रायपुर
‘लेंटाना’ को समझने स्पीकर ने वन अफसरों को बुलाया
लखेश्वर, और अजय ने वनमंत्री को घेरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 मार्च। बस्तर के कांगेर वैली राष्ट्रीय उद्यान में शेर और बाघों की मौत को लेकर कांग्रेस के ही विधायक लखेश्वर बघेल ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि बीते तीन साल में कांगेर वैली क्षेत्र में 22 करोड़ रूपए खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन वन्यप्राणियों का संवर्धन और संरक्षण नहीं हो पा रहा है।
मंगलवार को विधानसभा के प्रश्नकाल में लखेश्वर बघेल ने जानना चाहा कि कांगेर वैली तो कब राष्ट्रीय पार्क घोषित किया उस समय वहां कितने प्राणियों की गणना हुई थी। वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा वन्यप्राणियों की गणना नहीं होती। आंकलन (एस्टिमेशन) के आधार पर प्राणियों की संख्या बताई जाती है, और नेशनल पार्क घोषित किया जाता है। बघेल ने कहा कि 80 के दशक में वैली ने शेर-बाघ भी होते थे। अब गायब हो गए हैं, मार दिया जा रहा है। संरक्षण संवर्धन में वन्य विभाग में बड़ी कमी है। बघेल ने यह भी कहा कि 2018 से 22 तक संवर्धन के नाम पर 22 करोड़ रूपए खर्च हो चुकेे हैं। उसके बाद भी वन्यप्राणियों का संरक्षण नहीं पाया है क्या कारण हैं। वन मंत्री ने कहा कोई स्पेसिफिक जानकारी हो तो दें कार्रवाई की जा सकती है। इस पर बघेल ने खाल जब्ती के प्रकरणों की जानकारी मांगी, तो अकबर ने कहा यह प्रश्न से उदभुत नहीं होता। लखेश्वर ने टिप्पणी की मारकर खा गए होंगे। इस पर अजय चंद्राकर ने पूरक प्रश्न में कहा उत्तर से परिशिष्ट में लेंटाना उन्मूलन पर सात बार सर्वाधिक राशि खर्च की गई है। आखिर लेंटाना क्या चीज है। इसके फायदें क्या, और यह अभियान कितनी बार चलाया जाता है। वन मंत्री ने कहा जंगलों में 150 प्रकार के फूल पत्तियां जिन्हें लेंटाना कहा जाता है। और इनका उन्मूलन आवश्यक है ताकि प्राणियों को विचरण करने में आसानी हो। यह हर दो साल में एक बार होता है। चंद्राकर ने कहा मैंने आज तक लेंटाना अभियान नहीं देखा। लिखित उत्तर के तारीख को देखे तो दो साल पूरे भी नहीं हुए हैं अभियान चलता रहा है। स्पीकर चरणदास महंत ने व्यवस्था दी कि विभागीय अधिकारी मेरे पास आए और लेंटाना के बारे में समझाएं।