रायपुर
![कृषि विवि कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया पर उठे सवाल, अनुशंसित नामों को कैसे काटा गया... कृषि विवि कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया पर उठे सवाल, अनुशंसित नामों को कैसे काटा गया...](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1645717752vvv.gif)
राज्यपाल को लिखी चिट्ठी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 24 फरवरी। राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र पाण्डेय ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर कहा कि अरविंद नेताम की कमेटी द्वारा प्रस्तावित नामों में से दो नाम नई कमेटी में शामिल नहीं किया गया है। कमेटी को आज भी भंग अथवा निरस्त करने की अधिसूचना जारी नहीं की गई है, तो भला उसमें शामिल नामों को कैसे काटा, और हटाया जा सकता है।
पाण्डेय ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विवि के कुलपति चयन पर किसी तरह की राजनीति नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यह छत्तीसगढ़ के भविष्य का सवाल है। छत्तीसगढ़ की जनता के उस कठोर परिश्रम, और तपस्या का परिणाम है कि इस पावन धरा पर कुलपति पद के लिए योग्य, और साहसी नेतृत्व करने की क्षमता करने वाले यहां के माटी में जन्में शिक्षा विदो की कमी नहीं है।
राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष ने कुलपति चयन की प्रक्रिया पर उंगली उठाई, और राजभवन की भूमिका पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कुलपति की नियुक्ति के लिए पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने 4 नामों की अनुशंसा की थी। किन्तु समिति की अनुशंसा किए गए नामों पर कुलाधिपति की सहमति नहीं मिलने के कारण कुलपति की नियुक्ति आदेश जारी नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि उक्त समिति को निरस्त भी नहीं किया गया। नए नामों के लिए कमेटी से सिफारिश भी नहीं की गई। इसके बावजूद भी प्रभारी कुलपति का आदेश का नए अध्यक्ष की नियुक्ति की अधिसूचना संदेहास्पद है। पाण्डेय ने यह भी कहा कि डॉ. एसएस सेंगर को प्रभारी कुलपति नियुक्त किया गया है, जो कि इंदिरा गांधी कृषि विवि अधिनियम-1987 के प्रावधानों के खिलाफ है।
राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि यह भी सूना जा रहा है कि किसी स्थानीय सबसे जूनियर व्यक्ति को बनाने का प्रयास, अथवा दबाव बनाया जा रहा है, जो कि न तो डीन, डायरेक्टर है, और न ही कोई प्रशासनिक अनुभव रखता है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश के 17 विश्वविद्यालयों में से 12 में दूसरे राज्यों के कुलपति हैं। उक्त तथ्यों पर विचार कर किसी योग्य, और वरिष्ठ शिक्षा विद का चयन करने का आग्रह किया है।