रायपुर

सौभाग्यवती भव: पति की लंबी आयु के लिए वट को पूजा महिलाओं ने
30-May-2022 6:33 PM
सौभाग्यवती भव: पति की लंबी आयु के लिए वट को पूजा महिलाओं ने

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 30 मई। सोमवार का दिन महिलाओं के लिए खास रहा। महिलाएं सोमवती अमावस्या के शुभ संयोग में वट सावित्री व्रत के मौके पर बरगद की पूजा कर महिलाओं ने पति की लम्बी आयु मांगी। सुहागिन सोलह शृंगार में सज-धज कर वट सावित्री व्रत की पूजा की सोमवती अमावस्या के दिन पडऩे वाले इस व्रत को लेकर राजधानी में सुबह से ही महिलाएं मंदिरों में वट वृक्ष की पूजा करती नजर आई। वट वृक्ष में कच्चा सूत बांधकर अपने पति की लंबी आयु और स्वस्थ रहने की प्रार्थना की।

सनातन धर्म में वृक्षों की महत्ता बताई गई है। उसे देवतुल्य मानकर उसकी पूजा करती है। पीपल और वट वृक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप मानकर महिलाएं आपने पति की लम्बी आयु के लिए पूजान उपवास करती है। पीपल और बरगद जहां पर दोनों एक साथ है, वहां व्रतियों की ज्यादा भीड़ देखी जा रही है। वहीं वट वृक्ष के नीचे सावित्री व सत्यवान की कथा व्रतियों द्वारा सुनी जाती है।  सोलह शृंगार किए महिलाएं पूजन करने के बाद यथा शक्ति दान भी करती है। देखा जाए तो इस पर्व के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी मिलता है। वृक्ष होंगे तो पर्यावरण बचा रहेगा और तभी जीवन संभव है

वट वृक्ष की धार्मिक मान्यताएं भी हैं. इस पेड़ में बहुत सारी शाखाएं नीचे की तरफ लटकी हुई होती हैं जिन्हें देवी सावित्री का रूप माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु एवं डालियों में त्रिनेत्रधारी शिव का निवास होता है। इसलिए इस वृक्ष की पूजा से सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं। अपनी विशेषताओं और लंबे जीवन के कारण इस वृक्ष को अनश्वर माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सावित्री ने वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति को पुन: जीवित किया था। इसी मान्यता के आधार पर स्त्रियां अचल सुहाग की प्राप्ति के लिए इस दिन बरगद के वृक्षों की पूजा करती हैं।

पंडित मनोज शर्मा ने बताया कि वट सावित्री पर्व की बहुत मान्यता है। विवाहित महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं। पति की  लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य का फल का वर मांगती है। यह व्रत स्त्रियों के लिए सौभाग्यवर्धक, पापहारक, दु:खप्रणाशक और धन-धान्य प्रदान करने वाला होता है।  अग्नि पुराण के अनुसार बरगद उत्सर्जन को दर्शाता है इसलिए संतान प्राप्ति के लिए इच्छुक महिलाएं भी इस व्रत को करती हैं।

शनि जयंति भी मनी

सोमवार के दिन शनि जयंति,नवग्रह तिथि और वट सावित्री भी है। तीन पर्व एकदिन होने के कारण इस बार बहुत विशेष रहा। शहर में कई जगहों पर विशेष पूजा और भंडारे का भी आयोजन किया गया। ग्रह नक्षत्रों और पंचाग के अनुसार वट सावित्री व्रत दो दिन की तिथि में मनाया गया।  अमावस्या तिथि 29 मई को शाम 02 बजकर 55 मिनट से है। जो कि 30 मई को शाम 04 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी । वैदिक पंचांग के अनुसार , 30 मई को वट सावित्री व्रत का विशेष संयोग  रहा है । इस दिन सुबह 07 बजकर 13 मिनट से अगले दिन 31 मई को सुबह 05 बजकर 09 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा ।

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