अंतरराष्ट्रीय
वॉशिंगटन, 12 फरवरी (आईएएनएस)| दुनियाभर में कोरोनोवायरस मामलों की कुल संख्या 10.77 करोड़ तक पहुंच चुकी है जबकि 23.6 लाख से अधिक लोग इससे अपनी जान गंवा चुके हैं। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने यह जानकारी दी है। यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम्स साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने शुक्रवार सुबह अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि कोरोना के वर्तमान वैश्विक मामले 107,749,090 हैं और 2,366,158 लोगों की मौत हो चुकी है। सीएसएसई के अनुसार, दुनिया में सबसे अधिक 27,389,196 मामलों और 475,221 मौतों के साथ अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित देश बना हुआ है। वहीं, 10,871,294 मामलों के साथ भारत दूसरे स्थान पर है।
सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार, कोरोना के 10 लाख से अधिक मामलों वाले अन्य देश ब्राजील (9,713,909), ब्रिटेन (4,010,362), रूस (3,983,031), फ्रांस (3,465,951), स्पेन (3,041,454), इटली (2,683,403), तुर्की (2,564,427) जर्मनी (2,321,225), कोलंबिया (2,179,641), अर्जेंटीना (2,008,345), मेक्सिको (1,957,889), पोलैंड (1,570,658), ईरान (1,496,455), दक्षिण अफ्रीका (1,484,900), , यूक्रेन (1,302,811), पेरू (1,203,502), इंडोनेशिया (1,191,990), चेक रिपब्लिक (1,064,952) और नीदरलैंड (1,031,454) हैं।
वर्तमान में 236,201 मौतों के साथ ब्राजील मौतों के मामले में दूसरे स्थान पर है। इसके बाद तीसरे स्थान पर मेक्सिको (169,760) और चौथे पर भारत (155,360) है।
इस बीच, 20,000 से ज्यादा मौतों वाले देशों में ब्रिटेन (115,748), इटली (92,729), फ्रांस (80,951), रूस (77,415), स्पेन (64,217), जर्मनी (63,858), ईरान (58,751), कोलंबिया (56,983), अर्जेंटीना (49,874), दक्षिण अफ्रीका (47,382), पेरू (42,859), पोलैंड (40,177), इंडोनेशिया (32,381), तुर्की (27,187), यूक्रेन (25,330), बेल्जियम (21,512) और कनाडा (21,089) शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र,12 फरवरी| संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 75वें सत्र के अध्यक्ष वोल्कान बोजकिर ने गुरुवार को चीन के लोगों को चंद्र नव वर्ष के लिए शुभकामनाएं दीं। अपने एक संदेश में यूएनजीए अध्यक्ष ने कहा कि चीनी संस्कृति में बैल सकारात्मकता, साहस, ईमानदारी और कठिन परिश्रम का प्रतिनिधित्व करता है, ये सभी कुछ इस तरह के कामों का मिश्रण है, जिन्हें हम यूएन में करते हैं।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक बोजकिर ने कहा, "यह नया बैल (चीनी भाषा में न्यू) वर्ष आपके लिए ढेर सारी खुशियां और अच्छी सेहत लेकर आए।"
चीनी चंद्र नव वर्ष या स्प्रिंग फेस्टिवल का पालन चीनी पंचाग के आधार पर किया जाता है। इस साल 12 फरवरी के दिन चीन में इसे सेलिब्रेट किया जाएगा, जो कि बैल वर्ष भी है। (आईएएनएस)
चीन ने बीबीसी वर्ल्ड सर्विस टेलीविज़न को चीन के भीतर प्रसारण करने से प्रतिबंधित कर दिया है.
चीन का दावा है कि बीबीसी अनुचित और असत्य पत्रकारिता कर रहा है.
हाल के महीनों में चीन ने बीबीसी की कोरनावायरस महामारी और शिनजियांग में वीगर मुसलमानों के शोषण पर रिपोर्टों की आलोचना की है.
एक बयान में ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चीन में इंटरनेट और मीडिया पर सबसे सख़्त पाबंदियां लागू हैं.
बयान में कहा गया है कि चीन का ये फ़ैसला दुनिया के सामने उसकी ही साख कम करेगा.
बीते सप्ताह ब्रिटेन के मीडिया नियामक ऑफकॉम ने चीन के सरकारी नियंत्रण वाले चैनल सीजीटीएन का प्रसारण लाइसेंस निलंबित कर दिया था.
वहीं बीबीसी के एशिया एडिटर का कहना है कि चीन में बीबीसी वर्ल्ड सर्विस टीवी के प्रतिबंधित किए जाने का बहुत ज़्यादा असर नहीं होगा क्योंकि चीन में ये चैनल अधिकतर लोगों के लिए पहले से ही उपलब्ध नहीं था.
बीबीसी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, 'हमें खेद है कि चीन के प्रशासन ने ये क़दम उठाया है. बीबीसी दुनिया के सबसे विश्वस्नीय अंतरराष्ट्रीय समाचार प्रसारकों में से एक है और दुनियाभर से पूरी निष्पक्षता से, बिना डर या पक्षपात के कहानियां रिपोर्ट करता है.' (bbc.com)
मीडिया संस्थानों पर लगाए जा रहे भारी टैक्स के विरोध में पोलैंड में 24 घंटों के लिए रेडियो, टीवी और न्यूज वेबसाइटें बंद रहेंगी. मीडिया का आरोप है कि टैक्स मीडिया की आवाज को दबाने के लिए लगाया जा रहा है.
(dw.com)
बुधवार, 11 फरवरी को पोलैंड में प्राइवेट मीडिया लगभग पूरी तरह बंद रहेगा. 45 निजी मीडिया संस्थान इसमें हिस्सा ले रहे हैं. इस दौरान न्यूज वेबसाइटों पर काली स्क्रीन और सरकार के विरोध में बैनर लगा देखा जा सकता है. आज सुबह के अखबारों के पहले पन्ने भी काले ही दिखे.
यह नया टैक्स टीवी, रेडियो, प्रिंट और इंटरनेट मीडिया कंपनियों पर लगेगा. सिनेमा भी इसकी चपेट में आएंगे. सरकार का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान नेशनल हेल्थ फंड को बढ़ाने के लिए ऐसा किया जा रहा है. सरकार के अनुसार मीडिया पर लगे टैक्स का 50 फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
प्रधानमंत्री माटेउष मोरावीकी ने इसे सद्भावना शुल्क का नाम दिया है और कहा है कि इसका इस्तेमाल देश के सांस्कृतिक क्षेत्र को मजबूत करने के लिए भी किया जाएगा. सरकारी प्रवक्ता पियोत्र म्यूलर ने सरकारी टीवी चैनल पर इसका बचाव करते हुए कहा है कि यूरोप के अन्य देशों में भी इस तरह के टैक्स लगे हुए हैं.
मीडिया की आजादी पर हमला
वहीं, देश में मीडिया का कहना है कि यह टैक्स मीडिया की आजादी को छीनने के लिए लगाया गया है. सरकार को लिखे गए एक खुले पत्र में 40 मीडिया संस्थानों ने मिल कर लिखा है कि इतने भारी टैक्स के चलते देश में बहुत सी मीडिया कंपनियों को बंद करने की नौबत आ सकती है. ऐसे में, जनता को निष्पक्ष जानकारी नहीं मिल सकेगी.
अमेरिका का डिस्कवरी ग्रुप पोलैंड में टीवीएन नाम का चैनल चलाता है. चैनल ने एएफपी से बातचीत में कहा है कि यह सरकार की अभिव्यक्ति की आजादी को रोकने की कोशिश है. वहीं रेडियो जेन ने अपने श्रोताओं से कहा, "बिना स्वतंत्र मीडिया के स्वतंत्र देश नहीं होते हैं. चुनने की आजादी के बिना कोई आजादी नहीं होती."
यह टैक्स केवल प्राइवेट चैनलों या निजी मीडिया कंपनियों पर ही लगेगा. सरकारी चैनल इससे बाहर रहेंगे. पिछले कुछ वक्त से पोलैंड की दक्षिणपंथी सरकार मीडिया की आजादी पर नकेल कसने की कोशिशें करती रही है. सरकारी रेडियो और टीवी चैनलों में बड़ी संख्या में स्टाफ को बदला गया है.
इसके अलावा निजी मीडिया कंपनियों की विज्ञापन के जरिए होने वाली कमाई को भी रोकने की कोशिश की गई है. बताया जा रहा है कि बुधवार को सरकार के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले कई मीडिया संस्थान ऐसे हैं, जिन पर बंद होने और सरकार द्वारा अधिग्रहण का खतरा है. ऐसे में सरकार के खिलाफ लिखने वालों की नौकरियां जाना तय ही दिखता है.
आईबी/एके (एएफपी, डीपीए)
पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पर चल रहे महाभियोग में संसद के अंदर लगे कैमरों की फुटेज दिखाई गई है जिससे पता चलता है कि स्पीकर नैंसी पेलोसी को अगर वक्त रहते सुरक्षाकर्मियों ने बाहर ना निकाला होता, तो उनकी जान जा सकती थी.
डॉयचे वैले पर ईशा भाटिया सानन की रिपोर्ट-
अमेरिकी संसद कैपिटोल हिल पर हिंसा भड़काने के आरोप में डॉनल्ड ट्रंप पर चल रहे महाभियोग की सुनवाई के दूसरे दिन ऐसा वीडियो पेश किया गया जिसे देख कर पता चलता है कि यह हमला कितना खतरनाक था. सीसीटीवी कैमरों से ली गई फुटेज को संसद के नक्शे के साथ दिखाया गया ताकि समझाया जा सके कि दंगाई कैपिटोल के अंदर कहां कहां तक पहुंच गए थे.
वीडियो में देखा जा सकता है कि जैसे ही सुरक्षाकर्मी नैंसी पेलोसी और उनके स्टाफ को सुरक्षित कमरे में ले जाते हैं, उसके सिर्फ सात मिनट बाद दंगाइयों का एक झुंड वहां पहुंचता है. ये लोग नैंसी पेलोसी को खोज रहे हैं. एक व्यक्ति चिल्ला चिल्ला कर कह रहा है, "नैंसी तुम कहां हो, हम तुम्हें ढूंढ रहे हैं, नैंसी.."
इम्पीचमेंट मैनेजर स्टेसी प्लैसकेट ने कहा, "सच्चाई सच्चाई है, फिर चाहे उसे माना जाए या नहीं और सच्चाई यह है कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने महीनों तक अपने समर्थकों से एक प्रदर्शन में हिस्सा लेने का आह्वान किया था. वे एक खास दिन, एक खास वक्त और खास जगहों की बात करते रहे.. तब तक, जब तक उनके समर्थकों ने इसे कैपिटोल पर हमला करने के संकेत के रूप में समझ नहीं लिया." प्लैसकेट ने कहा कि इन लोगों के हाथ जो भी कोई लग जाता, ये उसकी जान ले लेते.
प्लैसकेट ने वीडियो के जरिए यह भी समझाया कि दंगाई उपराष्ट्रपति और उनके परिवार से मात्र 100 फीट की दूरी पर थे. सीसीटीवी फुटेज में माइक पेंस और उनके परिवार को सुरक्षाकर्मियों द्वारा चेंबर से बाहर ले जाते देखा जा सकता है. प्लैसकेट ने कहा, "यह संयोग की बात नहीं है, कुछ भी संयोग से नहीं हुआ है. डॉनल्ड ट्रंप ने कई महीनों तक योजनाबद्ध तरीके से हिंसा को बढ़ावा दिया."
ट्रंप के खिलाफ एकजुट
महाभियोग के दौरान रिपब्लिकन पार्टी के कई सांसदों ने ट्रंप के खिलाफ गवाही दी. रिपब्लिकन जेमी रेस्किन ने कहा, "सबूत आपको दिखाएगा कि पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप इसमें बेकसूर मूक दर्शक नहीं थे. सबूत दिखाएगा कि उन्होंने ही 6 जनवरी की हिंसा भड़काई थी. वह दिखाएगा कि डॉनल्ड ट्रंप ने इसमें कमांडर इन चीफ की भूमिका निभाई."
इस दौरान ट्रंप द्वारा किए गए ट्वीट दिखाए गए. एक ट्वीट में वे (हिंसा भड़काने वालों से) कह रहे थे, "और हम लड़ेंगे. हम हर हाल में लड़ेंगे. और अगर आप नहीं लड़े तो आपके पास यह देश नहीं रहेगा.. आपको जोश जारी रखना होगा और आपको मजबूती से आगे बढ़ना होगा."
रिपब्लिकन जो नेगयूज ने कहा "कुछ लोगों का कहना है कि ट्रंप सिर्फ भाषण दे रहे थे. मैं यह जानना चाहूंगा कि हमारे इतिहास में ऐसा कब हुआ कि किसी राष्ट्रपति ने भाषण दिया और हजारों लोग संसद पर हमला करने पहुंच गए, वह भी हाथ में हथियार लिए.. यह मात्र एक भाषण नहीं था."
इस दौरान उन विज्ञापनों को भी दिखाया गया जो डॉनल्ड ट्रंप ने दिसंबर में चलवाए थे. एक का नाम था "फ्रॉड" और दूसरे को "स्टॉप द स्टील". ट्रंप अपने समर्थकों से यह कहते रहे कि उनसे यह चुनाव छीना जा रहा है, झूठे वोट डलवा कर उन्हें हराने का षड्यंत्र रचा जा रहा है. इस पर उन्होंने पांच करोड़ डॉलर तक खर्च किए. महाभियोग के दौरान कहा गया कि ट्रंप ने इन विज्ञापनों को 5 जनवरी तक चलवाया ताकि 6 जनवरी को हिंसा करवा सकें.
ना भूलने वाले पल
6 जनवरी की घटनाओं को याद करते हुए रिपब्लिकन मैडलीन डीन की आंखें भर आईं. उन्होंने कहा, "मैं कुछ साथियों के साथ गैलरी में खड़ी थी. तभी एक आवाज आई.. नीचे झुको.. फिर कहा.. लेट जाओ.. अपने ऑक्सीजन मास्क निकाल लो. इसकी कुछ देर बाद चेंबर के दरवाजों को जोर जोर से पीटने की आवाज आने लगी. मैं उन आवाजों को कभी भूल नहीं पाउंगी."
रिपब्लिकन डेविड सिसिलीन ने ट्रंप पर आरोप लगाया कि इस हमले के शुरुआती घटों में ट्रंप ने उसे रोकने की, लोगों को बचाने की कोई कोशिश नहीं की. उन्होंने कहा, "उन्होंने एक बार भी इस हमले की निंदा नहीं की, बल्कि 6 जनवरी को अगर उन्होंने किसी की निंदा की थी तो वो थे उनके उपराष्ट्रपति माइक पेंस, जो इस इमारत में कहीं छिपने पर मजबूर थे क्योंकि उनकी और उनके परिवार की जान पर बन आई थी." (dw.com)
हांगकांग में चीन की सख्ती को देखते हुए वहां के लाखों लोगों के लिए ब्रिटेन ने अपनी नागरिकता देने का रास्ता खोल दिया है. लेकिन क्या अपने शहर, अपनी जगह और अपने वतन को छोड़ना इतना आसान होता है?
1997 में हांगकांग चीन को सौंपे जाने से पहले वहां ब्रिटेन का शासन था. ब्रिटेन ने इस वादे के साथ हांगकांग चीन को सौंपा था कि कम के कम 50 साल तक वहां की आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था को नहीं बदला जाए. चीन ने भी इसे "एक देश दो व्यवस्थाओं" वाले सिद्धांत के तहत स्वीकार किया था. लेकिन अब वह देश के दूसरे हिस्सों की तरह हांगकांग में भी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का एकछत्र राज कायम करना चाहता है. 2019 में वहां हुए लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों को ताकत के दम पर कुचला गया. नए सुरक्षा कानून के तहत बड़े पैमाने पर लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया.
चीन की सरकार 75 लाख की आबादी वाले हांगकांग में उठने वाली हर उस आवाज को दबाना चाहती है जो उसके सुर में सुर नहीं मिलाती. इन हालात में ब्रिटेन ने अपनी नई वीजा स्कीम के तहत उन लोगों को ब्रिटेश नागरिकता की पेशकश की है जो हांगकांग को छोड़ना चाहते हैं.
कैसी होगी नई जिंदगी
इमिग्रेशन कंसल्टेंट बिली वोंग के पास हाल के महीने में ऐसे लोगों की बहुत सारी फोन कॉल्स आई हैं जो ब्रिटेन जाना चाहते हैं. 44 साल के वोंग कहते हैं, "बहुत सारे लोग हांगकांग छोड़ना चाहते हैं. संख्या बहुत ही ज्यादा है." खुद वोंग भी ब्रिटेन जाना चाहते हैं. वह और उनकी पत्नी आईलीन येउंग कई बरसों से इस बारे में सोच रहे थे.
येउंग नए सुरक्षा कानून की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं, "अब यह कानून आ गया है. हमें बहुत सावधानी बरतनी पड़ रही है कि क्या बोलें और फेसबुक पर क्या लिखें... सबसे ज्यादा मैं अपनी बेटी के लिए चाहती हूं कि वह आजाद रहे और मुक्त रूप से सोच सके."
उनकी बेटी टिनयू अभी 10 साल की है. उसका दाखिला पहले ही ब्रिटेन के डेब्री शहर के एक स्कूल में हो गया है. अपनी जिंदगी के अगले अध्याय के बारे में उसके जेहन में बहुत सारे सवाल हैं. वह कहती है, "इमिग्रेशन का क्या मतबल होता है? क्या इसका मतलब है कि कहीं और जाना होगा.. यहीं हांगकांग में किसी दूसरी जगह पर? ब्रिटेन कैसा है? क्या ब्रिटेन के लोग अच्छे होते हैं? मैं खुद से बहुत सारे सवाल पूछती हूं."
पहचान का सवाल
42 साल के गाविन मोक को अपनी पत्नी लिडिया के साथ ब्रिटेन में बसे तीन महीने हो गए हैं. अब जाकर उनके घर का सामान उन तक पहुंचा है. अपनी जगह को छोड़ना और ब्रिटेन के शहर एक्सेटर में नई दुनिया बसाना उनके लिए बहुत मुश्किल था. उन्होंने इस पूरे प्रोसेस को फिल्माया है और यूट्यूब पर अपलोड किया है. उन्हें उम्मीद है कि उनका यूट्यूब चैनल हांगकांग के दूसरे लोगों को भी ब्रिटेन में आने के लिए प्रेरित करेगा. वह कहते हैं, "मैं अपना अनुभव साझा करना चाहता हूं. लोगों को बताना चाहता हूं कि अब हांगकांग को छोड़ने का समय आ गया है."
वैसे, मोक की स्कूल और यूनिवर्सिटी की पढ़ाई ब्रिटेन में हुई है. इसलिए उनकी दोनों बेटियों को यहां ज्यादा समस्या नहीं हो रही है. एक बेटी 9 साल की है और दूसरी 11 साल की. मोक तो हंसते हुए कहते हैं, "वे तो कैंटोनीज से ज्यादा अंग्रेजी ही बोलती हैं"
मोक हांगकांग के फाइनेंशियल सेक्टर में काम करते थे. वह कहते हैं कि अब वहां के जैसी सैलरी वाली जॉब मिलनी तो आसान नहीं है, लेकिन वह कम सैलरी वाला काम भी करने को तैयार हैं. वह कहते हैं, "मैं खाने और पार्सल की डिलीवरी जैसे काम भी कर सकता हूं."
उन्हें तो हांगकांग की याद भी नहीं सताती है. वह कहते हैं, "एक जगह के तौर पर मैंने बहुत पहले ही उसे छोड़ दिया था. वहां असल में मेरे लिए कुछ बचा नहीं है. लेकिन हांगकांग वासी के तौर पर अपनी पहचान को मैं कभी नहीं छोड़ूंगा."
रातोंरात लिया फैसला
जून 2019 में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर सरकार समर्थकों के हमलों ने 40 साल के विंस्टन वोंग और कोनी चान को हांगकांग छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया. पिछले साल ब्रिटेन आकर बसी चान कहती हैं, "हमने बिल्कुल रातोंरात फैसला किया कि अब यहां से चले जाना ही बेहतर है." फिलहाल वह ब्रिटेन में रह कर ही हांगकांग में अपना बिजनेस संभाल रही हैं.
चेम्सफोर्ड को उन्होंने अपना नया घर बनाया है. उनका नौ साल का एक बेटा है. चान कहती हैं, "हम अपने बच्चे और उसके भविष्य को लेकर चिंतित थे." महामारी के बीच एक नए देश में आकर बसना कतई आसान नहीं था. वोंग फाइनेंशियल डायरेक्ट का अच्छा खासा पद छोड़कर ब्रिटेन आए हैं. अभी उन्होंने ब्रिटेन में कोई काम नहीं ढूंढा है.
चीन ब्रिटेन की नई वीजा स्कीम से बिल्कुल खुश नहीं है और उसे दुष्परिणाम भुगतने की चेतावनी दे रहा है. लेकिन वोंग इससे बेपरवाह हैं. वह कहते हैं, "अगर अधिकारी मजबूर करेंगे तो मैं अपना हांगकांग का पहचान पत्र त्यागने में बिल्कुल नहीं हिचकूंगा. मुझे नहीं लगता कि हांगकांग निवासी के तौर पर मेरी पहचान किसी पहचान पत्र की मोहताज है."
अभी तौ मैं युवा हूं..
उधर 40 साल के इयान इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि ब्रिटेन में कोरोना वायरस की वैक्सीन का कैसा असर होता है. उसके बाद ही वह वहां जाने के बारे में सोचेंगे. वह हमेशा चाहते थे कि अपनी रिटायरमेंट वाली जिंदगी ब्रिटेन में ही गुजारें. उन्हें ब्रिटेन की संस्कृति पसंद रही है, लेकिन राजनीतिक घटनाओं को देखते हुए वह अब जल्द वहां बसने के बारे में सोच रहे हैं. वह कहते हैं, "हांगकांग के राजनीतिक हालात दिन प्रति दिन खराब होते जा रहे हैं, इसलिए मैंने पहले ही यहां से निकल जाने का फैसला किया है."
वह एक ऑनलाइन उद्यमी हैं, इसलिए कहीं से भी काम कर सकते हैं. लेकिन उनकी पार्टनर को अभी हांगकांग में ही ठहरना होगा. वह कहते हैं, "हांगकांग अब वह शहर नहीं रहा जिसे मैं जानता था. अतीत में युवा लोग भी यहां धीरे धीरे सामाजिक सीढियां चढ़कर ऊपर पहुंच जाते थे, लेकिन अब आप देख सकते हैं कि युवा लोगों का भविष्य अंधकारमय है."
वह कहते हैं कि अभी तो वह युवा ही हैं और ब्रिटेन में जाकार आसानी से नई जिंदगी शुरू कर सकते हैं. हालांकि उन्होंने अभी पैकिंग शुरू नहीं की है. वैसे वह बहुत कम सामान लेकर ब्रिटेन जाना चाहते हैं. चीन की सांस्कृतिक क्रांति और हांगकांग के लोकतांत्रिक आंदोलन से जुड़ी किताबें वह जरूर अपने साथ ले जाना चाहेंगे. वह कहते हैं, "ऐसा लगता है कि कुछ किताबें अपने साथ रखना हमारा कर्तव्य है."
एके/आईबी (एएफपी)
लंदन, 11 फरवरी | इंपीरियल कॉलेज लंदन ने एक अध्ययन प्रकाशित किया है, जिसमें कोविड-19 से संबंधित कुछ नए लक्षणों का पता चला है। इन नए लक्षणों में ठंड लगना, भूख में कमी, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, जून 2020 से जनवरी 2021 के बीच 10 लाख से अधिक लोगों पर किए गए सर्वे के आधार पर अध्ययन में कहा गया है कि ये नए लक्षण वायरस के उन क्लासिक लक्षणों (बुखार, लगातार खांसी, गंध और/या स्वाद की क्षमता खो देना) के अलावा थे, जिनका उल्लेख नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) के मार्गदर्शन में शामिल है।
इंपीरियल कॉलेज लंदन में रिएक्ट (रियल-टाइम असेसमेंट ऑफ कम्युनिटी ट्रांसमिशन) टीम द्वारा जारी किए गए इस अध्ययन में कहा गया है कि उम्र के आधार पर लक्षणों में कुछ भिन्नता थी, लेकिन ठंड सभी आयु वर्ग के कोविड-19 मरीजों को महसूस हुई थी।
बता दें कि ब्रिटेन में अब कुल मामलों की संख्या गुरुवार सुबह तक बढ़कर 39,96,833 और मौतों का आंकड़ा 1,15,068 हो गया है। यह देश संक्रमण के मामलों में दुनिया में अमेरिका, भारत और ब्राजील के बाद चौथे नंबर पर है। वहीं मौतों के मामले में अमेरिका, ब्राजील, मैक्सिको और भारत के बाद पांचवें नंबर पर है। यहां अब तक 1.26 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन का पहला डोज मिल चुका है। (आईएएनएस)
दुबई, 11 फरवरी | पैरा एथलीट्स देवेंद्र कुमार और निमिषा सुरेश चक्कुनगालपरांबिल ने 12वीं फाजा अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप विश्व पैरा एथलेटिक्स ग्रां प्री के पहले दिन अपनी-अपनी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। देवेंद्र ने डिस्कस थ्रो (चक्का फेंक) स्पर्धा में दूसरे प्रयास में 50.61 मीटर दूरी नापकर पहला स्थान प्राप्त किया और स्वर्ण पदक जीता। भारत के ही प्रदीप ने 41.77 मीटर की थ्रो के साथ रजत और बेलारूस के दमित्री बरताशएविच ने 37.8 मीटर थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता।
निमिषा ने महिलाओं के एफ46/47 लंबी कूद स्पर्धा में 5.25 मीटर छलांग लगा कर स्वर्ण पदक हासिल किया। उनके अलावा फ्रांस की एंजेलिना लांजा ने 5.05 मीटर और श्रीलंका की के. दिसानायके मुदियांसेला ने 4.89 मीटर की छलांग लगाकर क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीता।
इस बीच रक्षिता राजू ने 1500 मीटर टी11 स्पर्धा में पांच मिनट 22 सेकेंड में दौड़ पूरी कर कांस्य पदक जीता। (आईएएनएस)
लंदन, 11 फरवरी | ब्रिटेन के आनुवंशिक निगरानी कार्यक्रम (जेनेटिक सर्विलांस प्रोग्राम) के प्रमुख का मानना है कि ब्रिटेन के 'केन्ट' क्षेत्र में सबसे पहले मिला कोरोना वायरस का नया रूप चिंता का विषय बन गया है। कोविड-19 जेनोमिक्स यूके कंसोर्टियम के डायरेक्टर शेरोन पीकॉक ने बीबीसी को बताया, "कोरोना का यह केन्ट वैरिएंट देश में फैल चुका है और इस बात की पूरी संभावना है कि यह पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लेगा।"
उन्होंने कहा, "जब हम काफी संख्या में इस वायरस से संक्रमित हो चुके होंगे यह फिर ये खुद ही अपना रूप बदल लेगा, उसके बाद हम इसके बारे में चिंता करना रोक सकते हैं। लेकिन, मैं यह सोचता हूं कि भविष्य को देखते हुए इसके लिए वर्षों लग जाएंगे। इसमें दस साल लग सकते हैं।"
पीकॉक ने वैक्सीन को नए वैरिएंट्स के खिलाफ असरदार भी बताया।
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में इस्तेमाल होने वाले टीकों को देश में वायरस के मौजूदा वैरिएंट के खिलाफ काम करने के लिए तैयार किया गया है।
इस हफ्ते, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने घोषणा की है कि बी.1.1.7 के रूप में जाना जाने वाला कोविड-19 वेरिएंट 86 देशों में रिपोर्ट किया गया है।
विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य निकाय का मानना है कि यह वैरिएंट प्रारंभिक निष्कर्षों के आधार पर अधिक खतरनाक है।
सात फरवरी तक और भी छह देशों में नए वेरिएंट के मामलों की सूचना मिली है।
एक नई स्टडी में यह भी बताया गया है कि ब्रिटेन वेरिएंट अमेरिका में तेजी से फैल रहा है। अमेरिका पहले ही कोरोनावायरस संक्रमण से उबर नहीं पाया है, ऐसे में उसके लिए यह चिंताजनक है। (आईएएनएस)
फ्रांस की सरकार सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की उम्र को 15 साल करने जा रही है. सरकार को उम्मीद है कि इससे बलात्कार और बाल यौन अपराधों से निपटने में मदद मिलेगी.
बलात्कार और यौन शोषण के बहुत सारे मामलों को देखते हुए सरकार पर दबाव था कि इस बारे में कदम उठाए जाएं. अब सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की उम्र 15 साल किए जाने के सरकार के कदम का बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया है. लेकिन उनका कहना है कि यौन शोषण की बुराई को रोकने के लिए अभी फ्रांस के समाज को बहुत कुछ करना होगा.
फ्रांस के मौजूदा कानून में एक वयस्क और 15 साल से कम उम्र के व्यक्ति के बीच शारीरिक संबंधों की इजाजत नहीं है. लेकिन कानून इस बात को भी स्वीकारता है कि 15 साल के कम उम्र का व्यक्ति शारीरिक संबंधों के लिए सहमति देने में सक्षम है. ऐसे मामलों में व्यस्क व्यक्ति पर बलात्कार के नहीं, बल्कि यौन हमले का मुकदमा चलता है और दोषी साबित होने पर उसे कम सजा मिलती है. हाल में ऐसे कई मामले देखने को मिले जब आरोपियों पर बलात्कार का मुकदमा नहीं चला. इन आरोपियों में एक मशहूर मॉडलिंग एजेंट, एक पादरी, एक सर्जन और दमकल कर्मियों का एक समूह शामिल था.
बच्चों के साथ ऐसे बर्ताव को फ्रांस के न्याय मंत्री ने "असहनीय" बताया. न्याय मंत्री एरिक दुपौं मोरेत्ती ने कहा, "सरकार उन बदलावों को तेजी से लागू करने के लिए दृढ़ संकल्प है, जो हमारा समाज चाहता है.. एक व्यस्क द्वारा 15 साल से कम उम्र के नाबालिग पर सेक्सुअल पेनेट्रेशन का मामला बलात्कार माना जाएगा." उन्होंने कहा कि यौन हिंसा में लिप्त लोग अपने ऊपर लगे आरोपों को यह कहकर हल्का नहीं कर पाएंगे कि सहमति से सब कुछ हुआ था. हालांकि किशोर उम्र के लोगों के बीच शारीरिक संबंधों को अपवाद माना जाएगा.
इस बादलाव को कानूनी रूप दिया जाना अभी बाकी है, लेकिन सरकार की तरफ से इस बारे में घोषणा उन लोगों के लिए बड़ा कदम है जो बरसों से बलात्कार और अन्य यौन हिंसा के शिकार बच्चों के संरक्षण के लिए मुहिम चला रहा थे.
फातिमा बेनोमार बच्चों के साथ यौन हिंसा करने वाले लोगों के प्रति सख्त नियम बनाने की वकालत करने वाली संस्था ले एफ्रोंटिस से जुड़ी हैं. वह कहती हैं, "आखिरकार ऐसा हुआ. यह अच्छी बात है कि इससे फिर बहस शुरू हो गई है. अब शारीरिक संबंधों के लिए सहमति की कम से कम उम्र की बात चल रही है.. इससे हम व्यस्क और जिम्मेदार बनेंगे."
सबसे ज्यादा शिकार बच्चे
भारत में हुए कई सर्वे में पाया गया कि देश के आधे से भी अधिक बच्चे कभी ना कभी यौन दुर्व्यवहार का शिकार हुए हैं. इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि इनमें से केवल 3 फीसदी मामलों में ही शिकायत दर्ज की जाती है.
फ्रांस में शारीरिक संबंधों के लिए सहमति की उम्र को लेकर कोशिश तीन साल पहले तब शुरू हुई, जब वैश्विक #MeToo आंदोलन कानूनी अड़चनों में फंस कर नाकाम हो गया. लेकिन इस आंदोलन को पिछले महीने उस समय रफ्तार मिली जब देश के एक पूर्व विदेश मंत्री बैर्नार्ड कुशनर की बेटी ने बताया कि कैसे उसके सौतेले पिता ओलिवर डुमैल ने 1980 के दशक में उसके जुड़वा भाई का यौन का शोषण किया था. डुमैल फ्रांस के एक जाने माने राजनीतिक पर्यवेक्षक हैं. डुमैल ने कहा कि उन्हें "निजी हमलों का निशाना" बनाया जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कई पेशेवर पदों से इस्तीफा दे दिया. इनमें एक टीवी चैनल के पर्यवेक्षक और राष्ट्रीय राजनीति शास्त्र प्रतिष्ठान के प्रमुख का पद भी शामिल है.
डुमैल पर लगे आरोपों के बाद बहुत से लोगों ने सोशल मीडिया पर अपने परिवारों में होने वाले यौन उत्पीड़न के बारे में बताना शुरू कर दिया. इससे ठीक #MeToo जैसा अभियान शुरू हो गया. इसके बाद राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने कानून में बदलाव करने का फैसला किया ताकि बाल यौन शोषण के पीड़ितों को बेहतर संरक्षण दिया जा सके.
माक्रों ने अपने एक वीडियो संदेश में कहा कि ऐसे मामलों में शर्मिंदगी पीड़ित को नहीं बल्कि ऐसे अपराध को अंजाम देने वालों को उठानी होगी. उन्होंने इस बात का भी स्वागत किया कि फ्रांस में लोग अपने बुरे अनुभवों को इस तरह खुल कर बयान कर रहे हैं.
एके/आईबी (एएफपी, एपी)
बामको, 11 फरवरी | माली में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) शांति सैनिकों के कैम्प को निशाना बनाकर किए गए हमले में कम से कम 20 शांति सैनिक घायल हो गए। एक शीर्ष अधिकारी ने यहां यह जानकारी दी। माली में संयुक्त राष्ट्र बहुआयामी एकीकृत स्थिरीकरण मिशन (मिनुस्मा) के प्रवक्ता ओलिवियर सैलगाडो ने बुधवार को एक बयान में कहा, "आज सुबह लगभग 7 बजे, डुएन्तजा के पास स्थित केरेना में एक अस्थायी मिनुस्मा बेस, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष हमला, गोलीबारी का निशाना था। हमले के दौरान, करीब 20 शांति सैनिक घायल हो गए।"
इस बीच, यूएन के शांति अभियानों के अंडर-सेक्रेटरीजनरल जीन पियरे-लैक्रोइक्स ने पुष्टि की है कि घायल सैनिक टोंगोलिज सैन्य दस्ते से हैं।
लैक्रोइक्स ने बुधवार देर रात ट्वीट कर कहा, "हमले में घायल हुए बहादुर टोगोलिस सैनिकों के प्रति मेरी संवेदना..क्षेत्र में आबादी की रक्षा के लिए टोगोलिज शांति सैनिकों का योगदान महत्वपूर्ण है। जिम्मेदार लोगों के लिए कोई माफी नहीं।"
मिनुस्मा के प्रमुख महमत लेह अन्नादिफ ने शांति सैनिकों पर कायरतापूर्ण हमले की कड़ी निंदा की, जिसमें कहा गया कि घायलों को उचित उपचार मिले, इसके लिए सभी कदम उठाए जाएं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के अध्यक्ष वोल्कन बोजकीर ने भी इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि यह अस्वीकार्य है कि हमारे प्रतिबद्ध शांति सैनिक केवल आदेशों को पूरा करने की खातिर हमलों की चपेट में आएं।
जनवरी में माली में पांच शांति सैनिकों ने अपनी जान गंवा दी, जहां 2012 में तख्तापलट के बाद से आतंकवादी खतरे बरकरार हैं।
2020 में ड्यूटी के दौरान हुए छह शांति सैनिक मारे गए थे।
माली में राजनीतिक प्रक्रियाओं का समर्थन करने के लिए 2013 में मिनुस्मा को तैनात किया गया था। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 11 फरवरी | निजी डायरेक्ट मैसेजेस में अभद्र भाषा पर नकेल कसने के अपने प्रयास में इंस्टाग्राम ने ऐलान किया है कि कंपनी ऐसे अकाउंट्स को रद्द कर देगी, जिनके माध्यम से उनके प्लेटफॉर्म पर दूसरों को घृणित संदेश भेजा जाएगा। वर्तमान में जब कोई डायरेक्ट मैसेज भेजता है, तो इसे नियमों के उल्लंघन के तहत लाया जाता है। कंपनी द्वारा उस व्यक्ति को एक निर्धारित समयावधि तक कोई और संदेश भेजने से रोका जाएगा।
इंस्टाग्राम ने बुधवार देर रात जारी अपने एक बयान में कहा, "अब अगर किसी ने नियमों का उल्लंघन करना जारी रखा, तो उसके अकाउंट को हम डिसेबल कर देंगे। मैसेजिंग को लेकर हमारे बनाए गए प्रतिबंधों से छुटकारा पाने के लिए बनाए गए नए अकाउंट्स को भी हम डिसेबल कर देंगे और हम उन अकाउंट्स को डिसेबल करना जारी रखेंगे, जिसके बारे में अगर हमने पाया कि उनका निर्माण गंदे शब्दों के आदान-प्रदान के लिए बनाया गया है।"
इंस्टाग्राम ने कहा कि कई देशों में पर्सनल अकाउंट्स पर अधिक नियंत्रण की उन्होंने शुरुआत कर दी है और इसे जल्द से जल्द सभी के लिए उपलब्ध कराए जाने की उम्मीद जताई जा रही है।
इंस्टाग्राम ने सूचित किया, "लोग अब किसी अंजान व्यक्ति से मेंशन या टैग किए जाने से बचने के लिए टर्न ऑफ के ऑप्शन का चुनाव कर सकते हैं और अनचाहे मैसेजेस से छुटकारा पाने के लिए किसी को ब्लॉक भी कर सकते हैं।" (आईएएनएस)
गुरमुख सिंह
टोरंटो, 11 फरवरी | भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कनाडा को कोविड-19 वैक्सीन देने के वादे का इंडो-कनाडा चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसीसी) समेत कई अन्य इंडो-कैनेडियन संगठनों ने स्वागत किया है। मोदी ने अपने कनाडाई समकक्ष जस्टिन ट्रूडो से यह वादा तब किया, जब बुधवार को ट्रूडो ने उनसे महामारी, आर्थिक सुधार और जलवायु परिवर्तन समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए फोन किया था।
मोदी ने ट्वीट कर कहा कि "मैंने ट्रूडो को आश्वासन दिया है कि भारत कनाडा द्वारा मांगे गए कोविड-19 टीकों की आपूर्ति को सुविधाजनक बनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेगा।"
बता दें कि वैक्सीन की उपलब्धता में कमी के कारण ट्रूडो को सार्वजनिक तौर पर खासी आलोचना झेलनी पड़ रही है। फाइजर और मॉडर्ना दोनों ने ही कनाडा के शिपमेंट में या तो देरी की है या कटौती की है। इसके चलते कनाडा को अब तक केवल 11 लाख वैक्सीन डोज ही मिले हैं।
भारत में किसानों द्वारा किए जा रहे विरोध के समर्थन में ट्रूडो द्वारा दिसंबर में एक बयान जारी करने के बाद अब उनके द्वारा मोदी को फोन करने की पहल का इंडो-कैनेडियन ट्रेड बॉडीज ने स्वागत किया है। द्विपक्षीय संबंधों में इसे एक बड़ी बात बताते हुए इंडो-कनाडा चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विजय थॉमस ने कहा, "हाल ही में हुए कुछ विवादों को देखते हुए कनाडा को वैक्सीन देने का भारत का वादा एक स्वागत योग्य खबर है। इससे एक बड़ा अवरोध टूट गया है। कभी-कभी राजनीति, व्यापार संबंधों को बेहतर करती है लेकिन बेहतर व्यापार भी एक अच्छा राजनीतिक संबंध बना सकता है। इस विकास से हमारे दोनों देशों के बीच की सभी परेशानियों को दूर करने में मदद मिलेगी।"
वहीं ओटावा स्थित ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ इंडिया और कनाडा (ओएफआईसी) के अध्यक्ष शिव भास्कर ने कहा, "किसानों के विरोध को लेकर हाल ही में कनाडा द्वारा दिए गए बयान से उपजी नाराजगी दूर होगी। भारत, कनाडा के गुड्स, कृषि, यूरिया जैसी कई चीजों के लिए बड़ा बाजार है। लिहाजा हमें भारत के आंतरिक मामलों पर बयान जारी करने के बजाय व्यापार पर ध्यान देना चाहिए।"
विनीपेग के व्यवसायी हेमंत शाह ने कहा, "ट्रूडो ने मोदी को फोन करके अच्छा काम किया है। हमें नकारात्मक बयानों से द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।" (आईएएनएस)
द इंडियन एक्स्प्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इंटरनेशनल क्रिमनिल कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ भारत का साथ मांगा है.
नेतन्याहू ने पत्र लिखकर 'अच्छे दोस्त' भारत से कहा है कि वह आईसीसी के निर्णय के ख़िलाफ़ बोलकर उसे स्पष्ट संदेश दे.
बीते सप्ताह आईसीसी ने एक निर्णय में फ़लस्तीनी इलाक़े को भी अपने न्यायिक क्षेत्र में बताया था.
भारत ने अभी इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी है. हालांकि भारत ने राजनयिक चैनल से इसराइल को संकेत दिया है कि वह इस मुद्दे पर टिप्पणी करना नहीं चाहता है.
इसराइल भारत को अच्छा दोस्त मानता है और उसे उम्मीद थी कि भारत इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देगा.
अख़बार ने लिखा है कि इसराइल को लेकर भारत की यह चुप्पी पश्चिम एशिया में नीतिगत स्तर पर बड़े बदलाव के संकेत हैं. इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि भारत ने नेतन्याहू के सात फ़रवरी के पत्र का कोई जवाब नहीं दिया और भारत अभी इस मसले पर कोई पक्ष नहीं लेना चाहता है. हालाँकि भारत और इसराइल दोनों ही आईसीसी फाउंडिंग संधि के सदस्य नहीं हैं.
लेकिन इसराइल ने इस फ़ैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है. इसराइल का कहना है कि इस फ़ैसले से पता चलता है कि आईसीसी एक राजनीतिक बॉडी की तरह काम कर रहा है. इसराइल ने कहा है कि आईसीसी के पास यह अधिकार नहीं है कि वो इस पर कोई फ़ैसला दे. इसराइल ने कहा है कि फ़लस्तीनी अथॉरिटी कोई संप्रभु स्टेट नहीं है इसलिए वो इस पर कोई फ़ैसला नहीं दे सकता. इसराइली पीएम ने इसे यहूदी विरोधी बताया है.
आईसीसी ने 2-1 से यह फ़ैसला पाँच फ़रवरी को दिया था. इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने शुक्रवार को कहा था कि 1967 में इसराइल ने जिन इलाक़ों अपने कब्जे में ले लिया था वो उसके न्यायक्षेत्र में आता है. इसराइल इसके ठीक उलट बोलता रहा है. इस फ़ैसले से युद्ध अपराध में शामिल इसराइली और फ़लस्तीनियों की जाँच की राह खुल जाएगी.
इस फ़ैसले के बाद अब फ़लस्तीनी क्षेत्र में इसरालियों के किए गए कथित युद्ध अपराधों की जाँच हो सकती है. द हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने यह फ़ैसला छह साल पहले इसराइलियों के ख़िलाफ़ शुरू की गई जाँच के बाद दिया है. इसमें 2014 में 50 दिनों तक चले गज़ा युद्ध में इसराइलियों के युद्ध अपराध की भी जाँच की गई थी. (bbc.com)
अरुल लुईस
न्यूयॉर्क, 11 फरवरी | अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने वाशिंगटन की बीजिंग रणनीति का चार्ट बनाने के लिए एक पेंटागन टास्क फोर्स की घोषणा की है और अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग के साथ बातचीत के दौरान कड़ा रुख दिखाते हुए साफ कह दिया कि वह एक खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए प्रतिबद्ध हैं। व्हाइट हाउस ने यह जानकारी दी।
व्हाइट हाउस की ओर से उनकी बातचीत के बारे में जारी बयान के अनुसार, बुधवार को शी के साथ फोन पर वार्ता के दौरान, बाइडेन ने हांगकांग और शिनजियांग में मानवाधिकार और बीजिंग के व्यापारिक रुख संबंधी मुद्दे को भी उठाया।
बीजिंग की बढ़ती शक्ति और आक्रामक रुख के मद्देनजर बाइडेन ने पेंटागन के दौरे के दौरान चीन की चुनौतियों से निपटने और भविष्य की प्रतिस्पर्धा में अमेरिकी लोगों की जीत को सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयास का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, "हमें शांति बनाए रखने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में और विश्व स्तर पर हमारे हितों की रक्षा के लिए चीन की ओर से बढ़ती चुनौतियों का सामना करने की जरूरत है।"
पेंटागन में, राष्ट्रपति ने नए टास्क फोर्स के गठन की भी घोषणा की जो रणनीति पर तत्काल प्रभाव से काम करेगा ताकि "हम चीन से संबंधित मामलों पर मजबूती से आगे बढ़ सकें।"
पेंटागन में अपने भाषण में, बाइडेन ने कहा कि चीन पर टास्क फोर्स हमारी रणनीति और ऑपरेशनल कॉन्सेप्ट, प्रौद्योगिकी, फोर्स पॉस्चर और बहुत कुछ देखने को देखेगा।
व्हाइट हाउस ने उनके पेंटागन के भाषण के बाद जारी बयान में कहा कि शी के साथ वार्ता के दौरान, बाइडेन ने अमेरिकी लोगों की सुरक्षा, समृद्धि, स्वास्थ्य की रक्षा करने और स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत को संरक्षित करने की अपनी प्राथमिकताओं पर जोर दिया।
उन्होंने बीजिंग के अनुचित आर्थिक नियम, हांगकांग में कड़ी प्रतिशोधात्मक कार्रवाई, शिनजियांग में मानवाधिकारों के हनन और ताइवान की ओर क्षेत्र में तेजी से मुखर कार्रवाई के बारे में अपनी बुनियादी चिंताओं को रेखांकित किया।
बयान में कहा गया, "दोनों नेताओं ने कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने और वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और हथियारों के प्रसार को रोकने की साझा चुनौतियों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।"
शी के साथ बाइडेन की फोन पर वार्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और क्षेत्र के प्रमुख सहयोगियों-जापान, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया के साथ चर्चा के बाद हुई है, जिसके दौरान उन्होंने हिंद-प्रशांत मुद्दों पर चर्चा की थी। (आईएएनएस)
बर्लिन, 11 फरवरी | जर्मन फार्मास्युटिकल कंपनी बायोएनटेक ने घोषणा की है कि उसने अपने कोविड-19 वैक्सीन का उत्पादन जर्मनी के मारबर्ग शहर के एक नए प्लांट में शुरू कर दिया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पहला कदम बायोएनटेक और अमेरिकी फार्मास्युटिकल कॉपोर्रेशन फाइजर द्वारा विकसित किए गए कोविड-19 वैक्सीन बीएनटी162बी2 के एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रेडिएंट एमआरएनए का उत्पादन करना है।
कंपनी ने बुधवार को कहा, "मौजूदा पैमाने पर एमआरएनए का एक बैच करीब 80 लाख वैक्सीन का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त है।"
डारमस्टेड रीजनल एडमिनिस्ट्रेटिव काउंसिल द्वारा नया मैन्यूफेक्च रिंग परमिट मिलने के बाद बायोएनटेक ने ड्रग के इस घटक का उत्पादन मारबर्ग में शुरू किया है। एक बार इसके पूरी क्षमता से शुरू होने के बाद यह प्लांट यूरोप में एमआरएनए बनाने वाली सबसे बड़ी साइट बन जाएगा।
बायोएनटेक 2021 की पहली छमाही में वैक्सीन के 25 करोड़ डोज मैन्यूफेक्च र करने की योजना बना रहा है। उम्मीद है कि मारबर्ग साइट पर बनी पहली वैक्सीनों का वितरण अप्रैल से शुरू हो जाएगा। (आईएएनएस)
वॉशिंगटन, 11 फरवरी | दुनियाभर में कोरोनोवायरस मामलों की कुल संख्या 10.73 करोड़ तक पहुंच चुकी है जबकि 23.5 लाख से अधिक लोग इससे अपनी जान गंवा चुके हैं। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने यह जानकारी दी है। यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम्स साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने गुरुवार सुबह अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि कोरोना के वर्तमान वैश्विक मामले 107,316,506 हैं और 2,353,620 लोगों की मौत हो चुकी है।
सीएसएसई के अनुसार, दुनिया में सबसे अधिक 27,284,458 मामलों और 471,377 मौतों के साथ अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित देश बना हुआ है। वहीं, 10,858,371 मामलों के साथ भारत दूसरे स्थान पर है।
सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार, कोरोना के 10 लाख से अधिक मामलों वाले अन्य देश ब्राजील (9,659,167), ब्रिटेन (3,996,833), रूस (3,968,228), फ्रांस (3,444,888), स्पेन (3,023,601), इटली (2,668,266), तुर्की (2,556,837) जर्मनी (2,311,297), कोलंबिया (2,173,347), अर्जेंटीना (2,001,034), मेक्सिको (1,957,889), पोलैंड (1,563,645), ईरान (1,488,981), दक्षिण अफ्रीका (1,482,412), , यूक्रेन (1,297,537), पेरू (1,196,778), इंडोनेशिया (1,183,555), चेक रिपब्लिक (1,055,415) और नीदरलैंड (1,027,023) हैं।
वर्तमान में 234,850 मौतों के साथ ब्राजील मौतों के मामले में दूसरे स्थान पर है। इसके बाद तीसरे स्थान पर मेक्सिको (169,760) और चौथे पर भारत (155,252) है।
इस बीच, 20,000 से ज्यादा मौतों वाले देशों में ब्रिटेन (115,068), इटली (92,338), फ्रांस (80,591), रूस (76,873), स्पेन (63,704), जर्मनी (63,224), ईरान (58,686), कोलंबिया (56,733), अर्जेंटीना (49,674), दक्षिण अफ्रीका (47,145), पेरू (42,626), पोलैंड (39,721), इंडोनेशिया (32,167), तुर्की (27,093), यूक्रेन (25,195), बेल्जियम (21,472) और कनाडा (21,007) शामिल हैं। (आईएएनएस)
जकार्ता, 11 फरवरी | इंडोनेशिया के बेंगकुलु प्रांत में रिक्टर पैमाने पर 6.4 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी और कहा कि किसी के हताहत होने या कोई नुकसान होने की खबर नहीं है। मौसम विज्ञान और भूभौतिकी एजेंसी के एक अधिकारी अल्फत अबुबकर ने समाचार एजेंसी सिन्हुआ को बताया कि भूकंप से सुनामी आने की कोई आशंका नहीं है।
एजेंसी ने पहले बताया कि भूकंप 6.5 तीव्रता का है हालांकि बाद में संशोधित कर 6.4 कर दिया।
भूकंप बुधवार को शाम 7.52 बजे आया। इसका केंद्र दक्षिण-पश्चिम इंगानो द्वीप में 80 किलोमीटर पर और समुद्र के नीचे 10 किलोमीटर की गहराई पर था।
उत्तर बेंगकुलु जिले में आपदा प्रबंधन एजेंसी की आपातकालीन इकाई के प्रमुख वेलसन हेंड्री ने कहा कि इंगानो द्वीप में, तेज झटके नुकसान या हताहत का कारण बनते हैं।
उन्होंने सिन्हुआ को बताया, "मैंने इंगानो के उप-जिला प्रमुख को फोन किया वहां कोई इमारतें क्षतिग्रस्त नहीं हुईं या लोग घायल नहीं हुए। स्थिति ठीक थी।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 11 फरवरी| कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बुधवार को कोविड-19 टीके के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया, जिसे भारत ने अपने वैक्सीन कूटनीति के तहत 20 देशों को उदारतापूर्वक गिफ्ट किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय के एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि ट्रूडो ने मोदी को भारत से कोविड-19 टीके के लिए कनाडा की आवश्यकता के बारे में जानकारी दी। मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री को भरोसा दिलाया कि भारत कनाडा के टीकाकरण प्रयासों में मदद करने की पूरी कोशिश करेगा, जैसा कि उसने पहले ही कई देशों के लिए किया है।
टड्रो ने सराहना करते हुए कहा कि अगर दुनिया कोविड-19 पर जीत हासिल करने में कामयाबी हासिल करती है तो यह भारत की जबरदस्त फार्मास्यूटिकल क्षमता के कारण होगा और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में इस क्षमता को दुनिया के बाकी हिस्सों के साथ साझा किया जा रहा है। भारतीय प्रधानमंत्री ने ट्रूडो को उनकी सराहना, भावनाओं के लिए धन्यवाद दिया।
दोनों नेताओं ने भारत और कनाडा द्वारा कई महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक मुद्दों पर साझा किए गए आम परिप्रेक्ष्य को भी दोहराया। वे जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 महामारी के आर्थिक प्रभावों जैसी वैश्विक चुनौतियों से लड़ने में दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग को जारी रखने पर सहमत हुए।
दोनों नेता इस साल के अंत में विभिन्न महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर एक-दूसरे से मिलने और और आपसी हित के सभी मुद्दों पर अपनी चर्चा जारी रखने को लेकर उत्सुक हैं। (आईएएनएस)
यूरोपीय देश चेक रिपब्लिक में रोमा बंजारों की आबादी को काबू करने के लिए गुपचुप सैकड़ों महिलाओं की नसबंदी कर दी गई. वे सरकार से मुआवजा चाहती हैं और लंबे समय से कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं. अब उनकी कोशिशें कामयाब हो रही हैं.
(dw.com)
इन महिलाओं को मुआवजा देने के एक विधेयक पर चेक रिपब्लिक की संसद में बहस हो रही है. इसके तहत हर महिला को तीन लाख चेक कोरुना यानी लगभग 14,100 डॉलर देने की बात कही गई है. ये नसबंदियां 1970 और 1980 के दशक में हुई थी. उस वक्त चेक रिपब्लिक चेकोस्लोवाकिया का हिस्सा था और देश में कम्युनिस्ट शासन था. लेकिन कई मानवाधिकार कार्यकर्ता कहते हैं कि इस सदी में भी ऐसा हुआ है.
चेक सरकार ने 2009 में इन नसबंदियों पर "अफसोस" जताया था लेकिन मुआवजे की पेशकश नहीं की. एलेना गोरोवा 15 साल से मुआवजे के लिए चल रही मुहिम से जुड़ी हैं. वह 21 साल की थीं, जब उनकी नसबंदी की गई. वह बताती हैं कि कुछ महिलाओं से कहा गया था कि नसबंदी कराने के लिए उन्हें पैसे मिलेंगे जबकि कुछ महिलाओं को धमकी भी दी गई कि अगर उनके और बच्चे हुए तो उनके मौजूदा बच्चे छीन लिए जाएंगे.
गरीबी और भेदभाव
यूरोप की मानवाधिकार संस्था ने चेक सांसदों से कहा है कि बिल को पास कर दिया जाए क्योंकि यह इंसाफ करने का आखिरी मौका है. कुछ पीड़ित महिलाओं की तो मौत भी हो चुकी है. बहुत सी महिलाओं की तरह गोरोलोवा की नसबंदी भी ऑपरेशन से बच्चे पैदा करने के दौरान की गई. कई महिलाओं से नसंबदी के समय कहा गया कि यह सिर्फ कुछ समय के लिए है. उसके बाद फिर से उनके बच्चे पैदा हो सकते हैं.
पिछले साल चेक संसद को लिखे गए यूरोपीय मानवाधिकार परिषद की आयुक्त दुनिया मिजातोविच के पत्र में कहा गया, "इस अवसर को गंवाना नहीं चाहिए. हालांकि पीड़ितों को शारीरिक और मानसिक तौर पर जो नुकसान हुआ है, उसे पलटा नहीं जा सकता... मुआवजे की व्यवस्था कर इन महिलाओं को कुछ न्याय दिया जा सकता है जो उन्हें बहुत समय से नहीं मिला."
रोमा यूरोप में रहने वाला सबसे गरीब समुदाय है. चेक रिपब्लिक में लगभग 2.4 लाख रोमा लोग रहते हैं. चेक सरकार के अनुसार देश की आबादी रोमा लोगों की हिस्सेदारी दो प्रतिशत है. बहुत से रोमा लोग गरीबी में रहते हैं. वे अपने साथ शिक्षा, रोजगार और निवास संबंधी भेदभाव का आरोप लगाते हैं.
मजबूत होंगी कोशिशें
यह कोई नहीं जानता है कि कितनी रोमा महिलाओं की नसबंदी की गई, लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का अनुमान है कि सैकड़ों महिलाएं मुआवजे की हकदार हैं. ऐसा आखिरी मामला 2007 में प्रकाश में आया था. गोरोलोवा कहती हैं, "इसका हम सब पर बहुत ही बुरा असर पड़ा है." 1990 में उनके दूसरे बेटे की पैदाइश के समय उनकी नसबंदी की गई थी. उन्होंने बताया, "जब डॉक्टर ने मुझे बताया... तो मैं तो सदमे में आ गई. मैं रोने लगी. मैं चाहती थी कि मेरी एक छोटी सी बेटी भी हो, मेरे पति की भी यही इच्छा थी."
गोरोलोवा अपने जैसी लगभग 200 महिलाओं के संपर्क में हैं. वह बताती हैं कि नसबंदी के बाद कुछ महिलाओं की शादी टूट गई जबकि अन्य महिलाओं को जीवनभर के लिए बीमारियां मिल गईं.
यूरोपीय मानवाधिकार परिषद की आयुक्त मिजातोविच कहती हैं कि एक सरकारी जांच में पता चला कि चेकोस्लोवाकिया में रोमा महिलाओं की नसबंदी की नीति थी. 1993 में यह देश दो हिस्सों में बंट गया, चेक रिपब्लिक और स्लोवाकिया. मिजातोविच का कहना है कि अब चेक रिपब्लिक में मुआवजे के जिस बिल को तैयार किया गया है, उसे सभी पार्टियों का समर्थन प्राप्त है. इससे स्लोवाकिया में ऐसी कोशिशों को बल मिलेगा.
इसी तरह जबरन नसबंदी के मामले हंगरी, स्विटजरलैंड, स्वीडन और नॉर्वे में भी सामने आए थे. मिजातोविच कहती हैं कि ऐसी नीतियों का मकसद समाज के सबसे निचले तबके के लोगों को प्रताड़ित करना था.
एके/आईबी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
बुइनस अरिस, 10 फरवरी। अर्जेटीना के पर्यावरण अधिकारियों का कहना है कि पैटागोनिया क्षेत्र में जंगलों की आग को पूरी तरह से नियंत्रित किया जाना बाकी है, जबकि अगलगी हुए दो हफ्ते से ज्यादा हो गए। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पर्यावरण विकास मंत्री सर्जियो फेडेरोविस्की ने मंगलवार को एक स्थानीय मीडिया आउटलेट को बताया कि दक्षिणी प्रांत रियो नेग्रो के एल बोलसन के पर्यटन क्षेत्र में आग लगी हुई है, जो नियंत्रण से बाहर है।
एक परिवार जंगल से कुछ मीटर दूर पर खाना बना रहा था, जिसकी चिंगारी से 24 जनवरी को आग लग गई और जंगल क्षेत्र में तेजी से फैल गई।
इस बीच, रियो नीग्रो की फॉरेस्ट फायर प्रिवेंशन एंड फाइटिंग सर्विस ने संकेत दिया कि लगभग 7,500 हेक्टेयर क्षेत्र आग की गिरफ्त में है। (आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 10 फरवरी| पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तीन मानसिक रूप से बीमार अपराधियों को मौत की सजा पर रोक लगाते हुए कहा कि यह न्यायोचित नहीं होगा। समाचार पत्र डॉन की खबर के मुताबिक, शीर्ष अदालत की लाहौर रजिस्ट्री में न्यायमूर्ति मंजूर अहमद मलिक की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया।
सात जनवरी को पीठ ने मैराथन सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें मौत की सजा पर कई मानसिक रूप से बीमार कैदियों से संबंधित अपील की गई थी।
तीन कैदियों कनीजन बीबी, इमदाद अली और गुलाम अब्बास ने मानसिक बीमारी के तीव्र लक्षणों के साथ मौत की सजा के साथ क्रमश: 30, 18 और 14 साल बिताए।
बुधवार को पीठ ने बीबी और अली की मौत की सजा को आजीवन कारावास की सजा में बदल दिया, जबकि अदालत ने अब्बास की ओर से एक नई दया याचिका तैयार करने का भी निर्देश दिया।
अदालत ने पंजाब की प्रांतीय सरकार को तीनों दोषियों को तुरंत इलाज के लिए पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ, लाहौर में स्थानांतरित करने का भी निर्देश भी दिया है। (आईएएनएस)
कोरोना दौर में सब कुछ ऑनलाइन होने लगा है. स्कूल की क्लास, ऑफिस की मीटिंग और अदालत की सुनवाई भी. अमेरिका में एक सुनवाई का छोटा सा वीडियो जबरदस्त वायरल हो रहा है.
यूट्यूब पर इस वीडियो को कुछ घंटों के भीतर ही 25 लाख से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप "जूम" पर रिकॉर्ड हुए इस वीडियो में अदालत की सुनवाई चल रही है. वीडियो कॉन्फ्रेंस में चार विंडो में से एक में बिल्ली दिखाई दे रही है. लेकिन इस बिल्ली का अदालत की सुनवाई से क्या लेना देना है?
यह बिल्ली दरअसल टेक्सास के वकील अटर्नी रॉड पॉनटन हैं, जिन्हें खुद भी पता नहीं चला कि उनके चेहरे की जगह स्क्रीन पर बिल्ली दिखाई दे रही है क्योंकि उनके ऐप में बिल्ली का फिल्टर लगा हुआ है.
वीडियो की शुरुआत में जज रॉय फेर्गुसन वकील से कहते हैं, "मिस्टर पॉनटन, मुझे लगता है कि आपकी वीडियो सेटिंग में बिल्ली का फिल्टर ऑन है." इस पर वकील पॉनटन जवाब देते हैं, "मैं नहीं जानता कि इसे हटाते कैसे हैं. मेरी असिस्टेंट यहीं हैं और इसे हटाने की कोशिश कर रही है."
"मैं बिल्ली नहीं हूं."
अदालत का कीमती वक्त बर्बाद होता देख वकील कुछ सेकंड बाद ही कहते हैं कि वे पेशी के लिए तैयार हैं, "मैं यहां लाइव हूं और मैं बिल्ली नहीं हूं." इस पर जज फेर्गुसन फौरन जवाब देते हैं, "जी, वो तो मैं देख ही सकता हूं." अदालत की कार्रवाई को रिकॉर्ड करना या उसे इंटरनेट पर डालना गैरकानूनी है और ऐसा इस वीडियो में लिखा हुआ भी दिखता है बावजूद इसके खुद जज फेर्गुसन ने इस वीडियो को शेयर किया है जो कि एक मिनट से भी छोटा है.
ट्विटर पर वीडियो शेयर करते हुए उन्होंने लिखा, "वर्चुअल पेशी से पहले अगर किसी बच्चे ने आपका कंप्यूटर इस्तेमाल किया है, तो जूम वीडियो ऑप्शंस में जा कर सुनिश्चित कर लें कि सारे फिल्टर बंद हैं. यह छोटी सी बिल्ली आधिकारिक रूप से अदालत में पेश हुई."
वायरल हो जाने के बाद वकील पॉनटन ने न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में कहा, "इस मुश्किल दौर में अगर मैं लोगों को अपना मजाक उड़ाते हुए कुछ पलों के लिए हंसा सकूं, तो मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है." उन्होंने बताया कि वह दरअसल अपनी सेक्रेटरी का कंप्यूटर इस्तेमाल कर रहे थे, जो इस गड़बड़ी के कारण बेहद शर्मिंदा है.
आईबी/एके (एपी, रॉयटर्स)
लीबिया में 2011 में तानाशाह मुआम्मर गद्दाफी को सत्ता से बेदखल कर मौत के घाट उतार दिया गया था. लेकिन उनके परिवार के कई सदस्य विद्रोह में बच गए थे. अब वे कहां हैं?
उत्तरी अफ्रीकी देश लीबिया में गद्दाफी की सत्ता को खत्म हुए दस साल हो गए हैं. गद्दाफी के सात बेटे विद्रोह के दौरान ही मारे गए. इनमें मुतासिब भी शामिल था. उसे 20 अक्टूबर 2011 को सिर्ते में उसी दिन मारा गया जब उसके पिता की भीड़ ने पीट पीटकर हत्या कर दी थी. गद्दाफी के एक अन्य बेटे सैफ अल-अरब की अप्रैल 2011 में नाटो के हवाई हमलों में मौत हुई. इसके चार महीने बाद जब लीबिया में विद्रोह चरम पर था, तब एक अन्य बेटे खामिस की भी मौत हो गई.
लेकिन इस दौरान गद्दाफी परिवार के कुछ सदस्य बच गए. इनमें उनकी पत्नी साफिया और सबसे बड़ा बेटा मोहम्मद शामिल है जो पहली शादी से पैदा हुआ था. गद्दाफी की बेटी आयशा भी बच गई, जो निर्वासन में रह रही है. लेकिन गद्दाफी के बेटे सैफ अल-इस्लाम को लेकर रहस्य बरकरार है. कभी सैफ अल-इस्लाम को गद्दाफी का उत्तराधिकारी माना जाता था. युद्ध अपराधों के सिलसिले में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय को उसकी तलाश है.
1. माओ त्से तुंग
आधुनिक चीन की नींव रखने वाले माओ त्से तुंग के हाथ अपने ही लोगों के खून से रंगे थे. 1958 में सोवियत संघ का आर्थिक मॉडल चुराकर माओ ने विकास का नारा दिया. माओ की सनक ने 4.5 करोड़ लोगों की जान ली. 10 साल बाद माओ ने सांस्कृतिक क्रांति का नारा दिया और फिर 3 करोड़ लोगों की जान ली.
दर बदर भटकते
अगस्त 2011 में जब राजधानी त्रिपोली पर विद्रोहियों का नियंत्रण हो गया तो साफिया, मोहम्मद और आयशा भागकर पड़ोसी देश अल्जीरिया चले गए. बाद में उन्हें ओमान में इस शर्त पर शरण दे दी गई कि वे कोई राजनीतिक गतिविधियां नहीं चलाएंगे. ओमान के विदेश मंत्री मोहम्मद अब्देल अजीज ने 2013 में एएफपी से बातचीत में यह बात कही थी. आयशा पेशे से वकील है और संयुक्त राष्ट्र की गुडविल एम्बेसेडर रह चुकी है. वह सद्दाम हुसैन का बचाव करने वाली अंतरराष्ट्रीय टीम का हिस्सा रह चुकी है.
गद्दाफी के एक और बेटे हनीबाल ने भी अल्जीरिया में शरण मांगी थी. इससे पहले उसने लेबनान में अपनी लेबनानी मॉडल पत्नी अलीने स्काफ के साथ रहने की कोशिश की. लेकिन लेबनानी अधिकारियों ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उस पर एक शिया मौलवी मूसा सद्र के बारे में जानकारी छिपाने के आरोप लगे. मूसा सद्र 1978 में अपनी लीबिया यात्रा के दौरान गायब हो गए थे. हनीबाल और उसकी पत्नी को लेकर 2008 में स्विट्जरलैंड में एक राजनयिक विवाद भी हुआ. उन्हें एक लग्जरी होटल में दो घरेलू कर्मचारियों पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
गद्दाफी का एक और बेटा है सादी गद्दाफी, जो अपनी इश्कबाजी के लिए बहुत मशहूर था. वह कभी इटली में पेशेवर फुटबॉलर हुआ करता था. विद्रोह के दौरान वह भागकर नाइजर चला गया, लेकिन बाद में उसे लीबिया प्रत्यर्पित कर दिया गया. वह विद्रोह के दौरान हत्या और दमन के मामलों में वांछित था. अभी वह त्रिपोली की जेल में बंद है और उस पर 2011 में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अपराध के आरोप हैं. इसके अलावा उस पर 2005 में लीबियाई फुटबॉलर शरी अल रायानी की हत्या के भी आरोप हैं.
हिमलर की खूनी डायरी
मॉस्को स्थित जर्मन इतिहास संस्थान (डीएचआई) अगले साल हिमलर की उन डायरियों को प्रकाशित करने जा रहा है जिसमें दूसरे विश्व युद्ध के ठीक पहले और बाद के दिनों में उसकी ड्यूटी के दौरान जो भी घटा वो दर्ज है. कुख्यात नाजी संगठन एसएस के राष्ट्रीय प्रमुख की यह आधिकारिक डायरी 2013 में मॉस्को के बाहर पोडोल्स्क में रूसी रक्षा मंत्रालय ने बरामद की थी.
नवंबर 2011 में गद्दाफी की मौत के कुछ दिन बाद एक लीबियाई मिलिशिया ने सैफ अल-इस्लाम को पकड़ लिया. चार साल बाद त्रिपोली की एक अदालत ने सैफ अल-इस्लाम की गैर मौजूदगी में उसे विद्रोह के दौरान किए गए अपराधों के लिए मौत की सजा सुनाई. उसे पकड़ने वाले सशस्त्र गुट ने 2017 में घोषणा की कि सैफ अल-इस्लाम को रिहा कर दिया गया है. इस दावे की कभी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो पाई.
2019 में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के अभियोजकों ने कहा कि इस बारे में "पुख्ता" जानकारी है कि सैफ अल-इस्लाम पश्चिमी लीबिया के जिनतान इलाके में है. लेकिन जून 2014 में जिनतान से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए त्रिपोली की अदालत की कार्यवाही में हिस्सा लेने के बाद से ना तो सैफ अल-इस्लाम को कभी देखा गया है और ना ही उसका कोई बयान सामने आया है.
लीबिया
गद्दाफी की सत्ता खत्म होने के दस साल बाद भी लीबिया स्थिर नहीं हुआ है
अपने अच्छे दिनों में गद्दाफी खुद को "क्रांति का नेता" समझते थे और लीबिया को उन्होंने जमाहिरिया यानी "जनता का राज" घोषित किया था जिसे स्थानीय कमेटियां चलाती हैं. लेकिन गद्दाफी की सत्ता खत्म होने के बाद उनके हजारों समर्थकों ने देश छोड़ दिया और मिस्र और ट्यूनीशिया में जाकर बस गए. इनमें उनके अपने कबीले गदाफा के बहुत से सारे लोग भी थे.
लीबियाई कानून के प्रोफेसर अमानी अल-हेजरिसी कहते हैं, "यह सुनने में अजीब लगता है लेकिन गद्दाफी के राज में गदाफा कबीले ने बहुत मुश्किल समय देखा. जिन लोगों ने गद्दाफी का विरोध किया, उन्हें जेल में डाल दिया गया." काहिरा में गद्दाफी के समर्थकों ने अल जामाहिरिया टीवी नेटवर्क को फिर से शुरू किया. यह नेटवर्क गद्दाफी के राज में प्रोपेगैंडा फैलाता था. तो क्या निर्वासन में रह रहे गद्दाफी समर्थक लीबिया में राजनीतिक परिदृश्य में अब कोई भूमिका अदा कर रहे हैं. अल-हेजरिसी कहते हैं, "मुझे तो ऐसा नहीं लगता. लीबिया के ज्यादातर लोग गद्दाफी की सत्ता को भ्रष्टाचार और देश के राजनीतिक तंत्र को तहस नहस होने की असल वजह मानते हैं."
एके/आईबी (एएफपी)
अमेरिका ने कहा है कि वो एक अग्रणी विश्व शक्ति के रूप में भारत के उभरने का स्वागत करता है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ''भारत अमेरिका का हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अहम सहयोगी है. हम भारत के एक अग्रणी विश्व शक्ति के तौर पर उभरने और इस इलाक़े में सुरक्षा प्रदान करने वाले देश के तौर पर स्वागत करते हैं.''
नेड ने ये भी कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात की है. बीते 14 दिनों में दोनों मंत्रियों के बीच ये दूसरी बातचीत है.
फ़ोन पर बात करते हुए दोनों नेताओं ने अमेरिका-भारत साझेदारी की ताक़त की बात दोहराई और म्यांमार की मौजूदा परिस्थिति सहित आपसी चिंता के मुद्दों पर चर्चा की.
ब्लिंकन ने म्यांमार में हुए तख़्तापलट और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अनदेखी पर चिंता व्यक्त की.
एक फ़रवरी को म्यांमार की सेना ने देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू ची समेत उनकी सरकार के बड़े नेताओं को गिरफ़्तार करके तख़्तापलट कर दिया था.
दोनों देशों के नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत-अमेरिका के सहयोग की अहमियत सहित क्षेत्रीय विकास पर भी चर्चा की.
प्राइस ने बताया, ''दोनों ही देशों ने क्वार्ड और अन्य तरीक़ो से क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर दिया. साथ ही कोविड-19 और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए प्रतिबद्धता ज़ाहिर की.''
बाइडन का रुख़ भारत से जुड़े कई मसलों पर ट्रंप से है अलग
पाकिस्तान को बाइडन के आने से फ़ायदा होगा या नुक़सान
भारत-अमेरिका साझेदारी
एक सवाल के जवाब में प्राइस ने कहा कि ''भारत-अमेरिका की वैश्विक सामरिक भागीदारी ना सिर्फ़ व्यापक है बल्कि बहुआयामी भी है. हम कई मोर्चों पर उच्च-स्तरीय सहयोग को आगे बढ़ाएँगे. हमें यक़ीन है कि हमारी साझेदारी और रिश्ते आने वाले वक़्त में और भी गहरे होंगे.''
उन्होंने कहा, ''अमेरिका और भारत रक्षा, हिंद-प्रशांत में क्षेत्रीय सहयोग, आतंकवाद, शांति, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रौद्योगिकी, कृषि, अंतरिक्ष जैसे कई विस्तृत कूटनीति और सुरक्षा से जुड़े क्षेत्रों में सहयोगी हैं.''
''दोनों देश अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भी साथ काम करते हैं. हम सुरक्षा परिषद में अगले दो साल के लिए भारत के शामिल होने का स्वागत करते हैं.''
नेड प्राइस ने ये भी कहा कि भारत अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी बना रहेगा. साल 2019 में दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ कर 146 बिलियन डॉलर हो चुका है.
इसके अलावा अमेरिकी कंपनियाँ भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सबसे बड़ा ज़रिया हैं.
व्यापार और राजनयिक ,संबंधों के इतर प्राइस ने भारत और अमेरिका के बीच एक दिल का रिश्ता बताया. उन्होंने कहा- ''इस देश (अमेरिका) में 40 लाख भारतीय-अमेरिकी रहते हैं, जो अब अमेरिका को अपना घर मानते हैं. वो अपने समाज और देश की गर्व से सेवा करते हैं.'' (bbc.com)