रायपुर
महाशिवरात्रि में विशेष श्रृंगार के साथ शिवलिंग की पूजा होती रही
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 1 मार्च। आरंग को छत्तीसगढ़ की मंदिरों की नगरी कहा जाता है। यहां 11वीं सदी का शिव मंदिर है। कहते हैं भगवान रामचंद्र जब 14 साल के वनवास के लिए अयोध्या से निकले थे, तो वे भारत के करीब 300 स्थानों से होकर गुजरे थे। उन्हीं 300 स्थानों में से एक है आरंग।
132 स्तंभों में खड़ा है मंदिर
भगवान राम ने यहां आकर बागेश्वर नाथ की पूजा अर्चना की थी। गवान राम ने की थी बागेश्वर नाथ शिवलिंग की पूजा अर्चनामंदिर के पंडित ने बताया कि बागेश्वर नाथ मंदिर पुरातन है। वनवास के दौरान भगवान राम, देवी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 300 स्थानों पर गए थे। उन्हीं में से एक आरंग का बागेश्वर नाथ मंदिर है। यहां शिवलिंग का मूलत: नाम बाघेश्वर है, लेकिन अपभ्रंश होते-होते यह बागेश्वर नाथ हो चुका है। 108 स्तंभों में मंदिर का निर्माण इस पुरातन मंदिर के निर्माण में कुल 108 स्तंभ हैं, जिसमें 24 स्तंभ मंडप गृह पर हैं। मंदिर का गर्भ गृह देखने से ऐसा लगता है कि यह किसी योग्य कुंड के ऊपर स्थापित किया गया है. वहीं भगवान बागेश्वर नाथ की पूजा-अर्चना करने से लगातार सफलताएं प्राप्त होती हैं. यह मंदिर सिद्ध पीठ है और यहां आचार्य और साधक हमेशा पूजा-अर्चना करने आते रहते हैं।
मंदिर अति प्राचीन है, यहां लोगों ने सोने की पुताई का काम कराया है, हालांकि इस बारे में पुरातत्व विभाग ने कोई पुष्टि नहीं की है। लोगों की आस्था है कि यहां भगवान राम आए थे और बागेश्वर नाथ की पूजा-अर्चना की थी। पर्यटन की दृष्टि से नहीं किया गया है विकसित
बता दें कि आरंग शहर में हजारों ऐसे प्राचीन मंदिर हैं, लेकिन अब तक शासन प्रशासन ने पर्यटन की दृष्टि से इसे उस प्रकार से विकसित नहीं किया है, जैसा कि इसका विकास होना चाहिए था।
सुबह से लगी भक्तों की भीड़
महाशिवरात्रि के अवसर पर सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ शुरू हो गई। गर्भगृह में शिवलिंग को सुंदर तरह से सजाया गया है। जैसे उज्जैन के महाकालेश्वर शिवलिंग को सजाया जाता है उसी प्रकार बागेश्वर नाथ शिवलिंग को सजाया जाता है।