रायपुर
![अब गुगल और एलेक्सा में छत्तीसगढ़ी भी अब गुगल और एलेक्सा में छत्तीसगढ़ी भी](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/165219346258.jpg)
रायपुर, 10 मई। भारतीय विज्ञान संस्था (आईआईएससी), बैंगलोर ने इस तरह के क्रांतिकारी परिवर्तन लाने एक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की है।
वर्तमान में किसी विषय पर हमें छत्तीसगढ़ी में जानकारी चाहिए तो पर्याप्त रूप से नहीं मिल पाती। छत्तीसगढ़ी भाषा भी विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तरह से बोली जाती है। भारतीय विज्ञान संस्थान (आई.आईएस सी), बैंगलोर द्वारा विभिन्न भारतीय भाषाओं, उपभाषाओं के साथ ही छत्तीसगढ़ी भाषा के भी डिजिटलाइवेजेशन करने का कार्य हो रहा है।
छत्तीसगढ़ी भाषा ऑनलाईन प्लेटफार्म में उपलब्ध होने से छत्तीसगढ़ के जनमानस को जो भी जानकारी चाहिए वह अपनी भाषा और उपभाषा में उपलब्ध हो सकेगा। विभिन्न क्षेत्रों में क्षेत्रीय भेद के चलते एक ही भाषा को अलग-अलग प्रकार से बोली जाती है। छत्तीसगढ़ी को मैदानी क्षेत्रों में अलग तरीकों से बोला जाता है किंतु जैसे सरगुजा, बिलासपुर, रायगढ़, कवर्धा, आदि क्षेत्रों में जाते हैं तो वहां बोली जाने वाली छत्तीसगढ़ी के शब्दों एवं शैली में भिन्नता आ जाती है।
यह कार्य इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रशांत कुमार घोष के नेतृत्व में एक शोध-दल कर रहा है। यह दल बंगाली, हिंदी, भोजपुरी, मगधी, छत्तीसगढ़ी, मैथिली, मराठी, तेलुगु और कन्नड़ में आवाज के माध्यम से सूचना तक पहुँचने की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित तकनीक विकसित कर रहा है।
छत्तीसगढ़ी भाषा में कार्य करने रविवि रायपुर के साहित्य एवं भाषा अध्ययनशाला के शोध उपाधिधारक डॉ. हितेश कुमार का चयन एसोसिएट रिसर्च (छत्तीसगढ़ी) के पद पर किया गया है। इन्होंने पं. रविवि के कुलपति डॉ. केशरी लाल वर्मा केनिर्देशन में अपना शोध-कार्य पूर्ण किया है। डॉ. हितेश राजभाषा छत्तीसगढ़ी के साथ ही रायगढ़, सरगुजा, बिलासपुर और कवर्धा क्षेत्र में बोली जानी वाली छत्तीसगढ़ी के लिए विभिन्न सहयोगियों के साथ कार्य कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि अपनी बोली में ही जानकारी उपलब्ध होने से दूर-दराज के गांव में रहने वाला कोई भी व्यक्ति स्वास्थ्य संबंधी मुद्दो से लेकर पशुपालन, पशुओं का कृषकों के दैनिक जीवन में महत्व, पारंपरिक एवं आधुनिक खेती के तरीके, सर्वोत्तम उर्वरकों एवं कीटनाशकों का प्रयोग, वित्त, बैंकिंग, व्यवसाय, शासकीय योजनाएं, बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण, आदि का विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकता है।