राजनांदगांव

पिता को बॉडी बिल्डिंग करते देख 5 साल पहले कैरियर बनाने वेटलिफ्टिंग को चुना, अंतरराष्ट्रीय खेल में ज्ञानेश्वरी का नाम चमका
17-Jun-2022 2:11 PM
पिता को बॉडी बिल्डिंग करते देख 5 साल पहले कैरियर बनाने वेटलिफ्टिंग को चुना, अंतरराष्ट्रीय खेल में ज्ञानेश्वरी का नाम चमका

वेटलिफ्टिंग सीनियर वर्ग में सिल्वर जीती, ताशकंद एशियन टूर्नामेंट में बनेगी हिस्सा

प्रदीप मेश्राम

राजनांदगांव, 17 जून। बुलंद हौसलों के साथ वेटलिफ्टिंग को कैरियर चुनने के फैसले को सार्थक रूप देते राजनंादगांव की होनहार वेटलिफ्टर ज्ञानेश्वरी यादव इन दिनों देश में शोहरत बटोर रही है। कारण यह है कि हिमांचल प्रदेश में वेटलिफ्टिंग के राष्ट्रीय प्रतियोगिता में देश की नंबर वन वेटलिफ्टर मीराबाई चानू से कड़े मुकाबले में हार के बाद मिले सिल्वर मेडल हासिल कर ज्ञानेश्वरी ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है।

ज्ञानेश्वरी ने सिलसिलेवार मिल रही सफलता के लिए अपने पिता को एक आदर्श रूप में माना है। ज्ञानेश्वरी का कहना है कि पिता को बॉडी बिल्डिंग करते देखकर उसके भी मन में वेटलिफ्टर बनने की इच्छा पैदा हुई और उसी के दम पर आगे बढ़ रही है।
इससे पहले मई 2022 को ग्रीस में आयोजित जूनियर वल्र्ड वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में अपने खेल के दम पर ज्ञानेश्वरी ने सिल्वर मेडल पर कब्जा किया था। राजनांदगांव के कौरिनभाठा की रहने वाली ज्ञानेश्वरी को ग्रीस में मिली सफलता के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 5 लाख रुपए का प्रोत्साहन स्वरूप राशि दी। वहीं पुलिस महकमे में बतौर एएसआई पद पर सीधे नियुक्ति देने की भी घोषणा की। राष्ट्रीय  स्तर पर सीनियर वर्ग में सिल्वर मेडल लेने के बाद ज्ञानेश्वरी की सफलताओं पर सबकी नजरें हैं।

ज्ञानेश्वरी खेलो इंडिया के तहत पिछले तीन साल से चयनित होती रही है। वर्ष 2017 में कैरियर की शुरूआत कर स्कूली स्तर के राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में पदक जीतकर अपनी राह पकड़ी और बीते 5 बरसों में नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर सिल्वर और रजत पदक अपने खाते में बटोर रही है। उनके पिता दीपक यादव इलेक्ट्रिशियन है और माता गृहणी हैं। बेहतर प्रदर्शन की बदौलत अगले माह जुलाई में उजबेकिस्तान के ताशकंद शहर में 15 से 25 जुलाई तक आयोजित जूनियर-सीनियर एशियन वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता के लिए ज्ञानेश्वरी भारतीय दल में शामिल हो गई है। इससे पूर्व वह देश के अलग-अलग क्षेत्रों में हुए खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर छत्तीसगढ़ और राजनंादगांव का नाम रौशन कर रही है।

‘छत्तीसगढ़’ ने उनसे सीधे मोबाइल पर चर्चा की।
प्र. - वेटलिफ्टिंग के बजाय दूसरे खेल पर ध्यान क्यों नहीं दिया?
उ. - पिता को बॉडी बिल्डंग करते देखकर मन में वेट लिफ्टिंग को ही चुना। स्थानीय कोच अजय लोहार ने पावर लिफ्टिंग के बजाय वेटलिफ्टिंग पर जोर दिया। मेरा पिता से प्रभावित होना इस खेल को चुनने का एक ठोस वजह रहा।
प्र. - वेटलिफ्टिंग का खेल काफी महंगा है, कैसे खर्च का वहन होता है?
उ. - वेटलिफ्टिंग में सर्वाधिक डाईट महंगा है। प्रति माह खेल के लिहाज से 25 से 30 हजार रुपए का भार पड़ता है। ऐसे में कोच और अन्य लोगों की मदद से खर्चा डाईट के लिए मैनेज करना पड़ता है।
प्र. - छत्तीसगढ़ के नई पीढ़ी को आपकी ओर से क्या संदेश है?
उ. - कोई भी खेल में संयम और लगन होना जरूरी है। एक तरह से यह साधना है। नियमित अभ्यास  और संतुलित खानपान खेल में आगे बढऩे के प्रमुख आधार हैं। छत्तीसगढ़ के युवाओं को इस खेल में संकल्प लेकर आगे बढऩा होगा।
 

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