर दी है।
प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने इस हमले की जिम्मेदारी है। टीटीपी ने दो दिन पहले ही सरकार के साथ संघर्ष-विराम को वापस लेते हुए अपने लड़ाकों से देशभर में हमले करने का आह्वान किया था।
टीटीपी ने कहा कि यह हमला अगस्त में अफगानिस्तान में अब्दुल वली उर्फ उमर खालिद खुरासनी की हत्या के प्रतिशोध में किया गया है।
‘जियो न्यूज’ के अनुसार, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस लक्षित हमले की निंदा करते हुए घटना की त्वरित जांच के निर्देश दिए हैं।
शरीफ ने कहा, “देश से पोलियो वायरस को खत्म करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है और हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक पोलियो को पूरी तरह से खत्म नहीं कर दिया जाता है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान में पोलियो रोधी अभियान को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे बुरे तत्व हमेशा नाकाम होंगे। (भाषा)
काबुल, 30 नवंबर। उत्तरी अफगानिस्तान के एक धार्मिक स्कूल में बुधवार को हुए बम विस्फोट में कम से कम 10 छात्रों की मौत हो गई। तालिबान के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल नफी ताकोर ने कहा कि उत्तरी समंगान प्रांत की राजधानी ऐबक में हुए इस बम धमाके में कई अन्य घायल हो गए।
किसी ने तत्काल हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। (एपी)
क़तर, 30 नवंबर । फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप के मेज़बान के एक शीर्ष अधिकारी ने पहली बार ये स्वीकार किया है कि विश्वकप की तैयारियों में 400 से 500 मजदूरों की मौत हुई है.
ये पहला मौका है जब क़तर ने मजदूरों की मौतों को लेकर इतना बड़ा आंकड़ा दिया है. अब तक दिए गए आंकड़े इससे काफ़ी कम हुआ करते थे.
अंग्रेजी अख़बार बिज़नेस स्टेंडर्ड मेंप्रकाशित ख़बर
के मुताबिक़, क़तर के शीर्ष नेता हसन अल-थवाडी ने ब्रितानी पत्रकार पियर्स मॉर्गन को दिए इंटरव्यू में ये बात स्वीकार की है.
थवाडी ने कहा है, "ये आंकड़ा लगभग 400 से 500 के बीच है. मेरे पास सटीक संख्या तो नहीं है, लेकिन इस पर चर्चा हुई है. लेकिन साफ़ कहूँ तो एक शख़्स की मृत्यु भी बहुत ज़्यादा है."
थवाडी के मुताबिक़, मृतकों में वर्ल्ड कप के लिए स्टेडियम, सड़कें और होटल जैसे आधारभूत ढांचा खड़ा करने वाले मजदूर शामिल थे.
इससे पहले वर्ल्ड कप की तैयारियों के दौरान जान गंवाने वालों की संख्या 37 से 40 के क़रीब बताई जाती थी. इसके साथ ही क़तर कहता आया है कि इन लोगों की मौत हार्ट अटैक जैसी वजहों से हुई हैं.
साल 2010 में फ़ुटबॉल विश्व कप आयोजित कराने की मेज़बानी हासिल करने के बाद से क़तर ने अपने आधारभूत ढांचे को खड़ा करना शुरू किया है.
इसे अब तक का सबसे महंगा वर्ल्ड कप भी माना जा रहा है क्योंकि कुछ ख़बरों के मुताबिक़ इस पर 200 अरब डॉलर से भी ज़्यादा ख़र्च हुआ है.
पुणे, 30 नवंबर। भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने मंगलवार को कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता विश्व व्यवस्था को एक बार फिर दुरुस्त करने में निर्णायक भूमिका निभाएगी।
पुणे में पत्रकारों से बात करते हुए एकरमैन ने यह भी कहा कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रखता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम देखेंगे कि आने वाले महीनों में जर्मनी के मंत्री और यहां तक कि चांसलर भी भारत आएंगे। हमें लगता है कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। भारत की जी20 अध्यक्षता विश्व व्यवस्था को फिर से दुरुस्त करने में एक निर्णायक भूमिका निभाएगी। हम उम्मीद भरी नजर से दिल्ली की ओर से देख रहे हैं और हम आशा करते हैं कि अगले 12 महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का सकारात्मक प्रभाव होगा।’’
एकरमैन ने पुणे में जर्मनी की कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों समेत महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री उदय सामंत के साथ एक बैठक में भाग लिया।
सामंत ने कहा कि अगले ढाई साल में महाराष्ट्र में नई विकास परियोजनाएं आएंगी। उन्होंने कहा कि जर्मन प्रतिनिधिमंडल ने सरकार को आश्वासन दिया है कि वे आने वाले दिनों में स्थापित होने वाली नई परियोजनाओं में सहयोग करेंगे। (भाषा)
(ललित के झा)
वाशिंगटन, 30 नवंबर। चीन के पास 2035 तक करीब 1,500 आयुध भंडार होने की संभावना है। अभी उसके पास अनुमानित रूप से 400 आयुध भंडार हैं। पेंटागन ने यह जानकारी दी।
चीन के महत्वाकांक्षी सैन्य कार्यक्रम पर संसद में दी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में पेंटागन ने मंगलवार को कहा कि अगले दशक तक बीजिंग का उद्देश्य अपनी परमाणु ताकतों का आधुनिकीकरण करना, उसमें विविधता लाना और उसका विस्तार करना है।
उसने कहा कि चीन की मौजूदा परमाणु आधुनिकीकरण की कवायद पहले की आधुनिकीकरण की कोशिशों के मुकाबले कहीं ज्यादा बड़े पैमाने पर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन जमीन, समुद्र और वायु आधारित परमाणु मंचों की संख्या बढ़ा रहा है और अपने परमाणु बलों का विस्तार करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है।
पेंटागन ने कहा कि उसका अनुमान है कि चीन का संचालनात्मक परमाणु आयुध भंडार 400 के पार चला गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की 2035 तक अपने राष्ट्रीय रक्षा और सशस्त्र बलों का ‘‘आधुनिकीकरण पूरा करने’’ की योजना है। इसमें कहा गया है, ‘‘अगर चीन इसी गति से परमाणु विस्तार करता है तो 2035 तक करीब 1,500 आयुध भंडार कर सकता है।’’ (भाषा)
सऊदी, 29 नवंबर । सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने रियाद एयरपोर्ट को एक बड़े एविएशन हब में बदलने की घोषणा की है. इसके बाद एयरपोर्ट से 12 करोड़ यात्री सफ़र कर सकेंगे.
सऊदी अरब की सरकारी प्रेस एजेंसी एसपीए
के मुताबिक साल 2030 तक एयरपोर्ट की कायापलट का काम पूरा हो जाएगा. इस अतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट को बनाने के लिए सऊदी अरब के सॉवरिन वेल्थ फंड (पब्लिक इनवेस्टमेंट फंड यानी पीआईएफ़) को ज़िम्मेदारी दी गई है.
हालांकि, ये नहीं बताया गया है कि इस एयरपोर्ट को बनाने में कितनी लागत आएगी.
ये एयरपोर्ट 57 वर्गकिलोमीटर यानी 5700 हेक्टेयर के इलाके में बनेगा. इसमें मौजूदा किंग ख़ालिद एयरपोर्ट को भी शामिल कर लिया जाएगा.
साल 2030 तक ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक हब बनने के लिए एविएशन सरकारी रणनीति का एक अहम हिस्सा है. रियाद एयरपोर्ट को नई एयरलाइन आरआईए के संचालन का केंद्र बनाया जाना है.
दरअसल, सऊदी अरब अब अपनी अर्थव्यवस्था की तेल पर निर्भरता को कम करने के लिए अपने विज़न 2030 पर अरबों-खरब डॉलर निवेश कर रहा है. इस विज़न की शुरुआत प्रिंस मोहम्मद ने ही की है.
एसपीए के अनुसार, "एयरपोर्ट का प्रोजेक्ट रियाद को 2030 तक दुनिया की शीर्ष 10 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले शहर में शामिल करने की रणनीति का हिस्सा है." यहां से 250 जगहों के लिए अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की आवाजाही का भी लक्ष्य है.
किंग सलमान एयरपोर्ट से करीब एक लाख तीन हज़ार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार मिलने का दावा किया जा रहा है. साल 2050 तक इस एयरपोर्ट से 18.5 करोड़ यात्रियों के सफ़र करने और 35 लाख टन कार्गो प्रॉसेस करने का लक्ष्य है. (bbc.com/hindi)
चीन, 29 नवंबर । कोरोना को रोकने के लिए सख़्त पाबंदियों के ख़िलाफ़ चीन में जारी विरोध प्रदर्शन पुलिस के शिकंजे के बाद अब थमने की कगार पर है.
कई शहरों में भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई है और कुछ जगहों पर लोगों की भीड़ को इकट्ठा होने से पहले ही तितर-बितर कर दिया गया है.
ऐसी भी ख़बरें आ रही हैं कि लोगों से पूछताछ हो रही है और उनके फ़ोन भी जांचे जा रहे हैं. पुलिस फ़ोन में टेलीग्राम और ट्विटर जैसे ऐप के साथ ही ये देख रही है कि क्या लोगों के फ़ोन में वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) तो नहीं.
लेकिन विदेशों में चीनी नागरिकों का प्रदर्शन अभी भी जारी है और करीब एक दर्जन से अधिक शहरों तक फैल गया है.
बीते गुरुवार उरुमची में एक इमारत में आग लगने के बाद 10 लोगों की मौत के बाद शनिवार और रविवार को चीन में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. लोगों ने कोविड पाबंदियों को इन मौतों का ज़िम्मेदार बताया. हालांकि, प्रशासन ने इस दावे को खारिज किया.
चीन विरोध प्रदर्शन
हज़ारों लोगों ने सड़कों पर आकर कोविड पाबंदियों को हटाने की मांग की. कुछ जगहों पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से इस्तीफ़ा भी मांगा गया.
लेकिन मंगलवार को पुलिस उन इलाकों में पट्रोलिंग करती दिखी, जहां सोशल मीडिया के ज़रिए प्रदर्शन का आह्वान किया गया था. हालांकि, लंदन, पेरिस और टोक्यो में चीनी दूतावासों के बाहर और यूरोप-अमेरिका की यूनिवर्सिटियों में लोगों का जुटना अभी भी जारी है.
एक महिला ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया कि वो और उनके पांच दोस्त बीजिंग में एक प्रदर्शन में शामिल हुए थे और उन्हें पुलिस का फ़ोन आया, जो उनका पता पूछ रही थी. (bbc.com/hindi)
वाशिंगटन, 29 नवंबर | अफ्रीकी-अमेरिकी व्यक्ति की गिरफ्तारी के बाद पुलिस वैन में आंशिक रूप से उसके लकवाग्रस्त होने के बाद अमेरिकी राज्य कनेक्टिकट में पांच पुलिस अधिकारियों पर आरोप लगाया गया है। यह जानकारी मीडिया ने दी है। बीबीसी ने बताया कि जून में, 36 वर्षीय रैंडी कॉक्स को न्यू हेवन के एक पुलिस स्टेशन में ले जाया जा रहा था, जब ड्राइवर ने जोर से ब्रेक लगाया, जिससे कॉक्स वैन के पिछले दरवाजों से टकरा गया।
इस घटना के बाद कॉक्स शरीर के निचले हिस्से में पारालाइज हो गया। उसे बंदूक रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में आरोप हटा लिया गया।
पांच अधिकारियों पर सोमवार को लापरवाही और क्रूरता का आरोप लगाया गया है। उन्होंने कहा कि एक चौराहे पर टक्कर से बचने के लिए ड्राइवर ने अचानक ब्रेक लगा दिया। लेकिन पुलिस के बॉडी कैमरा फुटेज में कुछ अधिकारी कॉक्स का मजाक उड़ाते हुए और उस पर चोट को बड़ा बताते हुए दिखाई दे रहे हैं।
क्लिप में, अधिकारी कॉक्स को एक होल्डिंग सेल में रखने के लिए उसके पैरों से खींचते हैं, जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया।
फुटेज की समीक्षा करने के बाद, राज्य पुलिस ने उन पांच अधिकारियों को अवकाश पर भेज दिया है।
नागरिक अधिकारों के पैरोकारों ने 2015 में बाल्टीमोर में एक अन्य अश्वेत व्यक्ति के मामले के साथ कॉक्स के मामले की तुलना की। फ्रेडी ग्रे की रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के बाद मौत हो गई थी, जबकि पुलिस वैन में हथकड़ी और जंजीरें बंधी हुई थीं। (आईएएनएस)|
(अदिति खन्ना)
लंदन, 29 नवंबर। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ संबंधों को मजबूत करने पर अधिक ध्यान देने की योजना के तहत भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर अपने देश की प्रतिबद्धता को दोहराया है।
भारतीय मूल के नेता सुनक ने पिछले महीने प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभालने के बाद से मुख्य विदेश नीति के संबंध में सोमवार रात को पहली बार भाषण दिया।
उन्होंने इस दौरान चीन के संदर्भ में ‘‘चीजों को अलग तरह से करने’’ का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि चीन ब्रिटेन के मूल्यों एवं हितों को ‘‘प्रणालीगत चुनौती’’ दे रहा है।
सुनक ने कहा, ‘‘राजनीति में आने से पहले मैंने दुनियाभर के कारोबार में निवेश किया और हिंद-प्रशांत में अवसर काफी अच्छे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘2050 तक वैश्विक विकास में आधे से अधिक योगदान हिंद-प्रशांत का होगा, जबकि यूरोप और नॉर्थ अमेरिका का योगदान एक चौथाई ही होगी, इसी लिए हम सीपीटीपीपी (प्रशांत-पार साझेदारी के लिए वृहद और प्रगतिशील समझौते) में शामिल हो रहे हैं, भारत के साथ नया एफटीए कर रहे हैं और इंडोनेशिया के साथ भी हमारा एक समझौता है।’’
सुनक ने कहा, ‘‘कई अन्य लोगों की तरह मेरे दादा-दादी, नाना-नानी पूर्वी अफ्रीका और भारतीय उपमहाद्वीप से ब्रिटेन आए और उन्होंने यहां अपना जीवन बनाया। हाल के वर्षों में, हमने हांगकांग, अफगानिस्तान और यूक्रेन से हजारों लोगों का स्वागत किया है। हमारा देश अपने मूल्यों के लिए खड़ा होता है और केवल कथनी से नहीं, बल्कि करनी से लोकतंत्र की रक्षा करता है।’’ (भाषा)
पाकिस्तानी तालिबान ने सोमवार को कहा कि उसने जून में सरकार के साथ हुए सीज़फ़ायर समझौते से अपने हाथ वापस खींच लिए हैं. साथ ही उसने अपने लड़ाकों को देश भर में हमलों के आदेश दिए हैं.
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान से अलग पाकिस्तान स्थित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने 2007 में अपनी स्थापना के बाद से सैकड़ों हमलों को अंजाम दिया है. सैकड़ों लोगों इन हमलों में मारे गए हैं.
इस साल जून के महीने में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने सरकार के साथ संघर्ष विराम समझौता किया था.
लेकिन सोमवार को उसने इस सीज़फ़ायर को तोड़ने का फ़ैसला लिया है. उनका कहना है कि इस सीज़फ़ायर को लगातार तोड़ा गया है.
तहरीक़-ए-तालिबान पाकिस्तान ने अपने बयान में कहा है कि, "हमने लगातार सब्र दिखाया ताकि बातचीत की प्रक्रिया बाधित न हो. लेकिन सेना और ख़ुफ़िया एजेंसियों ने हम पर हमले बंद नहीं किए, इसलिए अब हम पूरे देश में जवाबी हमले करना शुरू करेंगे."
दो हफ़्ते से भी कम समय पहले टीटीपी ने पश्चिमोत्तर पाकिस्तान में छह पुलिस वालों को हमले में मार गिराने का दावा किया था. टीटीपी ने दावा किया था कि वो उस इलाके में उनके गढ़ पर छापा मारने की साजिश कर रहे थे.
इस शुक्रवार से सेना उस इलाके में चरमपंथियों की तलाश में गश्त लगा रही है और हैलीकॉप्टर से उनके ठिकानों पर हमले कर रही है.