रायपुर
पड़ी तो चारपहिया अब वेयर हाऊस में डंप, रूकी नीलामी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 7 फरवरी। आबकारी विभाग द्वारा तस्करों से जब्त की गई गाडिय़ों की नीलामी प्रक्रिया ठंडे बस्ते में चली गई है। इस वजह से लाखों की गाडिय़ां संपत्ति अब कबाड़ में तब्दील हो गई है। ज्यादातर चारपहिया वाहन खड़े-खड़े नष्ट हो गए हैं कि उन्हें अब रखने जगह का संकट हो गया है। जिला कंट्रोल रूम में सालों से डंप गाडिय़ों को अब वेयर हाऊस भेजकर वहां डंप कर दिया गया है। आबकारी के रिकार्ड में पिछले दस सालों से नीलामी प्रक्रिया नहीं हुई है जिस वजह से गाडिय़ों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। गाडिय़ों को राजसात कर उसे नीलाम करना था जिससे आबकारी विभाग को राजस्व प्राप्त होता लेकिन इसके बावजूद ऐसा नहीं हो सका। जब्त गाडिय़ों में छोटे-बड़े वाहन ही मिलाकर इनकी संख्या तीन सौ से ज्यादा है। जब्ती के दौरान आंकी गई कीमतों के हिसाब से जितने प्रकरण है वाहनों की कीमत 50 लाख रुपये से भी ज्यादा की है। इतने वाहनों की नीलामी के बाद आबकारी को राजस्व मिलना तय था, लेकिन समय रहते मामलों में यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। राज्य निर्माण के बाद से जिले में एक-दो बार ही वाहन नीलाम करने इश्तेहार जारी हो सका है लेकिन इसमें भी आगे वाहनों के लिए खरीदार नहीं मिल सके हैं। इन गाडिय़ों में विभागीय वाहन शामिल हैं जो आयु पूरी करने के बाद आउटडेटेड बताए गए हैं। कबाड़ के हिसाब से इसके लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू हुई थी। तस्करों के पास से जब्त वाहनों के लिए राजसात करने प्रोसेस लंबित होता चला गया। सिविल लाइंस स्थित आबकारी नियंत्रण कक्ष में वाहन रखने का इतना दबाव है कि अब कबाड़ में तब्दील दोपहिया अंदर खाली जगह में पटके जा रहे हैं। एक के ऊपर एक गाडिय़ां लादकर जगह का उपयोग किया जा रहा है, जिससे जब्त की गई गाडिय़ां क्षतिग्रस्त होने के साथ पूरी तरह से नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई है। कबाड़ के भाव भी इन गाडिय़ों को आगे नीलाम कर पाना मुश्किल है। जिला आबकारी उपायुक्त अनिमेष नेताम का कहना है ज्यादातर मामले अभी विचाराधीन है। आबकारी एक्ट में जब्त वाहनों के लिए नीलामी प्रक्रिया कोर्ट के आदेश आने के बाद शुरू होगी।
कंट्रोल रूम में जगह कम
सिविल लाइंस में आबकारी अफसरों के लिए पहले ही जगह की किल्लत है। भारी भरकम शराब की पेटियां मिलने के बाद इसे भी स्टोर करके रख पाना मुश्किल होता है। कई कमरे ऐसे हैं जो स्टॉक नष्टीकरण नहीं होने के कारण अभी भी भरे हुए हैं। कुछ जगह खाली है जहां पर कंडम गाडिय़ों को रखा गया है। पुरानी बिल्डींग के कई हिस्से जर्जर भी हो चुके हैं इस वजह से भी यहां पर परेशानी है। सिविल लाइंस में नियंत्रण कक्ष सालों पहले किराए पर लिया गया था। जगह की कमी पडऩे के बाद बाजू के हिस्से को भी भाड़े में लेकर नए कमरे बनाए गए हैं।
तस्करों का पता नहीं
दर्जनभर ऐसे मामले हैं जिसमें आबकारी विभाग ने वाहनों को लावारिस हालत में पाया है। मालिकों को तलब करने के बाद भी वे अब तक नदारद हैं। आबकारी अफसरों के हाथ लगने के पहले तस्कर पीछा छुड़ाकर भागे हैं। ऐसे मामलों में ज्यादातर दोपहिया बरामद हुई है। दस से पंद्रह साल पुराने केस में यह गाडिय़ां अब पूरी तरह से सडक़र नष्ट हो चुके है।
ज्यादातर प्रकरणों में बड़े वाहनों की जब्ती
आबकारी विभाग की कार्रवाई में ज्यादातर बड़े वाहन जब्त किए गए हैं। बता दें छह महीने में ही आबकारी की टीमों ने रायपुर जिले में अलग-अलग रूट पर शराब की अवैध तस्करी का खुलासा किया है जिसमें कार, मालवाहकों के साथ दोपहिया वाहन मौके से बरामद किए हैं। इन गाडिय़ों की कीमत ही लाखों रुपये में है। कचना रोड पर ही दो बार की कार्रवाई में तस्करों से दो महंगी कारें बरामद कर जब्ती की गई है। कोर्ट में प्रकरण लंबित है इस वजह से जब्त गाडिय़ों की नीलामी की कार्रवाई भी शुरू नहीं हो पाई।