रायपुर

पुरानी पेंशन योजना आर्थिक बोझ नहीं, कर्मचारी-सरकार दोनों को लाभ
02-Mar-2022 5:14 PM
पुरानी पेंशन योजना आर्थिक बोझ नहीं, कर्मचारी-सरकार दोनों को लाभ

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 2 मार्च।
पुरानी पेंशन योजना से एक ऐसी मांग है जिसके पूर्ण होने पर राज्य सरकार के राजकोष में कोई आर्थिक बोझ नही पड़ेगा। अपितु सरकार व कर्मचारी दोनों को आर्थिक लाभ होगा तथा कर्मचारी का भविष्य अंधकारमय नहीं होगा। प्रदेश के कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से नए वित्तीय वर्ष से लागू करने की मांग की है।  बता दें केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2004 के बाद नियुक्त ऐसे शासकीय सेवक जिन्हें केन्द्र सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना को बंद कर नवीन अंशदायी पेंशन योजना लागू की गई है, ऐसे कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बारंबार मांग करने के बाद भी देश में भेंदभाव की नीति प्रभावशील है।

संघ के प्रांतीय अध्यक्ष विजय कुमार झा एवं जिला शाखा अध्यक्ष इदरीश खान ने बताया है कि  2004 के बाद नियुक्त प्रदेश के शासकीय सेवकों के वेतन से मूल वेतन व मंहगाई भत्ता पर 14 प्रतिशत अंशदान सरकार को देना पड़ रहा है। दूसरी तरफ पुरानी पेंशन वाले शासकीय सेवक जो 2004 के पूर्व नियुक्त हुए है वे अपने मूल वेतन व मंहगाई भत्ता पर 12 प्रतिशत् कटौती कर भविष्य निधि खाते में जमा कर रहे है। इस प्रकार नवीन अशदायी पेंशन योजना में सरकार को नगद जमा करना पड़ रहा है, पुरानी पेंशन योजना में शासन के खजाने में कर्मचारी जमा करेगें। इसके अतिरिक्त 2004 के बाद पेंशन लागू करने पर आगामी 20-30 वर्षो तक सरकार को पेंशन नहीं देना है, बल्कि भविष्य निधि खाते में कर्मचारियों से राशि जमा कराना है। कर्मचारियों व उनके परिजनों के वृद्वावस्था में बुढ़ापे का सहारा पेंशन है। अभी एक 2004 के बाद नियुक्त डिप्टी कलेक्टर के मूल वेतन 56000/- व उस पर 17 प्रतिशत् मंहगाई भत्ता 9520/-रू. इस राशि पर सरकार को 14 प्रतिशत् अंशदान देना पड़ रहा है, जो लगभग8-9 हजार रूपये होता है। इस गणना के आधार पर प्रदेश सरकार को प्रतिमाह लाखों शासकीय सेवकों को अंशदान देना पड़ रहा है। इससे जो राशि बचेगी उससे सरकार कर्मचारियों को लंबित 14 प्रतिशत् मंहगाई भत्ता तथा केन्द्रीय कर्मचारियों के समान 20 प्रतिशत् 7 वें वेतनमान् में गृहभाड़ा भत्ता प्रदान कर सकती है। चूंकि हमारे प्रदेश के मुखियां केन्द्र सरकार के प्रत्येक गलत नीतियों का विरोध करती है, इसलिए इस पुरानी पेंशन योजना को लागू कर केन्द्र सरकार को एक सीख देने की मांग मुख्यमंत्री श्री भूपेश बधेल से प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष अजय तिवारी, महांत्री उमेश मुदलियार, संभागीय अध्यक्ष संजय शर्मा प्रांतीय सचिव विश्वनाथ ध्रुव, प्रांतीय कोषाध्यक्ष रविराज पिल्लें, नरेश वाढ़ेर, कुंदन साहू, मनोहर लोचनम्, विमल चन्द्र कुण्डू सुरेन्द्र त्रिपाठी, रामचन्द्र ताण्डी, आलोक जाधव, एस.पी.यदु, आर.के.वर्मा, ए.जे.नायक, होरीलाल छेद्इया, टार्जन गुप्ता प्रांताध्यक्ष स्वास्थ संयोजक संध, प्रवीण ढिढवंशी संभागीय सचिव, डॉ.अरूंधति परिहार, बजरंग मिश्रा, मिलाप यादव, गोपाल प्रसाद साहू अनियमित कर्मचारी संध, विश्व विद्यालय कर्मचारी संध अध्यक्ष श्रवण सिंह ठाकुर, सचिव प्रदीप कुमार मिश्रा, संतलाल साहू रत्नाकर साहू आदि ने की है।
 

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