रायपुर
![पुरानी पेंशन योजना लागू करने में कोई आर्थिक बोझ नहीं, सीएम से मिले कर्मचारी नेता पुरानी पेंशन योजना लागू करने में कोई आर्थिक बोझ नहीं, सीएम से मिले कर्मचारी नेता](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1645889357m-1.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 26 फरवरी। पश्चिम बंगाल, झारखंड, और राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ में भी सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने सरकार पर दबाव बनाना शुरू हो गया है। तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी मांग की है कि छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन योजना पूर्ववत 1 अप्रैल 2004 से लागू की जावे। संघ ने दावा किया है कि इसके लागू होने से सरकार पर तत्कालिक कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार झा एवं जिला शाखा अध्यक्ष इदरीश खान ने दावा किया है कि आजादी के पूर्व देश में कांग्रेस की हुकूमत के दौरान पेंशन योजना वृद्धावस्था के सहारे के रूप में प्रदान की गई थी, जिसे कांग्रेस सरकार रहते तक यथावत लागू रखा गया था। केंद्र में 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा 2004 के बाद पेंशन बंद कर अंशदाई पेंशन योजना लागू करने का निर्णय लिया गया था। यह केंद्रीय कर्मचारियों के लिए मूल रूप से प्रभावी था, किंतु राज्य सरकारों ने भी चूंकि केंद्रीय वेतनमान राज्य के कर्मचारी प्राप्त कर रहे हैं इसलिए राज्यों में भी इसे लागू किया गया। कोई भी राज्य सरकार अपने शासकीय सेवकों को अपने अनुसार वेतन भत्ते देने के लिए स्वतंत्र है। इसलिए देश के गैर भाजपाई सरकारों को तत्काल 2004 के बाद नियुक्त शासकीय सेवकों को पुरानी पेंशन योजना लागू करनी चाहिए। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी ने कहां की आर्थिक स्थिति को देखते हुए इस पर निर्णय लिया जावेगा। इस संबंध में प्रदेश अध्यक्ष श्री विजय झा ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि 2004 के बाद पुरानी पेंशन योजना लागू करने से सरकार के राजकीय कोष में कोई आर्थिक बोझ वर्तमान में इसलिए नहीं पड़ेगा क्योंकि 2004 के बाद नियुक्त शासकीय सेवक 20-25 वर्ष बाद सेवानिवृत्त होंगे तब उन्हें पेंशन योजना का लाभ मिलेगा।