रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 3 जून। परसा कोल ब्लॉक की ग्रामसभा पर लग रहे आरोपों को जिला प्रशासन ने खारिज करते हुए इस बार औपचारिक रूप से सफाई दी है कि ग्राम सभा ने इस परियोजना को शुरू करने के लिए विधिवत रूप से प्रस्ताव पारित किया था, इसलिए किसी भी प्रकार की विशेष ग्राम सभा को दोबारा से करवाने की जरूरत नहीं है।
सरगुजा जिला पंचायत के उपाध्यक्ष आदित्येश्वर शरण सिंहदेव को लिखे गए पत्र में, जिला कलेक्टर ने बताया कि वन/राजस्व भूमि के व्यपवर्तन के लिए संबंधित ग्राम पंचायत साल्हि, आश्रित ग्राम हरिहरपुर, घटबर्रा तथा आश्रित ग्राम फतेहपुर द्वारा ग्राम सभा प्रस्ताव विधिवत पारित किये गए हैं। परसा कोल ब्लॉक के संबंध में फिर विशेष ग्राम सभा कराने की जरूरत नहीं है।
एक जून लिखे गए इस पत्र में कलेक्टर ने ये भी ये भी स्पष्ट किया कि कोल बिअरिंग एक्ट 1957 के तहत भूमि अधिग्रहण के लिए ग्राम सभा की आवश्यकता नहीं होती है।
सरगुजा कलेक्टर ने जिला पंचायत उपाध्यक्ष आदित्येश्वर शरण सिंहदेव द्वारा 30 मई को लिखे गए एक पत्र के जवाब में स्थिति स्पष्ट की है। आदित्येश्वर शरण सिंहदेव ने अपने पत्र में ग्रामीणों में व्यापक असंतोष और आक्रोश का हवाला देते हुए कहा था कि इस संवेदनशील मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए उक्त ग्रामों में विशेष ग्राम सभा बुला कर ग्राम सभा की स्पष्ट और पारदर्शी अनुमति लेना जनहित में आवश्यक है। सिंह ने ये भी लिखा की जब तक ग्राम सभा नहीं होती है तब तक परियोजना के संबंधित कार्यवाही रोक दी जाए।
परसा कोयला खदान के लिए अधिग्रहित कुल 1253 हे. भूमि में से लगभग 841 हेक्टेयर वनभूमि है तथा बाकी सरकारी और निजी भूमि शामिल है। केंद्र सरकार की पर्यावरण, वन और जलवायु विभाग की अनुमति के बाद राज्य सरकार के विभागों द्वारा खनन कार्य शुरू करने की अनुमति कुछ शर्तों के आधार पर प्रदान की गई है। इन नियमों के अंतर्गत प्रति पेड़ के एवज में 30 गुना पेड़ लगाने की शर्त प्रमुख है।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार को राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) द्वारा चलाए जा रहे बिजली संयंत्रों से 4400 मेगावाट बिजली पैदा करने के लिए छत्तीसगढ़ में तीन कोयला ब्लॉक परसा ईस्ट केते बासन (पीईकेबी), परसा और केटे एक्सटेंशन आवंटित किया गया था। तीन खानों में से केवल पीईकेबी को चालू किया गया था, और कहा गया कि यहां से खनन किया गया।