रायपुर

स्मृति शेष-2009 में रायपुर आए थे शिवकुमार शर्मा
11-May-2022 6:59 PM
स्मृति शेष-2009 में रायपुर आए थे शिवकुमार शर्मा

तस्वीर में शेखर अरूण सेन, और अन्य शिवकुमार शर्मा के साथ

स्मृति शेष-2009 में रायपुर आए थे शिवकुमार शर्मा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 11 मई। प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा के निधन से सारा विश्व के संगीत जगत के लोगों में गहरा शोक सा वातावरण छा गया है, और अब हमें शिव कुमार का संतूर वादन सुनाई नहीं देगा।

Call of the Valley की वेली आज स्तब्ध है, क्योंकि सिलसिला टूट गया, संतूर के तार आंसुओं से भीग गए हैं हमारी आंखों की तरह।

कल जब पंडित शिवकुमार शर्मा जी का निधन का समाचार सुना तब मुझे व हमारे कमलादेवी संगीत महाविद्यालय के शिक्षकगण व विद्यार्थियों में शोक सा वातावरण छा गया था पंडित शिवकुमार शर्मा ने कश्मीर के लोक वाद्य संतूर को शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत के साथ-साथ फिल्मी संगीत के जगत में लोकप्रिय करने में अपना योगदान दिया। उनके अनेक शिष्य देश-विदेश में संतूर वादन में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने अपने संतूर वादन में शास्त्रीय संगीत के अनुसार वाद्म में कई बदलाव किए।संतूर वाद्म में 100तार होती हैं , जिन्हें सुर में मिलाना आसान नहीं है ?

छत्तीसगढ़ में सन् 2009 में स्व.डा.अरुण कुमार सेन संगीत समारोह में  दिसंबर 14व15 में उनके पुत्र पद्ममश्री शेखर सेन ने पंडित शिवकुमार शर्मा जी का कार्यक्रम आयोजित किया गया था, मुझे प्रभारी प्राचार्य के नाते उनका स्वागत करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने अपने कार्यक्रम के द्वारा छत्तीसगढ़ के रसिक श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। दूसरे दिन कमलादेवी संगीत महाविद्यालय व अन्य संगीत विद्यार्थियों व शिक्षकों को वर्कशॉप के द्वारा संगीत के रागों व रियाज़ के तथा संतूर वाद्म पर भी प्रकाश डाला। जो छत्तीसगढ़ के लिए अविस्मर्णीय दिन था ।

पंडित शिवकुमार शर्मा ने पंडित हरिप्रसाद चौरसिया जी से मिलकर  शिवहरि के नाम से फिल्मों में संगीत निर्देशन भी किया, उनके निर्देशन में फि़ल्म-सिलसिला और चांदनी के गाने सुपरहिट रहे।

-डॉ. एम. श्रीराममूर्ति

व्याख्याता कमलादेवी संगीत कॉलेज रायपुर

संतूर में 100 तार होते हैं , इनमें सुर मिलाना आसान नहीं ?

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