रायपुर
![ठेकेदारों के टेंडर बहिष्कार के 23 दिन पूरे, अफसरों ने बनाए फार्मूले ठेकेदारों के टेंडर बहिष्कार के 23 दिन पूरे, अफसरों ने बनाए फार्मूले](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1654341348G_LOGO-001.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 4 जून। छत्तीसगढ़ कांट्रेक्टर्स एसोसिएशन की बैठक बीरेश शुक्ला की अध्यक्षता में आज सिरपुर भवन में हुई। पदाधिकारियों ने निर्माण विभाग से जुड़े अधिकारियों के प्रति ठेकेदारों के समस्यों को अनसुना करने के लिए नाराजगी जाहिर की। बीरेश शुक्ला ने बताया कि पिछले 22 दिनों से एसोसिएशन के आह्वान पर ठेकेदारों के द्वारा टेंडर का बहिस्कार किया जा रहा है। चूँकि निर्माण सामग्री के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में ठेकेदारों के द्वारा निर्माण कार्य को जारी रख पाना संभव नहीं है। शुक्ला ने कहा कि प्रशासन में बैठे अधिकारियों के कानों पर गंभीर मुद्दों पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
जबकि बिंदुवार मांगों का ज्ञापन दिए हुए 22 दिन हो चुके है। इसके बावजूद आज तक निराकरण के लिए प्रस्ताव तक तैयार नहीं किया गया है।
इन फार्मूलों पर विचार कर रही सरकार
इधर टेंडर के सबसे बड़े स्टैक होल्डर पीडब्लूडी ने ठेकेदारों की मांगो पर विचार शुरू कर दिया है। अफसरों ने सीएम बघेल और सीएस जैन को ब्रीफिंग के लिए एक फार्मूला बनाया है। यह फार्मूला तय करने के लिए अफसरों ने गुजरात,मध्यप्रदेश में अपनाई गयी प्रक्रिया का भी इध्ययन किया है। गुजरात ने 30 सितंबर -22 तक कार्य पूरा करने वाले ठेकेदार - ठेका फार्म को इंसेटिव देने का फैसला किया है। मप्र में भी कुछ इसी तरह की प्रक्रिया है,संशोधित रूप से ठेकेदारों या फर्म को लाभ देने के लिए एसओआर बढ़ाया नही जा सकता इसके बजाए उन्हें कंपलसेशन दिया जा सकता है।
दूसरा सरकार चाहे तो वेलआऊट करने मार्केट के आधार पर भी दे सकती है। अफसरों का इस पर कहना है। कि एक टेंडर-कॉट्रेक्ट होने के बाद उसे चेंज नही किया जा सकता । 1972 एक्ट के तहत दोनों पक्ष चाहे तो कुछ वेलआऊट समझौते कर सकते हैं। इस फार्मूले पर पीडब्लू डी मंत्री ताम्रध्वज साहू के लौटने पर ही निर्णय हो पाएगा। संकेत है कि ठेकेदारों की मांगो को लेकर एक कमेटी बनायी जा सकती है। तब तक यथा स्थिति बने रहने के आसार है। यानी टेंडर बहिष्कार जारी रहेगा। अफसरों का कहना है कि अब बारिश आ रही है और सितंबर के अंत तक बारिश के चलते काम होते नही हैं। और तबतक निर्माण सामाग्री की कीमतों में गिरावट आती है। उसके आधार पर नयी दरे तय की जा सकती हैं।