रायपुर

अंत्यावसायी ऋण वसूलने घर-घर दस्तक, अफसरों की बैरंग वापसी, साढ़े 4 करोड़ की करनी है वसूली, अल्टीमेटम का असर नहीं
09-Feb-2022 4:44 PM
अंत्यावसायी ऋण वसूलने घर-घर दस्तक, अफसरों की बैरंग वापसी, साढ़े 4 करोड़ की करनी है वसूली, अल्टीमेटम का असर नहीं

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 9 फरवरी।
जिले में अंत्यावसायी सहकारी समिति से करोड़ों रुपये लोन लेने वालों से वसूली अभियान शुरू हुआ है कि पुराने समय में दिए गए नाम और पते पर अफसर खाली हाथ लौट रहे हैं। साढ़े चार करोड़ रुपये से ज्यादा की वसूली करने टीम को पसीना छूट रहा है, इधर वाहनों के एवज में बड़ा लोन लेने वाले गायब हो रहे हैं।

हाल में अंत्यावसायी समिति के अफसर डोर टू डोर वसूली कार्यक्रम शुरू की है लेकिन करीबी सूत्र का कहना है ब्लॉक में अफसरों के जाने के बाद ऋण लेने वालों से कुछ खास फायदा नहीं मिल पा रहा है। सालों पुराने नाम और पते पर टीम के जाने के बाद यहां से लोग गायब मिल रहे हैं। जिन्हें गारंटर बनाया गया है वह भी अपना ठिकाना बदल चुके हैं। ऐसे में मार्च महीने तक वसूली करने का लक्ष्य पिछड़ गया है। अंत्यावसायी समिति की ओर से मार्च महीने में डिफाल्टरों की सूची बनाकर नाम उजागर करने चेतावनी दी गई है लेकिन इसका कोई खास फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है। पिछले पंद्रह दिनों में तिल्दा ब्लॉक के साथ जिले के दूसरे गांवों में समिति के अफसर पहुंचे हैं लेकिन ऋण लेने वालों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। समिति के पास सबसे बड़ी परेशानी यह भी है कि बतौर गारंटी के लिए जो चेक दिए गए हैं वह ज्यादातर आउटडेटेड हो चुके हैं। इसलिए अब कोर्ट तक जाने की तैयारी है लेकिन इसमें भी कई तरह की अड़चनें सामने आ रही है। एसटी-एससी वर्ग से लोगों को स्वयं के व्यवसाय के लिए अलग-अलग स्कीमों के तहत ऋण दिया गया है। लोगों ने चारपहिया वाहनों के लिए बड़ी रकम अपने नाम से निकलवाए हैं। बस और भारी मालवाहकों के लिए भी करोड़ों रुपये का ऋण दिया गया है। यह गाडिय़ां आज की स्थिति में पुरानी हो चुकी है। ऋण लेने वालों ने इससे कमाई भी वसूल किया है लेकिन सरकारी ऋण चुकाने के मामले में दूरियां बढ़ा ली है।

नया बजट मिलना मुश्किल
अंत्यावसाय लोन के लिए नया बजट मुश्किल हो गया है, इस कारण विभाग में अब ज्यादातर लोगों की फाइलें लौटाई जा रही है। लॉक डाउन खुलने के बाद ऋण लेने के लिए लोग पहुंच रहे हैं लेकिन फंड नहीं होने के कारण उन्हें लौटाया जा रहा है। केंद्र की स्कीमों में पहले ही निगमों से बजट पास नहीं हो पाया है। इस तरह जिले में जरूरतमंद लोगों को कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है।

दस्तावेज देकर लौटाकर फंसे
समिति ने ऋण देने के पहले गारंटी लेने वाले से दस्तावेज लिए थे। जमीन संबंधी दस्तावेज लेकर ऋण जारी किया था। कुछ महीनों तक किस्त पटने के बाद भरोसे में गारंटी के लिए सौंपे गए दस्तावेज वापस कर दिए। अभी ज्यादातर ऐसे केस हैं जिसमें गारंटी वापस लौटा देने के बाद बड़ी किस्त वहीं जाम है। सालों से लोग पैसे नहीं पटा रहे हैं।

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