रायपुर

श्रीनगर में छत्तीसगढ़ के कृषि और आजीविका मॉडल को सराहा
17-May-2022 9:09 PM
श्रीनगर में छत्तीसगढ़ के कृषि और आजीविका मॉडल को सराहा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 17 मई। छत्तीसगढ़ राज्य के कृषि और आजीविका मॉडल को जानने और समझने के लिए ‘‘प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से नागरिकों और सरकार को करीब लाने’’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में छत्तीसगढ़ को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है । श्रीनगर में आयोजित इस राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में छत्तीसगढ़ के कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ कमलप्रीत सिंह ने छत्तीसगढ़ में सतत कृषि और आजीविका विकास के मॉडल के बारे में विस्तार से पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुति दी।

राज्य में कृषि उत्पादन, उत्पादकता और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए संचालित राजीव गांधी किसान योजना से कृषि को प्रोत्साहन मिला है। सुराजी गांव योजना के नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम और गोधन न्याय योजना से गांवों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है। गौठान और गोधन न्याय योजना से राज्य में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा मिला है। ग्रामीण पशुपालक किसानों को पशुधन के देखरेख, उनके चारे- पानी के प्रबंध की चिंता दूर हो गई है।

गोधन न्याय योजना के तहत 2 रुपए किलो में क्रय किए जा रहे गोबर से पशुपालक किसानों को अतिरिक्त लाभ होने लगा है। पशुपालन राज्य में अब आय का जरिया बन गया है। राज्य के 8397 गांव में निर्मित एवं संचालित गौठानों  में अब तक 69.28 लाख क्विंटल गोबर का क्रय किया गया है, जिसके एवज में गोबर विक्रेता पशुपालकों और ग्रामीणों को 138 करोड़ 56 लाख रुपए का भुगतान किया गया है।

क्रय गोबर से 19 लाख क्विंटल से अधिक कंपोस्ट खाद का निर्माण  कर महिला समूह ने 33 करोड़ 40 लाख की आय अर्जित की है। कंपोस्ट खाद का खेती में उपयोग होने से खाद्यान्न की गुणवत्ता और उत्पादकता बेहतर हुई है। कृषि की लागत में कमी आई है। छत्तीसगढ़ में पशुओं की खुली चढ़ाई प्रथा पर रोक लगी है। इससे पशुओं से फसल हानि रुकी है। कृषि उत्पादकता और दोहरी फसल का रकबा बढ़ा है। गौठान में पशुधन के चारे के प्रबंध के लिए राज्य में पैरादान अभियान से खेतों में पराली जलाने की समस्या से छुटकारा मिला है, जिसके चलते पर्यावरण को होने वाले नुकसान और कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। राज्य के किसानों ने गौठानों को 20 लाख क्विंटल पैरा दान किया है, जिसका मूल्य लगभग 40 करोड़ रुपए है।

राज्य के गांवों में स्थापित गौठानों से 12,013 महिला स्व- सहायता समूह जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 82725 है। महिला समूह गौठनों में स्थापित रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में वर्मी कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट प्लस के उत्पादन के साथ ही कई तरह के अन्य उत्पाद तैयार कर रही हैं। विभिन्न आय मूलक गतिविधियां जिसमें सब्जी उत्पादन, मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, बटेर पालन, मशरूम उत्पादन, शहद उत्पादन, मसाला निर्माण, साबुन ,डिटर्जेंट, अगरबत्ती का निर्माण चौन फेंसिंग तार, फेंसिंग पोल बनाने के साथ ही दाल मिल, तेल मिल, मिनी राइस मिल सहित वनोपज प्रसंस्करण यूनिट आदि का संचालन कर रही हैं। इससे महिला समूह को अब तक 65 करोड़ 45 लाख रुपए की आय हुई है। गौठानों में गोबर से विद्युत उत्पादन की शुरुआत हो चुकी है। गोबर से नेचुरल पेंट बनाने के लिए प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं, इससे गावों में रोजगार और ग्रामीणों के आय में वृद्धि होगी।

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