रायपुर

गिरे हेलीकॉप्टर के रखरखाव में खामी नहीं, दूसरी खामियों से क्रैश
15-May-2022 6:10 PM
गिरे हेलीकॉप्टर के रखरखाव में खामी नहीं, दूसरी खामियों से क्रैश

अगुस्ता के तकनीशियनों का जांच टीम को बयान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 मई।
तीन दिन पहले दुर्घटनाग्रस्त अगुस्ता हेलीकॉप्टर के मेंटेनेंस में खामी से छत्तीसगढ़ के विमानन विभाग से साफ इंकार किया है। दुर्घटना की जांच के लिए आए डीजीसीए के जांच दल को दिए गए बयान में दुर्घटना की तीन मुख्य वजह बताई गई है। इनमें मैन्युफैक्चरिंग फेल्योर, डिजाइन और मटेरियल फेल्योर प्रमुख है।

सूत्रों के अनुसार डीजीसीए के जांच टीम 2007 में अगुस्ता की खरीदी से लेकर इन 15 वर्षों के दौरान हुए मेंटेनेंस संबंधी सभी डाक्यूमेंट को सील कर ले गई है। इसके अलावा कॉप्टर का ब्लैक बॉक्स, और दुर्घटना के बाद की तस्वीरें भी शामिल है। वहीं मलबे को एयरपोर्ट में अपने पजेशन में रखवा लिया है। एयर इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो की इस जांच टीम में किरण घोड़े, रोहित कुमार, दिनेश कुमार, रामाचंद्रन और अमित जैन शामिल है। इस टीम ने स्टेट हैंगर के सभी अधिकारी-कर्मचारियों के रिकार्डेड बयान लिए है, और यह भी कहा है कि जांच में जरूरत के मुताबिक पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया जा सकता है।

26 करोड़ का बीमा था
दुर्घटनाग्रस्त अगुस्ता हेलीकॉप्टर उड़ान के लिए पूरी तरह से सुरक्षित (एयरवर्दी नेस) था। हाल में डीजीसीए ने ही एयरवर्दी सर्टिफिकेट भी जारी किया था। उसके मुताबिक ही बीमा कंपनी ने अगुस्ता को इंश्योरेंस कवरेज में लिया था। 5 यात्री 2 पायलट समेत कॉप्टर का बीमा 26 करोड़ में किया गया था। राशि, कॉप्टर की खरीदी कीमत के बराबर ही रखी गई थी। यहां बता दे कि 15 वर्षों के दौरान इसके सालाना रखरखाव में ही 16 करोड़ से अधिक खर्च किए जा चुके थे। इसके बाद भी अगुस्ता 3-4 बार आपात स्थिति में ग्राउंड किया गया। वर्ष 2016-17 में तो इसके दोनों इंजिन बदले गए थे।

दुनिया की यह तीसरी दुर्घटना
विमानन सूत्रों के मुताबिक अगुस्ता 109 की क्रैश लैंडिंग की यह तीसरी घटना है। इनमें से दो घटनाएं भारत में ही हो चुकी है। रायपुर से पहले 9 मई 2012 को अगुस्ता 109 वीकेएस चॉपर रांची में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। आर्यन एविएशन का चार्टर्ड हेलीकॉप्टर उस दिन सीएम अर्जुन मुंडा समेत 6 अफसरों के साथ उड़ान पर था। उस दौरान ही टेल रोटेटर की दिक्कत आई थी। इस घटना की जांच रिपोर्ट में डीजीसीए ने कहा था पायलट ने लैंडिंग को ठीक से हेंडल नहीं किया। जिससे अर्जुन मुंडा और अफसरों को चोंटे आई है। उस जांच रिपोर्ट के हवाले से ही 2015 में मेंटेनेंस के मानक बदले गए। इसमें यह भी कहा गया कि जब टेल रोटेटर का फेल्योर हो तो आसमान में चक्कर लगाकर पहले फ्यूल खत्म किया जाए और फिर लैंडिंग।

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