रायपुर
जंगल में रहकर समाज के लोगों को शिक्षा के लिए कर रही प्रेरित
टिकेश यादव
रायपुर, 8 मार्च (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। मंजिलें उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है। पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। इस वाक्य को सही मायने में चरित्रार्थ कर रही है, रायगढ़ जिले की ग्राम तमनार की रहने वाली सविता बिरहोर ने समाज की पहली महिला है, जिसे उसके उत्कृष्ट कार्यों के लिए महिला दिवस के अवसर पर महिला बाल विकास विभाग महिलाओं को सम्मान दे रही है।
आदिवासी महिला सविता आश्रम में रह कर बारहवीं तक की शिक्षा प्राप्त कर आज सरकारी जागह पर भृत्य पद पर काम कर रही है। सविता बिरहोर बताती है की अतिविशिष्ट पिछड़ी जनजाति बिरहोर समाज में वनवासी परिवार में जन्मी जंगलों में बचपन बीता है। अपने पिता स्वरूप जागेश्वर यादव के मार्ग दर्शन और सहयोग से बिरहोर आश्रण में पढ़ाई पूरी कर जॉब कर रही है। बचपन से ही अपने समाज को दूसरे समाज से पिछड़ा और आभाव की जिंदगी जीते देख समाज के लिए कुछ कर गुजरने की ठानी और बिरहोर समाज की महिलाओं को जागरूक करने का काम किया। जंगलों में रहने वाले आदिवासी जो अपना जीवन जंगलों में घूम घूम कर शिकार और कंदमूल खा कर अपना जीवन यापन करते थे। जंगलों में घास फूस की झोपड़ी बनाकर अलग थलग रहने वाले बिरहोरों को समूह में रहना सिखा रही है, स्वच्छता से लेकर शिक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा के बारे में बताया।
बिरहोर समाज की महिलाओं को संगठित कर महिला सक्ति और प्रशासन से मिलने वाली सुविधाओं से अवगत करा रही है। स्वास्थ्य शिविर के माध्यम से महिलाओं के स्वास्थ्य परीक्षण एवं स्वस्थ रहने की जानकारी दे रही है। पूरी दुनिया जब कोरोना जैसी महामारी से जुज रही थी, तब बिरहोर परिवार की बेटी ने अपने समाज को इस संकट से उबारने का काम किया। अपने समाज को कोरोना संक्रमण से बचने के लिए उनके सामने सबसे पहले खुद टीका लगाकर समाज की महिलाओं के लिए मिसाल रखा। बिरहोरी समाज में संपूर्ण टीका लगवाने का लक्ष्य रखा है।
इसके अलावा समाज के बच्चे जो अपने परिवार के साथ जंगलों में रहते है, उन्हें शिक्षा के लिए प्रेरित कर रही है। सरकार से सहायता प्राप्त बिरहोर आश्रम में शिक्षा व शिक्षा के साधन मुहैया कराना, पर्यावरण संरक्षण, जरूरतमंद लोगों की शासकीय योजनाओं से सहायता करना सहित अन्य कार्य में अपनी सहभागिता दर्ज कराती आ रही है ।