बलौदा बाजार
![118 गांव की 8 सौ हेक्टेयर भूमि खरीदी, फिर भी 82 किमी लंबी नहर 15 साल बाद भी अधूरी 118 गांव की 8 सौ हेक्टेयर भूमि खरीदी, फिर भी 82 किमी लंबी नहर 15 साल बाद भी अधूरी](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1681895871034.jpeg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 19 अप्रैल। ग्राम पलारी अंचल में 15 साल बाद भी 82 किलोमीटर लंबी नहर का काम कुछ किसानों के रोड़ा अटका ने से पूरा नहीं हो पाया है। 99 करोड़ से शुरू हुआ काम 265 करोड़ पर पहुंच गया है। फेस वन और फेस टू में 22 किलोमीटर का काम हुआ है, जिससे 3800 हेक्टेयर जमीन ही सिंचित हो रही है। दिक्कत केवल 45 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण का निर्माण को पूरा करने में आ रही है। 2003 में पलारी अंचल में अकाल पड़ा था।
इस दौरान कांग्रेश की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी लवन आई थी। उनसे तत्कालीन पलारी विधायक डॉ.रामलाल भारद्वाज ने राजीव समोसा नीसदा व्यपवतरन बैजनाथ बांध निर्माण कर लवन क्षेत्र के लोगों को सिंचाई के लिए पानी देने की मांग की थी। 2800 हेक्टेयर जमीन में सिंचाई के लिए करीब 82 किलोमीटर लंबा नाहर बनाने की योजना बनाई गई, जिसमें 118 गांव शामिल है। 99 करोड़ की स्वीकृति दी थी। 2003 में काम में लंबित हुआ। 2006-7 में मूर्त रूप दिया गया जिसको 114 करोड़ से शुरू किया गया।
नहर के लिए 1247 किसानों की 286 हेक्टेयर जमीन की जरूरत थी। पहले फेस में 12 किलोमीटर तक नहर निर्माण कर 8 गांव के किसानों को पानी दिया जिससे 2800 हेक्टेयर जमीन सिंचित हुई। पहले फेस में आरंग ब्लाक के गुल्लू रानीसागर समोदा बनारसी कुशमुद करमदी सिमरिया पर सदा कुरूद कुटेला शामिल है। वहीं फेस टू में 4 गांव के लिए 10 किमी लंबी नहर बनी और आरंग ब्लॉक के ही रानीसागर बनारसी तुलसी रसोटा की 1000 हेक्टेयर जमीन और सिंचित हुई। इस तरह अब तक 22 किलोमीटर लंबी नहर बनी।
13 किमी में काम ही प्रारंभ नहीं हुआ है, क्योंकि उसमें जमीन अधिग्रहण का मामला फंसा है, जिसमें धाराशिव में वन विभाग की 2500 मीटर जमीन जिसकी स्वीकृति केंद्र से मिलना है। सलोनी धाराशिव चिरपोटा भी जमीन अधिग्रहण नहीं हुआ है। 3 गांव का अधिग्रहण पास हुआ है, जो जामडीह कारी मुंडा में अब काम प्रारंभ किया गया जाएगा।
किसान नहीं पूरा होने दे रहे काम - ई ई कक्कड़
महानदी परियोजना द्वितीय चरण कार्य संभाग बी एस सी कक्कड़ का कहना है कि हम काफी समय से काम पूरा करने में लगे हैं। मगर किसानों द्वारा जमीन अधिग्रहण पर रोक लगाने का काम नहीं देने से ठेकेदार परेशान हैं। इस कारण ठेकेदार काम छोड़ चले जाते हैं। योजना की लागत पहले 99 करोड़ थी जो अब 260 करोड़ पहुंच गई है जिसमें 40 करोड़ अधिग्रहण का देना बाकी है।
जमीन मालिकों के सामने बेबस अधिकारी
69 किमी तक आधा अधूरा निर्माण हो गया। 47 किमी नहर जो आधी है वहां पर किसानों की दबंगई के सामने अधिकारी और जनप्रतिनिधि बेबस हैं। वह गांव के एक किसान ने जमीन पर सिंचाई विभाग के अधिकारी को कदम रखने पर पैर काट देने का बोर्ड तक टांग रखा था। इसी तरह ग्राम वटगन के किसान जिसके जमीन का 400 मीटर में कार्य रुका पड़ा है, और वह हर बार काम करने वालों को अपनी मांग पूरी करने की बात कह कर काम करने नहीं देता काम रोकने धरने पर बुजुर्ग मां को बिठा देते हैं। ग्राम रोहा सी का एक किसान नहर निर्माण करने नहीं दे रहा केसला में 2.5 किमी काम अधूरा है।