अंतरराष्ट्रीय
नेपाल की संसद में विश्वास मत जीतने के बाद सीपीएन-यूएमएल अध्यक्ष खड्ग प्रसाद (केपी) शर्मा ओली नेपाल के नए प्रधानमंत्री बन गए हैं.
275 सदस्यों की नेपाल की प्रतिनिधि सभा में 188 वोट उनके समर्थन में पड़े, जबकि 74 मत उनके ख़िलाफ़ पड़े थे.
रविवार को विश्वास मत पर वोटिंग के वक्त प्रतिनिधि सभा में केवल 263 सदस्य उपस्थित थे.
पिछली सरकार के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचंड के संसद में विश्वास मत हासिल करने में विफल रहने के बाद 30 जून को कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) यानी सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी ओली को नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था.
इसके बाद उन्हें 30 दिनों के भीतर विश्वास मत हासिल करना था.
विश्वास मत हासिल करने से पहले उन्होंने कहा कि कांग्रेस और यूएमएल के बीच सात सूत्री समझौता हुआ है.
इसके तहत सरकार के गठन की तारीख से दो साल के लिए यूएमएल के अध्यक्ष केपी ओली प्रधानमंत्री होंगे, जिसके बाद आम चुनाव होने तक नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा प्रधानमंत्री होंगे. (bbc.com/hindi)
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने फिर से राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव ना लड़ने का निर्णय लिया है. उन्होंने अपनी सहयोगी और उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के लिए समर्थन दिया है.
बाइडन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक बयान के ज़रिए ये जानकारी दी है.
रिपब्लिकन पार्टी की तरफ़ से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मैदान में हैं.
अमेरिका में चार महीने बाद ही राष्ट्रपति पद का चुनाव होना है.
जून के अंत में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और राष्ट्रपति बाइडन के बीच बहस हुई थी जिसमें बाइडन का प्रदर्शन 'निराशाजनक' रहा था, इसके बाद से ही डेमोक्रेट नेता बाइडन पर उम्मीदवारी वापस लेने का दबाव बना रहे थे.
जो बाइडन की तरफ़ से कहा गया है कि उनका ये निर्णय राष्ट्र और उनकी पार्टी के हित में है.
बयान में कहा गया है, “राष्ट्रपति के रूप में सेवा देना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है. हालांकि, मेरा इरादा दोबारा चुनाव लड़ने का था, लेकिन मेरा ये मानना है कि मेरी पार्टी और देश के हित में यही है कि मैं उम्मीदवारी वापस ले लूं और पूरी तरह अपना ध्यान अपने बाकी कार्यकाल में राष्ट्रपति पद की ज़िम्मेदारी पूरी करने में लगाऊं.”
बाइडन ने एक पोस्ट में उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस के लिए समर्थन की घोषणा भी की है.
बाइडन ने कहा कि 2020 में पार्टी की तरफ़ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के बाद मेरा पहला निर्णय कमला हैरिस को उप राष्ट्रपति चुनना था और यही सबसे बेहतर था.
बाइडन की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि वो इसी सप्ताह अपने निर्णय के बारे में अधिक जानकारी देने के लिए राष्ट्र को संबोधित करेंगे. (bbc.com/hindi)
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने फिर से राष्ट्रपति पद का चुनाव ना लड़ने का निर्णय लिया है.
बाइडन ने यह फ़ैसला तब किया, जब उनके ऊपर डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर से राष्ट्रपति की रेस से बाहर होने का दबाव लगातार बढ़ रहा था.
बाइडन ने डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को समर्थन देने की घोषणा की है.
जो बाइडन के फिर से चुनाव न लड़ने के फ़ैसले को लेकर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि बाइडन अमेरिका के सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रपतियों में से एक रहे हैं.
ओबामा ने कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद से बाइडन ने ख़ुद को साबित किया है. जब ओबामा राष्ट्रपति थे तो बाइडन उपराष्ट्रपति थे.
ओबामा ने कहा, ''कोविड महामारी को ख़त्म करने में बाइडन की अहम भूमिका रही. लाखों नौकरियां पैदा कीं, दवाओं की क़ीमत कम कीं, 30 सालों में गन सुरक्षा को लेकर अहम फ़ैसले किए.''
हालांकि बराक ओबामा ने बाइडन की तरह उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की उम्मीदवारी को लेकर कुछ नहीं कहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि ओबामा कमला हैरिस को लेकर अभी किसी फ़ैसले पर नहीं पहुँच पाए हैं.
ओबामा ने कहा कि बाइडन ने जलवायु परिवर्तन को लेकर इतिहास में सबसे बड़ा निवेश किया है. कामाकाज़ी लोगों के अधिकारों को सुरक्षित करने को लेकर लड़ाई लड़ी है.
ओबामा ने कहा, ''अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका की स्थिति को फिर से मज़बूत किया. नेटो को दोबारा जीवित किया है और यूक्रेन पर हुए हमले के बाद दूनिया को रूस के ख़िलाफ़ संगठित किया है. मैं और मिशेल जो बाइडन और जिल के प्रति अपना प्यार और आभार व्यक्त करना चाहते हैं.'' (bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 21 जुलाई। जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी ने रावलपिंडी की अडियाला जेल में बंद अपने पति की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए आरोप लगाया कि उन्हें अमानवीय परिस्थितियों में रखा गया है तथा खाने के लिए दूषित भोजन दिया जाता है।
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को जेल में संवाददाताओं से अनौपचारिक बातचीत में बुशरा ने अपनी जान के लिए भी खतरा बताया।
बुशरा के अनुसार, उन पिछली घटनाओं के मद्देनजर खान का जीवन खतरे में है जिनमें उन्हें कथित तौर पर जहर दिया गया और गोली मारी गई।
उन्होंने कहा कि इसकी जांच करने के उनके कानूनी अनुरोध का अदालत ने अभी तक समाधान नहीं किया है।
जेल की स्थितियों के बारे में 49 वर्षीय बुशरा ने कहा कि 71 वर्षीय खान को गंदे हालात में रखा गया है और खाने के लिए दूषित भोजन दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि अटक जेल में मुलाकात के दौरान खान कमजोर दिखाई दे रहे थे और उन्हें रात भर अपने बालों से कीड़े निकालने पड़े।
बुशरा ने दोषी अपराधियों की तुलना में राजनीतिक कैदियों के साथ बुरे व्यवहार की भी आलोचना की और आरोप लगाया कि अन्य कैदियों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाता है जबकि खान को बुनियादी सुविधाओं के अभाव में संघर्ष करना पड़ता है।
पिछले साल अगस्त में भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तारी के बाद से खान रावलपिंडी की उच्च सुरक्षा वाली अडियाला जेल में बंद हैं और उन पर 200 से अधिक मामले दर्ज हैं। इन मामलों में से कुछ में उन्हें दोषी ठहराया गया है। (भाषा)
तेल अवीव, 21 जुलाई । इजरायल ने शनिवार को यमन में हौथी विद्रोहियों के तेल ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। इस हमले में हौथी को भारी नुकसान पहुंचा है। इजरायली सेना की कार्रवाई पर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की पहली प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने दुश्मनों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि हमें नुकसान पहुंचाया तो उसकी कीमत चुकानी होगी। बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बयान में कहा, "मैंने युद्ध की शुरुआत से ही यह स्पष्ट कर दिया था कि इजरायल पर हमला करने वाले सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
यही कारण है कि आज सुबह मैंने इजरायली कैबिनेट से कहा कि यमन में हौथी ठिकानों पर हमला करने के फैसले का वह समर्थन करे। जिस बंदरगाह को निशाना बनाया गया, उसका इस्तेमाल ईरान द्वारा हौथी आंतकियों को दिए जाने वाले हथियारों के लिए होता है। हौथी विद्रोहियों ने इन हथियारों का इस्तेमाल इजरायल, अरब और अन्य क्षेत्रों पर हमला करने के लिए किया है।" उन्होंने बताया कि एक दिन पहले हौथी ने तेल अवीव में ड्रोन से हमला किया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई। इसके जवाब में ही इजरायली सेना ने हौथी विद्रोहियों के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। उन्होंने कहा, "हौथी विद्रोहियों ने पिछले आठ महीनों में इजरायल के खिलाफ सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और ड्रोन लॉन्च किए हैं। इन हमलों का एकमात्र कारण यह है कि इजरायल और उसके सहयोगियों ने रक्षात्मक उपाय किए हैं, जिसके चलते विद्रोहियों के ठिकानों को नष्ट किया गया।" पीएम नेतन्याहू ने अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई देशों का आभार जताया।
उन्होंने कहा, "मैं अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और अंतरराष्ट्रीय समुद्री गठबंधन के अन्य सदस्यों को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिसे हौथी विद्रोहियों के हमलों को रोकने के लिए बनाया गया है। लेकिन, कल सुबह इजरायल पर हुए ड्रोन हमले से पता चलता है कि हौथी विद्रोहियों को रोकने के लिए रक्षात्मक कार्रवाई से अधिक कदम उठाने की जरूरत है। यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि ईरान द्वारा समर्थित आतंकवाद इसकी कीमत चुकाए।"
उन्होंने कहा कि आज के समय में इजरायल पर ईरान और उसके सहयोगियों द्वारा सात मोर्चों पर हमला किया जा रहा है। इसलिए, जो लोग मध्य-पूर्व को अधिक सुरक्षित और स्थिर बनाना चाहते हैं। उन्हें यमन, गाजा, लेबनान और अन्य जगहों पर मौजूद आतंकी संगठनों के खिलाफ इजरायल की कार्रवाई का समर्थन करना चाहिए। इजरायल के दुश्मनों के लिए मेरा एक सरल संदेश है। हर मोर्चे पर खुद की रक्षा करने के इजरायल के दृढ़ संकल्प पर संदेह नहीं करें। जो लोग हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, उन्हें बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। -(आईएएनएस)
बेरूत, 21 जुलाई । इजरायल-हमास युद्ध के बीच इजरायली सेना गाजा के अलावा अन्य जगहों पर भी कार्रवाई कर रही है। इसी बीच इजरायली सेना ने दक्षिणी लेबनान के विभिन्न इलाकों में हवाई हमले किए हैं। इसमें चार विस्थापित सीरियाई बच्चों सहित सात लोग घायल हो गए हैं। शिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने शनिवार को बताया कि इजरायली ड्रोन और फाइटर विमानों ने हौला के दक्षिण-पूर्वी गांव में एक घर पर हवाई हमला किया, जिसमें तीन नागरिक घायल हो गए। इसके अलावा कई घर भी तबाह हो गए। इसके साथ ही एक अन्य इजरायली ड्रोन ने दक्षिण-पूर्वी शहर मरजायून के बुर्ज अल-मुलुक क्षेत्र में भी हमला किया।
इसकी चपेट में आने से वहां मौजूद चार सीरियाई बच्चे घायल हो गए। इजरायल के हवाई हमले के बीच हिजबुल्लाह ने एक बयान में कहा कि उसके लड़ाकों ने अल-मनारा साइट के क्षेत्र में मौजूद इजरायली सैनिकों को निशाना बनाया है। वहीं, लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बलों के प्रवक्ता एंड्रिया टेनेंटी ने शनिवार को कहा कि लेबनान और इजराइल के बीच कूटनीतिक समाधान संभव है। उन्होंने दोनों पक्षों से युद्ध विराम का भी आह्वान किया। टेनेंटी ने कहा कि लेबनान और इजराइल के दलों ने दुश्मनी को खत्म करने और स्थायी युद्ध विराम की दिशा में आगे बढ़ने के लिए संयुक्त राष्ट्र संकल्प 1701 के महत्व पर जोर दिया है।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक और कूटनीतिक समाधान ही एकमात्र रास्ता है। हम तनाव कम करने व शांति की दिशा में संयुक्त राष्ट्र संकल्प 1701 के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए अपनी शक्ति के मुताबिक सब कुछ करना जारी रखेंगे। बता दें कि 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमास के हमले के बाद हिजबुल्लाह द्वारा इजरायल की ओर रॉकेट दागे गए, जिसके बाद से ही लेबनान-इजरायल सीमा पर तनाव बढ़ा हुआ है। हालांकि, हिजबुल्लाह के हमलों का इजरायल की ओर से भी जवाब दिया गया और इजरायली सेना ने हिजबुल्लाह के ठिकानों पर जमकर हमले किए। इस बीच हिजबुल्लाह के महासचिव हसन नसरल्लाह ने चेतावनी दी है कि युद्ध छिड़ने की स्थिति में इजरायल की कोई भी जगह उनकी मिसाइलों से सुरक्षित नहीं रहेगी। --(आईएएनएस)
बांग्लादेश में लगातार हो रही हिंसा के बीच पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया है. अब तक 900 से ज्यादा भारतीय छात्र सुरक्षित लौट चुके हैं. भारतीय सीमा से होते हुए नेपाल और भूटान के भी कई छात्र बांग्लादेश से वापस आ रहे हैं.
डॉयचे वैले पर स्वाति मिश्रा की रिपोर्ट-
बांग्लादेश में बीते एक हफ्ते से जारी हिंसा के बीच अब पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया है. अब तक पुलिस हिंसा को रोकने में प्रभावी नहीं रही है, ऐसे में उग्र स्थितियों को काबू करने के लिए सेना को पट्रोलिंग पर लगाया गया है. गृहमंत्री असदुज्जमां खान ने एलान किया कि राजधानी ढाका समेत बाकी सभी जिलों में भी सेना को तैनात किया जाएगा.
सशस्त्र बलों के एक प्रवक्ता शहादत हुसैन ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "कानून व्यवस्था की स्थिति पर नियंत्रण के लिए देशभर में सेना को तैनात किया गया है." हिंसक स्थितियों के मद्देनजर प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रस्तावित विदेश यात्रा भी स्थगित कर दी है. प्रेस सचिव नईमुल इस्लाम खान ने बताया, "प्रधानमंत्री ने मौजूदा हालात के कारण स्पेन और ब्राजील की यात्रा रद्द कर दी है."
16 जुलाई से ही ज्यादा उग्र होते गए हालात
19 जुलाई को ढाका में रैलियों और जनसभाओं पर घोषित पाबंदी के बावजूद बड़े स्तर पर हिंसा हुई. इस दिन कितने लोग मारे गए, इसपर अलग-अलग संख्याएं बताई जा रही हैं. सोमोय टीवी ने मृतकों की संख्या 43 बताई. बीबीसी बांग्ला ने बांग्लादेश के अखबार प्रोथोम आलो और डेली स्टार के हवाले से बताया कि बीते दिन कम-से-कम 56 लोग मारे गए.
एएफपी ने पुलिस महकमे और अस्पतालों के हवाले से बताया कि इस हफ्ते अब तक कम-से-कम 115 लोग मारे जा चुके हैं. समाचार एजेंसी एपी ने स्थानीय अखबारों के मार्फत इस हफ्ते मारे गए लोगों की संख्या 103 बताई है. एपी के ग्राउंड पर मौजूद एक संवाददाता ने 19 जुलाई को ढाका मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में 23 शव देखे. हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ये सभी इसी दिन मारे गए.
अस्पतालों में गोली लगने से होने वाली मौतों की संख्या बढ़ रही है. पुलिस विभाग के एक प्रवक्ता फारुख हुसैन ने एएएफपी को बताया, "19 जुलाई को राजधानी में हजारों की संख्या में लोगों ने पुलिस से संघर्ष किया. कम-से-कम 150 पुलिसकर्मियों को अस्पताल में भर्ती कराना गया है. प्रदर्शनकारियों ने कई पुलिस बूथों में आग लगा दी. कई सरकारी इमारतें लूटी गईं और फूंक दी गईं." प्रदर्शन आयोजित कर रहे छात्रों के मुख्य समूह 'स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन' के एक प्रवक्ता ने बताया कि उनके नेताओं को भी गिरफ्तार किया गया है.
मौतों का यह सिलसिला 16 जुलाई से शुरू हुआ और उसके बाद से अब तक क्रमवार सभी दिन "अब तक के सबसे हिंसक दिन" रहे हैं. इंटरनेट, टेलिफोन और मोबाइल एसएमएस सेवाओं पर लगी अस्थायी रोक के कारण बांग्लादेशी अखबारों के ऑनलाइन संस्करण उपलब्ध नहीं हैं और जानकारियां बाहर नहीं आ रही हैं. सरकार ने भी अभी तक मृतकों का कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया है.
अब तक 900 से ज्यादा भारतीय छात्र लौट चुके हैं
विदेश मंत्रालय ने 20 जुलाई को एक बयान जारी कर बताया कि ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग और चटगांव, सिलहट और खुलना में सहायक उच्चायोग बांग्लादेश में रह रहे भारत के नागरिकों को सुरक्षित वापस आने में मदद कर रहे हैं. अब तक 778 भारतीय छात्र जमीन के रास्ते और 200 छात्र ढाका और चटगांव से विमान लेकर भारत आ चुके हैं. नेपाल और भूटान से आ रहे छात्रों को सीमा पार कर भारत आने में सहयोग दिया जा रहा है.
दक्षिण एशिया के अपने पड़ोसी देश में जारी घटनाक्रम को देखते हुए ढाका स्थित भारतीय दूतावास ने 18 जुलाई को वहां रह रहे अपने नागरिकों के लिए सलाह जारी की थी. इसमें कहा गया, "बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति के मद्देनजर यहां रह रहे भारतीय समुदाय के सदस्य और भारतीय छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे बाहर आने-जाने से बचें और अपने आवासीय परिसर से बाहर कम-से-कम निकलें. किसी आपातकालीन स्थिति या मदद की जरूरत पड़ने पर कृपया हाई कमीशन और हमारे सहायक उच्च आयोग से इन चौबीसों घंटे खुले इमरजेंसी नंबरों पर संपर्क करें."
बीते दिन भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी बांग्लादेश में रह रहे भारतीय नागरिकों से एहतियात बरतने की अपील की. अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में बांग्लादेश की स्थितियों पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में करीब 15,000 भारतीय रह रहे हैं. इनमें 8,500 छात्र हैं. इन भारतीय छात्रों की एक बड़ी संख्या वहां मेडिकल और मेडिसिन की पढ़ाई करती है.
रणधीर जायसवाल ने बताया, "विदेश मंत्री खुद हालात पर नजर रख रहे हैं. भारतीय उच्चायोग लगातार आपको अपडेट्स देता रहेगा. बांग्लादेश में भारत के जो लोग रह रहे हैं, उनके परिवार से हमारा आग्रह है कि वे हमसे संपर्क में रहें, हमारी अपडेट्स पर नजर रखें. हम अपने सभी नागरिकों को सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं."
मेघालय के रास्ते लौट रहे हैं भारत, नेपाल, भूटान के नागरिक
बांग्लादेश और भारत के बीच 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा जुड़ी है. इसमें से करीब 443 किलोमीटर लंबी सीमा मेघालय से सटी है. ऐसे में बड़ी संख्या में लोग मेघालय से जुड़ी सीमा पार कर लौट रहे हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि 19 जुलाई को मेघालय के डावकी चेक पोस्ट से होकर करीब 363 लोग बांग्लादेश से भारत आए. इनमें 204 भारतीय, 158 नेपाली और एक भूटानी नागरिक हैं.
प्रदेश के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने 20 जुलाई को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बताया, "अपने छात्रों को सुरक्षित लाने के लिए हमारी सरकार भारतीय दूतावास और बांग्लादेश के मेडिकल कॉलेजों के साथ लगातार संपर्क में है. अगरतला में बसों को तैयार रखा गया है. हमारे छात्रों को सुरक्षित घर लाने के लिए बाकी इंतजाम भी किए गए हैं."
इससे पहले 18 जुलाई को भी उन्होंने एक्स पर लिखा, "अब तक भारत के 161 छात्रों को, जिनमें 63 मेघालय से हैं, सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है. मेघालय सरकार ने एक खास टीम बनाई है, जो बांग्लादेश से लौटने में छात्रों की मदद करेगी. बांग्लादेश में जारी संघर्ष के बीच नेपाल के 95 और भूटान के सात छात्रों को भी सुरक्षित मेघालय लाया गया है."
भारत लौट रहे छात्रों ने सुनाई आपबीती
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने 19 जुलाई को बांग्लादेश से निकाले गए कुछ भारतीय छात्रों से बात कर उनके अनुभव बताए. इनमें से एक आसिफ हुसैन, असम के धुबरी के रहने वाले हैं और बांग्लादेश के माणिकगंज जिले के एक मेडिकल कॉलेज में पढ़ते हैं. यह जगह राजधानी ढाका से करीब 30 किलोमीटर दूर है. हुसैन बताते हैं,"हमारे कॉलेज में हिंसा नहीं हुई थी, लेकिन हमने सुना कि 15 मिनट की दूरी पर जो शहर है, वहां दिक्कत है."
हुसैन ने बताया कि जब ढाका में छात्रों के मारे जाने की खबरें आने लगीं, तो उनके कॉलेज के करीब 80 भारतीय छात्रों ने टैक्सियां लीं और 170 किलोमीटर दूर पश्चिम बंगाल से लगी सीमा पर पहुंचे. सब लोग काफी डरे हुए थे, हालात काफी खौफनाक थे और ये लोग भारत में अपने परिवार से भी संपर्क नहीं कर पा रहे थे. हालांकि, छात्रों के आग्रह पर भारतीय उच्चायोग ने उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई और सुरक्षित निकलने में मदद की. छात्रों का यह जत्था तड़के करीब ढाई बजे रवाना हुआ और छह घंटे बाद बॉर्डर पर पहुंचा. आसिफ बताते हैं, "यह बहुत डरावना था. अब भी मेरी ढाका में रह रहे अपने कई दोस्तों से बात नहीं हो पाई है." (dw.com)
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मिशिगन की एक रैली में अपने ऊपर हुए जानलेवा हमले का हवाला देकर कहा कि उन्होंने ‘लोकतंत्र की ख़ातिर गोली खाई’ है.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में प्रचार अभियान चला रहे ट्रंप अपने ऊपर हमले के बाद पहली बार किसी चुनावी रैली में बोल रहे थे. उनके साथ उप राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार जेडी वेन्स भी थे.
शुक्रवार को उन्होंने खचाखच भरी रैली स्थल ग्रांड रैपिड्स में मौजूद लोगों से कहा कि डेमोक्रेट्स उन्हें लोकतंत्र के लिए ख़तरा बताते रहे हैं.
फिर इसके बाद उन्होंने लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा कि वो ‘व्हाइट हाउस को वापस लेने’ को तैयार हैं.
डोनाल्ड ट्रंप
इमेज कैप्शन,मिशिगन की रैली में आए लोगों ने कहा कि वे पेंसिल्वेनिया में चली गोलियों से डरे नहीं हैं
पिछले सप्ताह डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले की जांच चल रही है. हमले में चली गोली ट्रंप के कान को छूकर निकल गई थी.
पिछले शनिवार को ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रीय सम्मलेन में कान पर पट्टी लगा कर पहुंचे थे. लेकिन मिशिगन की रैली में उनके कान पर लगी पट्टी नहीं दिखी.
मिशिगन की रैली में आए लोगों ने कहा कि वे पेंसिल्वेनिया में चली गोलियों से डरे नहीं हैं. ट्रंप का उनका समर्थन जारी रहेगा. (bbc.com/hindi)
(ललित के झा)
वाशिंगटन, 21 जुलाई। अमेरिका में नवंबर में प्रस्तावित राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप 13 जुलाई को पेनसिल्वेनिया में हत्या के प्रयास के दौरान उन्हें लगी गोली के जख्म से उम्मीद के मुताबिक उबर रहे हैं। ट्रंप के एक पूर्व चिकित्सक ने एक ज्ञापन में यह जानकारी दी।
पेनसिल्वेनिया में एक चुनावी रैली के दौरान पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप (78) पर एक बंदूकधारी ने कई गोलियां चलाई थीं। इस हमले में एक गोली ट्रंप के दाहिने कान को छूकर निकल गई थी, जबकि रैली में शामिल एक व्यक्ति मारा गया था और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
खुफिया सेवा के एक सदस्य ने संदिग्ध हमलावर को घटनास्थल पर ही मार गिराया था।
शनिवार को साथी अमेरिकियों को जारी एक ज्ञापन में डॉ. रॉनी एल जैक्सन ने कहा कि ट्रंप पर हुए जानलेवा हमले के बाद पूरी दुनिया की तरह वह भी उनकी सेहत को लेकर बहुत चिंतित था।
डॉ. जैक्सन ने कहा, ‘‘लिहाजा मैं उस दिन देर शाम बेडमिंस्टर, न्यू जर्सी में उनसे व्यक्तिगत रूप से मिला और हर संभव मदद देने की पेशकश की। मैं उस समय से ही राष्ट्रपति ट्रंप के साथ हूं और रोजाना उनके जख्म को देख रहा और उसका इलाज कर रहा है।’’
उन्होंने कहा, "वह ठीक हो रहे हैं। जैसा कि पूरी दुनिया ने देखा कि हमलावर द्वारा राइफल से चलाई गई एक गोली ट्रंप के दाहिने कान में लगी थी।"
डॉ. जैक्सन ने बताया कि गोली महज एक-चौथाई इंच की दूरी से ट्रंप के सिर में लगने से बच गई और उनके दाहिने कान को छूते हुए गुजरी, जिससे कान की ‘कार्टिलेजिनस’ सतह तक दो सेंटीमीटर गहरा जख्म घाव हो गया।
उन्होंने बताया कि गोली के जख्म से शुरुआत में ट्रंप का काफी खून बहा और फिर उनके कान के ऊपरी हिस्से में सूजन आ गई।
डॉ. जैक्सन ने कहा कि पेनसिल्वेनिया के बटलर मेमोरियल अस्पताल के चिकित्सा स्टाफ ने ट्रंप का प्रारंभिक इलाज किया, "जिन्होंने बेहतर तरीके से उनकी स्थिति आंकी और जख्म का बहुत अच्छे से इलाज किया।" (भाषा)
नोम पेन्ह, 20 जुलाई । कंबोडिया में नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी का शिकार हुए 14 भारतीय नागरिकों को बचाया गया है। यह जानकारी शनिवार को नोम पेन्ह में भारतीय दूतावास ने दी।
दूतावास ने बताया कि कंबोडियाई अधिकारियों के सहयोग से अब तक धोखाधड़ी के शिकार हुए 650 से अधिक भारतीय नागरिकों को बचाया गया है और वापस भारत भेजने में मदद की है।
दूतावास ने धोखाधड़ी का शिकार हुए भारतीय नागरिकों के बारे में कंबोडियाई पुलिस को जानकारी दी थी। इसके बाद पुलिस के सहयोग से 14 और भारतीय नागरिकों को बचाया गया।
बचाए गए लोगों की देखभाल की कंबोडिया के सामाजिक मामलों और युवा पुनर्वास मंत्रालय के समन्वय में काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन द्वारा जा रही है।
भारतीय दूतावास ने कहा कि वह कंबोडियाई अधिकारियों के संपर्क में है और 14 बचाए गए भारतीय नागरिकों को सुरक्षित और समय पर भारत वापस भेजने के लिए आवश्यक औपचारिकताओं को शीघ्र पूरा करने का अनुरोध कर रहा है।
दूतावास ने कहा कि वह स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है और कंबोडिया में भारतीय नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
दूतावास ने एक बयान में कहा है, "भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे देश में किसी भी नौकरी की पेशकश पर अत्यधिक सावधानी बरतें और संदिग्ध गतिविधि की सूचना नोम पेन्ह स्थित दूतावास को दें।" (आईएएनएस)
अगरतला/कोलकाता, 20 जुलाई। बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच लगभग 100 छात्र त्रिपुरा में दो एकीकृत जांच चौकियों के जरिए सुरक्षित भारत लौट आए। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने यह जानकारी दी।
बीएसएफ, त्रिपुरा फ्रंटियर ने एक बयान में कहा कि बांग्लादेश से और अधिक छात्रों के स्वदेश लौटने की उम्मीद है।
इसमे कहा गया, ‘‘बांग्लादेश में जारी हिंसक विरोध-प्रदर्शन के कारण वहां पढ़ाई कर रहे भारतीय और विदेशी छात्र भारत लौट रहे हैं। आज शाम चार बजे तक नेपाली छात्रों सहित करीब 100 विद्यार्थी वैध दस्तावेजों के साथ वापस आ गए हैं।''
बांग्लादेश में विवादास्पद नौकरी कोटा प्रणाली को लेकर घातक झड़पें जारी हैं।
बयान में कहा गया कि बीएसएफ सीमा पार स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए है और जवान हाई अलर्ट पर हैं।
बीएसएफ, त्रिपुरा फ्रंटियर के महानिरीक्षक पटेल पीयूष पुरुषोत्तम दास ने छात्रों को हरसंभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया। साथ ही उन्होंने बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के अधिकारियों से सहयोग के लिए बात की।
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘बांग्लादेश में पढ़ रहे मेघालय, असम, मिजोरम और नेपाल के करीब 240 छात्र श्रीमंतपुर और अखौरा के जरिए भारत लौट सकते हैं। संबंधित जिलाधिकारियों को बीएसएफ के साथ समन्वय करने के लिए कहा गया है।’’
पुलिस ने बताया कि पश्चिम बंगाल में पांच नेपाली छात्रों ने शनिवार को सिलीगुड़ी के निकट फुलबाड़ी सीमा चौकी पार की, जबकि कूचबिहार जिले में मेखलीगंज सीमा के जरिए छह भारतीय छात्र भारत लौट आए।
बांग्लादेश के रंगपुर मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे नेपाली छात्र राहुल राय ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बांग्लादेश में स्थिति खराब है। हर जगह सुरक्षाबलों के साथ झड़पें हो रही हैं। हम असुरक्षित महसूस कर रहे थे, इसलिए हमने लौटने का फैसला किया।’’ (भाषा)
दीर अल-बलाह, 20 जुलाई। इजराइल की ओर से मध्य गाजा के शरणार्थी शिविरों पर शनिवार रात किये गये तीन हवाई हमलों में कम से कम 13 लोग मारे गए, लेकिन हमले में जान गंवाने वाली एक फलस्तीनी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे का चिकित्सकों के प्रयास से सकुशल जन्म हो सका।
फलस्तीन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने हमले में 13 लोगों की मौत की पुष्टि की है। इस बीच काहिरा में इजराइल और हमास के बीच संघर्ष विराम वार्ता में प्रगति होती दिख रही है।
शवों को पास के अल-अक्सा शहीद अस्पताल में ले जाने वाली फलस्तीन की एम्बुलेंस टीम के अनुसार, नुसीरात शरणार्थी शिविर और ब्यूरिज शरणार्थी शिविर के मृतकों में तीन बच्चे और एक महिला शामिल थी। ‘एपी’ के पत्रकारों ने अस्पताल में 13 लाशों की गिनती की।
युद्ध से तबाह गाजा में हताहतों की अद्यतन संख्या के बाद आशा का एक दुर्लभ क्षण तब आया, जब बृहस्पतिवार देर शाम नुसीरात में हवाई हमले की चपेट में आए एक घर में रहने वाली गर्भवती फलस्तीनी महिला के दम तोड़ने के बाद उसके गर्भ से चिकित्सा दल ने एक जीवित बच्चे को बरामद किया।
हमले के दौरान विस्फोट में गर्भवती महिला ओला-अल-कुर्द (25) ने छह अन्य लोगों के साथ दम तोड़ दिया। इसके बाद बच्चे को बचाने की मंशा से उसे आकस्मिक सेवा के कर्मियों की ओर से उत्तरी गाजा में स्थित अल-आवदा अस्पताल ले जाया गया। कई घंटे बाद चिकित्सकों ने ‘एपी’ को बताया कि शिशु बालक का सकुशल जन्म हुआ।
डॉ. खलील दजरान ने कहा कि अज्ञात नवजात शिशु की हालत स्थिर है, लेकिन वह ऑक्सीजन की कमी से पीड़ित है जिसके कारण उसे ‘इनक्यूबेटर’ में रखा गया है। इस हमले में बच्चे के पिता भी घायल हो गए, लेकिन वह बच गए हैं।
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, दक्षिणी इजराइल पर सात अक्टूबर को हमास के हमले के बाद शुरू हुए युद्ध में 38,900 से अधिक लोग मारे गए हैं। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय अपनी गिनती में लड़ाकों और नागरिकों के बीच अंतर नहीं करता है। (एपी)
बीजिंग, 20 जुलाई चीन के शांक्शी प्रांत में अचानक आई बाढ़ के कारण राजमार्ग पर बना पुल आंशिक रूप से ढह गया और कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ की खबर में प्रांतीय प्रचार विभाग के हवाले से बताया गया है कि शेंगलू शहर की झाशुई काउंटी में स्थित पुल शुक्रवार शाम अचानक बारिश और बाढ़ आने के बाद ढह गया।
खबर में कहा गया है कि शनिवार सुबह तक 11 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
खबर के अनुसार, बचाव दलों ने नदी में गिरे पांच वाहन बरामद कर लिए हैं और बचाव कार्य जारी है।
खबर में कहा गया है कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पुल गिरने के बाद लोगों की जान और संपत्ति को बचाने के लिए हर संभव बचाव व राहत प्रयास करने का निर्देश दिया है। (भाषा)
वाशिंगटन, 20 जुलाई अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से फोन पर हुई बातचीत में उन्हें रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म कराने में सहयोग देने का भरोसा दिलाया।
जेलेंस्की ने ट्रंप को अमेरिका में नवंबर में प्रस्तावित राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लकिन पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने की बधाई देने के वास्ते शुक्रवार को फोन किया था।
ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट में कहा, “यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और मेरे बीच आज सुबह फोन पर बहुत अच्छी बातचीत हुई। उन्होंने रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन के सफल आयोजन और अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने पर मुझे बधाई दी।”
जेलेंस्की का फोन कॉल इसलिए मायने रखता है, क्योंकि ट्रंप को रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुने जाने के बाद यह उनकी किसी विदेशी नेता के साथ पहली बातचीत है। इससे नवंबर में प्रस्तावित राष्ट्रपति चुनावों में ट्रंप की जीत की संभावनाओं को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का बढ़ता आभास रेखांकित होता है।
ट्रंप ने कहा, “मैं फोन पर मुझसे संपर्क करने के लिए राष्ट्रपति जेलेंस्की की सराहना करता हूं, क्योंकि मैं अमेरिका के अगले राष्ट्रपति के रूप में विश्व में एक बार फिर शांति कायम करूंगा और उस युद्ध को समाप्त करूंगा, जिसने इतने सारे लोगों की जान ली और अनगिनत निर्दोष परिवारों को तबाह कर दिया। दोनों पक्ष शांति समझौते पर बातचीत के लिए साथ आएंगे, जिससे हिंसा समाप्त होगी और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा।”
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि फोन पर हुई बातचीत के दौरान जेलेंस्की ने पिछले शनिवार एक सभा में उन पर हुए जानलेवा हमले की निंदा की।
जेलेंस्की ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी का उम्मीदवार बनने की बधाई देने और पिछले हफ्ते पेनसिल्वेनिया में हुए जानलेवा हमले की निंदा करने के लिए ट्रंप से फोन पर बात की।
जेलेंस्की ने लिखा, “मैंने भविष्य में उनकी सलामती की कामना की। मैंने हमारे देश की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अमेरिका के महत्वपूर्ण द्विदलीय और द्विसदनीय समर्थन को रेखांकित किया।”
उन्होंने कहा, “रूसी आतंक का मुकाबला करने की हमारी क्षमता बढ़ाने में मदद देने के लिए यूक्रेन हमेशा अमेरिका का आभारी रहेगा। हमारे शहरों और गांवों पर रूसी हमले लगातार जारी हैं। क्षेत्र में निष्पक्षतापूर्ण और स्थायी शांति कायम करने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए, इस पर चर्चा के वास्ते हम (पूर्व) राष्ट्रपति ट्रंप के साथ आमने-सामने की बैठक करने पर सहमत हुए।” (भाषा)
संयुक्त राष्ट्र, 20 जुलाई । उत्तरी हैती के तट पर एक नाव में आग लगने से कम से कम 40 प्रवासियों की मौत हो गई है और कई अन्य घायल हो गए। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) के हवाले से ये जानकारी दी है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के उप प्रवक्ता फरहान हक ने शुक्रवार को एक ब्रीफिंग में कहा, "हैती के राष्ट्रीय प्रवासन कार्यालय के अनुसार, दो दिन पहले 80 से अधिक लोगों को लेकर नाव लैबडी से रवाना हुई थी, जो तुर्क और कैकोस द्वीप समूह की 250 किलोमीटर की यात्रा थी।" सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने उनके हवाले से कहा कि उत्तरी हैती में कैप हैतियन के तट पर उस नाव में आग लगने से कम से कम 40 प्रवासियों की मौत हो गई है और कई अन्य घायल हो गए हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि हैती के तट रक्षक बल ने 41 लोगों को बचाया और उन्हें अधिकारियों के सहयोग से आईओएम द्वारा चिकित्सा देखभाल, भोजन, पानी और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने बताया कि ग्यारह लोगों को उपचार के लिए पास के अस्पताल ले जाया गया। हैती में आईओएम के प्रमुख ग्रेगोइरे गुडस्टीन ने कहा कि यह घटना प्रवास के लिए सुरक्षित मार्गों की जरूरत को दर्शाती है। आईओएम के अनुसार, इस वर्ष पड़ोसी देशों द्वारा 86,000 से अधिक प्रवासियों को जबरन हैती वापस भेजा गया है। -(आईएएनएस)
एस्पेन (अमेरिका), 20 जुलाई। अमेरिकी प्रशासन के दो शीर्ष अधिकारियों ने कहा है कि ईरान परमाणु बम हासिल करने के बारे में अधिक बात कर रहा है और उसने परमाणु हथियार बनाने के लिए अहम एक पदार्थ को विकसित करने की दिशा में अप्रैल के बाद से प्रगति की है।
अप्रैल में इजराइल को निशाना बनाकर किए गए ईरान के हवाई हमलों को इजराइल और उसके सहयोगियों ने विफल कर दिया था।
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कोलोराडो में सुरक्षा संबंधी मुद्दों से जुड़े एक कार्यक्रम के अलग-अलग पैनल में कहा कि ईरान के अपने परमाणु कार्यक्रम का शस्त्रीकरण करने के सभी संकेतों पर अमेरिका करीबी नजर रख रहा है।
सुलिवन ने कहा, ‘‘मैंने ईरान का अभी तक ऐसा कोई फैसला नहीं देखा है’’, जिससे इस बात के संकेत मिलें कि उसने अभी वास्तव में एक परमाणु बम बनाने का निर्णय लिया है।
सुलिवन ने एस्पेन सुरक्षा फोरम में कहा, ‘‘अगर वे उस रास्ते पर आगे बढ़ना शुरू करते हैं, तो उन्हें अमेरिका की ओर से असल समस्या का सामना करना पड़ेगा।’’
ईरान ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा 2015 के समझौते से पीछे हट जाने के बाद अपने परमाणु कार्यक्रम पर फिर से आगे बढ़ना शुरू कर दिया था। इस समझौते के तहत ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कड़ी निगरानी के बदले उसे प्रतिबंधों से राहत दी गई थी।
इस बीच, ब्लिंकन ने भी शुक्रवार को कहा, ‘‘पिछले कुछ हफ्तों और महीनों में हमने देखा है कि ईरान विखंडनीय सामग्री विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।’’ विखंडनीय सामग्री का इस्तेमाल परमाणु बम बनाने में किया जा सकता है। (एपी)
शिलांग, 20 जुलाई। बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच भारत, नेपाल और भूटान के 360 से अधिक नागरिक मेघालय पहुंचे हैं, जिससे राज्य में शरण लेने वालों की संख्या 670 से अधिक हो गई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को 363 लोग दावकी एकीकृत जांच चौकी के जरिये मेघालय पहुंचे, जिनमें 204 भारतीय, 158 नेपाली और एक भूटानी नागरिक शामिल है।
अब तक मेघालय के 80 निवासी अन्य स्थानों से राज्य में लौट आए हैं। इनमें से 13 लोग शुक्रवार को अपने गृह राज्य लौटे। बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच वहां रह रहे मेघालय के लोगों की मदद के लिए राज्य सरकार ने एक हेल्पलाइन नंबर शुरू किया है।
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें 22 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्र 1971 में पाकिस्तान से देश की आजादी के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक का आरक्षण देने की व्यवस्था के खिलाफ कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं।
उनका तर्क है कि यह व्यवस्था भेदभावपूर्ण है और इसे योग्यता आधारित प्रणाली में तब्दील किया जाए। (भाषा)
एस्पेन, 20 जुलाई। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि यूक्रेन सैन्य स्तर से “अपने पैरों पर खड़े होने” में सक्षम बनने की राह पर है।
उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि अगर अमेरिका किसी अन्य राष्ट्रपति के शासन में यू्क्रेन को दी जाने वाली मदद रोकने का फैसला लेता है, तो भी 20 से अधिक देशों ने रूस के आक्रमण का सामना कर रहे इस देश को सैन्य एवं वित्तीय सहायता जारी रखने का संकल्प जताया है।
ब्लिंकन ने पहली बार प्रत्यक्ष रूप से यह संभावना जताई है कि डोनाल्ड ट्रंप नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव जीत सकते हैं और यूक्रेन को दी जाने वाली रोक सकते हैं। राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व में अमेरिका रूस से दो साल से अधिक समय से जारी युद्ध में यूक्रेन का सबसे अहम सहयोगी रहा है।
यूक्रेन को अमेरिकी सहायता पर ट्रंप का रुख स्पष्ट नहीं रहा है। उन्होंने युद्ध प्रभावित देश को सैन्य मदद देने के बाइडन प्रशासन के फैसले की कभी आलोचना, तो कभी समर्थन किया है। हालांकि, उपराष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार जेडी वेंस अमेरिका की ओर से यूक्रेन को दी जाने वाली अरबों डॉलर की सैन्य एवं वित्तीय मदद को रोकने की वकालत करते आए हैं।
ब्लिंकन ने शुक्रवार को कहा कि किसी भी नये प्रशासन को इस बात को ध्यान में रखना होगा कि अमेरिकी संसद में यूक्रेन को हासिल द्विदलीय समर्थन रूस के क्षेत्र एवं प्रभाव में इजाफा करने के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रयासों से निपटने के हित में है।
कोलाराडो में ‘एस्पेन सुरक्षा मंच’ में अमेरिकी सांसदों व अन्य को संबोधित करते हुए ब्लिंकन ने कहा, “बेशक, हर प्रशासन के पास अपनी नीति निर्धारित करने का मौका होता है, पर हम भविष्य का निर्धारण नहीं कर सकते।”
ब्लिंकन ने उन सुरक्षा समझौतों की ओर इशारा किया, जिन पर अमेरिका और 20 से अधिक अन्य सहयोगियों ने इस महीने वाशिंगटन में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) शिखर सम्मेलन में हस्ताक्षर किए। इन सहयोगियों में नाटो साझेदार, जापान और यूरोपीय संघ शामिल हैं।
उन्होंने कहा, “क्या हम उससे मुकर जाएंगे... मुझे लगता है कि यह संभव है, लेकिन खुशी की बात यह है कि लगभग 20 ऐसे देश हैं, जो मदद देने को तैयार हैं।”
ब्लिंकन ने कहा कि यूक्रेन सैन्य, आर्थिक और लोकतांत्रिक रूप से ‘‘अपने पैरों पर खड़े होने’’ में सक्षम बनने की राह पर है। (एपी)
येकातेरिनबर्ग, 19 जुलाई। रूस की एक अदालत ने शुक्रवार को वॉल स्ट्रीट जर्नल के रिपोर्टर इवान गेर्शकोविच को जासूसी के मामले में दोषी ठहराते हुए 16 साल के कारावास की सजा सुनाई।
गेर्शकोविच के नियोक्ता और अमेरिका ने पूरी प्रक्रिया को ‘पाखंड’ बताकर आरोपों को खारिज किया है।
देश की राजनीतिक प्रभाव वाली कानूनी प्रणाली में त्वरित मुकदमे के तहत गेर्शकोविच को 16 साल के कारावास की सजा सुनाई गई।
गेर्शकोविच (32) को मार्च 2023 में यूराल पर्वतीय शहर येकातेरिनबर्ग की रिपोर्टिंग यात्रा के दौरान हिरासत में लिया गया था और उन पर अमेरिका के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया था। वह तभी से सलाखों के पीछे हैं।
शीतयुद्ध के चरम पर होने के दौरान 1986 में निकोलस डेनिलॉफ की गिरफ्तारी के बाद गेर्शकोविच जासूसी के आरोप में हिरासत में लिए गए पहले अमेरिकी पत्रकार हैं। (एपी)
कोलकाता, 19 जुलाई। कई वामपंथी छात्र संघों और मानवाधिकार संगठनों ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ जारी प्रदर्शन के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए शुक्रवार को कोलकाता में स्थित बांग्लादेश के उपउच्चायोग के पास विरोध मार्च निकाला।
कार्यकर्ता हाथों में तख्तियां लेकर पड़ोसी देश के आंदोलनकारियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए नारे लगा रहे थे। वे पिछले कुछ दिनों में बांग्लादेश की सड़कों पर जारी प्रदर्शनों के दौरान छात्र प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षा बलों द्वारा कथित कार्रवाई का विरोध कर रहे थे।
महिलाओं सहित सैकड़ों कार्यकर्ता ललित कला अकादमी के पास एकत्र हुए और बांग्लादेश उप उच्चायोग की ओर बढ़ने की कोशिश करने लगे। पुलिस ने एक्साइड क्रॉसिंग के पास बैरिकेड लगाकर उन्हें पहले ही रोक दिया।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई। कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करके लालबाजार स्थित कोलकाता पुलिस मुख्यालय ले जाया गया।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘प्रदर्शनकारियों में न केवल छात्र बल्कि मानवाधिकार संगठनों के सदस्य भी शामिल थे। कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लालबाजार पुलिस मुख्यालय ले जाया गया।’’
बांग्लादेश में पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं और आंसू गैस के गोले दागे। राजधानी ढाका में शुक्रवार को सभी सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया। सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर कई दिनों तक चली घातक झड़पों के बाद इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गईं थीं।
स्थानीय मीडिया के अनुसार प्रदर्शनकारी छात्रों द्वारा देश में ‘पूर्ण बंद’ लागू करने के प्रयास में 22 लोगों की मौत हो चुकी है। (भाषा)
मॉस्को, 19 जुलाई । मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास के तीन वरिष्ठ अधिकारी और एक दुभाषिया रूस के क्रास्नोयार्स्क पहुंचे जहां सैन फ्रांसिस्को जाने वाले एयर इंडिया के विमान के यात्री रुके हुए हैं। गुरुवार रात साइबेरियाई शहर में तकनीकी खराबी के चलते विमान की आपातकालीन लैंडिंग हुई थी। भारतीय दूतावास द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, "भारतीय दूतावास की टीम यात्रियों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए हवाई अड्डे और सुरक्षा अधिकारियों और रूसी विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रही है। टीम यहां तब तक रहेगी जब तक एयर इंडिया का एक दूसरा विमान यात्रियों को सैन फ्रांसिस्को ले नहीं जाता।"
इस बीच, मुंबई से क्रास्नोयार्स्क के लिए एक फ्लाइट रवाना हो चुकी है, और शुक्रवार शाम को रूसी शहर में लैंड करेगी। एयर इंडिया ने एक्स पर एक पोस्ट में बताया, "क्रू और सुरक्षाकर्मियों सहित एयर इंडिया की एक टीम विमान में मौजूद है, जो यात्रियों और क्रास्नोयार्स्क के कर्मचारियों को हर तरह की सहायता प्रदान करेगी।" इसमें यह भी कहा गया है कि फेरी विमान में सभी यात्रियों के लिए पर्याप्त भोजन के अलावा आवश्यक सामान भी है और सभी यात्रियों और क्रू को जल्द से जल्द रूसी हवाई अड्डे से बाहर निकाल दिया जाएगा। यात्रियों के परिवार, रिश्तेदारों और मित्रों के लिए एक हॉटलाइन भी स्थापित की गई है।
दिल्ली से सैन फ्रांसिस्को के लिए उड़ान भरने वाली एयर इंडिया की उड़ान एआई-183 को तकनीकी कारणों से रूस के क्रास्नोयार्स्क अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गुरुवार को डायवर्ट कर दिया गया था। इसने गुरुवार आधी रात के आसपास क्रास्नोयार्स्क हवाई अड्डे पर लैंड की। मॉस्को में भारतीय दूतावास के प्रतिनिधियों ने यात्रियों को होटल पहुंचाया, सभी आवश्यक सहायता के लिए रूसी अधिकारियों के साथ काम किया, जो पूरी रात इस काम में लगे रहे। मुंबई से रवाना होने वाली राहत उड़ान के लिए मंजूरी ले ली गई है। -- (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 19 जुलाई । पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को व्हाइट हाउस के लिए रिपब्लिकन पार्टी की ओर से आधिकारिक रूप से उम्मीदवार बनाया गया है। ट्रंप ने एक घंटे और तीस मिनट से अधिक समय तक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने माइग्रेशन, मुद्रास्फीति और विश्व मंच पर कमजोर हो रहे अमेरिका के बारे में बात की। 13 जुलाई को ट्रंप पर हत्या का प्रयास किया गया था जिसमें वो बाल-बाल बच गए।
उन्होंने कहा, "मैं आज रात पूरे देश के लिए एक दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के लिए आया हूं। हर नागरिक के लिए, चाहे आप युवा हों या बुजुर्ग, पुरुष हों या महिला, डेमोक्रेट हों या रिपब्लिकन, अश्वेत हों या श्वेत, एशियाई हों या हिस्पैनिक, मैं आपकी ओर वफादारी और दोस्ती का हाथ बढ़ाता हूं।" पहले 10-15 मिनट में 13 जुलाई की गोलीबारी की घटना को फिर से दोहराया गया जिसे उपस्थित लोगों ने ध्यान से सुना। पूर्व राष्ट्रपति खुद भी कुछ हद तक अभिभूत लग रहे थे, वे उन दर्दनाक क्षणों को याद कर रहे थे जब वे मौत से बच गए थे। फिर उन्होंने दर्शकों का ध्यान अमेरिका में हो रहे माइग्रेशन की ओर आकर्षित किया। उन्होंने कहा, "और फिर हमारे पास एक भयानक परिणाम है जिसे हम फिर कभी नहीं होने देंगे। उन्होंने कोविड का बहाना बनाकर धोखा दिया।"
पूर्व राष्ट्रपति को एक नरम रुख पेश करने को कहा गया था, जिससे उन्हें दौड़ में बने रहने में मदद मिलेगी। उधर उनके डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रपति जो बाइडेन के खिलाफ पार्टी में विद्रोह बढ़ रहा है। वो रेस में बने रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यूक्रेन और गाजा में युद्ध का जिक्र करते हुए ट्रंप ने कहा, "हमारे विरोधियों को एक शांतिपूर्ण धरती विरासत में मिली जिसे उन्होंने युद्धग्रस्त में बदल दिया।" फिर उन्होंने कहा, "हमारा ग्रह तीसरे विश्व युद्ध की कगार पर खड़ा है, और यह एक ऐसा युद्ध होगा जैसा पहले कभी नहीं हुआ।" (आईएएनएस)
बगदाद, 19 जुलाई । इराक की राजधानी बगदाद के पास इराकी पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेज के गोला-बारूद डिपो में एक साथ कई विस्फोट हुए हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने बताया कि गुरुवार को अर्धसैनिक बलों द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि पहला विस्फोट बगदाद के दक्षिण में यूसुफियाह इलाके में 42वीं हशद शाबी ब्रिगेड के डिपो में स्थानीय समयानुसार शाम 7:00 बजे हुआ। बयान में कहा गया है कि इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई है।
साथ ही इस बात पर जोर दिया गया है कि घटना के पीछे के कारणों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया है। कहा गया है कि बचाव और चिकित्सा दल तथा दमकल गाड़ियां घटनास्थल पर मौजूद हैं। गृह मंत्रालय के एक सूत्र ने सिन्हुआ न्यूज़ एजेंसी को बताया कि विस्फोट के बाद लगी आग से कई विस्फोट हुए और कई घंटों तक यह जारी रहा। नागरिक सुरक्षा दल ने जब आग बुझाई तब जाकर विस्फोट बंद हुआ। उन्होंने कहा कि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि विस्फोटों की वजह क्या थी, क्या यह दुर्घटना के कारण हुआ या अज्ञात विमान द्वारा किया गया हमला था। -(आईएएनएस)
यरूशलेम, 19 जुलाई । इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा में रफा क्रॉसिंग का अचानक दौरा किया और पूरे गाजा-मिस्र सीमा पर इजरायल के नियंत्रण को बनाए रखने की बात कही। उन्होंने कहा, युद्ध विराम समझौता होने के बाद भी रफा क्रासिंग पर इजरायल का नियंत्रण रहेगा। नेतन्याहू ने गुरुवार को रफा में कमांडरों से बात की। यहां इजरायली सुरक्षा बलों ने मई की शुरुआत से ही कब्जा कर रखा है।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया कि नेतन्याहू ने गाजा और मिस्र के बीच सीमा क्षेत्र "फिलाडेल्फिया कॉरिडोर" का भी निरीक्षण किया। नेतन्याहू ने एक वीडियो बयान में कहा, "फिलाडेल्फिया कॉरिडोर और रफा क्रॉसिंग पर हमारा नियंत्रण भविष्य के लिए आवश्यक है।" उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह वे अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करने के लिए वाशिंगटन जाएंगे, जहां वो गाजा में चल रहे युद्ध के बारे में दुनिया को बताएंगे कि ये क्यों जरूरी है।
नेतन्याहू ने यह बयान तब दिया जब एक इजरायली प्रतिनिधिमंडल युद्ध विराम समझौते पर बातचीत के लिए काहिरा में था। रफा क्रॉसिंग और "फिलाडेल्फिया कॉरिडोर" पर नियंत्रण इस बातचीत में एक प्रमुख मुद्दा है। रक्षा मंत्री योआव गैलेंट सहित इजरायली अधिकारियों ने भी कहा है कि इजरायल एक समझौते के तहत कुछ शर्तों के साथ क्षेत्र से हटने के लिए सहमत होगा, जिससे गाजा में अभी भी बंधक बनाए गए लगभग 120 लोगों की रिहाई सुनिश्चित होगी। -- (आईएएनएस)
(ललित के झा)
वाशिंगटन, 19 जुलाई। अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने देशवासियों से एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि अब विश्व के ऐसे सबसे सर्वश्रेष्ठ नेतृत्व की मांग और अपेक्षा करने का समय आ गया है जो साहसिक, गतिशील, मजबूत और निडर हो।
ट्रंप ने कहा, ‘‘अमेरिका एक नए स्वर्णिम युग की दहलीज पर है, लेकिन हमें इस युग को लाने के लिए साहसिक कार्य करने होंगे। हम हारेंगे नहीं।’’
राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी की ओर से बृहस्पतिवार को औपचारिक रूप से उम्मीदवारी स्वीकार करते हुए ट्रंप (78) ने अपने भाषण में अमेरिकियों से अपील की कि वे पांच नवंबर को होने वाले चुनाव में उन्हें जीत दिलाने में मदद करें।
ट्रंप ने अपने ऊपर हुए हमले के करीब एक सप्ताह के बाद कहा, ‘‘आज, मैं आपसे आपका सहयोग, आपका समर्थन और आपका वोट विनम्रतापूर्वक मांगता हूं। मैं आपके भरोसे का सम्मान करने का हर दिन प्रयास करूंगा और मैं आपको कभी निराश नहीं करूंगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जिन पुरुषों और महिलाओं को भुला दिया गया है, जिन्हें पीछे छोड़ दिया गया है, जिन पर ध्यान नहीं दिया गया, अब उनके साथ ऐसा नहीं होगा। हम साथ मिलकर आगे बढ़ेंगे और हम जीतेंगे।’’
ट्रंप ने ‘रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन’ में कहा, ‘‘मैं आज शाम आप सभी के सामने आत्मविश्वास, ताकत और उम्मीद का संदेश लेकर खड़ा हूं। अब से चार महीने बाद हम एक अविश्वसनीय जीत हासिल करेंगे और हमारे शासन के आगामी चार वर्ष देश के इतिहास के सबसे महान वर्ष होंगे।’’
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘कोई भी चीज हमें न तो डिगा सकती है, न हमारी रफ्तार को धीमा कर सकती है और न ही हमें रोक सकती है। हमारे रास्ते में कितना भी बड़ा खतरा और कितनी भी बाधाएं क्यों न आएं, हम अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए कोशिश करते रहेंगे और हम इसमें असफल नहीं होंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम सब मिलकर इस देश को बचाएंगे, हम प्रजातंत्र को पुनः स्थापित करेंगे और हम उस समृद्ध एवं अद्भुत कल की शुरुआत करेंगे जिसके हमारे लोग वास्तव में हकदार हैं।’’
ट्रंप ने अपने ऊपर हुए जानलेवा हमले के बाद अमेरिकियों द्वारा दिए गए ‘‘प्यार और समर्थन के लिए’’ आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनका संकल्प अटूट है और वह एक ऐसी सरकार देने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो अमेरिका के लोगों की सेवा करे।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए आज रात, पूरे विश्वास और समर्पण के साथ, मैं अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी को गर्व से स्वीकार करता हूं।’’
ट्रंप ने राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए दावा किया कि वह आधुनिक समय के पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्होंने कोई नया युद्ध शुरू नहीं किया।
उन्होंने कहा, ‘‘यूरोप और पश्चिम एशिया में शांति थी। (पूर्व) राष्ट्रपति बुश के कार्यकाल में रूस ने जॉर्जिया पर आक्रमण किया। (पूर्व) राष्ट्रपति (बराक) ओबामा के कार्यकाल में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया। वर्तमान शासन में रूस, यूक्रेन पर आक्रमण कर रहा है। मेरे शासन में रूस ने कुछ भी नहीं किया। हमने सीरिया और इराक में आईएसआईएस को जड़ से खत्म कर दिया, इस काम में पांच साल लगने थे लेकिन मैंने दो माह के अंदर कर दिखाया। मैंने उत्तर कोरिया के मिसाइल प्रक्षेपण रोके।’’
राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार ने कहा, ‘‘ईरान कमजोर हो चुका था, टूट चुका था और समझौता करना चाहता था। उसके पास हमास, हिजबुल्ला पर खर्च करने के लिए धन ही नहीं था और वह ऐसी स्थिति में नहीं था कि परमाणु हथियार हासिल कर सके लेकिन अब वह 90 दिन में परमाणु हथियार हासिल कर सकता है और उसके पास पूर क्षेत्र में आंतक को बढ़ावा देने के लिए 300 अरब अमरीकी डॉलर हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे प्रतिद्वंद्वी को विरासत में एक शांतिपूर्ण दुनिया मिली थी लेकिन उन्होंने इसे युद्ध के ग्रह में बदल दिया।’’
ट्रंप ने कहा, ‘‘अब चीन ताइवान को घेर रहा है और रूसी युद्धपोत एवं परमाणु पनडुब्बियां क्यूबा में हमारे तटों से लगभग 96 किलोमीटर दूर काम कर रही हैं और मीडिया इसके बारे में बात नहीं करना चाहता।’’ (भाषा)