गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा राजिम, 17 अप्रैल। समीपस्थ ग्राम छांटा में 11 से 18 अप्रैल तक दिवंगत कृष्ण कुमार साहू की वार्षिक श्राद्ध पर आत्मा शांति हेतु संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के छठवें दिन रविवार को महारास, कंस वध, श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह का कार्यक्रम संपन्न हुआ।
इस अवसर पर शैलेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह महारास एवं कंस वध के विषय में श्रोताओं को कथा के माध्यम से विस्तार पूर्वक बताया। उन्होंने कथा के प्रारंभ में कहा कि एक महात्मा ने कहा है कि जीना एक कला है, हंसते-हंसते जीना बड़ी कला है, लेकिन किसी रोते हुए को हंसाना यह उससे भी बड़ी कला है, तथा हंसते-हंसते मर जाना यह दुनिया एवं ब्रह्मांड की सबसे बड़ी कला है।
उन्होंने आगे अपने प्रवचन के माध्यम से कबीर के उस दोहे का स्मरण करते हुए कहा कि कबीर हम जब पैदा हुए जग हंसे हम रोए ऐसी करनी कर चलो कि हम हंसे,जग रोए उन्होंने कहा कि जीवन में ऐसी कर्म करो कि जब दुनिया से विदा हुए तो सभी लोगों रोए तथा जीवन भर किए कर्मों कि सराहना होते रहे। इस प्रकार उक्त संगीतमय भागवत कथा कथावाचक धर्म पथिक पंडित शैलेंद्र कृष्ण शास्त्री (वृंदावन धाम वाले) शास्त्री अपने श्रीमुख से अमृतमयी कथा की अविरल धारा का ज्ञान कर्म और भक्ति का रसपान करा रहे हैं।
कार्यक्रम का समापन 18 अप्रैल मंगलवार को गीता प्रवचन, श्राद्ध पूजन एवं भंडारा के साथ संपन्न होगा। रविवार को नवापारा कबीर आश्रम से विजेंद्र साहेब, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अशोक बजाज, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष गोबरा नवापारा विजय गोयल, नवापारा सोसायटी अध्यक्ष शिखर चंद बाफना, समाजसेवी डॉ राजेंद्र गदिया, किसान नेता चंद्रिका साहू, भुवन साहू टीला वाले, डॉ वर्मा सहित सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।