रायपुर
![मटेरियल भी महंगा, ठेकेदारों ने एसओआर बढ़ाने की मांग की, नहीं बढ़ा तो सरकारी निर्माण का बहिष्कार मटेरियल भी महंगा, ठेकेदारों ने एसओआर बढ़ाने की मांग की, नहीं बढ़ा तो सरकारी निर्माण का बहिष्कार](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1652193330SC_0197a.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 10 मई। पेट्रोल डीजल के कीमतों के बढऩे से निर्माण सामग्रीयों के मूल्य में बेतहाशा वृद्धि के कारण कुछ महीनों के दौरान स्टील , सीमेन्ट ,डामर आदी के दामों मेेंं असमान्य वृद्धि हुई है। जिसके चलते लोनिवि की निविदा और नियमों में बदलाव करने की मांग की है। छग ठेकेदार संघ ने इस विषय में जानकारी देते हुए मुख्य अभियंता को ज्ञापन सौपा।
छत्तीसगढ़ काट्रेकटर्स संघ के अध्यक्ष बीरेश शुक्ला ने मंगलवार को पत्रकारवार्ता में बताया कि वर्क्स विभागों में निर्माण सामग्रियों की कीमतों में इजाफे और अलग - अलग विभागीय शर्तों में उलझी निर्माण एजेंसियां अब हाथ खड़े करने की तैयारी में है। प्रदेश के सरकारी और अर्द्धसरकारी निर्माण विभागों में काम करने वाली एजेंसियों ने दो टूक कह दिया कि अब बैंकों से और कर्ज लेकर निर्माण करने की स्थिति में नहीं हैं। महंगे हो रहे मटेरियल के चलते लामबंद एजेंसियां मौजूदा एसओआर और बाजार मूल्य में अंतर का पैकेज देने मंगलवार से दबाव बनाने अभियान शुरू की है। राजधानी में हुई बैठक में निर्माण एजेंसियों और ठेकेदारों ने एकमतेन रणनीति तय की है। ठेकेदारों ने बताया कि स्टील के बाजार मूल्य100 रूपए की बढ़ोतरी हाने से स्टील की कीमते दोगुनी हो गई है । ठेकेदारी के व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा के चलते ठेकेदारों द्वारा कम ठेकेदार के लाभ के साथ निविदा दर का प्रस्ताव दिया जाता है। अनुबंध में विद्यमान मूल्य वृद्धि से संबंधित क्लॉज़ का प्रावधान तर्कसंगत नही होने पर एवं निर्माण सामग्रीयों के बाजार मूल्य में हुई वास्तिवक वृद्धि की क्षतिपूर्ती नहीं होने के कारण ठेकेदार वित्तिय रूप से त्रस्त है । निर्माण सामग्रीयों के बाजार मूल्य में अचानक हुई असमान्य बढ़ोतरी के कारण ठेकेदारी के व्यवसाय में संलग्न अधिकांश ठेकेदार या तो कार्य पूर्ण कर पाने में असमर्थ है या व्यवसायिक घाटा उठाने के लिये मजबूर है । छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा इस तथ्य का संज्ञान लेकर इससे निपटपने के लिये कोई कार्यवाही नही कि गई है।
लोक निर्माण विभाग में वर्ष 2005 से नये संविदा अनुबंध प्रपत्र लागू होने के पहले विभाग स्टील , सीमेंट एवं डामर में मूल्य वृद्धि का भुगतान सीधे इन सामग्रीयों के बाजार मूल्य में हुई वृद्धि / कमी के आधार पर निर्माण कार्य में उपयोग की गई मात्रा से गुणा कर किया जाता था। व्यवसाय में रायल्टी क्लीयरैन्स प्रस्तुत किये जाने एवं गौण खनिज के वास्तविक रायल्टी के दर से चार से पाँच गुना अधिक तथाकथित बाजार दर से ठेकेदारों के देयक से राशि रोकेजाने हेतु लागू की गई व्यवस्था न सिर्फ अत्यधिक जटील है बल्कि ठेकेदारों को खनिज विभाग के कार्यालय में चक्कर लगाने के लिये बाध्य करती है न्यूनतम निविदाकार का स्थान प्राप्त करने के उद्देश्य से ठेकेदारों द्वारा अत्यधिक प्रतिस्पर्धात्मक दर डाला जाता है एवं ऐसी स्थिति में ठेकेदारों को अतिरिक्त सुरक्षा निधि की राशि एफ.डी.आर. के रूप में प्रस्तुत करना पड़ता है ।