जशपुर

लाल आतंक में तबाह हो रही जिंदगी और संघर्षों के बीच रहकर लिखी गई उपन्यास ‘चोला माटी के राम’
21-Oct-2022 8:27 PM
लाल आतंक में तबाह हो रही जिंदगी और संघर्षों के बीच रहकर लिखी गई उपन्यास ‘चोला माटी के राम’

जशपुर में पदस्थ रहे युवा डीएसपी अभिषेक सिंह की रचना
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जशपुरनगर, 21 अक्टूबर।
छत्तीसगढ़ नक्सली समस्या का दंश सदियों से झेल रहा है। इस समस्या से नक्सली, पुलिस जवान और आम जनता तीनों ही प्रभावित हैं। तीनों को अपने इत्मीनान और नया सवेरा का बेसब्री से इंतजार है। नक्सलियों की बदलती, डगमगाती विचार धारा, उनकी मंशा, आदिवासियों की चाहत के साथ पुलिस जवानों के उलझे जीवन की जीवंत कहानियों को उपन्यास की शक्ल में लोगों के बीच युवा डीएसपी अभिषेक सिंह ने लाया है।

उपन्यास का शीर्षक चोला माटी के राम दिया गया है। इस उपन्यास का सार्थक कवर पेज बीएचयू आदित्यांशु भारद्वाज ने तैयार किया है जिसकी सबसे अधिक सराहना हो रही है। डीएसपी सिंह की चर्चित उपन्यास बैरिकेड के प्री बुकिंग का रिकार्ड चोला माटी के राम ने तोड़ दिया है। डीएसपी सिंह के लेखनी युवाओं में खासा लोकप्रिय है।

जशपुर में रहे हैं डीएसपी
अभिषेक मूलत: जौनपुर (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले हैं तथा शिक्षा दीक्षा बीएचयू और दिल्ली में हुई है । वे 2013 बैच के डीएसपी हैं । उत्तर प्रदेश इनकी जन्मभूमि और छत्तीसगढ़ इनकी कर्मभूमि है । जशपुर, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही,बिलासपुर और बीजापुर में अपनी सेवाएँ दी हैं । जशपुर में युवकों के बीच ख़ासे चर्चित रहे और अपराध को कंट्रोल करने में इनकी भूमिका के चलते इन्हें ‘सिंघम’ नाम से जाना गया ।

पहला उपन्यास रहा बेस्ट सेलर
इनका पहला उपन्यास ‘बैरिकेड’ बेस्ट सेलर रहा और युवाओं में ख़ासा चर्चित भी। अपने दूसरे उपन्यास ‘चोला माटी के राम’ में अभिषेक ने लाल आतंक के उस रूप से परिचय करवाया, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं । अभिषेक कहते हैं कि बस्तर एक अघोषित युद्ध क्षेत्र है । यहाँ हर दिन एक युद्ध है। सेना के पराक्रम के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन बस्तर के लड़ाके जो आम जनता के लिए वीरगति को प्राप्त होते हैं, उनकी कहानी कोई नहीं जानता । वो किस परिस्थिति में वहाँ युद्ध लड़ रहे हैं, उनके शौर्य के बारे में किंचित मात्र भी लोगों को अंदाज़ा नहीं है।

जमीनी समस्याओं की सच पर है आधारित
अभिषेक ने आगे बताया कि अभी तक बस्तर पर लिखा जाने वाला साहित्य अधिकतर या तो छिछला होता था, सतही होता था या फिर किसी एजेंडा पर निर्धारित होता था। उन्होंने प्रत्यक्ष अनुभवों पर ये किताब लिखी है । सभी ये जानते हैं कि नक्सली क्या चाहते हैं, पुलिस फ़ोर्स क्या चाहती है लेकिन कोई ये नहीं जानता कि वहाँ का आम आदिवासी क्या चाहता है । उनकी आवाज़ बनने का और बस्तर के जिस रूप को,नकारात्मक छवि को पेश किया गया है उसे सही करने का बीड़ा उठाया है उन्होंने । हर इंसान जो पढ़ सकता है,समझ सकता है,देश प्रेमी है उसे एक बार ज़रूर पढऩी चाहिए ‘चोला माटी के राम’ ।

साहित्य के क्षेत्र से मिली सराहना
बुंदेलखंड लिट्रेचर फ़ेस्टिवल में उनकी किताब का विमोचन बड़े पैमाने पर किया गया, जहाँ देश भर के जाने माने साहित्यकार उपस्थित थे । सभी ने उनके साहित्य की और राइफ़ल के साथ कलम के गठजोड़ की भूरी-भूरी प्रशंसा की । बुंदेलखंड लिट्रेचर फ़ेस्टिवल के आयोजक प्रताप ने कहा कि पुलिस वालों के पास बहुत कि़स्सागो रहते हैं जिन्हें सुनने के लिए जनता बेताब रहती है । ऐसी धरातल वाली कहानियों को सबके सामने लाया जाना चाहिए और आपने छत्तीसगढ़ का नाम देश में ऊपर किया है उसके लिए आपको बधाईयां।

8 महीने में लिखा उपन्यास
अभिषेक सिंह ने बताया कि उन्हें लिखने का शौक है और इसके लिए वे रोजाना वक्त निकालते हैं। वे सुबह 5-6 बजे लिखने का वक्त निकालते हैं। उन्होंने उक्त उपन्यास 80 प्रतिशत बीजापुर में लिखा था और बाकी 20 प्रतिशत बलौदा बाजार आकर लिखा। 8 महीने में किताब पूरी हो गई। उन्होंने यह भी बताया कि उनका तीसरा उपन्यास भी 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है।

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