रायपुर

20 साल पुराने ‘अब्दुल’ छिटके, फंड की तंगी से भी वर्दीवालों से दूरी, कभी थे 5 हजार से ज्यादा अभी मुश्किल से 5 सौ...!
18-Feb-2022 4:51 PM
20 साल पुराने ‘अब्दुल’ छिटके, फंड की तंगी से भी वर्दीवालों से दूरी, कभी थे 5 हजार से ज्यादा अभी मुश्किल से 5 सौ...!

लोकल अपराधों में भी अपराधियों की धरपकड़ मुश्किल हुई

मनीष बाघ

रायपुर, 18 फरवरी। आज से तीन दशक से पहले लैंडलाइन टेलीफोन के दौर में पुलिसिंग का सारा दारमदार ‘अब्दुलों ’ पर होता था। पुलिस के मुखबीरों को यह नाम दिया गया था। पुलिसिंग के लिए ये रीढ़ हुआ करते थे। इन्हें गली गांव से लेकर पूरे शहर की हलचल की खबर होती थी। इनके दम पर बड़े-बड़े खुलासे करने वाली रायपुर पुलिस इन दिनों मजबूत सूचनातंत्र के अभाव में संकट से जूझ रही है। प्रदेश की राजधानी में मुखबीरों को इस कदर टोटा हो गया है कि बीट अफसर मामलों का खुलासा करने में परेशान है। लोकल से लोकल अपराधों में अपराधियों की कुंडली नहीं मिल रही है कि थानों में नकबजनी और दूसरे तरह के ब्लाइंड केस पुलिस की पहुंच से दूर हैं। क्राइम ब्रांच का हिस्सा रह चुके एक जांच अफसर के मुताबिक राज्य निर्माण के बाद से अगले बीस सालों में रायपुर शहर में ही पांच से साढ़े पांच हजार मुखबीर थे। अगले बीस साल बाद की स्थिति में मुश्किल से पुख्ता सूचनाएं देने वाले हजार भी नहीं रह गए हैं। बड़ी मुश्किल से इनकी संख्या 500 रह गई है। लॉक डाउन में जिस तरह के हालात उपजे हैं कई लोगों को बाहर पलायन करना पड़ा है। अपने मूल ठिकानों में वापसी होने वालों के साथ पुलिस के भरोसेमंद मुखबीर भी गायब हैं। इस वजह से पुलिस को सूचनाएं खंगालने में मुसीबत झेलनी पड़ रही है। बीट अफसरों को भी अपने क्षेत्र के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं है, ऐसे में लोकल अपराधी गैंग भी पुलिस के नाक में दम करने लगे हैं। हाल के दो से तीन महीने में बढ़ी झपट्टा मार गैंग की खोजबीन में ही पुलिस को पसीने छूटे हैं। आजाद चौक थाना क्षेत्र से दो आरोपी ही धरे जा सके हैं लेकिन इधर राह चलने वालों को पीछे से धक्का देकर या फिर झपट्टा मारकर मोबाइल लूटने की घटना बरकरार है। पुलिस टीमें अब डिजीटल प्लेटफार्म में सिर्फ सीसीटीवी कैमरा और मोबाइल लोकेशन के भरोसे है। जबकि डिजीटल तकनीक को चुनौती देने वाले गैंग रायपुर में बिना मोबाइल कनेक्शन लिए भी दस्तक दे रहे हैं। तेलीबांधा में पुलिस खुलासा कर चुकी है जब बाहरी अंतर्राज्यीय गैंग ने बिना मोबाइल फोन के बाजार जाकर मोबाइल फोन चुराए। गुमंतू प्रवत्ति देखकर जब संदेह हुआ तब पुलिस उन तक पहुंच पाई। लोकल इनपुट कुछ भी नहीं था।

कमजोर सूचना तंत्र का खुलासा इन मामलों से
तेलीबांधा में मुंबई के शूटरों ने एक मकान में पनाह लेकर कई दिन गुजारे। जब मुंबई पुलिस रायपुर आई तब पुलिस ने शूटर शहबाज उर्फ सैय्यद के ठिकाने में दबिश दी। लोकल इनपुट के अभाव में शूटर और साथी कई दिन छिपे रहे।
शंकर नगर खम्हारडीह रोड में एक युवती से मोबाइल लूटकर दो फरार हुए। तीन महीने से ज्यादा गुजरे सुराग नहीं मिला। झपट्टामार गैंग ने फिर से डीडी नगर और खमतराई क्षेत्र में वारदातें दोहराई। आज तक इस गैंग की कोई खबर नहीं।

पुलिस अब डिजीटल प्लेटफार्म पर
 शहर में कैमरों का जाल बिछाकर संदिग्धों की खोज-खबर।
 इंटर स्टेट वाट्सग्रुप में कुख्यात गैंग के मूवमेंट पर नजरें।
 चेक पोस्ट, नाकों और टोल पर डिजीटल कैमरों का जाल।
 मोबाइल लोकेशन के आधार पर हर दिन हजारों नंबरों की छानबीन।

90 प्रतिशत डिजीटल प्लेटफार्म उपयोगी
लोकल मुखबीर का सिस्टम पहले ही खत्म हो चुका है। पुलिस पूरी तरह से डिजीटल प्लेटफार्म पर फोकस कर रही है। आज के समय में 90 प्रतिशत नतीजे डिजीटल तकनीक से सामने आ रहे।
- अभिषेक माहेश्वरी, एएसपी सायबर क्राइम

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news