रायपुर
![बैकुंठपुर में कांग्रेस प्रत्याशी की हार के लिए विधायक, जिलाध्यक्ष जिम्मेदार? बैकुंठपुर में कांग्रेस प्रत्याशी की हार के लिए विधायक, जिलाध्यक्ष जिम्मेदार?](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1645186225ajeev-bhawan.gif)
पखवाड़ेभर पहले रिपोर्ट सौंपी पर कार्रवाई नहीं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 फरवरी। बैकुंठपुर, और शिवपुर चरचा नगर पालिका में बहुमत के बाद भी कांग्रेस प्रत्याशी की हार के लिए पार्टी की जांच समिति ने जिलाध्यक्ष, और एक विधायक को जिम्मेदार ठहराया है। खबर है कि समिति ने तो पखवाड़ाभर पहले ही जांच रिपोर्ट पीसीसी को सौंप दी गई थी, लेकिन संगठन इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है।
हाल के निकाय चुनाव में कांग्रेस को अच्छी सफलता मिली है। मगर कोरिया जिले की नगर पालिका बैकुंठपुर, और शिवपुर चरचा में कांग्रेस प्रत्याशी बहुमत होने के बावजूद नहीं जीत पाए। बैकुंठपुर में अध्यक्ष, और शिवपुर चरचा में उपाध्यक्ष का पद क्रास वोटिंग की वजह से हार गए। कांग्रेस संगठन में दोनों जगहों पर हार के लिए जांच कमेटी बनाई थी। प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, और सीएम भूपेश बघेल ने साफ तौर पर कहा था कि क्रास वोटिंग के लिए जिम्मेदार नेताओं को बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पुनिया के निर्देश पर प्र्रकरण की जांच के लिए पूर्व विधायक बोधराम कंवर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई थी। जिसमें अर्जुन तिवारी, और पूर्व विधायक चुन्नीलाल साहू भी सदस्य थे। जांच समिति ने पिछले महीने दोनों जगह जाकर वस्तु स्थिति की जानकारी ली, और स्थानीय नेताओं से चर्चा कर रिपोर्ट तैयार की थी, और प्रदेश संगठन को सौंप दी थी। सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट में पार्टी के विधायक, और जिलाध्यक्ष को हार के लिए जिम्मेदार माना गया है।
बताया गया कि दोनों नगर पालिकाओं में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला था। बैकुंठपुर में 11 के अलावा 2 निर्दलीय पार्षदों का समर्थन भी था। ऐसे में संख्या बल के आधार पर अध्यक्ष, और उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस प्रत्याशियों का जीतना तय था। मगर ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस प्रत्याशी नविता जायसवाल चुनाव हार गई। जबकि बहुमत न होने के बावजूद भाजपा अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाने में कामयाब रही।
सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट में पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष की पत्नी को अध्यक्ष बनाने के फैसले को भी गलत ठहराया, और कहा कि पार्षदों में अध्यक्ष प्रत्याशी को लेकर नाराजगी थी। दो पार्षदों के बगावती तेवर साफ झलक रहे थे, लेकिन विधायक और जिलाध्यक्ष ने उन पर भरोसा जताते रहे, जिसका नुकसान उठाना पड़ा। शिवपुर चरचा में भी प्रत्याशी चयन सही ढंग से नहीं करने के कारण उपाध्यक्ष का पद गंवाना पड़ा। इस पूरे मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम से चर्चा की कोशिश की गई, किन्तु उनसे संपर्क नहीं हो पाया।