रायपुर
![शास्त्री चौक में गड़बड़ाया यातायात का सिस्टम, पिल्लरों पर खड़े स्कॉय वॉक जंग लगने से बर्बाद, महीनों बाद भी काम ठप शास्त्री चौक में गड़बड़ाया यातायात का सिस्टम, पिल्लरों पर खड़े स्कॉय वॉक जंग लगने से बर्बाद, महीनों बाद भी काम ठप](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1644839852arfik.jpg)
दो समितियां भी तय नहीं कर पाई, आखिर इसका क्या किया जाए
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 फरवरी। शहर के व्यस्तम मार्गों में से एक शास्त्री चौक में इन दिनों यातायात का सिस्टम गड़बड़ा गया है। खासकर से पैदल चलने वालों की वजह से यातायात सिग्नल की ओर गाडिय़ां हर घंटे फंस रही है। टकराव के हालात के बीच जोखिम भी बढ़ रहा है। सामने पिल्लरों पर खड़े बनाए गए स्कॉय वॉक के डोम के सारे एंगल बर्बादी की राह पर पहुंच गए हैं। जंग लगने की वजह से अधूरे स्कॉय वॉक का काम दोबारा शुरू करने एक बार फिर खर्च बढऩे का भी संकट है। दो साल पहले स्कॉय वॉक के दोबारा निर्माण करने बनाई गई कमेटियों की रिपोर्ट फिलहाल धूल खा रही है। स्कॉय वॉक को बनाने दोबारा किसी तरह की कवायद दिख रही है कि पुलिस को भी यातायात संभालने मुख्य चौराहे में पसीना छूट रहा है। शास्त्री चौक में जिस तरह से यातायात का दबाव है, कोर्ट-कचहरी, डीकेएस और फिर कलेक्टोरेट आने वालों की वजह से भी हर दिन परेशानी है। यातायात पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक हर दिन इस चौराहे में लगभग साढ़े तीन लाख वाहनों का दबाव रहता है। गाडिय़ों की इतनी संख्या के बीच पैदल चलने वालों की संख्या भी 25 से 30 फीसदी है। जिस तरह से स्कॉय वॉक के निर्माण की रफ्तार दिख रही है आने इस साल भी काम पूरा हो पाना मुश्किल ही है। अधूरे स्कॉय वॉक पर स्मार्ट सिटी की तर्ज पर नगर निगम ने रंग रोगन और फिर प्लांटेशन का काम किया है लेकिन वह भी अधूरे डोम की वजह से किसी के काम के नहीं रह गए हैं। पिल्लरों पर सजावट के लिए लगाए गए आर्टिफिशियल पौधे भी उखड़ रहे हैं। सबसे ज्यादा डोम की स्थिति खराब है। पिल्लरों के बाजू में एस्केलेटर और लिफ्ट लगाने के लिए सीढिय़ां बनाने का काम भी आधा-अधूरा रह गया है। बता दें 48 करोड़ रुपये की लागत से शुरू स्कॉय वॉक के प्रोजेक्ट के लिए नया बजट 70 करोड़ रुपये तक तय किया गया है। निर्माण कार्य के लिए कंपनी बदले जाने के बाद भी कोई फायदा नहीं मिल सका है।
पांच मुख्य जगहों से यातायात का दबाव
शास्त्री चौक में पांच मुख्य जगहों से भीड़ का दबाव रहता है। कोर्ट, कलेक्टोरेट, डीकेएस, तहसील और फिर आंबेडकर अस्पताल की ओर पैदल चलने वाले निकलते हैं। छुट्टी के दिनों में चौराहे पर भीड़ कम होने से थोड़ी राहत होती है लेकिन बाकी दिनों में यातायात का तीन गुना दबाव रहता है। बड़े चौराहे में यातायात संभालने के लिए पुलिस को कर्मचारी बढ़ाने पड़े हैं।
दो विशेष कमेटियां बनाई, रिपोर्ट भी पूरा
स्कॉय वॉक के दोबारा से निर्माण के लिए राज्य शासन ने पहले दो विशेष कमेटियां बनाने का फैसला लिया था। विशेष तकनीकी सलाहकार कमेटी में एक्सपर्ट जुटे जबकि सामान्य अध्ययन कमेटी का गठन करते हुए इसमें जनप्रतिनिधियों को शामिल किया गया। स्कॉय वॉक को बनाने के लिए सर्वे और फिर तकनीकी रिपोर्ट राज्य शासन को सौंपे जाने के बाद निर्माण कार्य किसी और दूसरी कंपनी को सबलेट किया गया। निर्माण शुरू करने के लिए पीडब्लूडी की तरफ से कोई आदेश जारी नहीं हुए। प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया।