रायपुर

कल महाशिवरात्रि पर विशेष : देश में तीन वराह मंदिर, एक अपने महादेव घाट में
28-Feb-2022 5:00 PM
कल महाशिवरात्रि पर विशेष : देश में तीन वराह मंदिर, एक अपने महादेव घाट में

टिकेश यादव

रायपुर, 28 फरवरी। देश में भगवान के वराह अवतार के तीन मंदिर हैं। ये तीनों ही आध्यात्मिक, और मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें से एक राजधानी से लगे महादेवघाट स्थित हटकेश्वर मंदिर में भी है।  इसे देश का दुसरा बताया जा रहा है। पहला गुजरात के वड नगर में, तीसरा आंध्र के श्रीकाकुलम जिले में हैं। 600 साल पुराना भगवान शिव का यह मंदिर प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।

मान्यता है कि तकरीबन 6 सौ साल पुराने इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से भक्तों की हर इच्छा पूरी हो जाती है। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध मंदिरों में शुमार इस मंदिर में दर्शन करने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। बारिक नक्काशी से सुसज्जित इस भव्य मंदिर की आंतरिक और बाहरी कक्षों की शोभा भी लोगों को आकर्षित करती है। पुजारी और मंदिर के ग्यारहवें महंत बताते हैं कि इस मंदिर के मुख्य आराध्य भगवान हटकेश्वर महादेव, नागर ब्राह्मणों के संरक्षक देवता माने जाते हैं। गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग के पास ही रामजानकी, लक्ष्मण और वराह (बरहादेव) की प्रतिमा है।

श्रीमद भागवत कथा के पांचवे स्कंध में भगवान हाटकेश्वर नाथ का उल्लेख मिलता है । कथाओं के अनुसार भारत में तीन हाटकेश्वर नाथ मंदिर है जिसमे से रायपुर के महादेव घाट स्थित मंदिर ही है जो नदी के किनारे स्थित है। महंत ने मंदिर का निर्माण छत्तीसगढ़ में कल्चुरी शासन काल का बताया है। कथा के अनुसार राजा हरी ब्रम्हदेव जब शिकार पर निकले थे तब घूमते हुवे खारुन नदी के तट पर पहुंचे थे, जहा पर उनके घोड़े के पैर में पत्थर लगने से घोड़ा जमीन पर गिर गया , राजा के सैनिकों ने उस स्थान की सफाई की तो वहा से शिव लिंग के आकार का पत्थर दिखा जिसे देख राजा भावविभोर हो गए और नदी के जल से उसका अभिषेक कर शिव लिंग के समकक्ष  खड़े होकर पुत्र रत्न की मनोकामना की और अक्षय माह में मंदिर निर्माण करने का संकल्प लिया, कुछ समय बाद राजा को संतान प्राप्ति हुई।जिसके बाद से भगवान शंकर के शिवलिंग रूप की विधीविधान पूजा कर रात्रि में मंदिर निर्माण करवाया गया। जिसके बाद से राजा ब्रम्ह देव शिव उपासना करने लगे ।

बताया जाता है की पुष्कर और कार्तिक पूर्णिमा मेले की शुरुवात सन 1428 ई. में भगवान शंकर की आराधना पर्व के रूप में शुरुकिया गया है।

महाशिवरात्रि पर होती है विशेष पूजा

कल महाशिव रात्रि के मौके पर विशेष पूजा की जाती है। महा शिवरात्रि की रात में पुजारियों द्वारा शिवलिंग पर रूद्र अभिषेक,सहस्त्र धारा रूद्र अभिषेक जाप ,मंडल पूजा पंचोपचार पूजा कर हजार छिद्रों वाले घड़े में जल डालकर भगवान शंकर को स्नान कर श्रृंगार और महा आरती के बाद मंदिर का पट खोल जाता है ये पूजा रातभर मंत्र उपचार किया जाता है।  वहीं कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर बड़ा मेला लगता है। यह भी है परम्परा: खारुन नदी के बीचों-बीच जाकर यहां पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान भी किया जाता है। गया और काशी की तरह यहां विशेष पूजा पाठ भी किया जाता है।

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