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रायपुर/ बलौदाबाजार, 12 अगस्त। आबकारी टीम ने दिलीप धृतलहरे के ग्राम माढ़र थाना सिमगा स्थित मकान में दबिश दी। जहां दिलीप धृतलहरे रंगे हाथ मौक़े पर नकली मदिरा बनाते पाया गया।मकान की तलाशी लेने पर 3 पेटी नकली मसाला शराब पाव जिसमें छत्तीसगढ़ का लेबल एवं ढक्कन लगे हैं बरामद किया गया। साथ ही 2000 देशी मसाला शराब का ढक्कन,2000 विदेशी गोवा शराब पाव का ढक्कन, 800 देशी मसाला शराब पाव का प्रिंटेड रैपर एवं प्रिंटिंग में प्रयुक्त एक प्रिंटर मशीन भी बरामद की गयी दिलीप के घर के आँगन में खड़ी मारुति सुज़ुकी कार क्रमांक CG04HC6452 की तलाशी लेने पर डिक्की एवं सीट में रखी 10 पेटी मध्य प्रदेश निर्मित गोवा स्पेशल शराब तथा 7 पेटी मसाला शराब बरामद किया गया।पूछताछ में उसने बताया कि वह मध्य प्रदेश से मदिरा लाकर यहाँ उसमें छत्तीसगढ़ का लेबल एवं ढक्कन लगाकर बेचता है।दिलीप के विरुद्ध छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम की धारा 34(1)(क)34(2),36,59(क) के तहत प्रकरण दर्ज कर गिरफ़्तार किया गया।
लॉडेरहिल (अमेरिका), 11 अगस्त । वेस्टइंडीज के कप्तान रोवमैन पावेल ने भारत के खिलाफ चौथे टी20 अंतरराष्ट्रीय में शनिवार को यहां टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया।
भारतीय टीम इस मैच में बिना किसी बदलाव के उतर रही है जबकि वेस्टइंडीज की टीम इस मुकाबले में तीन बदलाव के साथ उतर रही है। टीम में जेसन होल्डर, ओडियन स्मिथ और शाई होप की वापसी हुई है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 12 अगस्त। कांग्रेस ने अडाणी समूह की कंपनी अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन लिमिटेड की ऑडिटर ‘डेलॉयट’ के ऑडिट का कामकाज छोड़ने की तैयारी के बीच शनिवार को आरोप लगाया कि यह कारोबारी समूह अपने लेन-देन को छिपाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि इस ऑडिटर को समय से पहले कामकाज छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
गौरतलब है कि अडाणी समूह की कंपनी अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन लि. की ऑडिटर डेलॉयट, कंपनी के ऑडिट के कामकाज को छोड़ने की तैयारी कर रही है। ऑडिट सेवा और परामर्श कंपनी ने अमेरिकी वित्तीय शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में चिह्नित कुछ लेन-देन पर चिंता जताई थी।
डेलॉयट ने तीन लेन-देन को लेकर सवाल उठाये थे। इसमें हिंडनबर्ग रिपोर्ट में चिह्नित एक ‘कॉन्ट्रैक्टर’ से ‘रिकवरी’ भी शामिल थी।
अमेरिकी संस्था हिंडनबर्ग ने इस साल 24 जनवरी को अपनी रिपोर्ट में अडाणी समूह पर धोखाधड़ी, शेयरों में गड़बड़ी और धन शोधन के आरोप लगाये थे। साथ ही संबद्ध पक्षों के बीच लेन-देन की बात कही थी। इसके बाद से कांग्रेस इस कारोबारी समूह पर लगातार हमले कर रही है।
अडाणी समूह ने सभी आरोपों को निराधार बताया था।
कांग्रेस नेता रमेश ने एक बयान में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के पसंदीदा कारोबारी समूह के संदिग्ध लेन-देन के कारण डेलॉयट हास्किन्स एंड सेल्स ने कथित तौर पर ‘अडाणी पोर्ट्स एंड एसईज़ेड’ के ऑडिटर की जिम्मेदारी छोड़ने का असामान्य कदम उठाया है।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘इससे पहले ऑडिटर ने कंपनी के खातों पर एक 'क्वालिफ़ाइड ओपिनियन' जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि तीन संस्थाओं के साथ अडाणी पोर्ट्स के लेन-देन को असंबंधित पक्षों से लेन-देन के तौर पर नहीं दिखाया जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ऑडिटर ने यह भी कहा था कि स्वतंत्र बाहरी जांच कराने से इसकी पुष्टि करने में मदद मिल सकती थी, लेकिन अडाणी पोर्ट्स ने उसके लिए मना कर दिया।’’ रमेश ने सवाल किया, ‘‘वह ईपीसी कॉन्ट्रैक्टर कौन है, जिसकी सुरक्षा और धन की व्यवस्था अडाणी पोर्ट्स कर रहा है? मई 2023 में उसने अपना म्यांमा कंटेनर टर्मिनल वास्तव में किसे बेचा?’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ऐसा लगता है कि अडाणी पोर्ट्स इन स्पष्ट संबंधित लेनदेन को छिपाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। तभी डेलॉयट को फर्म के वैधानिक ऑडिटर के रूप में पांच वर्षों में से केवल एक वर्ष पूरा करने के बाद ही इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है।’’ रमेश ने कहा, ‘‘हम 14 अगस्त 2023 को अडाणी महाघोटाले पर आने वाली सेबी की रिपोर्ट का इंतज़ार कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि उच्चतम न्यायालय की विशेषज्ञ समिति द्वारा उठाए गए तीखे सवालों के अनुसार अडाणी ग्रुप की संदिग्ध वित्तीय स्थिति की विस्तृत जांच होगी। ‘मोडानी’ के भ्रष्टाचार का सच सामने आना जारी है।’’ (भाषा)
चेन्नई, 12 अगस्त। चेन्नई की एक अदालत ने धनशोधन के मामले में गिरफ्तार तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी को शनिवार को 25 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वी सेंथिल बालाजी को उनकी हिरासत की अवधि पूरी होने के बाद शनिवार को यहां एक सत्र अदालत में पेश किया।
सेंथिल बालाजी को प्रधान सत्र न्यायाधीश एस अल्ली के समक्ष पेश किया गया। न्यायाधीश ने बालाजी को 25 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
न्यायाधीश ने सात अगस्त को ईडी को मामले के संबंध में पूछताछ के लिए सेंथिल बालाजी को पांच दिनों के लिए हिरासत में लेने की अनुमति दी थी। शनिवार को हिरासत खत्म होने के बाद ईडी ने उन्हें न्यायाधीश के सामने पेश किया।
राज्य की पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री रहते हुए नौकरी के बदले नकदी घोटाले के सिलसिले में बालाजी को जून में गिरफ्तार किया गया था। (भाषा)
सागर (मध्य प्रदेश), 12 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि उनकी सरकार के शासनकाल में दलितों, ओबीसी और आदिवासियों को उचित सम्मान मिल रहा है जबकि पिछले शासकों ने इन वर्गों की उपेक्षा की और उन्हें केवल चुनावों के दौरान याद किया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछली सरकारें गरीबों को पानी उपलब्ध कराने में विफल रहीं जबकि उनकी सरकार के दौरान जल जीवन मिशन के कारण दलित बस्तियों, पिछड़े इलाकों और आदिवासी क्षेत्रों को अब नल से जल मिल रहा है।
प्रधानमंत्री ने सागर जिले के बडतूमा में समाज सुधारक और कवि संत रविदास के 100 करोड़ रुपये की लागत वाले मंदिर-सह-स्मारक के निर्माण के लिए भूमि पूजन और आधारशिला रखने के बाद मध्य प्रदेश के सागर जिले के ढाना गांव में एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित किया।
भूमि पूजन के बाद मोदी ने संत रविदास की मूर्ति के सामने हाथ जोड़कर प्रणाम किया। समारोह में उन्होंने आगामी स्मारक-सह-मंदिर के लघु मॉडल का भी निरीक्षण किया।
ढाना में मोदी ने विभिन्न सड़क परियोजनाओं की आधारशिला रखने के अलावा बीना-कोटा रेलवे लाइन के दोहरीकरण परियोजना को राष्ट्र को समर्पित किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हजारों गांवों की मिट्टी और 300 से अधिक नदियों का पानी संत रविदास के आगामी मंदिर-सह-स्मारक का हिस्सा बन जाएगा।
उन्होंने कहा कि रविदास जी ने उस कालखंड में जन्म लिया जब देश पर मुगलों का शासन था, समाज अस्थिरता, उत्पीड़न और अत्याचार से जूझ रहा था। उन्होंने कहा कि उस समय भी रविदास जी समाज को जागृत कर रहे थे, वह उसे बुराइयों से लड़ना सिखा रहे थे।
मोदी ने पिछली सरकारों पर दलित एवं वंचित वर्गों की उपेक्षा करने और केवल उन्हें चुनाव के दौरान याद करने का आरोप लगाया।
मोदी ने कहा, 'दशकों तक शासन करने वाली सरकारें गरीबों को पानी उपलब्ध कराने में विफल रही हैं, जबकि जल जीवन मिशन के कारण अब दलितों, पिछड़े इलाकों और आदिवासी क्षेत्रों को नल से जल मिल रहा है।'
उन्होंने कहा, "हमारी सरकार दलितों, ओबीसी और आदिवासियों को उचित सम्मान दे रही है।"
कोरोना महामारी के दौर को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने तय किया था कि कोरोनोवायरस प्रकोप के दौरान कोई भी खाली पेट नहीं सोएगा। उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना महामारी में पूरी दुनिया की व्यवस्थाएं ठप्प पड़ गईं, भारत के गरीब, दलित, आदिवासी के लिए हर कोई आशंका जता रहा था, कहा जा रहा था कि समाज का यह तबका कैसे रह पाएगा। तब मैंने तय किया कि चाहे जो हो जाए, मैं अपने गरीब भाई-बहनों को खाली पेट सोने नहीं दूँगा।’’
उन्होंने कहा, 'कोरोना वायरस काल में गरीबों के लिए हमारी मुफ्त राशन योजना की दुनिया भर में सराहना हो रही है।'
अधिकारियों के मुताबिक समाज सुधारक को समर्पित यह मंदिर-सह-स्मारक 11 एकड़ भूमि में फैला होगा। यह संरचना संत रविदास की शिक्षाओं को प्रदर्शित करेगी और इसमें एक संग्रहालय, आर्ट गैलरी और अन्य सुविधाओं के अलावा भक्तों के लिए आवासीय सुविधाएं भी होंगी। (भाषा)
कोलाघाट (पश्चिम बंगाल), 12 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान संसद से बहिर्गमन करने पर विपक्षी दलों की आलोचना करते हुए ‘‘चर्चा से भागने’’ का आरोप लगाया और कहा कि उनकी सरकार ने विपक्ष द्वारा देश भर में “फैलाई जा रही नकारात्मकता’’ को पराजित कर दिया है।
प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों पर मणिपुर पर चर्चा के बारे में ‘‘गंभीर नहीं होने’’ का भी आरोप लगाया क्योंकि ‘‘इससे उन्हें सबसे अधिक नुकसान होता।’’ मोदी ने कहा कि संसद में चर्चा के माध्यम से समाधान खोजने के अवसर का उपयोग नहीं किया जा सका क्योंकि विपक्षी दलों ने ‘‘लोगों के कल्याण की जगह अपनी राजनीति को प्राथमिकता दी।’’
प्रधानमंत्री के आरोप का परोक्ष रूप से संदर्भ देते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि केंद्र ने ‘‘मणिपुर में अत्याचार करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।’’
प्रधानमंत्री पश्चिम बंगाल में पंचायती राज परिषद को डिजिटल माध्यम से संबोधित कर रहे थे। मोदी ने पिछले महीने बंगाल में हुए ग्रामीण चुनाव के दौरान विपक्ष को डराने के लिए ‘‘आतंक और धमकियों’’ का इस्तेमाल करने को लेकर राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की आलोचना भी की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “दो दिन पहले ही, हमने संसद में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को हरा दिया। हमने उनके द्वारा फैलाई जा रही नकारात्मकता को पराजित किया है। विपक्ष को सदन से भागते हुए पूरे देश ने देखा है। दुर्भाग्य से, उन्होंने मणिपुर के लोगों को धोखा दिया।’’
मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा से विपक्षी सांसदों के बहिर्गमन के बाद ध्वनि मत से बृहस्पतिवार को गिर गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सत्र शुरू होने से पहले सरकार ने विपक्षी दलों को पत्र लिखकर कहा था कि केंद्र मणिपुर मुद्दे पर चर्चा करना चाहता है।
मोदी ने कहा, ‘‘लेकिन क्या हुआ, आप सबने देखा है? विपक्ष ने ऐसा नहीं होने दिया। ऐसे संवेदनशील विषय पर चर्चा होती तो मणिपुर के लोगों को राहत महसूस होती। उस समस्या के समाधान के लिए कुछ समाधान सामने आए होते।’’
प्रधानमंत्री ने भाजपा के कार्यक्रम में कहा, ‘‘लेकिन विपक्षी दल इस पर चर्चा नहीं करना चाहते थे क्योंकि वे जानते थे कि मणिपुर की सच्चाई उन्हें सबसे ज्यादा चुभेगी।’’ उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्षी दल किसी भी चर्चा को लेकर ‘‘गंभीर नहीं थे’’ और वे मणिपुर मुद्दे पर ‘‘सिर्फ राजनीति करना चाहते थे।’’
मोदी ने कहा, ‘‘उन्हें (विपक्षी दल) लोगों के दर्द और पीड़ा की परवाह नहीं है। उन्हें केवल राजनीति की परवाह है। यही कारण है कि उन्होंने चर्चा से बचने का फैसला किया और अविश्वास प्रस्ताव लाकर राजनीतिक बहस को प्राथमिकता दी।’’
हालांकि, बनर्जी ने दावा किया कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार ने ‘‘पूर्वोत्तर राज्य में अत्याचारों में शामिल लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।’’
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद हुई जातीय झड़पों के बाद से 160 से अधिक लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हो गए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने 140 करोड़ भारतीयों के आशीर्वाद से संसद में विपक्षी दलों के अविश्वास प्रस्ताव को हरा दिया। उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं से देश के लोगों के सामने विपक्षी दलों को बेनकाब करने का भी आग्रह किया। मोदी ने कहा, ‘‘विपक्ष सदन की कार्यवाही को बाधित कर सकता है, लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं और प्रतिनिधियों को जनता के सामने उनका पर्दाफाश करना होगा।’’
संसद में अविश्वास प्रस्ताव के गिरने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘लोगों का विश्वास मुझे प्रेरित करता है और मेरे आत्मविश्वास और उत्साह को बढ़ाता है।’’
पश्चिम बंगाल में टीएमसी पर पंचायत चुनाव के दौरान आतंक का माहौल बनाने का आरोप लगाते हुए मोदी ने कहा कि ऐसे खतरों के बावजूद भाजपा के उम्मीदवारों को लोगों ने अपना आशीर्वाद दिया।
उन्होंने आरोप लगाया, “हाल में बंगाल में पंचायत चुनाव हुए थे। पूरे देश ने देखा कि कैसे टीएमसी ने खूनी खेल खेला। हिंसा का इस्तेमाल विपक्ष को धमकाने के साधन के रूप में किया गया। टीएमसी की ‘तोलाबाज’ सेना ने वोट लूटे। ये टीएमसी की राजनीति है। लेकिन इसके बावजूद बंगाल की जनता के प्यार ने भाजपा उम्मीदवारों को जीत दिलाई है।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी दावा किया कि ‘‘जो लोग लोकतंत्र के हिमायती के रूप में कार्य करते हैं और इलेक्टॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर सवाल उठाते हैं’’ उन्होंने बंगाल में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ‘‘कमजोर’’ कर दिया है। हालांकि, ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में, हाल के ग्रामीण चुनावों के दौरान उनके (भाजपा) द्वारा 15-16 लोगों की हत्या कर दी गई। ’’ (भाषा)
श्रीनगर, 12 अगस्त। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में सीमा पर्यटन को बढ़ावा देना या रैलियां आयोजित करना केवल एक दिखावा है तथा जब तक भारत और पाकिस्तान ईमानदारी से बातचीत नहीं करते मुद्दे का समाधान नहीं होगा।
श्रीनगर के सांसद से पूछा गया कि क्या कश्मीर में स्थिति बदल गई है क्योंकि सीमा पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है और पूरी घाटी में तिरंगा रैलियां आयोजित की जा रही हैं, इस पर उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देशों के दिल साफ होने चाहिए। बहुत दिखावा हो चुका है।’’
अब्दुल्ला ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को नेक इरादों से बात करनी चाहिए क्योंकि युद्ध से कुछ हल नहीं होता। उन्होंने कहा, ‘‘जब तक दोनों देश कश्मीर मुद्दे पर ईमानदारी से बात नहीं करते, तब तक यह सब दिखावा है। यह तमाशा आगे भी चलता रहेगा। यह हर साल होगा लेकिन मुद्दा वहीं अटका रहेगा।’’
जम्मू कश्मीर में हालात सामान्य होने के सरकार के दावों पर सवाल उठाते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने पूछा कि अगर जम्मू कश्मीर में शांति है तो यहां आतंकवाद क्यों है, गोलियां क्यों चलाई जा रही हैं और सैनिक तथा लोग क्यों मारे जा रहे हैं।
अब्दुल्ला ने पूछा, ‘‘अगर वास्तव में शांति है, तो ऐसा क्यों हो रहा है? ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें (पाकिस्तान) लगता है कि इसका समाधान अभी तक नहीं हुआ है। उन्हें कौन समझाएगा कि केवल बातचीत से ही मुद्दों का समाधान होगा।’’
उन्होंने कहा कि कोई भी यूक्रेन में देख सकता है कि युद्ध से क्या होता है। अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘यूरोप आर्थिक रूप से तबाह हो रहा है। कौन मारा जा रहा है? यह यूक्रेन के लोग हैं। वे क्या हासिल करेंगे? क्या इससे सीमाएं बदल जाएंगी?’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, दोनों देशों (भारत और पाकिस्तान) को यह ध्यान रखना चाहिए कि युद्ध से कुछ हासिल नहीं होगा और केवल बातचीत से ही मुद्दे सुलझेंगे, जैसे वे (भारत सरकार) चीन से बात कर रहे हैं। 18 दौर की बातचीत हो चुकी है और विदेश मंत्री स्तर पर भी बातचीत हुई है।’’
जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास कई स्थानों पर सीमा पर्यटन को बढ़ावा देने के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि सीमाएं खोली जानी चाहिए ताकि हम (कश्मीर का) वह हिस्सा भी देख सकें जो उनके (पाकिस्तान) कब्जे में है। तब, हम मानेंगे कि वहां सच्ची शांति है।’’ (भाषा)
जयपुर, 12 अगस्त। कांग्रेस नेता और जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने युवाओं से आलोचनात्मक नजरिया अपनाने का आह्वान करते हुए शनिवार को कहा कि इस देश की आजादी को बचाए रखना उनकी (युवाओं की) जिम्मेदारी है।
युवा नेता ने कहा कि देश को बनाने में दशकों लगते हैं और बड़ी कुर्बानियां देनी पड़ती हैं। उन्होंने कहा कि देश कोई केक नहीं है जिसे 'जोमैटो' पर ऑर्डर कर लेंगे। वह यहां राज्य स्तरीय 'युवा महापंचायत' के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा,‘‘युवा होने का मतलब यह है कि हम हर चीज ज्यादा महसूस करते हैं। अगर हमारे आसपास किसी इंसान के साथ उसके कपड़े के चलते, उसके प्रेम करने के चलते, उसके खाने के चलते उसके साथ कोई अत्याचार हो रहा है अगर हम चुप हो गए तो मान लीजिए आप नौजवान नहीं है चाहे आपकी उम्र कुछ भी हो। अगर हमने आवाज उठाई तो हम नौजवान हैं चाहे हमारी उम्र कुछ भी हो।’’
कन्हैया कुमार ने कहा,‘‘ अपने आसपास होने वाले अत्याचारों को महसूस करना.. ।आलोचनात्मक दृष्टि से देखने का मतलब केवल नकारात्मक देखना नहीं होता है आलोचनात्मक होने का मतलब होता है कि तब नकारात्मकता भी देखेंगे जब खाली सकारात्मकता की बात हो रही होगी और तब सकारात्मकता भी देखेंगे जब सिर्फ नकारात्मकता की बात हो रही हो। आलोचना का मतलब होता है कि चीज को पूरी तरह देखना।’’
उन्होंने कहा कि नौजवान होने का मतलब है कि पुरानी पीढ़ी की जो अच्छी चीजें हैं, गौरवशाली परंपरा के तौर पर उन्हें आगे बढ़ाएंगे और जो चीजें अप्रासंगिक हो गई हैं नौजवान होने के दम पर उसे चुनौती देंगे।
उन्होंने कहा,‘‘देश कोई केक नहीं है कि हम जामैटो पर इसको आर्डर कर लेंगे। देश को बनाने में दशकों लगे हैं और लोगों ने अपनी जिंदगी की कुर्बानियां दी हैं।’’
युवाओं से आजादी की कीमत समझते हुए इसे बचाए रखने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि आजाद देश में, आजाद नागरिक की तरह, आजादी से जिंदगी जीने का हमारा अधिकार है लेकिन इस आजादी का बचाना भी हमारी जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि इस आजादी को बचाना और उस आजादी पर जब भी कोई आंच आए तो खुल कर डटकर उसके सामने खड़ा हो जाना भी नौजवान होना होता है।
कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मौजूद थे। (भाषा)
कोकराझार, 12 अगस्त। असम के कोकराझार जिले में एक लड़की से सामूहिक बलात्कार करने के आरोप में चार नाबालिगों को पकड़ा गया है।
पुलिस महानिदेशक जी पी सिंह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि सामूहिक बलात्कार की घटना करीब दो महीने पहले हुई थी। उन्होंने कहा कि पीड़िता की मां ने शुक्रवार को सलाकाती चौकी में तब इसकी सूचना दी, जब नाबालिग लड़की ने इससे एक दिन पहले मामले का खुलासा किया था।
सिंह ने दर्ज मामले के आधार पर कहा कि नाबालिग लड़की से करीब दो महीने पहले चंपा नदी के किनारे चार लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था और यह घटना उस वक्त हुई थी जब लड़की स्नान करने गई थी।
मामले के अनुसार, आरोपियों ने लड़की को यह बात किसी को न बताने की धमकी दी थी, लेकिन आखिरकार उसने यह बात अपनी मां को बता दी।
पुलिस महानिदेशक ने कहा कि सभी चार आरोपियों की पहचान कर ली गई और उन्हें पकड़ लिया गया है।
सिंह ने कहा, ‘‘सभी आरोपी नाबालिग हैं। उम्र समेत अन्य पहलुओं का सत्यापन किया जा रहा है और कानूनी कार्रवाई की जा रही है। चूंकि सभी आरोपी नाबालिग बताए जाते हैं, इसलिए पहचान का खुलासा नहीं किया जा रहा है।’’ (भाषा)
भोपाल, 12 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा के खिलाफ उनके उस सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर कार्रवाई करने की चेतावनी दी है जिसमें उन्होंने मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया है।
प्रियंका के आरोप को झूठा बताते हुए मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस नेता से आरोप का समर्थन करने वाले सबूत मांगे और चेतावनी दी कि राज्य सरकार और भाजपा के सामने कार्रवाई के विकल्प खुले हैं।
प्रदेश भाजपा प्रमुख वी डी शर्मा ने आरोप लगाने के लिए सोशल मीडिया पोस्ट में एक फर्जी पत्र का हवाला देने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी।
हालांकि, राज्य कांग्रेस ने कहा कि वह साबित करेगी कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार भ्रष्ट है और उसने सत्तारूढ़ दल पर ‘राजनीतिक आतंक’ पैदा करने का भी आरोप लगाया।
प्रियंका गांधी ने शुक्रवार को एक्स, जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था, पर दावा किया कि मध्य प्रदेश के ठेकेदारों के एक संघ ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर शिकायत की है कि उन्हें 50 प्रतिशत कमीशन देने के बाद ही भुगतान मिलता है।
उन्होंने पोस्ट में आरोप लगाया, ‘‘ कर्नाटक की भ्रष्ट भाजपा सरकार 40 प्रतिशत कमीशन वसूलती थी। मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार भ्रष्टाचार के अपने ही रिकॉर्ड को तोड़कर आगे निकल गई है। कर्नाटक की जनता ने 40 प्रतिशत कमीशन वाली सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया अब मध्य प्रदेश की जनता 50 प्रतिशत कमीशन वाली सरकार को सत्ता से हटाएगी।’’
इस आरोप का जवाब देते हुए मिश्रा ने कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस बिना किसी मुद्दे के 'घृणित मानसिकता के साथ' राजनीति कर रही है।
मंत्री ने चेतावनी दी, ‘‘राज्य कांग्रेस के नेताओं ने पहले राहुल गांधी से झूठ बुलवाया और अब प्रियंका गांधी से झूठा पोस्ट करवाया। प्रियंका जी, अपने पोस्ट में लगाए गए आरोपों का का सबूत दें, अन्यथा हमारे पास कार्रवाई के लिए सभी विकल्प खुले हैं।’’ उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने वाले उस व्यक्ति या ठेकेदार का नाम बताना चाहिए जिसका जिक्र उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में किया है।
पत्रकारों से बात करते हुए राज्य भाजपा प्रमुख शर्मा ने कांग्रेस पर सत्ता की भूखी होने और झूठ बोलकर सत्ता में आने के लिए बेताब होने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक साजिश है और भाजपा इस पोस्ट को लेकर साइबर अपराध के तहत कार्रवाई करेगी...उन्हें बताना होगा कि उन्हें यह पत्र कहां से मिला। आपने (प्रियंका गांधी) एक फर्जी पत्र के आधार पर ना केवल मध्य प्रदेश, बल्कि देश को गुमराह किया है।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व को इस पर जवाब देना होगा, भाजपा इस संबंध में कानूनी कार्रवाई करेगी।
मध्य प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा कि उनकी पार्टी यह साबित कर देगी कि भाजपा सरकार भ्रष्ट है। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा को वास्तविकता स्वीकार करनी चाहिए, लेकिन सत्तारूढ़ दल राजनीतिक आतंक पैदा कर रहा है...यह असंवैधानिक तरीके अपना रहा है। हम साबित कर देंगे कि सरकार भ्रष्ट है।’’ मध्य प्रदेश में इस साल नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। (भाषा)
नयी दिल्ली, 12 अगस्त। पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने शनिवार को आरोप लगाया कि औपनिवेशिक काल की भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह लाया गया भारतीय न्याय संहिता विधेयक ‘राजनीतिक उद्देश्यों के लिए पुलिस की दमनकारी शक्तियों’ का इस्तेमाल करने की अनुमति देता है।
राज्यसभा सदस्य सिब्बल ने यह भी दावा किया कि इस तरह के कानून लाने के पीछे सरकार का एजेंडा ‘विरोधियों को खामोश’ करने का है।
आपराधिक कानूनों में आमूल-चूल बदलाव करने के लिए केंद्र ने शुक्रवार को आईपीसी, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए, जिनमें अन्य चीजों के अलावा, राजद्रोह कानून को निरस्त करने तथा अपराध की एक व्यापक परिभाषा के साथ एक नया प्रावधान पेश करने का प्रस्ताव है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023; सीआरपीसी की जगह लेने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक, 2023; और भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक, 2023 पेश किया।
भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023, इंडियन एविडेंस एक्ट (भारतीय साक्ष्य अधिनियम) की जगह लेगा।
सिब्बल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, “ भारतीय न्याय संहिता (2023) (बीएनएस) राजनीतिक उद्देश्यों के लिए पुलिस की दमनकारी शक्तियों के इस्तेमाल की इजाज़त देती है।”
उन्होंने कहा, “ बीएनएस: पुलिस हिरासत की अवधि 15 दिन से 60 या 90 दिन तक करने की अनुमति देता है। राष्ट्र की सुरक्षा(पुन:परिभाषित) को खतरे में डालने वाले व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिए नया प्रावधान है। एजेंडा : विरोधियों को खमोश करने का है।”
बीएनएस विधेयक मानहानि और खुदकुशी की कोशिश समेत मौजूदा प्रावधानों में कई बदलावों का प्रस्ताव करता है।
शाह ने कहा कि ये बदलाव इसलिए किए जा रहे हैं कि लोगों को शीघ्रता से न्याय मिल सके। (भाषा)
बीजापुर-सुकमा के सीमावर्ती क्षेत्र में 17 साल थीं सक्रिय
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 12 अगस्त। नक्सल मोर्चे पर जवानों द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जिससे प्रभावित होकर आज 8 लाख की ईनामी नक्सली ने एसपी किरण चव्हाण के समक्ष बिना हथियार के आत्म समर्पण किया है। समर्पित महिला नक्सली को प्रोत्साहन राशि के साथ-साथ श्रीफल व साड़ी भेंट की गई।
शनिवार को जिला मुख्यालय स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय में 17 बरस से सक्रिय व आधा दर्जन बड़ी घटनाओं में शामिल रही 8 लाख की ईनामी नक्सली ने आत्मसमर्पण किया है।
नक्सलवाद उन्मूलन नीति के तहत विश्वास, विकास एवं सुरक्षा की भावना एवं सुकमा पुलिस द्वारा चलाये जा रहे ‘‘पुना नर्कोम अभियान’’ नई सुबह, नई शुरूआत से प्रभावित होकर प्रतिबंधित नक्सली संगठन में सक्रिय महिला नक्सली माड़वी मल्ले उर्फ गंगी पीएलजीए बटालियन सदस्य ने आत्मसमर्पण किया। वह थाना चिंतलनार क्षेत्र की रहने वाली हैं।
पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने बताया कि आत्मसमर्पित महिला नक्सली से पूछताछ में बटालियन की कार्यप्रणाली एवं संगठन संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई हैं, जिसका उपयोग आगामी अभियानों में किया जाएगा।
महिला नक्सली से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि लगातार कैम्पों के निर्माण एवं ऑपरेशनल कार्यवाहियों से बटालियन सहित सक्रिय नक्सली संगठनों का आधार क्षेत्र कमजोर/सिमटता जा रहा है। पिछले कुछ वर्षो में बटालियन के बहुत से कैडर संगठन छोडक़र लगातार समय अंतराल पर भाग गये हैं। कैडरों में अविश्वास की भावना व्याप्त हैं। साथ ही समर्पित महिला नक्सली को प्रोत्साहन राशि दी गई और पुनर्वास नीति का लाभ दिया जाएगा।
इस दौरान आकाश मरकाम अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, रजत नाग उप पुलिस अधीक्षक नक्सल ऑप्स सुकमा उपस्थित रहे।
भोपाल, 12 अगस्त। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि मध्य प्रदेश के लोग भी अब भाजपा और प्रधानमंत्री से कोई उम्मीद नहीं रखते हैं.
पीएम मोदी के मध्य प्रदेश दौरे से पहले जयराम रमेश ने ट्वीट कर लिखा, "आज प्रधानमंत्री मध्य प्रदेश जा रहे हैं. अपनी आदत से मजबूर वह बड़ी-बड़ी बातें करेंगे, फ़र्ज़ी दावे करेंगे और झूठे सपने दिखाएंगे. लेकिन मध्य प्रदेश के लोग चाहेंगे कि प्रधानमंत्री उनकी समस्याओं पर बात करें."
उन्होंने कहा, "मध्य प्रदेश में महाकाल लोक निर्माण और पटवारी भर्ती में घोटाले हुए हैं. हाल ही में कांट्रैक्टर्स ने 50% कमीशन मांगे जाने के आरोप लगाए हैं. क्या PM इन पर कुछ बोलेंगे?"
उन्होंने कहा, "राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों पर अत्याचार चरम पर है. कुछ दिनों पहले वायरल एक वीडियो ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया था. क्या प्रधानमंत्री इसकी निंदा करेंगे, इन घटनाओं पर कुछ बोलेंगे? उनके ट्रैक रिकार्ड को देखते हुए हमें तो उम्मीद नहीं है. मध्य प्रदेश के लोग भी अब भाजपा और प्रधानमंत्री से कोई उम्मीद नहीं रखते."
प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को मध्य प्रदेश के सागर दौरे पर थे. उन्होंने सागर में संत शिरोमणि रविदास जी के भव्य मंदिर एवं स्मारक के निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया. इसके बाद उन्होंने सागर में ही एक जनसभा भी संबोधित की.
उन्होंने कहा, "संत रविदास ने कहा था- समाज ऐसा होना चाहिए, जिसमें कोई भी भूखा न रहे. छोटा-बड़ा, इससे ऊपर उठकर सब लोग मिलकर साथ रहे. आज आजादी के अमृतकाल में हम देश को गरीबी और भूख से मुक्त करने के लिए प्रयास कर रहे हैं. संत रविदास ने कहा था- पराधीनता पाप है, जान लेहु रे मीत. रैदास दास पराधीन सौं, कौन करैहै प्रीत."
"कोविड महामारी के दौरान मैंने तय किया कि मैं गरीबों को भूखा नहीं सोने दूंगा. आपका दर्द समझने के लिए मुझे किताबें ढूंढने की जरूरत नहीं है. हमने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण शुरू की. अन्न योजना और 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया और आज पूरी दुनिया हमारे प्रयासों की सराहना कर रही है. अमृत काल में हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी विरासत को आगे बढ़ाएं और अतीत से सीखें." (bbc.com/hindi)
जशपुर/ रायपुर, 12 अगस्त। पूर्व आईएएस और सरगुजा में कमिश्नर रहीं जेनी विवा किंडो कांग्रेस में शामिल हुईं । उन्हें प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैद के समक्ष कांग्रेस पार्टी की सदस्यता दिलाई। समझा जा रहा है कि वह जशपुर से चुनाव लड़ सकतीं हैं। वो मूलतः कुनकुरी से हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जशपुर / रायपुर, 12 अगस्त। पूर्व आईएएस और सरगुजा में कमिश्नर रहीं जेनी विवा किंडो कांग्रेस में शामिल हुईं। उन्हें प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैद के समक्ष कांग्रेस पार्टी की सदस्यता दिलाई। समझा जा रहा है कि वह जशपुर से चुनाव लड़ सकतीं हैं। वो मूलतः कुनकुरी से हैं।
शुरैह नियाज़ी
भोपाल से, 12 अगस्त। मध्य प्रदेश के भाजपा के उपाध्यक्ष आलोक शर्मा का मुसलमानों को लेकर दिया गया बयान विवादों में आ गया है.
रतलाम के जावरा में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने मुसलमानों से कहा है कि बेहतर होगा कि वो वोट देने न जाएं.
उन्होंने कहा, ''जावरा के मुस्लिम भाइयों से कहना चाहता हूं, क्योंकि तुम वोट तो हमें दोगे नहीं, इसलिए तुम वोट डालने ही मत जाना. भैया इतना कर दो यार, इसमें तुम्हारी भी रह जाएगी और हमारी भी रह जाएगी.''
शर्मा ने यह भी कहा कि तुम हमें वोट तो दोगे नहीं, लेकिन इतना तो मानते हो ना जिस घर में रह रहे वो प्रधानमंत्री आवास योजना में बना है. शर्मा के इस बयान के बाद कार्यकर्ता हंसने लगे. उसके बाद उन्होंने कैमरे को बंद करने के लिये भी बोला.
आलोक शर्मा जावरा में थे जहां पर अच्छी ख़ासी मुसलमानों की आबादी है और अब उनके बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है.
अब यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
आलोक शर्मा भोपाल के महापौर भी रहे हैं. उन्होंने भाजपा से 2008 में विधानसभा चुनाव भी मुस्लिम बहुल उत्तर भोपाल से लड़ा है लेकिन वो चुनाव हार गए थे. उन्हें कांग्रेस के आरिफ़ अकील ने हराया था. (bbc.com/hindi)
खरगे और सीएम-मंत्री रहेंगे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 अगस्त। प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति बाहुल्य जांजगीर-चांपा से रविवार अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत करने जा रही है। इस कड़ी में आयोजित सभा में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, और प्रदेश प्रभारी सैलजा व सीएम भूपेश बघेल के साथ ही सरकार के सभी मंत्री शिरकत करेंगे।
सभा जांजगीर में होगी। इसमें करीब 50 हजार से अधिक लोगों के जुटने की उम्मीद जताई जा रही है। सभा को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे संबोधित करेंगे। खरगे कल दोपहर करीब साढ़े 12 बजे दिल्ली से रायपुर पहुंचेंगे। इसके बाद सीएम भूपेश बघेल, और प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज के साथ हेलीकाप्टर से जांजगीर के लिए रवाना हो जाएंगे।
बताया गया कि सभा को संबोधित करने के बाद खरगे शाम चार बजे रायपुर पहुंचेंगे, और फिर सीधे दिल्ली चले जाएंगे। सभा में डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव, और सभी मंत्री प्रमुख रूप से मौजूद रहेंगे। जांजगीर-चांपा जिला अनुसूचित जाति बाहुल्य जिला है। विधानसभा आम चुनावों में कांग्रेस की लहर होने के बाद भी अपेक्षाकृत अच्छी सफलता नहीं मिल पाई थी। यहां की 6 विधानसभा सीटों में से कांगे्रस के पास सिर्फ सक्ती, और चंद्रपुर है। तीन सीटों पर वह तीसरे स्थान पर चली गई थी। ऐसे में कांग्रेस ने यहां अपनी पकड़ बनाने के लिए जोरदार प्रयास कर रही है।
खरगे और प्रदेश प्रभारी सैलजा, दोनों ही अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि दोनों ही नेताओं के आने से अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं में पार्टी की पकड़ बनाने में मदद मिलेगी। विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता अक्टूबर के पहले हफ्ते में संभावित है। ऐसे में यहां से पार्टी एक तरह से चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत कर रही है। आने वाले दिनों में विशेषकर जांजगीर-चांपा जिले में कई और कार्यक्रम होंगे।
भारत सरकार ने डेढ़ सौ बरस पुराने कुछ कानून बदल कर उनकी जगह नए कानून पेश किए हैं, इनमें अदालतों में पेश होने वाले मामलों से जुड़े हुए 3 बड़े कानून, इंडियन पीनल कोड, कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर, और एविडेंस एक्ट, इन तीनों की जगह भारतीय नाम वाले तीन नए कानून पेश किए गए हैं। अब ऐसा लगता है कि जहां कहीं इंडियन नाम था उन्हें बदलकर भारतीय किया जाएगा, और केंद्र सरकार की नीयत चाहे जो हो, सबसे पहले तमिलनाडु ने इन कानूनों में इस्तेमाल हिंदी शब्दों का विरोध किया है और इसे हिंदी तो थोपने की हरकत कहा है। केंद्र सरकार ने सफाई दी है कि ये शब्द हिंदी के नहीं हैं, बल्कि संस्कृत के हैं जिन्हें कि तमिलनाडु अपनी एक भाषा मानता है।
लेकिन भाषा से परे अगर देखें तो इन 3 कानूनों में जो फेरबदल प्रस्तावित हैं उनमें से कुछ अदालत और जेल में फंसे हुए लोगों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकते हैं। अभी हम यह बात सिर्फ खबरों में दिख रही जानकारी को देखकर कह रहे हैं। कानून और अदालती प्रक्रिया के अधिक जानकार लोग बाद में हो सकता है कि इन प्रस्तावित कानूनों की बारीकियों को देखकर इनकी खामियां भी निकाल सकें, क्योंकि अंग्रेजी में कहा जाता है कि डेविल इज इन द डिटेल्स, यानी जो खतरनाक बात रहती है, वह बीच के हिस्से में, कहीं बारीक शब्दों में, दूसरी बातों के बीच में छुपाकर रखी जाती है, जो पहली नजर में आसानी से समझ नहीं आती, फिर भी पहली नजर में जो दिख रहा है, हम उन्हीं को लेकर आज यहां पर अपनी राय रख रहे हैं।
इसमें मॉब लिंचिंग पर 7 साल से लेकर मौत की सजा तक का प्रावधान किया गया है और मॉब की परिभाषा में 5 या 5 से अधिक लोगों के समूह के नस्ल जाति या समुदाय, लिंग, जन्मस्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य आधार पर की गई हत्या से उसे जोड़ा गया है। ऐसी भीड़ के हर सदस्य को कम से कम 7 बरस तक की कैद या फिर मौत की सजा भी दी जा सकती है। यह कानून महत्वपूर्ण इसलिए हो सकता है कि हिंदुस्तान में हर कुछ महीनों में कहीं न कहीं ऐसी भीड़ हत्या (हम इसके लिए भीड़त्या लिखने लगे हैं) सुनाई देती है। दूसरा महत्वपूर्ण फेरबदल यह दिख रहा है कि नाबालिग से गैंगरेप पर मौत की सजा का प्रावधान किया गया है और बलात्कार के मामलों में जो न्यूनतम सजा 7 साल थी उसे बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है। नाबालिग के साथ बलात्कार पर 20 वर्ष तक की कैद है। अब जब ऐसे कड़े क़ानून की चर्चा होती है तो याद पड़ता है कि देश और प्रदेश की सरकारें अपने पसंदीदा और चहेते बलात्कारियों को अदालती फ़ैसले के ठीक पहले तक किस तरह गोद में बिठाकर रखती हैं। कड़े क़ानून भी अगर लागू करने के लिए ज़िम्मेदार सरकारों की चुनिंदा नरमी के कैदी रहेंगे, तो फिर उनका कोई मतलब नहीं है। हिंदुस्तान ही नहीं, दुनिया का इतिहास गवाह है कि अमल और इस्तेमाल कमजोर रहे, तो क़ानूनों को महज़ अधिक कड़ा बनाते जाने का कोई फ़ायदा नहीं होता। आज संसद में पेश इस क़ानून को पास करने में ऐसे लोगों का भी वोट होगा जो दर्जन भर बलात्कार के आरोप झेलते हुए भी सरकार की आँखों के तारे हैं।
इसके अलावा एक दूसरा नया कानून हेट स्पीच और धार्मिक भड़काऊ भाषणों के बारे में प्रस्तावित है। अगर कोई व्यक्ति हेट स्पीच दे तो उस पर तीन बरस तक की कैद, और अगर धार्मिक आयोजन करके किसी वर्ग, तबके या धर्म के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया जाता है, तो इस पर 5 बरस तक की कैद का प्रावधान होगा। यह एक अलग बात है कि आज हिंदुस्तान में ऐसे अधिकतर भाषण राज्य सरकारों की मेहरबानी से ही, उनकी रहमदिली और उनके संरक्षण से ही दिए जाते हैं, तो वैसे में पुलिस भला ऐसे मामलों को कितना मजबूत बनाएगी, और सबूत को कितना बर्बाद किया जाएगा इसका ठिकाना नहीं है, लेकिन इन दिनों वीडियो कैमरों की मेहरबानी से हर मोबाइल पर जिस तरह सबूत जुटाए जा सकते हैं उसे ऐसा लगता है कि इस कानून के तहत कुछ अधिक लोगों को सजा मिल सकेगी और उसकी वजह से इस तरह की नफरत को फैलाना घटेगा। अगला एक कानून जो महत्वपूर्ण दिख रहा है, और फिर इसके बारे में यह कहना जरूरी है कि राज्य सरकारों की राजनीतिक विचारधारा के चलते इसका बड़ा बेजा इस्तेमाल होने का खतरा है, यह कानून गलत पहचान बताकर महिला के साथ यौन संबंध बनाने को लेकर है। अगर शादी, रोजगार, प्रमोशन का झांसा देकर झूठी पहचान के साथ, झूठे वादे करके, महिलाओं से शादी का वादा करके संबंध बनाए जाते हैं, तो उस पर 10 बरस तक की कैद हो सकती है। आज बहुत से ऐसे मामले दर्ज हो रहे हैं जिनमें किसी एक धर्म का व्यक्ति अपने आपको दूसरे धर्म का बताकर किसी से संबंध बना रहा है, या फिर उसके ख़िलाफ़ दर्ज रिपोर्ट में इसे एक मुद्दा बनाया जा रहा है, और उसके लिए इस धार्मिक आधार पर अलग से किसी सजा का प्रावधान नहीं है। यह नया कानून इस मामले को और अधिक गंभीर बनाता है, अगर यह आरोप लगता है कि धार्मिक पहचान छुपाई गई थी, और अगर ऐसा आरोप साबित हो सकता है।
इन सबसे ऊपर एक फेरबदल यह आया है कि 3 साल तक की सजा वाली सभी धाराओं की, अदालती सुनवाई तेजी से होगी। यह तय किया गया है कि चार्ज फ्रेम होने के बाद एक महीने में ही जज को फैसला देना होगा। यह भी तय किया गया है कि सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ अगर कोई मामला दर्ज है तो 4 महीने के भीतर केस चलाने की अनुमति देना जरूरी है। आज तो सरकार अपने चहेते सरकारी अमले के ख़िलाफ़ दस बरस भी मुक़दमे की इजाज़त नहीं देती। इससे जुड़ा हुआ एक दूसरा फेरबदल यह किया जा रहा है कि मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदला जा सकेगा लेकिन पूरी तरह बरी नहीं किया जा सकेगा। सरकार ने इन कानून को पेश करते हुए यह उम्मीद भी जताई है कि इससे भारत की जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों में से करीब 40 फ़ीसदी लोग रिहाई पा जाएंगे। अभी हम ऐसे किसी दावे का मूल्यांकन करने की हालत में नहीं हैं, लेकिन यह जरूर लगता है कि अगर अदालती सुनवाई तेजी से हो सकेगी, तो वैसे भी बहुत से विचाराधीन क़ैदी बेकसूर साबित होने पर घर लौट सकेंगे, और यह छोटी बात नहीं होगी, यह बहुत बड़ी बात होगी।
इन तीनों कानून में इतने व्यापक फेरबदल किए गए हैं कि हम अभी उनका समग्र मूल्यांकन नहीं कर पा रहे हैं, जैसे राजद्रोह के कानून को खत्म करके देशद्रोह का कानून बनाया गया है। अब उसे पूरे कानून की भाषा क्या है, उसमें कहां बेजा इस्तेमाल की गुंजाइश छोड़ी गई है, यह कानून के जानकार लोग आने वाले दिनों में विश्लेषण करके बताएंगे। हम अभी खबरों में आई हुई जानकारी से उतना नहीं समझ पा रहे हैं कि क्या सरकार कानून का बेजा इस्तेमाल करने की गुंजाइश इसमें रखकर चल रही है, या बेजा इस्तेमाल की आज की गुंजाइश कुछ घटेगी। यह बात सही है कि यह कानून अंग्रेजों के जाने के 75 वर्ष बाद तक चले आ रहे थे और इनमें से बहुत सारे कानून तो उस वक्त के अंग्रेजों के आज के अपने देश में भी इस्तेमाल नहीं होते हैं, इसलिए इनको बदला जाना तो बहुत समय से जरूरी था, और आज सरकार ने सैकड़ों कानून को हटाने की बात कही है, सैकड़ों क़ानूनों में फेरबदल की बात कही है, और हो सकता है कि सरकार का यह फैसला बहुत से बेकसूर लोगों को मदद करे।
इसके साथ-साथ कल संसद से जो खबरें निकली है उनके मुताबिक पिछले पिछली चौथाई सदी में जितने किस्म के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ा है उन्हें देखते हुए इलेक्ट्रॉनिक सबूत को लेकर और अदालत की सुनवाई जैसी कार्रवाई के ऑनलाइन करने को लेकर जो फेरबदल हैं, वे अदालती बोझ को घटाने वाले हो सकते हैं। आज पहले ही दिन हम सीमित जानकारी के आधार पर इससे अधिक विश्लेषण करना ठीक नहीं समझते, और यह उम्मीद करते हैं कि जैसा कि सरकार का दावा है, अदालती फैसले तेजी से होंगे, विचाराधीन कैदियों को राहत मिलेगी, और मुजरिमों को सजा मिलना बढ़ सकेगा, अगर ऐसा है तो यह एक अच्छी बात होगी।
लेकिन सरकार की असली नीयत पर कुछ कहना इन पर बहस के बाद, इनके विशेषज्ञ-विश्लेषण के बाद ही ठीक होगा।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 12 अगस्त। पं. रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
रविवि के कुलपति डॉ. सच्चिदानंद शुक्ला को प्रोफेसर पद पर 10 वर्ष का अनुभव होने के आधार पर दी गई नियुक्ति को डॉ. राकेश गुप्ता व प्रो. लक्ष्मी शंकर निगम ने चुनौती देते हुए मार्च माह में एक रिट याचिका दायर की थी। याचिका को निराकृत करते हुए हाईकोर्ट ने वादियों को जनहित याचिका दायर करने की छूट दी थी। इस पर जनहित याचिका दायर की गई, जिस पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एन के चंद्रवंशी की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार एवं अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 12 अगस्त। पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय में पदस्थ आरक्षक ने डीजीपी कोटे से पुलिस में नौकरी लगाने के नाम पर कई बेरोजगार युवकों से ठगी कर ली। अब तक 21 बेरोजगारों से 1 करोड़ 13 लाख रुपये की ठगी का पता चल चुका है। आरोपी पहले भी एक पार्षद और नगर निगम कर्मचारी की मदद से इसी तरह ठगी कर चुका है। इस बार आरोपी कांस्टेबल के जीजा को शामिल पाया गया है।
सिविल लाइन थाना प्रभारी परिवेश तिवारी ने बताया कि मस्तूरी क्षेत्र के रहने वाले महेश पाल और दूसरे बेरोजगार युवकों ने शिकायत की है कि आईजी ऑफिस में पदस्थ आरक्षक पंकज शुक्ला ने उन्हें पुलिस विभाग में नौकरी लगाने का आश्वासन देकर रुपये वसूले। आरक्षक ने युवकों से एक करो? 13 लाख की वसूली की। वह आश्वस्त करने के लिए उन्हें फर्जी सलेक्शन लिस्ट भी दिखा रहा था। जब नौकरी नहीं लगी तो उन्हें पैसे वापस मांगे। इस बीच आरक्षक इसी तरह की ठगी के दूसरे मामले में जेल चला गया था। उस मामले में नगर निगम का एक भाजपा पार्षद और एक कर्मचारी भी शामिल थे। जेल से छूटने के बाद पीड़ित बेरोजगार युवक फिर पैसे मांगने लगे। वे आरोपी के जीजा रमाशंकर पांडेय से मिले, जिनकी मौजूदगी में पैसे दिये गए थे। दोनों ने पैसे वापस करने में फिर आनाकानी की। पीड़ितों ने इसकी शिकायत आईजी से की। इसके बाद सीएसपी ने प्रकरण की जांच की। इसके बाद आरक्षक पंकज शुक्ला और उसके जीजा रमाशंकर पांडेय के खिलाफ धारा 120 बी व धारा 420 आईपीसी के तहत अपराध दर्ज कर सिविल लाइन पुलिस उनकी तलाश कर रही है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 12 अगस्त। ड्यूटी से घर लौट रही रेलवे में कार्यरत महिला का जबरदस्ती पीछा कर कार में बिठाने की कोशिश करने के आरोप में एक आदतन बदमाश के खिलाफ पुलिस ने अपराध दर्ज किया है।
जानकारी के अनुसार महिला जोनल रेलवे कार्यालय में कार्यरत है। पुलिस रिकॉर्ड में आदतन बदमाश के तौर पर दर्ज स्वाधीन नाग चौधरी महिला के ड्यूटी में आने जाने के दौरान पीछा करके परेशान करता है। 7 अगस्त को भी उसने उसे रोकने की कोशिश की थी। 9 अगस्त को जब वह ड्यूटी पूरी कर घर की ओर जा रही थी तो उसने ऑफिस के बाहर रोक कर हाथ खींचते हुए कार में जबरदस्ती बिठाने की कोशिश की। जब महिला ने चीख मचाई तो वह भाग खड़ा हुआ। तोरवा पुलिस एफआईआर दर्ज कर आरोपी की तलाश कर रही है। आरोपी के खिलाफ मारपीट व छेडख़ानी के पहले भी अपराध दर्ज हैं।
शहर पर जंगल काबिज !
प्रशासन में आईएएस के कैडर पदों पर विशेषकर आईएफएस अफसरों की पोस्टिंग पर विवाद खड़ा हो गया है। आईएएस अफसरों के वाट्सएप ग्रुप में एक अफसर ने अंग्रेजी अखबार द हिन्दू की एक पुरानी खबर को साझा किया है, जिसमें बताया गया कि आईएएस के कैडर पदों पर अन्य सेवा के अफसरों की पोस्टिंग के खिलाफ केरल आईएएस एसोसिएशन ने कैट में याचिका दायर की है। जिस पर सुनवाई चल रही है।
हालांकि ग्रुप के अन्य सदस्यों ने खबर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन निजी चर्चा में विशेषकर आईएफएस अफसरों की पोस्टिंग पर नाराजगी जता रहे हैं। शुक्रवार को सरकार ने एनआरडीए के चेयरमैन पद पर पूर्व मुख्य सचिव आरपी मंडल की जगह रिटायर्ड आईएफएस एसएस बजाज की पोस्टिंग की है। खास बात यह है कि चेयरमैन पद पर एक-दो मौके को छोडक़र सीएस, या सीनियर आईएएस अफसर पोस्टेड रहे हैं।
नया रायपुर की रुपरेखा तैयार हुई, तो उस समय काडा का गठन किया गया था तब चेयरमैन, उस समय आवास पर्यावरण विभाग के सचिव विवेक ढांड रहे। एनआरडीए के गठन के बाद तत्कालीन एसीएस, और आवास पर्यावरण विभाग के मुखिया पी जॉय उम्मेन चेयरमैन थे। वो सीएस रहते इस पद पर रहे। इसके बाद एन बैजेन्द्र कुमार चेयरमैन बने। बाद में अमन सिंह एनआरडीए के चेयरमैन हुए। यद्यपि अमन सिंह आईएएस नहीं थे, लेकिन आवास पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव होने के नाते उन्हें दायित्व सौंपा गया। उस समय भी प्रशासनिक हल्कों में उनकी पोस्टिंग पर थोड़ी कानाफूसी हुई थी, लेकिन उससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ।
सरकार बदलने के बाद सचिव स्तर की अफसर पी. संगीता, और फिर सीएस पद से रिटायर होने के बाद आरपी मंडल को चेयरमैन बनाया गया। और अब जब मंडल की जगह बजाज को चेयरमैन बनाया गया है, तो आईएएस बिरादरी में कुछ ज्यादा हलचल है। ये अलग बात है कि बजाज को नवा रायपुर को बसाने का श्रेय दिया जाता है। वो लंबे समय तक एनआरडीए के सीईओ रहे, और फिर वाइस चेयरमैन बने।
अकेले बजाज की नियुक्ति को लेकर ही नहीं, बल्कि कई और अफसरों की पोस्टिंग पर विवाद हो रहा है। मसलन, पी अरुण प्रसाद को पर्यावरण संरक्षण मंडल के सदस्य सचिव के साथ-साथ उद्योग संचालक, और सीएसआईडीसी के एमडी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। उद्योग संचालक आईएएस का कैडर पोस्ट है, और राज्य गठन के बाद से आईएएस अफसर ही उद्योग संचालक रहे हैं। खुद मौजूदा सीएस अमिताभ जैन उद्योग संचालक रहे हैं। इसके अलावा एसके बेहार, कार्तिकेश गोयल, श्रुति सिंह सहित जितने भी अफसरों की पोस्टिंग हुई है, वो सभी आईएएस थे।
दिलचस्प बात यह है कि भूपेश सरकार के सत्तारुढ़ होने के बाद तमाम आईएफएस अफसरों को वापस वन विभाग में भेज दिया गया था। मगर बाद में आईएएस अफसरों की कमी, और अपने विशिष्ट गुणों की वजह से एक के बाद एक प्रशासन में आते चले गए। करीब आधा दर्जन आईएफएस अफसर अहम पदों पर हैं। रिटायरमेंट के बाद तो कई आईएफएस अफसर ऊंचा पद पाने में कामयाब रहे। रिटायर्ड आईएफएस संजय शुक्ला तो रेरा चेयरमैन बन गए। कुल मिलाकर आईएफएस बिरादरी मलाईदार पदों पर आ गए हैं। इससे आईएएस अफसरों में नाराजगी तो स्वाभाविक है।
मण्डल की बिदाई
अपनी अलग कार्यशैली के लिए चर्चित आरपी मंडल को सरकार ने नवा रायपुर के चेयरमैन के दायित्व से मुक्त कर दिया है। मंडल तीन साल से अधिक इस पद पर रहे। उनकी नियुक्ति आगामी आदेश तक के लिए हुई थी, लेकिन उनकी जगह अब एसएस बजाज को बिठा दिया गया।
सुनते हैं कि दिवंगत पूर्व सीएम अजीत जोगी के बेहद करीबी माने जाने वाले आरपी मंडल को सीएस पद से रिटायर होने के बाद सरकार की महत्वकांक्षी नरवा, घुरुवा, और बाड़ी परियोजना का अहम दायित्व सौंपने की तैयारी थी, लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं हुए, और फिर उनकी पसंद पर एनआरडीए चेयरमैन का पद दिया गया।
चेयरमैन बनने के बाद मंडल कोई ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहे थे। नवा रायपुर में किसान आंदोलन सुुर्खियों में रहा है। ऐसे में अब सरकार ने उनकी जगह अनुभवी एसएस बजाज को लाया है। देखना है बजाज क्या कुछ करते हैं।
बाबा, अब तो सुध ले लेते
15 अगस्त, 26 जनवरी के सरकारी मुख्य समारोह में ध्वज फहराना किसी भी जनप्रतिनिधि के लिए बड़े सम्मान की बात होती है। पर विधायक शैलेष पांडेय के हिस्से में अपनी सरकार होने के बावजूद यह मौका आज तक नहीं आया। अंतिम रूप से अब तय हो गया कि उनको अपने इस पांच साल के कार्यकाल में मौका नहीं मिलने वाला है। आगामी 15 अगस्त को जिला मुख्यालय के समारोहों में ध्वज फहराने वालों की सूची जारी हो गई है। बिलासपुर के प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू अपने गृह जिले दुर्ग में ध्वजारोहण करने जा रहे हैं। बिलासपुर में चौथी बार तखतपुर की विधायक, संसदीय सचिव रश्मि सिंह को मौका दिया गया है। कांग्रेस सरकार बनने के बाद पहली बार 26 जनवरी 2019 वे बिलासपुर के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थीं। कार्यकाल खत्म होने के पहले होने वाला आखिरी ध्वजारोहण भी उनके ही हिस्से में आया है। बीच के अवसरों में प्रभारी मंत्री के रूप में जयसिंह अग्रवाल, रविंद्र चौबे और ताम्रध्वज साहू के अलावा उमेश पटेल और विकास उपाध्याय भी मुख्य अतिथि बनाये जा चुके हैं। यही नहीं, बिलासपुर में सालाना दशहरा उत्सव का आयोजन नगर निगम की ओर से किया जाता है। करीब 30 साल से परंपरा रही कि स्थानीय विधायक इसमें मुख्य अतिथि बनाये जाते रहे। पर, अब इसमें जिले के सभी विधायकों और सांसद को बुलाया जाता है और सामूहिक आतिथ्य में समारोह रखा जाता है। कई सरकारी आयोजनों में प्रशासन ने शहर विधायक को बुलाना जरूरी नहीं समझा। एक बार राज्य स्थापना दिवस के कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया तो नाराज होकर पांडेय ने कलेक्टर को देशद्रोही भी कह दिया। मंत्रिमंडल में अवसर पाने से पांडेय इस नियम के चलते चूक गए थे कि वे पहली बार बने नये विधायक हैं। इसके पहले यदि विधायक सत्तारूढ़ दल से हो तो बिलासपुर को हमेशा मंत्रिमंडल में जगह मिलती रही, मध्यप्रदेश के दौर में भी।
विधायक पांडेय टीएस सिंहदेव के समर्थक हैं। अपनों के खिलाफ एक बार एफआईआर दर्ज हुई तो उन्होंने कोतवाली थाने का घेराव कर दिया, बोले हम बाबा समर्थक हैं, इसलिए हमें पुलिस प्रताडि़त कर रही है। 15 अगस्त को मौका नहीं मिलने पर उनके समर्थक मायूस हैं। कह रहे हैं, बाबा डिप्टी सीएम बन गए, पर हमारे लिए कुछ नहीं बदला- अब भी ‘अन्याय’ हो रहा है...। यहां अन्याय शब्द का इस्तेमाल भाषा को संतुलित बनाये रखने के लिए किया गया।
एक दुर्लभ प्रजाति का गिरगिट
ये मौसम छिपकली, गिरगिट, सांप, गोह, कछुआ, मेंढक, केंचुआ, घोंघा तमाम तरह के सरीसृप और जीव-जंतुओं का है। ऐसे मौके पर अनेक दुर्लभ जीव भी दिखाई दे जाते हैं, पर हम आप इन्हें जानने-पहचानने में असमर्थ होते हैं। गिरगिट को देखते ही पहचाना जा सकता है, पर इसकी अलग-अलग 202 प्रजातियां होती हैं, यह तो कोई जानकार ही बता सकता है।
फोटोग्राफी के शौकीन एक पुलिस अधिकारी नरेंद्र वर्मा ने अपने सोशल मीडिया पेज पर यह तस्वीर डाली है और बताया है कि अंबिकापुर के बाहरी इलाके में मिला यह भारतीय गिरगिट अत्यन्त दुर्लभ प्रजाति का है। इसका नाम है इंडियन केमेलियन। आम गिरगिट से अलग यह शांत प्रकृति का जीव है। केमोफ्लाज (रंग बदलकर छिप जाने) होने में यह माहिर होता है। इसे देखा कम गया है। इसके पहले शायद यह सन् 2018 में भी दिखा हो।
आदिवासी दिवस पर उभरी एक चिंता
यह छत्तीसगढ़ के मणिपुर की बात है। जी हां, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के इस गांव में विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में पूर्व विधायक कांग्रेस नेता पहलवान सिंह मरावी बोले- अपने फायदे के लिए जनरल कैटेगरी के लोग आदिवासी लड़कियों को यूज़ कर रहे हैं। उनसे शादी कर लेते हैं- फिर उनको सरपंच बना लेते हैं। इसके बाद उनके पद और मेहनत का दुरुपयोग कर खुद लाभ उठाते हैं। कई लोग तो बिना शादी किए ही अपने साथ रख लेते हैं, यौन शोषण करते हैं। बहन बेटियों को गुमराह करते हैं, अपने बच्चों को आप संभालकर रखें। जब मरावी ने यह बयान दिया तो विधायक डॉ. केके धु्रव भी मंच पर मौजूद थे। कुछ दूसरे जनप्रतिनिधियों ने उनके इस बयान का समर्थन भी किया।
विश्व आदिवासी दिवस पर सरकारी गैर-सरकारी समारोह खूब हुए। नाच गाने, उत्सव, सम्मान के कार्यक्रम रखे गए। पर इस बार कुछ अलग यह देखा गया कि आदिवासियों ने समानान्तर कई जगह अपने अधिकारों के हनन के खिलाफ आक्रोश जताया। समाज के सामने खड़ी हो रही चुनौतियों पर भी बात रखी। मरावी की ही बात लें। सुनने में तीखी जरूर है, पर खुलकर जो कहना था वह उन्होंने कह तो दिया। आदिवासी समाज में धर्मांतरण के अलावा भी और बस्तर से बाहर भी कई मुद्दे हैं। पर ये इन्हें शायद राजनीतिक नहीं सामाजिक समाधान चाहिए।
ड्रिंक एंड ड्राइव के 32 मामलों में गाडिय़ां जब्त, चालकों पर जुर्माना
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 12 अगस्त। शहर व ग्रामीण थानों में लगातार शराब पीकर वाहन चालन, ब्लैक फिल्म लगाने वाले कार, बिना नंबर गाड़ी, तीन सवारी आदि यातायात नियमों को नहीं मानने वाले की जांच की जा रही है।
पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने रविवार की रात ग्रामीण व शहरी इलाकों में वाहनों की चेंकिंग का अभियान चलाया गया। इस दौरान शराब पीकर वाहन चलाने वालों का मौके पर ही ब्रेथ एनालाइजर मशीन से चेक किया गया व नियत सीमा से अधिक शराब पी कर गाड़ी चलाने वालों की गाडय़िों को जब्त किया गया। 185 मोटर व्हीकल एक्ट के अंतर्गत कुल 32 वाहनों को जब्त किया गया है, जिसे न्यायालय के समक्ष पेश किया जाएगा। 150 वाहनों पर 41200 हजार का शमन शुल्क लिया गया ।
सिंगल बेंच के खिलाफ राज्य शासन की ओर से अपील
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 12 अगस्त। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शासकीय जमुना प्रसाद वर्मा कॉलेज के मैदान की रजिस्ट्री पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि इसकी रजिस्ट्री हो गई हो तो उसे फैसला आने तक शून्य घोषित किया जाए।
मालूम हो कि शहर से रायपुर की ओर जाने वाले मुख्य मार्ग पर स्थित 2.38 एकड़ जमीन की कीमत आज करोड़ों रुपये है। इसे 70 साल पहले शिव भगवान रामेश्वर लाल चैरिटेबल ट्रस्ट ने खेल मैदान के रूप में उपयोग करने के लिए दान में दिया था। वर्तमान में इसका खेल मैदान के ही रूप में इस्तेमाल हो रहा है। ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने वर्ष 2019 में एसडीएम कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत कर इसे बेचने की अनुमति मांगी थी।
एसडीएम के फैसले को ट्रस्टी कमल बजाज, चिराग बजाज और अनन्या बजाज ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। इसकी सुनवाई करते हुए जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल ने शासन से जवाब मांगा था। शासन से जवाब नहीं आने पर हाईकोर्ट ने ट्रस्ट को जमीन बेचने की अनुमति दे दी। इसके बाद फिर से ट्रस्टियों ने जमीन बेचने की प्रक्रिया शुरू की। इसकी जानकारी मिलने पर खिलाडय़िों, छात्रों व नागरिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। ट्रस्टी के परिवार के अन्य सदस्यों ने, जो ट्रस्ट में सदस्य नहीं हैं उन्होंने अदालत में जानकारी दी कि ट्रस्ट के बायलॉज में कहा गया है कि पिता के रहते पुत्र को ट्रस्टी नहीं बनाया जा सकता, जबकि ट्रस्ट में कमल बजाज और उनका पुत्र चिराग बजाज भी ट्रस्टी है। सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ राज्य शासन की ओर से डिवीजन बेंच में अपील की। इसमें जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगाने की मांग की गई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी की डबल बेंच ने निर्णय आते तक रोक लगाई है।