रायपुर
निराधार शक के आधार पर आयोग किसी महिला को अपमानित नहीं कर सकती- डॉ नायक
रायपुर, 31 मई। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की। आज जनसुनवाई में 31 प्रकरण रखे गए थे जिसमें 4 प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया है।
आज एक प्रकरण की सुनवाई में आवेदिका ने बताया कि लगभग 1 करोड़ रुपये से ऊपर का सोने चांदी का सामान अनावेदक ने लिया है। उसकी एफआईआर जिला राजनांदगांव के कोतवाली थाना में वर्ष 2020 में कराया है। जिसमे अनावेदक न्यायालय में उपस्थित नहीं होता। मेरे पास अपने जीवन यापन के लिए कोई धनराशि नही है। आयोग के समक्ष अनावेदक ने बताया कि उसकी ज्वेलर्स की दुकान में उसका भाई बैठता था। जो भी लेनदेन है वह मेरे भाई ने किया है। मेरे भाई के खिलाफ मैं कार्यवाही करूंगा क्योंकि मैं डेढ़ साल से कैंसर का इलाज करवाने के कारण बाहर था। इस कारण से मैं किसी प्रकार से भाई के विरुद्ध कार्यवाही नहीं करा पाया हूँ। आज मेरे पास कोई धनराशि नहीं है।
अनावेदक ने स्वीकार किया कि ज्वेलरी दुकान मेरी जरूर थी। मैं शैक्षणिक संस्थान चलाता था। दुकान पर मेरा भाई बैठता था। आवेदिका ने अनावेदक के खिलाफ लगभग एक करोड़ रुपये के बिस्किट और जेवर दिलाये जाने का निवेदन किया है। जिसमे दस्तावेज भी संलग्न है और इस प्रकरण को महज इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता कि अनावेदक के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज है। यह प्रकरण आवेदिका के जीवनभर की जमा पूंजी को धोखे से हड़पने बाबत है। इसके साथ ही अनावेदक के कथन से यह स्पष्ट है कि अनावेदक अपने भाई के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नही किया है। जिसमे दोनो भाई का मिलीभगत होना प्रतीत होता है।
आयोग ने आवेदिका को, अनावेदक के भाई को भी पक्षकार बनाने के निर्देशित किया गया है।साथ ही अगर अन्य कोई आवेदिका इस ज्वेलरी में ठगी का शिकार हुई हो तो वे भी आयोग में शिकायत दर्ज करा सकती है।इस प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया है।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदक ने पिछली सुनवाई में पीएचई के कार्यपालन अभियंता का नाम लिया था, आज की सुनवाई में कार्यपालन अभियंता आयोग में समस्त दस्तावेज लेकर उपस्थित हुए। आज की सुनवाई में अनावेदक ने आने से इंकार किया है। पीएचई अधिकारी ने आयोग को बताया कि अनावेदक ने श्रम न्यायालय के उपादान आदेश 16 जुलाई 2021 प्रस्तुत किया था। जिसके पालन में लगभग 7 लाख रूपये उसके खाते में भेज दिया गया था। चूंकि उनके अभिलेख में यह दर्ज था कि उनके पिता की दो संतान है।
न्यायालयीन आदेश के कारण अनावेदक को राशि दी गई थी वर्तमान में जीआईएस और डीपीएफ खाते में लगभग 4 लाख रूपये राशि जमा है। जिसे अब तक नहीं दिया गया है और अनावेदक वर्तमान में अनुकंपा नियुक्ति के तहत प्रोबेशन पिरियड पर है। आयोग के द्वारा अधिकारी कार्यपालन अभियंता पीएचई में कार्यरत है। उन्हें निर्देशित किया जाता है कि वह अनावेदक को शासकीय शोकॉस नोटिस भेजकर 7 लाख रूपये जमा कराने और श्रम न्यायालय के समस्त दस्तावेज और फाइल की प्रमाणित प्रतिलिपि भी जमा कराने के निर्देश दिए हैं।अपने स्तर पर श्रम न्यायालय के अभिलेखों की बारिकी से जांच कर आवेदिका की मदद कर समस्त दस्तावेजों की प्रतिलिपि आयोग की सुनवाई के समक्ष प्रस्तुत करने कहा गया। जिससे इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकें।