रायपुर

स्कूली बच्चों की उपलब्धि सुधार के लिए 75 दिन का विशेष अभियान कल से
01-Mar-2022 5:57 PM
स्कूली बच्चों की उपलब्धि सुधार के लिए 75 दिन का विशेष अभियान कल से

कोरोना से हुआ है पढ़ाई का बड़ा नुकसान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 1 मार्च। कोरोना की वजह से राज्य के स्कूलों में विद्यार्थियों की पढ़ाई-लिखाई में हुई क्षति को दूर कर उनकी उपलब्धि में 2022 तक सुधार लाने के लिए 14 मई तक विशेष अभियान  चलाया जाएगा।

स्कूल शिक्षा सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने कहा है कि राज्य में लम्बी अवधि तक स्कूलों के लॉकडाउन होने से बच्चों की उपलब्धि काफी प्रभावित हुई है। यह बात असर सर्वे में स्पष्ट रूप से सामने आई है। बच्चों की उपलब्धि में सुधार हेतु शिक्षकों, पालकों एवं विद्यार्थियों को साथ लेकर इस दिशा में स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर यह विशेष अभियान शुरू किया जा रहा है। इस अभियान के संचालन की जिम्मेदारी डीईओ, बीईओ को सौंपी गई है।

 जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि जिला विकासखण्ड एवं संकुल स्तर पर शिक्षकों, शाला प्रबंधन समिति एवं पालकों के साथ प्रत्यक्ष एवं ऑनलाइन वेबीनारों का आयोजन कर इस अवधि का बेहतर उपयोग किए जाने के लिए कोरोना लॉकडाउन से बच्चों में हुए सीखने के नुकसान, लॉकडाउन के दौरान बच्चों के दिनचर्या एवं व्यवहार में बदलाव, स्कूलों में बच्चों के सीखने में हुए नुकसान की भरपाई के लिए विशेष कार्यक्रम के लिए सुझाव, समुदाय एवं पालकों की ओर से बच्चों के सीखने में सहयोग के लिए प्रस्ताव और ब्रेन स्टोर्मिंग कर निर्णय लिया जाए।

पढ़ाई तुंहर दुआर पार्ट-2 के अंतर्गत इस अविध में बच्चों की लर्निंग रिकव्हरी के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की डिजाईन करने की जिम्मेदारी राज्य के सभी विकासखण्ड शिक्षा अधिकारियों को दिया जाना प्रस्तावित है। 1 मार्च से 14 मई तक के अवधि में बच्चों के आंकलन के बदले उनके सीखने पर फोकस किया जाएगा। उन्हें एक दूसरे से सीखने के लिए पर्याप्त अवसर दिए जाएंगे। इस अवधि में उपस्थित अनिवार्य नहीं होगी। पर सभी बच्चों को इन विशेष कक्षाओं में नियमित उपस्थित होने के लिए बच्चों एवं पालकों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

कक्षा संचालन का समय भी शाला प्रबंधन समिति एवं पालकों के अभिमत के आधार पर तय किया जाएगा। पढ़ाई में सहयोग के लिए पूर्व की भांति समुदाय से शिक्षा सारथी के रूप में सहयोग प्रदान किया जाएगा। बच्चों को एक दूसरे से सीखने, छोटे-छोटे समूह में बैठकर सीखने पर जोर दिया जाएगा। पालकों को भी शाला अवधि के अलावा घर पर भी पढ़ाई में ध्यान देने के लिए आवश्यक माहौल बनाया जाएगा।

राज्य में एनआईसी के सहयोग से विकसित टेली-प्रेक्टिस के माध्यम से अधिक से अधिक ऐसे बच्चों को शामिल किया जाएगा, जिनके पालकों के पास स्मार्ट फोन हैं, ताकि उन्हें घर पर रहकर टेक्नॉलाजी का उपयोग कर अभ्यास करने का अवसर उपलब्ध कराया जा सके। टेली-प्रेक्टीज का उपयोग अभ्यास के साथ-साथ बच्चों के आंकलन के लिए भी किया जा सकेगा।

अकादमिक निरीक्षण व्यवस्था को कड़ाई से लागू किया जाएगा और निरीक्षण का पूरा फोकस बच्चों की उपलब्धि में सुधार किया जाना होगा। इसके लिए विभिन्न स्तरों पर स्कूलो के निरीक्षण निर्धारित कोटे के अनुसार निरीक्षण कर सुधार कार्य किया जाना आवश्यक होगा। अच्छे कार्य कर रहे शिक्षकों को प्रोत्साहित करने की भी व्यवस्था की जाएगी।

कार्यक्रम क्रियान्वयन के लिए जिला, विकासखण्ड और संकुल स्तर पर प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी को सक्रिया किया जाएगा और उनके माध्यम से सभी शिक्षकों मेंटरिंग की सुविधा देते हुए कार्यक्रम क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। शिक्षकों के प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी के माध्यम से स्थानीय स्तर पर सीखने में सहयोग के लिए सामग्री विकसित की जाएगी। शिक्षक सोशल मीडिया से जुडक़र एक दूसरे से सीखने में आवश्यक सहयोग ले सकेंगे।

छोटे बच्चों की माताओं को घर पर रहकर बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करने और उन्हें आंगनबाड़ी के साथ जोडक़र सीखने पर फोकस कर सहयोग किए जाने के लिए प्रत्येक बसाहट में स्मार्ट माता की पहचान कर उन्हें प्राथमिक स्कूलों में कार्यरता महिला शिक्षाओं के सहयोग से उनके मार्गदर्शन में ‘अंगना म शिक्षा’ कार्यक्रम संचालित किया जाएगा। यह कार्यक्रम पूर्व प्राथमिक से लेकर कक्षा दूसरी के बच्चों के लिए लागू किया जाएगा।

बच्चों को आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए तैयार करने हेतु एससीइआरटी के माध्यम से स्कूल रेडीनेस कार्यक्रम शीघ्र प्रारंभ करने के लिए तीन माह शाला तैयारी मोड्यूल लागू किया जाएगा। कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों में विभिन्न रोचक गतिविधियों के माध्यम से मूलभूत दक्षताओं का विकास किया जाएगा। इसके लिए शिक्षकों का भी उन्मूखीकरण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

कक्षा तीसरी से पांचवी तक समग्र शिक्षा के माध्यम से उपचारात्मक शिक्षण के लिए सरल कार्यक्रम, कक्षा 6वीं से 8वीं तक एससीइआरटी के सहयोग से नवा जतन कार्यक्रम और कक्षा 9वीं से 12वीं तक के लिए जिला शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से विशेष उपचारात्मक कार्यक्रम संचालित किया जाएगा।

सभी शालाओं में सौ दिवसीय अभियान के अंतर्गत निर्धारित सभी सप्ताहिक दक्षताओं को इस अवधि के दौरान विशेष ध्यान देकर पूरा किया जाएगा। दक्षताओं को अच्छे से संप्राप्ति के लिए पर्याप्त अभ्यास करवाया जाएगा। विद्यार्थी विकास सूचकांक के माध्यम से इस पर कक्षावार निगरानी की व्यवस्था की जाए।

चौहान होंगे सहायक संचालक खंडन

इधर स्कूल शिक्षा से संबंधित किसी भी ऐसी खबर जिसमें विभाग संतुष्ट नहीं होगा। उसका तुरंत खंडन किया जाएगा। खंडन करती खबरें तुरंत जारी करने एक अधिकारी की भी नियुक्ति की गई है। सहायक संचालक डीएस चौहान नोडल अधिकारी होंगे। इनकी जिम्मेदारी यह होगी जिस दिन खबर प्रकाशित हो उसी दिन खंडन जारी किया जाए।

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