रायपुर

वनवासियों को जंगल में रहने पर सजा का अहसास न हो, सुविधाएं नियमों के दायरे में ही मिले-भूपेश
06-Jun-2022 7:33 PM
वनवासियों को जंगल में रहने पर सजा का अहसास न हो, सुविधाएं नियमों के दायरे में ही मिले-भूपेश

कांकेर में समीक्षा बैठक, जाति प्रमाण पत्र को लेकर कोई शिकायत नहीं

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कांकेर/रायपुर, 6 जून। सीएम भूपेश बघेल ने सोमवार को यहां कहा कि वनवासियों को जंगल में रहने पर सजा का अहसास न हो, बल्कि उन्हें सभी सुविधाएं नियमों के दायरे में ही मिले। सीएम अफसरों के साथ सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर चर्चा कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि आदिवासी संस्कृति वनों का नुकसान करने की नहीं है, बल्कि आदिवासी वनों के संरक्षक हैं। वो दिन भी देखे जब ना आधार कार्ड था ना वोटर कार्ड, ना राशन मिलता था ना किसी योजना का लाभ, लेकिन अब अब परिस्थितियां बदली हैं। शासकीय योजना का अच्छा क्रियान्वयन हो तो जनता शिकायत नहीं करेगी।

सीएम ने अफसरों से कहा कि सक्रिय होकर काम करेंगे, लोगों की बेहतरी के लिए काम करेंगे तो प्रशंसा मिलेगी आपका भी नाम होगा। उन्होंने कहा कि साढ़े तीन साल पहले के कांकेर और अब के कांकेर में बहुत अंतर आया है। स्कूल अच्छे हो रहे हैं तो पढ़ाई का स्तर भी बढ़ रहा है। गांव में जो काम कर रहे हैं, उसका असर शहर में भी दिख रहा है।

उन्होंने कहा कि अभी तक कहीं जाति निवास प्रमाण पत्र की कोई शिकायत नहीं मिली। सरगुजा से बस्तर तक कोई शिकायत नहीं मिली है। जल्द से जल्द लोगों का काम करें तो दुआएं मिलेंगी। उन्होंने पुलिस के अफसरों से कहा कि पुलिस लोगों का विश्वास जीतने के लिए काम करें।

सीएम ने कहा कि बस्तर बदल रहा है। आप लोगों ने काम किया। आप सभी ने काम किया तो अब सबके चेहरे पर संतुष्टि और मुस्कुराहट है। कहीं तनाव नहीं दिख रहा, आदिवासी से लेकर व्यापारी तक सभी तनाव मुक्त हैं। पर्यटन के लिए टाटामारी, लिमदरहा केंद्र खुल गया है। कांकेर के कुछ एरिया में पहुंच मार्ग बन रहा है। कोदो, कुटकी, रागी भी कांकेर की पहचान बन रही है। इनको बढ़ावा देना है, वैल्यू एडिशन करना है। रेली ककून और मिलेट मिशन के नाम से कांकेर जाना जाने लगा है।

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