जशपुर
आदिवासी हितों को उपेक्षा का आरोप
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जशपुरनगर, 23 अक्टूबर। आरक्षण संशोधन अधिनियम को उच्च न्यायालय द्वारा रद्द किया जाना, छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार की सबसे बड़ी नाकामी है। इसकी कीमत, प्रदेश भर के आदिवासियों को चुकानी होगी। इस गंभीर मामले को लेकर,भूपेश सरकार दुविधा में नजर आ रही है। कैबिनेट के बैठक में, आरक्षण पर चर्चा न होना, आदिवासियों के प्रति सरकार के असंवेदनशीलता को दर्शाता है। छ़ ग़ के अनुसुचित जनजाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष ललित नागेश ने उक्त बातेंं कही।
अजजा मोर्चा ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर इस मामले में सरकार को उचित कानूनी कदम उठाने का आग्रह किया। सौंपे गए ज्ञापन में छत्तीसगढ़ सरकार ने हाईकोर्ट में आरक्षण के पक्ष में सही तरीके से दलीलें नहीं रखी। इस कारण, न्यायालय ने उसे रद्द कर दिया है। छत्तीसगढ़ में आदिवासी वर्ग की जनसंख्या को देखते हुए, पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने आरक्षण की सीमा में वृध्दि की थी। ताकि प्रशासनिक क्षेत्र में आदिवासियों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जा सके।
15 साल तक भाजपा की सरकार रहने के दौरान, इस पर कोई आंच नहीं आया। कांग्रेस सरकार के आते ही, आदिवासियों को यह दिन देखना पड़ रहा है। ज्ञापन में बताया गया है कि पदोन्नती में आरक्षण का मामला भी 2019 से लटका हुआ है। इससे आदिवासियों का हित प्रभावित हो रहा है।
ज्ञापन सौंपने में मुख्य रूप से पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु देव साय, पूर्व सांसद नंदकुमार साय, पूर्व प्रदेश महामंत्री कृष्ण कुमार राय, जिला पंचायत अध्यक्ष रायमुनी भगत, जिला भाजपा अध्यक्ष सुनील गुप्ता, निवर्तमान भाजपा अध्यक्ष रोहित साय, जिला पंचायत उपाध्यक्ष उपेन्द्र यादव, नगरपालिका उपाध्यक्ष राजू गुप्ता, जिला उपाध्यक्ष मुकेश शर्मा, रूपेश सोनी, डीडीसी शांति भगत, गेंदबिहारी सिंह, शौर्य प्रताप सिंह जूदेव, संतोष सिंह, राजकपूर भगत, गोविंद भगत, शारदा प्रधान, नितिन राय, फैज़ान सरवर खान, केशव यादव, मुनेश्वर सिंह केसर, श्याम भगत, मनोज भगत, शरद चौरसिया, विजय शर्मा, उमाशंकर भगत, दीपक अंधारे, अरविंद भगत, दीपक गुप्ता, विनोद निकुंज, राजा सोनी, अभिषेक मिश्रा, आशु राय, सहित कार्यकर्ता उपस्थित थे।