बलरामपुर
आयोग में शिकायत होने के बाद दो मामलों में एफआईआर दर्ज
बलरामपुर, 16 जून। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य नीता विश्वकर्मा ने आज न्यू सर्किट हाऊस (सभाकक्ष) जिला बलरामपुर में महिला उत्पीडऩ से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज प्रदेश स्तर की 185वीं सुनवाई हुई तथा जिला स्तर में दूसरी बार सुनवाई की गई। बलरामपुर में 8 प्रकरणों में सुनवाई की गई।
आज की जन सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने आयोग के समक्ष शिकायत किया गया था कि थाना राजपुर में एफआईआर शिकायत दर्ज नहीं किया। गया। आयोग को पुलिस अधीक्षक बलरामपुर का प्रतिवेदन दिनांक 16.12.22 के द्वारा प्राप्त हुआ है। जिसमें अपराध दर्ज होकर चालान प्रस्तुत कर दिया गया है। आवेदिका को समझाईश दिया गया कि नि: शुल्क विधिक सेवा दिलाने के लिए संरक्षण अधिकारी सुमित्रा सिंह को जिम्मेदारी दिया गया है कि आवेदिका को मदद देकर दोषियों को सजा दी जा सके। प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है।
अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसकी बेटी की हत्या उसके दामाद के मारने से हुई थी। जिसकी सूचना में प्रकरण दर्ज नहीं कराया जा रहा था, तब उसने महिला आयोग में शिकायत देने के बाद थाना में एफआईआर दर्ज किया था। जिसमें धारा 302 लगाया गया था। पुलिस अधीक्षक बलरामपुर का प्रतिवेदन दिनांक 16.12.2022 का आयोग को प्राप्त हुआ है। जिसके अनुसार चालान न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया गया है। आवेदिका को समझाईश दिया गया कि संरक्षण अधिकारी से मिलकर विधिक सहायता से वकील प्राप्त करे जिसके साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है।
अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसकी बेटी डॉक्टर है और उसके लिए डॉक्टर रिश्ता नहीं मिल रहा था और उसके लिए ओडिशा में कुनबी समाज का रिश्ता मिला और उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष से पूछा कि रिश्ता लगा सकती हूँ, तब उनके द्वारा आवेदिका को सामाजिक पंचाग में जनवरी 2022 के पिछले पेज में और अ.स.आ. के बीच में प्रधान लिखा हुआ दिया गया था, जिसे देखने के बाद आवेदिका ने अपनी बेटी का रिश्ता तय किया था, लेकिन आवेदिका के द्वारा समस्त दस्तावेज अनावेदकों द्वारा मानने से इंकार कर दिया और यह बोला गया कि आवेदिका से रिश्ता तोड़ दे चंूकि आवेदिका की बेटी का विवाह का निमंत्रण पत्र बट चुका था, तब विवाह के पाँच दिन पहले विवाह रद्द नहीं कर सकती थी, तब आवेदिका को अनावेदक क. 2 ने डराया था कि बिना जाति प्रमाण पत्र को उसकी बेटी की शादी नहीं करना।
फिर 27 अप्रैल 23 को अनावेदक क्र. 02 ने गाँव में एक बैठक लिया और आवेदिका के घर वैवाहिक कार्यक्रम में समस्त समाज को जाने का रोक लगाया और कहा कि कोई विवाह में नहीं जाएगा, उन्हें दंडित किया जाएगा। अनावेदक क्र. 01 जिला अध्यक्ष है, उनका कहना है कि ऐसी कोई रोक नहीं लगाया गया है। आवेदिका के समर्थन में कुछ लोग आयोग के सुनवाई में उपस्थित है, जो इस कारण अनावेदक क्र. 02 उनकी टीम ने 2050 रू. कुल 18 परिवार से लिया गया है, जिनमें से एक महिला पैसा नहीं दी तो उसे समाज से बाहर कर दिया गया। आवेदिका ने ढेर सारे दस्तावेज और व्हाटसप ग्रुप में चलाया हुआ मैसेज भी व्हाटसअप किया है जो आज आयोग के समक्ष कुल 4 गवाह उपस्थित हुये हैं, इन तीनों ने 2050 रू. अनावेदक क्र. 02 के ग्राम सेवा के समक्ष अनिरुद्ध पटेल को दिया गया। इन दोनों में अनावेदक के रूप में जोड़ा जाएगा नम्बर 04 निर्मल पटेल ने बताया कि उसने फिर 2050/- नहीं जमा किया, इसलिये समाज का कार्यक्रम मनीष पटेल और राजेन्द्र पटेल ने अपमानित कर भगा दिया था, इस प्रकरण में अनावेदक के रूप में शामिल किया जाता है।
आयोग में सदस्य नीता विश्वकर्मा के पास सोशल मीडिया एवं व्हॉटसएप ग्रुप में किसी ने समाचार भेजा है। जिसमें यह लिखा है कि संभागीय सचिव के द्वारा छग राज्य महिला आयोग की सुनवाई 16 जून को एक हजार लोगों को लाने का अपील किया गया है जो कि आयोग के न्यायालयीन प्रक्रिया को दबाव डालने का षडयंत्र करने का हिस्सा प्रतीत होता है।
अनावेदकगण प्रकरण के संबंध में बात करते हुए आयोग से कहा कि समक्ष में गंगा जल लेकर समाज के समक्ष घोषणा करेंगे कि आवेदिका और उसके परिवार का कोई सामाजिक बहिष्कार नहीं किया गया है, गाँव में सभी लोगों के समक्ष होना तय किया है। इस स्तर पर आयोग के द्वारा नीता विश्वकर्मा, संरक्षण अधिकारी सुमित्रा सिंह और एसआई मंजू रानी तिवारी एवं स्थानीय थाना प्रभारी को बुलाकर इस प्रकरण में आवेदिका एवं शेष 18 लोगों समाज का बहिष्कार को वापस लेने की घोषणा करने और रिपोर्ट तैयार कर प्रकरण नस्तीबद्ध करने की अनुशंसा कर सकेंगे।