रायपुर
![डाक सहायकों के विलय की फाइल 24 वर्ष बाद फिर चली, विरोध तेज हुआ डाक सहायकों के विलय की फाइल 24 वर्ष बाद फिर चली, विरोध तेज हुआ](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/165452214621ddb4b-6ef1-4490-b276-836.gif)
केन्द्रीय संचार मंत्री से मिले कर्मचारी नेता, डाक सचिव को भी भेजा पत्र
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 जून। डाक विभाग में कार्यरत तीन श्रेणियों के सहायकों पी.ए के विलय की कार्यवाही फिर से शुरू की जा रही हैं। 24 वर्ष पूर्व भी ऐसे ही प्रयासों के विरोध के बाद डाक विभाग ने कदम वापस लिए थे। इस बार भी विरोध तेज होने लगा है। विभाग में तीन तरह के पोस्टल असिस्टेंट देश भर में कार्यरत है। इनमें एक परिमंडल कार्यालय में,दूसरे बचत संगठन और तीसरा पोस्ट आफिस में इनके कंट्रोलिंग आथारिटी भी अलग -अलग हैं। अब इन तीनों का विलय कर डाक अधीक्षक के अधीनस्त करने की तैयारी हैं। किंतु इसका विरोध भी तेज हो गया है।
नेशनल यूनियन ऑफ एडमिनिस्ट्रेटिव आफिस के दिल्ली परिमंडल सचिव राकेश सिंह भाटिया ने दो दिन पूर्व केंद्रिय मंत्री से मुलाकात कर विलय की प्रक्रिया रोकने की मांग की। इसके पहले एनपीटी महासचिव पी.जनार्दन नुजारी भामयू के राष्ट्रीय महासचिव संतोष सिंह ने भी केन्द्रीय डाक सचिव से मुलाकात कर ज्ञापन सौपा है। इधर राष्ट्रीय महासचिव डी.के यदु ने भी पत्र लिखकर विलय का विरोध किया है।
यदु ने अपने पत्र में कहा हैं। कि इस विलय से न तो पीए न ही विभाग को कोई लाभ होने वाला है। बल्कि प्रशासनिक कार्य प्रभावित होगा। जब 3 वर्ष तक परिमंडल कार्यालय में कार्यरत पीए को सर्किल कार्यालय के कार्य समझने में दिक्कते होगी। और यह एक स्थापित सेटअप को तोडऩे जैसा होगा। इतना ही नही पीए,सीओ एवं एमटीएस जो पहले से ही पदोन्नति से वंचित हैं। को और नुकसान होगा। संघ के नेताओं का कहना है कि पीए द्वारा सर्किल और क्षेत्रीय कार्यालयों में किए गए कार्य डाक घरों के पीए की तुलना में अधिक जटिल होते हैं। अधिनस्त कार्यालयीन के कामकाज पर सावधानी पूर्वक जांच करने के लिए सर्किल के कर्मचारी ज्यादा बेहतर होते हैं। ऐसे कई उदाहरण है, जो पीएसीओ द्वारा किए गए कार्य की गोपनीयता बताते हैं। इसलिए पीएसीओ का अलग कैडर बनाए रखते हुए विभाग को गोपनीयता के साथ संचालित करने में मदद मिलेगी। कैडर का विलय किसी ठोस आधार या वित्तीय प्रावधान के तैयार किया गया है। जो कर्मचारी हितों के खिलाफ है। इसलिए इन पदों का विलय न किया जाए।