रायपुर
![आदिवासी सांस्कृतिक परम्परा की हानि आदिवासी सांस्कृतिक परम्परा की हानि](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1653215861ilger_smarak.jpeg)
silger smarak
आशुतोष भारद्वाज
यह स्मारक (हरा) आदिवासियों ने पिछले बरस सिलगेर में पुलिस की गोली से मारे गए परिजनों की स्मृति में बनाया है. बस्तर के आदिवासी सदियों से मृत्यु को पत्थर पर दर्ज कर रहे हैं. (मसलन, साथ की तस्वीर. महेंद्र कर्मा परिवार के स्मृति स्तम्भ)
karma pariwar smarak
लेकिन सिलगेर का स्मारक उन जैसा एकदम नहीं है.
naxal smarak
बस्तर में नक्सली भी अपने साथियों की याद में स्मारक बनाते हैं (लाल). सिलगेर का स्मारक एकदम नक्सली स्मारक जैसा है. मैंने कई स्थानीय लोगों से पूछा, किसी ने आदिवासी समुदाय को ऐसा स्मृति-स्तम्भ बनाते नहीं देखा.
क्या नक्सलियों ने आदिवासियों पर दबाव डालकर/फुसला कर यह स्मारक बनवाया?
या
आदिवासियों ने खुद ही नक्सली आकाओं की इस परम्परा को अपना लिया?
दोनों ही सूरतों में आदिवासी समुदाय की एक प्रमुख सांस्कृतिक परम्परा की हानि हुई, जिसे मेगालिथिक काल का कहा जाता है.
आदिवासी समुदाय का अपनी भूमि के साथ बड़ा आत्मीय संबंध रहा है. नक्सली ने आदिवासी समुदाय की घोटुल जैसी सांस्कृतिक परम्पराओं को घृणित कह कर बंद करवाया, और अब प्रहार मृत्यु पर हुआ है.