राजनांदगांव
कोमल जंघेल के खिलाफ भीतरघात के आरोप में छह महीने बाद संगठन ने दिखाया बाहर का रास्ता
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 22 अक्टूबर। खैरागढ़ उपचुनाव में भाजपा ने करारी हार के बाद एक बड़ी कार्रवाई करते भीतरघात करने के आरोप में आधा दर्जन नेताओं को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई पार्टी के खिलाफ बागी रूख अख्तियार करने और संगठन विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आधार पर प्रदेश नेतृत्व ने की है। करीब 6 माह बाद पार्टी ने उपचुनाव टिकट के दौड़ में शामिल रही लुकेश्वरी जंघेल व अन्य को 6 साल के लिए पार्टी के लिए निष्कासित कर दिया है।
खैरागढ़ उपचुनाव में भाजपा ने अधिकृत प्रत्याशी के रूप में कोमल जंघेल को मैदान में उतारा था। भाजपा ने जीत के लिए ऐडी-चोटी का जोर लगाया, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी यशोदा वर्मा के हाथों जंघेल 20 हजार वोटों से परास्त हुए। बताया जा रहा है कि संगठन को कुछ नेताओं के द्वारा पार्टी प्रत्याशी को हराने की गतिविधियों में शामिल होने की शिकायत मिली थी। पार्टी ने अपने स्तर पर जांच के बाद लुकेश्वरी जंघेल और रावल कोचर, रामा साहू, राकेश ठाकुर व केशव साहू को 6 वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया है।
बताया जा रहा है कि अधिकृत प्रत्याशी कोमल जंघेल ने भीतरघातियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रदेश नेतृत्व से शिकायत की थी। अगले वर्ष विधानसभा चुनाव से पूर्व अनुशासन का डंडा चलाकर भाजपा ने अपना इरादा जता दिया है। माना जा रहा है कि पार्टी के इस कदम का कार्यकर्ताओं पर व्यापक असर पड़ेगा। उधर निलंबन की कार्रवाई को लेकर लुकेश्वरी जंघेल का कहना है कि निलंबन की कार्रवाई क्यों और किस आधार पर की गई है यह समझ से परे है। जबकि उनके बूथ में भाजपा को उप चुनाव में बढ़त मिली थी।
‘छत्तीसगढ़’ से श्रीमती जंघेल ने कहा कि कारण बताओ नोटिस के बगैर सीधे संगठन ने कार्रवाई कर दी। यह राजनीतिक षडयंत्र के तहत किया गया है। श्रीमती जंघेल ने आगे कहा कि पार्टी के प्रति मेरी निष्ठा और समर्पण सदैव रहेगी। इस बीच छुईखदान नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष रावल चंद कोचर को पार्टी ने निलंबित कर बाहर का रास्ता दिखाया है। यहां बता दें कि कोचर के खिलाफ निलंबन की तीसरी कार्रवाई है। पूर्व में भी उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई किया गया था। कोचर को निलंबित करने के फैसले से पार्टी का एक खेमा संतुष्ट है। बहरहाल खैरागढ़ उपचुनाव में मिली करारी शिकस्त के महीनों बाद हुई निलंबन की कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि भाजपा पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल नेताओं को ढील देने के मूड में नहीं है।